एडिटोरियल (18 Nov, 2024)



AI और DPI के साथ शासन में बदलाव

यह संपादकीय 18/11/2024 को ‘द इंडिया एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “It’s time for the age of GovAI — reimagining governance with AI”  पर आधारित है। लेख में बताया गया है कि किस प्रकार डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) और GovAI जैसी पहलों से प्रेरित भारत का डिजिटल परिवर्तन, दक्षता बढ़ाने, सार्वजनिक प्रभाव बढ़ाने एवं अधिक नागरिक-केंद्रित प्रणाली बनाने के लिये AI का प्रयोग करके शासन को नया रूप दे रहा है। व्यापक डेटा संसाधनों और तेज़ी से बढ़ते डिजिटल परिदृश्य के साथ, भारत AI-संचालित शासन में विश्व स्तर पर अग्रणी होने के लिये तैयार है।

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), आधार, UPI, डिजीलॉकर, नेशनल डेटा एंड एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म (NDAP), लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM), टेलीमेडिसिन, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मशीन लर्निंग (ML), ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI), डेटा सेंटर, सुपर कंप्यूटर, युवाओं के लिये उत्तरदायी AI, INDIAai मिशन, INDIAai फ्यूचर स्किल्स, यूएस-इंडिया AI इनिशिएटिव, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF), क्लाउड कंप्यूटिंग, EU आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्ट 

मेन्स के लिये:

डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्त्व।

पिछले दशक ने भारत को प्रौद्योगिकी-संचालित शासन में वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में बदल दिया है, जिसकी पहचान पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) में अग्रणी के रूप में हुई है। शासन एक ऐसी प्रणाली के रूप में विकसित हुआ है जो सीधे नागरिकों की सेवा प्रदान करने के साथ-साथ दक्षता, पारदर्शिता और प्रभाव सुनिश्चित करता है। 90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़े हुए हैं और बड़े पैमाने पर डेटासेट तैयार कर रहे हैं, DPI में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एकीकरण शासन को पुनः परिभाषित करने की अपार क्षमता रखता है। 

AI क्या है और DPI का लाभ उठाने में इसका अनुप्रयोग क्या है? 

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उन प्रणालियों को संदर्भित करती है जो मानव संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं, जैसे लर्निंग, रीज़निंग और डिसिज़न मेकिंग का प्रतिरूपण करने में सक्षम हैं। 
  • भारतीय DPI को प्रोत्साहन: भारत में आधार, UPI और डिजीलॉकर जैसे AI-सक्षम DPI प्लेटफॉर्मों ने शासन में क्रांति ला दी है। 
    • ये प्लेटफॉर्म बहुभाषी AI प्रणालियों को एकीकृत करते हैं, जिससे भारत की विविध आबादी के लिये पहुँच सुनिश्चित होती है। 
    • AI बेहतर नियोजन और नागरिकों के साथ रियल टाइम इंगेजमेंट के लिये पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण का भी समर्थन करता है, जिससे शासन अधिक समावेशी बनता है।
  • GovAI द्वारा शासन में क्रांति: GovAI या शासन में AI, दक्षता, पारदर्शिता और नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण सुनिश्चित करता है। 
    • यह राजस्व संग्रहण को सुव्यवस्थित करता है, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की निगरानी करता है तथा आपदा प्रबंधन को अनुकूलित करता है। 
    • उदाहरण के लिये, सार्वजनिक राजस्व प्रबंधन में AI कर चोरी के पैटर्न की पहचान करता है तथा अनुपालन प्रक्रियाओं में तेज़ी सुनिश्चित करता है।
  • उद्योगों में परिवर्तन: AI स्वचालन को बढ़ावा देता है, परिशुद्धता में सुधार करता है और उद्योगों में दक्षता बढ़ाता है।
    • स्वास्थ्य सेवा में, AI उपकरण बीमारियों का पूर्वानुमान कर उपचार को वैयक्तिकृत करता है। कृषि में, AI फसल के स्वास्थ्य और मौसम के पैटर्न के बारे में पूर्वानुमानात्मक जानकारी प्रदान करता है। 
    • इसी प्रकार, शिक्षा और परिवहन को AI-संचालित नवाचारों से लाभ मिलता है, जो पहुँच एवं सेवा वितरण में सुधार करते हैं।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) क्या है?

