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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 06 Apr, 2023
  • 23 min read
प्रारंभिक परीक्षा

हिमस्खलन

हाल ही में सिक्किम के नाथू ला में भीषण हिमस्खलन (Avalanche) की घटना हुई। 

हिमस्खलन: 

  • परिचय: 
    • हिमस्खलन का आशय पर्वत या ढलान से नीचे अचानक हिम, बर्फ और मलबे का तीव्र प्रवाह से है।
    • यह भारी बर्फबारी, तीव्र तापमान परिवर्तन या मानव गतिविधि जैसे विभिन्न कारकों के कारण हो सकता है।
    • हिमस्खलन की संभावना वाले कई क्षेत्रों में विशेषज्ञ दल मौजूद होते हैं जो विभिन्न तरीकों जैसे- विस्फोटक, बर्फ अवरोधक और अन्य सुरक्षा उपायों का उपयोग करके हिमस्खलन के जोखिमों की निगरानी एवं नियंत्रण करते हैं।
  • प्रकार: 
    • चट्टानी हिमस्खलन (जिसमें टूटे हुए चट्टान के बड़े खंड होते हैं),
    • हिमस्खलन (जो सामान्यतः ग्लेशियर के आसपास के क्षेत्र में होता है),
    • मलबा हिमस्खलन (जिसमें कई प्रकार की असंबद्ध सामग्री होती है, जैसे चट्टान और मृदा)।
  • कारण: 
    • मौसम की स्थिति: भारी बर्फबारी, तेज़ी से तापमान परिवर्तन, तीव्र हवाएँ और बारिश सभी हिमस्खलन की स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं।
    • ढलान की स्थिति: ढलान की तीव्रता, अभिविन्यास और आकार हिमस्खलन की संभावना को बढ़ा सकता है। उत्तल आकार के साथ खड़ी ढलान वाले क्षेत्र में विशेष रूप से हिमस्खलन की संभावना होती है।
    • स्नोपैक की स्थिति: स्नोपैक की संरचना और स्थिरता भी हिमस्खलन की स्थिति में योगदान दे सकती है। स्नोपैक के भीतर हिम या बर्फ की कमज़ोर परतें इसके गिरने एवं हिमस्खलन को प्रेरित करने का कारण बन सकती हैं।
    • मानवीय गतिविधि: स्कीयर्स, स्नोमोबाइलर्स और अन्य मनोरंजन करने वालों द्वारा ढलान पर की जाने वाली गतिविधियों से हिमस्खलन की घटना हो सकती है।
    • प्राकृतिक घटनाएँ: भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और पहाड़ों के टूटने आदि से भी हिमस्खलन की घटना हो सकती है। 

हिमस्खलन और भूस्खलन में भिन्नता: 

  • भूस्खलन और हिमस्खलन दोनों ही बड़ी गतिविधियाँ हैं, लेकिन उनका परिवेश और कारक भिन्न होता है।
  • हिमस्खलन किसी पहाड़ अथवा ढलान से नीचे बर्फ और मलबे का एक तेज़ प्रवाह है, जबकि भूस्खलन किसी ढलान से नीचे चट्टान या मलबे का संचलन है।
  • हिमस्खलन आमतौर पर भारी बर्फबारी और लंबवत ढलान वाले पहाड़ी इलाकों में होता है। दूसरी ओर भूस्खलन विभिन्न प्रकार के वातावरण में हो सकता है और इसकी शुरुआत भारी वर्षा, भूकंप, ज्वालामुखीय गतिविधि अथवा मानवीय गतिविधि जैसे विभिन्न कारकों से हो सकती है।
  • हिमस्खलन और भूस्खलन दोनों ही संभावित रूप से खतरनाक एवं घातक हो सकते हैं तथा उनसे बचने के लिये आवश्यक सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है।

आपदा प्रबंधन हेतु भारत के प्रयास: 

  • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की स्थापना: 
    • भारत का राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) आपदा प्रतिक्रिया के लिये समर्पित विश्व का सबसे बड़ा तीव्र प्रतिक्रिया बल है जिसकी सहायता से भारत ने सभी प्रकार की आपदाओं  के प्रभावों को तेज़ी से कम किया है।
  • विदेशी आपदा राहत के रूप में भारत की भूमिका:
    • भारतीय सैन्य संसाधन अब देश की अंतर्राष्ट्रीय मानवीय सहायता का एक बड़ा हिस्सा हैं, राहत आपूर्ति आमतौर पर नौसेना के जहाज़ों अथवा विमानों द्वारा भेजी जाती है।
    • "नेबरहुड फर्स्ट" की अपनी कूटनीतिक रणनीति के अनुसार, सहायता प्राप्तकर्त्ता कई देश दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के हैं।
  • क्षेत्रीय आपदा तैयारी में योगदान:
  • जलवायु परिवर्तन संबंधी आपदा प्रबंधन: 

