विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
AI: भारत के कार्यबल और अर्थव्यवस्था में परिवर्तन
यह एडिटोरियल 27/01/2025 को द फाइनेंशियल एक्सप्रेस में प्रकाशित “Getting to a new level in India’s online gaming sector” पर आधारित है। इस लेख में बताया गया है कि किस प्रकार GenAI वैश्विक नौकरी बाज़ार को नया आयाम देते हुए भारत के कुशल IT कार्यबल को चुनौती दे रहा है। इसके अतिरिक्त यह शिक्षा में सुधार की आवश्यकता पर बल देता है, उभरते AI-संचालित अवसरों के साथ तालमेल स्थापित करने और जनांकिक लाभांश का दोहन करने के लिये व्यावहारिक कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रिलिम्स के लिये:आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रमुख हालिया सफलताएँ, विभिन्न क्षेत्रों में AI के अनुप्रयोग, परिशुद्ध कृषि, डिजिटल बैंकिंग, iDEX (ADITI) योजना के साथ नवीन प्रौद्योगिकियों का विकास, भारत कौशल रिपोर्ट, त्वरित वाणिज्य, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023, फ्यूचरस्किल्स प्राइम पहल मेन्स के लिये:भारत की आर्थिक वृद्धि के लिये AI क्रांति द्वारा लाए गए प्रमुख अवसर, भारत की परंपरागत अर्थव्यवस्था के लिये AI द्वारा उत्पन्न प्रमुख चुनौतियाँ। |
भारत एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, विशेष रूप से GenAI, वैश्विक नौकरी बाज़ार को नया आयाम दे रही है। यद्यपि आर्थिक विकास ने परंपरागत क्षेत्रों से परे गुणवत्तापूर्ण नौकरियों का सृजन करने के लिये संघर्ष किया है, AI क्रांति चुनौतियाँ और अवसर दोनों लाती है। व्यावहारिक कौशल पर सैद्धांतिक ज्ञान पर भारत के ऐतिहासिक बल पर तत्काल पुनर्विचार की आवश्यकता है, क्योंकि GenAI कई संज्ञानात्मक कार्यों की जगह ले सकता है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन, वृद्ध होती आबादी और उन्नत प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित उभरते क्षेत्रों में तकनीशियनों व स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों जैसे मध्यम-कुशल श्रमिकों की मांग है। भारत को अपने जनांकिक लाभांश के पूरी तरह से दोहन के लिये, भविष्य हेतु तैयार रोज़गार सुनिश्चित करने की दिशा में AI को पूरक कौशल विकसित करने के लिये शिक्षा और प्रशिक्षण प्रणालियों में सुधार करना चाहिये।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता में हाल की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
- जनरेटिव AI: ओपनAI के GPT-4 और गूगल के बार्ड जैसे मॉडल ने कंटेंट जेनरेशन में क्रांति ला दी है, जिससे मानव जैसा टेक्स्ट, इमेज व कोड बनाना संभव हो गया है। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रचनात्मक उद्योगों में इसके अनुप्रयोगों का विस्तार है।
- मल्टीमॉडल AI: मेटा का LLaMA व OpenAI का DALL·E 3 टेक्स्ट, इमेज एवं वीडियो प्रसंस्करण को जोड़ता है, जिससे AI सिस्टम को कई प्रारूपों में आउटपुट को समझने और जेनरेट करने में सक्षम बनाता है।
- औषधि खोज में AI: DeepMind के AlphaFold जैसे AI-आधारित प्लेटफॉर्मों ने विज्ञान में ज्ञात (वर्ष 2023 तक) लगभग प्रत्येक प्रोटीन की संरचना का पूर्वानुमान किया है, जिससे चिकित्सा अनुसंधान एवं औषधि विकास में तेज़ी आई है।
- कोड के लिये जनरेटिव AI: GitHub के Copilot X (वर्ष 2023) और OpenAI के Codex जैसे टूल्स सॉफ्टवेयर विकास को स्वचालित करते हैं, जिससे डेवलपर प्रोडक्टिविटी और कोडिंग दक्षता बढ़ती है।
