भारतीय अर्थव्यवस्था
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन
प्रिलिम्स के लिये:औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production - IIP), राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetization Pipeline - NMP), इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (Infrastructure Investment Trust - InvIT), ग्लोबल वार्मिंग, महामारी, स्थानिक गरीबी। मेन्स के लिये:राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप एवं उसके निर्माण तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे। |
स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने अवसंरचना में नए निवेश के लिये संसाधन उत्पन्न करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetization Pipeline - NMP) के तहत एक परिसंपत्ति पुनर्चक्रण अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र के परिसंपत्ति पुनर्चक्रण अभियान से लगभग 1.5 ट्रिलियन रुपए उत्पन्न होने की उम्मीद है।
- वर्ष 2021-22 में लगभग 0.97 ट्रिलियन रुपए और वर्ष 2022-23 में 1.32 ट्रिलियन रुपए के मुद्रीकरण मूल्यों के साथ लेनदेन पूरा किया गया।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन क्या है?
- परिचय:
- राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) चार वर्ष की अवधि (वित्त वर्ष 2022-25) में सड़कों, रेलवे, बिजली, तेल और गैस पाइपलाइन, दूरसंचार, नागरिक उड्डयन जैसे क्षेत्रों में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्तियों को पट्टे पर देकर 6 लाख करोड़ रुपए की कुल मुद्रीकरण क्षमता की परिकल्पना करता है।
- NMP के माध्यम से मुद्रीकरण में गैर-प्रमुख संपत्तियों के विनिवेश के माध्यम से मुद्रीकरण को छोड़कर केवल मुख्य संपत्तियाँ शामिल हैं। वर्तमान में अवसंरचनात्मक क्षेत्रों में केवल केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों और CPSE की संपत्ति को शामिल किया गया है।
- NMP की पहुँच को व्यापक बनाने और अंततः संघीय तथा राज्य दोनों स्तरों पर संपत्तियों को शामिल करने के लिये, सरकार वर्तमान में राज्यों से संपत्ति पाइपलाइनों का आयोजन एवं संकलन कर रही है।
- प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिये, भूमि अचल संपत्ति और अवसंरचना सहित गैर-प्रमुख संपत्तियों के मुद्रीकरण को वित्त मंत्रालय के अंतर्गत निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (Department of Investment and Public Asset Management - DIPAM) से सार्वजनिक उद्यम विभाग (Department of Public Enterprises - DPE) में स्थानांतरित किया जा रहा है।
- इस पाइपलाइन का उद्देश्य राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline - NIP) के तहत वित्त वर्ष 2015 तक छह वर्षों में 111 ट्रिलियन रुपए के निवेश का समर्थन करना है।
- NMP के लिये समय-सीमा को रणनीतिक रूप से राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन के तहत शेष अवधि के साथ समाप्त करने के लिये निर्धारित किया गया है।
- NMP की आवश्यकता:
- लागत में वृद्धि: कुछ मामलों में, परियोजना का कार्य पूरा होने में अधिक समय लग जाता है, जिससे परियोजना की लागत इतनी बढ़ जाती है कि यह परियोजना शुरू होने के समय ही अव्यवहार्य हो जाती है।
- ओवरकैपिटलाइज़ेशन: अधिकांश सरकारी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में इष्टतम इनपुट-आउटपुट अनुपात शायद ही कभी देखा जाता है, जिससे उनका ओवरकैपिटलाइज़ेशन होता है।
- संसाधनों का अनुकूलन: लागत में वृद्धि और परियोजना में देरी आंशिक रूप से अकुशल संसाधन आवंटन तथा उपयोग के कारण होती है।
- NMP का लक्ष्य निजी क्षेत्र की दक्षता और बाज़ार-संचालित दृष्टिकोण पेश करके संसाधनों का अनुकूलन करना है, जिससे इनपुट तथा आउटपुट का बेहतर संरेखण सुनिश्चित हो सके।
- समन्वय चुनौतियाँ: अंतर-मंत्रालयी तथा अंतर-विभागीय समन्वय की कमी से परियोजना निष्पादन में अक्षमताएँ एवं देरी का सामना करना पड़ सकता है।
- NMP सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है जिससे अवसंरचना के विकास के लिये अधिक समन्वित एवं सुव्यवस्थित दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है।
- श्रम सुधार तथा निर्णय लेना: श्रम सुधारों को कार्यान्वित करने में देरी, अनुचित निर्णय लेने तथा अप्रभावी शासन से सार्वजनिक अवसंरचना की परिसंपत्तियाँ प्रभावित होती हैं।
