प्रारंभिक परीक्षा
पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में संस्कृत अभिलेख
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में गिलगित के पास ब्राह्मी लिपि में लिखा एक चौथी शताब्दी का संस्कृत अभिलेख प्राप्त हुआ है।
- गिलगित से प्राप्त अभिलेख में उल्लेख है कि पुष्पसिंह ने अपने गुरु (नाम आंशिक रूप से लुप्त हो गया है) की योग्यता के लिये महेश्वरलिंग की स्थापना की थी।
नोट:
- इससे पहले वर्ष 2024 में, पेशावर के पास 10वीं शताब्दी का संस्कृत और शारदा लिपि (कश्मीर में संस्कृत और कश्मीरी के लिये प्रयुक्त) अभिलेख खोजा गया था, जिसमें छठी पंक्ति में "दा(धा)रिनी ("Da(Dha)rini")" के उल्लेख के साथ बौद्ध धारिणी मंत्रों का संदर्भ दिया गया था।
- बौद्ध धारिणी पवित्र मंत्रों या जापों को संदर्भित करता है, जिनका उपयोग बौद्ध धर्म में सुरक्षा, शुद्धिकरण और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि इन मंत्रों में आध्यात्मिक शक्ति होती है और इन्हें अक्सर कल्याण को बढ़ावा देने के लिये अनुष्ठानों में गाया जाता है। धारिणी में आमतौर पर पवित्र शब्दांश (syllables) या वाक्यांश (Phrases) होते हैं।
ऐतिहासिक अभिलेखों का क्या महत्त्व है?
- प्राथमिक ऐतिहासिक स्रोत: अभिलेख प्राचीन भारतीय इतिहास के पुनर्निर्माण के लिये प्रामाणिक और प्रत्यक्ष स्रोत हैं, जो बाद के प्रक्षेपों और पूर्वाग्रहों से मुक्त साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।
- अंकित तिथियाँ और घटनाएँ सटीक ऐतिहासिक समय-सीमा स्थापित करने में सहायता करती हैं।
- राजनीतिक इतिहास पर अंतर्दृष्टि: अभिलेख प्राचीन भारत में शासकों, राजवंशों, विजयों, संधियों और प्रशासन के बारे में बहुमूल्य विवरण प्रदान करते हैं।
- प्रशासनिक प्रणालियाँ: अभिलेखों में अक्सर राजस्व प्रणालियों, भूमि अनुदान, कराधान और न्यायिक ढाँचे के बारे में जानकारी शामिल होती है।
- उदाहरण के लिये, रुद्रदामन के जूनागढ़ (गिरनार) अभिलेख में सुदर्शन झील बाँध के निर्माण और मरम्मत का वर्णन है, जो जल प्रबंधन में प्रशासनिक प्राथमिकताओं का प्रमाण प्रदान करता है।
- भाषाई विकास: अभिलेख भाषाओं, लिपियों और साहित्यिक शैलियों के विकास का दस्तावेज़ीकरण करते हैं।
- प्राकृत, ग्रीक और अरमाइक भाषाओं में उत्कीर्ण अशोक के अभिलेख भाषाई विविधता और शासन को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने के लिये स्थानीय लिपियों के उपयोग पर प्रकाश डालते हैं।
- सामाजिक-आर्थिक संरचनाएँ: व्यापार प्रथाओं, सामाजिक मानदंडों, जाति प्रणालियों और आर्थिक विवरणों की जानकारी प्रायः अभिलेखों से प्राप्त होती है।
- अभिलेखों से प्राचीन धर्मों, मंदिर निर्माण, अनुष्ठानों और शाही संरक्षण के बारे में विवरण पता चलता है।
प्राचीन भारत के कुछ महत्त्वपूर्ण अभिलेख
- राजनीतिक अभिलेख:
- जूनागढ़ (गिरनार) अभिलेख (रुद्रदामन): दूसरी सदी का एक संस्कृत अभिलेख जिसमें रुद्रदामन की उपलब्धियों का विवरण है और चंद्रगुप्त मौर्य के राज्यपाल पुष्यगुप्त द्वारा सुदर्शन झील बाँध के निर्माण का उल्लेख है।
- भितरी स्तंभ अभिलेख: हूणों के विरुद्ध स्कंदगुप्त की सैन्य सफलता और उसके प्रशासनिक सुधारों का वर्णन करता है।
- प्रशासनिक और भूमि अनुदान अभिलेख
