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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत के रसद परिदृश्य में रूपांतरण

  • 01 Oct 2024
  • 28 min read

यह संपादकीय 18/09/2024 को द हिंदू बिजनेस लाइन में प्रकाशित “How the logistics industry is positioned in India” पर आधारित है। यह लेख भारत के रसद उद्योग के तीव्र विकास को प्रदर्शित करता है, जिसका अनुमानित बाज़ार आकार वित्त वर्ष 2029 तक 35.3 ट्रिलियन रुपये होने की संभावना है और रसद लागत में कमी के साथ दक्षता में सुधार का अनुमान है।

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का रसद उद्योग, राष्ट्रीय रसद नीति, गति शक्ति , ई-कॉमर्स , समर्पित माल ढुलाई गलियारा, मेगा फूड पार्क , भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, जवाहरलाल नेहरू पत्तन  

मेन्स के लिये:

भारत के रसद क्षेत्र के विकास के प्रमुख उत्प्रेरक, भारत के रसद क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे 

भारत का रसद उद्योग सुदृढ़ संवृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसका बाज़ार आकार वित्त वर्ष 2019 से 2024 तक 11% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रहा है। यह गति जारी रहने की उम्मीद है, अनुमानों से संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र वित्त वर्ष 2029 तक 35.3 ट्रिलियन रुपये के पर्याप्त बाज़ार आकार तक पहुँच सकता है। जबकि वर्तमान रसद व्यय, सकल घरेलू उत्पाद का 13% है, अपेक्षाकृत अधिक है, जो सुधार के लिये एक आशाजनक स्थिति है। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था औपचारिक होती है और संयोजकता में वृद्धि होती है, इस प्रतिशत के उच्च एकल अंकों में घटने का अनुमान है, जो इस क्षेत्र में वर्द्धित दक्षता का संकेत देता है।

परिवहन खंड वर्तमान में भारत के रसद बाज़ार पर प्रभावी है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2021 के अनुसार सड़क मार्ग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यद्यपि, परिदृश्य परिवर्तन के लिये तैयार है। रेल अवसंरचना में महत्त्वपूर्ण निवेश और सुधार के साथ, रेलवे के तीव्र गति से बढ़ने की उम्मीद है, जो संभावित रूप से देश में रसद के मॉडल मिश्रण को नया रूप प्रदान कर सकता है। इन सकारात्मक प्रवृत्तियों के बावजूद, भारत के लिये अपने रसद क्षेत्र को संवर्द्धित करना, नवाचार, प्रौद्योगिकी अंगीकरण और अवसंरचना विकास पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है ताकि इसे अधिक दक्ष, लागत प्रभावी और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी बनाया जा सके।

भारत के रसद क्षेत्र की वृद्धि के प्रमुख उत्प्रेरक क्या हैं? 

  • सरकारी पहल और नीति समर्थन: राष्ट्रीय रसद नीति (NLP) और गति शक्ति जैसी पहलों के माध्यम से रसद क्षेत्र में सुधार पर भारत सरकार का ध्यान विकास का एक प्रमुख उत्प्रेरक रहा है। 
    • सितंबर 2022 में आरंभ किये गए NLP का लक्ष्य वर्ष 2030 तक रसद लागत को सकल घरेलू उत्पाद के 13-14% से घटाकर एकल अंक (8% जो वैश्विक औसत है) तक लाना है।
    • अक्तूबर 2021 में पेश किया गया पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के लिये बहुविध संयोजकता आधारिक संरचना को विकसित करने के लिये निर्मित किया गया है। 
    • अगस्त 2023 तक, गति शक्ति पोर्टल में डेटा की 1,400 से अधिक स्तरों को समेकित किया गया है, जिससे आधारिक संरचना परियोजनाओं की बेहतर योजना और निष्पादन में सुविधा होगी। 
      • इन पहलों से रसद क्षेत्र में कार्यकुशलता में उल्लेखनीय वृद्धि होने तथा लागत में कमी आने की उम्मीद है।