- NMP का महत्त्व:
- अर्थव्यवस्था की बेहतरी: यह एक विशेष पहल है जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा, बेहतर रोज़गार के अवसर सृजित होंगे एवं भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी।
- NMP प्रधानमंत्री गति शक्ति से संबद्ध है जो भारत में अवसंरचना के विकास के लिये एक समग्र एवं एकीकृत दृष्टिकोण प्रदर्शित करता है। गति शक्ति एक व्यापक तथा सुदृढ़ अवसंरचना नेटवर्क के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती है जबकि NMP का लक्ष्य नई परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिये मौजूदा अवसंरचना की परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करना है।
- एक पहल की सफलता अन्य पहल के लक्ष्यों को सुदृढ़ तथा प्राप्त करने में सहायता कर सकती है जो भारत की समग्र आर्थिक वृद्धि एवं विकास में योगदान कर सकती है।
- कम उपयोग वाली सार्वजनिक परिसंपत्तियों का उपयोग: NMP गैर-रणनीतिक निम्न प्रदर्शन करने वाली सरकारी स्वामित्व वाली परिसंपत्तियों से निष्क्रिय पूंजी का उपयोग करने का समर्थन करता है।
- यह इस प्रकार प्राप्त धन को नई बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में पुनर्निवेश करने और ग्रीनफील्ड बुनियादी ढाँचे के निर्माण जैसी परिसंपत्तियों के संवर्द्धन की भी परिकल्पना करता है।
- अर्थव्यवस्था की बेहतरी: यह एक विशेष पहल है जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा, बेहतर रोज़गार के अवसर सृजित होंगे एवं भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी।
- उपलब्धियाँ एवं अपेक्षाएँ:
- खनन क्षेत्र: वर्ष 2023-24 में परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण का केंद्र खनन क्षेत्र, विशेष रूप से कोयला ब्लॉक तथा अन्य खदानें रही हैं।
- वित्त वर्ष 2024-25 में इस क्षेत्र में उपलब्धि लगभग 55,000-60,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है जो कि इसके 8,726 करोड़ रुपए के प्रारंभिक लक्ष्य से अधिक है।
- वित्त वर्ष 2023 का लक्ष्य 6,060 करोड़ रुपए से बढ़कर 37,500 करोड़ रुपए हो गया जिसमें लगभग 68,000 करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई।
- खनन क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2022 में 3,394 करोड़ रुपए की तुलना में लक्ष्य से अधिक, 68,000 करोड़ रुपए अर्जित किये।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI): ब्राउनफील्ड परिसंपत्ति पुनर्चक्रण (Brownfield Asset Recycling) में दूसरे सबसे बड़े योगदानकर्त्ता के रूप में NHAI को वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 45,000 करोड़ रुपए प्राप्त होने की संभावना है।
- यह उपलब्धि टोल ऑपरेट ट्रांसफर (ToT), प्रतिभूतिकरण तथा इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT) मॉडल के मिश्रण के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
- वित्त वर्ष 2024 में अन्य क्षेत्रों हेतु अपेक्षाएँ:
- ऊर्जा उत्पादन तथा पारेषण क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2023 में 15,300 करोड़ रुपए के अपने संयुक्त लक्ष्य को पूरा किया जिसके वित्त वर्ष 2024 में 26,700 करोड़ रुपए के प्रारंभिक लक्ष्य के मुकाबले लगभग 20,000 करोड़ रुपए की उपलब्धि के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है।
- रेलवे, जिसका लक्ष्य वित्त वर्ष 2024 के लिये 44,907 करोड़ रुपए से घटाकर 20,000 करोड़ रुपए कर दिया गया था, वित्त वर्ष 2023 में 8,000 करोड़ रुपए की तुलना में लगभग 8,000-10,000 करोड़ रुपए प्राप्त करने की संभावना है।
- हालाँकि रेलवे ने स्टेशनों जैसी प्रमुख परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण में अत्यधिक प्रगति नहीं की है किंतु यह रेलवे कॉलोनी पुनर्विकास, गति शक्ति (Gati Shakti) माल ढुलाई टर्मिनलों एवं रोलिंग स्टॉक संबंधी संव्यवहार की पूर्ति करेगा।
- तेल और गैस क्षेत्र ने लगभग 4,000 करोड़ रुपए का लक्ष्य हासिल किया है तथा मार्च 2024 तक यह 8,000 करोड़ रुपए तक पहुँच सकता है।
- खनन क्षेत्र: वर्ष 2023-24 में परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण का केंद्र खनन क्षेत्र, विशेष रूप से कोयला ब्लॉक तथा अन्य खदानें रही हैं।
NMP से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?