नाथू ला के प्रमुख तथ्य:

  • नाथू ला, विश्व की सबसे ऊँची मोटर परिवहन सड़कों में से एक है, जो भारत-तिब्बत सीमा पर समुद्र तल से 14450 फीट की ऊँचाई पर स्थित हिमालय की चोटियों में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है।
  • नाथू का अर्थ है 'सुनने वाले कान' और ला का अर्थ है 'पास'।
  • यह भारत और चीन के बीच एक खुली व्यापारिक सीमा चौकी है।
  • सिक्किम राज्य में स्थित अन्य दर्रे जेलेप ला दर्रा, डोंकिया दर्रा, चिवाभंजंग दर्रा हैं।

China

भारत के अन्य महत्त्वपूर्ण दर्रे:

        दर्रा

              किससे-किसको जोड़ता है?/विशेषताएँ

1. बनिहाल दर्रा

कश्मीर घाटी को बाह्य हिमालय और दक्षिण में मैदानी इलाकों के साथ।

2. बारा-लाचा-ला दर्रा

हिमाचल प्रदेश के लाहौल को लेह ज़िले से।

3. फोटू-ला दर्रा

लेह को कारगिल से।

4. रोहतांग दर्रा

कुल्लू घाटी को हिमाचल प्रदेश की लाहौल और स्पीति घाटी से।

5. शिपकी ला दर्रा

हिमाचल प्रदेश को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से।

6. जेलेप ला दर्रा

सिक्किम को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से।

7. नाथू ला दर्रा

सिक्किम को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से।

8. लिपूलेख दर्रा

भारत की चौड़न घाटी को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से। यह उत्तराखंड, चीन और नेपाल के ट्राई-जंक्शन पर स्थित है।

9. खार्दूंग ला

लद्दाख को सियाचिन ग्लेशियर से। यह विश्व का सबसे ऊँचा मोटर वाहन योग्य दर्रा है।

10. बोम-डि-ला दर्रा

यह अरुणाचल प्रदेश में है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

विश्व बैंक द्वारा भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान

विश्व बैंक ने "साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस: एक्सपैंडिंग अपॉर्च्युनिटीज़: टूवर्ड इनक्लूसिव ग्रोथ" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जो भारत, श्रीलंका तथा पाकिस्तान के लिये आर्थिक पूर्वानुमान प्रदान करती है।

विश्व बैंक की रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • भारत:  
    • विकास दर:
      • वित्त वर्ष 2023-24 के लिये भारत की विकास दर को घटाकर 6.3% कर दिया गया है और रिपोर्ट में इस कमी के लिये प्राथमिक कारणों के रूप में उच्च उधार लागत तथा धीमी आय वृद्धि का हवाला दिया गया है।  
      • हालाँकि सेवा क्षेत्र एवं निर्माण क्षेत्र भारत में सबसे तेज़ी से बढ़ते उद्योग हैं, जिसमें मज़बूत निवेश वृद्धि और उच्च व्यावसायिक विश्वास है। 
      • वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की विकास दर 6.4% से बढ़ने की उम्मीद है, जो पिछले पूर्वानुमान से 0.3% अंक का उन्नयन दर्शाता है। 
  • श्रीलंका और पाकिस्तान:
    • श्रीलंका और पाकिस्तान के लिये दृष्टिकोण निराशाजनक है, श्रीलंका वर्ष 2023 में -4.3% के संकुचन का अनुभव कर रहा है तथा IMF के साथ 3 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के ऋण हेतु बातचीत कर रहा है, जबकि पाकिस्तान में 30 जून, 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष हेतु 0.4% की वृद्धि दर होने का अनुमान है। 

विश्व बैंक द्वारा समर्थित भारत में प्रमुख परियोजनाएँ:  

