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शासन व्यवस्था

राज्यों के माध्यम से भारत में ऊर्जा संक्रमण

  • 08 Jun 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ऊर्जा संक्रमण, वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन

मेन्स के लिये:

ऊर्जा संक्रमण में राज्यों की सहभागिता का महत्त्व, भारत में ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ, भारत में ऊर्जा संक्रमण को आकार देने वाली पहलें

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में राज्यों के माध्यम से भारत में ऊर्जा संक्रमण की अहम भूमिका है। आगामी G20 फोरम भारत को विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न ऊर्जा मार्गों की रणनीति पर चर्चा एवं विमर्श करने का अवसर प्रदान करता है।

राज्यों का महत्त्व:

  • राष्ट्रीय लक्ष्यों का क्रियान्वयन: 
    • स्थानीय संदर्भों के अनुरूप रणनीतियाँ तैयार करना:  
      • भारत के राज्यों की विविधता, उनके विभिन्न वातावरणों, संसाधनों और विकास पैटर्न को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा संक्रमण के लिये एक स्थानीयकृत रणनीति की आवश्यकता है। 
    • विकेंद्रीकृत कार्यान्वयन:  
      • केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय लक्ष्यों को निर्धारित करने के बाद राज्यों की ज़िम्मेदारी होती है कि वे ज़मीनी स्तर पर नीतियों और कार्य योजनाओं को लागू करने में मदद करें।
      • राष्ट्रीय आकांक्षाओं को ज़मीनी हकीकत में बदलने के लिये उनकी सक्रिय सहभागिता अत्यंत आवश्यक है। 
  • दीर्घकालिक मुद्दों का निपटान: 
    • विद्युत क्षेत्र से संबंधित पुरानी समस्याओं को दूर करने में राज्य महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इसमें विद्युत आपूर्ति की विश्वसनीयता में सुधार करना और सेवा की गुणवत्ता में वृद्धि करना शामिल है, ये सभी एक सुचारू ऊर्जा संक्रमण के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • नवाचारी नीतियाँ:  
    • नवाचार हेतु प्रयोगशालाएँ:  
      • राज्य नीति प्रयोग और नवाचार के लिये प्रयोगशालाओं के रूप में कार्य करते हैं।
        • उदाहरण के लिये सौर ऊर्जा पर गुजरात और राजस्थान तथा पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु की शुरुआती पहलों ने राष्ट्रीय स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
        • इसी तरह पीएम कुसुम (PM KUSUM) कृषि के सौरीकरण पर राज्य की सफल पहलों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाना है। 
    • राष्ट्रीय नीतियों को प्रभावित करना:  
      • नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने में सफल राज्य-स्तरीय प्रयोग और नवीन दृष्टिकोण राष्ट्रीय नीतियों एवं रूपरेखाओं के विकास हेतु प्रभावशाली मॉडल के रूप में काम करते हैं।
  • राज्य संसाधनों का दोहन: 
    • स्थानीय संसाधनों का लाभ उठाना:  
    • विकेंद्रीकृत उत्पादन को बढ़ावा देना:  
      • राज्य अपने स्थानीय संसाधनों का प्रभावी ढंग से दोहन करने और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने हेतु विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों, जैसे रूफटॉप सौर प्रतिष्ठानों तथा समुदाय आधारित परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • राज्य-स्तरीय ढाँचे का महत्त्व: 
    • विस्तृत समझ:  
      • राज्य-स्तरीय रूपरेखा प्रत्येक राज्य की ऊर्जा परिवर्तन योजनाओं, कार्यों और शासन प्रक्रियाओं की समग्र समझ प्रदान करती है।
      • यह केंद्र सरकार और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय, सहयोग और संरेखण को सक्षम बनाता है।
    • साक्ष्य-आधारित नीति विकल्प:  
      • यह ढाँचा साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है, यह सुनिश्चित करता है कि नीतियाँ और हस्तक्षेप राज्य-स्तरीय तैयारियों, अंतर-संबंधों एवं संभावित बाधाओं के विशेष विश्लेषण पर आधारित हों। यह सूचित विकल्पों और कुशल संसाधन आवंटन को बढ़ावा देता है।
    • समावेशी हितधारक जुड़ाव:  
      • राज्य-स्तरीय ढाँचा स्थानीय समुदायों, उद्योग और नागरिक समाज सहित हितधारकों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
        • यह ऊर्जा परिवर्तन प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही और हितधारक स्वामित्व को बढ़ावा देता है।

