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भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का स्थापना दिवस

  • 28 Jan 2025
  • 3 min read

स्रोत: SCI

भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) की स्थापना 26 जनवरी 1950 को अनुच्छेद 124 के तहत की गई थी, जिसका उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को हुआ और इसने पुराने संसद भवन से कार्य करना प्रारंभ किया। वर्ष 1958 में यह अपने वर्तमान भवन में स्थानांतरित हो गया, जिसका उद्घाटन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किया था।

  • सर्वोच्च न्यायालय में शुरू में भारत के एक मुख्य न्यायाधीश (CJI) और 7 अवर न्यायाधीशों की परिकल्पना की गई थी, लेकिन वर्ष 2024 तक इसकी संख्या को बढ़ाकर एक मुख्य न्यायाधीश और 33 न्यायाधीश कर दिया गया है, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा तथा वे 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे। 
    • पात्रता में भारतीय नागरिक होना, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में 5 वर्ष तथा, अधिवक्ता के रूप में 10 वर्ष का अनुभव, या राष्ट्रपति की राय में प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना शामिल है।
  • वर्ष 2024 में सर्वोच्च न्यायालय में मूल प्रतिमा की जगह एक नई "'लेडी ऑफ जस्टिस" की प्रतिमा का अनावरण किया गया। साड़ी पहने और बिना आँखों पर पट्टी बांधे, यह प्रतिमा तराजू और भारतीय संविधान पकड़े हुए है। 
    • मूल प्रतिमा के विपरीत, जो आँखों पर पट्टी, तराजू और तलवार के साथ जस्टीशिया (रोमन देवी) पर आधारित थी, नई प्रतिमा की खुली आँखें दर्शाती हैं कि कानून अंधा नहीं है और कानून की नज़र में सभी समान है। 
    • भारतीय संविधान तलवार की जगह लेता है, जो न्याय में इसकी सर्वोच्चता पर बल प्रदान करता है।
  • वर्ष 2024 में, सर्वोच्च न्यायालय के नए ध्वज और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया जाएगा, जो इसके 75वें वर्ष को चिह्नित करेगा। ध्वज में अशोक चक्र, सर्वोच्च न्यायालय भवन और संविधान की पुस्तक को दर्शाया गया है, जिसके प्रतीक चिन्ह पर "यतो धर्मस्ततो जयः" लिखा है, जिसका अर्थ है "जहाँ धर्म है, वहाँ विजय है।"

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