इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 01 Jan, 2024
  • 23 min read
प्रारंभिक परीक्षा

अपतटीय क्रिप्टो फर्मों को PMLA नोटिस

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

वित्तीय आसूचना एकक- भारत (Financial Intelligence Unit India- FIU-IND) ने धन-शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act- PMLA) के अपेक्षित उपबंधों का अनुपालन नहीं करने के लिये बाइनेंस (Binance), कुकोइन (Kucoin), हुओबी (Huobi) सहित 9 अपतटीय क्रिप्टोकरेंसी तथा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स सर्विस प्रोवाइडर्स (VDA SPs) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

धन-शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 क्या है?

  • परिचय: 
    • PMLA धन-शोधन और संबंधित अपराधों की निवारण हेतु वर्ष 2002 में अधिनियमित एक भारतीय कानून है।
      • धन-शोधन में विधि-विरुद्ध रूप से प्राप्त धन को वित्तीय प्रणाली में एकीकृत करके विधि सम्मत अथवा "वैध" दिखाना शामिल है।
    • इसे वर्ष 2002 में धन-शोधन के खतरे से निपटने के लिये भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता (वियना अभिसमय) की प्रतिक्रिया में अधिनियमित किया गया था।
  • नियामक प्राधिकारी:
    • प्रवर्तन निदेशालय (ED) मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच और मुकदमा चलाने के लिये जिम्मेदार प्राथमिक प्राधिकरण है।
      • यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्य करता है।
      • हाल ही में, सर्वोच्च न्यायलय ने निर्णय सुनाया है कि ED PMLA के तहत किसी को केवल उनके सवालों और समन का प्रत्युत्तर नहीं देने के लिये गिरफ्तार नहीं कर सकता है।
    • FIU-IND एक राष्ट्रीय एजेंसी है जो प्रवर्तन एजेंसियों और विदेशी FIUs को संदिग्ध वित्तीय विनिमय से संबंधित जानकारी प्राप्त करने, प्रसंस्करण, विश्लेषण एवं प्रसारण के लिये जिम्मेदार है।
      •  यह एजेंसी वित्त मंत्रालय के अधीन काम करती है।

VDA SP हेतु PMLA अनुपालन दायित्व क्या हैं?

  • पंजीकरण की आवश्यकता: वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों और फिएट मुद्राओं, स्थानांतरण, संरक्षण या डिजिटल संपत्तियों पर नियंत्रण से जुड़ी गतिविधियों में लगे VDA SP को रिपोर्टिंग संस्थाओं के रूप में FIU-IND के साथ पंजीकृत होना चाहिये।
  • गतिविधि-आधारित अनुपालन: PMLA के तहत अनुपालन दायित्व भौतिक उपस्थिति पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि गतिविधि-आधारित हैं, जिसमें रिपोर्टिंग, रिकॉर्ड-कीपिंग और अन्य निर्दिष्ट दायित्व शामिल हैं।
  • नियामक ढाँचे का विस्तार और प्रवर्तन (Regulatory Framework Expansion and Enforcement): मार्च 2023 में विनियामक दायरे का विस्तार हुआ, जिससे VDA SPs को PMLA के अंदर धनशोधन रोधी (AML) और काउंटर फाइनेंसिंग ऑफ टेररिज़्म (CFT) ढाँचे के तहत लाया गया।
    • धन शोधन निवारण कानून (anti-money laundering law) के तहत, रिपोर्टिंग संस्थाएँ अपने ग्राहक को जानें (KYC) विवरण, ग्राहक पहचान रिकॉर्ड, लाभकारी मालिक की जानकारी,बही खाता और ग्राहकों से संबंधित व्यावसायिक पत्राचार को बनाए रखने के लिये बाध्य हैं। 
    • इसके अलावा, रिपोर्टिंग संस्थाओं को आयकर अधिनियम के तहत वर्ष के दौरान बनाए गए विशिष्ट वित्तीय लेनदेन या रिपोर्ट करने योग्य खातों के विवरण वाले वित्तीय लेनदेन विवरण (SFT) दाखिल करने की आवश्यकता होती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

मेन्स

प्रश्न . चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये।  (2021)


प्रारंभिक परीक्षा

श्रेष्ठ योजना

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 'श्रेष्ठ' योजना पर प्रकाश डाला है। इस योजना को लक्षित क्षेत्रों में हाईस्कूल के छात्रों के लिये आवासीय शिक्षा योजना (SHRESHTA) के रूप में जाना जाता है। 

