सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिश्वतखोरी पर विधायी छूट के संबंध में पुनर्विचार
प्रिलिम्स के लिये:अनुच्छेद 105(2), अनुच्छेद 194(2), संसदीय विशेषाधिकार मेन्स के लिये:संसद सदस्यों के विशेषाधिकार |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1998 के 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ वाले पी.वी. नरसिम्हा राव मामले को पुनर्विचार के लिये 7 न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया है।
- यह मामला संविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194(2) की व्याख्या से संबंधित है, जो सदन में किसी भी भाषण या वोट के लिये रिश्वत के आरोप में आपराधिक मुकदमा चलाने के खिलाफ संसद तथा राज्य विधानमंडल के सदस्यों को संसदीय विशेषाधिकार एवं प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
- यह निर्णय एक विधायक के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोप से संबंधित अन्य मामले में लिया गया था, जिसने अनुच्छेद 194(2) के आधार पर आरोप पत्र और आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की।
पी.वी. नरसिम्हा राव बनाम राज्य (1998) मामला:
- मामला:
- पी.वी. नरसिम्हा राव मामला 1993 के झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) रिश्वतखोरी मामले को संदर्भित करता है। इस मामले में शिबू सोरेन और उनकी पार्टी के कुछ सांसदों पर तत्कालीन पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के विरुद्ध वोट करने के लिये रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था।
- अविश्वास प्रस्ताव महत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटनाएँ हैं जो आमतौर पर तब घटित होती हैं जब यह धारणा बनती है कि सरकार बहुमत का समर्थन खो रही है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 105(2) के तहत छूट का हवाला देते हुए JMM सांसदों के खिलाफ मामले को रद्द कर दिया था।
- पी.वी. नरसिम्हा राव मामला 1993 के झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) रिश्वतखोरी मामले को संदर्भित करता है। इस मामले में शिबू सोरेन और उनकी पार्टी के कुछ सांसदों पर तत्कालीन पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के विरुद्ध वोट करने के लिये रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था।
- संविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194(2):
- अनुच्छेद 105(2):
- संसद का कोई भी सदस्य प्रतिनिधि सभा या उसकी किसी समिति में कही गई किसी भी बात या दिये गए मत के संबंध में किसी भी न्यायालय में किसी भी कार्यवाही के अधीन नहीं होगा और कोई भी व्यक्ति संसद के किसी भी सदन द्वारा या उसके अधिकार के तहत कोई रिपोर्ट, पेपर, वोट या कार्यवाही के प्रकाशन के संबंध में इस तरह के दायित्व के अधीन नहीं होगा।
- अनुच्छेद 105(2) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संसद के सदस्य, परिणामों के डर के बिना अपने कर्त्तव्यों का पालन कर सकें।
- अनुच्छेद 194(2):
- किसी राज्य के विधानमंडल का कोई भी सदस्य विधानमंडल या उसकी किसी समिति में कही गई किसी बात या दिये गए वोट के संबंध में किसी भी न्यायालय में किसी भी कार्यवाही के लिये उत्तरदायी नहीं होगा और विधानमंडल के सदन के अधिकार के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी रिपोर्ट, पेपर, वोट या कार्यवाही के ऐसे प्रकाशन के संबंध में उत्तरदायी नहीं होगा।
- अनुच्छेद 105(2):
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मामले को 7 न्यायाधीशों की पीठ को भेजने का कारण:
- सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को 7 न्यायाधीशों की पीठ को भेज दिया क्योंकि इसे पी.वी. नरसिम्हा राव मामले में अपनी पिछली 1998 की संविधान पीठ के निर्णय की सत्यता की पुनः जाँच करने की आवश्यकता महसूस हुई।
- अनुच्छेद 105(2) और 194(2) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संसद तथा राज्य विधानमंडल के सदस्य अपनी अभिव्यक्ति या वोट के परिणामों के डर के बिना, स्वतंत्र रूप से अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन कर सकें।