- पहाड़पुर अभिलेख (बुद्धगुप्त): बांग्लादेश में पाए गए इस अभिलेख में गुप्त काल के दौरान भूमि अनुदान और धार्मिक संरक्षण पर प्रकाश डाला गया है।
- मंदसौर अभिलेख: हूणों पर यशोधर्मन की विजय का विवरण, तथा क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने में उनकी भूमिका पर बल दिया गया है।
- ग्वालियर अभिलेख (राजा भोज प्रथम): इसमें ब्राह्मणों को दिये गए अनुदानों का वर्णन है और अग्रहारों का उल्लेख है, जो कि गुर्जर-प्रतिहारों के अधीन सामाजिक-आर्थिक प्रथाओं को दर्शाता है।
- बाँसखेड़ा ताम्रपत्र: हर्षवर्धन द्वारा हस्ताक्षरित, यह उनके वंश, प्रशासन और शासन के बारे में विवरण प्रदान करता है।
- देवपरा प्रशस्ति: बंगाल की विजय सेना की उपलब्धियों की जानकारी मिलती है, तथा उस समय के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किस शासक ने अपनी प्रजा को इस अभिलेख के माध्यम से परामर्श दिया ? "कोई भी व्यक्ति जो अपने संप्रदाय को महिमा-मंडित करने की दृष्टि से अपने धार्मिक संप्रदाय की प्रशंसा करता है या अपने संप्रदाय के प्रति अत्यधिक भक्ति के कारण अन्य संप्रदायों की निन्दा करता है, वह अपितु अपने संप्रदाय को गंभीर रूप से हानि पहुँचाता है।" (2020) (a) अशोक उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से किस उभारदार मूर्तिशिल्प (रिलीफ स्कल्प्चर) शिलालेख में अशोक के प्रस्तर रूपचित्र के साथ ‘राण्यो अशोक’ (राजा अशोक) उल्लिखित है? (2019) (a) कंगनहल्ली उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. आरंभिक भारतीय शिलालेखों में अंकित तांडव नृत्य की विवेचना कीजिये। (2013) |
प्रारंभिक परीक्षा
फसल बीमा योजनाओं का विस्तार
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय किसानों को समर्थन देने के लिये प्रमुख उपायों को मंज़ूरी दी है, जिसमें डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरकों के लिये विशेष सब्सिडी का विस्तार एवं वर्ष 2025-26 तक फसल बीमा योजनाओं को जारी रखना शामिल है।
भारतीय किसानों को सहायता देने के लिये हाल ही में कौन से प्रमुख उपाय किये गए हैं?
- फसल बीमा योजना: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) को वर्ष 2025-26 तक जारी रखने की मंज़ूरी दी।
- डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP): 1 जनवरी, 2025 से अगले आदेश तक पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी से परे DAP पर एकमुश्त विशेष पैकेज बढ़ाने को मंज़ूरी दी।
- यह वैश्विक बाज़ार में अस्थिरता के बावजूद खरीफ एवं रबी मौसम में किसानों के लिये सस्ती दर पर DAP उर्वरक सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
- नवाचार एवं प्रौद्योगिकी कोष (FIAT): पारदर्शिता बढ़ाने तथा किये गए क्लेम की गणना एवं निपटान के लिये YES-TECH और WINDS नामक योजना के अंतर्गत प्रौद्योगिकीय पहलों के वित्तपोषण हेतु 824.77 करोड़ रुपए की राशि के साथ FIAT के निर्माण को मंज़ूरी दी गई।
- प्रौद्योगिकी आधारित उपज आकलन प्रणाली (YES-TECH): YES-TECH के तहत प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमानों को महत्त्व देते हुए उपज आकलन के लिये रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग करना शामिल है।
