प्रिलिम्स फैक्ट्स (05 Aug, 2023)



हेनरीएटा लैक्स: HeLa कोशिकाएँ

हाल ही में हेनरीएटा लैक्स के परिवार ने एक बायोटेक कंपनी के विरुद्ध मुकदमा समाप्त किया है जिस पर आरोप था कि कंपनी ने बिना सहमति लिये उनकी कोशिकाओं से मुनाफा कमाया है तथा इससे चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति आ गई है।

हेनरीएटा लैक्स और उनकी HeLa कोशिकाओं का महत्त्व:

  • हेनरीएटा लैक्स एक अफ्रीकी-अमेरिकी मूल की महिला थीं जिनकी वर्ष 1951 में 31 वर्ष की आयु में सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु हो गई थी।
  • उनकी जानकारी या सहमति के बिना डॉक्टरों ने उनके ट्यूमर का नमूना लिया तथा इसे एक प्रयोगशाला में भेज दिया गया। प्रयोगशाला में पता चला कि उनकी कोशिकाओं में अनिश्चित काल तक वृद्धि हो सकती हैं।
  • उनकी कोशिकाएँ जिन्हें HeLa कोशिकाएँ भी कहा जाता है, पहली अमर मानव कोशिका रेखा बन गई तथा बायोमेडिकल अनुसंधान में सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली कोशिकाओं में से एक है।
  • HeLa कोशिकाओं ने अनेक वैज्ञानिक सफलताओं में योगदान दिया है जैसे कि पोलियो वैक्सीन का विकास, जीन मैपिंग, कैंसर का इलाज, एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) अनुसंधान, क्लोनिंग, स्टेम सेल अध्ययन और कोविड-19 वैक्सीन।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 13 अक्तूबर, 2021 को हेनरीएटा लैक्स को मरणोपरांत WHO महानिदेशक के पुरस्कार से सम्मानित किया था। यह पुरस्कार उनकी असाधारण कहानी को स्वीकार करता है तथा विज्ञान एवं स्वास्थ्य के लिये उनकी विश्व-परिवर्तनकारी विरासत को मान्यता देता है।
    • WHO महानिदेशक का पुरस्कार, WHO द्वारा उन व्यक्तियों अथवा समूहों को दी जाने वाली एक प्रतिष्ठित मान्यता है, जिन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में उत्कृष्ट योगदान दिया है, क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों के लिये नेतृत्व के साथ प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है, साथ ही आजीवन समर्पण, निरंतर वकालत और मानवता के लिये निस्वार्थ सेवा को अपनाया है। 

गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर: 

  • गर्भाशय ग्रीवा कैंसर, एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में प्रारंभ होता है। गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय (गर्भ) का निचला, संकीर्ण सिरा है। 
    • गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय को योनि (जन्म नलिका) से जोड़ती है।
  • गर्भाशय ग्रीवा कैंसर आमतौर पर समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है। गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर प्रकट होने से पहले, गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएँ डिसप्लेसिया नामक परिवर्तनों से गुज़रती हैं, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों में असामान्य कोशिकाएँ दिखाई देने लगती हैं। समय के साथ यदि इन कोशिकाओं का नष्ट अथवा हटाया नहीं गया, तो ये असामान्य कोशिकाएँ कैंसर कोशिकाएँ बन सकती हैं तथा बढ़ने के साथ गर्भाशय ग्रीवा और उसके आसपास के क्षेत्रों में अधिक गहराई तक फैलती चली जाती हैं।
  • गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के लगभग सभी मामले (99%) उच्च जोखिम वाले ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) के संक्रमण से जुड़े हैं, जो यौन संपर्क के माध्यम से फैलने वाला एक अत्यंत सामान्य वायरस है।

स्रोत:द हिंदू


भारत में वन आवरण: प्रगति और पहल

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में भारत में वनावरण को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न पहलों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।

भारत में वन संरक्षण संबंधी प्रमुख पहलें: 