- इसका उद्देश्य विधायकों को देश के सामान्य आपराधिक कानून से छूट के मामले में उच्च विशेषाधिकार नहीं देना है।
- अनुच्छेद 105(2) और 194(2) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संसद तथा राज्य विधानमंडल के सदस्य अपनी अभिव्यक्ति या वोट के परिणामों के डर के बिना, स्वतंत्र रूप से अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन कर सकें।
संसदीय विशेषाधिकार:
- परिचय:
- संसदीय विशेषाधिकार वे विशेष अधिकार, उन्मुक्तियाँ एवं छूट हैं जो संसद के दोनों सदनों, उनकी समितियों और उनके सदस्यों को प्राप्त हैं।
- ये विशेषाधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 में परिभाषित हैं।
- इन विशेषाधिकारों के तहत संसद सदस्यों को अपने कर्त्तव्यों के दौरान दिये गए किसी भी बयान या किये गए कार्य के लिये किसी भी नागरिक दायित्व (लेकिन आपराधिक दायित्व नहीं) से छूट दी गई है।
- विशेषाधिकारों का दावा तभी किया जाता है जब व्यक्ति सदन का सदस्य हो।
- सदस्यता समाप्त होने पर विशेषाधिकार भी समाप्त हो जाते हैं।
- संसदीय विशेषाधिकार वे विशेष अधिकार, उन्मुक्तियाँ एवं छूट हैं जो संसद के दोनों सदनों, उनकी समितियों और उनके सदस्यों को प्राप्त हैं।
- विशेषाधिकार:
- संसद में वाक्/ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:
- स्वतंत्रता संसद के सदस्य को प्रदान की गई वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से अलग है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105(1) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। हालाँकि यह स्वतंत्रता संसद की कार्यवाही को नियंत्रित करने वाले कुछ नियमों और आदेशों के अधीन है।
- सीमाएँ:
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 118 के तहत वर्णित संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप और संसद के नियमों तथा प्रक्रियाओं के अधीन होनी चाहिये।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 121 में कहा गया है कि संसद के सदस्य अपने कर्त्तव्यों का पालन करते समय सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के आचरण पर चर्चा नहीं कर सकते हैं।
- न्यायाधीश को अपदस्थ करने का अनुरोध करते हेतु राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्ताव रखना- एक अपवाद है।
- स्वतंत्रता संसद के सदस्य को प्रदान की गई वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से अलग है।
- गिरफ्तारी से स्वतंत्रता:
- संसद की सीमा के भीतर गिरफ्तारी के लिये सदन की अनुमति की आवश्यकता होती है।
- किंतु किसी भी सदस्य को निवारक निरोध अधिनियम, आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (Essential Services Maintenance Act- ESMA), राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), या ऐसे किसी भी अधिनियम के तहत उसके खिलाफ आपराधिक आरोप की स्थिति में सदन की सीमा के बाहर गिरफ्तार किया जा सकता है।
- संसद सदस्यों को सदन के स्थगन से 40 दिन पहले और बाद में या सत्र के दौरान किसी भी नागरिक मामले में गिरफ्तारी से छूट प्राप्त है।
- यदि संसद के किसी भी सदस्य को हिरासत में लिया जाता है, तो संबंधित प्राधिकारी द्वारा सभापति अथवा अध्यक्ष को गिरफ्तारी के कारण की सूचना देना अनिवार्य है।
- संसद की सीमा के भीतर गिरफ्तारी के लिये सदन की अनुमति की आवश्यकता होती है।
- कार्यवाही के प्रकाशन पर रोक लगाने का अधिकार:
- संविधान के अनुच्छेद 105(2) के तहत सदन के सदस्य के अधिकार के तहत किसी भी व्यक्ति को सदन की कोई रिपोर्ट, चर्चा आदि प्रकाशित करने के लिये उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा।
- राष्ट्रीय महत्त्व के लिये यह आवश्यक है कि संसद में जो घटित हो रहा है, अर्थात् इसकी कार्यवाहियों की जानकारी जनता को होनी चाहिये।
