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डेली न्यूज़

  • 24 Apr, 2023
  • 36 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मध्य एशिया में चीन की पहुँच

प्रिलिम्स के लिये:

C+C5, बौद्ध धर्म, सिल्क रूट, SCO, रूस-यूक्रेन, CSTO

मेन्स के लिये:

मध्य एशिया में चीन की पहुँच और भारत का रुख

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन ने C+C5 समूह की बैठक आयोजित की जिसमें चीन और पाँच मध्य एशियाई गणराज्यों अर्थात् उज़्बेकिस्तान, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गिज़स्तान ने भाग लिया।

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चीन-मध्य एशिया संबंध:

  • C+C5:
    • जनवरी 2022 में आयोजित पहले C+C5 शिखर सम्मेलन में चीन और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 30वीं वर्षगाँठ मनाई गई।
    • इस क्षेत्र के साथ चीन के ऐतिहासिक व्यापार और सांस्कृतिक संबंध प्राचीन सिल्क रूट से जुड़े हैं।
  • चीन के लिये महत्त्व:
    • यह क्षेत्र चीन को सस्ते निर्यात हेतु एक बाज़ार तथा यूरोप एवं पश्चिम एशिया के बाज़ारों तक ज़मीनी पहुँच प्रदान करता है।
    • मध्य एशिया संसाधन संपन्न है, जिसमें गैस, तेल तथा यूरेनियम, ताँबा तथा सोने जैसे सामरिक खनिजों के बड़े पैमाने पर भंडार हैं।
    • चीन ने झिंजियांग स्वायत्त क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिये इन देशों के साथ अपने संबंधों को भी प्राथमिकता दी है, जो मध्य एशिया के साथ अपनी सीमा बनाता है।
  • BRI और निवेश:
    • चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से मध्य एशिया में भारी निवेश कर रहा है, जिसमें तेल तथा गैस, परिवहन, डिजिटल प्रौद्योगिकी और हरित ऊर्जा परियोजनाएँ शामिल हैं।
    • चीनी निवेश ने इस क्षेत्र में आर्थिक विकास के अवसर प्रदान किये हैं, झिंजियांग में मुसलमानों के साथ उसके व्यवहार और उसकी बढ़ती उपस्थिति एवं भूमि अधिग्रहण संबंधी चिंताओं की वजह से भी चीन के प्रति असंतोष देखा गया है।
      • इसके बावजूद मध्य एशियाई देशों की सरकारें अपने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ चीन के व्यवहार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अभियानों में शामिल नहीं हुई हैं।
    • चीन अब इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, इस क्षेत्र के सभी देशों को परिवहन और रसद परियोजनाओं हेतु चीन के बंदरगाहों से जोड़ने के लिये बातचीत चल रही है।

रूस, चीन और पश्चिम के साथ C5 के संतुलित संबंध:

  • रूस पर अत्यधिक निर्भरता:
    • यह क्षेत्र रूस पर बहुत अधिक निर्भर है, जो CSTO (सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन) के माध्यम से मुख्य सुरक्षा प्रदाता भी है।
    • हालाँकि CSTO की एकता कमज़ोर हो रही है और यूक्रेन संघर्ष ने मध्य एशिया के साथ रूस के सुरक्षा संबंधों के परिणामों के विषय में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
      • वर्ष 2022 में किर्गिज़स्तान ने एक CSTO सैन्य अभ्यास रद्द कर दिया जो पिछले वर्ष उसके क्षेत्र में आयोजित किया जाना था और पाँच मध्य एशियाई देशों में से किसी ने भी खुले तौर पर संघर्ष में रूस का पक्ष नहीं लिया।
    • फिर भी रूस ने इस क्षेत्र के साथ अपना व्यापार बढ़ाया है क्योंकि वह यूरोपीय आयातों पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है।
  • चीन का बढ़ता प्रभुत्त्व:
    • चीन मध्य एशिया में अपना प्रभुत्त्व बढ़ा रहा है, जिससे कुछ देश अनुमान लगा रहे हैं कि बीजिंग इस क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिये यूक्रेन पर रूस के बढ़ते प्रभुत्त्व का लाभ उठा रहा है।
    • जबकि रूस चीनी विस्तार को लेकर चिंतित हो सकता है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट संकेत नहीं देखा गया।
  • पश्चिम की ओर देखना:
    • मध्य एशियाई देश यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित पश्चिम के साथ व्यापारिक संबंध विकसित करने की मांग कर रहे हैं।
    • हालाँकि इस क्षेत्र के लैंडलॉक्ड भूगोल और सीमित परिवहन बुनियादी ढाँचे ने इस प्रयास में बाधा उत्पन्न की है।