  • ई-कॉमर्स में अप्रत्याशित वृद्धि और अंतिम सीमा तक आपूर्ति: भारत में ई-कॉमर्स का तीव्र विकास रसद क्षेत्र के लिये एक महत्त्वपूर्ण उत्प्रेरक रहा है। 
    • भारतीय ई-कॉमर्स के वर्ष 2026 तक 27% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 163 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जिसके कारण कुशल अंतिम सीमा आपूर्ति सेवाओं की मांग बढ़ गई है। 
      • इसके परिणामस्वरूप विशेषीकृत रसद कंपनियों का उदय हुआ है तथा प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों में निवेश बढ़ा है। 
    • उदाहरण के लिये, प्रमुख रसद कंपनी डेल्हीवरी का उदय, ई-कॉमर्स द्वारा संचालित क्षेत्र के विकास को प्रकट करता है।
    • कोविड-19 महामारी ने इस प्रवृत्ति को और तीव्र कर दिया है, क्योंकि अधिक उपभोक्ता ऑनलाइन शॉपिंग की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं, जिससे सुदृढ़ रसद नेटवर्क की आवश्यकता में वृद्धि हुई है।
  • आधारिक संरचना का विकास: परिवहन आधारिक संरचना में बड़े पैमाने पर निवेश, रसद क्षेत्र के विकास को गति देने में महत्त्वपूर्ण रहा है। 
    • राजमार्गों, रेलवे, पत्तनों और विमानपत्तनों के विकास पर सरकार के ध्यानकेंद्रण से संयोजकता में सुधार हुआ है और पारगमन समय में कमी आई है। 
    • उदाहरण के लिये, पूर्वी और पश्चिमी गलियारों के साथ समर्पित माल ढुलाई गलियारा (DFC) परियोजना, माल ढुलाई में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाली है। 
    • इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2020-25 के लिये राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) में आधारिक संरचना परियोजनाओं के लिये 111 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं, जिसमें एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा परिवहन के लिये समर्पित है। 
      • इन विकासों से रसद दक्षता में वृद्धि होने तथा परिवहन लागत में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है।
  • प्रौद्योगिकी अंगीकरण और डिजिटलीकरण: AI, IoT, ब्लॉकचेन और डेटा एनालिटिक्स जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का एकीकरण भारत में रसद परिदृश्य को रूपांतरित कर रहा है। 
    • ये प्रौद्योगिकियाँ परिचालन दक्षता को संवर्द्धित कर रही हैं, पारदर्शिता में सुधार कर रही हैं और वास्तविक समय पर पदांकन को सक्षम बना रही हैं।
    • उदाहरण के लिये, भारतीय रसद स्टार्टअप रिविगो, मार्गों को अनुकूलित करने और वितरण के समय को कम करने के लिये AI और बिग डेटा का उपयोग करता है।
    • ई-वे बिल और फास्टैग के कार्यान्वयन से माल की आवाजाही और टोल संग्रह डिजिटल और सुव्यवस्थित हो गया है।
    • यह डिजिटल परिवर्तन निवेश को आकर्षित कर रहा है और क्षेत्र में नवाचार को उत्प्रेरित कर रहा है।
  • थर्ड-पार्टी लॉजिस्टिक्स (3PL) और फोर्थ-पार्टी लॉजिस्टिक्स (4PL) का उदय: आपूर्ति श्रृंखलाओं की बढ़ती जटिलता और विशेषीकृत रसद सेवाओं की आवश्यकता के कारण भारत में 3PL और 4PL प्रदाताओं की वृद्धि हुई है। 
    • ये कंपनियाँ संपूर्ण आपूर्ति शृंखला समाधान प्रदान करती हैं, जिससे व्यवसायों को अपनी मुख्य क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलती है। 
    • भारत के थर्ड-पार्टी लॉजिस्टिक्स बाज़ार का आकार वर्ष 2023 और वर्ष 2028 के बीच 9.45% की CAGR से 16.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।
    • रसद परिचालन के बहि:स्रोतन की प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है, जिससे इस क्षेत्र में और वृद्धि होगी।
  •  माल-भण्डारण और शीतागार शृंखला का विकास: आधुनिक माल-भण्डारण सुविधाओं और शीतागार शृंखला अवसंरचना की मांग रसद क्षेत्र में विकास का एक महत्त्वपूर्ण उत्प्रेरक रहा है। 
    • GST के कार्यान्वयन से गोदामों का समेकन और बड़े पैमाने पर रसद उद्यानों का विकास हुआ है। 
    • नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 में माल-भण्डारण क्षेत्र ने 743 मिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित किया। 
    • फसलोपरांत हानि को कम करने पर सरकार के ध्यान ने शीतागार शृंखला अवसंरचना में निवेश को भी संवर्द्धित किया है। 
      • 30 जून 2024 तक, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के तहत 41 मेगा फूड पार्क , 399 शीतागार शृंखला परियोजनाओं, 76 कृषि प्रसंस्करण क्लस्टरों और 588 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को मंजूरी दी है।
      • ये प्रगतियाँ भंडारण क्षमता में सुधार लाने तथा खराब होने से होने वाली हानि को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से कृषि और औषध क्षेत्रों में।
  • निर्यात-आयात व्यापार में वृद्धि: वैश्विक व्यापार में भारत की बढ़ती भागीदारी रसद सेवाओं की मांग को बढ़ा रही है। 
    • वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, वर्ष 2022-23 में व्यापारिक आयात 16.51% बढ़कर 714.24 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जबकि व्यापारिक निर्यात 6.03% बढ़कर 447.46 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। 
    • उदाहरण के लिये, सितंबर 2023 में हस्ताक्षरित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) समझौते का उद्देश्य व्यापार संयोजकता को बढ़ाना है, जिससे समुद्री और बहुविध रसद सेवाओं की मांग में संभावित रूप से वृद्धि होगी।