- संविधान के अनुच्छेद 105(2) के तहत सदन के सदस्य के अधिकार के तहत किसी भी व्यक्ति को सदन की कोई रिपोर्ट, चर्चा आदि प्रकाशित करने के लिये उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा।
- गैर-सदस्यों को बाहर रखने का अधिकार:
- सदन के सदस्यों के पास मेहमानों और अन्य गैर-सदस्यों को कार्यवाही में भाग लेने से प्रतिबंधित करने की शक्ति तथा अधिकार दोनों हैं। सदन में स्वतंत्र और निष्पक्ष बहस सुनिश्चित करने के लिये यह अधिकार काफी महत्त्वपूर्ण है।
- संसद में वाक्/ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:
भारत के सीलिंग फैन बाज़ार में परिवर्तन
प्रिलिम्स के लिये:ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, स्टार रेटिंग कार्यक्रम, उजाला कार्यक्रम मेन्स के लिये:भारत में उपभोक्ताओं के लिये '5-स्टार' रेटिंग वाले विद्युत उपकरणों को किफायती बनाने से संबंधित चुनौतियाँ, ऊर्जा दक्षता में वृद्धि की दिशा में सरकार की पहल |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
धारणीय ऊर्जा प्रथाओं के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता और नीतिगत बदलावों के कारण भारत का सीलिंग फैन बाज़ार एक बड़े बदलाव के दौर से गुज़र रहा है।
भारत के सीलिंग फैन बाज़ार में परिवर्तन के कारण:
- भारत में सीलिंग फैन बाज़ार में आ रहे परिवर्तन का प्रमुख कारक स्वच्छ और अधिक धारणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता है।
- जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों के बारे में बढ़ती जागरूकता के लिये ऊर्जा खपत एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने की आवश्यकता है।
- भारत का उद्देश्य वर्ष 2030 (वर्ष 2005 की तुलना में) तक सकल घरेलू उत्पाद की प्रति इकाई हानिकारक उत्सर्जन को 45% तक कम करना है, ऐसे में भारत को विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा-कुशल समाधान की तलाश करने की आवश्यकता है।
- भारत में खपत होने वाली कुल विद्युत का लगभग एक-तिहाई हिस्से का उपयोग घरेलु रूप में होता है, ऐसे में छत के पंखे (सीलिंग फेन) जैसे उपकरणों का ऊर्जा दक्ष होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
- ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (Council on Energy, Environment and Water- CEEW) द्वारा वर्ष 2020 में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 90% घरों में छत के पंखों का उपयोग किया जाता है, जो कुल विद्युत खपत में एक बड़ा योगदान देते हैं।
- इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) का अनुमान है कि वर्ष 2038 तक भारत में उपयोग में आने वाले पंखों की संख्या 500 मिलियन से बढ़कर लगभग एक बिलियन हो जाएगी, यह वृद्धि ऊर्जा-कुशल कूलिंग समाधानों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
- ICAP का लक्ष्य वर्ष 2037-38 तक विभिन्न क्षेत्रों में कूलिंग मांग को 20-25% तक, रेफ्रिजरेंट की मांग को 25-30% और शीतलन ऊर्जा आवश्यकताओं को 25-40% तक कम करना है।
- छत के पंखों के लिये स्टार रेटिंग का अनिवार्य किया जाना और विनियामक परिवर्तनों की सहायता से विनिर्माताओं को अधिक ऊर्जा-कुशल पंखों के मॉडल का निर्माण करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
सीलिंग फैन ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिये सरकारी पहल:
- स्टार रेटिंग कार्यक्रम:
- केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत भारत के ऊर्जा दक्षता नियामक ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) ने मानक और लेबलिंग (S&L) कार्यक्रम बनाया, जिसे लोकप्रिय रूप से 'स्टार-रेटिंग' कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है, जिसमें छत के पंखों को उनकी ऊर्जा दक्षता के आधार पर लेबल करना अनिवार्य है।
- कार्यक्रम स्टार रेटिंग के माध्यम से उपभोक्ताओं को पंखे के ऊर्जा प्रदर्शन के बारे में सूचित करता है, तथा
