प्रारंभिक परीक्षा
डॉ. राजेंद्र प्रसाद
- 05 Dec 2022
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चर्चा में क्यों?
भारत के राष्ट्रपति द्वारा 3 दिसंबर, 2022 को राष्ट्रपति भवन में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद:
- जन्म:
- इनका जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सिवान ज़िले के जीरादेई में हुआ था। इनके पिता महादेव सहाय थे।
- शिक्षा:
- उन्होंने वर्ष 1902 में प्रसिद्ध कलकत्ता प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।
- वर्ष 1915 में प्रसाद ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के विधि विभाग से मास्टर इन लॉ की परीक्षा उत्तीर्ण की और स्वर्ण पदक जीता।
- वर्ष 1916 में उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में अपना कानूनी कॅरियर शुरू किया। उन्होंने वर्ष 1937 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की।
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- गांधीजी के साथ संबंध:
- जब गांधीजी स्थानीय किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिये बिहार के चंपारण ज़िले में एक तथ्यान्वेषी मिशन पर थे, तब उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्वयंसेवकों के साथ चंपारण आने का आह्वान किया।
- गांधीजी के प्रभाव ने उनके कई विचारों को परिवर्तित किया, सबसे महत्त्वपूर्ण जाति और अस्पृश्यता संबंधी विचार था।
- चंपारण सत्याग्रह के दौरान वे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए इसके उपरांत उनका संपूर्ण जीवनदर्शन ही बदल गया।
- वर्ष 1918 के रॉलेट एक्ट और वर्ष 1919 के जलियांँवाला बाग हत्याकांड ने राजेंद्र प्रसाद को गांधीजी के और करीब ला दिया।
- जब गांधीजी स्थानीय किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिये बिहार के चंपारण ज़िले में एक तथ्यान्वेषी मिशन पर थे, तब उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्वयंसेवकों के साथ चंपारण आने का आह्वान किया।
- असहयोग का आह्वान:
- डॉ. प्रसाद ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन के तहत बिहार में असहयोग का आह्वान किया।
- नेशनल कॉलेज:
- उन्होंने अपनी कानूनी प्रैक्टिस छोड़ दी और वर्ष 1921 में पटना में एक नेशनल कॉलेज शुरु किया।
- नमक सत्याग्रह:
- मार्च 1930 में, गांधीजी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया। डॉ. प्रसाद के नेतृत्त्व में बिहार के नखास तालाब में नमक सत्याग्रह चलाया गया।
- नमक बनाते समय स्वयंसेवकों के अनेक दलों की गिरफ्तारी हुई। तब उन्होंने और स्वयंसेवकों को बुलाया।
- जनमत ने सरकार को पुलिस को वापस लेने और स्वयंसेवकों को नमक बनाने की अनुमति देने के लिये मज़बूर किया।
- इसके बाद उन्होंने फंड जुटाने के लिये तैयार किये गए नमक बेच दिया था। उन्हें छह महीने के कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।
- मार्च 1930 में, गांधीजी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया। डॉ. प्रसाद के नेतृत्त्व में बिहार के नखास तालाब में नमक सत्याग्रह चलाया गया।
- गांधीजी के साथ संबंध:
- डॉ. प्रसाद और भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस:
- वह आधिकारिक तौर पर वर्ष 1911 में कलकत्ता में आयोजित अपने वार्षिक सत्र के दौरान भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस में शामिल हो गए।
- उन्होंने अक्टूबर 1934 में भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन की अध्यक्षता की।
- अप्रैल 1939 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा काॅन्ग्रेस के अध्यक्ष पद से के इस्तीफे के बाद वे दूसरी बार अध्यक्ष चुने गए।
- वर्ष 1946 में, वे पंडित जवाहरलाल नेहरु की अंतरिम सरकार में खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में शामिल हुए और “अधिक अन्न उगाओ” का नारा दिया।
- डॉ. प्रसाद और संविधान सभा:
- जुलाई 1946 में, जब भारत के संविधान को बनाने के लिये संविधान सभा की स्थापना की गई, तो उन्हें इसका अध्यक्ष चुना गया।
- डॉ. प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा की समितियों में शामिल हैं:
- राष्ट्रीय ध्वज पर तदर्थ समिति
- प्रक्रियाे नियम समिति
- वित्त और कर्मचारी समिति
- संचालन समिति
- आजादी के ढाई साल बाद 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत के संविधान की पुष्टि हुई और उन्हें भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया।
- पुरस्कार और कृतित्त्व:
- 1962 में, राष्ट्रपति के रूप में 12 वर्ष के बाद, डॉ. प्रसाद सेवानिवृत्त हुए, और बाद में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- डॉ प्रसाद ने अपने जीवन और स्वतंत्रता से पहले के दशकों को कई पुस्तकों में दर्ज किया, जिनमें शामिल हैं:
- चंपारण में सत्याग्रह
- इंडिया डिवाइडेड
- उनकी आत्मकथा "आत्मकथा"
- महात्मा गांधी और बिहार, कुछ यादें
- बापू के कदमों में
- मृत्यु:
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सेवानिवृत्ति में अपने जीवन के अंतिम कुछ महीने पटना के सदाकत आश्रम में बिताए।
- 28 फरवरी, 1963 को उनका निधन हो गया