  • भारत ऊर्जा दक्षता स्केल-अप कार्यक्रम: भारत हेतु ऊर्जा दक्षता स्केल-अप कार्यक्रम के विकास का उद्देश्य आवासीय और सार्वजनिक क्षेत्रों में ऊर्जा बचत को बढ़ाना, ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (Energy Efficiency Services Limited- EESL) की संस्थागत क्षमता को मज़बूत करना एवं वाणिज्यिक वित्तपोषण तक इसकी पहुँच बढ़ाना है।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: इस परियोजना का उद्देश्य संपर्क रहित बसावटों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना है। कार्यक्रम का प्रमुख केंद्र बिंदु संबंधित सड़कों तक सभी मौसम में पहुँच हासिल करना है।
  • ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट: भारत सरकार और विश्व बैंक ने भारत के उत्तर और पूर्वी हिस्सों के बीच कच्चे माल एवं तैयार माल की तेज़ तथा अधिक कुशल आवाज़ाही हेतु 650 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • समावेशन हेतु भारत में नवाचार: समावेशन हेतु भारत में नवाचार के विकास का उद्देश्य बायोफार्मास्यूटिकल उत्पादों एवं चिकित्सा उपकरणों में नवाचार की सुविधा प्रदान करना है जो भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को संबोधित करते हैं।
  • राष्ट्रीय डेयरी सहायता परियोजना: इसके विकास का उद्देश्य दुधारू पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि करना और परियोजना क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादकों की बाज़ार पहुँच में सुधार करना है।

विश्व बैंक 

  • परिचय: 
    • इसे वर्ष 1944 में IMF के साथ मिलकर पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD) के रूप में स्थापित किया गया था। बाद में IBRD को विश्व बैंक नाम दिया गया।
    • विश्व बैंक समूह पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है जो विकासशील देशों में गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये कार्य कर रहा है।
    • विश्व बैंक संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियों में से एक है।
  • सदस्य: 
    • इसके सदस्य देशों की संख्या 189 है।
    • भारत भी इसका सदस्य है।
  • प्रमुख रिपोर्ट: 
  • पाँच विकास संस्थान: 
    • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD)
    • अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)
    • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)
    • बहुपक्षीय गारंटी एजेंसी (MIGA)
    • निवेश विवादों के निपटान के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID) 
    • भारत ICSID का सदस्य नहीं है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. 'व्यापार करने की सुविधा के सूचकांक (Ease of Doing Business Index)' में भारत की रैंकिंग कभी-कभी समाचार पत्रों में देखी जाती है। निम्नलिखित में से किसने इस रैंकिंग की घोषणा की है? (2016)

(a) आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OCED)
(b) विश्व आर्थिक मंच
(c) विश्व बैंक
(d) विश्व व्यापार संगठन (WTO)

उत्तर: c 


प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखे जाने वाले 'IFC मसाला बाॅण्ड’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम, जो इन बाॅण्डों’ को प्रस्तावित करता है, विश्व बैंक की एक शाखा है।
  2. ये रुपया अंकित मूल्य वाले बाॅण्ड (Rupee-denominated bonds) हैं और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के ऋण वित्तीयन के स्रोत हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 अप्रैल, 2023

राष्ट्रीय समुद्री दिवस 

भारत ने 5 अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस (National Maritime Day) मनाया, जो वर्ष 1919 में मुंबई से लंदन तक पहले भारतीय वाणिज्यिक पोत, SS लॉयल्टी की पहली यात्रा की याद दिलाता है। इस वर्ष का विषय "भारतीय समुद्र को शुद्ध शून्य तक बढ़ाना (Propelling Indian Maritime to Net Zero) है।" यह मुंबई में जहाज़रानी महानिदेशालय, बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया था, यह मुंबई पोर्ट ट्रस्ट में घरेलू क्रूज़ टर्मिनस में एक समारोह के साथ संपन्न हुआ, जिसमें समुद्री क्षेत्र में नेट-शून्य लक्ष्य प्राप्त करने हेतु एक समन्वित तथा सहयोगी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। सरकार ने महामारी के दौरान नाविकों के योगदान को स्वीकार किया है और भारत को समुद्री क्षेत्र में एक प्रमुख अभिकर्त्ता बनाने हेतु लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने एवं शिपिंग की सुविधा के लिये 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों पर ज़ोर दिया है। साथ ही मैरीटाइम विज़न 2030 के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु ग्लोबल मेरीटाइम यूनिवर्सिटीज़ के साथ अकादमिक साझेदारी तथा भारतीय समुद्री संस्थानों के कौशल को बढ़ाने का पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान भारतीय समुद्री उद्योग के विकास में योगदान करने वालों को सागर सम्मान पुरस्कार प्रदान किये गए।                                  

