प्रारंभिक परीक्षा
अफ्रीका का अफार ट्रायंगल: नए महासागर की उत्पत्ति का संभावित स्थान
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
हाल के भूवैज्ञानिक/भौमिकी (Geological) निष्कर्षों के अनुसार अफ्रीका के अफार ट्रायंगल (Afar Triangle) में आगामी 5 से 10 मिलियन वर्षों में एक नए महासागर की उत्पत्ति हो सकती है।
- अफ्रीकी महाद्वीप के समृद्ध और विविध परिदृश्यों के बीच होने वाली यह परिघटना, पृथ्वी के भूगोल को आकार देने वाली गतिशील प्रक्रियाओं की एक अनूठी झलक दर्शाती है।
अफ्रीका का अफार ट्रायंगल क्या है?
- अफ्रीका के हॉर्न में स्थित अफार ट्रायंगल एक भौमिकी निम्न भूभाग है जहाँ तीन विवर्तनिक (tectonic) प्लेटें, न्युबियन, सोमाली और अरेबियन प्लेटें मिलती हैं।
- यह पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट प्रणाली का हिस्सा है, जो अफार क्षेत्र से लेकर पूर्वी अफ्रीका तक विस्तृत है।
- इसके भौमिकी महत्त्व के अतिरिक्त अफार ट्रायंगल का एक समृद्ध पुराजीवी (Paleontological) इतिहास रहा है जिसमें कुछ प्रारंभिक होमिनिन के जीवाश्म नमूनों की खोज शामिल है।
- टेक्टोनिक संचलन और रिफ्ट विस्तार: अफार क्षेत्र में कई वर्षों से टेक्टोनिक संचलन की क्रमिक रूप से घटित हो रहा है।
- वर्ष 2005 में इथियोपिया के रेगिस्तान में एक बड़ा भ्रंश विस्तार देखने को मिला।
- परिणामस्वरूप यह अफ्रीका महाद्वीप के निरंतर विवर्तनिक पृथक्करण को प्रदर्शित कर रहा है।
- भ्रंश के विस्तार के लिये उत्तरदायी कारक:
- माना जाता है कि स्थानांतरण प्रक्रिया को चलाने वाले प्रमुख कारकों में से एक पूर्वी अफ्रीका के नीचे से अत्यधिक गर्म चट्टानों का विशाल समूह उठ रहा है।
- यह प्लम ऊपरी परत पर दबाव डाल सकता है, जिससे यह खिंच सकता है और टूट सकता है।
- वर्ष 2005 में इथियोपिया के रेगिस्तान में एक बड़ा भ्रंश विस्तार देखने को मिला।
- इसके अतिरिक्त क्षेत्र में मैग्माटिज़्म, विशेष रूप से एर्टा एले ज्वालामुखी में, टेक्टोनिक संक्रमण के सुराग प्रदान करता है, जिसमें ऐसी विशेषताएँ होती हैं जो मध्य-महासागर के रिज की नकल करती हैं।
- मैग्मैटिज़्म पृथ्वी की सतह के नीचे मैग्मा का निर्माण एवं गति है। यह पृथ्वी पर विभिन्न घटनाओं में योगदान देता है, जैसे टेक्टोनिक दरारें भरना, पहाड़ों का निर्माण करना और साथ ही पृथ्वी के कोर से गर्मी को मुक्त करने में सहायता करना।
- महासागर का निर्माण: इस क्षेत्र में चल रहे भ्रंश विस्तार से संभावित रूप से एक नए महासागर का निर्माण हो सकता है, जिसे अस्थायी रूप से "अल्वर-टाइड अटलांटिक रिफ्ट" नाम दिया जाएगा।
- पानी का यह नया भंडार अफ़ार क्षेत्र और पूर्वी अफ्रीकी दरार घाटी में लाल सागर तथा अदन की खाड़ी में आने वाली बाढ़ का परिणाम होगा।
मुख्य बिंदु
- टेक्टोनिक/विवर्तनिकी मूवमेंट: टेक्टोनिक मूवमेंट, टेक्टोनिक/विवर्तनिकी प्लेटों की परस्पर क्रिया के कारण पृथ्वी के स्थलमंडल की बड़े पैमाने पर होने वाली गति को संदर्भित करता है
