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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 04 Dec, 2024
  • 23 min read
प्रारंभिक परीक्षा

राष्ट्रीय गोकुल मिशन

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने लोकसभा में स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और दूध उत्पादन को बढ़ाने में राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission-RGM) की भूमिका पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन क्या है?

  • परिचय: इसे दिसंबर 2014 से स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के लिये लागू किया गया है।
  • आवश्यकता: पुंगनूर (आंध्र प्रदेश) जैसी स्वदेशी गोजातीय नस्लों की गिरावट से बहुमूल्य आनुवंशिक संसाधनों को खतरा है। ये नस्लें जलवायु के प्रति लचीली हैं, उच्च गुणवत्ता वाला दूध देती हैं और स्थानीय वातावरण के अनुकूल ढल जाती हैं, जिससे संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है।
  • उद्देश्य: RGM का उद्देश्य गोजातीय उत्पादकता को बढ़ावा देना, उच्च गुणवत्ता वाले प्रजनन को बढ़ावा देना, कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination- AI) सेवाओं को मजबूत करना है।
  • RGM के घटक:
    • उच्च आनुवंशिक योग्यता: संतान परीक्षण, वंशावली चयन और जीनोमिक चयन तथा जर्मप्लाज़्म आयात के माध्यम से बैल उत्पादन के माध्यम से आनुवंशिक योग्यता को बढ़ाता है।
    • यह वीर्य केंद्रों को सुदृढ़ करता है, सुनिश्चित गर्भधारण के लिये इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in Vitro Fertilization- IVF) प्रौद्योगिकी को क्रियान्वित करता है, तथा पशुधन में आनुवंशिक सुधार हेतु नस्ल गुणन फार्मों की स्थापना करता है।
    • कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क: देश भर में कृत्रिम गर्भाधान तक पहुँच बढ़ाने के लिये ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (MAITRIs) की स्थापना को बढ़ावा देना।
    • RGM डेटा प्रबंधन और सेवा वितरण में सुधार के लिये राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन को क्रियान्वित करता है।
    • देशी नस्लों का संरक्षण : देशी मवेशियों की देखभाल और संरक्षण के लिये गौशालाओं को समर्थन।
    • कौशल विकास और जागरूकता: क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना, किसानों में जागरूकता बढ़ाना और गोजातीय प्रजनन में अनुसंधान और नवाचार का समर्थन करना।
    • वित्तपोषण स्वरूप: RGM के घटकों को बड़े पैमाने पर 100% अनुदान सहायता के आधार पर वित्त पोषित किया जाता है, जिसमें कुछ विशिष्ट घटकों में आंशिक सब्सिडी शामिल होती है (जैसे, IVF गर्भधारण, लिंग वर्गीकृत वीर्य, ​​नस्ल गुणन फार्म)।
  • RGM के अंतर्गत प्रमुख पहल:
    • गोकुल ग्राम: देशी गाय, देशी नस्लों के संवर्द्धन और संरक्षण के लिये गोकुल ग्राम कहलाते हैं।
    • किसानों के लिये पुरस्कार: देशी मवेशियों और पशुपालकों के उत्कृष्ट प्रबंधन के लिये गोपाल रत्न पुरस्कार और कामधेनु पुरस्कार।
    • राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र: देशी नस्लों के वैज्ञानिक संरक्षण और विकास के लिये एक केंद्र। यह देश की देशी नस्लों के जर्मप्लाज्म (आनुवांशिक सामग्री) के राष्ट्रीय भंडार के रूप में कार्य करता है।
    • ई-पशु हाट - नकुल प्रजन बाज़ार: प्रजनकों और किसानों को जोड़ने वाला एक ई-मार्केट पोर्टल।
    • राष्ट्रीय बोवाइन जीनोमिक केंद्र: जीन-आधारित प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उच्च-योग्यता वाले बैलों का चयन करने के लिये जीनोमिक संवर्द्धन हेतु एक केंद्र।

कृत्रिम गर्भाधान

  • कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination- AI) एक प्रजनन तकनीक है जिसमें गर्भधारण हेतु शुक्राणु को मादा के गर्भाशय में मैन्युअल रूप से प्रवेश कराया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न : वर्तमान में वैज्ञानिक गुणसूत्र पर जीन या डीएनए अनुक्रमों की व्यवस्था या सापेक्ष स्थिति निर्धारित कर सकते हैं। यह ज्ञान हमें कैसे लाभ पहुँचाता है? (2011)

  1. पशुधन की वंशावली जानना संभव है।
  2. सभी मानव रोगों के कारणों को समझना संभव है।
  3. रोग प्रतिरोधी पशु नस्लों को विकसित करना संभव है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रारंभिक परीक्षा

भारत में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

HIV से संबंधित चिंताओं के बीच, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन (BMW) पर हाल की चर्चाओं ने ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिये प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।

जैव-चिकित्सा अपशिष्ट क्या है?