श्रेष्ठ की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • इसका मूल उद्देश्य देश के सर्वश्रेष्ठ निजी आवासीय विद्यालयों में बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करके अनुसूचित जाति के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का उत्थान करना है। 
    • CBSE से संबद्ध निजी स्कूलों के कक्षा 9 और कक्षा 11 में प्रवेश प्रदान किया जाएगा।
  • पात्रता:
    • अनुसूचित जाति के छात्र जो वर्तमान शैक्षणिक वर्ष (2021-22) में 8वीं और 10वीं की कक्षा में पढ़ रहे हैं, योजना का लाभ उठाने के लिये पात्र हैं। 
    • इस योजना में 2.5 लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले हाशिये पर रहने वाले आय-वर्ग से आने वाले अनुसूचित जाति समुदाय के छात्र पात्र हैं।
  • परिचालन प्रक्रिया:
    • यह योजना दो मोड में कार्यान्वित की जा रही है:
      • मोड 1: श्रेष्ठ विद्यालय
        • चयन प्रक्रिया:
          • मेधावी अनुसूचित जाति के छात्रों का चयन प्रतिवर्ष  राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित श्रेष्ठ के लिये राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा (National Entrance Test for SHRESHTA- NETS) के माध्यम से किया जाता है।
            • चयनित छात्रों को कक्षा 9वीं तथा 11वीं में सर्वश्रेष्ठ सी.बी.एस.ई./राज्य बोर्ड से संबद्ध निजी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश दिया जाता है।
        • आर्थिक सहायता:
          • स्कूल शुल्क तथा छात्रावास शुल्क को कवर करने वाले छात्र के लिये कुल शुल्क विभाग द्वारा वहन किया जाएगा। 
            • योजना के तहत कक्षा 9वीं से 12वीं तक स्वीकार्य शुल्क ₹ 1,00,000 से ₹ 1,35,000 है।
        • ब्रिज कोर्स:
          • छात्रों की स्कूल के वातावरण में सरलता से अनुकूलन करने की क्षमता को बेहतर करने के लिये नियमित रूप से स्कूल समय के उपरांत एक ब्रिज कोर्स प्रदान किया जाता है।
            • विभाग ब्रिज कोर्स के लिये वार्षिक शुल्क का 10% वहन करता है।
        • निगरानी:
          • मंत्रालय नियमित रूप से छात्रों की प्रगति की निगरानी करता है।
      • मोड 2: NGO/VO संचालित स्कूल/छात्रावास:
        • NGO/VO द्वारा 12वीं कक्षा तक संचालित स्कूलों/छात्रावासों को अनुसूचित जाति के छात्रों के लिये स्कूल फीस और आवासीय शुल्क के लिये अनुदान मिलता है।
          • स्कूल के प्रकार के आधार पर अनुदान प्रति छात्र 27,000 रुपए से 55,000 रुपए तक हो सकता है।
  • निगरानी:
    • मंत्रालय नियमित रूप से छात्रों की प्रगति की निगरानी करता है।
      • पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए संस्थानों को अपनी वेबसाइटों और ई-अनुदान/ऑनलाइन पोर्टल पर प्रदर्शन का खुलासा करना आवश्यक है।
      • संस्थानों में कैमरों की स्थापना, निगरानी उद्देश्यों के लिये लाइव फीड प्रदान करना।
      • सभी संस्थान इस उद्देश्य हेतु गठित एक निरीक्षण दल द्वारा क्षेत्रीय दौरे के लिये उत्तरदायी हैं।
  • प्रभाव:
    • सत्र 2023-24 (दिसंबर 2023 तक): 7,543 लाभार्थी।
      • सत्र 2023-24 में प्रवेश: 142 निजी आवासीय विद्यालयों में कुल 2,564 छात्रों को प्रवेश दिया गया और स्कूल की फीस के लिये 30.55 करोड़ रुपए की प्रतिपूर्ति की गई है।


प्रारंभिक परीक्षा

बैंकों के सकल NPA में 3.2% की गिरावट

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) के लिये सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात में महत्त्वपूर्ण गिरावट देखी गई, जो मार्च 2023 के अंत में 3.9% से गिरकर सितंबर, 2023 के अंत तक 3.2% हो गई। 

  • योगदान देने वाले कारक: बट्टे खाते में डालना, उन्नयन, और वसूली।

गैर-निष्पादित परिसंपत्ति क्या है?

