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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 07 Jan, 2025
  • 27 min read
रैपिड फायर

विश्व ब्रेल दिवस 2025

स्रोत: द हिंदू

4 जनवरी को मनाया जाने वाला विश्व ब्रेल दिवस, लुई ब्रेल के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ब्रेल लिपि एक स्पर्शनीय कोड है जो नेत्रहीन और दृष्टिबाधित व्यक्तियों को लिखित जानकारी तक पहुँचने में सक्षम बनाता है।

  • लुई ब्रेल: लुई ब्रेल (1809-1852) का जन्म फ्राँस में हुआ था और तीन वर्ष की आयु में ही उनकी दृष्टि चली गयी थी। 
    • दस वर्ष की आयु में उन्हें पेरिस में रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ में छात्रवृत्ति मिली, जहाँ उन्होंने एक सेना के कप्तान की "नाइट राइटिंग" प्रणाली से प्रेरित होकर ब्रेल प्रणाली विकसित की। 
      • वर्ष 1815 में चार्ल्स बार्बियर डे ला सेरे द्वारा निर्मित "नाइट राइटिंग" प्रणाली में 12 उभरे हुए बिंदुओं का प्रयोग किया गया था और इसे सैनिकों के लिये अंधेरे में गुप्त संवाद करने हेतु डिजाइन किया गया था।
  • ब्रेल प्रणाली: इसमें 3×2 मैट्रिक्स में 6 उभरे हुए बिंदुओं का उपयोग कर वर्ण बनाए जाते हैं, जिन्हें उनकी व्यवस्था द्वारा पहचाना जा सकता है। 
  • ब्रेल लिपि को विभिन्न उपकरणों से लिखा जा सकता है, जिनमें स्लेट, ब्रेल राइटर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं।
  • ध्वनि और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रौद्योगिकी के विकास के बावजूद, ब्रेल लिपि अभी भी स्वतंत्रता के लिये आवश्यक है, विशेष रूप से उन लोगों के लिये जो जन्म से नेत्रहीन हैं।

और पढ़ें: विश्व ब्रेल दिवस


रैपिड फायर

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग

स्रोत: पी.आई.बी

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग द्वारा 4 जनवरी 2025 को अपना 40वाँ स्थापना दिवस मनाया गया, जो भारत के वैज्ञानिक तथा औद्योगिक विकास में चार दशकों के योगदान का प्रतीक है।

  • DSIR: इसकी स्थापना 4 जनवरी 1985 को भारत सरकार (कार्य आवंटन) नियम, 1961 के 164वें संशोधन के अंतर्गत राष्ट्रपति की अधिसूचना के माध्यम से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन की गई थी।
    • DSIR के तहत स्थानीय प्रौद्योगिकी विकास, उपयोग एवं हस्तांतरण को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है।
    • DSIR द्वारा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (NRDC) तथा सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) का विनियमन किया जाता है।
    • DSIR, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (UN-ESCAP) के अंतर्गत एशियाई और प्रशांत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र (APCTT) को सहायता प्रदान करता है, जिससे भारत में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक प्रगति को बढ़ावा मिलता है।
  • DSIR की प्रमुख योजनाएँ:
    • PRISM: व्यक्तियों, स्टार्ट-अप्स तथा MSME में नवाचारों को प्रोत्साहन (PRISM) योजना, 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) में उल्लिखित समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाले नवप्रवर्तकों तथा MSME का समर्थन करने पर केंद्रित है।
    • PACE: पेटेंट अधिग्रहण एवं सहयोगात्मक अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकी विकास (पेस), नवीन प्रौद्योगिकियों के विकास एवं व्यावसायीकरण में उद्योगों को सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है।
    • CTRDH: सामान्य अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास केंद्र (CTRDH) MSME के लिये साझा बुनियादी ढाँचा और प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है।
    • A2K+: प्रौद्योगिकी विकास एवं प्रसार हेतु ज्ञान तक पहुँच (A2K+) ,उद्योगों तथा अनुसंधान निकायों को तकनीक एवं नवाचार संबंधी जानकारी के प्रसार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

और पढ़ें: वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)


रैपिड फायर

HMPV वायरस

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) से जुड़ी श्वसन संबंधी बीमारियों में हाल ही में हुई वृद्धि से एक अन्य महामारी की आशंका को बल मिला है। 

  • हालाँकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इस संदर्भ में किसी नई महामारी की सूचना न देने के साथ आपातकालीन चेतावनी या HMPV से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी संकट की घोषणा नहीं की गई है।
  • HMPV: 
    • खोज: इसकी खोज वर्ष 2001 में नीदरलैंड के शोधकर्त्ताओं ने की थी। यह फ्लू और कोविड-19 के समान तीव्र श्वसन संक्रमण का कारण बनता है।
    • प्रसार: यह चीन तक सीमित नहीं है तथा पूरे विश्व में व्याप्त है। इसे एक सामान्य श्वसन रोगज़नक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका कोई टीका नहीं है।
    • लक्षण: खाँसी, बुखार, गले में खराश एवं नाक बहना, जो आमतौर पर 2-5 दिनों के अंदर सामान्य हो जाते हैं।
    • कमज़ोर समूह: इससे बच्चों, बुजुर्गों तथा कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को निमोनिया जैसी जटिलताओं का सबसे अधिक खतरा है।
    • संचरण: HMPV निकट संपर्क या दूषित सतहों को छूने से फैलता है।
    • मौसमी: यह आमतौर पर सर्दियों तथा वसंत के दौरान फैलता है इसके साथ ही अन्य श्वसन संक्रमण जैसे रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) और इन्फ्लूएँजा भी फैलता है।
      • HMPV न्यूमोविरिडे समूह से संबंधित है जिसमें RSV, खसरा और मम्प्स वायरस शामिल हैं।
    • गंभीरता: यद्यपि HMPV के अधिकांश मामले सामान्य होते हैं लेकिन 5-16% मामलों में ब्रोंकियोलाइटिस या निमोनिया जैसी गंभीर स्थिति हो सकती है।

और पढ़ें: मानव पूंजी पर कोविड-19 का प्रभाव


रैपिड फायर

सावित्रीबाई फुले की 193 वीं जयंती

स्रोत: इकोनोमिक टाइम्स

हाल ही में प्रधानमंत्री ने 3 जनवरी, 2025 को सावित्रीबाई फुले को उनकी 193वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

  • सावित्रीबाई को रूढ़िवादी समाज के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, उन्होंने पत्थरबाजी और दुर्व्यवहार सहित शारीरिक और सामाजिक प्रतिघातों को सहन किया।
  • सावित्रीबाई फुले के बारे में:
    • जन्म: उनका जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा में हाशिये पर रहने वाले माली समुदाय में हुआ था। उनका विवाह ज्योतिबा फुले से हुआ जिन्होंने उनकी शिक्षा का दायित्व संभाला।
      • उन्होंने दो शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रवेश लिया: एक अहमदनगर में अमेरिकी मिशनरी सिंथिया फरार के साथ और दूसरा पुणे के नॉर्मल स्कूल में।
    • योगदान: 
      • महिलाओं के लिये शिक्षा: वर्ष 1848 में पुणे में लड़कियों के लिये पहला स्कूल स्थापित किया गया। इस दंपति ने कुल 18 स्कूल शुरू किये और चलाए।
      • दलितों के लिये प्रयास: दलित समुदाय के उत्थान के लिये नेटिव मेल स्कूल, पुणे और सोसाइटी फॉर प्रमोटिंग द एजुकेशन ऑफ महार, मंग्स (Mangs) जैसे शैक्षिक ट्रस्टों की शुरुआत की।
      • लैंगिक मुद्दों का मुकाबला: वर्ष 1863 में, ज्योतिराव और सावित्रीबाई ने बालहत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की, जो कन्या भ्रूण हत्या का मुकाबला करने और गर्भवती ब्राह्मण विधवाओं और बलात्कार पीड़ितों की सहायता के लिये भारत का पहला गृह था।
      • साहित्य: काव्य फुले (1854) और बावन काशी सुबोध रत्नाकर (1892) नामक दो प्रसिद्ध कृतियाँ लिखीं, साथ ही कविता 'गो, गेट एजुकेशन' भी लिखी।  
  • 19 वीं सदी के समाज सुधारक ज्योतिराव फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगिरी में सामाजिक उत्पीड़न की आलोचना की और शिक्षा, समानता को बढ़ावा देने और अस्पृश्यता को समाप्त करने के लिये वर्ष 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की।

और पढ़ें: सावित्रीबाई फुले


प्रारंभिक परीक्षा

लीड्स 2024 रिपोर्ट

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने छठी लॉजिस्टिक्स ईज़ एक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स (LEADS) 2024 रिपोर्ट जारी की।