  • DPI के बारे में: DPI मूलभूत डिजिटल प्लेटफॉर्म को संदर्भित करता है, जैसे कि डिजिटल पहचान प्रणाली, भुगतान अवसंरचना और डेटा एक्सचेंज सॉल्यूशन, जो आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं। ये प्रणालियाँ डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देती हैं, नागरिकों को सशक्त बनाती हैं और महत्त्वपूर्ण सेवाओं तक पहुँच को सक्षम करके उनके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती हैं।
  • DPI पारिस्थितिकी तंत्र के घटक: DPI लोगों, धन और सूचना के प्रवाह को सुगम बनाते हैं तथा एक प्रभावी पारिस्थितिकी तंत्र का आधार बनते हैं:
    • डिजिटल पहचान प्रणालियाँ सत्यापित डिजिटल ID प्रदान करके लोगों के निर्बाध आवागमन को सुनिश्चित करती हैं।
    • वास्तविक समय भुगतान प्रणालियाँ तीव्र, कुशल और सुरक्षित धन अंतरण को सक्षम बनाती हैं।
    • सहमति-आधारित डेटा साझाकरण प्रणालियाँ व्यक्तियों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी को नियंत्रित करने का अधिकार देती हैं, जिससे डेटा सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए DPI के पूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं।

शासन व्यवस्था के परिवर्तन में AI क्या भूमिका निभा सकता है?

  • सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार: AI नियमित कार्यों को स्वचालित करता है, जिससे अकुशलताएँ और मानवीय त्रुटियाँ कम होती हैं। 
    • उदाहरण के लिये, डिजिलॉकर जैसे प्लेटफॉर्म क्रेडेंशियलिंग को सुव्यवस्थित करते हैं, जबकि AI द्वारा संचालित चैटबॉट नागरिकों को रियल टाइम सहायता प्रदान करते हैं। 
    • इससे नागरिकों की सहभागिता बढ़ी है, विशेष रूप से दूर-दराज़ के क्षेत्रों में तथा यह सुनिश्चित हुआ है कि सरकारी सेवाएँ सभी के लिये सुलभ हों।
  • डाटा-संचालित नीति-निर्माण: AI रुझानों की पहचान करने और परिणामों का पूर्वानुमान करने के लिये बड़े डेटासेट की एनालिसिस करके साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण को सक्षम बनाता है।
    • उदाहरण के लिये, नेशनल डेटा एंड एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म (NDAP) सुलभ, उच्च गुणवत्ता वाले सार्वजनिक क्षेत्र के डाटा प्रदान करके AI-संचालित शासन को बढ़ा सकता है। 
    • यह डाटा पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण, साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण और बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण के लिये AI मॉडल को बढ़ावा दे सकता है, जिससे सरकारी क्षेत्रों में अधिक पारदर्शी, कुशल एवं डेटा-संचालित निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
  • AI समावेशी और बहुभाषी शासन को सशक्त बनाता है: लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) और बहुभाषी AI प्रणालियाँ नागरिकों को भाषाई बाधाओं को तोड़ते हुए क्षेत्रीय भाषाओं में सेवाओं तक पहुँचने में सक्षम बनाती हैं।
    • इससे शासन में समावेशिता सुनिश्चित होती है, सीमांत समुदायों को सशक्त बनाया जाता है। उदाहरण के लिये, DPI में AI को एकीकृत करने से यह सुनिश्चित होता है कि CoWIN जैसे प्लेटफॉर्म विविध भाषाई आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा में अभूतपूर्व नवाचार: स्वास्थ्य सेवा में AI टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्मों को सक्षम करके वितरण और पहुँच में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, जो सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में भी व्यक्तिगत स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) और IIT कानपुर ने स्वास्थ्य सेवा में AI को आगे बढ़ाने के लिये आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • इस सहयोग का उद्देश्य AI-संचालित स्वास्थ्य अनुसंधान के लिये एक डिजिटल सार्वजनिक वस्तु मंच विकसित करना है, जिससे AI मॉडलों की तुलना और सत्यापन संभव हो सके।
  • AI कृषि और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाता है: AI मौसम के पैटर्न, कीट प्रबंधन और संसाधन आवंटन के लिये पूर्वानुमानित जानकारी प्रदान करता है, जिससे किसानों को लाभ होता है। उदाहरण: AI स्टार्टअप फसल असंगत मौसम हेतु पहले से तैयारी करने के लिये 14-दिन का माइक्रो-क्लाइमैटिक पूर्वानुमान प्रदान करता है।
    • यह जल और उर्वरक जैसे इनपुट का अनुकूलन करके परिशुद्ध कृषि को समर्थन प्रदान करता है, साथ ही प्रौद्योगिकी तक पहुँच में शहरी-ग्रामीण अंतर को कम करता है।
    • उदाहरण के लिये, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना परियोजना हेतु फसल कटाई प्रयोग को अनुकूलित करने के लिये केंद्र सरकार ने क्रॉपइन से AI और मशीन लर्निंग (ML) संचालित डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया।
  • AI राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को बढ़ाता है: AI का रियल टाइम एनालिसिस खतरों का पूर्वानुमान, डेटा की मॉनिटरिंग और खुफिया जानकारी का विश्लेषण करके साइबर सुरक्षा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाता है, जिससे तेज़ी से प्रतिक्रिया समय सुनिश्चित होता है।
    • AI असम में राहत ऐप जैसी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से पूर्वानुमान, प्रतिक्रिया और रोकथाम को बढ़ाकर भारत में बाढ़ प्रबंधन को बेहतर कर रहा है, जो विशेष रूप से दूर-दराज़ के क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी, निकासी, खोज और बचाव तथा संसाधन वितरण की सुविधा प्रदान करता है।
  • AI द्वारा आर्थिक विकास में तेज़ी: भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेज़ी से विस्तारित हुआ है, अब यहाँ 100,000 से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें से कई अत्याधुनिक AI नवाचारों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 
    • INDIAai इनोवेशन सेंटर इन स्टार्टअप्स को संसाधन, प्रशिक्षण और विशेष रूप से शासन एवं सार्वजनिक क्षेत्र की चुनौतियों के लिये डिज़ाइन किये गए AI मॉडल विकसित करने हेतु एक मंच प्रदान करते हुए पोषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से, सरकार वित्तपोषण, बुनियादी अवसंरचना और सहयोगात्मक समर्थन पेश करके इस नवाचार को बढ़ाती है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में AI सॉल्यूशन के विकास एवं तैनाती में तेज़ी आती है।
  • भारत का AI नेतृत्व: ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) के अध्यक्ष के रूप में, भारत ज़िम्मेदार AI शासन को बढ़ावा देता है। 
    • INDIAai जैसी पहलों के माध्यम से, देश एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देता है जो स्केलेबल, नैतिक और समावेशी है, जो वैश्विक AI कार्यान्वयन के लिये एक मॉडल के रूप में कार्य करता है।

शासन में AI एकीकरण की चुनौतियाँ क्या हैं?