  • परिचय: 
    • RBI के अनुसार, कोई परिसंपत्ति तब गैर-निष्पादित हो जाती है जब वह बैंक के लिये आय उत्पन्न करना बंद कर देती है।
    • NPA आमतौर पर एक ऋण या अग्रिम होता है जिसका मूलधन या ब्याज भुगतान एक निश्चित अवधि के लिये अतिदेय रहता है।
      • ज़्यादातर मामलों में ऋण को गैर-निष्पादित के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जब ऋण का भुगतान न्यूनतम 90 दिनों की अवधि के लिये नहीं किया गया हो।
      • कृषि के लिये यदि 2 शस्य ऋतुओं/फसली मौसमों के लिये मूलधन और ब्याज का भुगतान नहीं किया जाता है, तो ऋण को NPA के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • प्रकार:
    • बैंकों को उस अवधि के आधार पर NPA को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करना आवश्यक है जिसके लिये परिसंपत्ति गैर-निष्पादित रही है और बकाया की वसूली:
      • अवमानक परिसंपत्ति: एक अवमानक संपत्ति 12 महीने से कम या उसके बराबर अवधि के लिये NPA के रूप में वर्गीकृत परिसंपत्ति है।
      • संदिग्ध परिसंपत्ति: संदिग्ध परिसंपत्ति वह संपत्ति है जो 12 महीने से अधिक की अवधि से गैर-निष्पादित चल रही हो।
      • हानि वाली परिसंपत्तियाँ: ऐसी परिसंपत्तियाँ जो संग्रहण योग्य नहीं हैं और जिनकी वसूली की बहुत कम या कोई उम्मीद नहीं है, साथ ही जिन्हें पूरी तरह से बट्टे खाते में डालने की आवश्यकता है।
  • सकल NPA(GNPA) और निवल NPA:
    • यह अनंतिम राशि में कटौती किये बिना NPA की कुल राशि है।
    • निवल NPA: सकल NPA में से प्रावधान घटाने पर निवल NPA प्राप्त होता है। 
      • प्रावधान का तात्पर्य ऋणों अथवा NPAs से उत्पन्न होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई  करने के लिये बैंकों द्वारा अलग रखे गए धन से है।
  • भारत में NPA से निपटने के प्रावधान:
  • लोन राइट-ऑफ: बट्टे खाते में डालना/अपलिखित करना (Write-off) का तात्पर्य किसी गैर-निष्पादित ऋण अथवा परिसंपत्ति को बैंक के रिकॉर्ड से इस स्वीकृति के रूप में हटाना है कि ऋण की वसूली की संभावना नहीं है। 
    • यह कार्रवाई उधारकर्त्ता को चुकाने के दायित्व से मुक्त नहीं करती बल्कि वसूली की संभावना को स्वीकार करती है।
  • उन्नयन (Upgrades): यह एक ऋण खाते को NPA से वापस "मानक" परिसंपत्ति श्रेणी में पुनर्वर्गीकृत करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है, यदि कुछ शर्तें पूरी होती हैं, जिनमें शामिल हैं: ब्याज और मूलधन का बकाया उधारकर्त्ता द्वारा भुगतान किया जाता है।
  • पुनर्प्राप्ति (Recoveries): पुनर्प्राप्ति, डिफॉल्ट ऋणों या NPA पर इसके लिये कार्रवाई करने के बाद बैंक द्वारा प्राप्त धन या संपत्ति का प्रतिनिधित्व करती है।
    • ये पुनर्प्राप्ति विधियों, संपार्श्विक परिसमापन (collateral liquidation), या पुनर्भुगतान ( repayments) के बाद निपटान का रूप ले सकती हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा हाल ही में समाचारों में आए ‘दबावयुक्त परिसम्पत्तियों के धारणीय संरचन पद्धति (स्कीम फॉर सस्टेनेबल स्ट्रक्चरिंग ऑफ स्ट्रेचड एसेट्स/S4A)’ का सर्वोत्कृष्ट वर्णन करता है?

(a) यह सरकार द्वारा निरूपित विकासपरक योजनाओं की पारिस्थितिक कीमतों पर विचार करने की पद्धति है।
(b) यह वास्तविक कठिनाइयों का सामना कर रही बड़ी कॉर्पोरेट इकाइयों की वित्तीय संरचना के पुनर्संरचन के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक की स्कीम है।
(c) यह केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के बारे में सरकार की विनिवेश योजना है।
(d) यह सरकार द्वारा हाल ही में क्रियान्वित ‘इंसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्ट्सी कोड’ का एक महत्त्वपूर्ण उपबंध है।

उत्तर: (b)