- भाषण में जनरेटिव AI: ElevenLabs और VALL-E (माइक्रोसॉफ्ट, 2023) उच्च गुणवत्ता वाले ध्वनि संश्लेषण को सक्षम करते हैं, वर्चुअल असिस्टेंट्स, ऑडियोबुक तथा ग्राहक सेवा में अनुप्रयोगों में क्रांतिकारी बदलाव करते हैं।
- स्वायत्त एजेंट: AutoGPT और BabyAGI जैसे AI मॉडल मानवीय हस्तक्षेप के बिना बहु-चरणीय स्वायत्त कार्य करते हैं, जिससे AI की क्षमताओं को एकल-कार्य फोकस से आगे बढ़ाया जा सकता है।
- रचनात्मक उद्योगों में AI: Runway Gen-2 और एडोब फायरफ्लाई AI-जनरेटेड वीडियो एवं इमेज एडिटिंग को सशक्त बनाते हैं, जिससे डिजिटल कंटेंट क्रिएशन में क्रांति आई है।
- जलवायु मॉडलिंग में AI: गूगल के GraphCast जैसे टूल्स मौसम की स्थिति का पूर्वानुमान 10 दिन पूर्व ही कर देते हैं, जो उद्योग के गोल्ड-स्टैण्डर्ड वेदर सिमुलेशन सिस्टम की तुलना में अधिक सटीकता और तेज़ी से होता है।
भारत की आर्थिक संवृद्धि के लिये AI क्रांति कौन-से प्रमुख अवसर लेकर आएगी?
- विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाना: AI प्रक्रियाओं को अनुकूलित करके, अपशिष्ट को कम करके तथा आपूर्ति शृंखला दक्षता में सुधार करके कृषि, विनिर्माण और रसद जैसे परंपरागत उद्योगों में क्रांति ला सकता है।
- उदाहरण के लिये, AI-संचालित ड्रोन एवं सेंसर का प्रयोग करके परिशुद्ध कृषि से फसल की उपज बढ़ सकती है तथा इनपुट लागत कम हो सकती है।
- विनिर्माण में AI-सक्षम स्वचालन भारत की पिछड़ी औद्योगिक उत्पादकता के अंतराल को समाप्त कर सकता है।
- NITI आयोग का अनुमान है कि AI वर्ष 2035 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 957 बिलियन डॉलर जोड़ने की क्षमता रखता है।
- दिसंबर 2024 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रयोग करने वाले 78% लघु एवं मध्यम आकार के व्यवसायों (SMB) ने राजस्व वृद्धि प्रदर्शित की है।
- IT और ज्ञान सेवा क्षेत्र का विस्तार: भारत, जो पहले से ही IT सेवाओं में एक वैश्विक अग्रणी है, क्लाउड कंप्यूटिंग, जनरेटिव AI अनुप्रयोगों और साइबर सुरक्षा समाधान जैसी उन्नत AI-आधारित सेवाओं की पेशकश करके मूल्य शृंखला में आगे बढ़ने के लिये AI का प्रयोग कर सकता है।
- इससे भारतीय IT कंपनियों को वर्ष 2027 तक अनुमानित 297 बिलियन डॉलर के वैश्विक AI सेवा बाज़ार में अधिक से अधिक हिस्सा हासिल करने की स्थिति प्राप्त हो जाएगी।
- TCS जैसी भारतीय कंपनियाँ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और जनरेटिव AI में भारी निवेश कर रही हैं, जिनकी प्रोजेक्ट पाइपलाइन 1.5 बिलियन डॉलर से अधिक है।
- स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार: निदान, पूर्वानुमानित स्वास्थ्य और वैयक्तिक चिकित्सा में AI अनुप्रयोग भारत में स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ, सस्ती और कुशल बनाकर इसमें क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं।
- टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म और डायग्नोस्टिक एल्गोरिदम जैसे AI-संचालित टूल्स ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा बुनियादी अवसंरचना में अंतराल को समाप्त करने में महत्त्वपूर्ण हैं।
- उदाहरण के लिये, कर्नाटक की AI-आधारित फेफड़े के कैंसर की जाँच ने फेफड़े के उच्च नोड्यूल घातकता के 133 मामलों का पता लगाया है तथा लगभग 3,000 TB-संभावित मामलों की पहचान की है
- वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना: AI डिजिटल बैंकिंग, धोखाधड़ी का पता लगाने और माइक्रो-लेंडिंग प्लेटफॉर्म को सक्षम करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहा है, जो वंचित आबादी के लिये ऋण पात्रता का आकलन करने के लिये AI का प्रयोग करते हैं।
- इसने मोबाइल आधारित प्लेटफॉर्मों और AI-संचालित चैटबॉट्स के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में काफी सुधार किया है।
- उदाहरण के लिये, भारतीय फिनटेक कंपनी, Aye फाइनेंस, ऋण पात्रता का आकलन करने के लिये फोन प्रयोग, सोशल मीडिया और लेनदेन जैसे वैकल्पिक डेटा को एनालाइज़ करने के लिये AI का प्रयोग करती है, जिससे छोटे व्यवसायों के लिये वित्तीय समावेशन सक्षम होता है।
- इस दृष्टिकोण से पूरे भारत में हज़ारों उद्यमों को ऋण उपलब्ध कराने में मदद मिली है।
- स्मार्ट गवर्नेंस और सार्वजनिक सेवा वितरण को सक्षम बनाना: AI निर्णय लेने में सहायता, नीति परिणामों का पूर्वानुमान और कल्याणकारी योजनाओं के बेहतर लक्ष्यीकरण को सुनिश्चित करके गवर्नेंस को अधिक कुशल बना सकता है।
- शिकायत निवारण प्रणाली और रियल टाइम डेटा एनालिसिस जैसे AI-संचालित टूल्स सार्वजनिक सेवा वितरण एवं पारदर्शिता को बढ़ा सकते हैं।
- उदाहरण के लिये, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने AI-आधारित चैटबॉट, ‘आधार मित्र’ लॉन्च किया है, जो निवासियों के प्रश्नों का उत्तर देने के लिये ट्रेंड है।
- जलवायु अनुकूलन और नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि में तीव्रता: जलवायु मॉडलिंग, नवीकरणीय ऊर्जा पूर्वानुमान और ऊर्जा ग्रिड अनुकूलन के लिये AI टूल्स भारत के जलवायु अनुकूलन प्रयासों को बढ़ावा दे सकते हैं तथा इसके महत्त्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सकते हैं।
- उत्पादन को अधिकतम करने के लिये सौर और पवन ऊर्जा संक्रमण में AI का उपयोग पहले से ही किया जा रहा है।
- उदाहरण के लिये, टाटा पावर अपने कारखाने के सौर ऊर्जा संयंत्र से सौर ऊर्जा उत्पादन का पूर्वानुमान करने के लिये AI का प्रयोग करता है। इससे कंपनी को अपने ग्रिड को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने तथा यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि मांग को पूरा करने के लिये उसके पास पर्याप्त विद्युत ऊर्जा है।
- मैकिन्से की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि AI-संचालित प्रौद्योगिकियाँ व्यवसायों को उनके CO2 उत्सर्जन को 10% तक कम करने तथा ऊर्जा लागत में 10-20% तक कटौती करने में मदद कर सकती हैं।
- उत्पादन को अधिकतम करने के लिये सौर और पवन ऊर्जा संक्रमण में AI का उपयोग पहले से ही किया जा रहा है।
- स्टार्टअप इकोसिस्टम को उत्प्रेरित करना: भारत का उभरता हुआ स्टार्टअप इकोसिस्टम AI क्रांति का प्रमुख लाभार्थी है, जिसमें स्टार्टअप फिनटेक, एडटेक, हेल्थटेक और एग्रीटेक में AI का लाभ उठा रहे हैं।
- इससे नवोन्मेषी, स्केलेबल सॉल्यूशन्स का सृजन संभव हुआ है, जो महत्त्वपूर्ण उद्यम पूंजी निवेश को आकर्षित करते हैं।
- भारत में 100 से अधिक GenAI स्टार्टअप हैं और इन स्टार्टअप्स ने वर्ष 2019 से अब तक 600 मिलियन डॉलर से अधिक की धनराशि जुटाई है।
- फ्रैक्टल एनालिटिक्स जैसे यूनिकॉर्न वैश्विक AI बाज़ार में विकसित होते भारतीय स्टार्टअप के उदाहरण हैं।
- रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में नवाचार को बढ़ावा देना: AI स्वायत्त प्रणालियों, खतरे का रियल टाइम ट्रैक करने और भविष्यसूचक खुफिया जानकारी को सक्षम करके भारत के रक्षा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।