  • डेटा फ्रैगमेंटेशन: भारत के विखंडित और असंगत डेटासेट AI प्रभावशीलता के लिये बड़ी चुनौतियाँ पेश करते हैं, क्योंकि उच्च गुणवत्ता वाले, मानकीकृत डेटा AI प्रणालियों के लर्निंग, अनुकूलन और सटीक पूर्वानुमान के लिये आवश्यक हैं।
    • हालाँकि भारत में डेटा प्रायः विभिन्न सरकारी विभागों, एजेंसियों और निजी संस्थाओं के बीच एकत्रित रहता है, जिसके कारण इनकी पुनरावृत्ति, अंतराल तथा असंगतियाँ उत्पन्न होती हैं।
    • एकीकृत और संरचित डेटासेट की कमी AI दक्षता में बाधा डालती है, सटीकता तथा विश्वसनीयता को कम करती है, साथ ही गोपनीयता संबंधी चिंताएँ भी बढ़ाती है क्योंकि खंडित डेटा में दुरुपयोग के प्रति पर्याप्त सुरक्षा एवं सुरक्षा उपायों का अभाव हो सकता है।
  • बुनियादी अवसंरचना की कमी और सीमित मापनीयता: प्रभावी AI परिनियोजन के लिये सुदृढ़ कंप्यूटेशनल बुनियादी अवसंरचना आवश्यक है, लेकिन INDIAai कंप्यूट क्षमता जैसे प्रयासों के बावजूद, ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों को अभी भी सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी, डेटा भंडारण एवं कंप्यूटिंग संसाधनों के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • जबकि शहरी केंद्र उन्नत AI क्षमताओं से लाभान्वित होते हैं, ग्रामीण क्षेत्र बुनियादी अवसंरचना के साथ संघर्ष करते हैं, जिससे एक डिजिटल डिवाइड उत्पन्न होता है जो बड़ी आबादी को AI-सक्षम शासन से बाहर कर देता है।
    • इसके अतिरिक्त, AI प्रणालियों को निरंतर विद्युत ऊर्जा और कनेक्टिविटी की आवश्यकता होती है, जो प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त होती है, जिससे उनकी मापनीयता सीमित हो जाती है।
    • डेटा सेंटर और सुपर कंप्यूटर जैसे AI बुनियादी अवसंरचना का निर्माण एवं प्रबंधन पूंजी-गहन है जो दीर्घकालिक निवेश की मांग करता है।
  • नियामक ढाँचा: भारत में वर्तमान में AI शासन के लिये व्यापक नियामक ढाँचे का अभाव है, जिससे अनिश्चितता और संभावित दुरुपयोग की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
    • नैतिक AI परिनियोजन, डेटा गोपनीयता और AI-संचालित निर्णयों के जवाबदेही हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देशों की कमी, AI प्रणालियों के तेज़ी से विकास के साथ मिलकर पारंपरिक नियामक दृष्टिकोणों को चुनौती देती है तथा प्रवर्तन को जटिल बनाती है।
  • कौशल अंतराल: भारत के कार्यबल के एक बड़े हिस्से में AI प्रणालियों को प्रभावी ढंग से विकसित करने, प्रबंधित करने और उपयोग करने के लिये आवश्यक कौशल का अभाव है, जिससे AI प्रतिभा की बढ़ती मांग तथा उपलब्ध कार्यबल के बीच अंतर बढ़ता जा रहा है।
    • यह अंतर अकादमिक प्रशिक्षण एवं उद्योग की ज़रूरतों के बीच विसंगति के कारण और भी बदतर हो गया है, साथ ही उन्नत मॉडलों को डिज़ाइन करने व उन्हें शासन प्रणालियों में एकीकृत करने के लिये AI विशेषज्ञों की कमी भी है।
    • युवाओं के लिये उत्तरदायी AI जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य इस समस्या का समाधान करना है, लेकिन विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में इसकी पहुँच असमान बनी हुई है।
  • उच्च लागत और संसाधन आवंटन चुनौतियाँ: AI विकास संसाधन-गहन है, प्रतिभा, बुनियादी अवसंरचना और अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण निवेश की मांग करता है, जबकि लागत दक्षता के साथ स्केलेबिलिटी को संतुलित करना एक सतत् चुनौती बनी हुई है।
    • सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं और डेटा एनोटेशन केंद्रों सहित AIबुनियादी अवसंरचना की स्थापना के लिये महत्त्वपूर्ण प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता होती है, जबकि AI सिस्टम को बनाए रखने के लिये डेटा संग्रह, मॉडल अपडेट और साइबर सुरक्षा के लिये निरंतर लागतें लगती हैं। 
    • छोटे राज्यों और क्षेत्रों को प्रायः वित्तीय असमानताओं का सामना करना पड़ता है, जिससे AI में निवेश करने की उनकी क्षमता सीमित हो जाती है और देश भर में इसे अपनाने में असमानताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • साइबर सुरक्षा: यह शासन के लिये AI एकीकरण में एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है, क्योंकि AI सिस्टम साइबर हमलों, डेटा उल्लंघनों और दुर्भावनापूर्ण हेरफेर के लिये अतिसंवेदनशील हो सकते हैं।
    • ये जोखिम डेटा इंटीग्रिटी, गोपनीयता और डिजिटल गवर्नेंस बुनियादी अवसंरचना एवं सेवा सुरक्षा को खतरा पहुँचाते हैं।
  • नैतिक पूर्वाग्रह: AI प्रणालियाँ उतनी ही निष्पक्ष होती हैं, जितना कि वे जिस डेटा पर प्रशिक्षित होती हैं; शासन में, पक्षपाती डेटासेट भेदभावपूर्ण परिणामों को उत्पन्न कर सकते हैं, कमज़ोर आबादी को हाशिये पर डाल सकते हैं और कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिये, कल्याण वितरण में पक्षपाती AI प्रणालियाँ डेटा में अंतर्निहित ऐतिहासिक असमानताओं के आधार पर कुछ समूहों को प्राथमिकता दे सकती हैं, जबकि अन्य को बाहर कर सकती हैं।
    • AI प्रणालियों की ‘ब्लैक बॉक्स’ प्रकृति जहाँ निर्णयों के पीछे तर्क पारदर्शी नहीं है, विश्वास को खत्म करती है और जवाबदेही को कठिन बनाती है। 
    • नागरिकों और नीति-निर्माताओं को AI-जनित निर्णयों को मान्य करने या चुनौती देने में कठिनाई हो सकती है और यदि पूर्वाग्रहों का समाधान नहीं किया जाता है, तो AI प्रणालीगत असमानताओं को कम करने के बजाय उन्हें और बढ़ा सकता है।

