जयपुर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 7 अक्तूबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

प्रथम कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय AI संधि

  • 11 Sep 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), यूरोपीय संघ, जैव विविधता पर अभिसमय

मेन्स के लिये:

यूरोप के AI अभिसमय के संदर्भ में मुख्य तथ्य।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

काउंसिल ऑफ यूरोप के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ के सदस्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर प्रथम कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय AI संधि पर हस्ताक्षर करने में सक्षम होंगे।

काउंसिल ऑफ यूरोप (COE)

  • काउंसिल ऑफ यूरोप (COE) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1949 में हुई थी और इसका मुख्यालय स्ट्रासबर्ग, फ्राँस में स्थित है।
  • यह यूरोपीय संघ (EU) से अलग है और इसमें अधिकांश यूरोपीय देशों सहित 46 सदस्य देश शामिल हैं।
  • COE का प्राथमिक मिशन अपने सदस्य देशों में लोकतंत्र, मानवाधिकारों और विधि के शासन को बनाए रखना तथा उसे बढ़ावा देना है।

AI अभिसमय के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मानवाधिकार, लोकतंत्र एवं कानून के शासन पर फ्रेमवर्क अभिसमय (The Framework Convention on Artificial Intelligence and Human Rights, Democracy, and the Rule of Law)", मुख्य रूप से AI प्रणालियों से प्रभावित व्यक्तियों के मानवाधिकारों के संरक्षण पर ज़ोर देता है तथा यूरोपीय संघ के AI अधिनियम से स्वतंत्र रूप से संचालित होता है।
      • यूरोपीय संघ AI अधिनियम यूरोपीय संघ के आंतरिक बाज़ार में AI प्रणालियों के विकास, परिनियोजन और उपयोग को नियंत्रित करने वाले व्यापक नियम स्थापित करता है।
    • AI अभिसमय पर कई वर्षों से कार्य चल रहा था और इसे 57 देशों के बीच विचार-विमर्श के बाद मई 2024 में अपनाया गया।
    • इसका उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े जोखिमों को कम करना है।
  • संधि की शर्तें:
    • मानव-केंद्रित AI: संधि में यह अनिवार्य किया गया है कि AI प्रणालियों को मानवाधिकार सिद्धांतों के अनुरूप विकसित और संचालित किया जाना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन एवं संरक्षण करते हैं।
    • पारदर्शिता और जवाबदेही: इस संधि में प्रावधान है कि AI प्रणालियों, विशेषकर मनुष्यों के साथ अंतःक्रिया करने वाली प्रणालियों को पारदर्शी रूप से संचालित किया जाना चाहिये। 
      • इसमें सरकारों से यह भी अपेक्षा की गई है कि वे AI प्रणालियों द्वारा मानव अधिकारों का उल्लंघन किये जाने पर कानूनी उपाय उपलब्ध कराएँ।
    • जोखिम प्रबंधन और निरीक्षण: यह संधि AI से जुड़े जोखिमों का आकलन और प्रबंधन करने के लिये रूपरेखा स्थापित करती है, साथ ही सुरक्षा एवं नैतिक मानकों का पालन सुनिश्चित करने हेतु निरीक्षण तंत्र भी स्थापित करती है।
    • दुरुपयोग के विरुद्ध संरक्षण: संधि में न्यायिक स्वतंत्रता के संरक्षण और न्याय तक जनता की पहुँच सुनिश्चित करने सहित लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमज़ोर करने हेतु AI के उपयोग को रोकने के लिये सुरक्षा उपाय शामिल किये गए हैं।
  • प्रमुख प्रवर्तन तंत्र:
    • कानूनी जवाबदेही: हस्ताक्षरकर्त्ता देशों को यह सुनिश्चित करने के लिये विधायी और प्रशासनिक उपाय करने की आवश्यकता है कि AI प्रणालियाँ संधि के सिद्धांतों जैसे मानव अधिकारों तथा AI परिनियोजन में जवाबदेही का पालन करें।
    • निगरानी और निरीक्षण: संधि AI मानकों के अनुपालन की निगरानी के लिये निरीक्षण तंत्र स्थापित करती है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह संधि AI मानकों में सामंजस्य स्थापित करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और AI प्रौद्योगिकियों की वैश्विक प्रकृति को मान्यता देते हुए अंतर्राष्ट्रीय AI मुद्दों को हल करने के लिये हस्ताक्षरकर्त्ताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है।
    • अनुकूलनशीलता: इस ढाँचे को प्रौद्योगिकी-तटस्थ रहने हेतु विकसित किया गया है, जिससे यह AI में प्रगति के साथ-साथ विकसित हो सके तथा यह सुनिश्चित हो सके कि AI प्रौद्योगिकियों की तीव्र प्रगति के बावजूद मानक प्रासंगिक और लागू करने योग्य बने रहें।
  • संधि में अपवाद: यह संधि राष्ट्रीय सुरक्षा या रक्षा में प्रयुक्त होने वाली प्रणालियों को छोड़कर सभी AI प्रणालियों पर लागू होती है, हालाँकि इसमें अभी भी यह अपेक्षा की गई है कि ये गतिविधियाँ अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का सम्मान करें।

AI अभिसमय का महत्त्व क्या है?

