इन्फोग्राफिक्स
कृषि
कृषि में नवाचार
प्रिलिम्स के लिये:कृत्रिम बुद्धिमत्ता, कृषि में सटीकता, मशीन लर्निंग, नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान इन एग्रीकल्चर। मेन्स के लिये:कृषि में IoT और AI की आवश्यकता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) का उपयोग करके कृषि से संबंधित विभिन्न पहलें की हैं।
- IoT एक कंप्यूटिंग अवधारणा है जो रोज़मर्रा की भौतिक वस्तुओं के इंटरनेट से जुड़े होने और अन्य उपकरणों या डिवाइसेस में खुद को पहचानने में सक्षम होने की तकनीक का वर्णन करती है।
कृषि क्षेत्र में IoT और AI की आवश्यकता:
- भले ही देश की लगभग 58% आबादी की आजीविका के लिये कृषि एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र बना हुआ है, लेकिन इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को अपनाना आसान नहीं है और यह मूल्य शृंखला में कई चुनौतियों का सामना करता है।
- इन चुनौतियों के लिये व्यवधानकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है जो कि IoT और AI आदि जैसे तकनीकी समाधानों द्वारा प्रदान किया जा सकता है।
- AI प्रौद्योगिकियों को अपनाने से उपलब्ध संसाधनों के इष्टतम उपयोग के साथ उच्च उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हो सकता है और पूर्वानुमानित विश्लेषण, फसल स्वास्थ्य प्रबंधन, गुणवत्ता और ट्रेसेबिलिटी को बढ़ाने की सुविधा मिल सकती है।
- देश में नवीन और परिवर्तनकारी स्मार्ट कृषि पद्धतियों को अपनाना धीरे-धीरे एक प्रमुख प्रवृत्ति बन रही है।
- हाल के वर्षों में विश्व स्तर पर प्रौद्योगिकी प्रगति कृषि मूल्य शृंखला के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम सेगमेंट दोनों को फिर से अद्यतन कर रही है, जो कृषि में नवाचार को अपनाने के लिये महत्त्वपूर्ण बनाती है।
- AI में IoT, मशीन लर्निंग (ML), क्लाउड कंप्यूटिंग, स्टैटिस्टिकल कंप्यूटिंग, डीप लर्निंग, वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियाँ कृषि क्षेत्र को उत्पादकता, गुणवत्ता, ट्रेसेबिलिटी और कार्बन उत्सर्जन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बना सकती हैं।
कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग:
- कृषि डेटा का विश्लेषण:
- कृषि के विभिन्न घटकों में प्रतिदिन सैकड़ों और हज़ारों प्रकार के डेटा (जैसे- मृदा, उर्वरकों का प्रभाव, मौसम, कीटों या रोग से संबंधित डेटा आदि) उपलब्ध होते हैं। AI की सहायता से किसान प्रतिदिन वास्तविक समय में कई तरह के डेटा (जैसे- मौसम की स्थिति, तापमान, पानी के उपयोग या खेत से एकत्रित मिट्टी की स्थिति आदि) विश्लेषण और समस्याओं की पहचान कर बेहतर निर्णय ले सकेंगे।
- विश्व के विभिन्न हिस्सों में कृषि में सुधार और उत्पादकता बढ़ाने के लिये किसानों द्वारा मौसम की सटीकता के पूर्वानुमान का मॉडल तैयार करने के लिये AI का उपयोग किया जा रहा है।
- कृषि में सटीकता (Precision Agriculture):
- कृषि में अधिक सटीकता लाने हेतु पौधों में बीमारियों, कीटों और पोषण की कमी आदि का पता लगाने के लिये कृषि में A I तकनीक का उपयोग किया जाता है।
- AI सेंसर खरपतवारों की पहचान कर सकते हैं और फिर उनकी पहचान के आधार पर उपयुक्त खरपतवारनाशक का चुनाव कर उस क्षेत्र में सटीक मात्रा में खरपतवारनाशक का छिड़काव कर सकते हैं।
- यह प्रक्रिया कृषि में विषाक्त पदार्थों के अनावश्यक प्रयोग को सीमित करने में सहायता करती है, गौरतलब है कि फसलों में अत्यधिक कीटनाशक या खरपतवारनाशक के प्रयोग से मानव स्वास्थ्य के साथ प्रकृति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- यह कृषि में सटीकता को अपनाकर उत्पादकता में वृद्धि करेगा।
- श्रमिक चुनौती का समाधान:
- कृषि आय में गिरावट के कारण इस क्षेत्र को श्रमिकों द्वारा बहुत ही कम प्राथमिकता दी जाती है, वस्तुतः कृषि क्षेत्र में कार्यबल की कमी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।
- श्रमिकों की इस कमी को दूर करने में AI कृषि बाॅट्स (AI Agriculture Bots) एक उपयुक्त समाधान हो सकते हैं। ये बाॅट मानव श्रमिकों के कार्यों को अतिरिक्त समर्थन प्रदान करते हैं और इन्हें कई प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है, उदाहरण के लिये:
- ये बॉट मानव मज़दूरों की तुलना में अधिक मात्रा में और तेज़ गति से फसलों की कटाई कर सकते हैं, ये अधिक सटीक रूप से खरपतवारों को पहचान कर उन्हें हटाने में सक्षम हैं तथा इनके प्रयोग के माध्यम से कृषि लागत में भारी कमी की जा सकती है।
- इसके अतिरिक्त किसानों द्वारा कृषि से जुड़े परामर्श के लिये चैटबॉट की भी सहायता ली जा रही है। कृषि के लिये विशेषज्ञों की सहायता से बनाए गए ये विशेष चैटबॉट विभिन्न प्रकार के सवालों के जवाब देने में मदद करते हैं और विशिष्ट कृषि समस्याओं पर सलाह एवं सिफारिशें प्रदान करते हैं।
संबंधित पहल:
- नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स (NM-ICPS):
- इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में नए युग की प्रौद्योगिकियों में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिये पाँच साल की अवधि हेतु 3,660.00 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
- मिशन के तहत उन्नत प्रौद्योगिकी कार्यक्षेत्रों में देश भर में राष्ट्रीय महत्त्व के प्रमुख संस्थानों में 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र (Technology Innovation Hubs- TIH) स्थापित किये गए हैं।
- मिशन विकास के एक इंजन के रूप में कार्य कर सकता है जो स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि, रणनीतिक सह सुरक्षा और औद्योगिक क्षेत्रों, उद्योग 4.0, स्मार्ट शहरों, सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) आदि में राष्ट्रीय पहलों को लाभान्वित करेगा।
- डिजिटल इंडिया पहल:
- डिजिटल इंडिया पहल के तहत सरकार ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किये हैं, जिसका उद्देश्य भारत को नवाचार के लोकतंत्रीकरण और प्रोटोटाइप की प्राप्ति के माध्यम से IoT में एक नवाचार केंद्र के रूप में उभरने में सक्षम बनाना है।
- IoT को लेकर उत्कृष्टता केंद्रों का मुख्य ध्यान कृषि-प्रौद्योगिकी पर है और यह स्टार्टअप्स, उद्यमों, उद्यम पूंजीपतियों, सरकार तथा शिक्षाविदों आदि विभिन्न संस्थाओं को जोड़ता है।
- कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना:
- AI और मशीन लर्निंग, IoT, ब्लॉकचेन आदि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके डिजिटल कृषि परियोजनाओं के लिये राज्य सरकारों को वित्त प्रदान किया जाता है।
- नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास:
- यह कार्यक्रम वर्ष 2018-19 से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत संचालित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य वित्तीय सहायता प्रदान कर एवं ऊष्मायन (incubation) पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करके नवाचार और उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना है।
- इस संबंध में देश भर में पाँच नॉलेज पार्टनर्स और 24 एग्रीबिज़नेस इन्क्यूबेटर्स नियुक्त किये गए हैं।
- राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान, हैदराबाद
- राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान, जयपुर
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली
- कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़, कर्नाटक.
- असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट, असम।
आगे की राह
- हाल में किये गए सुधारों को देखते हुए कृषि क्षेत्र में बेहतर पैदावार और उत्पादकता के लिये अनुबंध खेती और प्रौद्योगिकी के समावेश में निवेश बढ़ने की संभावना है।
- यह कृषि क्षेत्र में AI को अपनाने के साथ ही उसे प्रोत्साहित करेगा, AI समाधानों में मदद के लिये सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर निवेश किये जाने की आवश्यकता है।
- भारत में एग्रीटेक स्टार्टअप्स के उद्भव में भारी वृद्धि देखी जा रही है, जो एक अनुकूल नीतिगत वातावरण के साथ-साथ उन्नत प्रौद्योगिकी के आगमन से प्रेरित है।
- इसे कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में AI, ML, IoT और ब्लॉकचैन जैसी उन्नत तकनीकों के आगमन के लिये शुरुआती बिंदु के रूप में देखा जा सकता है।
- ये सामूहिक प्रौद्योगिकियाँ कृषि क्षेत्र हेतु एक वरदान हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निम्नलिखित में से क्या प्रभावी ढंग से कर सकता है? (वर्ष 2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (B) प्रश्न. जब आपके स्मार्टफोन का अलार्म सुबह बजता है, तो आप उठते हैं और उस अलार्म को बंद करने के लिये टैप करते हैं जिससे आपका गीजर अपने आप चालू हो जाता है। आपके बाथरूम में स्मार्ट मिरर दिन के मौसम को दर्शाता है और आपके ओवरहेड टैंक में पानी के स्तर को भी दर्शाता है। जब आप नाश्ता बनाने के लिये अपने रेफ्रिजरेटर से कुछ किराने का सामान लेते हैं, तो यह उसमें स्टॉक की कमी को पहचानता है और ताज़ा किराने की वस्तुओं की आपूर्ति के लिये एक आदेश देता है। जब आप अपने घर से बाहर निकलते हैं और दरवाज़ा बंद करते हैं, तो सभी लाइट, पंखे, गीजर और एसी मशीनें अपने आप बंद हो जाती हैं। आपके कार्यालय के रास्ते में आपकी कार आपको आगे यातायात की भीड़ के बारे में चेतावनी देती है और एक वैकल्पिक मार्ग सुझाती है तथा यदि आप किसी बैठक के लिये देर से आते हैं तो यह आपके कार्यालय को एक संदेश भेजती है। (वर्ष 2018) उभरती हुई संचार प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द उपरोक्त परिदृश्य पर सबसे अच्छी तरह लागू होता है? (A) बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. विज्ञान हमारे जीवन में गहराई तक कैसे गुथा हुआ है? विज्ञान-आधारित प्रौद्योगिकियों द्वारा कृषि में उत्पन्न हुए महत्त्वपूर्ण परिवर्तन क्या हैं? (2020) |
स्रोत: पी.आई.बी.
शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय गोकुल मिशन और संबंधित पहल, राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना, गोकुल ग्राम मेन्स के लिये:पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने की पहल |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने घोषणा की है कि 50 लाख से अधिक किसानों को रोज़गार दिया जाएगा।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) के तहत गाय/भैंस/सुअर/मुर्गी/बकरी प्रजनन फार्मों और साइलेज बनाने वाली इकाइयों को सब्सिडी प्रदान करने की योजना है, जिसमें से 50% सब्सिडी भारत सरकार द्वारा दी जाएगी। साथ ही पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund- AHIDF) योजना के तहत लोन राशि पर 3 फीसदी ब्याज़ सबवेंशन भी लिया जा सकता है।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन:
- परिचय:
- यह दिसंबर 2014 से देशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के लिये लागू किया जा रहा है।
- यह योजना 2400 करोड़ रुपए के बजट परिव्यय के साथ वर्ष 2021 से 2026 तक अम्ब्रेला योजना राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के तहत भी जारी है।
- नोडल मंत्रालय:
- मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
- उद्देश्य:
- उन्नत तकनीकों का उपयोग करके गोवंश की उत्पादकता और दुग्ध उत्पादन को स्थायी रूप से बढ़ाना।
- प्रजनन उद्देश्यों के लिये उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले साँडों के उपयोग का प्रचार करना।
- प्रजनन नेटवर्क को मज़बूत करने और किसानों तक कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं की डिलीवरी के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान कवरेज को बढ़ाना।
- वैज्ञानिक और समग्र तरीके से स्वदेशी मवेशी और भैंस पालन एवं संरक्षण को बढ़ावा देना।
- महत्त्व:
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) के परिणामस्वरूप उत्पादकता में वृद्धि होगी तथा कार्यक्रम का लाभ विशेष रूप से भारत के सभी छोटे और सीमांत किसानों के मवेशियों एवं भैंसों तक पहुँचेगा।
- यह कार्यक्रम विशेष रूप से महिलाओं को भी लाभान्वित करेगा क्योंकि पशुधन खेती में शामिल 70% से अधिक कार्य महिलाओं द्वारा किया जाता है।
- घटक:
- उच्च आनुवंशिक मेरिट जर्मप्लाज़्म (Merit Germplasm) की उपलब्धता
- कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क का विस्तार
- स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण
- कौशल विकास
- किसान जागरूकता
- गो-जातीय प्रजनन में अनुसंधान विकास और नवाचार
- क्रियान्वयन एजेंसी:
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन को "राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए अर्थात् पशुधन विकास बोर्ड)" के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा।
- महत्त्वपूर्ण पहलें:
- गोपाल रत्न पुरस्कार:
- यह सर्वश्रेष्ठ स्वदेशी नस्ल के समूह को बनाए रखने तथा सर्वोत्तम प्रबंधन के लिये किसानों को प्रदान किया जाता है।
- कामधेनु पुरस्कार:
- संस्थान/ट्रस्ट/एनजीओ/गौशालाओं या सर्वश्रेष्ठ-प्रबंधित ब्रीडर्स सोसायटियों द्वारा सर्वश्रेष्ठ-प्रबंधित स्वदेशी समूह के लिये प्रदान किया जाता है।
- गोकुल ग्राम:
- RGM ने स्वदेशी नस्लों को विकसित करने हेतु एकीकृत मवेशी विकास केंद्रों, 'गोकुल ग्राम' की स्थापना की परिकल्पना की है, जिसमें 40% तक नस्लें (किसी विशेष वर्ग या प्रकार से संबंधित या दिखाई देने वाली) शामिल हैं:
- वैज्ञानिक तरीके से स्वदेशी पशु पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना।
- स्वदेशी नस्लों के उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का वंश बढ़ाना।
- आधुनिक कृषि प्रबंधन पद्धतियों का अनुकूलन करना तथा सामान्य संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना।
- पशु अपशिष्ट का किफायती तरीके से उपयोग करना जैसे- गाय का गोबर, गोमूत्र।
- हाल ही में 16 गोकुल ग्रामों की स्थापना के लिये धनराशि जारी की गई है।
- RGM ने स्वदेशी नस्लों को विकसित करने हेतु एकीकृत मवेशी विकास केंद्रों, 'गोकुल ग्राम' की स्थापना की परिकल्पना की है, जिसमें 40% तक नस्लें (किसी विशेष वर्ग या प्रकार से संबंधित या दिखाई देने वाली) शामिल हैं:
- राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र (NKBC):
- इसे समग्र और वैज्ञानिक तरीके से स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिये उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
- ई-पशु हाट:
- यह एक वेब पोर्टल है, यह पालतू मवेशियों, गोजातीय पशुओं के व्यापार के बारे में जानकारी प्रदान करता है जो देश में किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध नहीं था।
- नकुल प्रजनन बाज़ार:
- यह गुणवत्तापूर्ण-रोग मुक्त गोजातीय जर्मप्लाज़्म के लिये प्रजनकों और किसानों को जोड़ने वाला एक ई-मार्केट पोर्टल है।
- पशु संजीवनी:
