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डेली न्यूज़

  • 26 Apr, 2025
  • 21 min read
मुख्य परीक्षा

जलवायु संकट और जेंडर आधारित हिंसा

स्रोत: संयुक्त राष्ट्र

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र (UN) स्पॉटलाइट इनिशिएटिव द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन से, विशेष रूप से निर्धन और सुभेद्य समुदायों में, महिलाओं के खिलाफ होने वाले जेंडर आधारित हिंसा (GBV) के मामले बढ़ रहे हैं।

  • इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो वर्ष 2100 तक अंतरंग साथी द्वारा कारित हिंसा (IPV) के 10 में से 1 मामला जलवायु में होने वाले परिवर्तन के कारण होगा।

संयुक्त राष्ट्र स्पॉटलाइट पहल

  • स्पॉटलाइट पहल यूरोपीय संघ (EU) और संयुक्त राष्ट्र (UN) के बीच एक वैश्विक, बहु-वर्षीय साझेदारी है जिसका उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं (VAWG) के साथ होने वाली सभी प्रकार की हिंसा की रोकथाम करना है

जलवायु-जेंडर आधारित हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के निष्कर्ष और अनुशंसाएँ क्या हैं?

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • जलवायु परिवर्तन से GBV में मामलों में बढ़ोतरी: तापमान में 1°C की वृद्धि से अंतरंग साथी द्वारा कारित हिंसा (IPV) के मामलों में 4.7% की बढ़ोतरी हुई। 
    • तापमान में 2°C वृद्धि के साथ, वर्ष 2090 तक प्रतिवर्ष 40 मिलियन अधिक महिलाओं और बालिकाओं को IPV का सामना करना पड़ सकता है तथा 3.5°C से निम्न की स्थिति में यह संख्या दोगुने से भी अधिक हो सकती है। 
    • तापन को 1.5°C तक सीमित करने से वर्ष 2060 तक IPV दर 24% से घटकर 14% हो सकती है।
  • आपदा-जनित हिंसा और अंडर रिपोर्टिंग: वर्ष 2023 में, 93.1 मिलियन लोगों को जलवायु आपदाओं का सामना करना पड़ा, और 423 मिलियन महिलाओं को IPV का सामना करना पड़ा।
    • हीट वेव्स के कारण महिलाओं की हत्या (Femicide) के मामलों में 28% की बढ़ोतरी हुई, तथा आपदा के बाद की स्थितियों, विशेष रूप से बाढ़, अनावृष्टि और विस्थापन, के कारण बाल विवाह, मानव तस्करी और लैंगिक शोषण की घटनाएँ बढ़ गईं। 
    • इस रिपोर्ट में जेंडर आधारित हिंसा (GBV) को "शैडो पेंडेमिक" के रूप में विनिर्दिष्ट  किया गया है, और उल्लेख किया गया कि समग्र विश्व में तीन में से एक महिला को शारीरिक, लैंगिक अथवा मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, और केवल 7% पीड़िताओं ने ही इन घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज कराई।
  • सुभेद्य समूहों को GBV का अधितम जोखिम: निर्धनता में जीवन यापन करने वाली महिलाओं, अनौपचारिक बस्तियों, कृषि व मूल समुदायों, दिव्यांग यक्तियों, वृद्धजनों और LGBTQ+ व्यक्तियों को सीमित सहायता प्रणालियों के कारण GBV का अधिक जोखिम होता है।
    • पर्यावरण अधिकारों के लिये लड़ने वाली महिलाओं को उत्पीड़न, हिंसा, अपहरण और यहाँ तक ​​कि हत्या का भी सामना करना पड़ता है। 
  • जेंडर-क्लाइमेट फंडिंग में अंतराल: जलवायु संबंधी विकास सहायता का केवल 0.04% ही मुख्य रूप से जेंडर समानता पर केंद्रित है, जो जलवायु कार्यवाही में जेंडर समानता से निपटने में बड़ी विफलता को दर्शाता है।

