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डेली न्यूज़

  • 28 Jun, 2022
  • 76 min read
सामाजिक न्याय

किशोर न्याय संशोधन विधेयक, 2021 से संबंधित मुद्दा

प्रिलिम्स के लिये:

किशोर न्याय अधिनियम, गैर-संज्ञेय अपराध, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, बाल अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन

मेन्स के लिये:

किशोर न्याय संशोधन विधेयक, 2021 से जुड़ी चिंताएंँ, बच्चों के कल्याण के लिये कानूनी ढांँचा

चर्चा में क्यों?

किशोर न्याय अधिनियम संशोधन, बाल देखभाल संस्थानों (Child Care Institutions-CCI) में कर्मचारियों या प्रभारी व्यक्तियों द्वारा दुर्व्यवहार एवं क्रूरता को गैर-संज्ञेय अपराध बनाकर बाल देखभाल संस्थानों में दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने को और अधिक जटिल बना रहा है।

  • किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन करने के लिये किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 पारित किया गया था।

प्रमुख बिंदु

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 के प्रावधान:

  • गैर-संज्ञेय अपराध:
    • बच्चों के खिलाफ अपराध जो किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अध्याय "बच्चों के खिलाफ अन्य अपराध" में वर्णित हैं, जिस अपराध के लिये तीन से सात वर्ष की जेल की सज़ा हो, वह ''गैर-संज्ञेय'' होगा।
  • गोद लेना/एडॉप्शन:
    • संशोधन बच्चों के संरक्षण और गोद लेने के प्रावधान को संरक्षण प्रदान करता है। न्यायालय के समक्ष गोद लेने के कई मामले लंबित हैं तथा न्यायालय की कार्यवाही को तीव्र करने के लिये शक्ति ज़िला मजिस्ट्रेट को हस्तांतरित कर दी गई है।
    • संशोधन में प्रावधान है कि ऐसे गोद लेने के आदेश जारी करने का अधिकार ज़िला मजिस्ट्रेट के पास है।

किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015

  • संसद ने किशोर अपराध कानून और किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 को बदलने के लिये किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 को पारित किया था।
  • यह अधिनियम जघन्य अपराधों में संलिप्त 16-18 वर्ष की आयु के बीच के किशोरों (जुवेनाइल) के ऊपर बालिगों के समान मुकदमा चलाने की अनुमति देता है।
  • इस अधिनियम में गोद लेने के लिये माता-पिता की योग्यता और गोद लेने की पद्धति को शामिल किया गया है। अधिनियम ने हिंदू दत्तक ग्रहण व रखरखाव अधिनियम (1956) और वार्ड के संरक्षक अधिनियम (1890) को अधिक सार्वभौमिक रूप से सुलभ दत्तक कानून के साथ बदल दिया।
  • अधिनियम गोद लेने से संबंधित मामलों के लिये केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority-CARA) को वैधानिक निकाय बनाता है, यह भारतीय अनाथ बच्चों के पालन-पोषण, देखभाल एवं उन्हें गोद देने के लिये एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
  • बाल देखभाल संस्थान (CCI):
    • सभी बाल देखभाल संस्थान, चाहे वे राज्य सरकार अथवा स्वैच्छिक या गैर-सरकारी संगठनों द्वारा संचालित हों, अधिनियम के लागू होने की तारीख से 6 महीने के भीतर अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से पंजीकृत होने चाहिये।
  • किशोर न्याय संशोधन अधिनियम, 2021 से संबद्ध चुनौतियाँ: विशेष रूप से संशोधन में चुनौती किशोर न्याय अधिनियम की धारा 86 में से एक है, जिसके अनुसार विशेष कानून के तहत अपराधों को तीन से सात साल के बीच की सज़ा के साथ गैर-संज्ञेय के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है।
  • जबकि शक्ति में असंतुलन के कारण पीड़ित स्वयं सीधे उनकी रिपोर्ट करने में असमर्थ हैं, ऐसे अधिकांश अपराध माता-पिता या बाल अधिकार निकायों और बाल कल्याण समितियों (CWC) द्वारा पुलिस को रिपोर्ट किये जाते हैं।
    • इन बच्चों के माता-पिता: वे ज़्यादातर दिहाड़ी मज़दूर हैं, या तो इस बात से अनजान हैं कि पुलिस को अपराधों की रिपोर्ट कैसे करें या फिर न करें।
      • वे कानूनी प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहते क्योंकि इससे उन्हें काम से समय निकालने के लिये मज़बूर होना पड़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप मज़दूरी का नुकसान होगा।
    • बाल कल्याण समितियांँ (CWC): ज़्यादातर मामलों में CWC की पहली प्रवृत्ति पुलिस को मामले को आगे बढ़ाने के बजाय "बात करना और समझौता करना" है।
  • विशेष कानून के तहत कई अन्य गंभीर अपराधों के साथ इन अपराधों को गैर-संज्ञेय बनाना पुलिस को अपराध की रिपोर्ट करना और भी कठिन बना देगा।

संज्ञेय और गैर-संज्ञेय अपराध:

  • आपराधिक प्रक्रिया संहिता किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही के संचालन के लिये नियम निर्धारित करती है, जिसने किसी भी आपराधिक कानून के तहत अपराध किया है।
  • संज्ञेय अपराध:
    • संज्ञेय अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें पुलिस अधिकारी पहली अनुसूची के अनुसार या वर्तमान में लागू किसी अन्य कानून के तहत दोषी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है और अदालत की अनुमति के बिना जाँच शुरू कर सकता है।
    • संज्ञेय अपराध आमतौर पर जघन्य या गंभीर प्रकृति के होते हैं जैसे कि हत्या, बलात्कार, अपहरण, चोरी, दहेज हत्या आदि।
    • प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) केवल संज्ञेय अपराधों के मामले में दर्ज की जाती है।
  • गैर-संज्ञेय अपराध:
    • एक गैर-संज्ञेय अपराध भारतीय दंड संहिता की पहली अनुसूची के तहत सूचीबद्ध अपराध होता है और प्रकृति में ज़मानती होता है।
    • गैर-संज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है और साथ ही जाँच शुरू नहीं कर सकती है।
      • मजिस्ट्रेट के पास एक आपराधिक शिकायत दर्ज की जाती है, जो संबंधित पुलिस स्टेशन को जाँच शुरू करने का आदेश देता है।
    • जालसाजी, धोखाधड़ी, मानहानि, सार्वजनिक उपद्रव आदि अपराध गैर-संज्ञेयअपराधों की श्रेणी में आते हैं।
  • संज्ञेय और गैर-संज्ञेय दोनों अपराधों से जुड़े मामले:
    • दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 155(4) के अनुसार, जब किसी मामले में दो या दो से अधिक अपराध होते हैं, जिनमें से कम-से-कम एक संज्ञेय प्रकृति का होता है, और दूसरा गैर-संज्ञेय प्रकृति का होता है।
      • फिर पूरे मामले को एक संज्ञेय मामले के रूप में निपटाया जाना चाहिये और जाँच अधिकारी के पास संज्ञेय मामले की जाँच के लिये सभी शक्तियां एवं अधिकार होंगे।

आंँकड़े:

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, वर्ष 2017 में इन अपराधों को दर्ज करने की शुरुआत के बाद से वर्ष 2019 तक इसमें 700 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई थी।
  • NCRB ने वर्ष 2017 में भारत भर में CCI प्रभारी द्वारा किये गए अपराधों के 278 मामले दर्ज किये जिनमें 328 बाल पीड़ित शामिल थे। वर्ष 2019 तक ये मामले बढ़कर 1,968 हो गए, जिसमें 2,699 बाल पीड़ित थे।

बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण के लिये अन्य कानूनी ढांँचे:

आगे की राह

  • प्रक्रियात्मक कमियों को दूर करने और न्याय की तेज़ी से डिलीवरी सुनिश्चित करने के साथ-साथ, माता-पिता या स्वतंत्र नागरिक समाज संगठनों के माध्यम से पीड़ितों की रिपोर्टिंग क्षमता को आसान बनाने की आवश्यकता है जो पीड़ित को आवश्यक सहायता प्रदान करेगी तथा यह सुनिश्चित करेगी कि बच्चा सामान्य जीवन में लौट आए।
    • बच्चों के लिये एक सुरक्षित दुनिया सुनिश्चित करने के लिये उच्च दोषसिद्धि दर एक लंबा रास्ता तय करेगी।
  • बाल संरक्षण नियम विशिष्ट प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये, क्योंकि ज़िला मज़िस्ट्रेट आमतौर पर इन विशिष्ट कानूनों से निपटने के लिये प्रशिक्षित या सुसज्जित नहीं होते हैं।
  • बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ज़िला प्रशासन को सभी पांँच अंगों - CWC, JJ बोर्ड, CCI, ज़िला बाल संरक्षण इकाइयों और विशेष किशोर पुलिस इकाइयों के साथ मिलकर काम करना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

नए वीपीएन नियम

प्रिलिम्स के लिये:

वीपीएन, सीईआरटी-इन, आईपी एड्रेस

मेन्स के लिये:

वीपीएन, नए वीपीएन नियम, आईटी और कंप्यूटर का कार्य।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) ने मानदंड जारी किये जिसके तहत VPN (Virtual Private Network) प्रदाताओं को अपने ग्राहकों की व्यक्तिगत जानकारी दर्ज करनी होती है, जिसमें सेवा का उपयोग करने का उद्देश्य भी शामिल है, जो पांँच साल के लिये होगा।

  • CERT-In भारतीय साइबर स्पेस को सुरक्षित करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का एक संगठन है।

VPN:

  • परिचय:
    • VPN "वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क" है जो सार्वजनिक नेटवर्क का उपयोग करते समय एक संरक्षित नेटवर्क कनेक्शन स्थापित करने के अवसर का वर्णन करता है।
    • VPN इंटरनेट ट्रैफिक को एन्क्रिप्ट करते हैं और उपयोगकर्त्ता की ऑनलाइन पहचान को छिपाते हैं। इससे तृतीय पक्ष के लिये ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करना एवं डेटा चोरी करना अधिक कठिन हो जाता है। एन्क्रिप्शन वास्तविक समय में होता है।

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  • कार्य:
    • VPN उपयोगकर्त्ता के IP एड्रेस को छिपाते है, यह VPN होस्ट द्वारा चलाए जा रहे विशेष रूप से कॉन्फिगर किये गए रिमोट सर्वर के माध्यम से नेटवर्क को पुनर्निर्देशित करने देता है।
      • इसका मतलब यह है कि यदि कोई उपयोगकर्त्ता VPN के साथ ऑनलाइन सर्फिंग कर रहा है, तो VPN सर्वर डेटा का स्रोत बन जाता है।
    • इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) और अन्य तृतीय पक्ष यह नहीं देख सकते हैं कि उपयोगकर्त्ता किन वेबसाइटों पर जाता है या डेटा ऑनलाइन भेजा और प्राप्त किया है।
  • लाभ:
    • एन्क्रिप्शन सुरक्षा:
      • एक VPN कनेक्शन डेटा ट्रैफिक को ऑनलाइन छुपाता है और इसे बाहरी पहुँच से बचाता है।
      • अनएन्क्रिप्टेड डेटा को कोई भी व्यक्ति देख सकता है जिसे नेटवर्क एक्सेस करने की अनुमति है। VPN के उपयोग से सरकार, हैकर्स और साइबर अपराधी इस डेटा को नहीं समझ सकते हैं।
    • क्षेत्रीय सामग्री तक पहुँच:
      • क्षेत्रीय वेब सामग्री हमेशा हर जगह सुलभ नहीं होती है। सेवाओं और वेबसाइटों में अक्सर ऐसी सामग्री होती है जिसे केवल दुनिया के कुछ हिस्सों से ही एक्सेस किया जा सकता है। मानक कनेक्शन आपके स्थान का निर्धारण करने के लिये देश में स्थानीय सर्वर का उपयोग करते हैं।
      • VPN लोकेशन स्पूफिंग के साथ कोई एक सर्वर को दूसरे देश में स्विच कर सकता है और प्रभावी रूप से स्थान बदल सकता है।
    • सुरक्षित डेटा स्थानांतरण:
      • VPN सेवाएंँ निजी सर्वर से जुडी होती हैं और डेटा के लिये सुरक्षित मार्ग प्रदान करने वाले डेटा लीकेज के जोखिम को कम करने के लिये एन्क्रिप्शन विधियों का उपयोग करती हैं।
  • सीमाएंँ:
    • कम इंटरनेट स्पीड: चूंँकि VPN को आपके ट्रैफिक को VPN सर्वर के माध्यम से संचालित करने की आवश्यकता होती है, इसलिये इसे आपके गंतव्य वेबसाइट तक पहुंँचने में अधिक समय लगेगा।
    • एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर नहीं: VPN व्यापक एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर की तरह कार्य नहीं करते हैं। जबकि वे किसी के आईपी की रक्षा करते हैं तथा किसी के इंटरनेट इतिहास को एन्क्रिप्ट करते हैं, एक VPN कनेक्शन किसी कंप्यूटर को बाहरी घुसपैठ से नहीं बचाता है।
      • एक बार जब मैलवेयर किसी डिवाइस तक पहुंँच जाता है, तो यह डेटा चुरा सकता है या नुकसान पहुंँचा सकता है, चाहे वीपीएन सेवा में हो या नहीं।
  • विनियमन:
    • वर्तमान में कुछ ही सरकारें VPN को विनियमित या पूर्ण प्रतिबंधित करती हैं।
    • इनमें चीन, बेलारूस, इराक, उत्तर कोरिया, ओमान, रूस और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। कई अन्य देशों में इंटरनेट सेंसरशिप कानून हैं, जो VPN का उपयोग करना जोखिमपूर्ण बनाते हैं।

VPN से संबंधित नए नियम:

  • केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने VPN कंपनियों के लिये नए मानदंड जारी किये हैं कि वे पांच साल की अवधि हेतु नाम, ईमेल आईडी, फोन नंबर और आईपी एड्रेस सहित अपने उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी रिकॉर्ड करें।
    • उन्हें उपयोग पैटर्न, सेवाओं को प्राप्त करने का उद्देश्य और कई अन्य जानकारी भी दर्ज करनी होगी।
  • VPN कंपनियों के अलावा डेटा सेंटर, वर्चुअल सर्विस नेटवर्क प्रोवाइडर्स, क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स को भी इसी तरह के डेटा को रिकॉर्ड करने और मेंटेन करने के लिये कहा गया है।
  • संस्थाओं को साइबर सुरक्षा की घटनाओं के बारे में जागरूक होने के छह घंटे के भीतर CERT-in को रिपोर्ट करना भी आवश्यक है।

सरकार द्वारा नियम जारी करने के कारण:

  • ये नियम समग्र साइबर सुरक्षा को बढ़ाएंगे एवं देश में सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट सुनिश्चित करेंगे।
  • यह नोट किया गया कि भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In), जो साइबर हमलों के खिलाफ सुरक्षा के रूप में कार्य करती है, ने ऑनलाइन खतरों का विश्लेषण करने के तरीके में "अंतराल" की पहचान की है जिसके कारण उसने साइबर घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिये नए मानदंड जारी किये हैं।
  • वर्ष 2021 में एक संसदीय स्थायी समिति ने राज्यसभा को एक रिपोर्ट में मंत्रालय से इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की सहायता से वीपीएन को ब्लॉक करने को कहा था।

संबंधित मुद्दे:

  • वीपीएन का उपयोग करने के लिये साइन-अप करते समय ग्राहकों को एक सख्त केवाईसी प्रक्रिया से गुज़रना होगा और सेवाओं का उपयोग करने का उद्देश्य बताना होगा।
    • नए नियमों के साथ सरकार की पहुँच मूल रूप से ग्राहकों की व्यक्तिगत जानकारी तक होगी जो वीपीएन के उपयोग को गलत बनाता है।
  • कई वीपीएन प्रदाता नए नियमों के निहितार्थ पर विचार कर रहे हैं और कुछ ने देश से अपनी सेवा वापस लेने की धमकी भी दी है।
    • CERT-In नियमों के जवाब में दुनिया के सबसे बड़े वीपीएन प्रदाताओं में से एक, नॉर्ड वीपीएन ने कहा है कि वह अपने सर्वरों को देश से बाहर ले जा रहा है। दो अन्य फर्म, एक्सप्रेस वीपीएन और सुरफशार्क ने कहा कि वे भारत में अपने भौतिक सर्वर बंद कर देंगे तथा सिंगापुर एवं यूके में स्थित वर्चुअल सर्वर के माध्यम से भारत में उपयोगकर्त्ताओं को सेवा प्रदान करेंगे।

वर्चुअल सर्वर:

  • परिचय:
    • वर्चुअल सर्वर, वास्तविक भौतिक सर्वर पर निर्मित एक नकली सर्वर वातावरण है। यह एक समर्पित भौतिक सर्वर की कार्यक्षमता को पुनर्निर्मित करता है।
    • यह भौतिक सर्वर के संसाधनों का उपयोग करता है। एक से अधिक वर्चुअल सर्वर एक भौतिक सर्वर पर चल सकते हैं।
  • प्रमुख बिंदु:
    • क्षमता:
      • एक भौतिक सर्वर को कई वर्चुअल सर्वर में परिवर्तित करने से संगठन एक विभाजित सर्वर पर कई ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्लीकेशन चलाकर प्रोसेसिंग पॉवर एवं संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग कर सकते हैं।
    • लागत में कमी:
      • वर्चुअलाइज़ेशन (Virtualization) लागत को भी कम करता है क्योंकि वर्चुअल सर्वर इन्फ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखना भौतिक सर्वर इन्फ्रास्ट्रक्चर की तुलना में कम खर्चीला है।
    • सुरक्षा:
      • वर्चुअल सर्वर भी भौतिक सर्वर इन्फ्रास्ट्रक्चर की तुलना में उच्च सुरक्षा प्रदान करते हैं क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्लीकेशन वर्चुअल मशीन में संलग्न होते हैं।
      • यह वर्चुअल मशीन के अंदर सिक्योरिटी अटैक्स और दुर्भावनापूर्ण व्यवहारों को रोकने में मदद करता है।
    • परिक्षण:
      • कई भौतिक मशीनों पर मैन्युअल रूप से स्थापित और चलाए बिना वर्चुअल सर्वर विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम और प्रोसेसिंग (Debugging) में अनुप्रयोगों के परीक्षण एवं डिबगिंग में भी उपयोगी होते हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न: "वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क" क्या है? (2011)

(a) यह एक संगठन का निजी कंप्यूटर नेटवर्क है जहांँ दूरस्थ उपयोगकर्त्ता संगठन के सर्वर के माध्यम से एन्क्रिप्टेड जानकारी संचारित कर सकते हैं।
(b) यह सार्वजनिक इंटरनेट पर एक कंप्यूटर नेटवर्क है जो उपयोगकर्त्ताओं को संचारित सूचना की सुरक्षा को बनाए रखते हुए उसकेे संगठन के नेटवर्क तक पहुंँच प्रदान करता है।
(c) यह एक कंप्यूटर नेटवर्क है जिसमें उपयोगकर्त्ता एक सेवा प्रदाता के माध्यम से कंप्यूटिंग संसाधनों के साझा पूल तक पहुंँच सकते हैं।
(d) उपरोक्त दिये गए कथनों (a), (b) और (c) में से कोई भी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का सही विवरण नहीं है।

उत्तर: (b)

vpn

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

भारत NCAP

प्रिलिम्स के लिये:

भारत एनसीएपी, सड़क सुरक्षा।

मेन्स के लिये:

भारत एनसीएपी का महत्त्व और चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत एनसीएपी (न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) शुरू करने के लिये सामान्य वैधानिक नियम (GSR) अधिसूचना के मसौदे को मंज़ूरी दी है।

  • एनसीएपी को 1 अप्रैल, 2023 से शुरू किया जाएगा और इसका मतलब होगा कि भारत में ऑटो निर्माताओं के साथ-साथ आयातकों के पास देश के भीतर कारों को स्टार रेटेड प्राप्त करने का विकल्प होगा।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका पहला देश था जिसने क्रैश परीक्षणों के माध्यम से कार के सुरक्षा मानकों के परीक्षण के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया था।

भारत NCAP:

  • परिचय:
    • यह एक नया कार सुरक्षा मूल्यांकन कार्यक्रम है जो दुर्घटना परीक्षणों में उनके प्रदर्शन के आधार पर ऑटोमोबाइल को 'स्टार रेटिंग' देने का एक तंत्र प्रस्तावित करता है।
    • भारत एनसीएपी मानक वैश्विक बेंचमार्क के साथ संरेखित है और ये न्यूनतम नियामक आवश्यकताओं से परे हैं।
  • भारत NCAP रेटिंग:
    • प्रस्तावित भारत NCAP मूल्यांकन 1 से 5 स्टार तक स्टार रेटिंग आवंटित करेगा।
    • इस कार्यक्रम के लिये वाहनों का परीक्षण आवश्यक बुनियादी ढांँचे के साथ परीक्षण एजेंसियों के आधार पर किया जाएगा।
  • प्रयोज्यता:
    • यह देश में निर्मित या आयातित 3.5 टन से कम सकल वन वाले एम1 श्रेणी के अनुमोदित मोटर वाहनों पर लागू होगा।
      • एम1 श्रेणी के मोटर वाहनों का उपयोग यात्रियों के आवागमन के लिये किया जाता है, जिसमें चालक की सीट के अलावा आठ सीटें होती हैं।

NCAP का भारत के लिये महत्त्व:

  • उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाना:
    • नए नियम यात्री कारों की सुरक्षा रेटिंग की अवधारणा प्रस्तुत करते हैं और उपभोक्ताओं को सूचित निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाते हैं।
  • निर्यात-योग्यता बढ़ाता है:
    • क्रैश टेस्ट के आधार पर भारतीय कारों की स्टार रेटिंग न केवल कारों में संरचनात्मक और यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करेगी बल्कि भारतीय ऑटोमोबाइल की निर्यात-योग्यता को भी बढ़ाएगी।
  • ऑटोमोबाइल उद्योग आत्मनिर्भर होंगे:
    • यह भारत को दुनिया में नंबर 1 ऑटोमोबाइल हब बनाने के मिशन के साथ हमारे ऑटोमोबाइल उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने में भी एक महत्त्वपूर्ण साधन साबित होगा।

चुनौतियांँ:

  • बड़े पैमाने पर परीक्षण के लिये मज़बूत बुनियादी संरचना की तथा इसे सफलतापूर्वक और त्वरित तरीके से लागू करने के लिये भारी बजटीय समर्थन की आवश्यकता होगी।
  • भारत के प्रमुख शहरों ने परिवहन बुनियादी ढांँचे के निर्माण के लिये अपनी कुल भूमि आवंटन का मुश्किल से 6-10% (दिल्ली को छोड़कर, जिसने परिवहन बुनियादी ढांँचे के लिये लगभग 20% आवंटित किया है) को समर्पित किया है, जिसके कारण शहरों में जनसंख्या और इसकी आवश्यकताओं के संदर्भ में अपर्याप्त परिवहन अवसंरचना विकसित हुई है।

आगे की राह

  • परीक्षण प्रोटोकॉल को मौजूदा भारतीय नियमों में फैक्टरिंग ग्लोबल क्रैश टेस्ट प्रोटोकॉल के साथ संरेखित किया जाना चाहिये, जिससे OEM (मूल उपकरण निर्माता) को अपने वाहनों का परीक्षण भारत की अपनी इन-हाउस परीक्षण सुविधाओं में करने की अनुमति मिल सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