  • परिभाषा: जैव-चिकित्सा अपशिष्ट से तात्पर्य मानव और पशुओं के शारीरिक अपशिष्ट से है, साथ ही उपचार उपकरण जैसे सुई, सीरिंज और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में उपचार और अनुसंधान के दौरान उपयोग की जाने वाली अन्य सामग्री से भी है।
  • उपचार और निपटान के तरीके: जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन के विकल्पों में भस्मीकरण, प्लाज्मा पायरोलिसिस, ऑटोक्लेविंग और पुनर्चक्रण शामिल हैं।
  • जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन की वर्तमान स्थिति:
    • इनमें से लगभग 79% सुविधाएँ अपशिष्ट प्रबंधन के लिये 218 कॉमन बायो-मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट एंड डिस्पोज़ल सुविधाएँ (CBWTF) का उपयोग करती हैं।
    • परिचालनरत CBWTF में से 208 ने निगरानी बढ़ाने के लिये जैव-चिकित्सा अपशिष्ट ट्रैकिंग के लिये केंद्रीकृत बार कोड प्रणाली (CBST-BMW) को अपनाया है।
      • वर्ष 2020 तक, भारत में प्रतिदिन लगभग 774 टन जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पन्न होता था। 
      • भारत में 393,242 स्वास्थ्य सुविधाएँ हैं, जिनमें से 67.8% बिना बिस्तर वाली (क्लिनिक, प्रयोगशालाएँ) हैं और 32.2% अस्पताल और नर्सिंग होम हैं।
  • संवर्द्धन हेतु रणनीतियाँ:
    • चक्रीय अर्थव्यवस्था को अपनाना: चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल को लागू करने से स्वास्थ्य देखभाल अपशिष्ट प्रबंधन में धारणीय प्रथाओं को बढ़ावा मिल सकता है।
      • IIT के शोधकर्त्ता पारंपरिक 'टेक-मेक-डिस्पोज' मॉडल के बजाय 'रिड्यूस-रीयूज-रीसाइकल' दृष्टिकोण की वकालत करते हैं।

Circular_Economy

जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन हेतु क्या प्रावधान हैं?

  • जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
    • नियमों के दायरे का विस्तार कर इसमें टीकाकरण शिविर, रक्तदान शिविर, शल्य चिकित्सा शिविर या अन्य स्वास्थ्य देखभाल गतिविधियों को भी शामिल किया गया है।
    • इसके तहत मार्च 2016 से शुरू होकर दो वर्षों के अंदर क्लोरीनयुक्त प्लास्टिक बैग, दस्ताने एवं रक्त बैग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रावधान किया गया।
    • इसमें प्रयोगशाला अपशिष्ट, सूक्ष्मजीवी अपशिष्ट, रक्त के नमूनों एवं रक्त थैलियों का विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) या राष्ट्रीय AIDS नियंत्रण संगठन (NACO) द्वारा निर्धारित तरीके से कीटाणुशोधन या रोगाणुनाशन के माध्यम से पूर्व उपचार किये जाने का प्रावधान किया गया।
    • इसमें स्रोत पर अपशिष्ट के पृथक्करण में सुधार हेतु जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को 4 श्रेणियों में वर्गीकृत करने का प्रावधान किया गया।
  • हानिकारक अपशिष्ट (प्रबंधन और पारगमन गतिविधि) नियम, 2016
  • बेसल कन्वेंशन: इसे वर्ष 1989 में अपनाया गया तथा यह वर्ष 1992 से प्रभावी एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य हानिकारक अपशिष्टों की पारगमन गतिविधि को सीमित करना है।
    • भारत बेसल कन्वेंशन का सदस्य है लेकिन इसने बेसल प्रतिबंध संशोधन का अनुसमर्थन नहीं किया है।

Types_of_BMW

संबंधित नीतियों पर HIV/AIDS का क्या प्रभाव है?

