डेली न्यूज़ (31 Mar, 2022)



भारतीय विदेश मंत्री का श्रीलंका दौरा

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-श्रीलंका संबंध, एशिया डेवलपमेंट बैंक, पाक बे।

मेन्स के लिये:

भारत-श्रीलंका संबंध, नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी, श्रीलंका का लंबे समय से लंबित तमिल विवाद।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने श्रीलंका का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान एक समझौता ज्ञापन को भी अंतिम रूप दिया गया, जिसके तहत भारत को जाफना के तीन द्वीपों (नैनातिवु, डेल्फ्ट या नेदुन्थीवु और एनालाइटिवू) में हाइब्रिड बिजली परियोजनाएँ स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।

  • इस परियोजना के माध्यम से भारत द्वारा चीन के उद्यमों को प्रभावी ढंग से प्रतिस्थापित किया जाएगा।
  • यह श्रीलंका के उत्तर एवं पूर्व में शुरू होने वाली तीसरी भारतीय ऊर्जा परियोजना है।
  • इससे पहले भारत ने श्रीलंका को गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने हेतु 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अल्पकालिक रियायती ऋण दिया था।

sri-lanka

यात्रा संबंधी प्रमुख बिंदु

  • चीन के खतरे से बचाव: जनवरी 2021 में श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने एशियाई विकास बैंक द्वारा समर्थित प्रतिस्पर्द्धी बोली के बाद चीन की कंपनी सिनोसोअर-एटेकविन को नैनातिवु, डेल्फ्ट या नेदुन्थीवु और एनालाइटिवू द्वीपों में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को शुरू करने की मंज़ूरी देने का निर्णय लिया था।
    • इसके पश्चात् भारत ने तमिलनाडु से बमुश्किल 50 किलोमीटर दूर पाक खाड़ी में चीन की परियोजना को लेकर श्रीलंकाई पक्ष के समक्ष चिंता व्यक्त की थी।
    • इस प्रकार भारत ने उसी परियोजना को ऋण के बजाय अनुदान के साथ निष्पादित करने की पेशकश की।
  • समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (MRCC): इसके अलावा भारत और श्रीलंका ने एक ‘समुद्री बचाव समन्वय केंद्र’ (MRCC) स्थापित करने पर भी सहमति व्यक्त की है, जो दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग का संकेत देता है।
    • MRCCs संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो आपात स्थिति में तीव्रता के साथ प्रतिक्रिया देने के उद्देश्य से समुद्री मार्गों की निगरानी करते हैं, इन कार्यों में संकट के दौरान जहाज़ों और लोगों की निकासी तथा तेल रिसाव जैसी पर्यावरणीय आपदाओं की रोकथाम आदि शामिल हैं।
    • यह समझौता हिंद महासागर में भारत की ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास) पहल का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसने भारत, श्रीलंका और मालदीव को अपने वर्ष 2011 के कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन को एक नया रूप देने हेतु प्रेरित किया है, इसमें अब मॉरीशस भी शामिल है।
  • मात्स्यिकी बंदरगाह: भारत प्वाइंट पेड्रो, पेसलाई, उत्तरी प्रांत में गुरुनगर तथा राजधानी कोलंबो के दक्षिण में स्थित बालापिटिया में मात्स्यिकी बंदरगाह विकसित करने में भी मदद करेगा।
  • क्षमता निर्माण: भारत ने शिक्षा क्षेत्र में सहयोग, श्रीलंका की विशिष्ट डिजिटल पहचान परियोजना हेतु अनुदान देने तथा राजनयिक प्रशिक्षण में सहयोग करने का भी आश्वासन दिया है।
  • तमिलों के मुद्दों का समाधान: लंबे समय से लंबित श्रीलंका और तमिलों के मुद्दे के संबंध में भारत ने उत्तरी और पूर्वी श्रीलंका में युद्ध से प्रभावित तमिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे तथा तमिल नेशनल एलायंस (TNA) के बीच हालिया वार्ता का स्वागत किया।

भारत-श्रीलंका संबंधों में हाल के मुद्दे:

  • मछुआरों की हत्या: श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की हत्या दोनों देशों के बीच एक पुराना मुद्दा है।
  • चीन का प्रभाव: श्रीलंका में चीन के तेज़ी से बढ़ते आर्थिक पदचिह्न और प्रभाव के रूप में राजनीतिक दबदबा भारत-श्रीलंका संबंधों को तनावपूर्ण बना रहा है।
    • चीन पहले से ही श्रीलंका में सबसे बड़ा निवेशक है, यह निवेश वर्ष 2010-2019 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का लगभग 23.6% था, जबकि भारत का हिस्सा केवल 10.4 फीसदी है।
    • चीन, श्रीलंकाई सामानों के लिये सबसे बड़े निर्यात स्थलों में से एक है और श्रीलंका के विदेशी ऋण के 10% हेतु उत्तरदायी है।
  • श्रीलंका का 13वाँ संविधान संशोधन:
    • यह एक संयुक्त श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति और सम्मान के लिये तमिल लोगों की उचित मांग को पूरा करने हेतु प्रांतीय परिषदों को आवश्यक शक्तियों के हस्तांतरण की परिकल्पना करता है।