AI एडैप्टीबिलिटी को बढ़ावा देने के लिये सरकार की क्या पहल हैं?

  • INDIAai मिशन: 10,300 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ, INDIAai मिशन कंप्यूटिंग क्षमता, नवाचार केंद्र और डेटासेट प्लेटफॉर्म विकसित करने पर केंद्रित है। 
    • स्वदेशी AI मॉडल का विकास भारत की आवश्यकताओं के साथ मापनीयता और संरेखण सुनिश्चित करता है।
  • DPI प्लेटफॉर्म AI का लाभ उठाते हैं: आधार, यूपीआई और डिजीलॉकर सहित भारत के DPI प्लेटफॉर्म निर्बाध शासन के लिये AI को एकीकृत करते हैं। 
    • CoWIN का राष्ट्रीय टीकाकरण प्रबंधन उपकरण में रूपांतरण सार्वजनिक सेवा वितरण में AI की अनुकूलन क्षमता को दर्शाता है।
  • नैतिक AI फ्रेमवर्क: सुरक्षित और विश्वसनीय AI जैसी पहल AI के नैतिक, पारदर्शी और जवाबदेह प्रयोग को प्राथमिकता देती है, AI-संचालित शासन में विश्वास का निर्माण करते हुए निष्पक्षता, गोपनीयता एवं समावेशिता सुनिश्चित करती है तथा पूर्वाग्रह व दुरुपयोग के जोखिम को कम करती है।
    • यूनेस्को-MeitY AI रेडीनेस असेसमेंट मेथोडोलॉजी (RAM) जैसे सहयोग AI शासन को वैश्विक नैतिक मानकों के साथ संरेखित करते हैं, जिससे पारदर्शिता और विश्वास सुनिश्चित होता है।
  • कौशल विकास कार्यक्रम पहुँच का विस्तार करते हैं: युवाओं के लिये उत्तरदायी AI और INDIAai फ्यूचर स्किल्स जैसे कार्यक्रम विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल अंतराल को कम करने पर केंद्रित हैं। 
    • ये पहल AI शिक्षा तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाती हैं तथा AI क्रांति के लिये सुसज्जित कार्यबल को बढ़ावा देती हैं।
  • नवप्रवर्तन को सुदृढ़ करने के लिये अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र: नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। 
    • यह उपागम भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप AI सॉल्यूशन के विकास और क्रियान्वयन को गति प्रदान करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियाँ: यूएस-इंडिया AI इनिशिएटिव स्वास्थ्य सेवा और कृषि जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में AI अनुप्रयोगों की खोज करती है। 
    • तेलंगाना के एप्लाइड AI रिसर्च सेंटर जैसे क्षेत्रीय प्रयास गतिशीलता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में स्थानीय चुनौतियों का समाधान करते हैं।