मध्य एशिया में भारत की हिस्सेदारी:

  • सांस्कृतिक और प्राचीन संबंध:
    • सिल्क रूट तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 15वीं शताब्दी ईस्वी तक भारत को मध्य एशिया से जोड़ता था। बौद्ध धर्म के प्रसार-प्रचार से लेकर बॉलीवुड के स्थायी प्रभाव तक भारत ने इस क्षेत्र के साथ पुराने और गहरे सांस्कृतिक संबंध साझा किये हैं।
  • सुरक्षा:
    • भारत-मध्‍य एशिया के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पहली बैठक के लिये दिसंबर 2022 में कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के अधिकारी भारत आए।
      • इस बैठक में कुछ महत्त्वपूर्ण पक्षों पर बल दिया गया, जिनमें भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच संबंध, अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति को स्थिर करना और क्षेत्रीय अखंडता को मज़बूत करना जैसे साझा हित शामिल थे।
    • भारत ने ताजिकिस्तान में सैन्य ठिकानों का नवीनीकरण करके इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाने का भी प्रयास किया है।
    • विमानपत्तन मार्ग के परिचालित होने के बाद भारत को अपने दो प्रतिद्वंद्वियों- चीन और पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक लाभ भी प्राप्त होगा।
    • ताजिकिस्तान वाखन कॉरिडोर के करीब स्थित है, जो अफगानिस्तान और चीन के साथ-साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को जोड़ता है।
  • विस्तारित नेबरहुड नीति:
    • वर्ष 2022 में भारत ने अपनी "विस्तारित नेबरहुड नीति" के प्रति प्रतिबद्धता जताई जिसमें उसने भू-राजनीतिक भागीदारी और राजनयिक लक्ष्यों में विविधता लाने तथा अपने मध्य एशियाई भागीदारों को कई मोर्चों पर शामिल करने का आह्वान है।
      • इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी और इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों के साथ साझेदारी और आर्थिक सहयोग हेतु नेटवर्क स्थापित करना है।
    • यह नीति पड़ोसी देशों के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के भारत की प्रतिबद्धता पर केंद्रित है।
  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO):
    • एक पूर्ण सदस्य के रूप में भारत वर्ष 2017 में शंघाई सहयोग संगठन में शामिल हुआ।
      • शंघाई सहयोग संगठन में कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान भी शामिल हैं।
    • यह समूह भारत को ताजिकिस्तान के साथ संबंधों को मज़बूत बनाते हुए अस्ताना, बिश्केक और ताशकंद के साथ सुरक्षा संबंध स्थापित करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
  • कनेक्टिविटी, एक चुनौती:
    • चूँकि भारत और C5 के बीच व्यापारिक संबंध हैं और ये देश मध्य एशिया के लिये एक भूमि मार्ग न होने से परेशान हैं, क्योंकि तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान एक अनिश्चित क्षेत्र है और पाकिस्तान द्वारा यहाँ से प्रवेश प्रतिबंधित है।
    • ऐसा सुझाव है कि भारत को "हवाई मार्ग" के माध्यम से मध्य एशिया में लोगों और व्यापार के लिये कनेक्टिविटी प्रदान करनी चाहिये, जैसा कि भारत ने अफगानिस्तान के लिये किया था।

आगे की राह

  • भारत को विशेष रूप से भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करते हुए मध्य एशियाई राज्यों के साथ दीर्घकालिक और विश्वसनीय साझेदारी को प्राथमिकता देनी चाहिये। द्विपक्षीय संबंधों हेतु सुरक्षा को केंद्र बिंदु में रखना होगा, लेकिन भारत के लिये पारगमन, व्यापार, निवेश और लोगों के बीच मज़बूत संबंध सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • भारत को उन कमज़ोरियों का लाभ उठाना चाहिये जो यूक्रेन पर रूस के युद्ध और अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण जैसे संकटों के कारण क्षेत्र में उजागर हुई हैं।
  • आतंकवाद विरोधी संयुक्त प्रयास नई दिल्ली को एक सतत् भागीदार के रूप में स्थापित करने और विरोधियों पर करीब से नज़र रखने में मदद कर सकता है।
    • हालाँकि भारत को सुरक्षा पहलू के पूरक के लिये अन्य मुद्दों पर भी काम करना चाहिये और यह सुनिश्चित करना चाहिये कि भू-राजनीतिक, आर्थिक या घरेलू दबाव के चलते मध्य एशिया के साथ संबंध अतिसंवेदनशील न हों।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न: 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह विकसित करने का क्या महत्त्व है? (2017)