- विवर्तनिक हलचलों के कारण बनने वाली सीमाएँ तीन मुख्य प्रकार की होती हैं: अपसारी सीमाएँ, अभिसरण सीमाएँ और परिवर्तन सीमाएँ।
- रिफ्टिंग: रिफ्टिंग उस भूवैज्ञानिक प्रक्रिया को संदर्भित करता है जहाँ पृथ्वी का स्थलमंडल/लिथोस्फीयर (पृथ्वी की सबसे बाहरी परत) खिंचती और पतली होती है, जिससे दरार घाटियों या बेसिनों का निर्माण होता है।
- यह प्रक्रिया आमतौर पर अपसारी प्लेट सीमाओं पर होती है जहाँ टेक्टोनिक प्लेटें एक दूसरे से दूर चली जाती हैं।
- जैसे-जैसे प्लेटें अलग होती जाती हैं, तनावग्रस्त ताकतें स्थलमंडल में दरार और टूटने का कारण बनती हैं, जिससे भ्रंश क्षेत्र (Rift Zones) का निर्माण होता है।
- मध्य महासागरीय कटक: मध्य-महासागरीय कटक एक अधिक गहरे पानी के नीचे की पर्वत शृंखला है जो समुद्री परत में टेक्टोनिक प्लेटों के बीच अलग-अलग सीमाओं के साथ बनती है।
- इन कटकों की विशेषता ज्वालामुखीय गतिविधि और मेंटल से मैग्मा का ऊपर उठना है, जो जम कर एक नई समुद्री परत बनाता है
- मध्य-महासागरीय कटकें समुद्र तल के विस्तार की प्रमुख विशेषताएँ हैं, जहाँ टेक्टोनिक प्लेटों के अलग होने से लगातार नई परत बनती रहती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष केप्रिलिम्सनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त में से कौन-से पृथ्वी के पृष्ठ पर गतिक परिवर्तन लाने के लिये ज़िम्मेदार हैं? (a) केवल 1, 2, 3 और 4 उत्तर: (d) |
रैपिड फायर
मुंबई में पहला ट्राई-सर्विस कॉमन डिफेंस स्टेशन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
मुंबई को भारत के पहले ट्राई-सर्विस कॉमन डिफेंस स्टेशन में स्थापित करने के लिये सशस्त्र बल एक महत्त्वपूर्ण पहल शुरू करने की योजना बना रही है, यह थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच सामंजस्य हासिल करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य एकीकृत नेतृत्व ढाँचे के तहत रसद, बुनियादी ढाँचे, मरम्मत और रखरखाव तथा आपूर्ति सहित तीनों सेवाओं की सभी सुविधाओं एवं संसाधनों को समेकित करना है।
- वर्तमान में, मुंबई में तीनों सेनाओं के अलग-अलग विंग हैं, जो स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं।
- नौसेना, मुंबई में अपनी पर्याप्त उपस्थिति के साथ, इस नए एकीकृत सेटअप में मुख्य भूमिका निभाएगी।
- कोयंबटूर के पास स्थित सुलूर और गुवाहाटी को दूसरे तथा तीसरे आम रक्षा स्टेशनों के लिये स्थल के रूप में चुने जाने की उम्मीद है।
- वर्तमान में भारत में कोई सामान्य रक्षा स्टेशन नहीं हैं। अंडमान और निकोबार कमांड एक पूर्ण कमांड है जिसे वर्ष 2001 में त्रि-सेवा कमांड के रूप में स्थापित किया गया था।
और पढ़ें: रक्षा बलों के बीच एकीकरण
प्रारंभिक परीक्षा
वैकोम सत्याग्रह के 100 वर्ष
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत द्वारा वैकोम सत्याग्रह की शताब्दी मनाई गई, जो भारत के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण आंदोलन था जिसने अस्पृश्यता एवं जाति उत्पीड़न को चुनौती दी थी।
वैकोम सत्याग्रह क्या है?