- करदाताओं के धन जारी करना: करदाताओं ने सार्वजनिक संपत्तियों पर संभावित दोहरे शुल्क के बारे में चिंता व्यक्त की है। इन परिसंपत्तियों के निर्माण के लिये वित्तपोषण के बाद, अब उन्हें निजी संस्थाओं को उनके मुद्रीकरण के बाद भुगतान के माध्यम से उनका उपयोग करने हेतु अतिरिक्त लागत का सामना करना पड़ता है।
- चुनौती आरोपों के इस कथित दोहराव से निपटने और इन परिसंपत्तियों के प्रबंधन तथा उपयोग में सार्वजनिक निवेश एवं निजी भागीदारी के बीच उचित संतुलन सुनिश्चित करने में निहित है।
- संपत्ति और मुद्रीकरण का चक्र: NMP द्वारा नई संपत्ति सर्जित होने तथा बाद में सरकार के लिये देनदारी हेतु उसका मुद्रीकरण करने संबंधी एक दुष्चक्र निर्मित होने की काफी संभावना है।
- संपत्ति-विशिष्ट चुनौतियांँ: इसमें गैस और पेट्रोलियम पाइपलाइन नेटवर्क में क्षमता उपयोग का निम्न स्तर, बिजली क्षेत्र की परिसंपत्तियों में विनियमित टैरिफ, चार लेन से नीचे के राष्ट्रीय राजमार्गों में निवेशकों के बीच कम रुचि तथा इकाई हिस्सेदारी रखने वाले कई हितधारक शामिल हैं।
- एकाधिकार: NMP की एक महत्त्वपूर्ण आलोचना यह है कि हस्तांतरण से एकाधिकार उत्पन्न होगा, जिससे कीमत में वृद्धि होगी।
- स्वामित्व के सुदृढ़ीकरण से विशेष रूप से राजमार्गों और रेलवे लाइनों के मामले में एकाधिकार हो सकता है। यह चिंता कम प्रतिस्पर्द्धा और बाज़ार की गतिशीलता की संभावना पर केंद्रित है, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से अंतिम उपयोगकर्त्ताओं के लिये उच्च लागत हो सकती है।
आगे की राह
- निवेशकों, सरकारी एजेंसियों और जनता सहित हितधारकों के बीच विश्वास बनाने के लिये परिसंपत्ति मुद्रीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता है।
- आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन और बेहतर बुनियादी ढाँचे के संदर्भ में परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लाभों के बारे में बताइये।
- उभरती चुनौतियों और अवसरों से निपटने के लिये नीति ढाँचे को लगातार परिष्कृत तथा अद्यतन करना अनिवार्य है।
- एक सहायक विनियामक वातावरण सुनिश्चित करें जो निजी क्षेत्र की भागीदारी और निवेश को प्रोत्साहित करें।
- परिसंपत्ति मुद्रीकरण परियोजनाओं के प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिये एक मज़बूत निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली स्थापित करें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न1. श्रम प्रधान निर्यातों के लक्ष्य को प्राप्त करने में विनिर्माण क्षेत्रक की विफलता का कारण बताइए। पूंजी-प्रधान निर्यातों की अपेक्षा अधिक श्रम-प्रधान निर्यातों के लिये उपायों को सुझाइए। (2017) प्रश्न2. हाल के समय में भारत में आर्थिक संवृद्धि की प्रकृति का वर्णन अक्सर नौकरीहीन संवृद्धि के तौर पर किया जाता है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2015) |


अंतर्राष्ट्रीय संबंध
इज़रायल के लिये कुशल श्रमिकों की भर्ती
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय कौशल विकास निगम, इज़रायल, उत्प्रवास, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, ट्रेड यूनियन मेन्स के लिये:प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय अभ्यास, युद्धग्रस्त क्षेत्रों में कार्य करने वाले भारतीयों से संबंधित चिंताएँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (National Skill Development Corporation- NSDC) के सहयोग से, मुख्य रूप से विनिर्माण गतिविधियों के लिये, लगभग 10,000 श्रमिकों को इज़रायल भेजने के लिये बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान शुरू किया है।
- NSDC द्वारा इस प्रयास को "पासपोर्ट टू ड्रीम्स अब्रॉड" के रूप में सराहनीय माना गया है किंतु उत्प्रवास नियमों के उल्लंघन से संबंधित चिंताओं का हवाला देते हुए मुख्य रूप से ट्रेड यूनियनों ने इसका विरोध किया है।
इज़रायल में रोज़गार के अवसर तथा संबंधित चिंताएँ क्या हैं?