शासन में AI का लाभ उठाने के लिये आगे की राह क्या होनी चाहिये?

  • कंप्यूटेशनल बुनियादी अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण: क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा सेंटर और वितरित नेटवर्क में निवेश किये जाने चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि AI सिस्टम बढ़ती मांगों को पूरा कर सके। 
    • विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी और कंप्यूटेशनल संसाधनों को बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी चाहिये, ग्रामीण-शहरी डिजिटल डिवाइड को कम करना चाहिये।
  • व्यापक AI नीतियाँ लागू करना: भारत को नैतिक तैनाती सुनिश्चित करने के लिये AI प्रणालियों में पारदर्शिता, पूर्वाग्रह शमन और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाले व्यापक कानून स्थापित किये जाने चाहिये।
    • घरेलू नीतियों को EU आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्ट जैसे वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करने से भारत की रूपरेखा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बन सकेगी।
  • AI शिक्षा का लोकतंत्रीकरण: ग्रामीण और सीमांत समुदायों को लक्ष्य करके, वंचित क्षेत्रों में AI प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये INDIAai FutureSkills जैसी पहलों का विस्तार किया जाना चाहिये।
    • विविध सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के शिक्षार्थियों के लिये समावेशिता सुनिश्चित करते हुए, व्यापक शिक्षा प्रदान करने हेतु ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों का उपयोग करना चाहिये।
  • सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देना: ऐसी साझेदारियों को प्रोत्साहित करना चाहिये जहाँ निजी क्षेत्र का नवाचार सार्वजनिक बुनियादी अवसंरचना का पूरक हो तथा शासन के लिये अनुकूलित AI उन्नति को बढ़ावा मिले। 
    • INDIAai कंप्यूट कैपेसिटी जैसे कार्यक्रम ऐसे सहयोगों की सफलता को प्रदर्शित करते हैं तथा नवाचार और लागत दक्षता को बढ़ावा देते हैं।
  • उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट सुनिश्चित करना: विश्वसनीय AI प्रशिक्षण के लिये डेटासेट सटीक, सुलभ और गोपनीयता के अनुरूप हों, यह सुनिश्चित करने के लिये शासन ढाँचे को लागू जाना चाहिये।
    • India Datasets कार्यक्रम जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से खंडित डेटासेट को एकीकृत करना चाहिये, जिससे शासन अनुप्रयोगों के लिये उनकी उपयोगिता बढ़ जाएगी।
    • AI गवर्नेंस में सहमति-आधारित डेटा साझाकरण पारदर्शिता को बढ़ावा एवं गोपनीयता सुनिश्चित करेगा, नागरिकों को सशक्त करेगा तथा विश्वास को बढ़ावा देते हुए, सूचित, डेटा-संचालित नीति निर्माण का समर्थन करते हुए कुशल, व्यक्तिगत सार्वजनिक सेवाओं को सक्षम करेगा।
  • समावेशी AI पारिस्थितिकी तंत्र को प्राथमिकता देना: AI प्रणालियों को क्षेत्रीय भाषाओं में समर्थन प्रदान करके भारत की भाषाई विविधता को समर्थन दिया जाना चाहिये जिससे सभी नागरिकों के लिये पहुँच सुनिश्चित हो सके।
    • सीमांत समुदायों के लिये सामाजिक-आर्थिक विभाजन को कम करने तथा शासन तक समान पहुँच को बढ़ावा देने के लिये उपकरण विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • नीतियों की निगरानी और अनुकूलन: AI नीतियों के नियमित प्रभाव मूल्यांकन के लिये तंत्र स्थापित किया जाना चाहिये और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि वे प्रभावी और प्रासंगिक रहें। 
    • रणनीतियों को परिष्कृत करने, शासन प्रणालियों को विकसित होती तकनीकी और सामाजिक आवश्यकताओं के अनुकूल बनाने के लिये डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि का रियल टाइम उपयोग किया जाना चाहिये।
  • साइबर सुरक्षा बढ़ाना: शासन में AI का लाभ उठाने के लिये साइबर सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता है। 
    • खतरे का रियल टाइम पता लगाने, पूर्वानुमान विश्लेषण और स्वचालित प्रतिक्रियाओं के लिये AI-संचालित सॉल्यूशन को लागू करके, भारत अपने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी अवसंरचना (DPI) को सुदृढ़ कर सकता है, महत्त्वपूर्ण डेटा की सुरक्षा कर सकता है और राष्ट्रीय सुरक्षा में सुधार कर सकता है, जिससे सुरक्षित तथा कुशल सेवा वितरण सुनिश्चित हो सके।