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें

  • जलवायु नीति में GBV को एकीकृत करना: स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर सभी जलवायु नीतियों और कार्यक्रमों में जेंडर हिंसा की रोकथाम को मुख्यधारा में लाना तथा जेंडर केंद्रित जलवायु वित्तपोषण में वृद्धि करना।
  • महिलाओं की सुरक्षा और नेतृत्व को प्राथमिकता देना: यह सुनिश्चित करना कि महिलाएँ नेतृत्वकर्त्ता और लाभार्थी के रूप में जलवायु समाधान में केंद्रीय भूमिका का निर्वहन करें।
    • GBV को जलवायु लचीलेपन में बाधा के रूप में पहचानना और उसका समाधान करना, तथा इसे सतत् विकास प्रयासों का मुख्य भाग बनाना।
    • नागरिक समाज संगठनों और महिला आंदोलनों, जैसे कि पैसिफिक फेमिनिस्ट कम्युनिटी ऑफ प्रैक्टिस, की क्षमता का समर्थन करना आवश्यक है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जेंडर जस्टिस COP27 जैसे वैश्विक जलवायु मंचों का केंद्रबिंदु हो, तथा समावेशी और सतत् जलवायु समाधानों को बढ़ावा दिया जा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम पद्धतियाँ अपनाना: जेंडर-संवेदनशील कार्यक्रमों को लागू करना, जैसा कि वानुअतु, लाइबेरिया और मोज़ाम्बिक में देखा गया है, जो जेंडर जस्टिस को जलवायु लचीलेपन से जोड़ते हैं। 
    • प्रमुख उपायों में पूर्व महिला जननांग विकृति (FGM) चिकित्सकों को जलवायु-स्मार्ट कृषि में पुनः प्रशिक्षित करना, आपदा प्रतिक्रिया में GBV सेवाओं को शामिल करना, तथा जलवायु-प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल हेल्थ क्लीनिकों की तैनाती करना शामिल है। 

महिलाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?

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निष्कर्ष

जलवायु संकट एक जेंडर क्राइसिस है। संयुक्त राष्ट्र के निष्कर्ष जलवायु रणनीतियों के मूल में जेंडर समानता और हिंसा की रोकथाम को एकीकृत करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। भारत और वैश्विक समुदाय के लिये इसका अर्थ है नीतिगत ढाँचे पर पुनर्विचार करना ताकि वह समावेशी, उत्तरदायी और अधिकार-केंद्रित हो। केवल तभी हम एक जलवायु-लचीला भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जो सभी के लिये सुरक्षित और न्यायसंगत हो।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. जलवायु संकट और जेंडर हिंसा के बीच संबंध की जाँच कीजिये। जलवायु कार्यवाही में जेंडर-संवेदनशील रणनीतियों को शामिल करने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा विश्व के देशों के लिये 'सार्वभौमिक लैंगिक अंतराल सूचकांक' का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (2017)

(a) विश्व आर्थिक मंच
(b) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
(c) संयुक्त राष्ट्र महिला
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a) 


मेन्स

प्रश्न 1: “महिलाओं का सशक्तीकरण जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने की कुंजी है।” विवेचना कीजिये। (2019) 

प्रश्न 2: भारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की चर्चा कीजिये? (2015) 

प्रश्न 3: महिला संगठन को लैंगिक पूर्वाग्रह से मुक्त बनाने के लिये पुरुष सदस्यता को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। टिप्पणी कीजिये। (2013)


भारतीय विरासत और संस्कृति

ताजमहल की सुरक्षा

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन, ताजमहल

मेन्स के लिये:

औद्योगीकरण बनाम विरासत संरक्षण, भारत में विरासत स्थलों का संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण में न्यायपालिका की भूमिका

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) को ताजमहल पर आस-पास की काँच औद्योगिक इकाइयों के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने का निर्देश दिया है।

  • यह निर्देश विश्व धरोहर स्थल के आसपास के संवेदनशील क्षेत्र ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में औद्योगिक प्रदूषण को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आया है।