(a) अफ्रीकी देशों से भारत के व्यापार में अपार वृद्धि होगी।
(b) तेल-उत्पादक अरब देशों से भारत के संबंध सुदृढ़ होंगे।
(c) अफगानिस्तान और मध्य एशिया में पहुँच के लिये भारत को पाकिस्तान पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।
(d) पाकिस्तान, इराक और भारत के बीच गैस पाइपलाइन का संस्थापन सुकर बनाएगा और उसकी सुरक्षा करेगा।

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. अनेक बाहरी शक्तियों ने अपने आपको मध्य एशिया में स्थापित कर लिया है, जो कि भारत के हित का क्षेत्र है। इस संदर्भ में भारत के अश्गाबात समझौते में शामिल होने के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


सामाजिक न्याय

मंडल आयोग

प्रिलिम्स के लिये:

अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 16, आरक्षण, इंद्रा साहनी केस, OBC आरक्षण, मंडल आयोग, रोहिणी आयोग।

मेन्स के लिये:

मंडल आयोग, आरक्षण: लाभ और चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?

  • बिहार में शुरू हुए जाति सर्वेक्षण के दूसरे चरण के साथ ही कई अन्य राजनीतिक बहसों के कारण मंडल राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है।

मंडल राजनीति और मंडल आयोग:

  • परिचय:
    • मंडल राजनीति का आशय 1980 के दशक में उभरे ऐसे राजनीतिक आंदोलन से है जिसमें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित समुदायों (विशेष रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग- ओबीसी) को शामिल करने पर बल दिया गया था।
    • इस आंदोलन का नाम मंडल आयोग के नाम पर रखा गया था।
  • मंडल आयोग:
    • मंडल आयोग या दूसरा सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग को वर्ष 1979 में भारत के ‘सामाजिक या शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों’ के लोगों की पहचान करने के लिये गठित किया गया था।
      • इसकी अध्यक्षता बी.पी. मंडल ने की थी और इसने वर्ष 1980 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा वर्ष 1990 में इसे लागू किया गया था।
    • इस आयोग की रिपोर्ट से पता चला कि देश की 52% आबादी ओबीसी वर्ग से संबंधित है।
    • प्रारंभ में आयोग ने तर्क दिया कि सरकारी सेवा में आरक्षण के प्रतिशत को इस प्रतिशत से मेल खाना चाहिये।
      • हालाँकि यह एम.आर. बालाजी बनाम मैसूर राज्य मामले (1963) में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ गया, जिसने 50% की सीमा निर्धारित की थी। SC और ST के लिये पहले से ही 22.5% आरक्षण था।
    • इसलिये OBC के लिये आरक्षण को 27% पर सीमित कर दिया गया था।
      • आयोग ने गैर-हिंदुओं के बीच पिछड़े वर्गों की भी पहचान की।
  • मंडल आयोग की सिफारिशें:
    • OBC को सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
    • उन्हें सार्वजनिक सेवाओं के सभी स्तरों पर पदोन्नति में समान 27% आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
    • आरक्षित कोटा, यदि पूरा नहीं किया गया है, को 3 वर्ष की अवधि के लिये आगे बढ़ाया जाना चाहिये।
    • OBC को SC और ST के समान आयु में छूट प्रदान की जानी चाहिये।
    • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों, सरकारी अनुदान प्राप्त निजी क्षेत्र के उपक्रमों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
    • सरकार इन सिफारिशों को लागू करने के लिये आवश्यक कानूनी प्रावधान करे।
  • मंडल आयोग का प्रभाव:
    • मंडल आयोग के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप सरकार को व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा और जब सरकार ने इसे लागू करने का निर्णय लिया तो जहाँ छात्रों ने विरोध में आत्मदाह किया।
    • कार्यान्वयन को अंततः इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामले में चुनौती दी गई थी।