आगे की राह

  • भारत और श्रीलंका के बीच ज़मीनी स्तर पर विश्वास की कमी है फिर भी दोनों देश आपसी संबंधों को खराब करने के पक्ष में नहीं है।
  • हालाँकि एक बड़े देश के रूप में भारत पर श्रीलंका को साथ लेकर चलने की ज़िम्मेदारी है। भारत को धैर्य रखने की ज़रूरत है और उसे किसी भी तनाव पर प्रतिक्रिया करने से बचना होगा।
  • कोलंबो के घरेलू मामलों में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से दूर रहते हुए भारत को अपनी जन-केंद्रित विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • भारत के लिये हिंद महासागर क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को संरक्षित करने हेतु श्रीलंका के साथ ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ (Neighbourhood First Policy) का पोषण करना महत्त्वपूर्ण है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. पिछले दशक में भारत-श्रीलंका व्यापार मूल्य में लगातार वृद्धि हुई है।
  2. "कपड़ा और कपड़े से निर्मित वस्तुएँ" भारत व बांग्लादेश के बीच व्यापार की एक महत्त्वपूर्ण वस्तु है।
  3. नेपाल पिछले पांँच वर्षों में दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश रहा है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • वाणिज्य विभाग के आंँकड़ों के अनुसार, एक दशक (वर्ष 2007 से वर्ष 2016) के लिये भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय व्यापार मूल्य क्रमशः 3.0, 3.4, 2.1, 3.8, 5.2, 4.5, 5.3, 7.0, 6.3, 4.8 (अरब अमरीकी डाॅलर में) था जो व्यापार मूल्य की प्रवृत्ति में निरंतर उतार-चढ़ाव को दर्शाता है। समग्र वृद्धि के बावजूद इसे व्यापार मूल्य में लगातार वृद्धि के रूप में नहीं कहा जा सकता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • निर्यात में 5% से अधिक और आयात में 7% से अधिक की हिस्सेदारी के साथ बांग्लादेश, भारत के लिये एक प्रमुख कपड़ा व्यापार भागीदार देश रहा है। भारत का बांग्लादेश को सालाना कपड़ा निर्यात औसतन 2,000 मिलियन डॉलर और आयात 400 डॉलर (वर्ष 2016-17) का है। अत: कथन 2 सही है।
  • आंँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016-17 में बांग्लादेश, दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश है, इसके बाद नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान और मालदीव का स्थान है। भारतीय निर्यात का स्तर भी इसी क्रम का अनुसरण करता है। अत: कथन 3 सही नहीं है।
  • अतः विकल्प (B) सही है।

स्रोत: द हिंदू


वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़िशन आउटलुक रिपोर्ट-2022

प्रिलिम्स के लिये:

वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़िशन आउटलुक 2022, आईआरईएनए, डीकार्बोनाइज़ेशन, पेरिस समझौता, जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल, नवीकरणीय ऊर्जा, हाइड्रोजन, जलवायु परिवर्तन।

मेन्स के लिये:

वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़िशन आउटलुक 2022 के प्रमुख बिंदु।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी ( International Renewable Energy Agency- IRENA) द्वारा बर्लिन एनर्जी ट्रांज़िशन डायलॉग (Berlin Energy Transition Dialogue-BETD) में वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़िशन आउटलुक 2022 (World Energy Transitions Outlook 2022) को लॉन्च किया गया।

  • बर्लिन एनर्जी ट्रांज़िशन डायलॉग (BETD) ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय मंच बन गया है।

प्रमुख बिंदु

एनर्जी ट्रांज़िशन:

  • एनर्जी ट्रांज़िशन या ऊर्जा संक्रमण को वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र की ऊर्जा उत्पादन और खपत को जीवाश्म-आधारित प्रणालियों जैसे-तेल, प्राकृतिक गैस एवं कोयले को पवन तथा सौर जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों के साथ-साथ लिथियम-आयन बैटरी से प्रतिस्थापित करने के संदर्भ में देखा जाता है।

आउटलुक का उद्देश्य:

  • जारी आउटलुक उपलब्ध प्रौद्योगिकियों के आधार पर उन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और कार्यों को निर्धारित करता है जिन्हें वर्ष 2030 तक प्राप्त किया जाना है ताकि मध्य शताब्दी तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
  • इस आउटलुक में अब तक के सभी ऊर्जा उपयोगों की प्रगति को प्रदर्शित किया गया है, जो दर्शाता है कि नवीकरणीय आधारित ट्रांज़िशन (Renewables-Based Transition) की वर्तमान गति और मापन अपर्याप्त है।
  • यह अंतिम उपयोग क्षेत्रों के डीकार्बोनाइज़ेशन हेतु विशेष रूप से प्रासंगिक दो क्षेत्रों (विद्युतीकरण और बायोएनर्जी) का गहन विश्लेषण प्रदान करता है।
  • यह 1.5 डिग्री सेल्सियस (पेरिस समझौते के तहत) के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का भी निरीक्षण करता है और स्वच्छ ऊर्जा (नवीकरणीय ऊर्जा) तक सार्वभौमिक पहुंँच की दिशा में प्रगति को गति देने के तरीके को भी सुझाता है।

आउटलुक के महत्त्वपूर्ण बिंदु:

  • जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) की अनुशंसा के अनुसार, वर्ष 2030 तक अक्षय ऊर्जा का वैश्विक वार्षिक परिवर्धन तिगुना हो जाएगा।
    • साथ ही कोल पावर को पूरी तरह से परिवर्तित करना होगा, जीवाश्म ईंधन के गुणों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना होगा और बुनियादी ढांँचे को उन्नत करना होगा।
  • आउटलुक विद्युतीकरण और दक्षता को अक्षय ऊर्जा, हाइड्रोजन तथा टिकाऊ बायोमास के माध्यम से सक्षम ऊर्जा ट्रांज़ीशन के प्रमुख चालकों के रूप में देखता है।
  • विद्युतीकरण, हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रत्यक्ष उपयोग के माध्यम से उपलब्ध कई समाधानों के साथ अंतिम उपयोग डीकार्बोनाइज़ेशन केंद्र स्तर पर ले जाएगा।
  • उच्च जीवाश्म ईंधन की कीमतें, ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताएंँ और जलवायु परिवर्तन की तात्कालिकता एक स्वच्छ ऊर्जा प्रणाली में तेज़ी से आगे बढ़ने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।

world-energy-transitions-outlook

सिफारिशें

  • वर्तमान ऊर्जा संकट को संबोधित करने वाले अल्पकालिक हस्तक्षेपों के साथ-साथ ऊर्जा ट्रांज़िशन के मध्य एवं दीर्घकालिक लक्ष्यों पर लगातार ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
  • अक्षय ऊर्जा को सभी क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर बढ़ाना होगा, ताकि कुल ऊर्जा में इसकी हिस्सेदारी 14% से बढ़कर वर्ष 2030 में लगभग 40% तक पहुँच जाए।
  • सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ताओं एवं कार्बन उत्सर्जक को वर्ष 2030 तक सबसे महत्त्वाकांक्षी योजनाओं को लागू करना होगा।
  • सभी देशों को अधिक महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने एवं ऊर्जा दक्षता बढ़ाने तथा नवीकरणीय ऊर्जा की तैनाती के उपायों को लागू करने की आवश्यकता है।
  • 1.5 डिग्री सेल्सियस परिदृश्य को पूरा करने के लिये बिजली क्षेत्र को मध्य शताब्दी तक पूरी तरह से कार्बन मुक्त करना होगा, जिसमें सौर एवं पवन ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा।

अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA):

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे आधिकारिक तौर पर जनवरी 2009 में बॉन, जर्मनी में स्थापित किया गया था।
  • वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 164 हैं और भारत इसका 77वाँ संस्थापक सदस्य देश है।
  • इसका मुख्यालय अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात में स्थित है।

भारत के ऊर्जा ट्रांज़िशन की स्थिति:

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) को वर्ष 2015 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रारंभ किया गया था।
  2. इस गठबंधन में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश शामिल हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) को नवंबर 2015 में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री और फ्राँसीसी राष्ट्रपति द्वारा शुरू किया गया था। अत: कथन 1 सही है।
  • प्रारंभिक चरण में ISA को कर्क रेखा और मकर रेखा (उष्ण क्षेत्र) के बीच पूर्ण या आंशिक रूप से स्थित देशों की सदस्यता हेतु खोल दिया गया था। वर्ष 2018 में ISA की सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिये खोली गई थी। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसके सदस्य नहीं हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


राइट मॉन्स माउंटेन: प्लूटो

प्रिलिम्स के लिये:

प्लूटो, राइट मॉन्स माउंटेन, नासा, आइसी लावा, ड्वार्फ प्लैनेट, इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन, मौना लोआ, क्रायोवाॅल्केनिज्म।

मेन्स के लिये:

स्पेस टेक्नोलॉजी, प्लूटो, न्यू होराइज़न्स जाँच के निष्कर्ष।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के न्यू होराइज़न्स यान ने प्लूटो के बारे में काफी अनूठी जानकारियाँ भेजी हैं।

  • जाँच से पता चलता है कि बर्फीले लावा के प्रवाह (Icy Lava Flows) ने हाल ही में इसकी सतह के बड़े हिस्से को कवर किया है।
  • निष्कर्षों ने राइट मॉन्स नामक एक पहाड़ी विशेषता पर विशेष ध्यान आकर्षित किया है।
  • प्लूटो की यात्रा करने वाला नासा का एकमात्र अंतरिक्षयान न्यू होराइज़न्स है, जो जुलाई 2015 में इसके पास से गुज़रा।

राइट मॉन्स:

  • प्लूटो पर राइट मॉन्स (Wright Mons) नाम की एक पहाड़ी पाई गई, जो अपने परिवेश से 4-5 किमी. ऊपर उठी हुई है। यह अपने आधार पर लगभग 150 किमी. की दूरी पर है और इसमें 40-50 किमी. चौड़ा एक केंद्रीय अवसाद (एक छेद) है, जिसका आधार कम-से-कम आसपास के इलाके जितना है।
    • राइट बंधुओं के सम्मान में राइट मॉन्स को अनौपचारिक रूप से न्यू होराइजन्स टीम द्वारा नामित किया गया था।
  • वैज्ञानिकों का दावा है कि राइट मॉन्स एक ज्वालामुखी है तथा क्रेटर की कमी से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह 1-2 अरब साल से अधिक पुराना नहीं है।
    • गड्ढा/क्रेटर तब बनता है जब कोई क्षुद्रग्रह या उल्कापिंड जैसी वस्तु किसी ग्रह या चंद्रमा जैसी बड़ी ठोस वस्तु की सतह से टकराती है।
  • इसका आयतन 20 हज़ार घन किलोमीटर से अधिक है। हालाँकि यह मंगल के सबसे बड़े ज्वालामुखियों के आयतन से काफी कम है, यह हवाई के मौना लोआ के कुल आयतन के समान है जबकि इसके समुद्र-स्तर से ऊपर का हिस्सा काफी बड़ा है।
  • राइट मॉन्स और इसके आस-पास 1 किमी. तक ऊँचे इलाकों को अधिकतर 6-12 किमी. ऊँचे टीले के रूप में देखा जा सकता है।
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि ये टीले जो प्लूटो पर कुछ अन्य क्षेत्रों को कवर करते हैं, मुख्य रूप से पानी/बर्फ से बने हैं, न कि नाइट्रोजन या मीथेन-बर्फ से।
    • उनका तर्क है कि यह इन डोम्स को बनाने और संरक्षित करने के लिये आवश्यक भौतिक शक्ति के अनुरूप है, लेकिन वे मुख्य रूप से केंद्रीय अवसाद में बहुत कमज़ोर नाइट्रोजन-बर्फ के छोटे भाग की पहचान करते हैं।
  • हम्मॉक्स संभवतः बर्फ के ज्वालामुखी द्वारा निर्मित हैं, जिसे तकनीकी शब्द "क्रायोवॉल्केनिज्म" (पिघले हुए चट्टान के बजाय बर्फीले जल के विस्फोट) के नाम से जाना जाता है।
  • प्लूटो के कुल घनत्व से पता चलता है कि इसके आंतरिक भाग में चट्टान होनी चाहिये, लेकिन इसके बाहरी क्षेत्र बर्फ (जल, मीथेन, नाइट्रोजन और शायद अमोनिया एवं कार्बन मोनोऑक्साइड का मिश्रण हैं, जो सभी चट्टान के रूप में एक-तिहाई से भी कम घने हैं) तथापृथ्वी की क्रस्ट और अन्य चट्टानी ग्रहों की तरह सिलिकेट खनिजों का मिश्रण हैं।
  • प्लूटो के कई अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में क्रेटर मौजूद हैं।

प्लूटो:

  • प्लूटो को बौने ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया था। वर्ष 2006 में प्लूटो को सौरमंडल में तीन अन्य पिंडों के साथ वर्गीकृत किया गया था जो प्लूटो के समान छोटे आकार के हैं: सेरेस, माकेमेक और एरिस।
    • वर्ष 1930 में क्लाइड टॉम्बो द्वारा खोजे गए प्लूटो को सौरमंडल के नौवें ग्रह के रूप में अपनाया गया था।
    • वर्ष 2006 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) द्वारा अपनाई गई ग्रह की परिभाषा का महत्त्वपूर्ण हिस्सा यह है कि जो सूर्य का चक्कर लगाता हो, गोलाकार हो, किसी अन्य पिंड का चक्कर नहीं लगाता हो और और जिसने अपनी कक्षा को साफ कर दिया हो अर्थात् वह निकाय जिसने चक्कर लगाने वाले अपने कक्ष में छोटे-छोटे पिंडों को रास्ते से हटा दिया हो, ग्रह कहलाएगा।
    • प्लूटो स्पष्ट रूप से इस परिभाषा का पालन नहीं करता है- इसके तुलनात्मक द्रव्यमान के प्रतिद्वंद्वी भी मौजूद हैं, साथ ही इसे बड़े पैमाने पर नेपच्यून द्वारा छायांकित भी किया जा रहा है।
    • प्लूटो के साथ ये पिंड "अन्य" ग्रहों की तुलना में बहुत छोटे हैं।
  • प्लूटो जो पृथ्वी के चंद्रमा से छोटा है, में ह्रदय के आकार का ग्लेशियर है जो टेक्सास और ओक्लाहोमा के आकार का है। इसमें नीला आसमान, विचरण करते हुए चंद्रमा, रॉकीज़ जितने ऊँचे पहाड़ तथा बर्फ की मौजूदगी भी है, लेकिन बर्फ का रंग लाल है।
  • प्लूटो लगभग 1,400 मील चौड़ा है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका की चौड़ाई का लगभग आधा है, पृथ्वी के चंद्रमा की चौड़ाई का 2/3 भाग है।
  • प्लूटो सूर्य की परिक्रमा औसतन 3.6 बिलियन मील दूर, पृथ्वी से लगभग 40 गुना दूर कुइपर बेल्ट नामक क्षेत्र में करता है।
  • प्लूटो पर एक वर्ष पृथ्वी के 248 वर्षों के समान है। प्लूटो पर एक दिन 153 घंटे या लगभग 6 पृथ्वी दिवसों के समान होता है।
  • प्लूटो में नाइट्रोजन, मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड का पतला वातावरण है। वातावरण में नीले रंग की धुंध की अलग-अलग परतें हैं।
  • प्लूटो के 5 चंद्रमा हैं। सबसे बड़ा- चारोन है, यह इतना बड़ा है कि प्लूटो और चारोन एक-दूसरे की परिक्रमा एक दोहरे ग्रह की तरह करते हैं।
  • प्लूटो की सतह -228 से -238 C तक ठंडी है, जिसके कारण यहाँ जीवन बनाए रखना काफी मुश्किल है।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न: निम्नलिखित में से किस ग्रह में प्राकृतिक उपग्रहों या चंद्रमाओं की संख्या सबसे अधिक है? (2009)

(a) बृहस्पति
(b) मंगल
(c) शनि
(d) शुक्र

उत्तर: (a)

  • बृहस्पति के 79 चंद्रमा हैं, जिनमें गेनीमेड भी शामिल है, जो कि सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है।
  • मंगल ग्रह के दो चंद्रमा हैं- फोबोस और डीमोस।
  • शनि ग्रह के 82 चंद्रमा हैं, जो इसे सबसे अधिक चंद्रमाओं वाला ग्रह बनाता है।
  • नोट: हालाँकि जब प्रश्न पूछा गया तो बृहस्पति के पास सबसे अधिक ज्ञात प्राकृतिक उपग्रह या चंद्रमा थे।

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन एक अंतरिक्षयान है? (2008)

(a) एपोफिस
(b) कैसिनी
(c) स्पिट्ज़र
(d) टेकसार

उत्तर: b

  • कैसिनी-ह्यूजेंस अंतरिक्ष अनुसंधान मिशन, जिसे आमतौर पर ‘कैसिनी’ कहा जाता है, में नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और इतालवी अंतरिक्ष एजेंसी (ASI) के बीच सहयोग शामिल है, जिसके तहत शनि ग्रह एवं उसकी प्रणाली का अध्ययन करने हेतु एक जाँच अभियान भेजा गया है, जिसमें शनि ग्रह के छल्ले और प्राकृतिक उपग्रहों का अध्ययन किया जाएगा।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


पाँचवाँ बिम्सटेक शिखर सम्मेलन

प्रिलिम्स के लिये:

पाँचवाँ बिम्सटेक शिखर सम्मेलन, बिम्सटेक, सार्क, बिम्सटेक चार्टर, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA)।

मेन्स के लिये:

नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी, गुजराल सिद्धांत, भारत को शामिल करने वाले समूह और समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले, वैश्विक समूह।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) समूह का पाँचवाँ शिखर सम्मेलन कोलंबो (श्रीलंका) में आयोजित किया गया।

bimstec-india

शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:

  • बिम्सटेक चार्टर: बिम्सटेक चार्टर पर हस्ताक्षर इस शिखर सम्मेलन का मुख्य परिणाम था।
    • इस चार्टर के तहत सभी सदस्य दो वर्ष में एक बार मिलते हैं।
    • चार्टर के साथ बिम्सटेक का अब एक अंतर्राष्ट्रीय अस्त्तित्व है। साथ ही इसका एक प्रतीक चिह्न है, एवं एक झंडा भी है।

bimstec

  • इसका औपचारिक रूप से सूचीबद्ध उद्देश्य और सिद्धांत हैं।
  • संगठन के औपचारिक ढाँचे में विकास के क्रम में सदस्य देशों के नेताओं ने समूह के कामकाज को सात खंडों में विभाजित करने पर सहमति व्यक्त की गई है, जिसमें भारत सुरक्षा स्तंभ को नेतृत्व प्रदान करता है।
BIMSTEC के स्तंभ
बांग्लादेश व्यापार, निवेश और विकास
भूटान पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन
भारत

सुरक्षा
उप क्षेत्र: आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराध का मुकाबला, आपदा प्रबंधन, ऊर्जा

म्याँमार

कृषि एवं खाद्य सुरक्षा
उप क्षेत्र: कृषि, मत्स्यन तथा पशुपालन

नेपाल पीपल-टू-पीपल संपर्क
उप क्षेत्र: संस्कृति, पर्यटन, पीपल-टू-पीपल संपर्क
(थिंक टैंक, मीडिया आदि के मंच)
श्रीलंका

विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचार
उप क्षेत्र: प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, मानव संसाधन विकास

थाईलैंड कनेक्टिविटी
  • परिवहन कनेक्टिविटी हेतु मास्टर प्लान: शिखर सम्मेलन में परिवहन कनेक्टिविटी के लिये मास्टर प्लान की घोषणा हुई है, जो क्षेत्रीय एवं घरेलू कनेक्टिविटी के लिये एक ढाँचा प्रदान करेगा।
  • अन्य समझौते: सदस्य देशों ने आपराधिक मामलों पर पारस्परिक कानूनी सहायता को लेकर एक संधि पर भी हस्ताक्षर किये हैं।
    • कोलंबो (श्रीलंका) में बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा (TTF) की स्थापना को लेकर एक समझौता ज्ञापन (MoA) पर भी हस्ताक्षर हुए।
    • भारत अपने परिचालन बजट को बढ़ाने के लिये (बिम्सटेक) सचिवालय को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करेगा।