ताजमहल के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था और उस्ताद अहमद लाहौरी को इसका मुख्य वास्तुकार माना जाता है।
    • इसका निर्माण 1632 ई. में शुरू हुआ और 1648 ई. में पूरा हुआ। इसकी सहायक संरचनाएँ 1653 ई. तक पूरी हो गईं। इसे मुगल साम्राज्य, मध्य एशिया और ईरान के कारीगरों द्वारा बनाया गया था।
  • स्थान और लेआउट: ताजमहल उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना के दाहिने किनारे पर स्थित है। यह 17 हेक्टेयर के मुगल उद्यान के अंदर स्थित है जिसमें चार उपविभाजित क्वार्टरों के साथ तिमुरिद-फारसी चारबाग लेआउट का अनुसरण किया गया है।
  • प्रयुक्त सामग्री: ईंट-चूने के गारे, लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर ( मुख्य संरचना के लिये मकराना (राजस्थान) से उत्खनित) से निर्मित।
    • इसमें जेड, क्रिस्टल, फिरोज़ा, लैपिस लाजुली आदि रत्नों का उपयोग करके व्यापक जड़ाई कार्य किया गया था।
  • स्थापत्य विशेषताएँ: संपूर्ण परिसर (मकबरा, मस्जिद, अतिथि गृह, द्वार) संरचनात्मक रूप से अभी भी मौजूद है।
    • मकबरा कक्ष अष्टकोणीय है जिसमें चार अतिरिक्त कोने वाले कमरे और एक केंद्रीय स्थल है जिसमें मुमताज महल और शाहजहाँ की समाधि है। मुगल परंपरा के अनुसार वास्तविक कब्रें निचले तहखाने में हैं।
    • मकबरे की संरचना वर्गाकार आकृति की है।
  • यूनेस्को विश्व धरोहर मान्यता: वर्ष 1983 में यूनेस्को ने ताजमहल को मानदंड (i) के तहत विश्व धरोहर सूची में अंकित किया तथा इसे मानव रचनात्मक प्रतिभा की उत्कृष्ट कृति के रूप में मान्यता दी।
    • यह विश्व स्तर पर विश्व के सात आश्चर्यों में से एक के रूप में प्रसिद्ध है।
  • संरक्षण और प्रबंधन: ताजमहल को वर्ष 1920 में राष्ट्रीय महत्त्व का केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था।
    • इसका प्रबंधन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किया जाता है। यह प्राचीन संस्‍मारक तथा पुरातत्‍वीय स्‍थल और अवशेष अधिनियम, 1958 और 1959 नियमों के तहत संरक्षित है और TTZ के तहत संलग्न है।
  • ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन (TTZ): यह ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिये उसके चारों ओर 10,400 वर्ग किमी का निर्धारित क्षेत्र है। 
    • TTZ में तीन विश्व धरोहर स्थल (ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी) सहित कई स्मारक शामिल हैं। इसका नाम इसके समलंब चतुर्भुज आकार के कारण रखा गया है। 
    • TTZ को सर्वोच्च न्यायालय के 1996 के निर्णय (एमसी मेहता बनाम भारत संघ एवं अन्य) द्वारा ध्यान में लाया गया, जिसमें इस क्षेत्र में उद्योगों द्वारा कोयला/कोक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया तथा प्राकृतिक गैस जैसे स्वच्छ ईंधनों के उपयोग को अनिवार्य बना दिया गया। 
    • इस ज़ोन के तहत प्रदूषण के स्तर के आधार पर उद्योगों को लाल, नारंगी, हरी और सफेद श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। 
    • TTZ ढाँचा प्रदूषण नियंत्रण, वायु गुणवत्ता निगरानी और ताजमहल की पर्यावरणीय अक्षुण्णता के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिये ज़िम्मेदार है।

Taj_Trapezium_Zone

ताजमहल के समक्ष कौन-से खतरे हैं?