इंदिरा साहनी केस में सर्वोच्च न्यायालय का रुख:

  • इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने OBC के लिये 27 प्रतिशत आरक्षण को संवैधानिक रूप से वैध माना लेकिन कुछ शर्तों के साथ:
    • न्यायालय ने कहा कि आरक्षण 50 प्रतिशत कैप की सीमा में ही होना चाहिये और पदोन्नति में इसे बढ़ाया नहीं जाना चाहिये।
    • क्रीमी लेयर की अवधारणा भी न्यायालय द्वारा समुदाय के संपन्न लोगों को बाहर करने के लिये पेश की गई थी।
    • कैरी फॉरवर्ड नियम (जिसके द्वारा आगामी वर्ष में अपूर्ण रिक्तियों को भरा जाता है) को 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिये।

मंडल आयोग की विशेषताएँ:

  • प्रतिनिधित्त्व में वृद्धि: मंडल आयोग ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में SEBC के प्रतिनिधित्त्व को बढ़ाने में मदद की।
    • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2014-2021 के दौरान सीधी भर्ती के माध्यम से कुल नियुक्ति के खिलाफ OBC का प्रतिनिधित्त्व लगातार 27 प्रतिशत से ऊपर था।
  • शिक्षा तक पहुँच: आरक्षण नीति ने कई OBC छात्रों को उच्च शिक्षा तक पहुँच में सक्षम बनाया है। इसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में OBC छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
    • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2014-2021 की अवधि के दौरान 2014-15 से उच्च शिक्षण संस्थानों में OBC का नामांकन लगातार बढ़ रहा है।
  • सामाजिक न्याय: मंडल आयोग की सिफारिशें सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित थीं और इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों, विशेषकर उन लोगों को समान अवसर प्रदान करना था जो ऐतिहासिक रूप से वंचित रहे हैं।

मंडल आयोग के दोष:

  • समाज के उत्थान पर सीमित प्रभाव: इसका प्रभाव बहुत कम समुदायों तक सीमित रहा है। न्यायमूर्ति रोहिणी जी. आयोग के अनुसार, OBC में लगभग 6,000 जातियों और समुदायों में से केवल 40 समुदायों को केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश एवं सिविल सेवाओं में भर्ती हेतु 50% आरक्षण का लाभ मिला।
  • राजनीतिकरण: राजनेताओं ने प्रायः आरक्षण को अपने वोट बैंक की राजनीति के रूप में इस्तेमाल किया है। वर्ष 1980 के दशक के दौरान मंडल आयोग को राजनीति का एक नया रूप राजनीति-मंडल देते हुए अत्यधिक राजनीतिकरण किया गया था।
    • अभी भी इसका प्रयोग एक राजनीतिक उपकरण के रूप में किया जाता है। हाल ही में कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान एक राजनेता ने SC/ST/OBC आरक्षण पर 50% की सीमा को हटाने की मांग की है।
  • योग्यता/मेरिट पर नकारात्मक प्रभाव: आरक्षण नीति का योग्यता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है क्योंकि इस कारण कई योग्य उम्मीदवारों को सीट प्राप्त नहीं हुई, जबकि कम योग्यता वाले उम्मीदवारों का चयन कर लिया गया था।

आगे की राह

  • आरक्षण नीति की समय-समय पर समीक्षा: इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामले (1992) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित इसके प्रभाव का आकलन करने के लिये आरक्षण नीति की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिये।
  • शिक्षा के प्रारंभिक स्तर में सुधार: सरकार को शिक्षा के प्रारभिक स्तर में सुधार करने का प्रयास करते रहना चाहिये ताकि उच्च स्तर पर आरक्षण आसानी से समाप्त हो सके।
  • निजी क्षेत्र में नौकरी के अवसर बढ़ाना: सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र और रोज़गार के लिये आरक्षण पर निर्भरता को कम करने हेतु निजी क्षेत्र में नौकरी के अवसर बढ़ाने के लिये प्रयास करना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022: WMO

प्रिलिम्स के लिये:

WMO, GHG, हिमनद, महासागरीय अम्लीकरण, वर्षा, गर्म हवाएँ

मेन्स के लिये:

स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022: WMO

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट 2022 जारी की है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • तापमान:
    • वर्ष 2022 में वैश्विक औसत तापमान वर्ष 1850-1900 के औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
    • वर्ष 1850 के बाद वर्ष 2015 से 2022 के लिखित रिकॉर्ड में ये आठ वर्ष सबसे गर्म दर्ज किये गए थे।
    • यह स्थिति लगातार तीन वर्षों तक कूलिंग La Niña के बावजूद थी- ऐसा "ट्रिपल-डिप" La Niña पिछले 50 वर्षों में केवल तीन बार हुआ है।
  • ग्रीनहाउस गैस:
    • तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैस, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता वर्ष 2021 में रिकॉर्ड उँचाई पर पहुँच गई थी।
    • वर्ष 2020-2021 तक मीथेन सांद्रता में रिकॉर्ड वार्षिक वृद्धि देखी गई थी।
  • समुद्र स्तर में वृद्धि:
    • ग्लोबल मीन सी लेवल (GMSL) वर्ष 2022 में भी बढ़ना जारी रहा, जो सैटेलाइट अल्टीमीटर रिकॉर्ड के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।
    • वर्ष 2005-2019 की अवधि में हिमनदों, ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक में कुल हिम भूमि के नुकसान ने GMSL वृद्धि में 36 प्रतिशत और समुद्र के गर्म होने में 55 प्रतिशत का योगदान दिया।
  • महासागरीय ताप:
    • वर्ष 2022 में समुद्री गर्मी की मात्रा एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई।
    • ग्रीनहाउस गैसों द्वारा जलवायु प्रणाली में फँसी हुई लगभग 90 प्रतिशत ऊर्जा समुद्र में चली जाती है, यह कुछ हद तक उच्च तापमान में वृद्धि भी करती है और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के लिये जोखिम उत्त्पन्न करती है।
  • महासागरीय अम्लीकरण:
    • CO2 का समुद्री जल के साथ प्रतिक्रिया करने से pH में कमी आती है जिसे 'महासागरीय अम्लीकरण' कहा जाता है, इससे जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र प्रणालियों को खतरा होता है।
    • IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि "यह काफी निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि समुद्र का सतही pH वर्तमान में सबसे कम [26 हज़ार वर्षों में] है और pH परिवर्तन की वर्तमान दर कम-से-कम उस समय की तुलना में अभूतपूर्व है।
  • समुद्री बर्फ:
    • अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ के घनत्त्व में फरवरी 2022 में रिकॉर्ड सबसे निचले स्तर 1.92 मिलियन कि.मी2 तक की गिरावट आई और दीर्घावधि (1991-2020) औसत से तुलना करें तो यह लगभग 1 मिलियन कि.मी.2 नीचे है।
  • हिमनद:
    • अक्तूबर 2021 और अक्तूबर 2022 के बीच औसतन -1.3 मीटर से अधिक की मोटाई में बदलाव के साथ हिमनदों में बर्फ की कमी हुई है जो पिछले दशक के औसत से काफी अधिक है।
    • सर्दियो में हिमपात में कमी, मार्च 2022 में सहारा मरुस्थल से आने वाली धूल और मई से सितंबर की शुरुआत तक हीट वेव के कारण यूरोपीय आल्प्स में अभूतपूर्व रूप से हिमनद पिघले।

जलवायु संकेतकों के रिकॉर्ड उच्च आँकड़ों का प्रभाव:

  • पूर्वी अफ्रीका में सूखा:
    • लगातार पाँच वर्षा ऋतुओं में वर्षा औसत से कम रही है, यह पिछले 40 वर्षों में इस तरह का सबसे लंबा क्रम है। जनवरी 2023 तक के अनुमान के अनुसार, सूखे और अन्य आपदाओं के के कारण 20 मिलियन से अधिक लोगों को पूरे क्षेत्र में तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा था।
  • पाकिस्तान में व्यापक वर्षण:
    • कुल नुकसान और आर्थिक नुकसान का आकलन 30 अरब अमेरिकी डॉलर आँका गया था।
      • राष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड किये गए सबसे नम महीने जुलाई (सामान्य से 181% अधिक) और अगस्त (औसत से 243% अधिक) थे।
    • पाकिस्तान में बाढ़ ने प्रभावित ज़िलों में लगभग 8,00,000 अफगान शरणार्थियों सहित लगभग 33 मिलियन लोगों को प्रभावित किया।
  • यूरोप में हीट वेव:
    • अत्यधिक गर्मी और असाधारण शुष्क मौसम कई क्षेत्रों में सह-अस्तित्त्व में थे। यूरोप में गर्मी के कारण हुई 15,000 से अधिक अतिरिक्त मौतें स्पेन, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्राँस और पुर्तगाल में दर्ज की गईं।
    • चीन ने आधिकारिक रिकॉर्ड की शुरुआत के बाद से अपनी सबसे व्यापक एवं सबसे लंबे समय तक चलने वाली हीट वेव का अनुभव किया, जो जून के मध्य से अगस्त के अंत तक रही और यह सबसे शुष्क गर्मी रिकॉर्ड 0.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक रही। इसके अतिरिक्त यह अब तक की दूसरी सबसे शुष्क गर्मी थी।
  • खाद्य असुरक्षा:
    • वर्ष 2021 तक 2.3 बिलियन लोगों को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा, जिनमें से 924 मिलियन लोगों को गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।
    • अनुमान है कि वर्ष 2021 में 767.9 मिलियन लोग कुपोषण का सामना कर रहे थे, जो वैश्विक जनसंख्या का 9.8% है।
    • इनमें से आधे एशिया में और एक-तिहाई अफ्रीका में हैं।
  • भारत और पाकिस्तान में पूर्व-मानसून हीट वेव:
    • भारत और पाकिस्तान में मौसम पूर्व-मानसून हीटवेव के कारण फसल की उत्पादकता में गिरावट आई है।
    • इसके साथ-साथ यूक्रेन में संघर्ष की शुरुआत के बाद से भारत में गेहूँ और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण अंतर्राष्ट्रीय खाद्य बाज़ारों में मुख्य खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, पहुँच और स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लगने के साथ पहले से ही कमी से प्रभावित देशों के लिये इस संदर्भ में उच्च जोखिम उत्पन्न हुआ है।
    • विस्थापन:
    • सोमालिया में लगभग 1.2 मिलियन लोग सूखे के भयावह प्रभावों से खेती और आजीविका पर पड़े प्रभावों के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित हुए जिनमें से 60,000 से अधिक लोग इसी अवधि के दौरान इथियोपिया एवं केन्या की ओर विस्थापित हुए।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO):

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) 192 देशों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है।
  • भारत, विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य देश है।
  • इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसे वर्ष 1873 के वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस के बाद स्थापित किया गया था।
  • 23 मार्च, 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा स्थापित WMO, मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान तथा इससे संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान हेतु संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गया है।
  • WMO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


शासन व्यवस्था

उड़ान 5.0 योजना

प्रिलिम्स के लिये:

उड़ान योजना, उड़ान 5.0, वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF), रीजनल कनेक्टिविटी फंड (RCF)

मेन्स के लिये:

उड़ान योजना: विशेषताएँ और उपलब्धियाँ, उड़ान 5.0

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने क्षेत्रीय संपर्क योजना- उड़ान (UDAN 5.0) के पाँचवें चरण की शुरुआत की है।

उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना:

