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शासन व्यवस्था

रोहिणी आयोग और OBC उप-श्रेणीकरण

  • 08 Feb 2021
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उप-श्रेणीकरण पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये रोहिणी आयोग के कार्यकाल को 31 जुलाई, 2021 तक बढ़ा दिया है। 

  • रोहिणी आयोग का गठन अक्तूबर 2017 में संविधान के अनुच्छेद-340 के तहत किया गया था। उस समय आयोग को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये 12 सप्ताह का समय दिया गया था, हालाँकि इसके बाद से कई बार आयोग के कार्यकाल में विस्तार किया जा चुका है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 340 के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं की जाँच करने तथा उनकी दशा में सुधार करने से संबंधित सिफारिश प्रदान के लिये एक आदेश के माध्यम से आयोग की नियुक्ति/गठन कर सकता है।

प्रमुख बिंदु

OBC के उप-श्रेणीकरण के लिये समिति की आवश्यकता:

  • समानता सुनिश्चित करने के लिये:
    • इस आयोग का गठन केंद्रीय OBC सूची में मौजूद 5000 जातियों को उप-वर्गीकृत करने के कार्य को पूरा करने हेतु किया गया था।
      • नियम के मुताबिक, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को केंद्र सरकार के तहत नौकरियों और शिक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है।
      • उप-श्रेणीकरण की आवश्यकता इस धारणा से उत्पन्न होती है कि OBC की केंद्रीय सूची में शामिल कुछ ही संपन्न समुदायों को 27 प्रतिशत आरक्षण का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है।
    • उप-श्रेणीकरण से केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अवसरों का अधिक समान वितरण सुनिश्चित किया जा सकेगा।
  • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NBFC) की सिफारिशें:
    • ध्यातव्य है कि सर्वप्रथम वर्ष 2015 में ‘राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग’ (NCBC) ने OBC को अत्यंत पिछड़े वर्गों, अधिक पिछड़े वर्गों और पिछड़े वर्गों जैसी तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किये जाने की सिफारिश की थी।
    • OBC आरक्षण के लाभ का अधिकांश हिस्सा प्रायः प्रभावशाली OBC समूहों द्वारा प्राप्त किया जा रहा है, इसलिये OBC के भीतर अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिये उप-कोटे को मान्यता देना अति आवश्यक है।
    • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NBFC) के पास सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की शिकायतों और उनसे संबंधित कल्याणकारी उपायों के क्रियान्वयन की जाँच करने का अधिकार है।

आयोग के विचारार्थ विषय (ToR)

  • असमानता की जाँच करना: केंद्रीय OBC सूची में शामिल जातियों या समुदायों के बीच आरक्षण के लाभों के असमान वितरण तथा उनकी सीमा की जाँच करना।
  • मापदंडों का निर्धारण: OBC के भीतर उप-वर्गीकरण के लिये वैज्ञानिक तरीके से एक आवश्यक तंत्र और मापदंडों का निर्धारण करना।
  • वर्गीकरण: उप-वर्गीकरण के दायरे में आने वाली जातियों या समुदायों या उप-जातियों की पहचान करना और उन्हें उनकी संबंधित उप-श्रेणियों में वर्गीकृत करना।
  • मौजूदा त्रुटियों को समाप्त करना: OBC की केंद्रीय सूची में विभिन्न प्रविष्टियों का अध्ययन करना और किसी भी प्रकार की पुनरावृत्ति, अस्पष्टता, विसंगति तथा वर्तनी या प्रतिलेखन की त्रुटी में सुधार करने के संदर्भ में सलाह देना।

समिति के समक्ष चुनौतियाँ

  • आँकड़ों की कमी:
    • केंद्र सरकार की नौकरियों और विश्वविद्यालय में प्रवेश में विभिन्न OBC समुदायों के प्रतिनिधित्त्व तथा उन समुदायों की आबादी की तुलना करने के लिये आवश्यक डेटा की उपलब्धता अपर्याप्त है।
  • सर्वेक्षण में देरी:
    • वर्ष 2021 की जनगणना OBC से संबंधित डेटा एकत्र करने को लेकर घोषणा की गई थी, हालाँकि इस संबंध में अभी तक कोई आम सहमति नहीं बन पाई है।

आयोग द्वारा अब तक की गई जाँच

  • वर्ष 2018 में, आयोग ने पिछले पाँच वर्ष में OBC कोटा के तहत दी गई केंद्र सरकार की 1.3 लाख नौकरियों का विश्लेषण किया था।
  • आयोग ने पूर्ववर्ती तीन वर्षों में विश्वविद्यालयों, IIT, NIT, IIM और AIIMS समेत विभिन्न केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में OBC प्रवेशों से संबंधित आँकड़ों का विश्लेषण किया था। आयोग के मुताबिक, 
    • OBC के लिये आरक्षित सभी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों की सीटों का 97 प्रतिशत हिस्सा OBC के रूप में वर्गीकृत सभी उप-श्रेणियों के केवल 25 प्रतिशत हिस्से को प्राप्त हुआ।
    • उपरोक्त नौकरियों और सीटों का 24.95 प्रतिशत हिस्सा केवल 10 OBC समुदायों को प्राप्त हुआ।
    • नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थानों में 983 OBC समुदायों (कुल का 37%) का प्रतिनिधित्व शून्य है।
    • विभिन्न भर्तियों एवं प्रवेश में 994 OBC उप-जातियों का कुल प्रतिनिधित्व केवल 2.68% का प्रतिनिधित्व है।
  • वर्ष 2019 के मध्य में आयोग ने यह सूचित किया कि उसकी मसौदा रिपोर्ट (उप-वर्गीकरण पर) तैयार है। व्यापक रूप से यह माना जाता है कि इस रिपोर्ट के वृहद् राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं और इसे न्यायिक समीक्षा का सामना भी करना पड़ सकता है, इसलिये इसे अभी तक जारी नहीं किया गया है।

केंद्र सरकार में OBC भर्ती (वर्ष 2020 में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा NCBC को प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर):

  • 42 मंत्रालयों/विभागों से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर केंद्र सरकार की नौकरियों में OBC का प्रतिनिधित्व इस प्रकार है:
    • केंद्र सरकार की सेवाओं के तहत ग्रुप A में 16.51 % 
    • केंद्र सरकार की सेवाओं के तहत ग्रुप B में 13.38 %
    • ग्रुप C में 21.25 % (सफाई कर्मचारियों को छोड़कर)
    • ग्रुप C 17.72 % (सफाई कर्मचारी)
  • NFS के संबंध में:  
    • NCBC द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, OBC के लिये आरक्षित कई पदों पर सामान्य वर्ग के लोगों की भर्ती की गई क्योंकि OBC उम्मीदवारों को "NFS" यानी None Found Suitable (कोई भी उपयुक्त नहीं मिला) घोषित किया गया था।
  • क्रीमी लेयर में संशोधन: 
    • OBC के लिये क्रीमी लेयर हेतु आय सीमा में संशोधन भी अभी तक विचाराधीन है।

नोट: 

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण हेतु अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उप-वर्गीकरण पर भी इसी प्रकार की कानूनी बहस को फिर से चर्चा में ला दिया है, जिसे आमतौर पर SC और ST के लिये "कोटा के अंतर्गत कोटा" (Quota within Quota) कहा जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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