सामाजिक न्याय

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस, नशा मुक्त भारत अभियान / ड्रग्स-मुक्त भारत अभियान, विश्व ड्रग्स रिपोर्ट 2022

मेन्स के लिये:

नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या और संबंधित पहल, वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

प्रत्येक वर्ष 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस या विश्व ड्रग्स दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • विश्व ड्रग्स दिवस के अवसर पर UNODC द्वारा वर्ल्ड ड्रग्स रिपोर्ट 2022 जारी की गई।
    • UNODC वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 में कैनेबिस (भांँग) के वैधीकरण के बाद अवैध दवाओं के पर्यावरणीय प्रभावों और महिलाओं तथा युवाओं के बीच नशीली दवाओं के उपयोग के रुझानों पर प्रकाश डाला गया है।

विश्व ड्रग्स दिवस :

  • थीम:
  • इतिहास:
    • 7 दिसंबर, 1987 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।
    • इसने समाज को मादक द्रव्यों के सेवन से मुक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करनेे हेतु अपने प्रयासों को मज़बूत करने के लिये यह दिवस मनाने का निर्णय लिया।
  • महत्त्व:
    • समाज पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरनाक प्रभावों के बारे में जागरूकता का प्रसार करना तथा दुनिया को नशे से मुक्त करना है।
      • वर्ष 2022 में दुनिया अफगानिस्तान, यूक्रेन और अन्य जगहों पर व्यापक मानवीय संकट देख रही है, जबकि कोविड-19 महामारी अभी भी एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य संकट बनी हुई है।
      • सिंथेटिक दवा संकट के लिये भी स्तरीय और अनुकूलनीय समाधानों की आवश्यकता होती है।

संबंधित पहल:

द वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 के मुख्य बिंदु:

  • भारत:
    • भारत के बाज़ार और यूज़र्स के बढ़ने की संभावना:
      • भारत उपयोगकर्त्ताओं के मामले में दुनिया के सबसे बड़े अफीम बाज़ारों में से एक है और संभवत: बढ़ी हुई आपूर्ति के प्रति संवेदनशील होगा।
        • इसका कारण यह है कि अफगानिस्तान में उत्पन्न होने वाले अफीम की तस्करी की तीव्रता पारंपरिक बाल्कन मार्ग के साथ दक्षिण और पश्चिम के अलावा पूर्व की ओर हो सकती है।
      • इसके परिणाम विस्तारित उपयोग से लेकर तस्करी और संबद्ध संगठित अपराध के बढ़े हुए स्तरों तक हो सकते हैं।
    • अफीम की बरामदगी:
      • भारत में वर्ष 2020 में 5.2 टन अफीम की चौथी सबसे बड़ी मात्रा ज़ब्त की गई और तीसरी सबसे बड़ी मात्रा में मॉर्फिन (0.7 टन) भी उसी वर्ष ज़ब्त की गई ।
      • भारत में 2020 में लगभग 3.8 टन हेरोइन ज़ब्त की गई, जो दुनिया में पांँचवीं सबसे बड़ी मात्रा है।
        • भारत में अधिकारियों ने पहली बार 2020 में डार्क वेब पर गैर-चिकित्सा ट्रामाडोल और अन्य साइकोएक्टिव पदार्थों की तस्करी करने वाले प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क को खत्म करने की घोषणा की थी।
  • विश्व:
    • नशीली दवाओं के उपयोग में वृद्धि:
      • 15-64 वर्ष की आयु के लगभग 284 मिलियन लोगों ने 2020 में विश्व भर में नशीली दवाओं का इस्तेमाल किया, जो पिछले दशक की तुलना में 26% अधिक है।
    • कोकीन निर्माण की अधिकता:
      • विश्व भर में कोकीन का निर्माण वर्ष 2020 में रिकॉर्ड ऊंँचाई पर था, जो वर्ष 2019 से 11% बढ़कर 1,982 टन हो गया।
      • वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के बावजूद रिकॉर्ड 1,424 टन तक कोकीन की बरामदगी भी बढ़ गई।
      • विश्व भर में अफीम का उत्पादन वर्ष 2020 और 2021 के बीच 7% बढ़कर 7,930 टन हो गया, जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान में उत्पादन में वृद्धि के कारण हुआ।
      • हालांँकि इसी अवधि में अफीम पोस्ता की खेती के तहत वैश्विक क्षेत्र 16% से घटकर 2,46,800 हेक्टेयर रह गया।
    • महिलाओं की भूमिका:
      • महिलाएंँ विश्व स्तर पर नशीली दवाओं के उपयोगकर्त्ताओं के मामले में अल्पसंख्यक हैं, फिर भी पुरुषों की तुलना में उनमें नशीली दवाओं की खपत की दर और नशीली दवाओं के उपयोग विकारों की प्रगति में तेजी से वृद्धि होती है।
      • महिलाएंँ अब एम्फ़ैटेमिन के अनुमानित 45-49% उपयोगकर्त्ताओं और दवा उत्तेजक, फार्मास्युटिकल ओपिओइड, सेडेटिव तथा ट्रैंक्विलाइज़र के गैर-चिकित्सा उपयोगकर्त्ताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
      • महिलाओं ने वैश्विक कोकीन अर्थव्यवस्था में कई तरह की भूमिकाएँ निभाईं, जिनमें कोका की खेती, कम मात्रा में ड्रग्स का परिवहन, उन्हें उपभोक्ताओं को बेचना और जेलों में तस्करी शामिल है।
    • गलतफहमी के कारण लोग इलाज से वंचित:
      • समस्या की भयावहता और इससे जुड़े नुकसान के बारे में गलत धारणाएंँ लोगों को देखभाल एवं उपचार से वंचित कर रही हैं तथा युवाओं को प्रतिकूल व्यवहार की ओर धकेल रही हैं।
    • कारक:
      • दुनिया के कुछ हिस्सों में कैनबिस के वैधीकरण से इसके दैनिक उपयोग और संबंधित स्वास्थ्य प्रभावों में तेज़ी आई है।

रिपोर्ट की सिफारिशें:

  • वैश्विक ड्रग समस्या के हर पहलू को संबोधित करने के लिये आवश्यक संसाधनों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिसमें इसकी आवश्यकता वाले सभी लोगों के लिये साक्ष्य-आधारित चिकित्सा का प्रावधान शामिल है और हमें इस ज्ञान के आधार में सुधार करने की आवश्यकता है कि अवैध दवाएंँ अन्य तत्काल चुनौतियों (जैसे संघर्ष और पर्यावरण क्षरण) से किस प्रकार संबंधित हैं।
  • यह आवश्यक है कि दुनिया भर के नीति निर्माता उन देशों में जहांँ कोका बुश (Coca Bush) की अवैध खेती की जाती है, आर्थिक विकास और वैकल्पिक आजीविका को शामिल करते हुए समग्र दवा-आपूर्ति में कमी की रणनीति तैयार करें।
  • ड्रग नीति के प्रति दृष्टिकोण को संघर्ष के क्षेत्रों और शांति निर्माण प्रतिक्रियाओं में एकीकृत किया जाना चाहिये।
  • सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय अपराधों की जटिल और गहन जांँच को प्रोत्साहित करना चाहिये जिसका उद्देश्य संबंधित वित्तीय प्रवाह को प्रकट कर उसे समाप्त करना है।

शासन व्यवस्था

ज़िलों के लिये परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI-D)

प्रिलिम्स के लिये:

ज़िलों के लिये प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक (पीजीआई-डी), शिक्षा पर एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली प्लस (यूडीआईएसई+), राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस)।

मेन्स के लिये:

पीजीआई-डी, संबंधित पहलें, ज़िलों में स्कूल शिक्षा प्रणाली का प्रदर्शन।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSE&L), शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 हेतु ज़िलों के लिये केंद्र का पहला परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (Performance Grading Index for Districts-PGI-D) जारी किया।

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इंडेक्स के बारे में:

  • परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI-D):
    • PGI-D व्यापक विश्लेषण के लिये एक इंडेक्स बनाकर ज़िला स्तर पर स्कूली शिक्षा प्रणाली के प्रदर्शन का आकलन करता है।
    • PGI-D ने शिक्षा पर एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली प्लस (UDISE +), राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS), 2017 और संबंधित ज़िलों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंँकड़ों सहित विभिन्न स्रोतों से एकत्रित आंँकड़ों के आधार पर स्कूली शिक्षा में ज़िला स्तर के प्रदर्शन का आकलन किया।
  • कार्यप्रणाली:
    • संरचना: PGI-D संरचना में 83 संकेतकों में कुल 600 अंक शामिल हैं, जिन्हें छह श्रेणियों के तहत समूहीकृत किया गया है:
      • परिणाम, प्रभावी कक्षा, बुनियादी ढांँचा सुविधाएंँ और छात्र के अधिकार, स्कूल सुरक्षा एवं बाल संरक्षण, डिजिटल शिक्षण तथा शासन प्रक्रिया।
        • कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में दो श्रेणियांँ डिजिटल शिक्षण और प्रभावी कक्षा को जोड़ा गया है। हालांँकि ये श्रेणियांँ राज्य स्तरीय PGI का हिस्सा नहीं थीं।
      • इन श्रेणियों को आगे 12 डोमेन में विभाजित किया गया है।
    • आकलन ग्रेड: PGI-D ज़िलों को 10 ग्रेड में वर्गीकृत करता है। उच्चतम ग्रेड 'दक्ष (Daksh)' है, जो उस श्रेणी या कुल मिलाकर कुल अंकों के 90% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले ज़िलों के लिये है।
      • इसके बाद 'उत्कर्ष' (81% से 90%), 'अति उत्तम' (71% से 80%), 'उत्तम' (61% से 70%), 'प्रचेष्टा -1' (51% से 60%) और 'प्रचेष्टा-2' (41% से 50%) का स्थान है।
      • PGI-D में निम्नतम ग्रेड 'आकांक्षी-3' है जो कुल अंकों के 10% तक के स्कोर के लिये है।
        • इन दोनों वर्षों में कोई भी ज़िला उच्चतम 'दक्ष' ग्रेड में नहीं आया है।
  • महत्त्व:
    • संकेतक के आधार पर PGI स्कोर उन क्षेत्रों को दर्शाता है जहांँ एक ज़िले को सुधार की ज़रूरत है। PGI-D सभी ज़िलों के सापेक्ष प्रदर्शन को एक समान पैमाने पर प्रदर्शित करेगा जो उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने के लिये प्रोत्त्साहित करता है।
    • साथ ही यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं के लिये सूचना के एक अच्छे स्रोत के रूप में भी काम करेगा जिसे साझा किया जा सकता है।
    • यह छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और प्रशासकों सहित स्कूली शिक्षा प्रणाली के सभी हितधारकों को अपने ज़िले के तथा अन्य ज़िलों के प्रदर्शन को जानने में मदद करता है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:

  • सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शक:
    • राजस्थान के तीन ज़िलों ने मूल्यांकन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
      • रिपोर्ट के अनुसार, तीन ज़िलों- सीकर, झुंझुनू और जयपुर को वर्ष 2019-20 में 'उत्कर्ष' ग्रेड में रखा गया था, जबकि एक साल पहले कोई भी ज़िला उस श्रेणी में नहीं आता था।
    • राजस्थान में इस ग्रेड में सबसे अधिक 24 ज़िले हैं, इसके बाद पंजाब (14), गुजरात (13), और केरल (13) का स्थान है।
  • निम्न प्रदर्शक:
    • इस श्रेणी में सबसे कम अंक (50 में से 1) वाले ज़िले थे:
      • वर्ष 2020 में साउथ सलमारा-मांकचर (असम), अलीराजपुर (मध्य प्रदेश), नार्थ गारो हिल्स एंड साउथ गारो हिल्स इन मेघालय, एंड खोवै (त्रिपुरा)।
    • जिन 12 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में अति-उत्तम और उत्तम में एक भी ज़िला नहीं है, वे हैं:
      • बिहार, गोवा, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा एंड उत्तराखंड।
  • प्रगति:
    • रिपोर्ट के अनुसार, सभी श्रेणियों में ज़िलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
      • अति उत्तम ग्रेड में 2018-19 से 2019-20 के दौरान ज़िलों की संख्या 49 से बढ़कर 86 हो गई, जो "उल्लेखनीय सुधार" दर्शाती है।
      • 33 ज़िलों ने परिणामों में अपने स्कोर में सुधार किया, लेकिन ग्रेड-स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ।
        • परिणाम श्रेणी में छात्रों के सीखने के परिणाम, शिक्षकों की उपलब्धता और पेशेवर परिणाम शामिल हैं।
      • डिजिटल लर्निंग श्रेणी: 2018-19 की तुलना में 20 ज़िलों ने 20% से अधिक सुधार दिखाया है, जबकि 43 ज़िलों ने 2019-20 के दौरान अपने स्कोर में 10% से अधिक सुधार किया है।
      • अवसंरचनात्मक सुविधाएंँ: 478 ज़िलों ने वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2019-20 में अपने स्कोर में सुधार किया।
        • इन 478 ज़िलों में से 37 ज़िलों ने स्कोर में 20% से अधिक और 115 ज़िलों ने 10% से अधिक का सुधार किया, जिसका अर्थ है ग्रेड-स्तरीय सुधार।

इस दिशा में अन्य सरकारी पहल:

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020: इसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली में स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक कई बदलाव लाकर "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति" बनाना है।
  • समग्र शिक्षा: यह स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा हेतु एक एकीकृत योजना है।
  • मध्याह्न भोजन योजना: यह प्रावधान करती है कि कक्षा I से VIII में पढ़ने वाले छह से चौदह वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चा जो स्कूल में दाखिला लेता है और स्कूल जाता है, उसे स्कूल की छुट्टियों को छोड़कर हर दिन मुफ्त में गर्म पका हुआ पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
  • एकलव्य मॉडल स्कूल और राजीव गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप योजना (RGNF): इनका उद्देश्य अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये प्रोत्साहित करना है।

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-मलेशिया रक्षा सहयोग

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-मलेशिया रक्षा सहयोग, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संघ, मुक्त व्यापार समझौता।

मेन्स के लिये:

भारत-मलेशिया संबंध और हाल के विकास।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्री ने दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मज़बूत करने के लिये अपने मलेशियाई समकक्ष के साथ बातचीत की।

  • मलेशियाई वायु सेना 18 नए हल्के लड़ाकू विमानों की तलाश कर रही है, जिसमें दक्षिण कोरिया, पाकिस्तान, चीन और स्वीडन सहित कई राष्ट्र एक समूह बना रहे हैं। भारतीय ऑफर LCA Mk1A version के लिये है।
  • भारत ने स्वदेशी लड़ाकू विमानों के साथ-साथ मलेशिया द्वारा संचालित रूसी मूल के Su30 MKM विमान के रखरखाव के लिये दोहरे पैकेज की पेशकश की है।

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बैठक के मुख्य बिंदु:

  • दोनों देशों ने उन क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जिनमें भारतीय रक्षा उद्योग मलेशिया की सहायता कर सकता है। भारत ने भारतीय रक्षा उद्योग की सुविधाओं और उत्पादों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने के लिये मलेशिया के वरिष्ठ अधिकारियों को भारत आमंत्रित किया।
  • मलेशिया ने शांति अभियानों में महिलाकर्मियों को शामिल करने की आवश्यकता बताई। दोनों पक्ष इस मुद्दे पर एक-दूसरे को शामिल करने पर सहमत हुए।
  • दोनों देश मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) कार्यों के लिये क्षमता को उन्नत करने पर सहमत हुए
  • दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच मौजूदा रक्षा सहयोग गतिविधियों व ढाँचे एवं मौजूदा मलेशिया-भारत रक्षा सहयोग बैठक (मिडकॉम) ढाँचे के तहत उन्हें और बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
    • अगला मिडकॉम जुलाई 2022 में आयोजित होने वाला है और रक्षा क्षेत्र में गहरी भागीदारी के लिये इस मंच का उपयोग करने का निर्णय लिया गया।