- पृष्ठभूमि:
- वैकोम सत्याग्रह, एक अहिंसक आंदोलन था जो एक सदी पहले केरल के त्रावणकोर रियासत के वैकोम में 30 मार्च 1924 से 23 नवंबर 1925 तक चला था।
- यह आंदोलन अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव की गहरी प्रथाओं के विरुद्ध एक ज़बरदस्त विरोध के रूप में खड़ा हुआ, जिसने लंबे समय से भारतीय समाज को त्रस्त कर रखा था।
- यह आंदोलन उत्पीड़ित वर्ग के लोगों, विशेषकर एझावाओं के वैकोम महादेव मंदिर के आस-पास की सड़कों पर चलने पर प्रतिबंध के कारण शुरू हुआ था।
- मंदिर के मार्ग खोलने हेतु त्रावणकोर की महारानी रीजेंट के अधिकारियों के साथ बातचीत करने के प्रयास किये गए।
- यह भारत में पहला मंदिर प्रवेश आंदोलनों था, जिसने पूरे देश में इसी तरह के आंदोलनों के लिये मंच तैयार किया।
- इसका उदय राष्ट्रवादी आंदोलन के साथ हुआ और इसका उद्देश्य राजनीतिक आकांक्षाओं के साथ-साथ सामाजिक सुधार में वृद्धि करना था।
- वैकोम सत्याग्रह, एक अहिंसक आंदोलन था जो एक सदी पहले केरल के त्रावणकोर रियासत के वैकोम में 30 मार्च 1924 से 23 नवंबर 1925 तक चला था।
- प्रमुख व्यक्ति:
- इसका नेतृत्व एझावा नेता टी.के. माधवन, के.पी. केशव मेनन और के. केलप्पन जैसे दूरदर्शी नेताओं ने किया था।
- पेरियार अथवा थंथई पेरियार के नाम से सम्मानित इरोड वेंकटप्पा रामासामी ने स्वयंसेवकों को संगठित कर भाषण के माध्यम से उनका उत्साहवर्द्धन किया, उन्हें कारावास की सज़ा दी गई। उन्होंने 'वैकोम वीरर' की उपाधि धारण की।
- मार्च 1925 में महात्मा गांधी वैकोम पहुँचे और विभिन्न जाति समूहों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर इस आंदोलन को गति प्रदान की।
- रणनीतियाँ और पहल:
- प्रारंभ में सत्याग्रह का लक्ष्य वैकोम मंदिर के आस-पास की सड़कों तक सभी जातियों के लोगों के लिये पहुँच सुनिश्चित करने पर केंद्रित था।
- आंदोलन के नेताओं ने गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरित होकर रणनीतिक रूप से अहिंसक तरीकों के माध्यम से विरोध प्रदर्शन किया।
- परिणाम:
- वैकोम सत्याग्रह के परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण सुधार हुए जिसमें प्रमुख सुधार मंदिर के आस-पास की चार सड़कों में से तीन सड़कों तक सभी जाति के लोगों की पहुँच सुगम करना था।
- परिणाम और प्रासंगिकता:
- नवंबर 1936 में, त्रावणकोर के महाराजा ने ऐतिहासिक मंदिर प्रवेश उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किये जिसने त्रावणकोर के मंदिरों में हाशिये की जातियों के प्रवेश पर सदियों पुराने प्रतिबंध को हटा दिया।
- वैकोम सत्याग्रह ने दृष्टिकोणों में विघटन उत्पन्न कर दिया, कुछ लोगों ने इसे हिंदू सुधारवादी आंदोलन के रूप में देखा, जबकि कुछ ने इसे जाति-आधारित अत्याचारों के विरुद्ध लड़ाई के रूप में देखा।
- आंदोलन के महत्त्व के लिये वैकोम सत्याग्रह मेमोरियल संग्रहालय और पेरियार मेमोरियल सहित स्मारक स्थापित किये गए थे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक चंपारण सत्याग्रह का अति महत्त्वपूर्ण पहलू है? (a) राष्ट्रीय आंदोलन में अखिल भारतीय स्तर पर अधिवक्ताओं, विद्यार्थियों और महिलाओं की सक्रिय उत्तर: (c) प्रश्न 2. राॅलेट सत्याग्रह के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a)केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. 1920 के दशक से राष्ट्रीय आंदोलन ने कई वैचारिक धाराओं को ग्रहण किया और अपना सामाजिक आधार का बढ़ाया। विवेचना कीजिये। (2020) |
रैपिड फायर
SKOCH ESG पुरस्कार 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
REC लिमिटेड ने 'नवीकरणीय ऊर्जा वित्तपोषण' के लिये SKOCH ESG पुरस्कार- 2024 जीता।
- REC (पूर्व में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड) विद्युत मंत्रालय के तहत एक 'महारत्न' केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम है, जो RBI के साथ एक गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग कंपनी (IFC) के रूप में पंजीकृत है।