- इज़रायल में आकर्षक अवसर: इज़रायल में पलस्तर श्रमिक, सिरेमिक टाइल श्रमिक, आयरन बेंडिंग तथा फ्रेम श्रमिक हेतु रिक्तियाँ मौजूद हैं।
- भारत से चयनित उम्मीदवारों को लगभग ₹1.37 लाख (6,100 इज़रायली शेकेल) का मासिक वेतन देने का वादा किया गया है।
- फरवरी 2023 के आँकड़ों अनुसार इज़रायल में भारतीय नागरिकों की संख्या लगभग 18,000 थी जो स्वास्थ्य देखभाल, हीरा व्यापार, सूचना प्रौद्योगिकी एवं शिक्षा जैसे विभिन्न व्यवसायों में कार्यरत थे।
- ट्रेड यूनियनों द्वारा उठाई गई चिंताएँ: ट्रेड यूनियन उत्प्रवास अधिनियम के उल्लंघन का हवाला देते हुए इस रोज़गार अभियान को चुनौती दे रहे हैं।
- इज़रायल में वर्तमान स्थिति, विशेष रूप से हमास के साथ संघर्ष के कारण, प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- उनका तर्क है कि यह कदम संघर्ष क्षेत्रों से नागरिकों को वापस लाने के लोकाचार के खिलाफ है और सरकार पर राजनीतिक लाभ के लिये बेरोज़गारी जैसे मुद्दों का उपयोग करने का आरोप लगाते हैं।
- उत्प्रवास नियमों के अनुसार, संघर्ष क्षेत्रों में जाने वाले श्रमिकों को विदेश मंत्रालय के 'ई-माइग्रेट' पोर्टल पर पंजीकरण कराना आवश्यक है। हालाँकि इज़रायल इस पोर्टल की सूची में नहीं है।
नोट: संघर्ष क्षेत्रों या पर्याप्त श्रम सुरक्षा के बिना कार्यस्थलों पर जाने वाले श्रमिकों को विदेश मंत्रालय के 'ई-माइग्रेट' पोर्टल पर पंजीकरण कराना आवश्यक है।
- इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड' (ECR) स्कीम के तहत जारी किये गए पासपोर्ट अफगानिस्तान, बहरीन, इंडोनेशिया, इराक, जॉर्डन, सऊदी अरब, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, ओमान, कतर, दक्षिण सूडान, सीरिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन सहित 18 देशों की यात्रा करने वाले श्रमिकों को कवर करते हैं। इज़राइल इस सूची में शामिल नहीं है।
- प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएँ:
- प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा हेतु अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएँ अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के दो सम्मेलनों द्वारा शासित होती हैं: रोज़गार के लिये प्रवासन सम्मेलन (संशोधित), 1949 और प्रवासी श्रमिक (अनुपूरक प्रावधान) सम्मेलन, 1975।
- जबकि भारत ने दोनों सम्मेलनों का अनुमोदन नहीं किया है इज़राइल ने वर्ष 1953 में 1949 के सम्मेलन की पुष्टि की थी।
- 1949 के सम्मेलन में उत्प्रवास (Emigration) और आप्रवासन (Immigration) से संबंधित भ्रामक प्रचार के विरुद्ध किये गए उपायों पर ज़ोर दिया गया।
- प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा हेतु अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएँ अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के दो सम्मेलनों द्वारा शासित होती हैं: रोज़गार के लिये प्रवासन सम्मेलन (संशोधित), 1949 और प्रवासी श्रमिक (अनुपूरक प्रावधान) सम्मेलन, 1975।
- अतिरिक्त विचार: ILO को वर्ष 2024 में बेरोज़गारी में वैश्विक वृद्धि का पूर्वानुमान है। यह रिपोर्ट देशों से बढ़ती बेरोज़गारी चिंताओं को दूर करने के लिये संवेदनशील प्रवासन नीतियों और कौशल विकास पहल को डिज़ाइन करने का आग्रह करती है।
- वर्ष 2019 में एक संसदीय समिति ने भारतीय प्रवासियों के कल्याण के लिये उन्नत संस्थागत व्यवस्था की आवश्यकता पर बल देते हुए एक प्रवासन नीति का मसौदा तैयार करने की सिफारिश की।
नोट: विदेशों में काम करने का एक अनौपचारिक तरीका, डंकी फ्लाइट (Donkey Flight), हाल ही में समाचारों में आया। यह संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में प्रवेश करने के लिये उपयोग की जाने वाली एक अवैध आप्रवासन विधि है।
- इसमें गैरकानूनी तौर पर विभिन्न देशों में ठहरना और सीमा पार करना शामिल है, जो अक्सर मानव तस्करों तथा एजेंटों पर निर्भर होता है।
आगे की राह
- श्रमिक वर्ग की चिंताएँ: श्रमिक वर्ग (Trade unions) की चिंताओं को दूर करने और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये उनके साथ रचनात्मक बातचीत में संलग्न रहें।
- सुरक्षा उपाय बढ़ाना: विशेष रूप से इज़राइल में भू-राजनीतिक चुनौतियों पर विचार करते हुए, मज़बूत सुरक्षा प्रोटोकॉल और आकस्मिक योजनाएँ स्थापित करके भर्ती किये गए श्रमिकों की सुरक्षा एवं उनके हित को प्राथमिकता दें।
- व्यापक प्रवास नीति विकसित करना: लंबे समय में भारतीय प्रवासियों के कल्याण और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये संसदीय समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक प्रवासन नीति का मसौदा तैयार करने तथा लागू करने की दिशा में काम करें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. दक्षिण-पश्चिम एशिया का निम्नलिखित में से कौन-सा एक देश भूमध्यसागर तक फैला नहीं है? (2015) (a) सीरिया उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. “भारत के इज़रायल के साथ संबंधों ने हाल ही में एक ऐसी गहराई और विविधता हासिल की है, जिसकी पुनर्वापसी नहीं की जा सकती है।” विवेचना कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2018) |


भूगोल
अमेरिका में शीतकालीन तूफान
प्रिलिम्स के लिये:अमेरिका में शीतकालीन तूफान, हाइपोथर्मिया, बर्फीला तूफान, ध्रुवीय चक्रवात, आर्कटिक। मेन्स के लिये:अमेरिका में शीतकालीन तूफान, वायुमंडल संरचना और संघटन, तापमान, पवन प्रणाली, बादल तथा वर्षा के प्रकार। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
अमेरिका में शीतकालीन तूफान इसने कई प्रकार की चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं, जिससे विभिन्न राज्य शून्य से नीचे तापमान, हिमपात से प्रभावित हुए हैं।
- इस स्थिति के परिणामस्वरूप जनवरी 2024 में मुख्य रूप से हाइपोथर्मिया या सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश भर में कुल 72 मौतें हुईं।
अमेरिका में भयंकर शीतकालीन तूफानों के कौन-से कारक हैं?