- मौसम सूचना एवं नेटवर्क डाटा प्रणाली (WINDS): WINDS का लक्ष्य ब्लॉक स्तर पर स्वचालित मौसम केंद्र और पंचायत स्तर पर वर्षामापी स्थापित करना है, जिससे अति-स्थानीय मौसम आँकड़ों के लिये नेटवर्क का घनत्व पाँच गुना बढ़ जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
- परिचय: यह एक फसल बीमा योजना है, जो किसानों को वर्षा, तापमान, पाला, आर्द्रता आदि अप्रत्याशित फसल विफलताओं के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान से बचाती है।
- उद्देश्य: यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो बुवाई से पूर्व से लेकर कटाई के बाद की अवधि तक व्यापक फसल बीमा प्रदान करती है।
- कवरेज़: इसमें खाद्य फसलें (अनाज, बाज़रा और दालें), तिलहन और वार्षिक वाणिज्यिक/वार्षिक बागवानी फसलें शामिल हैं।
- अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले बटाईदारों और काश्तकारों समेत सभी किसान कवरेज़ के लिये पात्र हैं।
- प्रीमियम: इस योजना के तहत किसान खरीफ फसलों के लिये 2%, रबी फसलों के लिये 1.5% और वाणिज्यिक बागवानी फसलों के लिये 5% प्रीमियम का भुगतान करते हैं।
नोट: PMFBY प्राकृतिक आपदाओं, कीटों या बीमारियों के कारण किसानों को हुए नुकसान के लिये मुआवज़ा देने के लिये वास्तविक फसल नुकसान के आकलन पर निर्भर करता है। इसके विपरीत, RWBCIS किसानों को वर्षा, तापमान, आर्द्रता और पवन की गति जैसे पूर्वनिर्धारित जलवायु मापदंडों से विचलन के आधार पर मुआवज़ा देता है।
- RWBCIS इन जलवायु मापदंडों का उपयोग फसल की उपज़ के लिये प्रॉक्सी के रूप में करता है, ताकि प्रत्यक्ष क्षेत्र-स्तरीय आकलन की आवश्यकता के बगैर, फसल के नुकसान का अनुमान लगाया जा सके और उसकी भरपाई की जा सके।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न 1. 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 की घोषणा की।
- मेजर ध्यानचंद खेल रत्न, अर्जुन, द्रोणाचार्य, राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (MAKA) ट्रॉफी के लिये पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा की गई।
राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 के प्राप्तकर्त्ता कौन हैं?
पुरस्कार |
खिलाड़ी का नाम |
मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार |
गुकेश डी (शतरंज), हरमनप्रीत सिंह (हॉकी), प्रवीण कुमार (पैरा-एथलेटिक्स) और मनु भाकर (निशानेबाजी)। |
उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये अर्जुन पुरस्कार |
सुश्री ज्योति याराजी (एथलेटिक्स), अन्नू रानी (एथलेटिक्स), नीतू (मुक्केबाजी), राकेश कुमार (पैरा-तीरंदाजी), नवदीप (पैरा-एथलेटिक्स) आदि। |
उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये अर्जुन पुरस्कार (लाइफटाइम) |
सुच्चा सिंह (एथलेटिक्स), मुरलीकांत राजाराम पेटकर (पैरा-तैराकी) |
द्रोणाचार्य पुरस्कार |
सुभाष राणा (पैरा-शूटिंग), एस मुरलीधरन (बैडमिंटन) आदि। |
राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार |
फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया |
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (MAKA) ट्रॉफी |
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय (समग्र विजेता) |
भारत में दिये जाने वाले विभिन्न खेल पुरस्कार कौन-कौन से हैं?
- मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार: इसे भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान माना जाता है।
- किसी खिलाड़ी द्वारा पिछले चार वर्षों की अवधि में खेल के क्षेत्र में किये गए शानदार और सर्वाधिक उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है। जिसमे विजेताओं को एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि पुरस्कार के रूप में प्रदान की जाती है।
- अर्जुन पुरस्कार: यह चार वर्षों की अवधि में लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिये दिया जाता है।
- अर्जुन पुरस्कार विजेताओं को अर्जुन की एक प्रतिमा, एक प्रमाण पत्र और नकद राशि पुरस्कार के रूप में प्रदान की जाती है।
- द्रोणाचार्य पुरस्कार: यह प्रशिक्षकों को दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान है।
- यह पुरस्कार प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक विजेता तैयार करने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है।
- मेजर ध्यानचंद पुरस्कार: यह भारत के हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर दिया जाने वाला एक और पुरस्कार है।
- यह खेलों में आजीवन (लाइफटाइम) उपलब्धियों के लिये भारत का सर्वोच्च सम्मान है।
- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ट्रॉफी: यह किसी संस्था या विश्वविद्यालय को पिछले एक वर्ष में अंतर-विश्वविद्यालय टूर्नामेंटों में सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिये दी जाती है।
- राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार: यह पुरस्कार पिछले तीन वर्षों में खेल के प्रचार और विकास के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संगठनों या कॉर्पोरेट्स (निजी और सार्वजनिक दोनों) और व्यक्तियों को दिया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. खेल पुरस्कारों के संबंध में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2023)
उपर्युक्त में से कितने युग्म सही सुमेलित हैं? (a) केवल एक उत्तर: (b) प्रश्न. वर्ष 2000 में स्थापित लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |
रैपिड फायर
भारत-पाक के बीच परमाणु और कैदी सूचियों का आदान-प्रदान
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में भारत और पाकिस्तान ने तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों के बावज़ूद परमाणु प्रतिष्ठानों की सूचियों का आदान-प्रदान किया तथा कैदियों और मछुआरों का विवरण साझा किया।
- कैदियों और मछुआरों की सूचियों का आदान-प्रदान वर्ष 2008 के कांसुलरी एक्सेस समझौते के तहत अनिवार्य है, जो प्रत्येक दो वर्ष में 1 जनवरी और 1 जुलाई को होता है।
- परमाणु प्रतिष्ठानों की सूचियों का आदान-प्रदान परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले के प्रतिषेध समझौते, 1988 के तहत हुआ।
- यह लगातार 34वाँ आदान-प्रदान था, पहला आदान -प्रदान 1 जनवरी 1992 को हुआ था।
- 31 दिसंबर, 1988 को हस्ताक्षरित तथा 27 जनवरी 1991 से प्रभावी इस समझौते के अंतर्गत भारत और पाकिस्तान को प्रतिवर्ष 1 जनवरी को परमाणु स्थापना के विवरण का आदान-प्रदान करना आवश्यक है।
- हालाँकि दोनों में से किसी भी देश ने परमाणु प्रतिष्ठानों का विवरण नहीं बताया है।
- कांसुलर संबंधों पर वियना कन्वेंशन, 1963 के अनुच्छेद 36 में यह अनिवार्य किया गया है कि गिरफ्तार या हिरासत में लिये गए विदेशी नागरिकों को उनके दूतावास या वाणिज्य दूतावास को अधिसूचित करने के उनके अधिकार के बारे में शीघ्र सूचित किया जाना चाहिये।
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रैपिड फायर
थांथाई पेरियार स्मारक
हाल ही में केरल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने वायकोम में पुनर्निर्मित थांथाई पेरियार स्मारक का उद्घाटन किया, जो तमिल सुधारवादी ई.वी. रामासामी नायकर, जिन्हें थांथाई पेरियार के नाम से जाना जाता है, के योगदान को याद करने वाला एक महत्त्वपूर्ण स्थल है।