- REC विद्युत् और गैर-विद्युत् बुनियादी ढाँचे दोनों को वित्त पोषित करता है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन तथा हरित प्रौद्योगिकियों सहित क्षेत्रों के साथ-साथ उत्पादन से लेकर परिवहन व संचार परियोजनाओं तक की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
- SKOCH ESG पुरस्कार पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) प्रथाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले संगठनों को मान्यता देते हैं।
- यह पुरस्कार और मूल्यांकन एक स्थायी व्यावसायिक भविष्य के लिये स्थायी निवेश एवं प्रक्रियाओं के बीच संबंध पर बल देकर इंडिया 2047 के प्रति संगठनों के समर्पण का आकलन करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण बेंचमार्क है।
- SKOCH ग्रुप वर्ष 1997 में स्थापित एक प्रमुख भारतीय थिंक टैंक है, जो फॉर्च्यून 500 कंपनियों से लेकर समुदाय-आधारित संगठनों तक की एक विस्तृत शृंखला के साथ जुड़कर सामाजिक-आर्थिक मुद्दों में विशेषज्ञता रखता है।
- यह पुरस्कार और मूल्यांकन एक स्थायी व्यावसायिक भविष्य के लिये स्थायी निवेश एवं प्रक्रियाओं के बीच संबंध पर बल देकर इंडिया 2047 के प्रति संगठनों के समर्पण का आकलन करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण बेंचमार्क है।
और पढ़ें: SKOCH पुरस्कार, सशस्त्र बल कल्याण के लिये REC लिमिटेड की प्रतिबद्धता
रैपिड फायर
रक्षा निर्यात में रिकॉर्ड स्तर की वृद्धि
स्रोत: पी.आई.बी.
वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपए (लगभग 2.63 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुँच गया जो विगत वित्त वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में पिछले 10 वर्षों में रक्षा निर्यात 31 गुना बढ़ा है।
- प्रमुख आँकड़े:
- वर्ष 2004-05 से वर्ष 2013-14 और वर्ष 2014-15 से वर्ष 2023-24 तक दो दशकों की तुलना करने पर रक्षा निर्यात में 21 गुना वृद्धि दर्ज की गई।
- इसमें निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 60% रहा जबकि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Defence Public Sector Undertakings- DPSU) ने लगभग 40% योगदान दिया।
- वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यातकों को जारी किये गए निर्यात प्राधिकरणों की संख्या में भी वृद्धि हुई।
- प्रमुख कारक:
- भारतीय रक्षा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि का श्रेय नीतिगत सुधारों, व्यापार की सुगमता पहल और व्यापक डिजिटल समाधानों को दिया जाता है जो भारतीय रक्षा उत्पादों तथा प्रौद्योगिकियों की वैश्विक स्वीकृति को दर्शाते हैं।
और पढ़ें…भारत का रक्षा निर्यात
रैपिड फायर
विक्रम-1 स्टेज-2 का सफल परीक्षण
स्रोत: द हिंदू
स्काईरूट एयरोस्पेस, एक अग्रणी भारतीय अंतरिक्ष-तकनीकी कंपनी द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रणोदन में विक्रम-1 अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान के स्टेज-2 के सफल परीक्षण फायरिंग के साथ एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की जिसे कलाम-250 के नाम से भी जाना जाता है, जिसको श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में परीक्षण किया गया।
- चरण-2 प्रक्षेपण यान को वायुमंडलीय चरण से बाह्य अंतरिक्ष के गहरे निर्वात में स्थानांतरित करने, इसे सटीकता एवं दक्षता के साथ अपने गंतव्य की ओर ले जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- कलाम-250 ठोस ईंधन के साथ एक उच्च शक्ति वाले कार्बन मिश्रित रॉकेट मोटर के साथ ही एक उच्च प्रदर्शन वाले एथिलीन-प्रोपलीन-डायन टेरपोलिमर (EPDM) थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (TPS) का उपयोग करता है। इसमें सटीक थ्रस्ट वेक्टर नियंत्रण के लिये कार्बन एब्लेटिव फ्लेक्स नोजल की भी सुविधा है।
- नवंबर 2022 में विक्रम-S के सबऑर्बिटल अंतरिक्ष प्रक्षेपण के पश्चात् विक्रम-1 भारत का पहला निजी कक्षीय रॉकेट प्रक्षेपण है। यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के साथ-साथ अन्वेषण में भारत की बढ़ती क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
और पढ़ें… भारत का पहला निजी प्रक्षेपण यान