और पढ़ें…मेरीटाइम विज़न 2030

लद्दाख की लकड़ी की नक्काशी को मिला GI टैग 

हाल ही में भौगोलिक संकेतक अधिनियम, 1999 के तहत उत्पादों को पंजीकृत करने के लिये उत्तरदायी चेन्नई स्थित भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री ने लद्दाख की लकड़ी की नक्काशी को पंजीकृत किया है। GI पंजीकरण किसी उत्पाद की उत्त्पत्ति और विशिष्ट पहचान सुनिश्चित करता है और इसे किसी अन्य क्षेत्र के किसी अन्य निर्माता द्वारा उसी नाम के तहत उसकी प्रति/डुप्लीकेट बनाकर बेचा नहीं जा सकता है। लद्दाख की लकड़ी की नक्काशी अपने जटिल डिज़ाइनों और अद्वितीय पैटर्न के लिये काफी प्रसिद्ध है जिनमें से ज़्यादातर बौद्ध विषयों और रूपांकनों पर आधारित हैं। इन लकड़ी की नक्काशी को बनाने के लिये विलो और खुबानी जैसी स्थानीय लकड़ी का उपयोग किया जाता है, जिसका उपयोग अक्सर दरवाजे, खिड़कियाँ और अन्य घरेलू सामानों की सजावट के कार्य में किया जाता है।

और पढ़ें… भौगोलिक संकेतक (GI)

बनारसी पान को GI टैग 

हाल ही में बनारसी पान को GI टैग प्रदान किया गया है, धार्मिक एवं पर्यटन नगरी काशी GI हब के रूप में उभरी है। विशेष बनारसी लंगड़ा आम, बनारसी पान, रामनगर के भंटा (व्हाइट बिग राउंड बैंगन) और आदमचीनी चावल (ज़िला चंदौली) को भौगोलिक संकेत तथा बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) टैग मिला है। स्थानीय वस्तुओं को व्यापक पहचान दिलाने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों के तहत न केवल 'बनारसी पान', बल्कि मथुरा का 'पेड़ा', आगरा के 'पेठा' और कानपुर के 'सत्तू' एवं 'बुकुनु' को भी टैग प्रदान किया जाएगा। एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) की सफलता के बाद स्थानीय वस्तुओं को व्यापक मान्यता प्रदान करने का लक्ष्य है। 

और पढ़ें… भौगोलिक संकेतक (GI)

भारत ने वर्ष 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता का लक्ष्य रखा 

भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 से शुरू होने वाले अगले पाँच वर्षों के लिये वार्षिक 50 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हेतु बोली आमंत्रित करने की योजना की घोषणा की है, जिसमें प्रत्येक वर्ष कम-से-कम 10 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता की स्थापना शामिल होगी। इस योजना का उद्देश्य वर्ष 2030 तक परमाणु सहित गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावाट की स्थापित विद्युत क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करना है। भारत में वर्तमान में 168.96 गीगावाट की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है, जिसमें लगभग 82 गीगावाट कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है और लगभग 41 गीगावाट निविदा चरण में है।  यह योजना COP-26 में प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप है तथा तेज़ी से ऊर्जा संक्रमण प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को शुरू करने में आमतौर पर 18-24 महीने लगते हैं, इसलिये यह बोली योजना 250 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा जोड़ेगी तथा वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट की स्थापित क्षमता सुनिश्चित करेगी। वित्त वर्ष 2023-24 हेतु लक्षित बोली क्षमता चार अक्षय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (REIAs) अर्थात् सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI), NTPC, NHPC एवं SJVN के बीच आवंटित की जाएगी।  

और पढ़ें… भारत का हरित-ऊर्जा संक्रमण

आइस मेमोरी 

इटली, फ्राँस और नॉर्वे के आर्कटिक वैज्ञानिकों की एक टीम जलवायु परिवर्तन के कारण पिघलने से पूर्व प्राचीन बर्फ के नमूने निकालने के मिशन पर जा रही है। शोधकर्त्ताओं ने नॉर्वे के स्वालबार्ड द्वीप समूह में शिविर स्थापित किया है, जो सतह से 125 मीटर नीचे तक बर्फ में ड्रिल करेंगे, जिसमें तीन शताब्दियों से जमे हुए भू-रासायनिक निशान मौजूद हैं। इन आइस कोर का उपयोग तत्काल विश्लेषण हेतु किया जाएगा, जबकि दूसरे समूह को वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ियों के लिये अंटार्कटिक में "आइस मेमोरी सैंक्चुअरी" भेजा जाएगा। निष्कर्षण महत्त्वपूर्ण बर्फ रिकॉर्ड को संरक्षित करने हेतु एक प्रयास है जो पिछले पर्यावरणीय परिस्थितियों के बारे में मूल्यवान डेटा प्रदान करता है। 19वीं शताब्दी के बाद से मानव निर्मित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के कारण दुनिया भर में तापमान में 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। आर्कटिक दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में दो से चार गुना तेज़ी से गर्म हो रहा है।

और पढ़ें…तेज़ी से पिघल रही अंटार्कटिक की बर्फ


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