- यह स्मारक थांथाई पेरियार स्मृति में निर्मित किया गया है, जिन्होंने अप्रैल 1924 में भारत में 'अछूत' समुदायों के अधिकारों के लिये पहले संगठित आंदोलन के रूप में पहचाने जाने वाले वायकोम सत्याग्रह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- पेरियार की सक्रियता के कारण उन्हें आंदोलन में भाग लेने के लिये दो बार जेल जाना पड़ा, जिससे उन्हें 'वायकोम वीरन' की उपाधि मिली।
- पुनर्निर्मित स्मारक में एक नया पुस्तकालय और पेरियार की जीवनी, द्रविड़ आंदोलन का इतिहास एवं प्रमुख नेताओं के साथ उनके संबंधों का विवरण देने वाली सामग्री शामिल है।
- पेरियार का योगदान:
- वायकोम सत्याग्रह 30 मार्च 1924 से 23 नवंबर 1925 तक वायकोम, केरल में आयोजित एक शांतिपूर्ण विरोध का नेतृत्व दूरदर्शी नेता टीके माधवन, केपी केशव मेनन और के. केलप्पन ने किया था।
- इन्होंने आत्म-सम्मान आंदोलन और द्रविड़ कझगम की शुरुआत की, इन्हें 'द्रविड़ आंदोलन के जनक' के रूप में जाना जाता है।
अधिक पढ़ें: वायकोम सत्याग्रह के 100 वर्ष
रैपिड फायर
CENJOWS और NDMA के बीच समझौता ज्ञापन
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में, भारत की आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज (CENJOWS) ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।
- इस साझेदारी का उद्देश्य 'संपूर्ण राष्ट्र (Whole of the Nation)' दृष्टिकोण के माध्यम से आपदा न्यूनीकरण, तैयारी और प्रतिक्रिया में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना है।
- संयुक्त पहल के लिये रूपरेखा:
- सहयोगात्मक अनुसंधान: भारत सरकार को नीतिगत इनपुट प्रदान करने के लिये आपदा प्रबंधन, NHDR परिचालन और आपदा कूटनीति पर अध्ययन करना।
- क्षमता निर्माण: सशस्त्र बलों के कर्मियों, NDMA अधिकारियों और अन्य प्रमुख एजेंसियों सहित हितधारकों के लिये सेमिनार, कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
- जागरूकता अभियान: राष्ट्रव्यापी जागरूकता पहल के माध्यम से आपदा तैयारी और जोखिम न्यूनीकरण को बढ़ावा देना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहभागिता: भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों के अनुरूप आपदा प्रबंधन पर वैश्विक सहयोग को सुविधाजनक बनाना।
- CENJOWS की स्थापना वर्ष 2004 में रक्षा मंत्रालय द्वारा की गई थी, और यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत है।
- CENJOWS का उद्देश्य हितधारकों के लिये सिद्धांत और नीति निर्माण में सहायता के लिये शोध-आधारित विकल्प प्रदान करने और बहस को बढ़ावा देने के माध्यम से व्यापक राष्ट्रीय शक्ति के चालक के रूप में एकजुटता को बढ़ावा देना है।
- NDMA:
- इसकी स्थापना आपदा प्रबंधन के लिये भारत का सर्वोच्च वैधानिक निकाय के रूप में वर्ष 2006 में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत की गई थी।
- इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और इसमें नौ सदस्य होते हैं, जिनमें से एक उपाध्यक्ष होता है।
और पढ़ें: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
रैपिड फायर
बाघों का अंतर-राज्यीय स्थानांतरण
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने संरक्षण उद्देश्यों के लिये 15 बाघों को मध्य प्रदेश से राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है।
- इन बाघों को मध्य प्रदेश के बांधवगढ़, पेंच और कान्हा टाइगर रिज़र्व से स्थानांतरित किया जाएगा।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुमोदन के बाद कुल 12 बाघिनों एवं 3 बाघों को स्थानांतरित किया जाएगा।
- स्थानांतरण योजना में छत्तीसगढ़ के लिये छह बाघिन एवं दो बाघ, राजस्थान के लिये चार बाघिन एवं ओडिशा के लिये एक बाघ तथा दो बाघिन शामिल हैं।
- NTCA की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाघों की सबसे अधिक संख्या मध्य प्रदेश (जहाँ 785 बाघ हैं) में है।
- राज्य में नौ टाइगर रिज़र्व हैं जिनमें शिवपुरी ज़िले में नव अधिसूचित माधव टाइगर रिज़र्व भी शामिल है।