  • गतिशक्ति विश्वविद्यालय (GSV) ने कुशल अवसंरचना नियोजन और राष्ट्रीय विकास के लिये PM गतिशक्ति अवधारणा पर एक पाठ्यक्रम शुरू किया।

लीड्स 2024 रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • परिचय: यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा अंतर-राज्यीय प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने और नीति निर्माताओं को लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन में सुधार करने में मदद करने के लिये जारी किया जाने वाला एक वार्षिक मूल्यांकन है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य सुधारों की पहचान करने, निवेश आकर्षित करने और लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करने के लिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) में लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन का मूल्यांकन करना है।
  • मूल्यांकन: रिपोर्ट चार प्रमुख स्तंभों के आधार पर लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन का आकलन करती है:
    • लॉजिस्टिक्स अवसंरचना
    • लॉजिस्टीक्स सेवा
    • परिचालन और विनियामक वातावरण
    • सतत् लॉजिस्टिक्स (वर्ष 2024 में शुरू किया गया)।
  • वर्ष 2024 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग:

समूह

अचीवर्स

फास्ट मूवर्स

आकांक्षी

तटीय राज्य

गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु

आंध्र प्रदेश, गोवा

केरल, पश्चिम बंगाल

स्थलरुद्ध राज्य

हरियाणा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड

बिहार, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान

छत्तीसगढ़, झारखंड

पूर्वोत्तर राज्य

असम, अरुणाचल प्रदेश

मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा

मणिपुर

केंद्र शासित प्रदेश

चंडीगढ़, दिल्ली

दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव, जम्मू और कश्मीर, लक्षद्वीप, पुडुचेरी

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लद्दाख

  •  प्रमुख सिफारिशें: 
    • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिये लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में LEAD ढाँचे को अपनाने की आवश्यकता है।
      • LEAD फ्रेमवर्क में दक्षता, प्रभावशीलता, पहुँच और जवाबदेहिता के साथ प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण शामिल है।
    • ग्रीन लॉजिस्टिक्स और धारणीय परिवहन पहल को बढ़ावा देना चाहिये।
    • मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स हब को बढ़ावा देने के क्रम में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित करना चाहिये।
    • अंतिम मील तक कनेक्टिविटी हेतु क्षेत्रीय तथा शहर स्तरीय लॉजिस्टिक्स योजनाएँ विकसित करनी चाहिये।
    • लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देना चाहिये।
    • बेहतर लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML) एवं डेटा एनालिटिक्स जैसी नई तकनीकों को अपनाना चाहिये।

भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र

  • योगदान: इसका भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 13-14% का योगदान होने के साथ इससे 22 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका मिलती है। इस क्षेत्र में वर्ष 2027 तक 1 करोड़ रोज़गार होने का अनुमान है।
    • वित्त वर्ष 22 में भारत का लॉजिस्टिक्स बाज़ार 435 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था और वित्त वर्ष 27 तक इसके 591 बिलियन अमरीकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।
  • लॉजिस्टिक्स लागत: वर्तमान में भारत की लॉजिस्टिक्स लागत सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष 13-14% (जो काफी अधिक है) है। 
  • वैश्विक स्थिति: विश्व बैंक की लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक रिपोर्ट, 2023 में 139 देशों में भारत 38वें स्थान पर है।
    • LPI, विश्व बैंक द्वारा विकसित एक इंटरैक्टिव टूल है जो देशों को व्यापार लॉजिस्टिक्स से संबंधित चुनौतियों एवं अवसरों की पहचान करने के साथ उनके प्रदर्शन को बेहतर बनाने में सहायक है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न: 'राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. यह नीति आयोग का एक अंग है।
  2. वर्तमान में इसका काॅर्पस 4,00,000 करोड़ रुपए का है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों 
(d न तो 1 न ही 2

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

भारत में निर्धनता में कमी-SBI

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

चर्चा में क्यों?

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक हालिया शोध रिपोर्ट में ग्रामीण तथा शहरी भारत में गरीबी दर में आने वाली उल्लेखनीय गिरावट पर प्रकाश डाला गया है।  

  • इस रिपोर्ट में इस गिरावट का श्रेय लक्षित सरकारी हस्तक्षेप, उन्नत ग्रामीण बुनियादी ढाँचे तथा निम्न आय वर्ग के बीच बेहतर उपभोग पैटर्न को दिया गया है।

SBI रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं? 