- यह एक पशु कल्याण कार्यक्रम है जिसमें विशिष्ट पहचान और राष्ट्रीय डेटाबेस पर डेटा अपलोड करने के साथ पशु स्वास्थ्य कार्ड ('नकुल स्वास्थ्य पत्र') का प्रावधान शामिल है।
- सहायक प्रजनन तकनीक (ART):
- सहायक प्रजनन तकनीक- IVF/मल्टीपल ओव्यूलेशन एम्ब्रियो ट्रांसफर (MOET) और सेक्स-सॉर्टेड सीमेन तकनीक है, इससे रोग मुक्त मादा गोवंश की उपलब्धता में सुधार किया जा सकता है।
- स्वदेशी नस्लों के लिये राष्ट्रीय गोजातीय जीनोमिक केंद्र (NBGC-IB):
- यह अत्यधिक सटीक जीन-आधारित तकनीक का उपयोग करके कम उम्र में उच्च आनुवंशिक योग्यता के प्रजनन साँडों के चयन के लिये स्थापित किया जाएगा।
- AHIDF योजना:
- व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, MSME, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और धारा 8 के अंतर्गत कंपनियों द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के तहत 15000 करोड़ रुपए का AHIDF स्थापित किया गया है:
- डेयरी प्रसंस्करण और मूल्यवर्द्धन अवसंरचना,
- मांस प्रसंस्करण और मूल्यवर्द्धन अवसंरचना और
- पशु चारा संयंत्र।
- व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, MSME, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और धारा 8 के अंतर्गत कंपनियों द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के तहत 15000 करोड़ रुपए का AHIDF स्थापित किया गया है:
- गोपाल रत्न पुरस्कार:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू)प्रश्न. ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि रोज़गार और आय प्रदान करने के लिये पशुधन पालन की बड़ी संभावना है। भारत में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये उपयुक्त उपाय सुझाने पर चर्चा कीजिये। (2015) |
स्रोत: पी.आई.बी.
भारतीय अर्थव्यवस्था
अर्थव्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट: आरबीआई
प्रिलिम्स के लिये:मुद्रास्फीति, इक्विटी प्रवाह, यूक्रेन में युद्ध, तेल की कीमतें, आधार प्रभाव, ऋण संकट। मेन्स के लिये:अर्थव्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट: आरबीआई। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने "अर्थव्यवस्था की स्थिति" नामक एक रिपोर्ट जारी की है, जो एक अंधकारमय वैश्विक दृष्टिकोण (Darkening Global Outlook) की चेतावनी देती है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- अंधकारमय वैश्विक दृष्टिकोण:
- ज़ोखिम संतुलन वर्ष 2023 के लिये एक अंधकारमय वैश्विक दृष्टिकोण की ओर तेज़ी से झुका हुआ है, जो इस वर्ष की मौद्रिक नीति कार्रवाइयों का खामियाज़ा भुगतेगा।
- उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाएँ:
- उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाएँ (EME) अनिश्चित दिखाई देती हैं, जो धीमी वृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति के अलावा मुद्रा मूल्यह्रास और पूंजी बहिर्वाह से जूझ रही हैं।
- ऊर्जा कीमतें:
- ऊर्जा की कीमतों को लेकर अभी भी एक असहज स्थिति बनी हुई है, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और उनके सहयोगियों (OPEC+) ने उत्पादन में कटौती अभी तक जारी रखी है, लेकिन तेल की कीमतों की सीमा तय करने से विघटनकारी वित्तीय ताकतों के बढ़ने का खतरा है, क्योंकि हेज फंड पहले से ही कच्चे तेल अनुबंधों में शुद्ध कटौती कर रहे हैं।
- वैश्विक कमोडिटी बाज़ारों में नरमी के बावजूद जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन में युद्ध के कारण खाद्य कीमतें पूर्व-महामारी के स्तर से अधिक बनी रहेंगी।
- ऋण:
- डिफाॅल्ट दरों में वृद्धि और अमेरिकी डॉलर (प्राथमिक मुद्रा जो ऋण आधारित है) की मज़बूती के साथ ऋण संकट बढ़ रहा है, हालाँकि यह हाल ही में 20 वर्ष के उच्च स्तर से नीचे गिर गया है।
- भारतीय विकास परिदृश्य:
- मुद्रास्फीति:
- मुद्रास्फीति में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन यह निश्चित तौर पर खत्म नहीं हुई है।
- मुद्रास्फीति की मौजूदा स्तर से वर्ष 2023 में कम होने की संभावना है, लेकिन अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं में यह लक्ष्य से काफी ऊपर रहेगी।
- मुद्रास्फीति में कमी मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति में तेज़ नरमी से प्रेरित है। इंडेक्स में महीने-दर-महीने (M-O-M) 11 bps की गिरावट आई है, जो एक अनुकूल आधार प्रभाव माना जा सकता है।
- घरेलू कारक:
- भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये निकट अवधि के विकास दृष्टिकोण को घरेलू कारकों का समर्थन प्राप्त है।
- घरेलू आर्थिक गतिविधि नवंबर और दिसंबर 2022 की शुरुआत में लचीली रही।
- निजी खपत और निवेश के लिये संभावना बढ़ रही है, हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत उच्च मुद्रास्फीति उन क्षेत्रों में खर्च को कम कर रही है।
- मुख्य मुद्रास्फीति 6% पर स्थिर रहने के बावजूद सब्जियों की कीमतों में गिरावट के कारण नवंबर 2022 में हेडलाइन मुद्रास्फीति 90 आधार अंकों से घटकर 5.9% हो गई।
- भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये निकट अवधि के विकास दृष्टिकोण को घरेलू कारकों का समर्थन प्राप्त है।
