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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 06 Feb, 2024
  • 16 min read
प्रारंभिक परीक्षा

हम्बोल्ट का रहस्य

स्रोत: द हिंदू 

पर्वतीय पारिस्थितिकी प्रणालियों में पाई जाने वाली अप्रत्याशित जैवविविधता को समझने के प्रयास में पारिस्थितिकी विज्ञानी हाल के वर्षों में हम्बोल्ट रहस्य (Humboldt's enigma) का अध्ययन कर रहे हैं जो पारंपरिक अवधारणा के विपरीत है।

जैवविविधता क्या है ?

  • परिचय: जैवविविधता पृथ्वी पर सभी जीवन का आधार है तथा इसमें पौधों, जंतुओं एवं सूक्ष्मजीव प्रजातियों की विविधता के साथ-साथ विश्व की सभी संबंधित आनुवंशिक विविधताएँ शामिल हैं।
  • जैव विविधता का मापन: इसे दो प्रमुख घटकों द्वारा मापा जाता है: प्रजातीय समृद्धि तथा प्रजाति समता (Evenness)।
    • प्रजातीय समृद्धि के तहत एक समुदाय में पाई जाने वाली प्रजातियों की संख्या को मापा जाता है।
      • स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में उष्णकटिबंधीय वर्षावनों तथा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवाल भित्तियों में प्रजातियों की समृद्धि का उच्चतम स्तर है।
    • प्रजाति समता किसी क्षेत्र को समृद्ध करने वाली विभिन्न प्रजातियों की सापेक्ष बहुतायत का माप है।
      • निम्न समता का अर्थ है कि कुछ प्रजातियों की संबद्ध स्थल पर बहुतायत है।
  • भारत में जैवविविधता: भारत विश्व के मान्यता प्राप्त मेगा-विविध देशों में से एक है जहाँ विश्व की लगभग 7-8% ज्ञात प्रजातियाँ निवास करती हैं।
    • भारत विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त 36 जैवविविधता हॉटस्पॉट (हिमालय, इंडो-बर्मा, पश्चिमी घाट और श्रीलंका, सुंदरलैंड) में से 4 का प्रतिनिधित्व करता है।
    • वर्तमान में देश के 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में जानवरों की 91,200 से अधिक प्रजातियों तथा पौधों की 45,500 प्रजातियों का दस्तावेज़ीकरण किया गया है।

हम्बोल्ट का रहस्य क्या है? 

  • हम्बोल्ट का रहस्य: अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट की टिप्पणियों से प्रेरित, यह पारंपरिक धारणा पर सवाल उठाता है कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र, जो पर्याप्त सूर्य के प्रकाश से प्रेरित हैं, पृथ्वी पर जैवविविधता के प्राथमिक केंद्र हैं।
    • इसमें बताया गया है कि कम धूप प्राप्त करने और ठंडे तापमान को सहन करने के बावजूद, पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र असाधारण जैवविविधता का प्रदर्शन करके इस धारणा को खारिज करते हैं, जिससे पारंपरिक पारिस्थितिक सिद्धांतों को चुनौती मिलती है तथा इस विसंगति की जाँच को बढ़ावा मिलता है।
  • हम्बोल्ट का अवलोकन: हम्बोल्ट ने सुझाव दिया कि एक ओर तापमान, ऊँचाई और आर्द्रता तथा दूसरी ओर प्रजातियों की घटना पैटर्न या उनकी जैवविविधता के बीच एक संबंध था।
    • उनकी पसंद का उदाहरण इक्वाडोर में चिम्बोराजो पर्वत (Chimborazo Mountain) था, जो आज पर्वतीय विविधता का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण बन गया है।
  • पर्वतीय जैवविविधता में योगदान देने वाले कारक:
    • विविध स्थलाकृति: पहाड़ बर्फ से ढकी चोटियों से लेकर आश्रय घाटियों तक सूक्ष्म जलवायु की एक मोज़ेक (Mosaic) प्रस्तुत करते हैं।
      • यह विविधता विशिष्ट पारिस्थितिक स्थान बनाती है, जो प्रजातियों की एक विस्तृत शृंखला के लिये उपयुक्त है।
    • अलगाव: पर्वत आकाश में पृथक "द्वीप" के रूप में कार्य करते हैं, अद्वितीय विकासवादी मार्गों और स्थानिक प्रजातियों को बढ़ावा देते हैं, जो कहीं और नहीं पाए जाते हैं।
      • उदाहरण के लिये हवाई द्वीप पौधों और जानवरों की कई स्थानिक प्रजातियों का घर है, जो मुख्य भूमि से अलग-थलग विकसित हुए हैं।
    • गतिशील परिदृश्य: भूस्खलन और हिमनदों के पीछे हटने जैसी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ लगातार पहाड़ी परिदृश्यों को नया आकार देती हैं, जिससे नई प्रजातियों को उपनिवेश बनाने और विकसित होने के अवसर मिलते हैं।
  • भारत के रहस्यमय पर्वत: भारत की विविध पर्वत शृंखलाएँ, जिनमें हिमालय विशेषकर पूर्वी हिमालय शामिल है, हम्बोल्ट की पहेली की जाँच के लिये आदर्श सेटिंग्स के रूप में काम करती हैं।
    • विश्व वन्यजीव कोष के अनुसार, पूर्वी हिमालय में हजारों विभिन्न प्रजातियाँ हैं, जिनमें 10,000 से अधिक पौधे, पक्षियों की 900 प्रजातियाँ और स्तनधारियों की 300 प्रजातियाँ शामिल हैं। जिनमें से कई लुप्तप्राय या गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
    • इसके घास के मैदान बंगाल बाघों, एशियाई हाथियों और एक सींग वाले गैंडे की सबसे घनी आबादी का घर हैं।
    • इसके पहाड़ हिम तेंदुओं, लाल पांडा, टाकिन्स, हिमालयी काले भालू और सुनहरे लंगूरों को आश्रय प्रदान करते हैं तथा इसकी नदियों में दुनिया की सबसे दुर्लभ डॉल्फिन (गंगा) पाई जाती हैं।
  • संबंधित भारत सरकार की पहल:

नोट: पृथ्वी के अक्षीय कोण के कारण विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों को सूर्य से अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। इसलिये, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्राथमिक उत्पादकता अधिक होती है, जो तब अधिक विविधता की सुविधा प्रदान करती है: अधिक पारिस्थितिक स्थान उपलब्ध हो जाते हैं, जिससे अधिक जटिल पारिस्थितिक तंत्र और अधिक जैविक विविधता का निर्माण होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. यदि आप हिमालय से होकर यात्रा करेंगे तो आपको निम्नलिखित में से कौन-सा पौधा वहाँँ प्राकृतिक रूप से उगता हुआ देखने को मिलेगा? (2014)

  1. ओक
  2.  रोडोडेंड्रोन
  3.  चंदन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: A


प्रश्न. जब आप हिमालय में यात्रा करेंगे, तो आपको निम्नलिखित दिखाई देगा: (2012)

  1. गहरी घाटियाँ
  2.  यू-टर्न नदी मार्ग
  3.  समानांतर पर्वत श्रृंखलाएँ
  4.  तीव्र ढाल, जो भूस्खलन का कारण बन रही हैं

उपर्युक्त में से किसे हिमालय के युवा वलित पर्वत होने का प्रमाण कहा जा सकता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: D


मेन्स:

प्रश्न. हिमालय क्षेत्र और पश्चिमी घाट में भूस्खलन के कारणों के बीच अंतर बताइये। (2021)

प्रश्न. हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने से भारत के जल संसाधनों पर कौन से दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे? (2020)

प्रश्न. "हिमालय में भूस्खलन की अत्यधिक संभावना है।" इसके कारणों पर चर्चा करते हुए इसके शमन हेतु उपयुक्त उपाय बताइये। (2016)


रैपिड फायर

NCGG द्वारा अफ्रीकी सिविल सेवकों का सशक्तीकरण

हाल ही में नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (NCGG) ने अफ्रीकी क्षेत्र के सिविल सेवकों के लिये सार्वजनिक नीति और शासन पर अपने प्रगतिशील नेतृत्व विकास कार्यक्रम का समापन किया। 

  • यह भूमि प्रशासन, सतत् विकास और सार्वजनिक नीति प्रथाओं पर केंद्रित था तथा इसमें इरिट्रिया, केन्या, इथियोपिया, तंजानिया एवं गाम्बिया के अधिकारियों ने भाग लिया, इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहयोग एवं ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था।
    • इसके अलावा गाम्बिया में एक MyGov पोर्टल स्थापित किया गया है।
  • यह भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (Indian Technical and Economic Cooperation Programme- ITEC) कार्यक्रम के तहत क्षमता निर्माण संस्थान के रूप में NCGG की भूमिका में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
  • वर्ष 1964 में स्थापित ITEC भारत सरकार के विदेश मंत्रालय का अग्रणी क्षमता-निर्माण मंच है।
  • NCGG की स्थापना वर्ष 2014 में सरकार द्वारा कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत एक शीर्ष स्तरीय स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी।