  • गरीबी दर में कमी: 
    • ग्रामीण गरीबी: यह वर्ष 2011-12 के 25.7% से घटकर वित्त वर्ष 24 में 4.86% रह गई।
    • शहरी गरीबी: यह वित्त वर्ष 2024 में लगभग 4.09% (जो 2011-12 में 13.7% थी) थी।  

  • सरकारी हस्तक्षेप का प्रभाव: प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT), बुनियादी ढाँचे के विकास तथा किसान-केंद्रित पहलों से ग्रामीण आजीविका में सुधार होने के साथ उपभोग असमानता में कमी आई है।
    • आय सहायता और सामाजिक सुरक्षा से संबंधित लक्षित कार्यक्रमों से कम आय वर्ग के लोगों को काफी लाभ पहुँचा है। 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर उपभोग: ग्रामीण उपभोग में तीव्र वृद्धि हो रही है और यह शहरी उपभोग के बराबर पहुँच रही है। ग्रामीण मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) यानी शहरी और ग्रामीण खपत के बीच का अंतर (जिसे ग्रामीण खपत के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है) कम हो रहा है। 
    • यह वर्ष 2004-05 के 88.2% से घटकर वर्ष 2023-24 में 69.7% हो गया जो ग्रामीण एवं शहरी खर्च के बीच कम होते अंतर को दर्शाता है।

 

  • नवीनतम घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (अगस्त 2023-जुलाई 2024) के आँकड़ों से भी इसकी पुष्टि हुई है जिसमें शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के बीच MPCE में अंतर में कमी आने का संकेत दिया गया है, जो वर्ष 2011-12 के 84% से घटकर वर्ष 2022-23 में 71% तथा 2023-24 में 70% हो गया। 
  • गरीबी रेखा की परिभाषा: मुद्रास्फीति और आरोपण कारकों के समायोजन के बाद वित्त वर्ष 24 में अनुमानित गरीबी रेखा, ग्रामीण क्षेत्रों के लिये 1,632 रुपए तथा शहरी क्षेत्रों के लिये 1,944 रुपए है। 
    • इससे पहले वर्ष 2011-12 में तेंदुलकर समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिये गरीबी की सीमा 816 रुपए और शहरी क्षेत्रों के लिये 1,000 रुपए निर्धारित की थी। 

  • राज्यवार बचत: राज्यवार बचत दर का अनुमान MPCE और प्रति व्यक्ति आय का उपयोग करके लगाया गया, जिसमें ग्रामीण तथा शहरी जनसंख्या वितरण को शामिल किया गया। 
  • उच्च आय वाले राज्यों की बचत दर, राष्ट्रीय औसत 31% से अधिक है, जो मज़बूत वित्तीय स्थिरता का संकेत है।
  • उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे कम आय वाले राज्यों में बचत दर कम है, जिसका कारण संभवतः उच्च बाह्य प्रवास है जिससे आय एवं उपभोग पैटर्न प्रभावित होता है।
    • बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है जिसकी बचत दर नकारात्मक -6% है।
      • उच्चतम (गोवा: 49%) और निम्नतम (बिहार: -6%) बचत दरों के बीच महत्त्वपूर्ण असमानता है।

  • मुद्रास्फीति का प्रभाव:
    • उपभोग मांग की लोच:
      • उपभोग मांग लोचदार है (|e| > 1), जिसका अर्थ है कि खाद्य कीमतों में परिवर्तन खाद्य व्यय सहित समग्र व्यय को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। 
      • खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण MPCE में कमी आती है, तथा निम्न और उच्च आय वाले दोनों राज्यों में नकारात्मक लोच यह दर्शाती है कि उच्च खाद्य मुद्रास्फीति, मांग के नियम के अनुरूप, उपभोग को कम करती है।
        •  निम्न आय वाले राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र बढ़ती खाद्य कीमतों से अधिक प्रभावित हैं, जो उनकी अधिक संवेदनशीलता को दर्शाता है।
    • इसके विपरीत, कम खाद्य मुद्रास्फीति मध्यम आय वाले राज्यों में MPCE को बढ़ाती है, जहाँ सकारात्मक लोच यह दर्शाती है कि कम खाद्य मुद्रास्फीति से उपभोग बढ़ता है और मांग बनी रहती है।
      • मध्यम आय वाले राज्यों के शहरी क्षेत्रों में खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट के साथ MPCE में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ:
    • ग्रामीण-शहरी अंतर का प्रभाव निम्न आय वाले राज्यों में कम है, लेकिन उच्च आय वाले राज्यों में यह अधिक स्पष्ट है। 
    • इससे पता चलता है कि निम्न आय वाले राज्यों के ग्रामीण लोग उच्च आय वाले राज्यों की तुलना में जोखिम लेने के प्रति अधिक सतर्क हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स