  • व्यापक प्रारूपण: संधि का मसौदा सावधानीपूर्वक तैयार किया गया था, जिसमें AI प्रणालियों के संरचना, विकास, उपयोग और डीकमीशनिंग (decommissioning) के लिये जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाया गया था।
  • व्यापक प्रयोज्यता: यह विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में प्रवर्तन के साथ सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र दोनों में AI प्रणालियों पर लागू होता है।
  • वैश्विक कानूनी मानक: कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर फ्रेमवर्क अभिसमय अपनी तरह की पहली वैश्विक रूप से बाध्यकारी संधि है, जिसे साझा मूल्यों वाले विभिन्न महाद्वीपों के देशों द्वारा समर्थित अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मानक की आवश्यकता को पूरा करने हेतु तैयार किया गया है।
  • नवाचार और जोखिम में संतुलन: संधि का उद्देश्य AI के लाभों का दोहन करते हुए इसके अनुकूल उपयोग को बढ़ावा देना है, साथ ही इससे जुड़े जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम करना है तथा यह सुनिश्चित करना है कि AI का विकास मानव अधिकारों, विधि के शासन और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अनुरूप हो।

AI अभिसमय के मुद्दे और चिंताएँ क्या हैं?

  • प्रवर्तन पर चिंताएँ: "कानूनी रूप से बाध्यकारी" घोषित कर दिये जाने के बावजूद, इस संधि ने दंडात्मक प्रतिबंधों, जैसे कि जुर्माना या दंड के प्रावधानों की कमी के कारण चिंताएँ उत्पन्न की हैं, जो प्रवर्तन के दृष्टिकोण से इसके निवारक प्रभाव को कमज़ोर करता है।
  • निगरानी पर निर्भरता: संधि का अनुपालन मुख्य रूप से "निगरानी" तंत्र के माध्यम से सुनिश्चित किया जाता है, जो संधि के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु पर्याप्त नहीं हो सकता है।
  • विनियमन और नवाचार को संतुलित करना: कड़े विनियमन और नवाचार को बढ़ावा देने के बीच सही संतुलन बनाना एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय है। अत्यधिक विनियामक बोझ AI प्रौद्योगिकियों के विकास को बाधित कर सकता है, विशेष रूप से लघु एवं मध्यम उद्यमों (SME) और स्टार्ट-अप के लिये, जिससे वैश्विक AI बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धात्मकता प्रभावित हो सकती है।
  • राष्ट्रीय संप्रभुता बनाम अंतर्राष्ट्रीय मानक: संधि के प्रावधान राष्ट्रीय कानूनों के साथ टकराव उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे राज्य संप्रभुता के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का समाधान: सम्मेलन राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के साथ AI शासन को संतुलित करने का प्रयास करता है, जबकि रक्षा और खुफिया गतिविधियों के साथ AI का प्रतिच्छेदन चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा रहा है, जबकि नैतिक AI प्रथाओं को बनाए रखने के लिये एक संतुलन अधिनियम की आवश्यकता है, जिसे हासिल करने के लिये इस संधि को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

“आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मानवाधिकार, लोकतंत्र तथा कानून के शासन पर फ्रेमवर्क अभिसमय” आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वैश्विक शासन में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति को चिह्नित करता है। AI, मानवाधिकार, लोकतंत्र और विधि के शासन के बीच महत्त्वपूर्ण अंतरसंबंधों को शामिल करके, यह वर्तमान नियामक संरचनाओं में एक महत्त्वपूर्ण कमी का समाधान करता है। राष्ट्रीय सुरक्षा विचारों के प्रावधानों सहित इसका व्यापक दायरा ज़िम्मेदार AI शासन के लिये एक बेंचमार्क स्थापित करता है, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है एवं ऐसे मानक निर्धारित करता है, जो क्षेत्रीय एवं वैश्विक दोनों स्तरों पर प्रतिध्वनित हो सकते हैं।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: ग्लोबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गवर्नेंस शासन के संदर्भ में यूरोप के AI अभिसमय से जुड़े प्रमुख मुद्दों और चिंताओं पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से क्या प्रभावी ढंग से कर सकता है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत को कम करना 
  2.  सार्थक लघु कथाएँ और गीत की रचना 
  3.  रोग निदान 
  4.  टेक्स्ट-टू-स्पीच रूपांतरण 
  5.  विद्युत ऊर्जा का वायरलेस संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2