- स्थानांतरण की रणनीति के तहत बाघों की आबादी में आनुवंशिक विविधता को बढ़ाना शामिल है। इसके लिये अलग-अलग समूहों में नए बाघों को शामिल किया जाता है, जिससे अंतःप्रजनन के जोखिम में कमी आने के साथ प्रजातियों के दीर्घकालिक अस्तित्व को बनाए रखने में मदद मिलती है।
- इका उद्देश्य मौजूदा बाघ आबादी की आनुवंशिक विविधता को बढ़ाना है।
रैपिड फायर
AICTE का 2025 'AI का वर्ष'
स्रोत: TOI
हाल ही में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने भारत को AI में वैश्विक नेतृत्वकर्त्ता के रूप में स्थापित करने के लिये वर्ष 2025 को "कृत्रिम बुद्धिमत्ता वर्ष" के रूप में नामित किया है।
- AICTE का लक्ष्य अद्यतन पाठ्यक्रम, संकाय हेतु कार्यशालाओं और वास्तविक विश्व के प्रदर्शन के लिये AI-संचालित कंपनियों के साथ सहयोग के माध्यम से शिक्षा में AI को बढ़ावा देना है।
- इस पहल के मुख्य तत्वों में AI एफर्मेशन प्लेज़, व्यापक AI एकीकरण, AI जागरूकता अभियान, संकाय विकास और औद्योगिक भागीदारी, उत्कृष्ट मान्यताएँ शामिल हैं।
- यह पहल 14,000 से अधिक कॉलेजों और 40 मिलियन छात्रों को प्रभावित करेगी, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा में AI को एकीकृत करना और नवाचार एवं नेतृत्व को बढ़ावा देना है।
- सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ाने के लिये AI-सक्षम उपकरण और सुरक्षा उपाय शुरू किये, जिसमें राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन, ई-मैप पोर्टल और जागो-ग्राहक-जागो मोबाइल एप्लीकेशन तथा ई-कॉमर्स में भ्रामक विपणन को विनियमित करने के लिये दिशानिर्देश शामिल हैं।
- सरकार ऑनलाइन शिकायत दर्ज़ करने के लिये ई-दाखिल पोर्टल जैसे उपकरणों एवं ई-कॉमर्स संबंधी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के उपायों के साथ डिजिटल बाज़ार में उपभोक्ता विश्वास सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
- AICTE:
- यह शिक्षा मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक निकाय एवं तकनीकी शिक्षा के लिये एक राष्ट्रीय स्तर की परिषद है।
- इसकी स्थापना नवंबर 1945 में एक राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च सलाहकार संस्था के रूप में की गई थी।
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रैपिड फायर
MWPSC अधिनियम, 2007 के तहत संपत्ति की बहाली
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण (MWPSC) अधिनियम, 2007 पर उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यदि बच्चे अपने देखभाल संबंधी दायित्वों में लापरवाही बरतते हैं तो न्यायाधिकरण माता-पिता को संपत्ति लौटाने के लिये सशक्त हो सकते हैं।
- MWPSC अधिनियम 2007 की धारा 23 न्यायाधिकरणों को संपत्ति हस्तांतरण को शून्य घोषित करने की अनुमति देती है, यदि हस्तांतरितकर्त्ता सहमत बुनियादी आवश्यकताओं को प्रदान करने में विफल रहता है।
- यदि कोई वरिष्ठ नागरिक इन अधिकारों को लागू नहीं कर सकता, तो एक अधिकृत संगठन (ट्रिब्यूनल) उनकी ओर से कार्य कर सकता है।
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रशासित MWPSC अधिनियम 2007, वृद्ध नागरिकों को वैधानिक संरक्षण प्रदान करता है, तथा यदि वे स्वयं अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं तो उन्हें बच्चों या विधिक उत्तराधिकारियों से भरण-पोषण की मांग करने की अनुमति देता है।
- MWPSC अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ: इस अधिनियम को कुशल प्रसंस्करण के लिये ज़िला और उप-मंडल स्तर पर न्यायाधिकरणों एवं अपीलीय न्यायाधिकरणों के माध्यम से लागू किया जाता है।
- न्यायाधिकरण भरण-पोषण राशि का भुगतान न करने वाले व्यक्तियों पर ज़ुर्माना लगा सकते हैं या कारावास का आदेश दे सकते हैं।
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देखभालकर्त्ताओं द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को त्यागने पर ज़ुर्माना या 3 माह तक कारावास हो सकता है।
और पढ़ें... वृद्धजनों के अधिकारों की सुरक्षा