लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

भारतीय अर्थव्यवस्था

खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में अनुबंध

  • 13 Sep 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मुद्रास्फीति, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP), राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), GDP (सकल घरेलू उत्पाद)।

मेन्स के लिये:

मुद्रास्फीति के कारण, परिणाम और उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office-NSO) के आँकड़ों के अनुसार जुलाई 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7% हो गई और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production-IIP) जुलाई 2022 में चार महीने के निचले स्तर 2.4% पर आ गया, जबकि वर्ष 2021 में इसमें 11.5% की वृद्धि हुई थी।

  • 22 विनिर्माण उप-क्षेत्रों में से 9 ने खाद्य उत्पादों, तंबाकू उत्पादों, चमड़े के उत्पादों और विद्युत उपकरणों   सहित उत्पादन में कमी की सूचना दी।

मुद्रास्फीति:

  • मुद्रास्फीति दैनिक या सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि को संदर्भित करती है, जैसे कि भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन, परिवहन, उपभोक्ता वस्तुएँ आदि।
  • मुद्रास्फीति किसी देश की मुद्रा की एक इकाई की क्रय शक्ति में कमी का संकेत है। यह अंततः आर्थिक विकास में मंदी का कारण बन सकती है।
  • हालाँकि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के एक मध्यम स्तर की आवश्यकता होती है।
  • भारत में, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत NSO मुद्रास्फीति से संबंधित आँकड़े जारी करता है।
  • भारत में, मुद्रास्फीति को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों- थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index- WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index- CPI) द्वारा मापा जाता है, जो क्रमशः थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तनों को मापते हैं।
    • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(CPI):
      • यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण में परिवर्तन को मापता है।
      • CPI उपभोग की वस्तुओं और सेवाओं जैसे- भोजन, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की कीमत में अंतर की गणना करता है।
      • CPI के चार प्रमुख प्रकार:
        • औद्योगिक श्रमिकों के लिये CPI (IW)
        • कृषि मज़दूर के लिये CPI (AL)
        • ग्रामीण मज़दूर के लिये CPI (RL)
        • CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)।
        • इनमें से पहले तीन को श्रम और रोज़गार मंत्रालय में श्रम ब्यूरो द्वारा संकलित किया जाता है,जबकि चौथा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा संकलित किया जाता है।
      • CPI का आधार वर्ष 2012 है।
  • मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee-MPC) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये CPI के आँकड़ों का उपयोग करती है।
  • हेडलाइन और कोर मुद्रास्फीति:
    • खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति भारत में हेडलाइन मुद्रास्फीति के घटकों में से एक है।
    • हेडलाइन मुद्रास्फीति उस अवधि के लिये कुल मुद्रास्फीति है, जिसमें वस्तुओं का एक बास्केट शामिल है।
    • हेडलाइन मुद्रास्फीति, मुद्रास्फीति का कच्चा आँकड़ा है जो कि CPI के आधार पर तैयार किया जाता है। हेडलाइन मुद्रास्फीति में खाद्य एवं ईंधन की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को भी शामिल किया जाता है।
    • कोर मुद्रास्फीति वह है जिसमें खाद्य एवं ईंधन की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को शामिल नहीं किया जाता है।
      • कोर मुद्रास्फीति = हेडलाइन मुद्रास्फीति - खाद्य और ईंधन में मुद्रास्फीति

भारत में हालिया मुद्रास्फीति का कारण:

  • खाद्य मुद्रास्फीति: मुद्रास्फीति में वृद्धि काफी हद तक अनाज, दालों, दूध, फलों में उच्च मुद्रास्फीति के साथ 'खाद्य क्षेत्र में व्यापक आधार वाली वृद्धि' से प्रेरित थी।
    • अनाज की कीमत जुलाई में 6.9% से बढ़कर अगस्त (2022) में 9.6% हो गई।
    • शहरी मुद्रास्फीति की तुलना में ग्रामीण मुद्रास्फीति में तेज़ वृद्धि देखी गई।
  • कम खरीफ उत्पादन: अनिश्चित मानसून के कारण खरीफ फसल की बुवाई के पिछले वर्ष के उत्पादन के स्तर से कम उत्पादन होने की संभावना है, इसलिये निकट भविष्य में खाद्य मुद्रास्फीति समस्या बनी रह सकती है।
  • आधार प्रभाव: मुद्रास्फीति में वृद्धि प्रतिकूल आधार प्रभाव और खाद्य एवं ईंधन की कीमतों में वृद्धि दोनों के कारण है।
    • कोर मुद्रास्फीति: खाद्य और ईंधन को छोड़कर हेडलाइन मुद्रास्फीति अगस्त में 5.9% थी, जो लगातार चौथे महीने 6% की सहिष्णुता सीमा से नीचे बनी हुई है।
  • अन्य कारण: वैश्विक मुद्रास्फीति दबाव, मुद्रास्फीति की उम्मीदें, भारतीय मुद्रा में कमज़ोरी आदि।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