- इक्विटी प्रवाह:
- भारत में मज़बूत पोर्टफोलियो प्रवाह से उत्साहित होकर नवंबर के दौरान इक्विटी बाज़ारों ने नई ऊँचाईयों को छुआ।
- इनपुट लागत के दबाव में कमी अभी भी उछाल वाली कॉर्पोरेट बिक्री और अचल संपत्तियों में निवेश में वृद्धि भारत में कैपेक्स चक्र में तेज़ी की शुरुआत कर रही है जो भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की गति को तेज़ करने में योगदान करेगी।
- भविष्य की संभावनाएँ:
- दिसंबर 2022 में, जैसा कि भारत अपनी जी20 अध्यक्षता के तहत अपनी प्राथमिकताओं और डिलिवरेबल्स को निर्धारित करने में संलग्न है, ऐसा कहा जा सकता है कि भारत के विश्व के मंच के केंद्र में पहुचने का समय आ गया है।
- PPP (क्रय शक्ति समानता) के संदर्भ में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और बाज़ार विनिमय दरों के मामले में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का G20 के GDP में 3.6% हिस्सा है, जबकि वास्तविक क्रय शक्ति समानता (PPP) के संदर्भ में इसका हिस्सा 8.2% से बहुत अधिक है।
- 2023 में भारत के G20 के भीतर सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने का अनुमान है।
- G20 की अध्यक्षता के तहत भारत की प्राथमिकताएँ एकता और परस्पर जुड़ाव की दृष्टि को समाहित करती हैं। वे वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं को भी दर्शाएंगे: एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य।
- मुद्रास्फीति:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को नियंत्रित करता है? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (d) प्रश्न. भारत में मुद्रास्फीति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2015) (a) भारत में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना केवल भारत सरकार की ज़िम्मेदारी है। उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |
स्रोत: द हिंदू
शासन व्यवस्था
समुद्री डकैती विरोधी विधेयक
प्रिलिम्स के लिये:समुद्री डकैती विरोधी विधेयक,अनन्य आर्थिक क्षेत्र, संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय मेन्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय, समुद्री डकैती विरोधी विधेयक की विशेषताएँ और चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्यसभा ने समुद्री डकैती विरोधी विधेयक पारित किया, जिसके बारे में सरकार ने कहा कि यह समुद्री डकैती से निपटने के लिये एक प्रभावी कानूनी साधन प्रदान करेगा।
- परिवहन के समुद्री मार्गों की सुरक्षा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत का 90% से अधिक व्यापार समुद्री मार्गों से होता है और देश की हाइड्रोकार्बन आवश्यकताओं का 80% से अधिक की पूर्ति समुद्र से होती है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- विधेयक समुद्री डकैती की रोकथाम और ऐसे समुद्री डकैती से संबंधित अपराधों के लिये व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का प्रावधान करता है।
- यह भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र की सीमाओं से सटे और उससे परे समुद्र (यानी समुद्र तट से 200 समुद्री मील से परे) के सभी हिस्सों पर लागू होगा।
- यह विधेयक संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय ( United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) को कानून बनाता है।
- विधेयक समुद्री डकैती की रोकथाम और ऐसे समुद्री डकैती से संबंधित अपराधों के लिये व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का प्रावधान करता है।
- डकैती:
- यह समुद्री डकैती को एक निजी जहाज़ या विमान के चालक दल या यात्रियों द्वारा निजी उद्देश्यों के लिये किसी जहाज़, विमान, व्यक्ति या संपत्ति के खिलाफ की गई हिंसा, हिरासत या विनाश के किसी भी अवैध कार्य के रूप में परिभाषित करता है। इस तरह के कृत्यों को उच्च समुद्र (भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र से परे) या भारत के अधिकार क्षेत्र के बाहर किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।
- उकसाना या जान-बूझकर इस तरह के कृत्यों को सुविधाजनक बनाना भी डकैती के रूप में माना जाएगा।
- इसमें अन्य गतिविधियाँ भी शामिल हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत समुद्री डकैती माना जाता है।
- डकैती में समुद्री डकैती जहाज़ या विमान के संचालन में स्वैच्छिक भागीदारी भी शामिल है।
- यह समुद्री डकैती को एक निजी जहाज़ या विमान के चालक दल या यात्रियों द्वारा निजी उद्देश्यों के लिये किसी जहाज़, विमान, व्यक्ति या संपत्ति के खिलाफ की गई हिंसा, हिरासत या विनाश के किसी भी अवैध कार्य के रूप में परिभाषित करता है। इस तरह के कृत्यों को उच्च समुद्र (भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र से परे) या भारत के अधिकार क्षेत्र के बाहर किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।
- दंड:
- पायरेसी का कृत्य दंडनीय होगा:
- आजीवन कारावास; या