भारत के रसद क्षेत्र से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या हैं? 

  • आधारिक संरचना की बाधाएँ: महत्त्वपूर्ण निवेश के बावजूद, रसद क्षेत्र में आधारिक संरचना की बाधाएँ बनी हुई हैं। 
    • सडकों की खराब स्थिति, संकुलित पत्तन और अपर्याप्त रेल संयोजकता विलंबता का कारण बनते है और लागत में वृद्धि होती है। 
      • उदाहरण के लिये, यद्यपि प्रमुख पत्तनों पर औसत टर्नअराउंड समय वर्ष 2010-11 में 127 घंटे से घटकर वर्ष 2021-22 में 53 घंटे हो गया है। 
    • विश्व बैंक के रसद प्रदर्शन सूचकांक 2023 में भारत को 139 देशों में से 38वां स्थान दिया गया है, जिसमें आधारिक संरचना की गुणवत्ता चिंता का प्रमुख क्षेत्र है। 
  • खंडित एवं असंगठित बाज़ार: भारतीय रसद क्षेत्र अत्यधिक खंडित बना हुआ है तथा रसद उद्योग में असंगठित क्षेत्र का हिस्सा 90% से अधिक है।
    • इस विखंडन के कारण अकुशलता, मानकीकरण का अभाव तथा प्रौद्योगिकी एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के कार्यान्वयन में व्यवधान आते हैं। 
    • इस विखंडन के कारण पूरे क्षेत्र में एक समान विनियमन और गुणवत्ता मानकों को कार्यान्वित करना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • दक्षता अंतराल और कार्यबल संबंधी चुनौतियाँ: रसद क्षेत्र को महत्त्वपूर्ण दक्षता अंतराल का सामना करना पड़ रहा है तथा विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी है। 
    • 12% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से वर्द्धित हो रहे रसद क्षेत्र में वर्ष 2027 तक 10 मिलियन रोज़गार के सृजित होने की उम्मीद है, परंतु दक्ष श्रमिकों की भारी कमी है। 
    • यह दक्षता अंतर विशेष रूप से आपूर्ति शृंखला प्रबंधन, गोदाम संचालन और प्रौद्योगिकी अंगीकरण जैसे क्षेत्रों में गंभीर है। 
      • वित्त वर्ष 2017 से 2023 (5 जनवरी 2023 तक) के बीच, लगभग 1.1 करोड़ व्यक्तियों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 2.0 के तहत प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 83% प्रमाणित हुए, परंतु केवल 21.4 लाख को ही रोज़गार मिला।
  • अंतिम सीमा तक आपूर्ति की चुनौतियाँ: ई-कॉमर्स के तीव्र विकास ने अंतिम सीमा तक आपूर्ति की चुनौतियों को बढ़ा दिया है, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में। 
    • उचित पता प्रणाली का अभाव तथा वितरण वाहनों के लिये सीमित पार्किंग स्थान अदक्षता में योगदान करते हैं। 
    • कैपजेमिनी रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, अंतिम सीमा तक आपूर्ति लागत कुल रसद आपूर्ति शृंखला लागत का 41% है।