- ध्रुवीय चक्रवात:
- ध्रुवीय चक्रवात पृथ्वी के दोनों ध्रुवों के आसपास कम दबाव और ठंडी वायु का एक बड़ा क्षेत्र है।
- "चक्रवात" शब्द वायु के वामावर्त प्रवाह को संदर्भित करता है जो ध्रुवों के पास ठंडी वायु को बनाए रखने में मदद करता है। यह ध्रुवों पर हमेशा मौजूद होता है तथा गर्मियों में कमज़ोर पड़ता है, जबकि सर्दियों में प्रबल हो जाता है।
- कभी-कभी, ध्रुवीय भँवर में व्यवधान से संयुक्त राज्य अमेरिका में दक्षिण की ओर बढ़ने वाली ठंडी वायुओं से तापमान में गिरावट आ जाती है।
- आर्कटिक में जलवायु परिवर्तन, आर्कटिक प्रवर्धन नामक एक घटना की ओर ले जाता है। आर्कटिक ग्रह के बाकी हिस्सों की तुलना में चार गुना तेज़ी से गर्म हो रहा है। आर्कटिक में बढ़ी हुई गर्मी ध्रुवीय चक्रवात को कमज़ोर कर देती है, जिससे यह व्यवधानों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।
- कमज़ोर होने से ध्रुवीय चक्रवात में विस्तार हो सकता है या यह विभाजित हो सकता है, जिससे ठंडी आर्कटिक वायु का विस्तार दक्षिण की ओर हो सकता है।
- आर्कटिक वायु द्रव्यमान:
- अमेरिका में आर्कटिक वायुराशियों की घुसपैठ से तापमान में तेज़ी से गिरावट आ सकती है। ये वायु द्रव्यमान आर्कटिक क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं और दक्षिण की ओर बढ़ सकते हैं, जिससे उन क्षेत्रों में अधिक ठंड की स्थिति आ सकती है जो इस तरह की चरम सीमा के आदी नहीं हैं।
- जेट स्ट्रीम प्रतिरूप:
- जेट स्ट्रीम, वायुमंडल में एक पट्टीनुमा क्षेत्र में तेज़ प्रवाहित होने वाली वायु, मौसम प्रणालियों को संचालित करने में भूमिका निभाती है।
- जेट स्ट्रीम प्रतिरूप में परिवर्तन से आर्कटिक से ठंडी वायु दक्षिण की ओर बढ़ जाती है, जिससे देश का बड़ा हिस्सा प्रभावित हो जाता है।
शीतकालीन तूफान क्या हैं?
