इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 04 Aug, 2023
  • 15 min read
प्रारंभिक परीक्षा

पैलियो प्रॉक्सी

हाल ही में यह घोषणा की गई थी कि जुलाई 2023 का एक विशेष दिन 100,000 से अधिक वर्षों में सबसे गर्म दिन था, जो वैज्ञानिक रूप से निराधार है।

  • यह दावा थर्मामीटर के आविष्कार से पहले के तापमान अनुमानों पर आधारित था, जो "पैलियो प्रॉक्सी (Palaeo Proxies)" पर निर्भर हैं और दैनिक समय-सीमा तापमान प्रदान नहीं कर सकते हैं।

पैलियो प्रॉक्सी:

  • परिचय: 
    • पैलियो प्रॉक्सी, पैलियोक्लाइमेट प्रॉक्सी (Paleoclimate Proxies) या पैलियोएन्वायरमेंटल प्रॉक्सी (Paleoenvironmental Proxies) का संक्षिप्त रूप है, जो वैज्ञानिकों द्वारा अतीत की जलवायु तथा पर्यावरणीय स्थितियों के पुनर्निर्माण के लिये उपयोग किये जाने वाले संकेतक या रिकॉर्ड हैं।
    • ये प्रॉक्सी आमतौर पर भौतिक, जैविक या रासायनिक प्रक्रियाओं से प्राप्त होते हैं जो तापमान या अन्य जलवायु कारकों में परिवर्तन होने पर प्रतिक्रिया करते हैं।
    • चूँकि सुदूर अतीत की जलवायु की प्रत्यक्ष माप संभव नहीं है, वैज्ञानिक अतीत की जलवायु विविधताओं तथा दीर्घकालिक रुझानों को समझने के लिये इन प्रॉक्सी रिकॉर्ड पर भरोसा करते हैं।
  • उदाहरण: 
    • बर्फ के टुकड़े: ग्लेशियरों और ध्रुवीय बर्फ की चादरों से खोदे गए बर्फ के टुकड़ों में फँसे हुए हवा के बुलबुले और समस्थानिक रचनाएँ होती हैं जो तापमान और ग्रीनहाउस गैस सांद्रता सहित पिछली वायुमंडलीय स्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।
    • वृक्ष वलय: वृक्ष वलय की चौड़ाई, घनत्व और समस्थानिक संरचना पिछले जलवायु परिवर्तन एवं वृक्षों की विकास स्थितियों को प्रकट कर सकती है, जो तापमान तथा वर्षा में परिवर्तन के लिये एक मूल्यवान प्रॉक्सी के रूप में कार्य करती है।
    • कोरल रिकॉर्ड (Coral Records): प्रवाल के विकास पैटर्न और समस्थानिक संरचनाएँ समुद्री सतह के पिछले तापमान तथा महासागर की स्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।
    • पराग रिकॉर्ड (Pollen Records): तलछट कोर में संरक्षित विशिष्ट प्रकार के पराग की उपस्थिति और प्रचुरता पिछले वनस्पति एवं जलवायु परिवर्तनों का संकेत दे सकती है।
  • सीमाएँ: 
    • पैलियो प्रॉक्सी तकनीक को व्यावहारिक बनाने में एक प्रमुख धारणा यह है कि जिन प्रक्रियाओं के आधार पर प्रॉक्सी निर्धारित की जाती थी उनका संचालन तब भी उसी प्रकार होता था जिस प्रकार वर्तमान में होता है
    • प्रॉक्सी द्वारा दैनिक तापमान का अनुमान लगा पाना असंभव है क्योंकि सागरों और झीलों के अवसाद में दबे हुए प्रॉक्सी निर्धारकों के आधार पर केवल सदियों या हज़ारों वर्षों पूर्व के तापमान की विसंगतियों को रिकॉर्ड किया जा सकता है।
    • तापमान संबंधी प्रॉक्सी महत्त्वपूर्ण अनिश्चितताओं के साथ ऐतिहासिक तापमान विसंगतियों का केवल स्थानीय या क्षेत्रीय अनुमान प्रदान करते हैं।
    • स्थानीय प्रॉक्सी के औसत पर आधारित वैश्विक अनुमानों में और भी अधिक अनिश्चितताएँ हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर दैनिक तापमान के बारे में किये जाने वाले दावे अविश्वसनीय हो जाते हैं।