और पढ़ें: सुशासन, भारत-अफ्रीका साझेदारी


रैपिड फायर

लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न

हाल ही में सरकार ने घोषणा की है कि वयोवृद्ध नेता श्री लाल कृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।

  • उन्होंने वर्ष 2002 से वर्ष 2004 तक भारत के 7वें उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने गृह मंत्री, सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
  • 8 नवंबर 1927 को कराची (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे, वह वर्ष 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए और वर्ष 1947 में विभाजन के दौरान सिंध से दिल्ली आ गए।
  • वर्ष 1954 में स्थापित, भारत रत्न  जाति, व्यवसाय, स्थिति या लिंग के भेदभाव के बिना, उच्चतम क्रम की असाधारण सेवा/प्रदर्शन की मान्यता में प्रदान किया जाता है।

और पढ़ें : कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न


रैपिड फायर

व्योममित्र

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने घोषणा की कि महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री "व्योममित्र" (Vyommitra) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) के महत्त्वाकांक्षी "गगनयान" मिशन से पहले अंतरिक्ष में उड़ान भरेगी जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने वाली भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान होगी। 

  • मानवरहित "व्योममित्र" मिशन इस वर्ष की तीसरी तिमाही के लिये निर्धारित है, जबकि मानवयुक्त मिशन "गगनयान" अगले वर्ष अर्थात् 2025 में प्रक्षेपित किया जाना है।
  • "व्योममित्र" नाम संस्कृत के दो शब्दों "व्योम" (जिसका अर्थ है अंतरिक्ष) और "मित्र" से मिलकर बना है। यह महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री मॉड्यूल के मानकों की निगरानी करने, चेतावनी जारी करने और जीवन रक्षक कार्यों को निष्पादित करने की क्षमता से युक्त है। 
    • यह छह पैनलों को संचालित करने और प्रश्नों का उत्तर देने जैसे कार्य करने में सक्षम है।
    • "व्योममित्र" को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह अंतरिक्ष के वातावरण में मानव कार्यों का अनुकरण कर सके और इसके लाइफ सपोर्ट सिस्टम के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके।
  • गगनयान परियोजना में अंतरिक्ष यात्रियों के एक दल को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेज कर और पुनः उन्हें भारत के समुद्री जल में उतारकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष क्षमताओं के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है।


और पढ़ें: वर्ष 2024 में अंतरिक्ष मिशन, भारत के अंतरिक्ष प्रयास


रैपिड फायर

भारत ऊर्जा सप्ताह 2024

स्रोत: पी.आई.बी.

भारत के प्रधानमंत्री ने गोवा में भारत ऊर्जा सप्ताह (India Energy Week- IEW) 2024 तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड सी सर्वाइवल सेंटर का उद्घाटन किया और विकसित भारत, विकसित गोवा 2047 कार्यक्रम में भाग लिया।

  • भारत ऊर्जा सप्ताह 2024 का आयोजन 6 से 9 फरवरी तक गोवा में किया जा रहा है। यह देश की ऐसी एकमात्र ऊर्जा प्रदर्शनी और सम्मेलन है, जो संपूर्ण ऊर्जा मूल्य शृंखला को एक मंच प्रदान करती है तथा  भारत के ऊर्जा पारगमन लक्ष्यों के लिये उत्प्रेरक के रूप में काम करेगी। 
    • IEW वर्ष 2024 में मुख्य रूप से ऊर्जा मूल्य शृंखला में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने, बढ़ावा देने और उन्हें एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • IEW में विश्व के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा, तेल और तरल पेट्रोलियम गैस (LPG) उपभोक्ता के साथ-साथ चौथे सबसे बड़े तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) आयातक व रिफाइनर के रूप में भारत की स्थिति को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है।
    • यह आयोजन सतत् ऊर्जा विकास में सहयोग और ज्ञान साझाकरण पर ध्यान देने के साथ, ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • ONGC सी सर्वाइवल सेंटर भारतीय समुद्री सर्वाइवल प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप आगे बढ़ाने के लिये एक एकीकृत समुद्री सर्वाइवल प्रशिक्षण केंद्र है।
    • इसमें 10,000 से 15,000 कर्मियों को वार्षिक प्रशिक्षण दिया जा सकेगा। इससे खराब मौसम की स्थिति में नियंत्रित अभ्यास से प्रशिक्षुओं के समुद्री जीवन कौशल में वृद्धि होगी और संभावित आपदाओं से सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाएगी।

और पढ़ें: भारत ऊर्जा सप्ताह


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