- डिजिटल क्षेत्र में उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिये AI-आधारित टूल्स साइबर सुरक्षा बुनियादी अवसंरचना को भी मज़बूत कर रहे हैं।
- उदाहरण के लिये, मार्च 2024 में शुरू की गई iDEX के साथ नवीन प्रौद्योगिकियों का तीव्र विकास (ADITI) योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आवश्यक महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचारों को बढ़ावा देना है।
- DRDO ने "दिव्य दृष्टि" नामक एक AI टूल विकसित किया है, जो चेहरे की पहचान को गति और अस्थि-पंजर जैसे अपरिवर्तनीय शारीरिक मापदंडों के साथ जोड़कर ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग करता है।
भारत की परंपरागत अर्थव्यवस्था के लिये AI द्वारा उत्पन्न प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- निम्न-कौशल और नियमित नौकरियों में नौकरी का विस्थापन: AI-संचालित स्वचालन विनिर्माण, कृषि और निम्न-कौशल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में नौकरियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण खतरा बन गया है, जहाँ नियमित, दोहराव वाले कार्य प्रमुख हैं।
- मैनुअल श्रम पर निर्भर परंपरागत उद्योगों को छंटनी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे भारत के अनौपचारिक क्षेत्र में बेरोज़गारी बढ़ जाएगी, जो पहले से ही 90% से अधिक कार्यबल को रोज़गार देता है।
- अगले 20 वर्षों में भारत में 69% नौकरियाँ ऑटोमेशन के कारण खतरे में हैं, जो रोज़गार के लिये एक बड़ी चुनौती है। यह बदलाव कार्यबल परिदृश्य को महत्त्वपूर्ण रूप से बदल सकता है।
- बढ़ता कौशल अंतर: AI का तेज़ी से उदय कोडिंग, मशीन लर्निंग एवं डेटा साइंस में उच्च-कुशल श्रमिकों की मांग बढ़ाता है, जबकि परंपरागत श्रमिकों के पास आवश्यक कौशल संसाधनों तक पहुँच की कमी होती है।
- शिक्षा प्रणाली का ध्यान सैद्धांतिक शिक्षा पर केंद्रित है तथा व्यावसायिक और AI-प्रासंगिक प्रशिक्षण पर सीमित बल दिया जाता है, जिससे कौशल असंतुलन और अधिक गहन हो जाता है।
- यह असंतुलन भारत के जनांकिक लाभांश से लाखों श्रमिकों को वंचित कर सकता है।
- भारत कौशल रिपोर्ट- 2023 में बताया गया है कि केवल 48.7% भारतीय स्नातकों को ही रोज़गार योग्य माना जाता है तथा AI कौशल की मांग आपूर्ति से अधिक है।
- परंपरागत व्यवसाय मॉडल का क्षरण: AI-संचालित प्लेटफॉर्म और डिजिटलीकरण परंपरागत व्यवसायों को बाधित कर रहे हैं, विशेष रूप से खुदरा, कृषि और लघु-स्तरीय विनिर्माण में।
- ई-कॉमर्स भागीदारों (विशेष रूप से त्वरित वाणिज्य) और स्वचालित आपूर्ति शृंखलाओं जो लागत अनुकूलन और बड़े बाज़ारों तक पहुँच बनाने के लिये AI का लाभ उठाते हैं, के सामने स्थानीय व्यापारी और कारीगर अपना अवसर खोते जा रहे हैं।
- इस व्यवधान से छोटे व्यवसायों के नष्ट होने का खतरा है, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
- परंपरागत व्यवसायों के लिये साइबर सुरक्षा खतरे: चूँकि परंपरागत क्षेत्र प्रतिस्पर्द्धी बने रहने के लिये AI को एकीकृत कर रहे हैं, इसलिये उन्हें साइबर हमलों और डेटा उल्लंघनों के प्रति बढ़ती भेद्यता का सामना करना पड़ रहा है।
- कई छोटे व्यवसायों में AI प्रणालियों को सुरक्षित करने की विशेषज्ञता का अभाव है, जिससे उनके परिचालन और ग्राहक डेटा को भारी जोखिम का सामना करना पड़ता है।