- निर्माताओं को अधिक ऊर्जा-कुशल पंखे बनाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत भारत के ऊर्जा दक्षता नियामक ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) ने मानक और लेबलिंग (S&L) कार्यक्रम बनाया, जिसे लोकप्रिय रूप से 'स्टार-रेटिंग' कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है, जिसमें छत के पंखों को उनकी ऊर्जा दक्षता के आधार पर लेबल करना अनिवार्य है।
- ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (EESL):
- '5-स्टार' पंखे (स्टार रेटिंग) की कीमत आम अनरेटेड पंखों से दोगुनी है। '5-स्टार' पंखे (स्टार रेटिंग) की लागत चुनौती का हल करने की दिशा में EESL, 10 मिलियन '5-स्टार' सीलिंग पंखे बेचने के लिये एक मांग एकत्रीकरण कार्यक्रम की योजना बना रहा है।
- इस कार्यक्रम से पंखों के बाज़ार में उसी तरह के बदलाव की उम्मीद है जैसे इसने प्रसिद्ध उन्नत ज्योति बाय अफोर्डेबल लाइट एमिटिंग डायोड (LED) फॉर ऑल (UJALA) कार्यक्रम के तहत LED लैंप के लिये किया था।
- '5-स्टार' पंखे (स्टार रेटिंग) की कीमत आम अनरेटेड पंखों से दोगुनी है। '5-स्टार' पंखे (स्टार रेटिंग) की लागत चुनौती का हल करने की दिशा में EESL, 10 मिलियन '5-स्टार' सीलिंग पंखे बेचने के लिये एक मांग एकत्रीकरण कार्यक्रम की योजना बना रहा है।
उजाला (UJALA) कार्यक्रम:
- इसे वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया और शुरुआत में इसे LED आधारित घरेलू कुशल प्रकाश कार्यक्रम (DELP) के रूप में लेबल किया गया। इसका उद्देश्य सभी के लिये ऊर्जा के कुशल उपयोग अर्थात् इसकी खपत, बचत और प्रकाश व्यवस्था को बढ़ावा देना है।
- इस कार्यक्रम का नेतृत्व EESL ने किया।
- यह कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा शून्य सब्सिडी वाला घरेलू प्रकाश कार्यक्रम बन गया है जो उच्च विद्युतीकरण लागत और अकुशल प्रकाश व्यवस्था के परिणामस्वरूप होने वाले अधिक उत्सर्जन जैसी चिंताओं का समाधान है।
- कार्यक्रम का लक्ष्य 77 मिलियन उद्दीप्त/तापदीप्त (Incandescent) बल्बों को LED बल्बों से प्रतिस्थापित करना था।
- यह कार्यक्रम LED बल्बों की खुदरा कीमत 300-350 रुपए से घटाकर 70-80 रुपए तक करने में सफल रहा। कार्यक्रम के परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण ऊर्जा बचत भी हुई। 5 जनवरी 2022 तक कुल 47,778 मिलियन kWh प्रति वर्ष ऊर्जा बचत दर्ज़ की गई।
आगे की राह
- प्रौद्योगिकी-अनिश्चितता नीति:
- परिवर्तन का उद्देश्य एक प्रौद्योगिकी-अनिश्चितता नीति बनाए रखना है, जो पंखों की विभिन्न प्रौद्योगिकियों को समायोजित करती है तथा उनकी व्यापार-बंदी और लाभों की पहचान करती है।
- प्रतिस्पर्द्धा और लागत-प्रभावशीलता को बढ़ावा देते हुए निर्माताओं को एक ही खरीद ढाँचे के तहत विभिन्न तकनीकों की पेशकश करने की अनुमति देना।
- मूल्य में कमी और गुणवत्ता को संतुलित करना:
- सीलिंग फैन की कीमतें कम करने और उत्पाद की गुणवत्ता के बीच संतुलन बनाना।
- तीव्र मूल्य दबाव से बचना, जिसके कारण उच्च विफलता दर वाले निम्न-गुणवत्तापूर्ण सीलिंग फैन का प्रचलन हो सकता है।
- नई तकनीक में उपभोक्ताओं के विश्वास को बढ़ावा देते हुए बाज़ार अभिकर्त्ताओं को कीमत में कमी की गति निर्धारित करने की अनुमति देना।
- सीलिंग फैन की कीमतें कम करने और उत्पाद की गुणवत्ता के बीच संतुलन बनाना।
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना:
- उच्च दक्षता वाले पंखों के लिये उच्च गुणवत्ता वाली घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ावा देना।
- सीलिंग फैन के उत्पादों और घटकों के लिये बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था हासिल करने हेतु भारत के विशाल घरेलू बाज़ार का लाभ उठाना।
- न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन मानकों को लागू करने वाले देशों में सीलिंग फैन निर्यात के अवसरों का पता लगाना।
- मानक एवं लेबलिंग कार्यक्रम को सुदृढ़ बनाना:
- ऊर्जा प्रदर्शन लेबल की प्रामाणिकता सुनिश्चित करते हुए, मानक और लेबलिंग कार्यक्रम को बढ़ाने हेतु संसाधन आवंटित करना।