    • ड्रोन से वितरण जैसे नवाचारों के बावजूद, नियामक बाधाएँ और आधारिक संरचना की सीमाएँ दक्ष अंतिम सीमा रसद आपूर्ति के लिये महत्वपूर्ण चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ और संवहनीयता: रसद क्षेत्र पर पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने का दबाव बढ़ रहा है, विशेष रूप से कार्बन उत्सर्जन के संदर्भ में।
    • भारत में, परिवहन क्षेत्र देश के कार्बन उत्सर्जन का लगभग 13.5% हिस्सा है।
    • जबकि सरकार ने वर्ष 2030 तक कार्बन तीव्रता को 45% तक कम करने सहित महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किये हैं, रसद क्षेत्र संवहनीय प्रथाओं को अंगीकृत करने में पीछे है। 
    • उदाहरण के लिये, सितंबर 2023 तक, रसद क्षेत्र में उपयोग किये जाने वाले वाणिज्यिक वाहन बेड़े में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी बहुत कम होगी। 
      • चार्जिंग आधारिक संरचना की कमी (केवल 6,000 ईवी चार्जिंग स्टेशन) और ईवी की उच्च प्रारंभिक लागत, हरित रसद प्रथाओं को व्यापक रूप से अंगीकृत करने में महत्त्वपूर्ण बाधाओं के रूप में बनी हुई हैं।
  • बहुविधीय समेकन संबंधी चुनौतियाँ: बहुविधीय परिवहन को प्रोत्साहित करने के प्रयासों के बावजूद, विभिन्न साधनों के बीच समेकन एक चुनौती बनी हुई है। 
    • भारत में माल ढुलाई में सड़क परिवहन का हिस्सा अभी भी लगभग 60% है, जिसके कारण लागत में वृद्धि होती है और पर्यावरण पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। 
      • रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्ग जैसे अधिक दक्ष साधनों की ओर  स्थित्यंरण धीमा रहा है।
    • भारतीय रेलवे ने माल परिवहन में अपनी हिस्सेदारी में उल्लेखनीय गिरावट देखी है, जो वर्ष 1951 में 85% से घटकर वर्ष 2022 में 30% से भी कम हो गई है।
      • समर्पित माल गलियारा (DFC) परियोजना में विलंब हो रहा है।
      • प्रभावी बहुविध समेकन का अभाव समग्र रसद दक्षता और लागत को प्रभावित करता रहता है।

  • साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण: जैसे-जैसे रसद क्षेत्र तेज़ी से डिजिटल होता जा रहा है, साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण महत्त्वपूर्ण चिंता के रूप में उभरे हैं। 
    • कई रसद कंपनियों, विशेषकर लघु एवं मध्यम उद्यमों में सुदृढ़ साइबर सुरक्षा उपायों का अभाव है। 
    • रसद परिचालन में IoT उपकरणों और क्लाउड-आधारित प्रणालियों के बढ़ते समेकन के साथ, साइबर खतरों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ गई है, जिससे इस क्षेत्र के डिजिटल परिवर्तन प्रयासों के लिये एक महत्त्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न हो गया है।

भारत के रसद क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं? 