- इससे परंपरागत उद्योगों में AI एकीकरण की विश्वसनीयता और विश्वास पर असर पड़ता है।
- उदाहरण के लिये, वर्ष 2023 में भारत में 79 मिलियन से अधिक साइबर अटैक हुए, जिससे ऐसी घटनाओं की संख्या के मामले में यह विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर रहा तथा वर्ष 2024 तक इसमें वृद्धि जारी रही।
- कई छोटे व्यवसायों में AI प्रणालियों को सुरक्षित करने की विशेषज्ञता का अभाव है, जिससे उनके परिचालन और ग्राहक डेटा को भारी जोखिम का सामना करना पड़ता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों का डिजिटल अपवर्जन: भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जो कृषि और स्थानीय उद्यमों पर निर्भर करती है, के दरकिनार होने का खतरा है, क्योंकि AI का प्रयोग शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है।
- निम्नस्तरीय डिजिटल अवसंरचना और कम डिजिटल साक्षरता ग्रामीण उद्यमियों एवं श्रमिकों को AI का लाभ उठाने से प्रतिबंधित करती है, जिससे शहरी-ग्रामीण विभाजन बढ़ता जा रहा है।
- उदाहरण के लिये, मंगलवार को जारी इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) और कैंटर द्वारा किये गए एक संयुक्त अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2023 तक केवल 45% भारतीय आबादी या लगभग 665 मिलियन नागरिक इंटरनेट का प्रयोग नहीं करते हैं।
- विदेशी AI प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता: गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और OpenAI जैसी वैश्विक तकनीकी अग्रणियों से आयातित AI प्रौद्योगिकियों पर भारत की निर्भरता, तकनीकी संप्रभुता एवं आर्थिक सुरक्षा के लिये जोखिम उत्पन्न करती है।
- हालाँकि, AI द्वारा संचालित वैश्विक डेटा फ्लो इस दृष्टिकोण को चुनौती देता है, क्योंकि डेटा का तेज़ी से सीमाओं के पार विस्तार हो रहा है। स्थानीय डेटा नियंत्रण और ग्लोबल डेटा मूवमेंट के बीच तनाव एक जटिल मुद्दा प्रस्तुत करता है।
- यह निर्भरता विदेशी मुद्रा को भी समाप्त करती है और परंपरागत उद्योगों को समर्थन देने के लिये आवश्यक स्वदेशी AI क्षमताओं के विकास को सीमित करती है।
- भारत का व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 डेटा स्थानीयकरण पर बल देता है, जिसके तहत डेटा को देश के भीतर ही संग्रहीत किया जाना आवश्यक है।
- AI अंगीकरण की पर्यावरणीय लागत: AI प्रौद्योगिकियाँ ऊर्जा-गहन हैं, जिसके लिये वृहत कंप्यूटिंग क्षमता की आवश्यकता होती है जो कार्बन उत्सर्जन में योगदान करती है।
- परंपरागत उद्योगों में बड़े पैमाने पर AI इनस्टॉलेशन भारत की पर्यावरणीय चुनौतियों को बढ़ा सकती है, विशेषकर इसलिये क्योंकि कई उद्योग अभी भी गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर हैं।
- MIT द्वारा किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि एक एकल AI मॉडल के ट्रेनिंग से उनके जीवनकाल में पाँच कारों के बराबर कार्बन उत्सर्जित होता है।
- एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि 175 बिलियन मापदंडों के साथ GPT-3 को प्रशिक्षित करने में 1287 MWh बिजली की खपत हुई और इसके परिणामस्वरूप 502 मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन हुआ।
- नैतिक और नियामक चिंताएँ: परंपरागत क्षेत्रों में AI को अपनाने से नैतिक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, जिनमें एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह, डेटा गोपनीयता संबंधी मुद्दे और पारदर्शिता की कमी शामिल है।