भारत-मलेशिया संबंधों के प्रमुख बिंदु:

  • भारत ने 1957 में मलेशिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये।
  • आर्थिक संबंध: भारत और मलेशिया ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर हस्ताक्षर किये हैं। CECA एक तरह का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है।
    • भारत ने 10 सदस्यीय दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) के साथ सेवाओं और निवेश में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर भी हस्ताक्षर किये हैं।
    • मलेशिया ASEAN में तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
    • भारत और मलेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार मलेशिया के पक्ष में है।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: संयुक्त सैन्य अभ्यास "हरिमऊ शक्ति" दोनों देशों के बीच प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
  • पारंपरिक चिकित्सा: भारत और मलेशिया ने अक्तूबर 2010 में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

हाल के घटनाक्रम:

  • वर्ष 2020 में भारत और मलेशिया दोनों देशों के बीच राजनयिक कूटनीति के बाद चार महीने के अंतराल के पश्चात् मलेशियाई पाम आयल की खरीद फिर से शुरू हुई।
    • मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री ने भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की आलोचना की थी जिसे भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप माना गया।

भारत के लिये मलेशिया का महत्त्व:

  • एक ऐसे देश के रूप में जहांँ की 7.2% आबादी भारतीय मूल की है, मलेशिया भारत की विदेश नीति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • मलक्का जलडमरूमध्य और दक्षिण चीन सागर जैसे व्यस्त समुद्री मार्गों से घिरा मलेशिया भी भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक प्रमुख स्तंभ है और भारत की समुद्री संपर्क रणनीतियों के लिये महत्त्वपूर्ण है।

स्रोत: द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की 'गिग' इकॉनमी

प्रिलिम्स के लिये:

प्लेटफॉर्म वर्कर्स, स्टार्टअप इंडिया पहल, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020

मेन्स के लिये:

भारत के गिग सेक्टर की क्षमता, गिग सेक्टर से जुड़ी चुनौतियाँ, कार्यबल की सामाजिक सुरक्षा में सुधार के लिये नीति आयोग की सिफारिशें

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नीति आयोग ने 'इंडियाज़ बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकॉनमीी' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।

  • रिपोर्ट के अनुसार, 2029-30 तक भारत के गिग वर्कफोर्स के 2.35 करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है।
    • रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्ष 2020-21 में 77 लाख (7.7 मिलियन) कर्मचारी गिग इकॉनमी में संलग्न थे। जो भारत में गैर-कृषि कार्यबल का 2.6% या कुल कार्यबल के 1.5% थे।
  • नीति आयोग ने ऐसे श्रमिकों और उनके परिवारों के लिये सामाजिक सुरक्षा संहिता में परिकल्पित साझेदारी मोड में सामाजिक सुरक्षा उपायों का विस्तार करने की सिफारिश की।

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रिपोर्ट में उठाए गए प्रमुख मुद्दे:

  • पहुँच:
    • भले ही गिग इकॉनमी, रोज़गार के व्यापक विकल्पों के साथ उन सभी के लिये सुलभ है जो इस तरह के रोज़गार में संलग्न होने के इच्छुक हैं, परंतु इंटरनेट सेवाओं और डिजिटल प्रौद्योगिकी तक पहुँच एक प्रतिबंधात्मक कारक हो सकता है।
      • इसने गिग इकॉनमी को काफी हद तक एक शहरी परिघटना बना दिया है।
  • नौकरी और आय असुरक्षा:
    • गिग वर्कर्स को मज़दूरी, घंटे, काम करने की स्थिति और सामूहिक सौदेबाज़ी के अधिकार से संबंधित श्रम नियमों से लाभ नहीं मिलता है।
  • व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिम:
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ रोज़गार में लगे श्रमिकों, विशेष रूप से एप-आधारित टैक्सी और वितरण (Delivery) क्षेत्रों में महिला श्रमिकों को विभिन्न व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
  • बेमेल कौशल:
    • ऑनलाइन वेब-आधारित प्लेटफॉर्म पर ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज कौशल बेमेल की भिन्न स्वरूप देखे जा सकते है।
    • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के सर्वेक्षणों के अनुसार, उच्च शैक्षिक उपलब्धियों वाले श्रमिकों को आवश्यक रूप से उनके कौशल के अनुरूप काम नहीं मिल रहा है।
  • अनुबंध की शर्तों के कारण आने वाली चुनौतियाँ:
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने की स्थिति बड़े पैमाने पर सेवा समझौतों की शर्तों द्वारा नियंत्रित होती है। वे मंच के मालिक और कार्यकर्ता के बीच संविदात्मक संबंधों को रोज़गार के अलावा अन्य के रूप में चिह्नित करते हैं।

गिग अर्थव्यवस्था:

  • गिग अर्थव्यवस्था एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जिसमें सामान्य अस्थायी पद होते हैं और संगठन अल्पकालिक जुड़ाव के लिये स्वतंत्र श्रमिकों के साथ अनुबंध करते हैं।
    • गिग वर्कर: एक व्यक्ति जो काम करता है या कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों के बाहर ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है"।
  • बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के गिग वर्कफोर्स में सॉफ्टवेयर, साझा और पेशेवर सेवाओं जैसे उद्योगों में 15 मिलियन कर्मचारी कार्यरत हैं।
  • इंडिया स्टाफिंग फेडरेशन की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, चीन, ब्राज़ील और जापान के बाद भारत वैश्विक स्तर पर फ्लेक्सी-स्टाफिंग में पाँचवाँ सबसे बड़ा देश है।

भारत के गिग सेक्टर की क्षमता:

  • भारत में अनुमानित 56% नए रोज़गार गिग इकॉनमी कंपनियों द्वारा ब्लू-कॉलर और व्हाइट-कॉलर कार्यबल दोनों में उत्पन्न किये जा रहे हैं।
  • जबकि भारत में ब्लू-कॉलर नौकरियों के बीच गिग इकॉनमी प्रचलित है, वाइट-कॉलर नौकरियों जैसे- परियोजना-विशिष्ट सलाहकार, विक्रेता, वेब डिज़ाइनर, सामग्री लेखक और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स में गिग श्रमिकों की मांग भी उभर रही है।
  • गिग इकॉनमी भारत में गैर-कृषि क्षेत्रों में 90 मिलियन नौकरियाँ उपलब्ध करा सकती है, जिसमें "दीर्घावधि" में सकल घरेलू उत्पाद में और 1.25% की वृद्धि होने की संभावना है।
  • जैसा कि भारत वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने घोषित लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, आय और बेरोज़गारी के अंतर को कम करने में गिग इकॉनमी की प्रमुख भूमिका होगी।

गिग सेक्टर के प्रमुख चालक:

  • कहीं से भी कार्य करने का लचीलापन:
    • डिजिटल युग में कार्यकर्त्ता को एक निश्चित स्थान पर बैठने की आवश्यकता नहीं होती है- कार्य कहीं से भी किया जा सकता है, इसलिये नियोक्ता किसी परियोजना के लिये उपलब्ध सर्वोत्तम प्रतिभा का चयन स्थान से बँधे बिना कर सकते हैं।
  • कार्य के प्रति बदलता दृष्टिकोण:
    • लगता है कि मिलेनियल जेनरेशन का करियर के प्रति काफी अलग नज़रिया है। वे ऐसा करियर, जिससे उनको संतुष्टि नहीं प्राप्त हो, बनाने के बजाय ऐसा कार्य करना चाहते हैं जो उनकी पसंद का है।
  • व्यापार प्रतिदर्श:
    • गिग कर्मचारी विभिन्न मॉडल पर काम करते हैं जैसे कि निश्चित शुल्क (अनुबंध की शुरुआत के दौरान तय), समय और प्रयास, वितरित किये गए कार्य की वास्तविक इकाई एवं परिणाम की गुणवत्ता। फिक्स्ड-फीस मॉडल सबसे प्रचलित है। हालांँकि समय और प्रयास मॉडल एक-दूसरे के करीब आते हैं।
  • स्टार्टअप कल्चर का उदय:
    • भारत में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र तेज़ी से विकसित हो रहा है। स्टार्टअप के लिये पूर्णकालिक कर्मचारियों को काम पर रखने से उच्च निश्चित लागत की आवश्यकता होती है और इसलिये गैर-मुख्य गतिविधियों के लिये संविदात्मक फ्रीलांसर काम पर रखे जाते हैं।
    • स्टार्टअप अपने तकनीकी प्लेटफाॅर्मों को मज़बूती प्रदान करने के लिये इंजीनियरिंग, उत्पाद, डेटा विज्ञान और एमएल जैसे क्षेत्रों में कुशल प्रौद्योगिकी फ्रीलांसर (प्रति परियोजना के आधार पर) को काम पर रखने पर भी विचार कर रहे हैं।
  • संविदा कर्मचारियों की बढ़ती मांग:
    • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ महामारी के बाद परिचालन खर्च को कम करने के लिये विशेष रूप से विशिष्ट परियोजनाओं हेतु फ्लेक्सी-हायरिंग विकल्प अपना रही हैं।
    • यह प्रवृत्ति भारत में गिग संस्कृति के प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

प्लेटफॉर्म वर्कर्स:

  • परिचय:
    • प्लेटफ़ॉर्म वर्कर का तात्पर्य किसी ऐसे संगठन के लिये काम करने वाले कार्यकर्त्ताओं से है जो व्यक्तियों या संगठनों को सीधे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके विशिष्ट सेवाएँ प्रदान करता है।
    • उदाहरण: ओला या उबर ड्राइवर, स्विगी या ज़ोमैटो डिलीवरी एजेंट आदि।
  • चिंताएँ:
    • वे औपचारिक और अनौपचारिक श्रम के पारंपरिक द्विभाजन के दायरे से बाहर हैं।
    • प्लेटफ़ॉर्म कार्यकर्त्ता स्वतंत्र ठेकेदार हैं क्योंकि वे कार्यस्थल सुरक्षा और अधिकारों के कई पहलुओं तक नहीं पहुँच सकते हैं।

सिफारिशें:

  • 'प्लेटफॉर्म इंडिया पहल':
    • 'स्टार्टअप इंडिया पहल' की तर्ज पर प्लेटफॉर्म इंडिया पहल, कौशल विकास और सामाजिक वित्तीय समावेशन में तेज़ी लाने से प्लेटफॉर्म द्वारा पेश किये गए लचीलेपन और श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को संतुलित करने के लिये एक ढांँचा प्रदान किया जा सकता है।
      • क्षेत्रीय और ग्रामीण व्यंजन, स्ट्रीट फूड आदि बेचने के व्यवसाय में लगे स्व-नियोजित व्यक्तियों को प्लेटफार्मों से जोड़ा जा सकता है ताकि वे अपने उत्पाद को कस्बों एवं शहरों के व्यापक बाज़ारों में बेच सकें।
  • अनुदान सहायता:
    • वित्तीय उत्पादों के माध्यम से संस्थागत ऋण तक पहुंँच को बढ़ाया जा सकता है जो विशेष रूप से प्लेटफॉर्म श्रमिकों और अपने स्वयं के प्लेटफॉर्म स्थापित करने में रुचि रखने वालों के लिये डिज़ाइन किये गए हैं।
    • सभी आकार के प्लेटफॉर्म व्यवसायों को वेंचर कैपिटल फंडिंग, बैंकों और अन्य फंडिंग एजेंसियों से अनुदान तथा ऋण प्रदान किया जाना चाहिये।
  • लिंग संवेदीकरण:
    • लैंगिक समानता की चिंताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाकर व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करना।

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया

प्रिलिम्स के लिये:

हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया, हैबर प्रक्रिया

मेन्स के लिये:

हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया पॉलिसी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रसंस्करण उद्योग में हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादन एवं उपयोग पर एक सेमिनार आयोजित किया गया था।

  • प्रसंस्करण उद्योग वे कंपनियांँ हैं जो भौतिक, यांत्रिक और/या रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से अर्ध-तैयार या उच्च गुणवत्ता वाले अंतिम उत्पादों के निर्माण के लिये कच्चे माल, परिवहन और संसाधित करती हैं।

हरित हाइड्रोजन:

  • परिचय:
    • यह ईंधन भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये गेम-चेंजर हो सकता है, जो अपने तेल का 85% और गैस आवश्यकताओं का 53% आयात करता है।
    • स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिये भारत उर्वरक संयंत्रों और तेल रिफाइनरियों हेतु हरित हाइड्रोजन खरीदना अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है।
  • उत्पादन की विधि:
    • यह पवन और सौर जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके उत्पादित किया जाता है।
  • उपयोग:
  • महत्त्व:
    • भारत के लिये अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्यों को पूरा करने और क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुंँच व उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हरित हाइड्रोजन ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है।
    • हरित हाइड्रोजन एक ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में (नवीकरणीय ऊर्जा के) अंतराल को भरने के लिये आवश्यक होगा।
    • गतिशीलता के संदर्भ में शहरों और राज्यों के भीतर शहरी वस्तुओं की ढुलाई या यात्रियों की लंबी दूरी की यात्रा के लिये रेलवे, बड़े जहाज़ों, बसों या ट्रकों आदि में हरित हाइड्रोजन का उपयोग किया जा सकता है।
    • बुनियादी ढाँचे के समर्थन में हाइड्रोजन में प्रमुख नवीकरणीय लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता है।

हरित अमोनिया:

  • परिचय:
    • अमोनिया एक ऐसा रसायन है जिसका उपयोग मुख्य रूप से यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट जैसे नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों के निर्माण में किया जाता है, लेकिन इसका उपयोग अन्य उपयोगों जैसे कि इंजन संचालन के लिये भी किया जा सकता है।
    • हरित अमोनिया का उत्पादन वहाँ होता है जहांँ अमोनिया बनाने की प्रक्रिया 100% नवीकरणीय और कार्बन मुक्त होती है।
  • उत्पादन की विधि:
    • हरित अमोनिया बनाने की एक विधि जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा हाइड्रोजन तथा नाइट्रोजन को वायु द्वारा अलग करना है। फिर धारणीय/सतत् ऊर्जा का उपयोग करते हुए इन्हें हैबर प्रक्रिया (जिसे हैबर-बॉश के नाम से भी जाना जाता है) से गुज़ारा जाता है।
      • हरित अमोनिया के उत्पादन में अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे- हाइड्रो-इलेक्ट्रिक, सौर ऊर्जा या पवन टरबाइन का उपयोग किया जाता है।
    • हैबर प्रक्रिया में अमोनिया (NH3) का उत्पादन करने हेतु उच्च ताप एवं दाब पर हाइड्रोजन और नाइट्रोजन की एक साथ क्रिया कराई जाती है।
  • उपयोग:
    • ऊर्जा भंडारण: अमोनिया को मामूली दबाव (10-15 बार) पर या -33 डिग्री सेल्सियस तक प्रशीतित तरल के रूप में आसानी से संग्रहीत किया जा सकता है। यह इसे अक्षय ऊर्जा के लिये एक आदर्श रासायनिक भंडार बनाता है।
    • शून्य-कार्बन ईंधन: अमोनिया को इंजन में जलाया जा सकता है या बिजली पैदा करने के लिये फ्यूल सेल में इस्तेमाल किया जा सकता है। जब उपयोग किया जाता है, तो अमोनिया के सह-उत्पाद जल और नाइट्रोजन होते हैं।
    • समुद्री उद्योग में समुद्री इंजनों में ईंधन तेल के उपयोग की जगह इसे शीघ्र अपनाने की संभावना है।
  • महत्त्व:
    • हरित अमोनिया का उपयोग कार्बन-तटस्थ उर्वरक के उत्पादन, खाद्य मूल्य शृंखला को डीकार्बोनाइज़ करने और भविष्य के जलवायु-तटस्थ शिपिंग ईंधन (Climate-Neutral Shipping Fuel) के रूप में किया जा सकता हैl
    • बढ़ती वैश्विक आबादी के लिये खाद्यान्न उपलब्ध करने, CO2 मुक्त ऊर्जा उत्पादन तथा पर्याप्त भोजन का उत्पादन करने की मौजूदा चुनौतियों से निपटने में हरित अमोनिया महत्त्वपूर्ण है।

हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया नीति:

  • नीति के तहत सरकार उत्पादन हेतु विशिष्ट विनिर्माण क्षेत्र स्थापित करने की पेशकश कर रही है, प्राथमिकता के आधार पर ISTS (इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम) से कनेक्टिविटी और जून 2025 से पहले उत्पादन सुविधा चालू होने पर 25 वर्ष के लिये मुफ्त ट्रांसमिशन की पेशकश की गई है।
    • इसका मतलब यह है कि हरित हाइड्रोजन उत्पादक असम में एक हरित हाइड्रोजन संयंत्र को नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति करने हेतु राजस्थान में एक सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में सक्षम होंगे और उसे किसी भी ‘अंतर-राज्यीय संचरण शुल्क’ का भुगतान नहीं करना होगा।
  • इसके अलावा उत्पादकों को शिपिंग द्वारा निर्यात के लिये हरितअमोनिया के भंडारण हेतु बंदरगाहों के पास बंकर स्थापित करने की अनुमति होगी।
  • उत्पादन लक्ष्य भी वर्ष 2030 तक 10 लाख टन से 5 मिलियन टन तक पाँच गुना बढ़ा दिया गया है।
    • अक्तूबर 2021 में यह घोषणा की गई थी कि भारत शुरू में 2030 तक लगभग 1 मिलियन टन वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है।
  • हरित हाइड्रोजन और अमोनिया के विनिर्माताओं को पावर एक्सचेंज से अक्षय ऊर्जा खरीदने या अक्षय ऊर्जा क्षमता को स्वयं या किसी अन्य डेवलपर के माध्यम से कहीं भी स्थापित करने की अनुमति है।
  • व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करने के लिये एमएनआरई (नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय) द्वारा समयबद्ध तरीके से वैधानिक मंज़ूरी सहित सभी गतिविधियों को करने के लिये एक एकल पोर्टल स्थापित किया जाएगा।

स्रोत: पी.आई.बी.


शासन व्यवस्था

सड़क सुरक्षा के लिये भारत राज्य सहायता कार्यक्रम

प्रिलिम्स के लिये:

सड़क सुरक्षा के लिये भारत राज्य सहायता कार्यक्रम, ब्रासीलिया घोषणा, मोटर वाहन (एमवी) (संशोधन) अधिनियम, 2019, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

मेन्स के लिये:

सड़क सुरक्षा - भारत से संबंधित पहल, चुनौतियाँ, उठाए जा सकने वाले कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व बैंक ने सात राज्यों की सड़क सुरक्षा हेतु भारत राज्य सहायता कार्यक्रम के लिये 250 मिलियन अमेरीकी डाॅलर के ऋण को मज़ूूरी दी है, जिसके तहत दुर्घटना के बाद की घटनाओं को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिये एक सिंगल एक्सीडेंट रिपोर्ट नंबर (Single Accident Reporting Number) स्थापित किया जाएगा।

विश्व बैंक:

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्थापना एक साथ वर्ष 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के दौरान हुई थी।
    • विश्व बैंक समूह विकासशील देशों में गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये काम कर रहे पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है।
  • सदस्य:
    • 189 देश इसके सदस्य हैं।
    • भारत भी इसका सदस्य है।
  • प्रमुख रिपोर्ट:
  • इसके पाँंच विकास संस्थान:
    • पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD)
    • अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)
    • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)
    • बहुपक्षीय गारंटी एजेंसी (MIGA)
    • निवेश विवादों के निपटान के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID)
      • भारत इसका सदस्य नहीं है।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएंँ:

  • परिचय:
    • दुर्घटनाओं का विश्लेषण करने और बेहतर तथा सुरक्षित सड़कों के निर्माण के लिये इसका उपयोग करने हेतु परियोजना एक राष्ट्रीय सामंजस्यपूर्ण क्रैश डेटाबेस सिस्टम स्थापित करेगी।
    • पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD) से 250 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के परिवर्तनीय स्प्रेड ऋण की परिपक्वता अवधि 18 वर्ष है जिसमें 5.5 वर्ष की छूट अवधि शामिल है।
    • इसे आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में लागू किया जाएगा।
  • लक्ष्य:
    • इसका उद्देश्य बुनियादी और उन्नत लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस के नेटवर्क विस्तार और मौके पर ही सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिये फर्स्ट रेस्पॉन्डर केयरगिवर्स के प्रशिक्षण हेतु फंड देना है।
    • यह परियोजना राज्यों को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) रियायतों और पायलट पहलों के माध्यम से निजी वित्तपोषण का लाभ उठाने के लिये प्रोत्साहन भी प्रदान करेगी।
    • सड़क हादसों का खामियाजा महिलाओं को अप्रत्यक्ष रूप से भुगतना पड़ता है। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए परियोजना में लिंग पर विशेष ध्यान दिया गया है और सड़क सुरक्षा क्षेत्र में प्रबंधन भूमिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देगा।
      • यह परियोजना विशेष रूप से पोस्ट-क्रैश केयर कमांड और नियंत्रण केंद्रों में महिलाओं के लिये रोज़गार के अवसर भी प्रदान करेगी।

भारत में सड़क दुर्घटना परिदृश्य:

  • आधिकारिक सरकारी आँकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1,50,000 लोग मारे जाते हैं और अन्य 4,50,000 लोग घायल होते हैं।
  • पीड़ितों में से आधे से अधिक पैदल चलने वाले, साइकिल चालक या मोटर साइकिल चालक होते हैं और सभी मौतों में से लगभग 84% 18-60 वर्ष की कामकाजी उम्र के बीच वाले व्यक्तियों की है।
  • गरीब परिवार जो दुर्घटना के शिकार लोगों का 70% से अधिक हिस्सा है, आय की कमी, उच्च चिकित्सा व्यय और सामाजिक सुरक्षा जाल तक सीमित पहुंँच के कारण सड़क दुर्घटनाओं के सामाजिक-आर्थिक बोझ का एक उच्च अनुपात वहन करते हैं।

सड़क सुरक्षा हेतु पहल:

  • वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु सड़क सुरक्षा पर तीसरा उच्च स्तरीय वैश्विक सम्मेलन 2030':
    • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने वर्ष 2020 में स्वीडन में एक सम्मेलन (वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु सड़क सुरक्षा पर तीसरा उच्च स्तरीय वैश्विक सम्मेलन 2030 ) में भाग लिया, जहांँ वर्ष 2030 तक भारत में शून्य सड़क दुर्घटना का लक्ष्य रखा है।
  • ब्रासीलिया घोषणा पत्र (Brasilia Declaration):
    • भारत ने ब्रासीलिया घोषणा पर हस्ताक्षर किये और मृत्यु दर में कमी लाने के लिये प्रतिबद्ध है।
    • ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा पर दूसरे वैश्विक उच्च स्तरीय सम्मेलन में घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए।
  • मोटर वाहन (MV) (संशोधन) अधिनियम, 2019:
    • इसने यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, किशोर ड्राइविंग आदि के लिये दंड में वृद्धि की है।
    • यह मोटर वाहन दुर्घटना कोष प्रदान करता है, जो भारत में सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को कुछ प्रकार की दुर्घटनाओं के लिये अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगा।

स्रोत: द हिंदू


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