- मृत्युदंड, अगर समुद्री डकैती मृत्यु का कारण बनती है या ऐसा कोई प्रयास किया जाता है।
- समुद्री डकैती का कृत्य करने, सहायता, समर्थन या सलाह देने का प्रयास करने पर 14 साल तक की कैद और ज़ुर्माना हो सकता है।
- जलदस्युता के कार्य में भाग लेना, आयोजन करना या दूसरों को भाग लेने के लिये निर्देशित करना भी 14 वर्ष तक के कारावास और ज़ुर्माने के साथ दंडनीय होगा।
- अपराधों को प्रत्यर्पित करने योग्य माना जाएगा। इसका मतलब है कि अभियुक्त को अभियोजन के लिये किसी भी उस देश में स्थानांतरित किया जा सकता है जिसके साथ भारत ने प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किये हैं।
- ऐसी संधियों के अभाव में देशों के बीच पारस्परिकता के आधार पर अपराध प्रत्यर्पण योग्य होंगे।
- पायरेसी का कृत्य दंडनीय होगा:
- न्यायालयों का क्षेत्राधिकार:
- केंद्र सरकार, संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से सत्र न्यायालयों को इस विधेयक के तहत नामित न्यायालयों के रूप में अधिसूचित कर सकती है।
- मनोनीत न्यायालय निम्नलिखित द्वारा किये गए अपराधों की सुनवाई करेगा:
- भारतीय नौसेना या तट रक्षक की हिरासत में एक व्यक्ति, उसकी राष्ट्रीयता की परवाह किये बिना।
- भारत का नागरिक, भारत में एक निवासी विदेशी नागरिक या राज्यविहीन व्यक्ति।
- किसी विदेशी जहाज़ पर किये गए अपराधों पर न्यायालय का अधिकार क्षेत्र नहीं होगा जब तक कि निम्नलिखित द्वारा हस्तक्षेप का अनुरोध नहीं किया जाता है:
- जहाज़ की उत्पत्ति का देश।
- जहाज़ का मालिक।
- जहाज़ पर कोई अन्य व्यक्ति।
- गैर-वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये नियोजित युद्धपोत और सरकारी स्वामित्व वाले जहाज़ न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं होंगे।
विधेयक की प्रमुख चुनौतियाँ:
- विधेयक के तहत यदि कोई व्यक्ति समुद्री डकैती का कार्य करते समय मृत्यु का कारण बनता है, तो उसे मृत्युदंड दिया जाएगा।
- इसका तात्पर्य ऐसे अपराधों के लिये अनिवार्य रूप से मृत्युदंड से है।
- सर्वोच्च न्यायालय का मानना है कि किसी भी अपराध के लिये अनिवार्य मृत्युदंड असंवैधानिक है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करता है।
- हालाँकि संसद ने कुछ अपराधों के लिये अनिवार्य मृत्युदंड का प्रावधान करने वाले कानून पारित किये हैं। उदाहरणत: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989।
- यदि कोई व्यक्ति समुद्री डकैती के कार्य में शामिल होता है तो इस विधेयक में 14 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान किया गया है। समुद्री डकैती (जिसमें समुद्री लुटेरे जहाज़ या विमान के संचालन में स्वेच्छा से भाग लेना शामिल है) आजीवन कारावास के रूप में दंडनीय है।
- कभी-कभी परिस्थितियाँ भिन्न हो सकती हैं, ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसे मामलों में सज़ा कैसे निर्धारित की जाएगी।
- यह अधिनियम भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन (EEZ) की सीमाओं से सटे और उससे आगे के समुद्र के सभी हिस्सों पर लागू होगा, यानी समुद्र तट से 200 समुद्री मील से आगे तक के क्षेत्र में।
- सवाल यह है कि क्या विधेयक में EEZ को भी शामिल किया जाना चाहिये, जो कि 12 समुद्री मील और 200 समुद्री मील (भारत के समुद्र तट से) के बीच का क्षेत्र है।
समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय:
- UNCLOS, 1982 एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो समुद्री गतिविधियों के संबंध में कानूनी रूपरेखा स्थापित करता है।
- इसे लॉ ऑफ द सी के नाम से भी जाना जाता है। यह समुद्री क्षेत्रों को पाँच मुख्य क्षेत्रों में विभाजित करता है- आंतरिक जल, प्रादेशिक समुद्र, सन्निहित क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और उच्च समुद्र।
- यह एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय है जो समुद्री क्षेत्रों में राज्य के अधिकार क्षेत्र के लिये एक रूपरेखा निर्धारित करता है। यह विभिन्न समुद्री क्षेत्रों को एक अलग कानूनी दर्जा प्रदान करता है।
- यह तटीय देशों और महासागरों को नेविगेट करने वालों द्वारा अपतटीय शासन के लिये मज़बूती प्रदान करता है।
- यह न केवल तटीय देशों के अपतटीय क्षेत्रों का ज़ोन है बल्कि पाँच संकेंद्रित क्षेत्रों में देशों के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों के लिये विशिष्ट मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।
- वर्ष 1995 में भारत ने UNCLOS की पुष्टि की।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. 'ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिंद महासागर रिम संघ इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (IOR-ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. दक्षिण चीन सागर के मामले में समुद्री भू-भागीय विवाद तथा बढ़ता हुआ तनाव समस्त क्षेत्र में नौपरिवहन की और उपरी उड़ान की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिये समुद्री सुरक्षा की आवश्यकता की अभिपुष्टि करते हैं। इस संदर्भ में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (मेन्स-2014) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय अर्थव्यवस्था