ऊर्जा संक्रमण को लेकर राज्यों की चुनौतियाँ: 

  • राज्यों की बदलती प्राथमिकताएँ:  
    • राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्यों के साथ राज्य-विशिष्ट उद्देश्यों को संतुलित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि राज्यों की विविध प्राथमिकताएँ होती हैं जो हमेशा समग्र परिवर्तन एजेंडे के साथ संरेखित नहीं हो सकती हैं।
    • 175 GW अक्षय ऊर्जा के लिये भारत की उपलब्धियाँ वर्ष 2022 के लक्ष्य पर अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। जबकि इसने लक्ष्य का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हासिल किया तथा केवल गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान ने अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को पूरा किया। इसके अतिरिक्त वर्तमान नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लगभग 80% भारत के पश्चिम एवं   दक्षिण के छह राज्यों तक सीमित है।
  • संसाधनों की कमी:
    • कुछ राज्यों को वित्तीय संसाधनों, बुनियादी ढाँचे और तकनीकी क्षमताओं की कमी का सामना करना पड़ता है जो अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को लागू करने तथा उनके सुचारू रूप से संचालन की क्षमता में बाधा बन सकता है।
  • नियामक रूपरेखा: 
    • राज्यों में असंगत या जटिल नियामक रूपरेखा निवेशकों और निर्माणकर्त्ताओं के लिये बाधाएँ उत्पन्न कर सकती है जिससे परियोजना के कार्यान्वयन में देरी हो सकती है तथा ऊर्जा संक्रमण की प्रगति धीमी हो सकती है।
  • ग्रिड एकीकरण: 
    • वर्तमान पावर ग्रिड, विशेष रूप से अपर्याप्त ग्रिड अवसंरचना वाले राज्यों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप अक्षय ऊर्जा उत्पादन में कमी और वितरण में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
  • अंतर-राज्य समन्वय:  
    • सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा संक्रमण के लिये राज्यों के बीच समन्वय प्रयासों और संसाधनों को साझा करना महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि नीतियों, प्राथमिकताओं एवं प्रशासनिक प्रक्रियाओं में अंतर राज्यों के बीच समन्वय की चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है।

भारत के ऊर्जा परिवर्तन को आकार देने वाली अन्य पहलें:

आगे की राह 

  • राज्य के बीच सहयोग सुनिश्चित करना:  
    • राज्यों के बीच सहयोग से उनकी विविध शक्तियों का उपयोग सुनिश्चित करना ताकि  ऊर्जा परिवर्तन यात्रा को गति दी जा सके।
  • ग्रीन फाइनेंसिंग एक्सप्रेस:
    • राज्य-स्तरीय हरित वित्तपोषण तंत्र तैयार करना जो रचनात्मकता के साथ निवेश को आकर्षित करे और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये धन की बाधा को दूर करे।
  • जन-संचालित क्रांति:
    • एक जन-संचालित क्रांति के माध्यम से व्यक्तियों और समुदायों को परिवर्तन के वाहक के रूप में सशक्त बनाना जो ऊर्जा परिवर्तन को ज़मीनी स्तर से उच्च स्तर तक ले जाएँ।
  • राज्य पथप्रदर्शक: 
    • सीमाओं से परे जाकर दूसरों को प्रेरित करने वाले उदाहरण स्थापित करने वाले और अपनी दृष्टि तथा कार्य के साथ ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने वाले राज्य पथ-प्रदर्शकों की पहचान उन्हें प्रोत्साहित करना। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015)

  1. यह एक पब्लिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है।
  2. यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (c)  


मेन्स

प्रश्न. "वहनीय, विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।" भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

स्रोत: द हिंदू

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