-
08 Nov 2021
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भारतीय समाज
प्र. भारत में लिंग आधारित हिंसा के कारणों की चर्चा कीजिये। यह देश में महिलाओं के विकास में किस प्रकार बाधक है? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- लिंग आधारित हिंसा से आप क्या समझते हैं, व्याख्या कीजिये।
- इन हिंसा के कारणों पर प्रकाश डालिये।
- चर्चा कीजिये कि कैसे यह व्यवहार महिलाओं के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
- लैंगिक हिंसा को समाप्त करने के लिये संक्षेप में सुझाव देकर निष्कर्ष लिखिये।
लिंग आधारित हिंसा, किसी व्यक्ति के विरुद्ध उसके लिंग के कारण निर्देशित हिंसा है। महिला और पुरुष दोनों लिंग आधारित हिंसा का अनुभव करते हैं लेकिन पीड़ितों में अधिकांश महिलाएँ और लड़कियाँ हैं। लिंग आधारित हिंसा एक ऐसी घटना है जो लैंगिक असमानता से गहराई से जुड़ी हुई है और सभी समाजों में सबसे प्रमुख मानव-अधिकारों के उल्लंघनों में से एक है। यह माँ के गर्भ से मृत्यु तक महिलाओं के पूरे जीवन चक्र में प्रकट होता है। लिंग आधारित हिंसा की कोई सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि नहीं होती तथा यह सभी सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित करती है।
लिंग आधारित हिंसा के विभिन्न कारणों में शामिल हैं:
- सामाजिक/राजनीतिक/सांस्कृतिक कारण:
- भेदभावपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कानून, मानदंड तथा व्यवहार जो महिलाओं और लड़कियों को हाशिये पर रखते हैं और उनके अधिकारों को मान्यता प्रदान करने में विफल होते हैं।
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा को सही ठहराने के लिये अक्सर लिंग संबंधी रूढ़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। सांस्कृतिक मानदंड अक्सर यह तय करते हैं कि पुरुष आक्रामक, नियंत्रित करने वाले और प्रभावी होते हैं जबकि महिलाएँ विनम्र, अधीन और प्रदाताओं के रूप में पुरुषों पर निर्भर करती हैं। ये मानदंड एक प्रकार के दुरुपयोग की संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं।
- पारिवारिक, सामाजिक और सांप्रदायिक संरचनाओं का पतन और परिवार के भीतर महिलाओं की बाधित भूमिका अक्सर महिलाओं तथा लड़कियों को जोखिम में डालती है और इसके निवारण के लिये मुकाबला करने वाले रास्तों एवं तंत्रों के जोखिम एवं सीमा को उजागर करती हैं।
- न्यायिक बाधाएँ:
- न्याय संस्थानों और तंत्रों तक पहुँच का अभाव हिंसा और दुर्व्यवहार हेतु दंड के भय की समाप्ति की संस्कृति उत्पन्न करती है।
- पर्याप्त और वहनीय कानूनी सलाह और प्रतिनिधित्व का अभाव।
- पीड़ित/उत्तरजीवी और गवाह सुरक्षा तंत्र का पर्याप्त अभाव।
- अपर्याप्त न्यायिक ढाँचा जिसमें राष्ट्रीय, पारंपरिक, प्रथागत और धार्मिक कानून शामिल हैं जो महिलाओं और लड़कियों के साथ भेदभाव करते हैं।
- व्यक्तिगत बाधाएँ
- धमकी या कलंक का भय, अलगाव, सामाजिक बहिष्कार तथा अपराधी व्यक्ति के हाथों दोबारा हिंसा, समुदाय या प्राधिकरण, गिरफ्तारी सहित नज़रबंद, दुर्व्यवहार और सज़ा इत्यादि का भय रहता है।
- मानवाधिकारों के बारे में जानकारी की कमी और उपचार कैसे और कहाँ करना है।
निम्नलिखित कारणों से महिलाओं की उन्नति में लैंगिक हिंसा सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है:
- यह महिलाओं के स्वास्थ्य के सभी पहलुओं- शारीरिक, यौन और प्रजनन, मानसिक एवं व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है। इस प्रकार उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता का एहसास होने से रोकता है।
- हिंसा और हिंसा का खतरा, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की सक्रिय रूप से और समान रूप से भाग लेने की क्षमता को प्रभावित करता है।
- कार्यस्थल पर उत्पीड़न और घरेलू हिंसा कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी और उनके आर्थिक सशक्तिकरण को प्रभावित करता है।
- यौन उत्पीड़न लड़कियों के शैक्षिक अवसरों और उपलब्धियों को सीमित करता है।
- समाज, सरकार और व्यक्तियों के सामूहिक प्रयासों से लिंग आधारित हिंसा (GBV) को समाप्त किया जा सकता है। निम्नलिखित कदमों से लिंग संबंधी असमानता को मिटाने में काफी मदद मिल सकती है:
- लिंग आधारित हिंसा को पहचानने और सहायता करने के लिये स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का प्रशिक्षण सबसे महत्त्वपूर्ण तरीकों में से एक है।
- मीडिया लिंग आधारित हिंसा को सामने लाने, समाधान के विज्ञापन, नीति-निर्माताओं को सूचित करने और जनता को कानूनी अधिकारों के बारे में शिक्षित करने तथा लिंग आधारित हिंसा को पहचानने में मुख्य भूमिका निभा सकती है।
- शिक्षा लिंग आधारित हिंसा को शुरू होने से पहले ही रोकने में महत्त्वपूर्ण उपकरण है। नियमित पाठ्यक्रम, यौन संबंधी शिक्षा, परामर्श कार्यक्रम तथा विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाएँ, सभी यह संदेश दे सकते हैं कि हिंसा गलत है और उसे रोका जा सकता है।
- कई अध्ययनों से पता चला है कि लिंग आधारित हिंसा को रोकने, पहचानने और संबोधित करने में सभी समुदायों को शामिल करना, इसे समाप्त करने का सबसे प्रभावी तरीका है।