समर्थ योजना
प्रिलिम्स के लिये:हथकरघा, एकीकृत कौशल विकास योजना, इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क (SITP) योजना, पावर-टेक्स इंडिया, सिल्क समग्र योजना, अमेंडेड टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड स्कीम (ATUFS), राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मेन्स के लिये:वृद्धि और विकास, समावेशी विकास |
चर्चा में क्यों?
वस्त्र मंत्रालय की समर्थ योजना के तहत विगत तीन वर्षों में 13,235 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षित किया गया है।
नोट:
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के अवसर पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री (MSMEs) ने महिलाओं के लिये एक विशेष उद्यमिता प्रोत्साहन अभियान - "समर्थ" का शुभारंभ किया।
- इस पहल के माध्यम से MSME मंत्रालय महिलाओं को कौशल विकास और बाज़ार विकास सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है
समर्थ योजना:
- परिचय:
- समर्थ (वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना) एक प्रमुख कौशल विकास योजना है जिसे 12वीं पंचवर्षीय योजना (FYP) के लिये एकीकृत कौशल विकास योजना, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की निरंतरता में अनुमोदित किया गया है।
- विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) का कार्यालय राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (NHDP) के घटक 'हस्तशिल्प क्षेत्र में कौशल विकास' के तहत हस्तशिल्प कारीगरों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये समर्थ (SAMARTH) का कार्यान्वयन कर रहा है।
- उद्देश्य:
- वस्त्र मंत्रालय के संबंधित क्षेत्रीय प्रभागों/संगठनों के माध्यम से पारंपरिक क्षेत्रों में कौशल और कौशल उन्नयन को बढ़ावा देने के लिये संगठित वस्त्र एवं संबंधित क्षेत्रों में रोज़गार सृजन में उद्योग के प्रयासों को प्रोत्साहित करने हेतु मांग-आधारित रोज़गार -उन्मुख कौशल प्रदान करना।
- देश में समाज के सभी वर्गों को आजीविका प्रदान करना।
भारत में वस्त्र क्षेत्र की स्थिति:
- परिचय:
- वस्त्र और परिधान उद्योग एक श्रम गहन क्षेत्र है जो भारत में 45 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करता है और रोज़गार के मामले में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है।
- भारत का वस्त्र क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने उद्योगों में से एक है तथा पारंपरिक कौशल, विरासत एवं संस्कृति का भंडार व वाहक है।
- इसे दो खंडों में विभाजित किया जा सकता है:
- असंगठित क्षेत्र छोटे पैमाने का है जो पारंपरिक उपकरणों और विधियों का उपयोग करता है। इसमें हथकरघा, हस्तशिल्प एवं रेशम उत्पादन शामिल हैं।
- संगठित क्षेत्र आधुनिक मशीनरी और तकनीकों का उपयोग करता है तथा इसमें कताई, परिधान एवं वस्त्र शामिल हैं।
- वस्त्र क्षेत्र की अन्य योजनाएँ:
- एकीकृत वस्त्र पार्क योजना (Scheme for Integrated Textile Parks- SITP): इसे वर्ष 2005 में शुरू किया गया, इसका उद्देश्य उद्योग को अपनी वस्त्र इकाइयों की स्थापना के लिये विश्व स्तरीय अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना है।
- पावर-टेक्स इंडिया: इसमें पावरलूम टेक्सटाइल में नए अनुसंधान और विकास, नए बाज़ार, ब्रांडिंग, सब्सिडी व श्रमिकों हेतु कल्याणकारी योजनाएंँ शामिल हैं।
- रेशम समग्र योजना: यह योजना घरेलू रेशम की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करती है ताकि आयातित रेशम पर देश की निर्भरता कम हो सके।
- संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (Amended Technology Upgradation Fund Scheme- ATUFS): यह कपड़ा उद्योग के प्रौद्योगिकी उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिये पूंजी निवेश को उत्प्रेरित करने हेतु एक क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल इन्वेस्टमेंट सब्सिडी (CIS) योजना है।
- राष्ट्रीय हथकरघा दिवस: भारत में हथकरघा बुनकर समुदाय के महत्त्व को चिह्नित करने के लिये प्रत्येक वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है।
- राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन: मिशन का उद्देश्य वर्ष 2024 तक घरेलू बाज़ार का आकार 40 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से बढ़ाकर 50 बिलियन अमेरिकी डाॅलर तक कर भारत को तकनीकी वस्त्रों में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न.निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
स्रोत:पी.आई.बी.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
राष्ट्रीय गणित दिवस
प्रिलिम्स के लिये:श्रीनिवास रामानुजन, क्रिटिकल थिंकिंग, यूनेस्को, रामानुजन संख्या। मेन्स के लिये:श्रीनिवास रामानुजन का योगदान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ |
चर्चा में क्यों?