  • भारत में वनावरण: 
    • भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India- FSI), देहरादून द्वारा वर्ष 1987 से वन आवरण का द्विवार्षिक (प्रत्येक दो वर्ष पर) आकलन किया जा रहा है और इसके निष्कर्ष भारत वन स्थिति रिपोर्ट (India State of Forest Report- ISFR) में प्रकाशित किये जाते हैं।
    • ISFR 2021 के नवीनतम आकलन के अनुसार, भारत का कुल वन और वृक्ष आवरण 8,09,537 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62% है।
    • यह ISFR 2019 के मूल्यांकन की तुलना में 2261 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि और वन संरक्षण प्रयासों में सकारात्मक प्रगति का संकेत देता है।

वनावरण को बढ़ावा देने हेतु सरकारी पहल:

  • ग्रीन इंडिया मिशन: इसे वित्तीय वर्ष 2015-16 में शुरू किया गया था, यह वनीकरण गतिविधियों पर केंद्रित है।
    • पिछले पाँच वर्षों में वनीकरण प्रयासों में योगदान देने के लिये सत्रह राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेशों को 755.28 करोड़ रुपए जारी किये गए हैं।
  • राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम: इसे नष्ट हुए वनों और आसपास के क्षेत्रों को रिकवर करने के लिये कार्यान्वित किया गया था।
    • राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम अब हरित भारत मिशन का हिस्सा है।
  • नगर वन योजना: यह वर्ष 2020 में शुरू किया गया था, इसका लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक शहरी और गैर-शहरी क्षेत्रों में 600 नगर वन और 400 नगर वाटिका बनाना है।
    • इस पहल का उद्देश्य हरित आवरण को बढ़ाना, जैव विविधता को संरक्षित करना तथा शहरी निवासियों के जीवन गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • प्रतिपूरक वनीकरण निधि (Compensatory Afforestation Fund- CAF): इसका उपयोग विकासात्मक परियोजनाओं के लिये आवंटित वन भूमि की भरपाई हेतु प्रतिपूरक वनीकरण के लिये  राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किया जाता है।
    • CAF का 90% पैसा राज्यों के लिये, जबकि 10% केंद्र के लिये होता है।
  • बहु-विभागीय प्रयास: केंद्रीय पहलों के अलावा संबंधित मंत्रालयों, राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों, गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज तथा कॉर्पोरेट निकायों के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के तहत वनीकरण गतिविधियाँ शुरू की जाती हैं।
  • राष्ट्रीय वन नीति का मसौदा: यह नीति वन प्रबंधन प्रथाओं में जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन उपायों को एकीकृत करने पर केंद्रित है। यह विशेष रूप से वन-निर्भर समुदायों के बीच जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन पर ज़ोर देता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न . राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन-सा मंत्रालय केंद्रक अभिकरण (नोडल एजेंसी) है? (2021)

(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय कार्य मंत्रालय

उत्तर: (d)


प्रश्न . भारत का एक विशेष राज्य निम्नलिखित विशेषताओं से युक्त हैः (2012)

1- यह उसी अक्षांश पर स्थित है, जो उत्तरी राजस्थान से होकर जाता है
2- इसका 80% से अधिक क्षेत्र वन आवरणन्तर्गत है।
3- 12% से अधिक वनाच्छादित क्षेत्र इस राज्य के रक्षित क्षेत्र नेटवर्क के रूप में है।

निम्नलिखित राज्यों में से कौन-सा ऊपर दी गई सभी विशेषताओं से युक्त है?

(a) अरूणाचल प्रदेश
(b) असम
(c) हिमाचल प्रदेश
(d) उत्तराखंड

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. “भारत में आधुनिक कानून की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संविधानीकरण है।” सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिये। (2022)

स्रोत:पी.आई.बी.