दीर्घकालिक पैमाने पर अनुमानित तापमान पता करने की अन्य विधियाँ:

  • ज्ञात रेडियोधर्मी क्षय वाले कुछ आइसोटोप होलोसीन युग जैसे दीर्घकालिक पैमाने पर तापमान परिवर्तन का अनुमान प्रदान कर सकते हैं।
    • होलोसीन युग वर्तमान भू-वैज्ञानिक युग है जो लगभग 11,650 वर्ष पूर्व शुरू हुआ था। यह चतुर्थ कल्प का वर्तमान युग है।
  • विगत तापमान का अनुमान लगाने के लिये 5,000 से लेकर 10 मिलियन वर्ष तक के समय का पता लगाने हेतु कार्बन या सीसा आइसोटोप का उपयोग किया जाता है।
  • बहरहाल ये विधियाँ भी दीर्घकालिक का पता करने तक ही सीमित हैं, जो  दैनिक तापमान के आँकड़े प्रदान नहीं कर सकती हैं।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

अग्निशमन सेवाओं का आधुनिकीकरण

हाल ही में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने राज्यों में अग्निशमन सेवाओं को मज़बूत बनाने के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (National Disaster Response Fund- NDRF) के तहत "राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना" शुरू की है।

राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना:

  • परिचय: 
    • इस योजना की शुरुआत पंद्रहवें वित्त आयोग (XV-FC) की सिफारिश से हुई, जो विभिन्न प्रकार की तैयारियों तथा क्षमता निर्माण के वित्तीयन के लिये NDRF एवं राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) में से प्रत्येक के लिये 12.5% के आवंटन का प्रावधान करता है।
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य राज्यों में अग्निशमन सेवाओं का विस्तार और आधुनिकीकरण करना है ताकि NDRF की तैयारियों एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से राज्य स्तर पर अग्निशमन सेवाओं को मज़बूत करने का कार्य सुनिश्चित किया जा सके।
  • योजना के अंतर्गत उपाय: 
    • नए अग्निशमन केंद्रों की स्थापना।
    • राज्य प्रशिक्षण केंद्रों का सुदृढ़ीकरण एवं क्षमता निर्माण।
    • आधुनिक अग्निशमन उपकरणों का प्रावधान।
    • राज्य मुख्यालय एवं शहरी अग्निशमन केंद्रों का सुदृढ़ीकरण।
    • तकनीकी उन्नयन और ऑनलाइन प्रणाली की स्थापना एवं संवर्द्धन।
  • वित्त आवंटन: 
    • इस योजना के तहत केंद्र द्वारा निधि आवंटन पूर्वोत्तर पहाड़ी राज्यों (जिनके लिये केंद्र:राज्य का अनुपात 90:10 है) को छोड़कर अन्य राज्यों के साथ 75:25 अनुपात में लागत साझाकरण के आधार पर किया जाता है।
    • यदि राज्य का योगदान 1387.99 करोड़ रुपए है तो केंद्र द्वारा 5000 करोड़ रुपए का योगदान दिया जाता है।
      • 5000 करोड़ रुपए के कुल केंद्रीय परिव्यय में से 500 करोड़ रुपए कानूनी और बुनियादी ढाँचे-आधारित सुधारों को अपनाने के लिये राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिये उपलब्ध होंगे।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सरकारी पहल:

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 4 अगस्त, 2023

ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना

सरकार की ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना के लिये पहले 8.5 लाख पेड़ों को काटे जाने का अनुमान था, लेकिन अब ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि इसके लिये 9.64 लाख पेड़ों को काटा जा सकता है, जो कि पहले के अनुमान से काफी अधिक है। इस परियोजना के पर्यावरणीय प्रभावों को देखते हुए वनों की कटाई के मुद्दे को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

  • ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी छोर पर लागू की जाने वाली एक बड़ी परियोजना है।
  • इस परियोजना में एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल, एक ग्रीनफील्ड अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, टाउनशिप विकास तथा द्वीप में 16,610 हेक्टेयर के क्षेत्र में 450 MVA गैस और सौर आधारित विद्युत संयंत्र स्थापित करना शामिल है।

और पढ़ें…ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना

कृषि अवसंरचना कोष (AIF) 

वर्ष 2020 में कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के लॉन्च के बाद से फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढाँचे को विकसित करने के उद्देश्य से 1 लाख करोड़ रुपए में से केवल 15% ही वितरित किया गया है।

और पढ़ें…कृषि अवसंरचना कोष

गुकेश डी ने FIDE रैंकिंग में विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ा

पाँच बार के विश्व शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद को उन्हीं के शिष्य गुकेश डी ने पीछे छोड़ दिया, वे 36 वर्ष बाद आनंद को पीछे छोड़ कर पारंपरिक शतरंज में अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) की मासिक रेटिंग सूची में शीर्ष रैंक हासिल करने वाले भारतीय होंगे। वह पहली बार शीर्ष 10 की रैंकिंग में भी शामिल होंगे, जबकि यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे तीसरे भारतीय बन जाएंगे। 

  • वह विश्व के नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।
  • FIDE, शतरंज के खेल का शासी निकाय (Governing Body) है, यह सभी अंतर्राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिताओं को नियंत्रित करता है। इसका गठन एक गैर-सरकारी संस्था के रूप में किया गया है।
  • यह राष्ट्रीय शतरंज संघ का सबसे बड़ा निकाय है, जिसमें सदस्यों के रूप में 199 देश शामिल हैं।

विश्वनाथन आनंद:

  • वह सबसे सफल भारतीय शतरंज खिलाड़ी हैं, जो वर्ष 2000, 2007, 2008, 2010 और 2012 में FIDE विश्व शतरंज चैंपियनशिप के विजेता रहे
  • वे वर्ष 2003 और वर्ष 2017 में विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप तथा वर्ष 2000 एवं वर्ष 2017 में विश्व ब्लिट्ज़ शतरंज चैंपियनशिप के भी विजेता रहे। वह शतरंज के तीनों प्रारूपों में विश्व खिताब जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं।

और पढ़ें… भारत में शतरंज की बढ़ती लोकप्रियता 

वेस्टर्न ट्रेगोपेन

हिमाचल प्रदेश के राज्यकीय पक्षी, वेस्टर्न ट्रेगोपेन को आवास स्थान के नुकसान का सामना करना पड़ा है, लेकिन संरक्षण प्रयासों के कारण सराहन तीतर (Sarahan Pheasantry) की आबादी में धीरे-धीरे वृद्धि देखी गई है।

  • वेस्टर्न ट्रेगोपेन, जिसे सींग वाले पश्चिमी ट्रेगोपेन के नाम से भी जाना जाता है, सभी जीवित तीतरों में सबसे दुर्लभ है।
  • अपने सुंदर पंखों और बड़े आकार के कारण इस पक्षी को स्थानीय रूप से 'जुजुराना' या 'पक्षियों का राजा' कहा जाता है।
  • यह उत्तर-पश्चिम हिमालय, उत्तरी पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से होते हुए गढ़वाल के पश्चिमी भाग तक स्थानिक है।
  • ये अधिकतर पत्तियों, अंकुरों और बीजों के साथ-साथ कीड़े और अन्य अकशेरुकी जीवों को भी खाते हैं।
  • IUCN स्थिति: असुरक्षित


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2