  • परिचय:
    • इस योजना की शुरुआत नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा क्षेत्रीय हवाई अड्डे के विकास और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये की गई थी।
    • यह राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 का एक हिस्सा है।
    • यह योजना 10 वर्ष की अवधि के लिये लागू है।
  • उद्देश्य:
    • भारत के दूरस्थ और क्षेत्रीय क्षेत्रों के लिये हवाई संपर्क एवं यात्रा में सुधार करना।
    • दूर-दराज़ के क्षेत्रों का विकास तथा व्यापार-वाणिज्य में वृद्धि एवं पर्यटन का विस्तार करना।
    • आम लोगों को सस्ती दरों पर हवाई यात्रा करने में सक्षम बनाना।
    • विमानन क्षेत्र में रोज़गार सृजन।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • योजना के अनुसार, एयरलाइंस को सभी सीटों के 50% के लिये 2,500 रुपए प्रति उड़ान प्रति घंटे का मूल्य प्रतिबंध निर्धारित करना चाहिये।
    • इसे हासिल करने का माध्यम:
      • केंद्र और राज्य सरकारों एवं हवाई अड्डे के संचालकों से रियायतों के रूप में वित्तीय प्रोत्साहन।
      • व्यवहार्यता अंतराल अनुदान (Viability Gap Funding- VGF)- संचालन की लागत और अपेक्षित राजस्व के बीच अंतर को समाप्त करने हेतु एयरलाइंस को प्रदान किया जाने वाला सरकारी अनुदान।
        • योजना के तहत व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु क्षेत्रीय कनेक्टिविटी अनुदान (Regional Connectivity Fund- RCF) की व्यवस्था की गई थी।
    • भागीदार राज्य सरकारें (केंद्रशासित प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा जहाँ योगदान 10% होगा) इस अनुदान में 20% हिस्सा देंगी।
  • योजना के पूर्व चरण:
    • चरण 1 को वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य देश में अनुपयोगी और असेवित हवाईअड्डे को शुरू करना था।
    • चरण 2 को वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य देश के अधिक दूरस्थ और दुर्गम हिस्सों में हवाई संपर्क का विस्तार करना था।
    • चरण 3 को नवंबर 2018 में लॉन्च किया गया था, जिसमें देश के पहाड़ी और दूरदराज़ के क्षेत्रों में हवाई संपर्क बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
    • उड़ान योजना का चरण 4 दिसंबर 2019 में शुरू किया गया था, जिसमें द्वीपों और देश के अन्य दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • उड़ान 5.0 के प्रमुख बिंदु:
    • यह श्रेणी-2 (20-80 सीट) और श्रेणी-3 (>80 सीट) एयरक्राफ्ट पर केंद्रित है।
    • इसमें यान की उड़ान के आरंभ और गंतव्य के बीच की दूरी पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
    • प्रदान किये जाने वाले VGF को प्राथमिकता और गैर-प्राथमिकता वाले दोनों क्षेत्रों के लिये 600 किमी. की दूरी तक निर्धारित किया जाएगा; पहले यह दूरी 500 किमी. थी।
    • इसमें कोई पूर्व निर्धारित मार्ग निर्धारण नहीं किया जाएगा; एयरलाइंस द्वारा प्रस्तावित केवल नेटवर्क और व्यक्तिगत रूट प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।
    • एक ही मार्ग को एक ही एयरलाइन को एक से अधिक बार नहीं दिया जाएगा, चाहे वह अलग-अलग नेटवर्क में हो या एक ही नेटवर्क में।
    • यदि लगातार चार तिमाहियों के लिये औसत त्रैमासिक पैसेंजर लोड फैक्टर (PLF) 75% से अधिक है, तो किसी एयरलाइन को प्रदान किये गए संचालन का विशेषाधिकार वापस ले लिया जाएगा।
      • ऐसा किसी मार्ग पर एकाधिकार को रोकने के लिये किया गया है।
    • एयरलाइनों को मार्ग आवंटित किये जाने के 4 महीने के भीतर परिचालन शुरू करना होगा; पहले यह समयसीमा 6 महीने थी।
    • एक ऑपरेटर से दूसरे ऑपरेटर के रूट हेतु नोवेशन प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ प्रोत्साहित किया गया है।
      • नोवेशन- मौजूदा अनुबंध को प्रतिस्थापन अनुबंध के साथ प्रतिस्थापित करने की प्रक्रिया है, जहाँ अनुबंध करने वाले पक्ष आम सहमति पर पहुँचते हैं।

उड़ान योजना की उपलब्धियाँ:

(नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अगस्त 2022 में जारी आँकड़ों के अनुसार)

  • यह योजना टीयर-2 और टीयर-3 शहरों को किफायती हवाई किराये पर उचित मात्रा में हवाई संपर्क प्रदान करने में भी सक्षम रही है और इससे पहले यात्रा करने का तरीका बदल गया है।
  • परिचालित हवाई अड्डों की संख्या वर्ष 2014 के 74 से बढ़कर 141 हो गई है।
  • उड़ान योजना के तहत 58 हवाई अड्डे, 8 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रोम सहित 68 अल्पसेवित/असेवित गंतव्यों को जोड़ा गया है।
  • उड़ान ने देश भर में 425 नए मार्गों की शुरुआत के साथ 29 से अधिक राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को हवाई संपर्क प्रदान किया है।
  • एक करोड़ से अधिक यात्रियों ने इस योजना का लाभ उठाया है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ): 

प्रश्न. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के अधीन संयुक्त उपक्रमों के माध्यम से भारत में विमानपत्तनों के विकास का परीक्षण कीजिये। इस संबंध में प्राधिकरणों के समक्ष कौन सी चुनौतियाँ हैं? (2017)

स्रोत: पी.आई.बी.


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