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State PCS Current Affairs

उत्तर प्रदेश

ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन

  • 15 Mar 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

5 मार्च, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) प्राधिकरण को इस क्षेत्र में वृक्षों की गणना करने के लिये वन अनुसंधान संस्थान (FRI) को नियुक्त करने का निर्देश दिया।

मुख्य बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय 
    • न्यायालय के अनुसार, किसी भी अवैध कटाई को रोकने के लिये क्षेत्र में विद्यमान वृक्षों की गणना आवश्यक है।
    • न्यायालय नए निर्देश दिया कि उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 का उद्देश्य वृक्षों की गणना करना तथा उनकी सुरक्षा करना है। 
      • वृक्ष गणना के बिना इस अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो सकता है।
    • न्यायालय ने कृषि वानिकी के लिये भी वृक्षों की कटाई करने की अनुमति लेने की आवश्यकता को भी बरकरार रखा है।
      • वर्ष 2015 के अपने निर्णय में न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि कृषि वानिकी के लिये 1976 के अधिनियम के प्रावधान लागू रहेंगे, जिसका अर्थ है कि किसी भी वृक्ष को काटने से पहले आवश्यक अनुमति लेनी होगी।
  • ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन के बारे में: 
    • TTZ ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिये उसके चारों ओर 10,400 वर्ग किलोमीटर का निर्धारित क्षेत्र है।
    • इसका यह नाम इसलिये रखा गया है क्योंकि यह ताजमहल के चारों ओर स्थित है और इसका आकार समलम्ब चतुर्भुज जैसा है।
    • इसमें तीन विश्व धरोहर स्थल ताजमहल , आगरा किला और फतेहपुर सीकरी सहित कई स्मारक शामिल हैं। 
    • इसमें उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस एवं एटा ज़िले तथा राजस्थान का भरतपुर ज़िला शामिल है।
    • इस क्षेत्र में उद्योगों की श्रेणी के चार ज़ोन में बाँटा गया हैं जिन्हें लाल, हरा, नारंगी एवं सफेद वर्ग में रखा गया है।
    • इस ज़ोन में केवल पर्यावरण अनुकूल, गैर-प्रदूषणकारी छोटे, लघु एवं सूक्ष्म स्तरीय उद्योगों को ही संचालित करने की अनुमति दी जा सकती है।

Taj Trapezium Zone

वन अनुसंधान संस्थान (FRI)

  • FRI उत्तराखंड के देहरादून में स्थित है। इस संस्थान की शुरुआत वर्ष 1878 में फ़ॉरेस्ट स्कूल के रूप में हुई थी।
  • वर्ष 1906 में, इसे ब्रिटिश इंपीरियल फ़ॉरेस्ट्री सर्विस के तहत इंपीरियल फ़ॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में पुनर्स्थापित किया गया। बाद में इसका नाम बदलकर वन अनुसंधान संस्थान एवं कॉलेज कर दिया गया।
  • इसके देशभर में कई केंद्र हैं, जो अनुसंधान के साथ-साथ वन अधिकारियों और वन रेंजरों को प्रशिक्षण भी देते हैं। 
  • वर्ष 1988 में देश में वानिकी अनुसंधान के पुनर्गठन और भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRE) के निर्माण के बाद प्रशिक्षण व अनुसंधान केंद्रों को स्वतंत्र संस्थानों का दर्जा प्रदान कर दिया गया।
  • वन अनुसंधान संस्थान वर्तमान में ICFRE के अंतर्गत आता है जिसे दिसंबर 1991 में डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है।

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