बिम्सटेक:

  • बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) एक क्षेत्रीय संगठन है जिसके 7 सदस्यों में से 5 दक्षिण एशिया से हैं, इनमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं तथा दो- म्याँमार व थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया से हैं।
  • यह उप-क्षेत्रीय संगठन वर्ष 1997 में बैंकॉक घोषणा के माध्यम से अस्तित्व में आया।
  • दुनिया की 21.7 फीसदी आबादी और 3.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ बिम्सटेक आर्थिक विकास के एक प्रभावशाली इंजन के रूप में उभरा है।
  • बिम्सटेक का सचिवालय ढाका में है।
  • संस्थागत तंत्र:
    • बिम्सटेक शिखर सम्मेलन
    • मंत्रिस्तरीय बैठक
    • वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक
    • बिम्सटेक वर्किंग ग्रुप
    • व्यापार मंच और आर्थिक मंच

क्या बिम्सटेक सार्क का एक विकल्प है?

  • भारत के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2014 में अपनी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी की तर्ज पर पाकिस्तान सहित दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) देशों को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था।
    • प्रधानमंत्री ने नवंबर, 2014 में काठमांडू में 18वें सार्क शिखर सम्मेलन में भी भाग लिया था।
    • हालाँकि अक्तूबर 2016 में उरी हमले (भारतीय सैन्य अड्डे पर) के बाद भारत ने बिम्सटेक को नए सिरे से बढ़ावा दिया जो लगभग दो दशकों से अस्तित्व में था लेकिन बड़े पैमाने पर इसे नज़रअंदाज कर दिया गया था।
  • गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के साथ-साथ पीएम ने बिम्सटेक नेताओं के साथ एक आउटरीच शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की।
  • बिम्सटेक देशों ने नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में होने वाले सार्क शिखर सम्मेलन के बहिष्कार तथा भारत के आह्वान का समर्थन किया था।
  • परिणामस्वरूप सार्क शिखर सम्मेलन अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया गया था।
  • इस प्रकार पाकिस्तान के साथ संबंध टूटने के कारण भारत ने सार्क के तहत कई प्रमुख पहलों पर कार्य करते हुए अन्य क्षेत्रीय समूहों जैसे कि बिम्सटेक और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया।

आगे की राह

  • बिम्सटेक एफटीए: वर्ष 2018 में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक अध्ययन ने सुझाव दिया था कि बिम्सटेक को वास्तविक प्रभाव स्थापित करने के लिये तत्काल एक व्यापक व्यापारिक समझौते की आवश्यकता है।
    • चूँकि यह क्षेत्र स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है तथा इसने एकजुटता एवं सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया है, एफटीए बंगाल की खाड़ी को संपर्क मार्ग, समृद्धि, सुरक्षा का वाहक बना देगा।
    • इसके अलावा बिम्सटेक के विकसित आकार के दो आवश्यक घटकों के रूप में तटीय शिपिंग पारिस्थितिकी तंत्र और बिजली ग्रिड इंटरकनेक्टिविटी की आवश्यकता है।
  • गुजराल सिद्धांत: चूँकि BIMSTEC एक भारत-प्रधान ब्लॉक है, इस संदर्भ में भारत गुजराल सिद्धांत का पालन कर सकता है, जो द्विपक्षीय संबंधों में संव्यवहार हेतु मार्गदर्शन प्रदान करता है।
    • गुजराल सिद्धांत भारत के निकटतम पड़ोसियों के साथ विदेशी संबंधों के संचालन का मार्गदर्शन करने के लिये पाँच सिद्धांतों का एक समूह है। ये सिद्धांत हैं:
      • भारत को अपने पड़ोसी देशों- मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान के साथ विश्वसनीय संबंध बनाने होंगे, उनके साथ विवादों को बातचीत से सुलझाना होगा तथा उन्हें दी गई किसी मदद के बदले में तुरंत कुछ हासिल करने की अपेक्षा नहीं करनी होगी, साथ ही किसी भी प्राकृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संकट को सुलझाने में मदद करनी होगी।
      • दक्षिण एशिया का कोई भी देश अपनी ज़मीन से किसी दूसरे देश के खिलाफ देश-विरोधी गतिविधियाँ नहीं चलाएगा।
      • किसी भी देश को दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिये।
      • सभी दक्षिण एशियाई देशों को एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करना चाहिये।
      • उन्हें अपने सभी विवादों को शांतिपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू


प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण, प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी।

मेन्स के लिये:

कल्याण योजनाएँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, विकास से संबंधित मुद्दे, प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में ‘प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY)-ग्रामीण’ के लाभार्थियों के 5.21 लाख घरों का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण:

  • लॉन्च:
    • इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022 तक ‘सभी के लिये आवास’ के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु शुरू किया गया था। ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती ‘इंदिरा आवास योजना’ (IAY) को 01 अप्रैल, 2016 से ‘प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण’ के रूप में पुनर्गठित किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • मार्च 2022 के अंत तक सभी ग्रामीण परिवार, जो बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं, को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर उपलब्ध कराना।
    • गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन व्यतीत कर रहे ग्रामीण परिवारों को आवासीय इकाइयों के निर्माण और मौजूदा अनुपयोगी कच्चे मकानों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करना।
  • लाभार्थी:
    • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित लोग, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-एससी/एसटी वर्ग, विधवा महिलाएँ, रक्षाकर्मियों के परिजन, पूर्व सैनिक तथा अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति तथा अल्पसंख्यक।
  • लाभार्थियों का चयन:
  • लागत साझा करना:
    • यूनिट सहायता की लागत मैदानी क्षेत्रों में 60:40 और उत्तर पूर्वी तथा पहाड़ी राज्यों के लिये 90:10 के अनुपात में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझा की जाती है।
  • विशेषताएँ:
    • स्वच्छ खाना पकाने की जगह के साथ घर का न्यूनतम आकार 25 वर्ग मीटर (20 वर्ग मीटर से) तक बढ़ा दिया गया है।
    • मैदानी राज्यों में यूनिट सहायता को 70,000 रुपए से बढ़ाकर 1.20 लाख रुपए और पहाड़ी राज्यों में 75,000 रुपए से बढ़ाकर 1.30 लाख रुपए कर दिया गया है।
    • स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (SBM-G), मनरेगा या वित्तपोषण के किसी अन्य समर्पित स्रोत के साथ अभिसरण के माध्यम से शौचालयों के निर्माण के लिये सहायता का लाभ उठाया जाएगा।
    • पाइप से पीने के पानी, बिजली कनेक्शन, एलपीजी गैस कनेक्शन जैसे विभिन्न सरकारी सुविधाओं के अभिसरण का भी प्रयास किया जाएगा।