- कृषि मूल्य निर्धारण, स्वास्थ्य देखभाल निदान या ऋण मूल्यांकन में AI का अनियमित उपयोग कमज़ोर समूहों को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे इन प्रणालियों में विश्वास कम हो सकता है।
- उदाहरण के लिये, RBI ने चेतावनी दी है कि भारत के बैंकिंग क्षेत्र में AI पर बढ़ती निर्भरता से संकेंद्रण जोखिम और प्रणालीगत कमजोरियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- यद्यपि AI का प्रयोग ग्राहक सेवा एवं ऋण स्क्रीनिंग के लिये किया जा रहा है, लेकिन ये उपकरण अपनी अस्पष्टता के कारण अप्रत्याशित परिणाम भी उत्पन्न कर सकते हैं।
आर्थिक विकास के लिये AI क्रांति का लाभ उठाने के लिये भारत क्या कदम उठा सकता है?
- राष्ट्रीय AI कौशल इको- सिस्टम का निर्माण: भारत को AI से संबंधित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कौशल अंतर को दूर करने के लिये एक राष्ट्रीय AI कौशल कार्यढाँचा स्थापित करना चाहिये।
- स्किल इंडिया मिशन को फ्यूचरस्किल्स प्राइम पहल के साथ एकीकृत करके, सरकार मध्यम-कुशल श्रमिकों को लक्षित करते हुए स्केलेबल AI प्रशिक्षण कार्यक्रम चला सकती है।
- मध्य-स्तरीय AI-सक्षम नौकरियों के लिये श्रमिकों को तैयार करने के लिये डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये।
- SME और स्टार्टअप द्वारा AI अपनाने को प्रोत्साहित करना: सरकार AI एकीकरण को प्रोत्साहित करने के लिये लघु एवं मध्यम उद्यमों (SME) के लिये कर प्रोत्साहन, सब्सिडी और AI प्लेटफॉर्मों तक पहुँच की पेशकश कर सकती है।
- सूक्ष्म एवं लघु उद्यम हेतु क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) को सब्सिडी वाले AI टूलकिट के साथ संयोजित करने से SME के लिये प्रवेश बाधा कम हो सकती है।
- इससे परंपरागत व्यवसायों को नियमित कार्यों को स्वचालित करने, आपूर्ति शृंखलाओं को अनुकूलित करने और उत्पादकता में सुधार करने में मदद मिलेगी।
- सूक्ष्म एवं लघु उद्यम हेतु क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) को सब्सिडी वाले AI टूलकिट के साथ संयोजित करने से SME के लिये प्रवेश बाधा कम हो सकती है।
- स्वदेशी AI अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना: भारत को विदेशी AI प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता कम करने के लिये स्वदेशी AI अनुसंधान में भारी निवेश करना चाहिये।
- स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में AI स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिये राष्ट्रीय AI पोर्टल को सुदृढ़ करके इसे हासिल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, स्थानीय प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिये टियर-2 एवं टियर-3 शहरों में सरकार समर्थित AI इनोवेशन हब स्थापित किये जाने चाहिये।
- ग्रामीण आर्थिक विकास के लिये कृषि में AI को एकीकृत करना: AI-संचालित समाधान परिशुद्ध कृषि, फसल रोग का पता लगाने और कुशल जल उपयोग को सक्षम करके कृषि को समुत्थानशील बनाने में मदद कर सकते हैं।
- सरकार को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) को उपग्रह आधारित मृदा निगरानी और मौसम पूर्वानुमान जैसे AI-संचालित उपकरणों के साथ एकीकृत करना चाहिये।
- इसके अतिरिक्त, AI-आधारित कृषि-बाज़ार प्लेटफॉर्मों की तैनाती से किसानों को सीधे खरीदारों से जोड़कर बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