श्रीनिवास रामानुजन की जयंती को चिह्नित करने के लिये प्रत्येक वर्ष 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस (NMD) के रूप में मनाया जाता है।
- रामानुजन की 125वीं जयंती पर NMD की घोषणा वर्ष 2012 में तत्त्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा की गई थी।
- यह दिवस लोगों को गणित के महत्त्व और क्षेत्र में हुई प्रगति एवं विकास के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
श्रीनिवास रामानुजन:
- परिचय:
- इनका जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड (मद्रास प्रेसीडेंसी) में हुआ था।
- वर्ष 1903 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय की छात्रवृत्ति प्राप्त की, किंतु अगले ही वर्ष यह छात्रवृत्ति वापस ले ली गई, क्योंकि वे गणित की तुलना में किसी अन्य विषय पर अधिक ध्यान नहीं दे रहे थे।
- वर्ष 1911 में रामानुजन ने इंडियन मैथमेटिकल सोसाइटी के जर्नल में अपना पहला लेख प्रकाशित किया।
- वर्ष 1913 में उन्होंने ब्रिटिश गणितज्ञ गॉडफ्रे एच. हार्डी के साथ पत्र-व्यवहार शुरू किया, जिसके बाद वे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज़ चले गए।
- वर्ष 1918 में लंदन की रॉयल सोसाइटी के लिये उनका चयन हुआ।
- रामानुजन ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के सदस्यों में से एक थे और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो चुने जाने वाले पहले भारतीय थे।
गणित में योगदान:
- सूत्र और समीकरण:
- रामानुजन ने अपने 32 वर्ष के अल्प जीवनकाल में लगभग 3,900 परिणामों (समीकरणों और सर्वसमिकाओं) का संकलन किया है। उनके सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में पाई (Pi) की अनंत श्रेणी शामिल थी।
- उन्होंने पाई के अंकों की गणना करने के लिये कई सूत्र प्रदान किये जो परंपरागत तरीकों से अलग थे।
- खेल सिद्धांत:
- उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण गणितीय समस्याओं को हल करने के लिये नवीन विचार प्रस्तुत किये, जिन्होंने खेल सिद्धांत के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- खेल सिद्धांत में उनका योगदान विशुद्ध रूप से अंतर्ज्ञान पर आधारित है और इसे अभी तक गणित के क्षेत्र में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
- रामानुजन की पुस्तकें:
- वर्ष 1976 में जॉर्ज एंड्रयूज ने ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में रामानुजन की एक नोटबुक की खोज की थी। बाद में इस नोटबुक को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया था।
- रामानुजन संख्या:
- 1729, 10 और 9 के घनों का योग है- 10 का घन है 1000 और 9 का घन है 927 तथा इन दोनों को जोड़ने से हमें 1729 प्राप्त होता है।
- 1729, 12 और 1 के घनों का योग भी है- 12 का घन है 1728 और 1 का घन है 1 तथा इन दोनों को जोड़ने से हमें 1729 प्राप्त होता है।
- गणित में रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान रामानुजन संख्या यानी 1729 को माना जाता है।
- यह ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसको दो अलग-अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है।
- अन्य योगदान:
- रामानुजन के अन्य उल्लेखनीय योगदानों में हाइपर जियोमेट्रिक सीरीज़, रीमान सीरीज़, एलिप्टिक इंटीग्रल, माॅक थीटा फंक्शन और डाइवर्जेंट सीरीज़ का सिद्धांत आदि शामिल हैं।
- मृत्यु: लंबी बीमारी के बाद भारत लौटने के पश्चात् 26 अप्रैल, 1920 को 32 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न- द मैन हू न्यू इनफिनिटी नामक एक हालिया फिल्म (2016) किसकी जीवनी पर आधारित है? (2016) (a) एस. रामानुजन उत्तर: (a)
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। |