यूरोपीय संघ के AI अधिनियम से भारत क्या सीख सकता है? 

  • जोखिम-आधारित दृष्टिकोण: यूरोपीय संघ का AI अधिनियम AI प्रणालियों को उनके संभावित जोखिम के आधार पर श्रेणियों में वर्गीकृत करता है तथा स्वास्थ्य सेवा और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे जैसे उच्च जोखिम वाले अनुप्रयोगों पर सख्त नियम लागू करता है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: यह अनिवार्य करता है कि AI प्रणालियाँ पारदर्शी हों, जिसमें निर्णय किस प्रकार किये जाते हैं, इसकी स्पष्ट व्याख्या हो और डेवलपर्स एवं उपयोगकर्त्ताओं के लिये जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: यह अधिनियम सख्त डेटा सुरक्षा आवश्यकताओं को लागू करता है, AI प्रौद्योगिकियों को लागू करते समय गोपनीयता और व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा पर बल देता है।

निष्कर्ष 

GovAI भारत की डिजिटल गवर्नेंस यात्रा में अगला मोर्चा है, जो शासन को लक्षित, समावेशी और कुशल बनाने के लिये AI का लाभ उठाता है। DPI को AI के साथ जोड़कर, भारत एक वैश्विक मिसाल कायम कर सकता है, यह प्रदर्शित करते हुए कि प्रौद्योगिकी सार्वजनिक प्रशासन को किस प्रकार बदल देती है। GPAI के अध्यक्ष के रूप में, विश्वसनीय भागीदारी में भारत का नेतृत्व यह सुनिश्चित करेगा कि AI के संभावित लाभों को वैश्विक स्तर पर साझा किया जाए, जिससे शासन AI के लिये किलर ऐप बन जाए और तकनीक-संचालित ट्रेलब्लेज़र के रूप में देश की भूमिका सुदृढ़ हो।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. GovAI के माध्यम से डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) और AI का एकीकरण भारत में सार्वजनिक सेवा वितरण को किस प्रकार बेहतर बना सकता है और इससे क्या चुनौतियाँ एवं अवसर सामने आते हैं?

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत में, "पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर" (Public Key Infrastructure) पदबंध किसके प्रसंग में प्रयुक्त किया जाता है ?  (2020)

(a) डिजिटल सुरक्षा आधारभूत संरचना
(b) खाद्य सुरक्षा आधारभूत संरचना
(c) स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा आधारभूत संरचना
(d) दूरसंचार और परिवहन आधारभूत संरचना

उत्तर: (a)


मेन्स

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेन्स को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचन कीजिये। (उत्तर 150 शब्दों में दीजिये)   2020