  • आधारिक संरचना के विकास में त्वरण: प्रमुख आधारिक संरचना परियोजनाओं को प्राथमिकता देना तथा तेज़ी से पूरा करना, विशेष रूप से उन परियोजनाओं को जो बहुविध संयोजकता में सुधार लाने के उद्देश्य से हैं।
    • प्रमुख आर्थिक केंद्रों और पत्तनों तक अंतिम सीमा तक संयोजकता पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। उदाहरण के लिये, समर्पित माल ढुलाई गलियारा (DFC) के निर्माण कार्य में तेज़ी लाई जा सकती है।
    • नहर विकास  जैसी सभी प्रमुख रसद अवसंरचना परियोजनाओं के लिये पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के समान परियोजना निगरानी प्रणाली कार्यान्वित किया जा सकता है।
      • इसका एक हालिया उदाहरण मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक है, जो जनवरी 2024 में पूरा हो जाएगा, जिससे यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा और जवाहरलाल नेहरू पत्तन से संयोजकता में सुधार होगा।
      • इस तरह के केंद्रित आधारिक संरचना के विकास से रसद दक्षता में नाटकीय रूप से सुधार हो सकता है।
  • विनियामक प्रक्रियाओं का धारारेखन: सभी राज्यों में रसद-संबंधी अनुमोदन के लिये  एकल-खिड़की मंजूरी प्रणाली को कार्यान्वित किया जा सकता है।
    • एकीकृत राष्ट्रीय बाज़ार निर्मित करने के लिये राज्य-स्तरीय विनियमों में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। भौतिक संपर्क को कम करने और मंजूरी में तेज़ी लाने के लिये सीमा शुल्क में चेहराविहीन मूल्यांकन के कार्यान्वयन में तेज़ी लाई जा सकती है। 
    • उदाहरण के लिये, ई-संचित (ई-स्टोरेज़ और अप्रत्यक्ष कर दस्तावेजों का कम्प्यूटरीकृत संचालन) प्रणाली की सफलता को अग्रेषित किया जा सकता है, जिसने सीमा शुल्क दस्तावेजों को डिजिटल बना दिया है। 
      • अनुपालन भार को काफी कम करने और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनस में सुधार करने के लिये रसद क्षेत्र में सभी नियामक प्रक्रियाओं तक इस डिजिटलीकरण का विस्तार किया जा सकता है।
  • प्रौद्योगिकी अंगीकरण को प्रोत्साहन: कर लाभ और सब्सिडी के माध्यम से  सभी प्रमुख रसद परिचालनों में AI, IoT और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों को अंगीकृत करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है।
    • सभी प्रमुख रसद अभिकर्त्ताओं को सम्मिलित करने के लिये यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) के दायरे का विस्तार किया जा सकता है। प्रमुख परियोजनाओं के लिये सरकारी डेटा और टेस्टबेड तक पहुँच प्रदान करके स्टार्टअप को भारत-विशिष्ट रसद समाधान विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • दक्षता विकास का संवर्द्धन: उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप रसद शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार किया जा सकता है। 
    • उद्योग जगत के अग्रणी लोगों के साथ साझेदारी में अधिक विशिष्ट रसद प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जा सकता है। 
    • अंतिम सीमा तक आपूर्ति करने वाले कर्मियों के लिये प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करने हेतु अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनियों के साथ सहयोग किया जा सकता है।
      • पूरे उद्योग में दक्षता स्तर को मानकीकृत करने के लिये रसद पेशेवरों के लिये एक राष्ट्रीय प्रमाणन कार्यक्रम कार्यान्वित किया जा सकता है।
  • माल-भण्डारण और शीतागार शृंखला  अवसंरचना में सुधार: सामरिक रूप से स्थित आधुनिक माल-भण्डारण के साथ एक राष्ट्रीय वेयरहाउसिंग ग्रिड विकसित किया जा सकता है।