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 जनवरी, 2024

न्यूयॉर्क टाइम्स  बनाम ओपन AI: AI IP अधिकारों की लड़ाई

न्यूयॉर्क टाइम्स  (NYT) ने ओपनAI (OpenAI) और माइक्रोसॉफ्ट के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की है, जिसमें चैटजीपीटी सहित AI (Artificial intelligence) मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिये इसकी सर्वाधिकार (कॉपीराइट) सामग्री के अनाधिकृत उपयोग का आरोप लगाया गया है।

  • यह कानूनी विवाद जेनेरिक AI प्लेटफार्मों के युग में बौद्धिक संपदा (IP) अधिकारों पर व्यापक बहस को रेखांकित करता है।
  • यह बहस ऐसे समय में जोर पकड़ रही है जब भारत सहित दुनिया के देशों में पुराने प्रतिलिप्याधिकार (कॉपीराइट) कानून हैं जिन्हें AI की लहर को ध्यान में रखते हुए फिर से कल्पना करने की जरूरत है।
  • भारत में रचनात्मक कार्यों को कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत विनियमित किया जाता है।
    • अधिनियम में, एक "लेखक" वह व्यक्ति होता है जो साहित्यिक, नाटकीय, संगीतमय या कलात्मक रूपों में कंप्यूटर-जनित कार्यों को बनाने के लिये ज़िम्मेदार होता है।
    • हालाँकि, यह परिभाषा इस तथ्य को नज़रअंदाज़ करती है कि AI प्रणाली स्वतंत्र रूप से जानकारी उत्पन्न नहीं करती हैं।

और पढ़ें: AI-जनरेटेड कार्य और कॉपीराइट स्वामित्व

अयोध्या की परिवर्तनकारी परियोजनाएँ

हाल ही में भारतीय प्रधान मंत्री ने अयोध्या में नवनिर्मित महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया। 

  • LED लाइटिंग, वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा तथा एक वाहित मल उपचार संयंत्र सहित अग्रणी संपोषितता सुविधाएँ टर्मिनल के लिये GRIHA - 5 स्टार रेटिंग सुनिश्चित करती हैं, जो पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देती हैं।
  • महर्षि वाल्मिकी, जिन्हें आदि कवि (प्रथम कवि) के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारतीय महाकाव्य, रामायण के लेखक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्हें एक श्रद्धेय ऋषि तथा हिंदू पौराणिक कथाओं व साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।

सोलहवें वित्त आयोग का गठन

भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 280(1) के अनुपालन में, NITI आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अरविंद पनगढ़िया को इसके अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करते हुए, सोलहवें वित्त आयोग की स्थापना की है।

  • संदर्भ की विशिष्ट शर्तों की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें संघ और राज्यों के बीच कर आय का वितरण, राज्यों को सहायता अनुदान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत एवं पंचायतों व नगर पालिकाओं जैसे स्थानीय निकायों के लिये राज्य निधि को बढ़ाने के उपाय शामिल हैं।
  • आयोग को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत आपदा प्रबंधन वित्तपोषण व्यवस्था की समीक्षा करने और सुधार के लिये सिफारिशें करने का भी कार्य सौंपा गया है।
  • आयोग से 31 अक्तूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है।

और पढ़ें: सोलहवाँ वित्त आयोग

'उपासना स्थल के धार्मिक चरित्र' को परिभाषित करने के लिये आवश्यक परीक्षण: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अनुसार उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 "किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक चरित्र" को स्पष्ट नहीं करता है और इसे केवल दस्तावेज़ी तथा मौखिक साक्ष्य के आधार पर एक परीक्षण में निर्धारित किया जा सकता है। (केस-दर-केस पर आधारित)।

  • उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 धार्मिक स्थलों को किसी अलग धर्म या संप्रदाय के उपासना स्थलों में बदलने पर रोक लगाता है।
    • यह किसी भी उपासना स्थल की धार्मिक पहचान को संरक्षित करने का भी आदेश देता है जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को था।
  • ज्ञानवापी मामला वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व और धार्मिक पहचान से संबंधित एक कानूनी लड़ाई है, जिसमें एक मस्ज़िद और एक मंदिर दोनों हैं।
    • हिंदू वादी का तर्क है कि मस्जिद स्थल सहित पूरा क्षेत्र मूल रूप से स्वयंभू भगवान आदि विश्वेश्वर को समर्पित एक मंदिर था।
    • उनका दावा है कि ज्ञानवापी भूखंड पर स्थित इस मंदिर को सन् 1669 में सम्राट औरंगज़ेब ने ध्वस्त कर दिया था।
  • आज तक इस मुद्दे पर न तो सरकार और न ही सर्वोच्च न्यायालय ने कोई स्पष्ट रुख पेश किया है।

और पढ़ें: उपासना स्थल अधिनियम, 1991


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2