- यह सुनिश्चित करने के लिये बाज़ार निगरानी शक्तियों का उपयोग करना कि अनुपालन वाले उत्पाद उपभोक्ताओं तक पहुँचें जबकि गैर-अनुपालक मॉडल बाज़ार से हटा दिये जाएँ।
- बाज़ार में नए ऊर्जा-कुशल सीलिंग फैन मॉडल बेचने में बाधाएँ कम करना।
- ऊर्जा-कुशल पंखे की भूमिका को बढ़ावा देना:
- विद्युत बिल को कम करते हुए अत्यधिक गर्मी से निपटने हेतु महत्त्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान करने में ऊर्जा-कुशल सीलिंग फैन के महत्त्व पर प्रकाश डालना।
- भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में ऊर्जा-कुशल प्रशंसकों की केंद्रीय भूमिका और आर्थिक विकास में उनके संभावित योगदान पर ज़ोर देना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से किस पर आप ऊर्जा दक्षता ब्यूरो स्टार लेबल पा सकते हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
उत्तर: (D) |
पीएम-किसान योजना के लिये एआई चैटबॉट
प्रिलिम्स के लिये:चैटबॉट, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, पीएम-किसान मेन्स के लिये:एआई-चैटबॉट का लॉन्च और किसानों तथा लाभार्थियों की समस्याओं के समाधान पर इसका प्रभाव |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के लिये एआई चैटबॉट लॉन्च किया। यह केंद्र सरकार की एक प्रमुख फ्लैगशिप योजना के साथ एकीकृत अपनी तरह का पहला लॉन्च है।
- एआई चैटबॉट का लॉन्च पीएम-किसान योजना की दक्षता और पहुँच बढ़ाने तथा किसानों को उनके प्रश्नों का त्वरित, स्पष्ट व सटीक उत्तर प्रदान करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
पीएम-किसान योजना के लिये एआई चैटबॉट की प्रमुख विशेषताएँ:
- इस चैटबॉट को एकस्टेप (EKstep) फाउंडेशन और भाषिनी (Bhashini) के सहयोग से विकसित एवं बेहतर बनाया जा रहा है।
- विकास के अपने पहले चरण में एआई चैटबॉट किसानों को उनके आवेदन की स्थिति, भुगतान विवरण, अपात्रता की स्थिति की जानकारी और योजना-संबंधित अन्य अपडेट प्राप्त करने में सहायता करेगा।
- पीएम-किसान मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से इस एआई चैटबॉट को भाषिनी के साथ एकीकृत किया गया है जो पीएम-किसान योजना के लाभार्थियों की भाषायी तथा क्षेत्रीय विविधता को ध्यान में रखते हुए बहुभाषी समर्थन प्रदान करता है।
- उन्नत प्रौद्योगिकी के इस एकीकरण से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि यह किसानों को सूचित निर्णय लेने में भी सशक्त बनाया जाएगा।
एआई चैटबॉट:
परिचय:
- चैटबॉट्स, जिसे चैटरबॉट्स भी कहा जाता है, मैसेजिंग एप्स में उपयोग की जाने वाली कृत्रिम बुद्धिमता (AI) का एक रूप है।
- यह टूल ग्राहकों के लिये सुविधा में वृद्धि करता है, ये वे स्वचालित प्रोग्राम हैं जो ग्राहकों के साथ एक इंसान की तरह संवाद करते हैं और इसके लिये बहुत कम या न के बराबर खर्च की आवश्यकता होती है।
- कंपनियों द्वारा उपयोग किये जाने वाले फेसबुक मैसेंजर चैटबॉट के साथ-साथ अमेज़न के एलेक्सा और चैटजीपीटी जैसे वर्चुअल असिस्टेंट इसके अच्छे उदाहरण हैं।
- चैटबॉट दो तरीकों से काम करते हैं- मशीन लर्निंग के माध्यम से या निर्धारित दिशा-निर्देशों की सहायता से।
- हालाँकि AI प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण निर्धारित दिशा-निर्देशों का उपयोग करने वाले चैटबॉट अब पुरानी बात हो गई है, अर्थात् वे दिन-प्रतिदिन मशीन लर्निंग की सहायता से सीखने में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
- मशीन लर्निंग चैटबॉट:
- मशीन लर्निंग के माध्यम से कार्य करने वाले चैटबॉट में मानव मस्तिष्क के तंत्रिका ग्रंथियों (Neural Nodes) से प्रेरित एक कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क (Artificial Neural Network- ANN) होता है।
- बॉट को स्व-अधिगम (Self-learn) के लिये प्रोग्राम किया गया है क्योंकि इसे नए संवादों और शब्दों से परिचित होना होता है।
- वास्तव में, जैसे ही एक चैटबॉट नई आवाज़ या पाठ्य संवाद प्राप्त करता है, उन पूछताछों की संख्या जिनका वह उत्तर दे सकता है और उसके द्वारा दिये गए प्रत्येक उत्तर की सटीकता बढ़ जाती है।