प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी:

  • लॉन्च: 25 जून, 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का शुभारंभ किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों के लोगों को वर्ष 2022 तक आवास उपलब्ध कराना है।
  • कार्यान्वयन: आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय
  • विशेषताएँ:
    • यह शहरी गरीबों (झुग्गीवासी सहित) के बीच शहरी आवास की कमी को संबोधित करते हुए पात्र शहरी गरीबों के लिये पक्के घर सुनिश्चित करता है।
    • इस मिशन में संपूर्ण नगरीय क्षेत्र शामिल है (जिसमें वैधानिक नगर, अधिसूचित नियोजन क्षेत्र, विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, औद्योगिक विकास प्राधिकरण या राज्य विधान के अंतर्गत कोई भी प्राधिकरण जिसे नगरीय नियोजन का कार्य सौंपा गया है)।
    • PMAY(U) के अंतर्गत सभी घरों में शौचालय, पानी की आपूर्ति, बिजली और रसोईघर जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।
    • यह योजना महिला सदस्य के नाम पर या संयुक्त नाम से घरों का स्वामित्व प्रदान कर महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देती है।
    • विकलांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, एकल महिलाओं, ट्रांसजेंडर और समाज के कमज़ोर वर्गों को इसमें प्राथमिकता दी जाती है।
  • चार कार्यक्षेत्रों में विभाजित:
    • निजी भागीदारी के माध्यम से संसाधन के रूप में भूमि का उपयोग करने वाले मौजूदा झुग्गीवासियों का इन-सीटू (उसी स्थान पर) पुनर्वास किया जाएगा।
    • क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी।
    • साझेदारी में किफायती आवास।
    • लाभार्थी के नेतृत्व वाले निजी घर निर्माण/मरम्मत के लिये सब्सिडी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


बामियान बुद्ध

प्रिलिम्स के लिये:

बामियान बुद्ध, बुद्ध, हिंदूकुश।

मेन्स के लिये:

बौद्ध धर्म का महत्त्व, भारतीय विरासत स्थल, भारतीय साहित्य।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने कहा है कि वह मेस अयनाक में प्राचीन बुद्ध प्रतिमाओं की रक्षा करेगा।

  • मेस अयनाक एक ताँबा खदान स्थल भी है, जहाँ तालिबान सरकार चीनी निवेश की उम्मीद कर रही है।
  • तालिबान की स्थिति उस समय के विपरीत है, जब उसने पहले अफगानिस्तान पर शासन किया था एवं वैश्विक आक्रोश के सामने बामियान में सदियों पुरानी बुद्ध की मूर्तियों को तोपखाने, विस्फोटक और रॉकेट का उपयोग करके गिराया गया।

afghanistan

तालिबान द्वारा बामियान के विनाश की पृष्ठभूमि:

  • कट्टरपंथी तालिबान आंदोलन, जो 1990 के दशक की शुरुआत में उभरा, ने दशक के अंत तक अफगानिस्तान के लगभग 90% हिस्से पर नियंत्रण कर लिया।
  • जबकि उनके शासन ने कथित तौर पर अराजकता पर अंकुश लगाया, उन्होंने तथाकथित "इस्लामी दंड" और इस्लामी प्रथाओं का एक प्रतिगामी विचार भी पेश किया, जिसमें टेलीविज़न पर प्रतिबंध, सार्वजनिक निष्पादन और 10 वर्ष तथा उससे अधिक उम्र की लड़कियों के लिये स्कूली शिक्षा की कमी शामिल थी।
    • बामियान बुद्धों का विनाश इसी चरमपंथी संस्कृति का हिस्सा था।
  • 27 फरवरी, 2001 को तालिबान ने मूर्तियों को नष्ट करने की अपनी मंशा की घोषणा की।

विनाश के बाद की स्थिति:

  • वर्ष 2003 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की सूची में बामियान बुद्धों के अवशेषों को शामिल किया।
  • 9 मार्च, 2021 को साल्सल की प्रतिमा को फिर से निर्मित किया गया (एक 3D प्रक्षेपण उस कोने पर लगाया गया था जहाँ वह खड़ा था)।

बामियान बुद्ध:

bamiyan-buddhas

  • बामियान बुद्धों की विरासत:
    • कहा जाता है कि बलुआ पत्थर की चट्टानों से काटकर बनी बामियान बुद्ध की मूर्तियाँ 5वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की हैं और कभी दुनिया की सबसे ऊँची बुद्ध की खड़ी प्रतिमा थी।
      • उनकी रोमन ड्रैपरियों में और दो अलग-अलग मुद्राओं के साथ मूर्तियाँ गुप्त, ससैनियन एवं हेलेनिस्टिक कलात्मक शैलियों के संगम के महान उदाहरण थीं।
    • स्थानीय लोगों द्वारा बुलाए जाने वाले ‘साल्सल’ और ‘शमामा’ क्रमशः 55 और 38 मीटर की ऊँचाई तक की थीं।
      • साल्सल का अर्थ है "प्रकाश ब्रह्मांड के माध्यम से चमकता है", जबकि शमामा "रानी माँ" है।
  • महत्त्व:
    • बामियान अफगानिस्तान के मध्य ऊँचाई वाले क्षेत्रों में हिंदूकुश के ऊँचे पहाड़ों में स्थित है।
    • बामियान नदी के साथ स्थित घाटी कभी सिल्क रोड के शुरुआती दिनों का अभिन्न अंग थी, जो न केवल व्यापारियों बल्कि संस्कृति, धर्म एवं भाषा के लिये भी मार्ग प्रदान करता था।
    • जब बौद्ध कुषाण साम्राज्य का प्रसार हुआ, तो बामियान एक प्रमुख व्यापार, सांस्कृतिक एवं धार्मिक केंद्र बन गया। जब चीन, भारत और रोम के व्यापारी बामियान से होकर गुज़रे तो ऐसे में वहाँ कुषाणों द्वारा एक समन्वित संस्कृति विकसित की गई।
    • पहली से पाँचवीं शताब्दी ईस्वी के बीच बौद्ध धर्म के तीव्र प्रसार में बामियान ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई मठ स्थापित किये गए।
    • बुद्ध की दो विशाल मूर्तियाँ यहाँ मौजूद कई अन्य संरचनाओं का हिस्सा हैं, जिसमें स्तूप, छोटे बैठे और खड़े बुद्ध तथा गुफाओं में दीवार पेंटिंग आदि शामिल हैं, जो आसपास की घाटियों में फैली हुई हैं।