  • IIP एक संकेतक है जो एक निश्चित अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादों के उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन को मापता है।
  • इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
  • यह एक समग्र संकेतक है जो निम्नलिखित वर्गीकृत उद्योग समूहों की विकास दर को मापता है:
    • व्यापक क्षेत्र अर्थात् खनन, विनिर्माण और बिजली।
    • उपयोग-आधारित क्षेत्र अर्थात् मूल सामान, पूंजीगत वस्तुएँ और मध्यवर्ती वस्तुएँ।
  • IIP के लिये आधार वर्ष 2011-2012 है।
  • IIP का महत्त्व:
    • इसका उपयोग नीति-निर्माण उद्देश्यों के लिये वित्त मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक आदि सहित सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
    • त्रैमासिक और अग्रिम सकल घरेलू उत्पाद अनुमानों की गणना के लिये IIP अत्यंत प्रासंगिक बना हुआ है।
  • आठ प्रमुख क्षेत्रों के बारे में:
    • इनमें औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में शामिल मदों के भार का 40.27 प्रतिशत शामिल है।
    • आठ प्रमुख क्षेत्र के उद्योग उनके भार के घटते क्रम में: रिफाइनरी उत्पाद> बिजली> स्टील> कोयला> कच्चा तेल> प्राकृतिक गैस> सीमेंट> उर्वरक।

हाल के IIP संकुचन के कारण:

  • खनन क्षेत्र का उत्पादन जुलाई 2022 में 3.3 प्रतिशत घटा। गैर-टिकाऊ वस्तुओं में जुलाई 2022 में 2.0% की गिरावट आई।
    • कोयले के उत्पादन में दो अंकों की वृद्धि हुई, लेकिन जुलाई 2022 में खनन उत्पादन में तीव्र संकुचन अप्रत्याशित था, क्योंकि इस महीने के दौरान अत्यधिक वर्षा का प्रभाव देखा गया।
  • विवेकाधीन खपत में संपर्क-गहन सेवाओं (Contact-Intensive Services) में बदलाव के कारण IIP की वृद्धि चार महीने के निचले स्तर पर आ गई।
  • जुलाई 2019 के पूर्व-कोविड स्तरों की तुलना में औद्योगिक उत्पादन केवल 2.1% अधिक था, उपभोक्ता टिकाऊ और गैर-टिकाऊ खाद्य क्षेत्र अपने पूर्व-कोविड स्तरों में 6.8% और 2.5% से पीछे थे।
  • आपूर्ति में व्यवधान, कमज़ोर वैश्विक विकास दृष्टिकोण भी औद्योगिक उत्पादन को प्रभावित करता है।

आगे की राह

  • आयात नीति में एकरूपता होनी चाहिये क्योंकि यह अग्रिम रूप से उचित बाज़ार संकेत भेजती है। आयात शुल्क के माध्यम से हस्तक्षेप करना कोटा से बेहतर है, जिसके कारण अधिक नुकसान होता है। हाल ही में सरकार ने घरेलू आपूर्ति को स्थिर रखने और कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिये गेहूँ का आटा, चावल, मैदा आदि जैसे खाद्य उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • एक फसल वर्ष में बहुत पहले से कमी/अधिशेष का संकेत देने के लिये उपग्रह रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीकों का उपयोग करते हुए अधिक सटीक फसल पूर्वानुमान की आवश्यकता है।
  • इसके अलावा वर्ष 2011-12 का एक दशक पुराना CPI आधार वर्ष, जो खाद्य पदार्थों को लगभग आधा भार देता है, को संशोधित एवं अद्यतन करने की आवश्यकता है ताकि भोजन की आदतों और आबादी की जीवन शैली में बदलाव को प्रतिबिंबित किया जा सके। बढ़ते मध्यम वर्ग के साथ, गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च बढ़ गया है तथा इसे CPI में बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है, जिससे आरबीआई गैर-परिवर्तनशील भाग (मुख्य मुद्रास्फीति) को बेहतर ढंग से लक्षित कर सके।
  • घरेलू मांग में मज़बूत सुधार भारत के औद्योगिक उत्पादन के लिये समर्थन का एक प्रमुख स्रोत बनेगा।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न: ‘आठ कोर उद्योग सूचकांक' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है?

(a) कोयला उत्पादन
(b) विद्युत उत्पादन
(c) उर्वरक उत्पादन
(d) इस्पात उत्पादन

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • वर्ष 2015 में 8 प्रमुख उद्योगों के सूचकांक में विद्युत का भार सबसे अधिक था। आठ प्रमुख उद्योगों में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में शामिल मदों के भार का 40.27 प्रतिशत शामिल है।
  • आठ प्रमुख उद्योगों का वर्तमान भारांक (अप्रैल 2021) नीचे दिया गया है:
    • पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन (28.04%), बिजली (19.85%), स्टील (17.92%), कोयला उत्पादन (10.33%), कच्चा तेल (8.98%), प्राकृतिक गैस उत्पादन (6.88%), सीमेंट उत्पादन (5.37%), उर्वरक उत्पादन (2.63%)।
  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक:
    • 'औद्योगिक उत्पादन सूचकांक' अर्थव्यवस्था के विभिन्न उद्योग समूहों में एक निश्चित समय अवधि में विकास दर को प्रदर्शित करता है।
    • इसका संकलन तथा प्रकाशन मासिक आधार पर 'राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय', 'सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय' द्वारा किया जाता है। अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2