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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    एज कंप्यूटिंग क्या है? एज कंप्यूटिंग के लाभों पर प्रकाश डालते हुए इसमें निहित संभावित चुनौतियों की चर्चा करें।

    12 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • एज कंप्यूटिंग से आशय क्या है?

    • एज कंप्यूटिंग के लाभ।

    • संभावित चुनौतियां

    विगत कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर एज कंप्यूटिंग के माध्यम से लाखों कंप्यूटर या अन्य मशीनों के जरिये डेटा संचालन का कार्य किया जा रहा है। एज कंप्यूटिंग का सर्वाधिक प्रयोग इंटरनेट ऑफ थिंग्स , रियल टाइम कंप्यूटिंग आदि के लिये किया जा रहा है।

    एज कंप्यूटिंग दो शब्दों एज (Edge) अर्थात् किनारा तथा कंप्यूटिंग अर्थात् संगणना से मिलकर बना है। क्लाउड कंप्यूटिंग के विपरीत एज कंप्यूटिंग के अंतर्गत संगणना संबंधी कार्यों के लिये डेटा का संग्रह डिवाइसेज़ के निकट ही किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक नई नेटवर्किंग प्रणाली है जिसके तहत डेटा स्रोत/सर्वर तथा डेटा प्रोसेसिंग को कंप्यूटिंग प्रक्रिया के निकट लाया जाता है ताकि लेटेंसी और बैंडविड्थ की समस्या को कम किया जा सके और किसी एप्लीकेशन की क्षमता में वृद्धि की जा सके।

    एज कंप्यूटिंग के तहत डेटा सर्वर को स्थानीय स्तर पर लगाने से डेटा का संग्रह तथा उसकी प्रोसेसिंग स्थानीय स्तर पर होती है और केवल आवश्यक डेटा को ही सुदूर स्थित क्लाउड पर भेजा जाता है। इससे जहाँ लेटेंसी कम होती है, वहीं बैंडविड्थ पर अतिरिक्त दबाव भी नहीं पड़ता। एज कंप्यूटिंग को IoT आधारित मशीनों के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए विकसित किया गया है। ये मशीनें क्लाउड से डेटा प्राप्त करने या डेटा के प्रेषण हेतु इंटरनेट पर निर्भर होती हैं। इनमें से अधिकांश अपने कार्यान्वयन के दौरान अत्यधिक मात्रा में डेटा उत्पन्न करती हैं। एज डिवाइसेज़ में विभिन्न मशीनें शामिल हो सकती हैं, जैसे- IoT सेंसर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, सीसीटीवी कैमरा, इंटरनेट से संचालित माइक्रोवेव ओवन या टोस्टर इत्यादि।

    एज कंप्यूटिंग के लाभ:

    • कई कंपनियों के लिये क्लाउड कंप्यूटिंग का प्रयोग महँगा साबित होता है क्योंकि अत्यधिक मात्रा में डेटा संग्रह और बैंडविड्थ के प्रयोग से इसकी लागत बढ़ जाती है। एज कंप्यूटिंग इस मामले में एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
    • एज कंप्यूटिंग का सर्वाधिक लाभ यह है कि यह डेटा की प्रोसेससिंग तथा संग्रह तीव्रता से कर सकता है जिससे यूज़र के लिये आवश्यक रियल-टाइम एप्लीकेशन की दक्षता को बढ़ाया जा सके।
    • उदाहरण के लिये किसी व्यक्ति के चेहरे की पहचान करने वाला स्मार्टफोन क्लाउड कंप्यूटिंग के अंतर्गत फेशियल रिकग्निशन एल्गोरिथम (Facial Recognition Algorithm) हेतु क्लाउड आधारित सेवा का उपयोग करता है जिसमें अधिक समय लगता है। लेकिन एज कंप्यूटिंग के प्रयोग से वह स्मार्टफोन स्वयं में उपस्थित या किसी स्थानीय एज सर्वर के प्रयोग से उस एल्गोरिथम का प्रयोग कर बिना देर किये व्यक्ति की पहचान कर सकता है।
    • एज कंप्यूटिंग के प्रयोग से स्वचालित कारें , स्वचालित निर्माण प्रणाली तथा स्मार्ट सिटी जैसी महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं में मदद मिलेगी।
    • एज कंप्यूटिंग को बढ़ावा देने के लिये कई कंपनियाँ AI की बढ़ती मांग को देखते हुए छोटे चिप के आकार के एज डिवाइसेज़ एवं मॉड्यूल्स (Modules) का निर्माण कर रही हैं जिनका प्रयोग ड्रोन, रोबोट्स या अन्य चिकित्सीय यंत्रों में किया जा सकता है।
    • इनके प्रयोग से इन मशीनों को डेटा प्रोसेसिंग के लिये किसी क्लाउड की आवश्यकता नहीं होगी बल्कि इन एज डिवाइसों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर ही डेटा को प्रोसेस तथा उसका संग्रह किया जा सकता है।
    • मोबाइल क्षेत्र में 5G तकनीकी आने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे एज कंप्यूटिंग के क्षेत्र में तीव्र प्रगति होगी तथा ऑटोमेशन , AI, रियल-टाइम प्रोसेसिंग के लिये अनुकूल माहौल मिलेगा।

    एज कंप्यूटिंग में निहित संभावित चुनौतियाँ:

    • डेटा सुरक्षा के दृष्टिकोण से एज कंप्यूटिंग की विश्वसनीयता पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। विभिन्न मशीनों में अलग-अलग डेटा संग्रह के कारण यह एक केंद्रीकृत अथवा क्लाउड आधारित प्रणाली की तुलना में कम सुरक्षित माना जा रहा है। जैसे वर्तमान में क्लाउड कंप्यूटिंग में डेटा सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मुख्य रूप से गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, अमेज़न आदि उन कंपनियों की है जिनकी विश्वसनीयता अधिक है।
    • इसके अलावा अलग-अलग डिवाइसेज़ में डेटा प्रोसेसिंग के लिये आवश्यक उर्जा, विद्युत और नेटवर्क कनेक्टिविटी की आवश्यकता आदि इसके समक्ष मुख्य चुनौतियाँ हैं।
    • जहाँ एक सामान्य पर्सनल कंप्यूटर में हम सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करते हैं, वहीं एज कंप्यूटिंग में हम केवल उपयोग करते हैं। इसका तात्पर्य है कि एज कंप्यूटिंग में डेटा का नियंत्रण यूज़र के पास न होकर एज डिवाइस के पास होता है जो कि इसकी गोपनीयता तथा सुरक्षा के लिये संदेहास्पद हो सकता है।

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