- मेटा (जैसा कि अब फेसबुक की मूल कंपनी के रूप में जानी जाती है) के पास एक मशीन लर्निंग चैटबॉट है जो कंपनियों के लिये मैसेंजर एप्लीकेशन के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं के साथ बातचीत/संपर्क करने के लिये एक मंच तैयार करता है।
प्रधानमंत्री किसान (PM KISAN) योजना:
- परिचय:
- इसे भूमि धारक किसानों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये 24 फरवरी, 2019 को लॉन्च किया गया था।
- वित्तीय लाभ:
- प्रतिवर्ष हर चार महीने के अंतराल पर तीन समान किस्तों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) मोड के माध्यम से देश भर के किसान परिवारों को उनके बैंक खातों में 6000/- रुपए का वित्तीय लाभ प्रदान किया जाता है।
- योजना का दायरा:
- यह योजना प्रारंभ में 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले छोटे और सीमांत किसानों (SMF) के लिये थी, लेकिन सभी भूमि धारक किसानों को कवर करने के लिये इस योजना का दायरा बढ़ा दिया गया था।
- वित्तपोषण और कार्यान्वयन:
- इसका कार्यान्वयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
- उद्देश्य:
- प्रत्येक फसल चक्र के अंत में प्रत्याशित कृषि आय के अनुरूप उचित फसल स्वास्थ्य वाली उच्च पैदावार सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न आदानों की खरीद में छोटे और सीमांत किसानों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करना।
- ऐसे खर्चों को पूरा करने के लिये उन्हें साहूकारों के चंगुल में फँसने से बचाना और कृषि गतिविधियों में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करना।
- पीएम-किसान मोबाइल एप:
- इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित एवं डिज़ाइन किया गया था।
- भौतिक सत्यापन मॉड्यूल:
- इस योजना में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 5 प्रतिशत लाभार्थियों का अनिवार्य भौतिक सत्यापन किया जा रहा है।
- अपवर्जित श्रेणी: उच्च आर्थिक स्थिति वाले लाभार्थियों की निम्नलिखित श्रेणियाँ योजना के तहत लाभ के लिये पात्र नहीं होंगी:
- सभी संस्थागत भूमि धारक।
- किसान परिवार जो निम्नलिखित श्रेणियों में से किसी एक या अधिक से संबंधित हैं:
- पूर्व और वर्तमान में संवैधानिक पद धारक।
- पूर्व और वर्तमान मंत्री/राज्य मंत्री तथा लोकसभा/राज्यसभा/राज्य विधानसभाओं/राज्य विधानपरिषदों के पूर्व/वर्तमान सदस्य, नगर निगमों के पूर्व एवं वर्तमान महापौर, ज़िला पंचायतों के पूर्व व वर्तमान अध्यक्ष।
- केंद्र/राज्य सरकार के मंत्रालयों/कार्यालयों/विभागों और इसकी क्षेत्रीय इकाइयों केंद्रीय या राज्य पीएसई एवं सरकार के अधीन संबद्ध कार्यालयों/स्वायत्त संस्थानों के सभी सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी तथा स्थानीय निकायों के नियमित कर्मचारी (मल्टी टास्किंग स्टाफ/चतुर्थ श्रेणी/ग्रुप D कर्मचारियों को छोड़कर)।
- उपरोक्त श्रेणी के सभी सेवानिवृत्त/सेवानिवृत्त पेंशनभोगी जिनकी मासिक पेंशन 10,000 रुपए या इससे अधिक है। (मल्टी टास्किंग स्टाफ/चतुर्थ श्रेणी/समूह D कर्मचारियों को छोड़कर)।
- वे सभी व्यक्ति जिन्होंने पिछले मूल्यांकन वर्ष में आयकर का भुगतान किया था।
- पेशेवर जैसे- डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट और आर्किटेक्ट, जो पेशेवर निकायों के साथ पंजीकृत हैं एवं अभ्यास करके अपना पेशा चला रहे हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A)केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (B) |
भारतीय बॉण्ड का JP मॉर्गन GBI-EM सूचकांक में समावेश