- स्वास्थ्य सेवा और लोक कल्याण में AI को सुदृढ़ करना: AI निदान, वैयक्तिकृत चिकित्सा और रोग के प्रारंभिक पूर्वानुमान में सुधार करके स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।
- भारत को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसी पहलों का विस्तार करना चाहिये ताकि वंचित ग्रामीण क्षेत्रों में रोगियों के रियल टाइम मॉनिटरिंग और टेलीमेडिसिन के लिये AI उपकरणों को शामिल किया जा सके।
- लक्षित पहुँच सुनिश्चित करने के लिये AI को टीकाकरण अभियानों और मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भी एकीकृत किया जा सकता है।
- AI-संचालित जलवायु अनुकूल कार्यक्रम बनाना: भारत वायु गुणवत्ता की रियल टाइम मॉनिटरिंग, जल संसाधनों का प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को अनुकूलित करके जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिये AI का लाभ उठा सकता है।
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) में AI को एकीकृत करने से भारत की चरम मौसमी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने तथा उनसे अनुकूलन करने की क्षमता में सुधार होगा।
- स्मार्ट ग्रिड और संसाधन प्रबंधन के माध्यम से AI शहरी क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता को भी बढ़ा सकता है।
- नैतिक और नियामक कार्यढाँचे की स्थापना: भारत को AI के प्रयोग को नियंत्रित करने, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिये दृढ़ नैतिक और नियामक ढाँचे विकसित करने चाहिये।
- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (2023) के आधार पर, भारत को पूर्वाग्रह और दुरुपयोग जैसी नैतिक चुनौतियों से निपटने के लिये स्वास्थ्य सेवा, वित्त एवं रक्षा के लिये क्षेत्र-विशिष्ट AI विनियम स्थापित करने चाहिये।
- इससे AI प्रणालियों में विश्वास सुनिश्चित होगा तथा एकाधिकारवादी प्रथाओं को रोका जा सकेगा।
- यूरोपीय संघ का AI एक्ट यह सुनिश्चित करने के लिये दिशा-निर्देश स्थापित करता है कि AI प्रणालियाँ सुरक्षित, पारदर्शी हों तथा मौलिक अधिकारों को बनाए रखें। भारत इस कार्यढाँचे से मूल्यवान सबक सीख सकता है।
- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (2023) के आधार पर, भारत को पूर्वाग्रह और दुरुपयोग जैसी नैतिक चुनौतियों से निपटने के लिये स्वास्थ्य सेवा, वित्त एवं रक्षा के लिये क्षेत्र-विशिष्ट AI विनियम स्थापित करने चाहिये।
- स्मार्ट गवर्नेंस में AI को एकीकृत करना: AI पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण को सक्षम करके, सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार करके और कल्याणकारी योजनाओं को अनुकूलित करके शासन को बदल सकता है।
- सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी अवसंरचना में अंतराल की पहचान करने तथा उन्हें कुशलतापूर्वक पूर्ति करने के लिये एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम जैसे मौजूदा कार्यक्रमों में AI को एकीकृत करना चाहिये।
- AI-संचालित शिकायत निवारण प्रणालियाँ जवाबदेही और नागरिक संतुष्टि में सुधार कर सकती हैं।
- AI-संचालित निर्यात वृद्धि को सुविधाजनक बनाना: भारत IT, फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल जैसे निर्यातोन्मुख क्षेत्रों में AI नवाचार को बढ़ावा देकर AI-सक्षम सेवाओं के लिये वैश्विक केंद्र के रूप में स्वयं को स्थापित कर सकता है।