प्रश्न. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP में वृद्धि आर्थिक विकास की ऊँची स्तर का संकेत नहीं करती, यदि: (2018)

(a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(b) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है।
(c) निर्धनता और बेरोज़गारी में वृद्धि होती है।
(d) निर्यात की अपेक्षा आयात तेज़ी से बढ़ता है।

उत्तर: (c)

प्रश्न. किसी दिये गए वर्ष में भारत के कुछ राज्यों में आधिकारिक गरीबी रेखाएँ अन्य राज्यों की तुलना में उच्चतर हैं क्योंकि: (2019)

(a) गरीबी की दर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।
(b) कीमत- स्तर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।
(c) सकल राज्य उत्पाद अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है।
(d) सार्वजनिक वितरण की गुणवत्ता अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।

उत्तर: (b)

प्रश्न. UNDP के समर्थन से ‘ऑक्सफोर्ड निर्धनता एवं मानव विकास नेतृत्व’ द्वारा विकसित ‘बहुआयामी निर्धनता सूचकांक’ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से सम्मिलित है/हैं? (2012)

  1. पारिवारिक स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, संपत्ति और सेवाओं से वंचन  
  2. राष्ट्रीय स्तर पर क्रय शक्ति समता  
  3. राष्ट्रीय स्तर पर बजट घाटे की मात्रा और GDP की विकास दर 

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


रैपिड फायर

डायनासोर हाईवे

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में मध्य जुरासिक काल (लगभग 166 मिलियन वर्ष पूर्व) के डायनासोर के सैकड़ों पैरों के निशान, यूके के ऑक्सफोर्डशायर के डेवर्सफार्म क्वारी में खोजे गए तथा बड़ी संख्या में पाए गए पैरों के निशानों के कारण इस स्थान को "डायनासोर हाईवे" का उपनाम दिया गया।

  • इन पैरों के निशानों में सॉरोपोड्स (सीटिओसॉरस (60 फीट तक) जैसे बड़े शाकाहारी जीव) एवं मेगालोसॉरस (तीन-पंजे के निशान वाला 30 फीट लंबा माँसाहारी जीव) के निशान शामिल है।

  • डायनासोर: डायनासोर प्रागैतिहासिक सरीसृप थे जो लगभग 245 मिलियन वर्ष पूर्व से लेकर 66 मिलियन वर्ष पूर्व तक मेसोज़ोइक युग (ट्राइसिक, जुरासिक, क्रेटेशियस काल) से संबंधित थे।
    • आधुनिक पक्षी, गैर-पक्षी डायनासोर के वंशज हैं। 
  • वर्गीकरण: 
    • ऑर्निथिस्किया: चोंच वाले, जो पौधे खाते थे (जैसे, स्टेगोसॉरस, ट्राइसेराटॉप्स)।
    • सॉरोपोडोमोर्फा: लंबी गर्दन वाले शाकाहारी (जैसे, डिप्लोडोकस)।
    • थेरोपोडा: मांसाहारी (जैसे, टी. रेक्स, वेलोसिरैप्टर), पक्षियों के पूर्वज।
  • आकार: डायनासोर अर्जेंटीनोसॉरस (110 टन) जैसे विशाल जीव के साथ हमिंगबर्ड जैसे छोटे आकार के थे। 
  • आहार एवं गतिविधि: 
    • मांसाहारी: दो पैरों वाले, एकल या समूह में शिकार करने वाले।
    • वनस्पति-भक्षी: दो या चार पैरों वाले, पौधे खाने वाले।
  • विशेषता: डायनासोर को अन्य सरीसृपों से अलग करने वाली प्रमुख विशेषता कूल्हे के सॉकेट में छेद होना था जिससे यह सीधे चल सकते थे। 
  • विलुप्ति: डायनासोर संभवतः क्रिटेशियस काल में एक क्षुद्रग्रह के प्रभाव के कारण विलुप्त हो गए, जिससे युकाटन प्रायद्वीप (मैक्सिको) में एक गड्ढा बन गया। 

और पढ़ें: डायनासोर और पक्षियों के बीच संबंध


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