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय बॉण्ड का JP मॉर्गन GBI-EM सूचकांक में समावेश, सरकारी बॉण्ड, सॉवरेन बॉण्ड, राजकोषीय घाटा, यील्ड कर्व, भारतीय रिज़र्व बैंक मेन्स के लिये:भारतीय बॉण्ड का JP मॉर्गन GBI-EM सूचकांक में शामिल होने का महत्त्व और चुनौतियाँ |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत में महत्त्वपूर्ण अंतर्वाह की उम्मीद से हाल ही में जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी ने जून 2024 से भारत को अपने सरकारी बॉण्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स (GBI-EM) सूचकांक में शामिल करने का निर्णय लिया है। इस कदम से निवेशकों की संख्या में वृद्धि होने और संभावित रूप से रुपए के मूल्य में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
JP मॉर्गन GBI-EM सूचकांक:
- परिचय:
- JP मॉर्गन GBI-EM एक व्यापक रूप से अनुसरण किया जाने वाला और प्रभावशाली बेंचमार्क सूचकांक है जो उभरते बाज़ार देशों (विकासशील देशों) द्वारा जारी किये जाने वाले स्थानीय-मुद्रा-मूल्यवर्ग वाले सॉवरेन बॉण्ड के प्रदर्शन की निगरानी करता है।
- इसे निवेशकों को उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के भीतर निश्चित आय बाज़ार का एक सटीक आकलन प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इसमें विभिन्न विकासशील देशों द्वारा जारी किये गए सरकारी बॉण्ड शामिल हैं।
- पात्रता मानदंड के आधार पर समय के साथ बॉण्ड की संरचना में परिवर्तन हो सकता है।
- भारत का समावेश:
- JP मॉर्गन ने 330 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संयुक्त सांकेतिक मूल्य वाले 23 भारतीय सरकारी बॉण्डों को GBI-EM में शामिल करने के लिये अनुकूल पाया है।
- GBI-EM ग्लोबल डायवर्सिफाइड में भारत का योगदान अधिकतम 10% और GBI-EM ग्लोबल इंडेक्स में लगभग 8.7% तक पहुँचने की संभावना है।
- JP मॉर्गन के अनुसार, भारत के स्थानीय बॉण्ड GBI-EM सूचकांक और इसके अन्य उप-सूचकांकों का हिस्सा होंगे, जो लगभग 236 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक फंड के लिये बेंचमार्क के रूप में कार्य करते हैं।
भारतीय बॉण्ड का JP मॉर्गन GBI-EM सूचकांक में समावेश का महत्त्व:
- निवेश आकर्षित करने में बढ़ोतरी:
- GBI-EM सूचकांक में भारत के समावेश के साथ देश निवेश आकर्षित करने वाले एक एक प्रतिष्ठित गंतव्य राष्ट्र के रूप में स्थापित हो जाएगा।
- यह उभरते बाज़ारों में अवसर तलाशने वाले वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से आगामी 12-15 महीनों में 45-50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का पर्याप्त अंतर्वाह हो सकता है।
- आर्थिक स्थिरता और वित्तपोषण में आसानी:
- यह समावेशन धन का वैकल्पिक स्रोत प्रदान करके भारत के राजकोषीय और चालू खाता घाटे से संबंधित वित्तपोषण बाधाओं को कम कर सकता है।
- यह संरचनात्मक रूप से भारत के जोखिम प्रीमियम और फंडिंग लागत को कम करता है, जिससे आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिल सकता है।
- जोखिम प्रीमियम से तात्पर्य उस राशि से है जिसके द्वारा किसी जोखिम भरी परिसंपत्ति के रिटर्न की जोखिम-मुक्त परिसंपत्ति पर ज्ञात रिटर्न से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है।
- इक्विटी मार्केट एक्सपोज़र सबसे प्रसिद्ध जोखिम प्रीमियम है, जो निवेशकों को दीर्घकालिक इक्विटी निवेश में एक्सपोज़र लेने के लिये पुरस्कृत करता है।
- विभिन्न क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव:
- कॉर्पोरेट क्षेत्र: समावेशन से संपूर्ण प्राप्ति वक्र कम होने की उम्मीद है, जिससे कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिये वित्तपोषण की लागत कम हो जाएगी। संकीर्ण कॉर्पोरेट बांड प्रसार निवेश और व्यापार वृद्धि को प्रोत्साहित करेगा।
- प्राप्ति वक्र विभिन्न परिपक्वता अवधि के लिये ऋण पर ब्याज दरों का एक चित्रमय प्रतिनिधित्व है।
- बैंकिंग क्षेत्र: सरकारी बॉन्ड्स को अपनाने के कम दबाव के साथ, बैंक आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देते हुए, निजी क्षेत्र को ऋण देने के लिये अधिक संसाधन आवंटित कर सकते हैं।
- बुनियादी ढाँचा विकास: भारत में संचालित बुनियादी ढाँचा विकास पहल को बढ़ावा मिलता है क्योंकि समावेशन सरकारी प्रतिभूतियों के माध्यम से दीर्घकालिक वित्तपोषण का एक स्थायी स्रोत प्रदान करता है।
