रैपिड फायर
पूर्वोत्तर राज्यों में AFSPA का विस्तार
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
केंद्र सरकार ने मणिपुर में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम (AFSPA), 1958 के तहत 'विक्षुब्ध क्षेत्र' की प्रस्थिति को अन्य छह माह के लिये बढ़ा दिया है। इसमें पांच ज़िलों के 13 पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र शामिल नहीं हैं।
- केंद्र ने नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में AFSPA को 30 सितंबर 2025 तक बढ़ा दिया है।
- AFSPA: इसे सितंबर 1958 में संसद द्वारा पारित किया गया था और उन पूर्वोत्तर राज्यों में बढ़ती हिंसा की रोकथाम करने हेतु इसका कार्यान्वन किया गया था, जिस पर राज्य सरकारें नियंत्रण करने में असमर्थ थीं।
- इस अधिनियम में "विक्षुब्ध क्षेत्रों" में सशस्त्र बलों के कर्मियों को विशेष शक्तियाँ प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गया है।
- राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही कुछ क्षेत्रों को "विक्षुब्ध" घोषित करने के लिये अधिसूचना जारी कर सकती हैं, जिससे सशस्त्र बलों को AFSPA के तहत प्राधिकार मिल जाता है।
- विक्षुब्ध क्षेत्रों में, सशस्त्र बलों के कर्मियों को बल प्रयोग (प्राणहर प्रयास भी) करने, बिना वारंट के गिरफ्तारी करने तथा लोक व्यवस्था बनाए रखने और खतरों से निपटने के लिये बिना वारंट के तलाशी करने का प्राधिकार है।
- AFSPA के अंतर्गत सशस्त्र बलों के कार्मिकों को अधिनियम के तहत की गई कार्रवाई के लिये विधिक कार्यवाही से संरक्षण प्राप्त है, जब तक कि केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति प्राप्त न कर ली जाए।
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श्यामजी कृष्ण वर्मा की पुण्यतिथि
स्रोत: पी.आई.बी.
प्रधानमंत्री ने महान स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा को उनकी पुण्यतिथि (30 मार्च) पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- श्यामजी कृष्ण वर्मा: वह एक भारतीय क्रांतिकारी, देशभक्त, वकील और पत्रकार थे, जिनका जन्म 4 अक्तूबर 1857 को मांडवी, गुजरात में हुआ था।
- लंदन में उन्होंने वर्ष 1905 में इंडियन होमरूल सोसाइटी की स्थापना की जिसका उद्देश्य युवा भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित करना था।
- उन्होंने इंडिया हाउस और द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट (पत्रिका) की भी स्थापना की, जो ब्रिटेन में भारतीय छात्रों के बीच उग्र राष्ट्रवादियों के लिये एक संगठित बैठक बिंदु के रूप में विकसित हुआ और भारत के बाहर क्रांतिकारी भारतीय राष्ट्रवाद के सबसे प्रमुख केंद्रों में से एक बन गया।
- वह बॉम्बे आर्य समाज के पहले अध्यक्ष थे और वीर सावरकर से प्रभावित थे।
- ब्रिटिश आलोचना के जवाब में वर्मा इंग्लैंड से पेरिस चले गए और तत्पश्चात प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जिनेवा में बस गए, जहाँ वे 30 मार्च 1930 को अपनी मृत्यु तक रहे।
- मांडवी के निकट उन्हें समर्पित क्रांति तीर्थ नामक एक स्मारक का निर्माण किया गया और वर्ष 2010 में इसका उद्घाटन किया गया।
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न्यायाधीशों की संपत्ति का सार्वजनिक प्रकटीकरण
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने संकल्प लिया कि उसके सभी न्यायाधीश अपनी संपत्ति का विवरण मुख्य न्यायाधीश के समक्ष सार्वजनिक रूप से घोषित करेंगे, ताकि उसे न्यायालय की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जा सके। यह निर्णय दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी पाए जाने के बाद लिया गया, जिससे संपत्ति के सार्वजनिक प्रकटीकरण पर विमर्श फिर से शुरू हो गया है।
न्यायाधीशों की संपत्ति के प्रकटीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय:
- कानूनी स्थिति: न्यायाधीश कानूनी रूप से अपनी संपत्ति का सार्वजनिक रूप से प्रकटीकरण करने के लिये बाध्य नहीं हैं।
- वर्ष 1997 का सर्वोच्च न्यायालय का संकल्प: न्यायाधीशों को अपनी संपत्ति की घोषणा मुख्य न्यायाधीश के समक्ष करनी चाहिये, लेकिन सार्वजनिक रूप से नहीं।
- वर्ष 2009 सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर स्वैच्छिक संपत्ति प्रकटीकरण की अनुमति है, लेकिन अनिवार्य नहीं।
- सर्वोच्च न्यायालय का वर्ष 2019 का निर्णय: इसमें अभिनिर्धारित किया गया कि न्यायाधीशों की संपत्ति व्यक्तिगत जानकारी नहीं है और उन्हें इसे आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत लाया गया।
- उच्च न्यायालय परिदृश्य: मार्च 2025 तक, 770 में से केवल 97 (13%) उच्च न्यायालय न्यायाधीशों ने सार्वजनिक रूप से संपत्ति घोषित की है।
- कई उच्च न्यायालयों (इलाहाबाद, राजस्थान, बॉम्बे, गुजरात, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड) ने सार्वजनिक प्रकटीकरण का कड़ा विरोध किया और न्यायाधीशों की संपत्ति के बारे में आरटीआई अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया।
- अन्य लोक सेवकों के साथ तुलना: अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के नियम 16(1) के अनुसार लोक सेवकों को अपनी संपत्ति की वार्षिक घोषणा करनी होगी।
- निर्वाचन के दौरान राजनीतिक उम्मीदवारों के लिये संपत्ति का खुलासा अनिवार्य कर दिया गया (ADR v. UoI, 2002)।
- सांसदों/विधायकों को अपने घोषणापत्र अध्यक्ष (लोकसभा) या सभापति (राज्यसभा) को प्रस्तुत करने होंगे, ताकि जनता तक उनकी पहुँच सुनिश्चित हो सके।
- केंद्रीय मंत्रियों को अपनी संपत्ति की घोषणा प्रधानमंत्री कार्यालय में करनी होती है, जिसकी जानकारी अक्सर ऑनलाइन प्रकाशित की जाती है।
अधिक पढ़ें: न्यायाधीशों की परिसंपत्तियों की घोषणा