- सरकार निर्यात में गुणवत्ता और लागत प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये मेक इन इंडिया को AI-आधारित डिज़ाइन और उत्पादन उपकरणों के साथ एकीकृत कर सकती है।
- आपूर्ति शृंखला प्रबंधन के लिये AI समर्थित प्लेटफॉर्म वैश्विक बाज़ारों में भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को और भी बेहतर बना सकते हैं।
- AI-संचालित क्षेत्रीय भाषा पारिस्थितिकी तंत्र: क्षेत्रीय भाषा प्रसंस्करण और अनुवाद का समर्थन करने के लिये AI उपकरण विकसित करना, जिससे भारत में गैर-अंग्रेज़ी बोलने वालों के लिये AI समाधान सुलभ हो सके।
- इससे डिजिटल समावेशन को बढ़ावा मिलेगा और छोटे व्यवसायों, कारीगरों एवं ग्रामीण उद्यमियों को अपनी मूल भाषाओं में विपणन, उत्पादन व ग्राहक जुड़ाव के लिये AI-संचालित उपकरणों का उपयोग करने की अनुमति मिलेगी।
- AI-संचालित बहुभाषी प्लेटफॉर्म ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता के अंतराल को समाप्त करने में भी मदद कर सकते हैं।
- AI-संचालित ग्राम-स्तरीय माइक्रोफैक्ट्रियाँ: वस्त्र, मिट्टी के बर्तन या कृषि-प्रसंस्करण जैसे लघु-स्तरीय उद्योगों में उत्पादकता बढ़ाने के लिये ग्राम स्तर पर AI-एकीकृत माइक्रोफैक्ट्रियाँ स्थापित करना।
- ये माइक्रोफैक्ट्रियाँ डिज़ाइन, उत्पादन अनुकूलन और गुणवत्ता नियंत्रण के लिये AI का उपयोग कर सकती हैं, जिससे ग्रामीण विनिर्माण में अकुशलताएँ कम हो सकती हैं।
- सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में AI आधारित माइक्रोफैक्ट्रियों को बढ़ावा देने के लिये MSME क्लस्टर विकास कार्यक्रमों के तहत सब्सिडी प्रदान कर सकती है।
- AI-एकीकृत पर्यटन अवसंरचना: स्मार्ट पर्यटन प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिये AI का लाभ उठाया जाना चाहिये जो यात्रा के अनुभवों को वैयक्तिकृत करें, पर्यटकों के प्रवाह का प्रबंधन करें और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा दें।
- AI का उपयोग AR/VR का उपयोग करके इमर्सिव अनुभव बनाने के लिये किया जा सकता है, जैसे ऐतिहासिक स्थलों के वर्चुअल टूर्स, साथ ही परिवहन और आतिथ्य जैसी पर्यटक सेवाओं को अनुकूलित करना।
- देखो अपना देश पहल घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये AI उपकरणों को एकीकृत कर सकती है।
निष्कर्ष:
AI क्रांति भारत के लिये आर्थिक विकास में तेज़ी लाने, उत्पादकता बढ़ाने और सभी क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये एक परिवर्तनकारी अवसर प्रस्तुत करती है। हालाँकि, इसकी क्षमता का दोहन करने के लिये, भारत को नौकरी विस्थापन, कौशल अंतराल और डिजिटल अपवर्जन जैसी चुनौतियों का समाधान करना होगा। AI-संचालित कौशल, स्वदेशी अनुसंधान और नैतिक कार्यढाँचों में निवेश करके, देश AI को अपनाने को समावेशी विकास के साथ जोड़ सकता है। कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शासन में AI का रणनीतिक एकीकरण समान विकास सुनिश्चित करेगा।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. चर्चा कीजिये कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) भारत की परंपरागत अर्थव्यवस्था को किस प्रकार बाधित कर सकती है, विशेषकर कृषि, लघु उद्योग और सेवाओं में। आजीविका पर इसके प्रभाव को कम करने के उपाय सुझाइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में कार्य कर रही विदेशी-स्वामित्व की e-वाणिज्य फर्मों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?
नीचे दिये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) |