विवाद से विश्वास- II

हाल ही में वित्त मंत्रालय ने सरकार और सरकारी उपक्रमों के लंबित अनुबंधात्मक विवादों के प्रभावी निपटान हेतु "विवाद से विश्वास II" योजना शुरू की है।

विवाद से विश्वास-II योजना:

  • परिचय:
    • यह सरकारी एजेंसियों से जुड़े लंबे समय से चले आ रहे अनुबंधात्मक विवादों को हल करने के लिये एक स्वैच्छिक निपटान योजना है।
    • यह विशेष रूप से उन विवादों के लिये डिज़ाइन की गई है जहाँ मध्यस्थता पुरस्कार को न्यायालय में चुनौती दी जा रही है।
      • मध्यस्थता पुरस्कार: यह एक ऐसा पुरस्कार है जो मध्यस्थता कार्यवाही को अंतिम रूप देता है।
    • योजना के तहत मानकीकृत शर्तें पेश की जाएंगी और विवाद के लंबित होने के स्तर के आधार पर श्रेणीबद्ध निपटान विकल्प प्रदान किये जाएंगे।
  • उद्देश्य:
    • इस योजना का उद्देश्य अनुबंधात्मक विवादों को कुशलतापूर्वक हल करने के लिये एक मंच प्रदान करना, सरकार के साथ व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देना और देश में नए निवेश को प्रोत्साहित करना है।
  • कार्यान्वयन:
  • सुरक्षा:
    • यह योजना सभी विवादों से बचाएगी जिसमें केंद्र सरकार की एजेंसियों, स्वायत्त निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एवं वित्तीय संस्थान, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की फर्म, केंद्रशासित प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ-साथ उनकी संबंधित एजेंसियाँ भी शामिल होंगी।
    • हालाँकि मेट्रो कॉर्पोरेशन जैसे संगठन जहाँ केंद्र की 50% हिस्सेदारी है, अपने विवेक से इस योजना से पृथक रहने का विकल्प चुन सकते हैं, बशर्ते उन्हें बोर्ड की स्वीकृति की आवश्यकता होगी।
  • समझौता राशि:
    • न्यायालयी फैसलों से संबंधित मामलों में ठेकेदार को भुगतान की गई समझौता राशि न्यायालय द्वारा प्रदान की गई कुल राशि का 85% तक होगी, जबकि मध्यस्थता निर्णयों से संबंधित मामलों में यह सीमा कुल राशि का 65% होगी।

नोट: इससे पहले वित्त मंत्रालय ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को कोविड-19 अवधि दौरान राहत प्रदान करने के लिये "विवाद से विश्वास - MSME को राहत" योजना प्रारंभ की थी।

स्रोत: पी.आई.बी.


नवप्रवर्तन, एकीकरण और सतत् शहरी निवेश- 2.0

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, सरकार ने 'नवप्रवर्तन, एकीकरण और सतत् शहरी निवेश- 2.0' को मंजूरी दी है।. 

CITIIS 2.0 के बारे में:

  • परिचय:
    • यह स्मार्ट सिटीज़ मिशन का एक हिस्सा है तथा इसका उद्देश्य एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन एवं जलवायु-उन्मुख सुधार कार्यों को बढ़ावा देना है।
      • CITIIS, निम्नलिखित चार विषयों में स्मार्ट सिटी परियोजनाओं पर विचार करेगा:
        • सतत् गतिशीलता।
        • सार्वजनिक खुले स्थान।
        • शहरी ई-शासन और ICT।
        • निम्न-आय बस्तियों के लिये सामाजिक और संगठनात्मक नवाचार।
      • यह कार्यक्रम चार वर्ष की अवधि वर्ष 2023 से 2027 तक चलेगा।
  • उद्देश्य:
    • कार्यक्रम में शहर स्तर पर एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन, राज्य स्तर पर जलवायु-उन्मुख सुधार कार्यों एवं राष्ट्रीय स्तर पर संस्थागत मज़बूती और ज्ञान प्रसार पर ध्यान देने के साथ चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली प्रतिस्पर्धी रूप से चयनित परियोजनाओं का समर्थन करने की परिकल्पना की गई है।
    • CITIIS 2.0 का लक्ष्य CITIIS 1.0 की सीखों एवं सफलताओं का लाभ उठाना और उन्हें बढ़ाना है।
      • CITIIS 1.0 को संयुक्त रूप से वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था और इसमें तीन घटक शामिल थे:
        • प्रतिस्पर्द्धी प्रक्रिया के माध्यम से 12 शहर-स्तरीय परियोजनाओं का चयन किया गया।
        • उड़ीसा राज्य में क्षमता-विकास गतिविधियाँ।
        • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (NIUA) द्वारा की गई गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत शहरी प्रबंधन को बढ़ावा देना जो CITIIS 1.0 के लिये प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट (PMU) था।
  • वित्त पोषण:
    • CITIIS 2.0 के वित्तपोषण में AFD और KfW बैंक से ऋण तथा EU से तकनीकी सहायता अनुदान प्राप्त होगा।
  • घटक: CITIIS 2.0 के तीन प्रमुख घटक हैं: 
    • एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं हेतु 18 स्मार्ट शहरों तक वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
    • जलवायु कार्यवाही के लिये सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को समर्थन देना।
    • सभी शहरों और कस्बों में स्केल-अप का समर्थन करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप करना।
  • महत्त्व:
    • CITIIS 2.0 स्वयं द्वारा चलाएजा रहे राष्ट्रीय कार्यक्रमों (सतत् आवास पर राष्ट्रीय मिशन, अमृत 2.0, स्वच्छ भारत मिशन 2.0 और स्मार्ट सिटीज़ मिशन) के माध्यम से भारत सरकार के जलवायु कार्यों को पूर्ण करने के साथ ही भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित स्वैच्छिक योगदान (Intended Nationally Determined Contributions- INDCs) और पक्षकारों की सम्मेलन (COP26) प्रतिबद्धताओं में सकारात्मकता योगदान देगा। 

स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM):

  • सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और स्थानीय विकास के माध्यम से लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने तथा नागरिकों को लाभान्वित करने वाले स्मार्ट परिणाम प्राप्त करने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग के उद्देश्य से SCM की शुरुआत की।
    • लॉन्च: वर्ष 2015 
    • प्रकृति: केंद्र प्रायोजित
    • नोडल मंत्रालय: आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय
    • कार्यान्वयन: शहरी स्तर पर एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के माध्यम से ।
    • मिशन की समय सीमा: जून 2023 तक बढ़ा दी गई
    • कवरेज: 100 चयनित शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करना

शहरी विकास के लिये भारत सरकार द्वारा की गई पहलें:

स्रोत: पी.आई.बी.


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 5 अगस्त, 2023

क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) 

S&P ग्लोबल के अनुसार, हाल ही में सेवा क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) जून में तीन महीने के निचले स्तर के बाद जुलाई माह में 13 वर्ष के प्रभावशाली उच्चतम 62.3 स्तर पर पहुँच गया। यह क्षेत्र के अनुकूल और आर्थिक विकास को गति देने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालता है।  

  • PMI एक सर्वेक्षण-आधारित उपाय है जो कंपनी के निर्णय निर्माताओं, विश्लेषकों और निवेशकों को वर्तमान एवं भविष्य की व्यावसायिक स्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह एक सर्वेक्षण-आधारित उपाय है।
  • विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिये इसकी अलग-अलग गणना की जाती है तथा फिर एक समग्र सूचकांक भी बनाया जाता है। PMI को 0 से 100 तक के सूचकांक पर मापा जाता है।
    • 50 से ऊपर का PMI विस्तार का संकेत देता है, जबकि 50 से नीचे का PMI संकुचन का संकेत देता है।
  • बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात भारत के सेवा क्षेत्र के विकास के प्रमुख स्रोत बनकर उभरे हैं।