- कॉर्पोरेट क्षेत्र: समावेशन से संपूर्ण प्राप्ति वक्र कम होने की उम्मीद है, जिससे कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिये वित्तपोषण की लागत कम हो जाएगी। संकीर्ण कॉर्पोरेट बांड प्रसार निवेश और व्यापार वृद्धि को प्रोत्साहित करेगा।
- मुद्रा अधिमुल्यन और स्थिरता:
- इस समावेशन से निवेशकों के विश्वास में वृद्धि के कारण भारतीय रुपए का अधिमूल्यन होगा।
- स्थिर विनिमय दर भारत में निवेश के आकर्षण को बढ़ाती है।
- बाज़ार विकास और नवाचार:
- वैश्विक बाज़ारों में एकीकरण, चल रहे सुधारों और बढ़ी हुई बाज़ार पहुँच द्वारा समर्थित, बाज़ार के विकास को बढ़ावा देता है तथा दीर्घकालिक पूंजी प्रवाह को प्रोत्साहित करता है।
- यह नवीन वित्तीय उत्पादों की शुरूआत के लिये मंच तैयार करता है।
- अन्य देशों से बराबरी:
- भारत को GBI-EM ग्लोबल डायवर्सिफाइड इंडेक्स में अधिकतम 10% वेटेज तक पहुँचने की उम्मीद है, जो इसे चीन, ब्राज़ील, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे अन्य देशों के समकक्ष लाएगा।
GBI-EM सूचकांक में भारत के शामिल होने की चुनौतियाँ:
- बाज़ार में उतार-चढ़ाव:
- समावेशन से स्थानीय ऋण बाज़ारों में अस्थिरता आ सकती है, विशेष रूप से वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल या अनिश्चितता के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को बाज़ारों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित और स्थिर करने की आवश्यकता होगी।
- घरेलू आर्थिक स्थिरता और विकास को सुनिश्चित करने के साथ-साथ बढ़े हुए विदेशी निवेश के प्रभाव को संतुलित करने के लिये RBI को अपने मौद्रिक नीति निर्णयों को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करने की आवश्यकता होगी।
- भू-राजनीतिक जोखिम:
- ऋण की उच्च विदेशी हिस्सेदारी भारतीय बाज़ारों को न केवल बाहरी व्यापक-आर्थिक झटकों बल्कि भू-राजनीतिक जोखिमों के लिये भी उजागर करती है। रूस को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाज़ारों और SWIFT (सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशंस) से कैसे बाहर कर दिया गया, इसका हालिया अनुभव एक सतर्क कहानी है कि भू-राजनीति वित्तीय प्रवाह और आर्थिक कल्याण को कैसे प्रभावित कर सकती है?
- मुद्रा प्रबंधन:
- यह समावेशन घरेलू मुद्रा के मूल्य को प्रभावित कर सकता है, विनिमय दरों के प्रबंधन में चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि निर्यात का समर्थन करने के लिये रुपया प्रतिस्पर्धी बना रहे।
- पारदर्शिता और वित्तीय ज़िम्मेदारी:
- इससे भारत को सरकारी वित्त के संबंध में अधिक जाँच का सामना करना पड़ सकता है, जिससे राजकोषीय घाटे के प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता और राजकोषीय ज़िम्मेदारी की आवश्यकता होगी।
- कराधान चुनौतियाँ:
- विदेशी निवेशकों के लिये अनसुलझा कर उपचार संभावित निवेशकों को हतोत्साहित कर सकता है, जिससे भारतीय सरकारी बांडों में विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिये स्पष्टता और अनुकूल कर नीतियों की आवश्यकता होती है।
- विदेशी निवेशकों के व्यवहार, विशेष रूप से वैश्विक आर्थिक बदलाव के दौरान, धन की अचानक वृद्धि या निकासी हो सकती है, जिससे बाज़ार की स्थिरता और पूंजी प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
आगे की राह
- विदेशी निवेशकों की सहज भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिये हिरासत, निपटान और कर निहितार्थ से संबंधित परिचालन चुनौतियों को हल करने पर कार्य करने की आवश्यकता है।
- दीर्घकालिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए बाज़ार की अखंडता, पारदर्शिता और निवेशक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये नियामक वातावरण को मज़बूत करना।
- वैश्विक आर्थिक बदलावों और उतार-चढ़ाव को बेहतर ढंग से झेलने, बाहरी कारकों से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिये भारत के आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों को मज़बूत करना।