- परिचय:
- शीतकालीन तूफान मौसमी घटनाएँ हैं जिनमें अत्यधिक ठंडे तापमान,हिम, ओलावृष्टि के रूप में वर्षा होती है और अक्सर तेज़ हवाएँ चलती हैं।
- ये तूफान सामान्य दैनिक गतिविधियों को बाधित कर सकते हैं, परिवहन को प्रभावित कर सकते हैं और समुदायों के लिये विभिन्न खतरे पैदा कर सकते हैं।
- शीतकालीन तूफान की उत्पत्ति:
- नम वायु का बढ़ना: शीत ऋतु के तूफानों की शुरुआत वातावरण में नम वायु बढ़ने के साथ होती है। यह ठंडे मौसम में हो सकता है जहाँ गर्म वायु ठंडी वायु से ऊपर उठ जाती है या जब वायु किसी बड़ी पहाड़ी या पर्वत की ओर बढ़ती है।
- नमी का स्रोत: बादल निर्माण और वर्षा के लिये नमी का स्रोत आवश्यक है। यह जल के बड़े निकायों, जैसे– झीलों या महासागरों में बहने वाली वायु द्वारा, जल वाष्प को उठाकर प्रदान किया जा सकता है।
- ठंडी वायु: शीतकालीन तूफानों को अलग करने वाला प्रमुख कारक शीत वायु की उपस्थिति है। जब ज़मीन के पास और पूरे वायुमंडलीय परतों में तापमान शून्य से नीचे होता है, तो बर्फ या बर्फ के रूप में वर्षा होती है।
- शीतकालीन तूफान के प्रकार:
- हिमानी तूफान(Snowstorms): ये ऐसे तूफान हैं, जिनमें वर्षा मुख्यतः हिम के रूप में गिरती है। हिम के टुकड़े तब बनते हैं, जब जलवाष्प संघनित होकर जल की बूंदों में परिवर्तित हो जाती है और जम जाती है। पवनों का तापमान यह निर्धारित करता है कि वर्षा, हिम के रूप में गिरती है या नहीं।
- ब्लिज्ज़र्ड्स(Blizzards): हिम की मात्रा के स्थान पर तीव्र पवनों से परिभाषित, ब्लिज्ज़र्ड्स में वायु की गति 35 MPH (मील प्रति घंटा) या उससे अधिक होती है। ब्लिज्ज़र्ड्स में हिम से युक्त पवनों की स्थिति पैदा होती है, जिससे दृश्यता कम हो जाती है और हिम के ढेर इकट्ठे हो जाते हैं।
- झील प्रभाव वाले तूफान(Lake Effect Storms): ये तूफान ग्रेट लेक्स (USA) से नमी की प्रचुरता के कारण बनते हैं। झीलों के ऊपर से गुज़रने वाली ठंडी, शुष्क पवनें जलवाष्प एकत्रित करती है, जिससे झीलों के दक्षिण और पूर्व के क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होती है।
- बर्फीले तूफान(Ice Storms): यह बाहरी सतहों पर कम-से-कम 0.25 इंच बर्फ जमा होने वाले शीतकालीन तूफान हैं। बर्फीले तूफान ज़मीन पर चिकनी परत का निर्माण कर देते हैं, जिससे यात्रा करना और पैदल चलने में समस्या होती है। वे पेड़ की शाखाओं और विद्युत तारों के टूटने का कारण भी बन सकते हैं।
हाइपोथर्मिया क्या है?
- परिचय:
- जब शरीर स्वयं से गर्मी उत्पन्न करने की क्षमता से अधिक तेज़ी से गर्मी खो देता है तो शरीर का तापमान गंभीर रूप से कम हो जाता है जिसे हाइपोथर्मिया कहा जाता है। यह एक चिकित्सा संबंधी आपातकाल स्थिति को दर्शाता है।
- शरीर का सामान्य तापमान लगभग 98.6 डिग्री फारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) होता है तथा हाइपोथर्मिया आमतौर पर तब शुरू होता है जब शरीर का तापमान 95 डिग्री फारेनहाइट (35 डिग्री सेल्सियस) से कम हो जाता है।
- शीत के संपर्क में आने से कई कारकों के संयोजन से हाइपोथर्मिया हो सकता है जो शरीर के मूल तापमान को बनाए रखने की क्षमता को बाधित करता है।
- शीत की स्थिति में शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया गर्मी उत्पन्न करना तथा गर्मी को संरक्षित करना है जो मुख्य रूप से मस्तिष्क में हाइपोथैलेमस द्वारा नियंत्रित होती है।
- लक्षण:
- कँपकँपी, जो हाइपोथर्मिया बढ़ने पर रुक सकती है। (कंपकंपी वास्तव में एक सकारात्मक संकेत है जो दर्शाता है कि आपकी ताप नियमित करने वाली प्रणालियाँ अभी भी सक्रिय हैं)।
- धीमी, उथली श्वास।
- भ्रम और स्मृतिनाश।
- उनींदापन या थकावट।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. अंटार्कटिक क्षेत्र में ओज़ोन छिद्र का होना चिंता का कारण रहा है। इस छिद्र के बनने का कारण क्या होगा? (2011) (a) प्रमुख क्षोभमंडलीय विक्षोभ की उपस्थिति; और क्लोरोफ्लोरो कार्बन का अंतर्वाह। उत्तर: (b)
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। मेन्स:प्रश्न1. हिमांक-मंडल (क्रायोस्फेयर) वैश्विक जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करता है? (2017) प्रश्न2. आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप तथा मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं? स्पष्ट कीजिये। (2021) प्रश्न3. भारत आर्कटिक प्रदेश के संसाधनों में किस प्रकार गहन रुची ले रहा है? (2018) |


जैव विविधता और पर्यावरण
वन्य जीवन लाइसेंसिंग नियम 2024
प्रिलिम्स के लिये:वन्य जीवन (संरक्षण) लाइसेंसिंग (विचार के लिये अतिरिक्त मामले) नियम, 2024, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, CITES मेन्स के लिये:वन्यजीव संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में शामिल सफलता और चुनौतियाँ, वन्य जीवन लाइसेंसिंग नियम |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने हाल ही में वन्यजीव व्यापार नियम, 1983 में संशोधन करते हुए वन्य जीवन (संरक्षण) लाइसेंसिंग (विचार के लिये अतिरिक्त मामले) नियम, 2024 पेश किया, जिसके परिणामस्वरूप लाइसेंस प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए और कुछ प्रजातियों को बाहर रखा गया।
- संशोधन 16 जनवरी, 2024 को लागू हो गए, जो वर्ष 1983 के बाद पहला संशोधन था।
वन्य जीवन लाइसेंसिंग नियम 2024 क्या हैं?