बौद्ध धर्म से संबंधित प्रमुख तथ्य:

  • बौद्ध धर्म 2,500 वर्ष पुराना है।
  • यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के महत्त्वपूर्ण धर्मों में से एक है।
  • बौद्ध धर्म का उदय लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में सिद्धार्थ गौतम की आत्मज्ञान की खोज के परिणामस्वरूप हुआ था।
  • एक व्यक्तिगत भगवान में कोई विश्वास नहीं है। यह मानवता और ईश्वर के बीच संबंध पर केंद्रित नहीं है।
  • बौद्ध मानते हैं कि कुछ भी स्थिर या स्थायी नहीं है- परिवर्तन सदैव संभव है।
  • दो मुख्य बौद्ध संप्रदाय- थेरवाद बौद्ध धर्म और महायान बौद्ध धर्म हैं, हालाँकि इसके अलावा कई अन्य भी हैं।
  • आत्मज्ञान का मार्ग नैतिकता, ध्यान और ज्ञान के अभ्यास एवं विकास के माध्यम से होकर गुज़रता है।
  • बौद्ध धर्म लगभग 563 ईसा पूर्व में पैदा हुए इसके संस्थापक सिद्धार्थ गौतम की शिक्षाओं, जीवन के अनुभवों पर आधारित है।
    • उनका जन्म शाक्य वंश के एक शाही परिवार में हुआ था, जिन्होंने भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित लुंबिनी में कपिलवस्तु से शासन किया था।
    • 29 वर्ष की आयु में गौतम ने घर छोड़ दिया और धन एवं संपत्ति से परिपूर्ण अपने जीवन को अस्वीकार कर दिया तथा तपस्या या अत्यधिक आत्म-अनुशासन की जीवनशैली को अपनाया।
    • लगातार 49 दिनों के ध्यान के बाद गौतम ने बिहार के बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे बोधि (ज्ञान) प्राप्त किया।
    • बुद्ध ने अपना पहला उपदेश उत्तर प्रदेश के बनारस शहर के पास सारनाथ में दिया था। इस घटना को धर्म-चक्र-प्रवर्तन (कानून के पहिये का घूमना) के रूप में जाना जाता है।
    • उनकी मृत्यु 80 वर्ष की आयु में 483 ईसा पूर्व में उत्तर प्रदेश के एक कस्बे कुशीनगर नामक स्थान पर हुई थी। इस घटना को ‘महापरिनिर्वाण’ के नाम से जाना जाता है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन भविष्य का बुद्ध है जो अभी तक दुनिया को बचाने के लिए नहीं आया है? (2018)

(a) अवलोकितेश्वर:
(b) लोकेश्वर:
(c) मैत्रेय
(d) पद्मपानी

उत्तर: (c)

  • बौद्ध इतिहास और परंपरा के अनुसार, मैत्रेय बुद्ध को एक बोधिसत्व माना जाता है जो भविष्य में पृथ्वी पर प्रकट होंगे, निर्वाण प्राप्त करेंगे तथा पृथ्वी के लोगों को धर्म की शिक्षा देंगे, जैसे शाक्यमुनि बुद्ध ने किया था।

प्रश्न. निम्न में से कौन बौद्ध धर्म में निर्वाण की अवधारणा का सबसे अच्छा वर्णन करता है? (2013)

(a) इच्छा की ज्वाला का विलुप्त होना
(b) स्वयं का पूर्ण विनाश
(c) आनंद और आराम की स्थिति
(d) सभी समझ से परे एक मानसिक अवस्था

उत्तर: (a)

  • निर्वाण का अर्थ है "सूँघना" (To Snuff Out), जिस तरह से कोई इच्छा की आग को बुझाता है।
  • बौद्ध धर्म में, निर्वाण का कोई नकारात्मक अर्थ नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है इच्छा, भ्रम, क्रोध और घृणा की ज्वाला को बुझाकर अस्तित्व के दूसरे स्तर पर जाना।

प्रश्न. भगवान बुद्ध की प्रतिमा कभी-कभी एक हस्तमुद्रा युक्त दिखाई गई है जिसे 'भूमिस्पर्श मुद्रा' कहा जाता है। यह किसका प्रतीक है? (2012)

(a) मारा पर दृष्टि रखने एवं अपने ध्यान में विघ्र डालने से मारा को रोकने के लिये बुद्ध का धरती का आह्वान।
(b) बुद्ध ने मारा के प्रलोभनों के बावजूद अपनी पवित्रता और शुद्धता को देखने के लिये पृथ्वी का आह्वान किया।
(c) बुद्ध ने अपने अनुयायियों को याद दिलाया कि वे सभी पृथ्वी से उत्पन्न होते हैं और अंत में पृथ्वी में विलीन हो जाते हैं, और इस प्रकार यह जीवन क्षणभंगुर है।
(d) कथन (a) और (b) दोनों सही हैं

उत्तर: (b)

  • भूमिस्पर्श मुद्रा में भगवान बुद्ध अपने दाहिने हाथ के साथ दाहिने घुटने पर एक लटकन के रूप में बैठे हैं, कमल सिंहासन को छूते हुए हथेली के साथ ज़मीन की ओर पहुँचते हैं। इस बीच बाएँ हाथ को उनकी गोद में सीधी हथेली के साथ देखा जा सकता है।
  • यह मुद्रा बुद्ध के जागरण के क्षण का प्रतिनिधित्व करती है, क्योंकि वह पृथ्वी को दानव राजा मारा और ज्ञान पर उनकी जीत के गवाह के रूप में दावा करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


नेत्रा परियोजना और अंतरिक्ष मलबा

प्रिलिम्स के लिये:

नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (नेत्रा) प्रोजेक्ट, एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (ASAT), अंतरिक्ष मलबा, केसलर सिंड्रोम, स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (SSA)।

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष कचरा, एक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत, वैज्ञानिक नवाचार और खोज।

चर्चा में क्यों?