    • वंचित क्षेत्रों में ग्रेड ए गोदामों और शीत भंडारण सुविधाओं के निर्माण के लिये राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान किया जा सकता है। 
    • समग्र भंडारण स्थितियों में सुधार लाने, उन्नयन और आधुनिकीकरण को प्रोत्साहित करने हेतु गोदामों के लिये अनिवार्य गुणवत्ता मानकों को कार्यान्वित किया जा सकता है।
  • बहुविध परिवहन को प्रोत्साहन: परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच निर्बाध स्थानांतरण की सुविधा के लिये  प्रमुख स्थानों पर समेकित बहुविध रसद उद्यान (IMLP) का विकास किया जा सकता है।
    • माल को सड़क मार्ग से हटाकर रेल और अंतर्देशीय जलमार्ग जैसे अधिक दक्ष साधनों पर स्थानांतरित करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिये, भारतमाला परियोजना के अंतर्गत नियोजित 35 बहुविध रसद उद्यानों के विकास में तीव्रता लाई जा सकती है।
      • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से बहुविध आधारिक संरचना के विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • साइबर सुरक्षा उपायों का संवर्द्धन: रसद कंपनियों के लिये क्षेत्र-विशिष्ट साइबर सुरक्षा दिशानिर्देश का विकास किया जा सकता है। संवेदनशील डेटा को संधारित करने वाली रसद सेवा प्रदाताओं के लिये नियमित साइबर सुरक्षा ऑडिट को अनिवार्य बनाया जा सकता है। 
    • उद्योग के विशिष्ट साइबर खतरों से निपटने के लिये रसद क्षेत्र कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (L-CERT) की स्थापना की जा सकती है।
    • रसद साइबर सुरक्षा के लिये एक समर्पित कार्यक्रम बनाया जा सकता है, लघु और मध्यम रसद उद्यमों के लिये रियायती सुरक्षा आकलन और उपकरण प्रदान किया जा सकता है।
  • हरित रसद को प्रोत्साहन: उत्सर्जन में कमी को प्रोत्साहित करने के लिये रसद क्षेत्र के लिये विशिष्ट  कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग प्रणाली को शुरू किया जा सकता है।
    • हरित रसद प्रौद्योगिकियों में निवेश करने वाली कंपनियों को कर में छूट प्रदान किया जा सकता है। 
    • हरित राजमार्ग नीति के अंतर्गत कम उत्सर्जन वाले वाहनों के लिये समर्पित आधारिक संरचना के साथ माल ढुलाई के लिये हरित बहुविध गलियारे का विकास किया जा सकता है।
    • राष्ट्रीय हरित रसद प्रमाणन कार्यक्रम का कार्यान्वयन करते हुए उन कंपनियों को मान्यता और पुरस्कृत किया जा सकता है जो अपने कार्बन पदचिह्न में महत्त्वपूर्ण कमी को प्रदर्शित करती हैं।

निष्कर्ष:

भारत का रसद क्षेत्र सरकारी पहलों, आधारिक संरचना के विकास और वर्द्धित प्रौद्योगिकी अंगीकरण से प्रेरित होकर सुदृढ़ विकास पथ पर है। बहुविध परिवहन, डिजिटलीकरण और हरित रसद पर ध्यान केंद्रित करके, भारत दक्षता में सुधार कर सकता है, लागत कम कर सकता है और अपने रसद उद्योग को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी बना सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

भारत के रसद क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कीजिये तथा दक्षता में सुधार और लागत में कमी लाने में आधारिक संरचना के विकास एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डालिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत् वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

Q. गति-शक्ति योजना को संयोजकता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार और निजी क्षेत्र के मध्य सतर्क समन्वय की आवश्यकता है। विवेचना कीजिये। (2022)

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