- अनुसूची–I:
- वर्ष 1983 में प्रकाशित नियमों में कहा गया है कि केंद्र सरकार के पिछले परामर्श के अलावा, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I या अनुसूची-II के भाग-II में निर्दिष्ट वन्यजीवों के व्यापार के लिये ऐसा कोई लाइसेंस नहीं दिया जाएगा।
- इस शर्त को नए दिशा-निर्देशों में बदल दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार के पिछले परामर्श के अलावा, ऐसा कोई लाइसेंस नहीं दिया जाएगा यदि यह अधिनियम की अनुसूची-I में निर्दिष्ट किसी वन्यजीवों से संबंधित है।
- इसका तात्पर्य यह है कि अनुसूची-I प्रजातियों पर प्रतिबंध, जिसमें अत्यधिक सुरक्षा की आवश्यकता वाले जानवर शामिल हैं, जैसे कि बाघ, हाथी, गैंडे आदि परामर्श के प्रावधान के साथ अभी भी लागू हैं।
- वर्ष 1983 में प्रकाशित नियमों में कहा गया है कि केंद्र सरकार के पिछले परामर्श के अलावा, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I या अनुसूची-II के भाग-II में निर्दिष्ट वन्यजीवों के व्यापार के लिये ऐसा कोई लाइसेंस नहीं दिया जाएगा।
- अनुसूची-II:
- नए दिशा-निर्देशों में महत्त्वपूर्ण बदलाव वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-II में सूचीबद्ध प्रजातियों के लिये लाइसेंसिंग प्रतिबंधों को हटाना है।
- इसका तात्पर्य यह है कि अनुसूची-II प्रजातियों में व्यापार के लिये लाइसेंस केंद्र सरकार से किसी परामर्श या अनुमोदन के बिना दिये जा सकते हैं, जो पहले आवश्यक था।
- लाइसेंसिंग में विचार किये जाने वाले कारक:
- नए नियम उन कारकों को भी निर्दिष्ट करते हैं जिन पर अधिकृत अधिकारियों को लाइसेंस देते समय आवेदक की क्षमता, आपूर्ति प्राप्त करने का स्रोत और तरीका, क्षेत्र में मौजूदा लाइसेंस की संख्या तथा संबंधित वन्यजीवों के शिकार करने या व्यापार करने पर विचार करना चाहिये।
नये नियमों को लेकर क्या चिंताएँ हैं?
- अनुसूची- II प्रजातियों का बहिष्कार:
- अधिसूचना इस बात पर स्पष्टता प्रदान नहीं करती है कि अनुसूची-II प्रजातियों के लिये लाइसेंसिंग प्रतिबंध क्यों हटा दिये गए हैं।
- अनुसूची-II में लुप्तप्राय स्तनधारी, पक्षी, कछुए, गेको और साँप जैसी महत्त्वपूर्ण प्रजातियाँ शामिल हैं तथा लाइसेंसिंग प्रतिबंधों से उनका बहिष्कार उन्हें मिलने वाली सुरक्षा के स्तर के बारे में चिंता पैदा करता है।
- स्पष्टता की कमी के कारण यह सुनिश्चित करने के लिये और अधिक जाँच की आवश्यकता है कि संशोधित नियम संरक्षण आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित करते हैं तथा अनजाने में कमज़ोर वन्यजीवों की सुरक्षा से समझौता नहीं करते हैं।
- अधिसूचना इस बात पर स्पष्टता प्रदान नहीं करती है कि अनुसूची-II प्रजातियों के लिये लाइसेंसिंग प्रतिबंध क्यों हटा दिये गए हैं।
- वर्ष 2022 में अनुसूचियों को युक्तिसंगत बनाना:
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूचियों को वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 में तर्कसंगत बनाया गया, जिससे प्रजातियों के वर्गीकरण में बदलाव आया।
- वर्ष 2022 से पहले, संशोधन कार्यक्रम प्रजातियों के खतरे के स्तर पर आधारित थे। हाल के युक्तिसंगतीकरण ने प्रजातियों को वर्गीकृत करने के मानदंडों को बदल दिया है।
- विशेषज्ञ प्रश्न करते हैं कि क्या अनुसूची-II में कुछ प्रजातियों का बहिष्कार तर्कसंगतकरण प्रक्रिया के अनुरूप है और क्या उन प्रजातियों की संख्या में वास्तव में वृद्धि हुई है, जो संरक्षण के निचले स्तर को उचित ठहराते हैं।
वन्यजीव व्यापार की स्थिति:
- भारत एक जैवविविधता वाला देश है, जहाँ दुनिया की लगभग 6.5% ज्ञात वन्यजीव प्रजातियाँ पाई जाती हैं। विश्व के लगभग 7.6% स्तनधारी और विश्व के 12.6% पक्षी भारत में पाए जाते हैं।