अंतरिक्ष मलबे के रूप में अंतरिक्ष में भारतीय संपत्ति के लिये बढ़ते खतरे को देखते हुए ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) अपनी कक्षीय मलबे की ट्रैकिंग क्षमता का निर्माण कर रहा है।

  • इस अभियान में ‘स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस’ (नेत्रा) परियोजना के लिये नेटवर्क के तहत एक प्रभावी निगरानी और ट्रैकिंग नेटवर्क स्थापित करने के हिस्से के रूप में 1,500 किलोमीटर की दूरी के साथ अंतरिक्ष मलबे पर नज़र रखने वाले रडार एवं एक ऑप्टिकल टेलीस्कोप को शामिल किया जाएगा।

अंतरिक्ष मलबा:

  • अंतरिक्ष मलबे में प्रयोग किये गए रॉकेट, निष्क्रिय उपग्रह, अंतरिक्ष निकायों के टुकड़े और एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (ASAT) से उत्पन्न मलबा शामिल होता है।
  • लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में 27,000 किमी प्रति घंटे की औसत गति से टकराती हुई ये वस्तुएँ अत्यधिक गंभीर खतरा पैदा करती हैं, क्योंकि इस टक्कर में सेंटीमीटर आकार के टुकड़े भी उपग्रहों के लिये घातक साबित हो सकते हैं।
  • अंतरिक्ष मलबा परिचालन उपग्रहों के लिये भी एक संभावित खतरा है और उनसे टकराने से उपग्रह निष्क्रिय हो सकते हैं।
    • इसे केसलर सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है, जिसका नाम वर्ष 1978 में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के वैज्ञानिक डोनाल्ड केसलर के नाम पर रखा गया था।
    • इस सिद्धांत के मुताबिक, यदि कक्षा में बहुत अधिक अंतरिक्ष मलबा मौजूद है, तो इसके परिणामस्वरूप एक ‘डोमिनो इफेक्ट’ उत्पन्न हो सकता है, जहाँ अधिक-से-अधिक वस्तुएँ टकराएंगी और इस प्रक्रिया में नए अंतरिक्ष मलबे का निर्माण होगा।

नेत्रा परियोजना और इसका महत्त्व:

  • परिचय: ‘नेत्रा परियोजना' भारतीय उपग्रहों के लिये मलबे और अन्य खतरों का पता लगाने हेतु अंतरिक्ष में एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है।
    • परिचालन के पश्चात् यह भारत को अन्य अंतरिक्ष शक्तियों की तरह स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (SSA) की क्षमता प्रदान करेगी।
  • आवश्यकता: विभिन्न देशों द्वारा अधिक-से-अधिक उपग्रहों को लॉन्च किया जा रहा है, जो कि रणनीतिक या व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं और भविष्य में इनका आपस में टकराव काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
    • अपनी अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा के लिये इसरो को वर्ष 2021 में 19 ‘कोलिज़न अवॉइडेंस मनूवर (CAM) करने के लिये मजबूर किया गया था।
  • कार्य पद्धति: नेत्रा के तहत इसरो ने कई अवलोकन सुविधाएँ स्थापित करने की योजना बनाई है: जिसमें कनेक्टेड रडार, टेलीस्कोप, डेटा प्रोसेसिंग यूनिट और एक नियंत्रण केंद्र आदि शमील हैं।
  • लाभ: नेत्रा 10 सेमी जितना छोटा है और यह 3,400 किमी की सीमा तक और लगभग 2,000 किमी की अंतरिक्ष कक्षा के बराबर वस्तुओं की खोज, उन्हें ट्रैक और कैटलॉग कर सकता है।
    • नेत्रा का प्रयास भारत के लिये अंतरिक्ष मलबे पर नज़र रखने, उसके बारे में चेतावनी देने और उसे कम करने की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा बना देगा।
    • इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि SSA के कई सैन्य लाभ भी हैं और यह देश की समग्र सुरक्षा- वायु, अंतरिक्ष या समुद्र के हमलों के खिलाफ देश की रक्षा कर सकता है।
    • यह हमारी अंतरिक्ष संपत्ति और बल गुणक की सुरक्षा के लिये एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।

वर्तमान स्थिति:

  • मुद्रा एसएसए क्षमता: वर्तमान में भारत श्रीहरिकोटा रेंज (आंध्र प्रदेश) में एक मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार का उपयोग करता है, लेकिन इसकी एक सीमित सीमा है।
    • इसके अलावा SSA के लिये भारत नोराड और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध अन्य डेटा पर निर्भर है।
    • हालाँकि ये प्लेटफॉर्म सटीक (या व्यापक) जानकारी प्रदान नहीं करते हैं।
    • नोराड या उत्तरी अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड, यू.एस. और कनाडा की एक पहल है जो कई देशों के साथ चुनिंदा मलबे संबंधी डेटा को साझा करती है।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता (SSA) की दिशा में इसरो के प्रयासों को बंगलूरू में एसएसए नियंत्रण केंद्र द्वारा समन्वित किया जाता है और इसरो मुख्यालय में अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता एवं प्रबंधन निदेशालय द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
  • वैश्विक पहल: क्लियरस्पेस-1 (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का), जो 2025 में लॉन्च होने वाला है, कक्षा से मलबे को खत्म करने वाला पहला अंतरिक्ष मिशन होगा।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" क्या है? (2010)

(A) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह
(B) चंद्रयान-II के लिये अगले मार्स प्रोब को दिया गया नाम
(C) 3डी इमेजिंग क्षमताओं के साथ इसरो का एक जियोपोर्टल
(D) भारत द्वारा विकसित एक अंतरिक्ष दूरबीन

उत्तर: (C)

  • भुवन इसरो द्वारा विकसित एक जियोपोर्टल है जो पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र की उच्च रिज़ॉल्यूशन इमेजरी तक मुफ्त पहुँच प्रदान करने पर केंद्रित है।

स्रोत: द हिंदू