  • 1980 के दशक के अंत में अमेरिका में "सिरिंज टाइड" के कारण होने वाले वैश्विक संकट के परिणामस्वरूप मेडिकल अपशिष्ट ट्रैकिंग अधिनियम, 1988 जैसे सख्त नियम लागू किये गये।
  • भारत में वर्ष 1998 में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम लागू होने के साथ ही इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए, जिसके तहत अस्पतालों के अपशिष्ट को खतरनाक माना गया।
  • डॉ. बी.एल. वढेरा बनाम भारत संघ (1996 ) मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से प्रदूषण संबंधी चिंताओं पर प्रकाश पड़ने के साथ संबंधित नियामक ढाँचे पर प्रभाव पड़ा।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली में ऐसे परिसरों के मालिकों एवं अधिभोगियों को (जिनके पास नगरपालिका के नाले से जुड़ा शौचालय नहीं है) निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अपशिष्ट को एकत्रित कर निर्दिष्ट डिपो तक पहुँचाना होगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2019)

(a) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच कोटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे।
(b) ये नियम केवल अधिसूचित नगरीय स्थानीय निकायों, अधिसूचित नगरों तथा सभी औद्योगिक नगरों पर ही लागू होंगे।
(c) इन नियमों में अपशिष्ट भराव स्थलों तथा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के लिये सटीक और विस्तृत मानदंड उपबंधित हैं।
(d) अपशिष्ट उत्पादक के लिये यह आज्ञापक होगा कि किसी एक ज़िले में उत्पादित अपशिष्ट, किसी अन्य ज़िले में न ले जाया जाए।

उत्तर: (c)


रैपिड फायर

DNA प्रोफाइल और लेविरेट विवाह

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में एक अंग प्रत्यारोपण के लिये DNA प्रोफाइलिंग के दौरान, यह पता चला कि एक पिता अपने बेटे का जैविक माता-पिता नहीं था, जिससे लेविरेट विवाह का मामला सामने आया।

  • इससे संवेदनशील पारिवारिक जानकारी प्रकट हुई, जिससे आनुवांशिक गोपनीयता और DNA विश्लेषण के अनपेक्षित परिणामों के बारे में चिंताएं उत्पन्न हो गईं।
  • DNA प्रोफाइलिंग: DNA प्रोफाइलिंग एक ऐसी तकनीक है जो किसी व्यक्ति को उसके DNA अनुक्रम  में अद्वितीय भिन्नता के आधार पर पहचानने की तकनीक है।
    • यद्यपि मानव DNA का 99.9% भाग एक समान होता है, तथापि 0.1% भिन्नता, विशेष रूप से शॉर्ट टैंडम रिपीट्स (STR) में, DNA प्रोफाइलिंग का आधार बनती है, जिससे सटीक पहचान संभव होती है।
  • लेविरेट: लेविरेट विवाह एक प्रथा है जिसमें मृतक (या शारीरिक रूप से अक्षम) व्यक्ति का भाई अपने भाई की विधवा से विवाह कर सकता है, जिससे वंश की निरंतरता सुनिश्चित होती है।
    • भारत में संथाल और मुंडा सहित कई जनजातियों द्वारा इसका अभ्यास किया जाता रहा है। 
    • वैदिक काल में नियोग प्रथा प्रचलित थी, जिसमें छोटे भाई या संबंधी द्वारा बड़े भाई की विधवा से विवाह किया जाता था, लेकिन बाद में गुप्त काल और उससे पहले के काल  में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया।
  • सोरोरेट एक प्रथा है जिसमें एक पुरुष अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद उसकी बहन से विवाह करता है।

और पढ़ें: न्याय प्रणाली में DNA प्रोफाइलिंग


रैपिड फायर

मतदाता सीमा वृद्धि पर सर्वोच्च न्यायालय का दृष्टिकोण

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस बात पर बल दिया कि "किसी भी मतदाता को मतदान से वंचित नहीं किया जाना चाहिये", जिससे सभी नागरिकों के लिये सुलभ मतदान सुनिश्चित करने के क्रम में न्यायालय की प्रतिबद्धता पर प्रकाश पड़ता है।

  • इससे पहले भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,200 (ग्रामीण क्षेत्र) एवं 1,400 (शहरी क्षेत्र) से बढ़ाकर एकसमान रूप से 1,500 करने का प्रस्ताव रखा था, जिससे संभावित मताधिकार से वंचित होने के संदर्भ में चिंताएँ उत्पन्न हुईं।
    • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत निर्वाचन आयोग को 'प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिये पर्याप्त संख्या में मतदान केंद्र’ उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
  • एक कार्यकर्त्ता ने निर्वाचन आयोग के निर्णय को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की, जिसमें तर्क दिया गया कि इससे मतदान केंद्रों पर भीड़ बढ़ जाने के साथ प्रतीक्षा समय अधिक हो जाने से विशेष रूप से हाशिये पर स्थित समूह प्रभावित होंगे।
    • एक मतदाता को मतदान में लगभग 90 सेकंड का समय (अर्थात एक घंटे में 45 मतदाता मतदान कर सकते हैं) लगता है। 11 घंटे में एक मतदान केंद्र पर केवल 495 मतदाता ही मतदान कर सकते हैं (अधिकतम क्षमता के साथ 660 मतदाता)।
    • इस याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इसकी सीमा बढ़ाने हेतु निर्वाचन आयोग के तर्क में नवीन आँकड़ों (जैसे अद्यतन जनगणना) का अभाव है।
  • मतदान केंद्र स्थापित करने के नियम:
    • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत निर्वाचन आयोग को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र हेतु पर्याप्त संख्या में मतदान केंद्र उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
    • मतदान केंद्र ऐसी जगह पर होना चाहिये कि मतदाताओं को मतदान करने हेतु सामान्यतः 2 किलोमीटर से अधिक दूरी (विरल आबादी वाले पहाड़ी या वन क्षेत्रों को छोड़कर) तय न करनी पड़े।
  • मतदान प्रतिशत बढ़ाने हेतु निर्वाचन आयोग की पहल:

और पढ़ें: मतदान प्रतिशत में वृद्धि


रैपिड फायर

मणिपुर में AFSPA को पुनः लागू करना

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में गृह मंत्रालय (MHA) ने अस्थिर सुरक्षा स्थिति तथा हिंसा में विद्रोही समूहों की सक्रिय भागीदारी के कारण मणिपुर के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) को फिर से लागू किया है।

  • मणिपुर में वर्ष 1980 से ही AFSPA लागू है तथा बदलते सुरक्षा परिदृश्य के आलोक में समय-समय पर इसकी समीक्षा की जाती है। 

पृष्ठभूमि:

  • 15 अगस्त 1942 को ब्रिटिशों ने भारत छोड़ो आंदोलन को दबाने के लिये सशस्त्र बल विशेषाधिकार अध्यादेश जारी किया, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1947 में "असम अशांत क्षेत्रों" हेतु अध्यादेश जारी किये गये।
    • सशस्त्र बल (असम और मणिपुर) विशेष शक्तियाँ अधिनियम, 1958 द्वारा असम अशांत क्षेत्र अधिनियम, 1955 का स्थान लिया गया, जिसे आगे चलकर AFSPA द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।
  • अशांत क्षेत्र को AFSPA की धारा 3 के तहत घोषित किया जाता है।
    • वर्तमान में नागालैंड, असम, मणिपुर तथा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में AFSPA प्रभावी है।
    • राज्य के राज्यपाल, केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासक एवं गृह मंत्रालय AFSPA के प्रवर्तन को अधिसूचित करने के साथ किसी भी क्षेत्र को अशांत घोषित कर सकते हैं। 
  • अशांत क्षेत्र (विशेष न्यायालय) अधिनियम, 1976 के तहत किसी क्षेत्र को 'अशांत' घोषित करने पर वह लगातार तीन माह तक अशांत की श्रेणी में बना रहता है।

AFSPA

और पढ़ें: सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (AFSPA)


रैपिड फायर

भारतीय नौसेना दिवस 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिव मनाया गया, जिसमें वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और ऑपरेशन ट्राइडेंट का सम्मान किया गया, जिसमें पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर हमला करने में भारतीय नौसेना की रणनीतिक सफलता पर प्रकाश डाला गया।

  • वर्ष 2024 की थीम है "नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से ताकत और शक्ति"। यह दिन राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने और समुद्री हितों की रक्षा करने में भारतीय नौसेना की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है

भारतीय नौसेना:

  • 1 मई 1830 को ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गई और उसे सैन्य बल का दर्जा प्राप्त हुआ, जिससे वह भारतीय नौसेना बन गई। वर्ष 1858 में इसका नाम बदलकर हर मैजेस्टीज़ इंडियन नेवी (Her Majesty's Indian Navy) कर दिया गया।
    • भारतीय नौसेना ने भगवान वरुण के वैदिक आह्वान "शं नो वरुणः" को अपने प्रतीक आदर्श वाक्य के रूप में अपनाया, जिसका अर्थ है "हे वरुण, आप हमारे लिये शुभ रहें।"
  • 21 अक्तूबर 1944 को पहली बार नौसेना दिवस मनाया गया।
    • वर्ष 1972 से, नौसेना दिवस 4 दिसंबर को अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और कराची बंदरगाह मिसाइल हमले में वर्ष 1971 के सफल नौसैनिक अभियानों के सम्मान में और युद्ध शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये मनाया जाता है।
  • नौसेना में तीन कमान हैं, जिनमें से प्रत्येक एक फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के नियंत्रण में है: पश्चिमी (मुख्यालय- मुंबई), पूर्वी (विशाखापत्तनम) और दक्षिणी नौसेना कमान (कोच्चि)।

और पढ़ें: भारतीय नौसेना दिवस


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