- विश्व स्तर पर वन्यजीवों और इसके उत्पादों की अवैध मांग के कारण पूरे उपमहाद्वीप में वन्यजीव अपराध में वृद्धि देखी गई है।
- भारत में वन्यजीव व्यापार में नेवले के बाल, साँप की खाल, गैंडे के सींग, बाघ और तेंदुए के पंजे, हड्डियाँ, खाल, मूंछें, हाथी के दाँत, हिरण के सींग, कछुए के खोल, औषधीय पौधे, लकड़ी तथा पिंजरे में बंद पक्षी जैसे तोता, मैना सहित विविध उत्पाद शामिल हैं।
- इस व्यापार का एक बड़ा हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लिये है और भारत में इसकी कोई सीधी मांग नहीं है।
- भारत वन्यजीव तस्करी के लिये शीर्ष 20 देशों में से एक है और हवाई मार्ग से वन्यजीव तस्करी के लिये शीर्ष 10 देशों में से एक है।
- ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा विश्व वन्यजीव रिपोर्ट 2020 में देखा गया कि वर्ष 1999 और 2018 के बीच, विश्व स्तर पर वनस्पतियों और जीवों की 6,000 विभिन्न प्रजातियों की पहचान की गई थी।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 क्या है?
- परिचय:
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 वन्य प्राणियों और पादपों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण, उनके आवासों के प्रबंधन, जंगली जानवरों, पौधों तथा उनसे बने उत्पादों के व्यापार के विनियमन एवं नियंत्रण के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
- यह अधिनियम उन पादपों एवं जीवों की अनुसूचियों को भी सूचीबद्ध करता है जिन्हें सरकार द्वारा अलग-अलग स्तर की सुरक्षा तथा निगरानी प्रदान की जाती है।
- इससे पहले जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के दायरे में नहीं आता था। लेकिन अब पुनर्गठन अधिनियम के परिणामस्वरूप भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर लागू होता है।
- नवीनतम संशोधन:
- वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022:
- अनुसूचियों की संख्या पहले के छह से घटाकर चार कर दी गई है।
- अनुसूची-I में वे पशु प्रजातियाँ शामिल हैं जिन्हें सर्वाधिक संरक्षण की आवश्यकता है।
- अनुसूची-II, इस सूची के अंतर्गत आने वाले जानवरों को भी उनके संरक्षण के लिये उच्च सुरक्षा प्रदान की जाती है।
- अनुसूची-III, इसमें संरक्षित पौधों की प्रजातियाँ शामिल हैं।
- अनुसूची-IV में CITES (वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय) के तहत अनुसूचित प्रजातियाँ शामिल हैं।
- अनुसूचियों की संख्या पहले के छह से घटाकर चार कर दी गई है।
- वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022:
आगे की राह
- अनुसूची-I की प्रजातियों के लिये परामर्श और अनुमोदन प्रक्रिया के लिये एक सुदृढ़ तथा पारदर्शी तंत्र स्थापित करना एवं संबंधित हितधारकों की भागीदारी व प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।
- परामर्श तथा अनुमोदन प्रक्रिया से अनुसूची-II की प्रजातियों के बहिष्कार एवं प्रजातियों के चयन के मानदंडों के लिये एक स्पष्ट तथा तर्कसंगत स्पष्टीकरण प्रदान करना।
- वन्यजीव व्यापार कानूनों तथा विनियमों के प्रवर्तन एवं अनुपालन को सुदृढ़ करना और उल्लंघनकर्त्ताओं के लिये दंड व पालन करने वालों के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. यदि किसी पौधे की विशिष्ट जाति को वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 की अनुसूची-VI में रखा गया है, तो इसका क्या तात्पर्य है? (2020) (a) उस पौधे की खेती करने के लिये लाइसेंस की आवश्यकता है। उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. भारत में जैवविविधता किस प्रकार अलग-अलग पाई जाती है? वनस्पतिजात और प्राणीजात के संरक्षण में जैवविविधता अधिनियम, 2002 किस प्रकार सहायक है? (2018) |