  • होता समिति (2016): ताजमहल के समीप प्रदूषण स्रोतों की होता समिति की जाँच की और यह निष्कर्ष प्रस्तुत किया कि प्रदूषण के स्थानीय स्रोत का, जिनमें वाहन उत्सर्जन, बायोमास दहन और निर्माण गतिविधियाँ शामिल हैं, आगरा में वायु प्रदूषण में प्रमुख योगदान देते हैं।
  • 262वीं  संसदीय रिपोर्ट (2015): विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन संबंधी संसदीय स्थायी समिति की 262वीं रिपोर्ट के अनुसार ताजमहल की सुरक्षा के लिये वर्ष 1999 में स्थापित TTZ प्राधिकरण में कर्मचारियों, धन और संरचना का अभाव है, जिससे यह अप्रभावी है। 
    • वाहनों, उद्योगों और अनुपचारित सीवेज से उत्पन्न प्रदूषण के कारण काले और भूरे रंग के कार्बन जमा हो गए हैं, जिससे ताज के संगमरमर का रंग खराब हो गया है।  
    • अवैध औद्योगिक विस्तार और अनुपयुक्त प्रवर्तन से स्मारक का संरक्षण खतरे में पड़ गया है।
  • वरदराजन समिति (1977): समिति ने ताजमहल के समीप उच्च निलंबित कणिकीय द्रव्य (SPM) पर चिंता व्यक्त की, जो मुख्य रूप से कोयला-उपयोग करने वाले उद्योगों से उत्पन्न होता है।
  • NEERI रिपोर्ट (2016): NEERI के आकलन के अनुसार फिरोज़ाबाद में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM 10) की सांद्रता स्वीकार्य सीमा से अधिक हो गई, जो (फिरोज़ाबाद) TTZ के अंतर्गत आता है। 
    • मथुरा रिफाइनरी को ताजमहल को प्रभावित करने वाले प्रदूषण में योगदान देने वाले अहम दूरस्थ स्रोतों के रूप में पहचाना गया।

राष्‍ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्‍थान (NEERI)

  • वर्ष 1958 में नागपुर में स्थापित NEERI, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अंतर्गत एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। 
    • यह अनुसंधान एवं विकास, नीति विकास और प्रौद्योगिकी नवाचार के माध्यम से पर्यावरण प्रबंधन, प्रदूषण नियंत्रण और सतत् विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • नागपुर में मुख्यालय वाली NEERI चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में पाँच क्षेत्रीय प्रयोगशालाएँ संचालित करती है।

ताजमहल के सुरक्षण हेतु क्या किया जाना चाहिये?

  • फ्लू गैस पुनःपरिसंचरण (FGR) की नीति: FGR से फ्लू गैस का तापमान कम होता है, जिससे कण परिक्षेपण न्यूनतम होता है और समग्र उत्सर्जन गुणवत्ता में सुधार होता है।
    • NEERI द्वारा अनुशंसित इस तकनीक को धूल उत्सर्जन को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने के लिये काँच उद्योग में एक मानक अभ्यास के रूप में लागू किया जाना चाहिये। 
    • दहन के दौरान नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्पादन को न्यूनतम करने के लिये निम्न-NOx बर्नर को एकीकृत किया जाना चाहिये।
  • स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण: यह सुनिश्चित करें कि TTZ के अंतर्गत विद्यमान सभी उद्योगों द्वारा स्वच्छ ईंधन जैसे पाइप्ड प्राकृतिक गैस (PNG) अथवा उज्ज्वला योजना (स्वच्छ घरेलू ईंधन हेतु) और वहनयोग्य परिवहन हेतु सतत्त विकल्प (SATAT) जैसी योजनाओं के अंतर्गत नवीकरणीय स्रोतों को उपयोग किया जाना चाहिये।
  • एकीकृत यातायात प्रबंधन: आगरा मेट्रो के विस्तार में तेज़ी लाने, तथा वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिये गैर-मोटर चालित परिवहन (साइकिल ट्रैक, ई-रिक्शा) को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • संस्थागत सुदृढ़ीकरण: TTZ प्राधिकरण को सांविधिक शक्तियाँ और निर्धारित बजट प्रदान किया जाना चाहिये।
    • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों और पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के लिये कठोर दंड का प्रावधान करने की आवश्यकता है।
    • अनुच्छेद 48A (राज्य द्वारा पर्यावरण संरक्षण) और अनुच्छेद 51A(g) (पर्यावरण की रक्षा के लिये नागरिकों का कर्तव्य) जैसे संवैधानिक प्रावधानों को क्रियान्वित किया जाने की आवश्यकता है।
  • प्रदूषणकारी उद्योगों का स्थानांतरण: सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, भारी प्रदूषणकारी के रूप में पहचाने गए उद्योगों का तेज़ी से स्थानांतरण किया जाना आवश्यक है। नई प्रदूषणकारी इकाइयों की स्थापना को प्रतिबंधित किया जाना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. ताजमहल को पर्यावरणीय खतरों से सुरक्षा प्रदान करने हेतु ताज समलंब अँचल (TTZ) का निर्माण किया गया था। अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में TTZ की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। 


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