और पढ़ें… क्रय प्रबंधक सूचकांक

प्रधानमंत्री जी-वन योजना

हाल ही में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में प्रधानमंत्री जी-वन (जैव इंधन-वातवरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।

    • प्रधानमंत्री जी-वन योजना मार्च 2019 में शुरू की गई थी।
      • यह लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास तथा अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक्स का उपयोग करके दूसरी पीढ़ी (2G) इथेनॉल के लिये एकीकृत जैव-इथेनॉल परियोजनाओं पर केंद्रित है।

      • कुल वित्तीय आवंटन: 1969.50 करोड़ रुपए (वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक)।

    • इस योजना के तहत वाणिज्यिक व्यवहार्यता बढ़ाने, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने तथा 2G इथेनॉल के उत्पादन के क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों को अपनाने सहित वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिये प्रति परियोजना 150 करोड़ रुपए के साथ ही प्रदर्शन परियोजनाओं के लिये प्रति परियोजना 15 करोड़ रुपए की अधिकतम वित्तीय सहायता निर्धारित की गई है।
    • लाभान्वित होने वाले प्रमुख राज्य: पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, असम, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश।
    • बायो-एथेनॉल को बढ़ावा देने के लिये पीएम जी-वन योजना की आगामी पहल: गैर-मिश्रित ईंधन पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाना, इथेनॉल खरीद समझौते (EPA), फीडस्टॉक का विविधीकरण, 2G इथेनॉल के लिये अलग कीमत, EBP कार्यक्रम के लिये इथेनॉल पर GST को कम करना।

    और पढ़ें…  प्रधानमंत्री ‘जी-वन’ योजना

    अफ्रीकी जीन वैरिएंट CHD1L: HIV नियंत्रण में सहायक

    नेचर जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि अफ्रीकी मूल के कुछ व्यक्तियों में एक अद्वितीय जीन संस्करण, क्रोमोडोमैन हेलिकेज़ DNA बाइंडिंग प्रोटीन 1 लाइक (CHD1L) होता है, जो ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (HIV) के प्रसार को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    • CHD1L जीन का यह प्रकार विशेष रूप से अफ्रीकी आबादी में पाया जाता है और इसे HIV के सबसे खतरनाक HIV-1 के वायरल लोड को कम करने से जोड़ा गया है।
      • जीन के कार्य में प्रोटीन के लिये कोडिंग शामिल है जो DNA क्षति की मरम्मत की सुविधा प्रदान करती है।
    • परिणामस्वरूप वायरस फैलाने की उसकी क्षमता कम हो जाती है और बीमारी के प्रसार की दर धीमी हो जाती है।
    • हालाँकि अफ्रीकी मूल के 4% से 13% व्यक्तियों में यह जीन वैरिएंट हो सकता है, लेकिन जिस तंत्र द्वारा यह वायरल लोड को प्रभावित करता है वह अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं गया है।

    और पढ़ें…ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस 

    MASI: बाल देखभाल संस्थान निरीक्षण में क्रांतिकारी बदलाव

    हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में MASI पोर्टल के विषय में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।

    • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights- NCPCR) ने 'MASI नाम से एक एप्लीकेशन (निर्बाध निरीक्षण के लिये एक निगरानी एप) प्रस्तुत किया है।
    • पूरे भारत में बाल देखभाल संस्थानों और उनकी निरीक्षण प्रक्रियाओं की निगरानी को बढ़ाने के लिये विकसित यह एप किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अनिवार्य निरीक्षणों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की आवश्यकता को देखते हुए विकसित किया गया है।
    • यह बाल कल्याण समितियों, राज्य निरीक्षण समितियों, किशोर न्याय बोर्डों और बाल अधिकार संरक्षण के लिये राज्य आयोगों (State Commissions for Protection of Child Rights- SCPCR) सहित विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा एकीकृत निरीक्षण की सुविधा प्रदान करता है।