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भारतीय अर्थव्यवस्था

राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM)

  • 19 Sep 2022
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वस्त्र मंत्रालय, राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, मेक इन इंडिया, वस्त्र क्षेत्र के लिये उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना।

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था में तकनीकी वस्त्र का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

वस्त्र मंत्रालय ने हाल ही में फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल्स मिशन’ (NTTM) के अंतर्गत स्पेशियलिटी फाइबर्स, कम्पोज़िट्स, सस्टेनेबल टेक्सटाइल्स, मोबिलटेक, स्पोर्टेक और जियोटेक क्षेत्रों में 60 करोड़ रुपए की 23 रणनीतिक परियोजनाओं को मंज़ूरी दी।

तकनीकी वस्त्र:

  • तकनीकी वस्त्रोे के निर्माण का मुख्य उद्देश्य कार्यात्मक (Functionality) होता है। तकनीकी वस्त्रों का उपयोग कृषि, वैज्ञानिक शोध, चिकित्सा, सैन्य क्षेत्र, व्यक्तिगत सुरक्षा, उद्योग तथा खेलकूद के क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर होता है।
    • तकनीकी वस्त्र उत्पाद किसी देश में विकास और औद्योगीकरण से अपनी मांग प्राप्त करते हैं।
  • उपयोग के आधार पर 12 तकनीकी वस्त्र क्षेत्र हैं: एग्रोटेक, मेडिटेक, बिल्डटेक, मोबिलटेक, क्लॉथटेक, ओकोटेक, जियोटेक, पैकटेक, होमटेक, प्रोटेक, इंडुटेक और स्पोर्टेक।
    • उदाहरण के लिये 'मोबिलटेक' वाहनों के उत्पादों को संदर्भित करता है जैसे सीट बेल्ट और एयरबैग, हवाई जहाज़ की सीट; जियोटेक जो संयोग से सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला उप-क्षेत्र है, इसका उपयोग मिट्टी की गुणवत्ता वापस लाने/बनाए रखने के लिये किया जाता है।

राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM):

  • परिचय:
    • इसे वर्ष 2020 में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा 1480 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया था।
    • कार्यान्वयन की अवधि वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2023-24 तक चार वर्ष है।
  • उद्देश्य:
    • मिशन का उद्देश्य वर्ष 2024 तक घरेलू बाज़ार का आकार 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुँचा कर तकनीकी वस्त्रों में वैश्विक लीडर के रूप में भारत को स्थापित करना है।
    • यह संबंधित मशीनरी और उपकरणों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने वाली 'मेक इन इंडिया' पहल का भी समर्थन करता है।
  • घटक:
    • पहला घटक: 1,000 करोड़ रुपए के परिव्यय वाले मिशन का पहला घटक अनुसंधान, नवाचार और विकास पर केंद्रित होगा।
      • इस घटक के तहत (1) कार्बन, फाइबर, अरामिड फाइबर, नायलॉन फाइबर और कम्‍पोज़िट में अग्रणी तकनीकी उत्‍पादों के उद्देश्‍य से फाइबर स्‍तर पर मौलिक अनुसंधान (2) भू-टेक्‍सटाइल, कृषि-टेक्‍सटाइल, चिकित्‍सा-टेक्‍सटाइल, मोबाइल-टेक्‍सटाइल और खेल-टेक्‍सटाइल के विकास पर आधारित अनुसंधान अनुप्रयोगों को प्रोत्‍सा‍हन दिया जाएगा।
    • दूसरा घटक: यह तकनीकी वस्त्रों हेतु बाज़ार के प्रचार और विकास के लिये होगा।
      • विकसित देशों में 30-70% के स्तर के मुकाबले भारत में तकनीकी वस्त्रों का प्रवेश स्तर 5-10% के बीच काफी कम है।
      • मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 तक औसतन 15-20% प्रतिवर्ष की वृद्धि दर है।
    • तीसरा घटक: इस घटक के तहत तकनीकी वस्त्रों के निर्यात को बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 20,000 करोड़ रुपए किये जाने का लक्ष्य है जो कि वर्तमान में लगभग 14,000 करोड़ रुपए है। साथ ही वर्ष 2023-24 तक प्रतिवर्ष निर्यात में 10 प्रतिशत औसत वृद्धि भी सुनिश्चित की जाएगी।
      • तकनीकी वस्त्रों के लिये एक निर्यात प्रोत्साहन परिषद की स्थापना की जाएगी।
    • चौथा घटक: यह शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास पर केंद्रित होगा।
      • यह मिशन तकनीकी वस्त्रों और इसके अनुप्रयोग क्षेत्रों से संबंधित उच्च इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी स्तरों पर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देगा।
  • कपड़ा क्षेत्र का परिदृश्य:
    • भारत में तकनीकी वस्त्रों के विकास ने पिछले पाँच वर्षों में गति पकड़ी है, जो वर्तमान में 8% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है।
      • इसका लक्ष्य अगले पांच वर्षों के दौरान इस वृद्धि को 15-20% की श्रेणी में ले जाना है।
    • भारतीय तकनीकी वस्त्र क्षेत्र 16 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है जो कि 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक तकनीकी वस्त्र बाज़ार का लगभग 6% है।
      • इस क्षेत्र में सबसे बड़े अभिकर्त्ता संयुक्त्त राज्य अमेरिका,पश्चिमी यूरोप,चीन और जापान (20-40% हिस्सेदारी) हैं।
  • कार्यान्वयन और शासन:
    • मिशन को तीन स्तरीय संस्थागत तंत्र के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
      • मिशन संचालन समूह: समूह को मिशन की योज़नाओं, घटकों और कार्यक्रम के संबंध में सभी वित्तीय मानदंडों को मंजूरी देने के लिये अधिकृत किया जाएगा।
        • मिशन के तहत सभी वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान परियोजनाओं को मंज़ूरी देने की ज़िम्मेदारी भी इस समूह को सौंपी जाएगी।
      • अधिकार प्राप्त कार्यक्रम समिति: इस समिति का कार्य मिशन संचालन समूह द्वारा अनुमोदित विभिन्न कार्यक्रमों की वित्तीय सीमाओं के भीतर सभी परियोज़नाओं (अनुसंधान परियोज़नाओं को छोड़कर) को अनुमोदित करना होगा।
        • समिति को मिशन के विभिन्न घटकों के कार्यान्वयन की निगरानी की भी ज़िम्मेदारी सौंपी जाएगी।
      • अनुसंधान, विकास और नवाचार संबंधी तकनीकी वस्त्र समिति: यह समिति अनुमोदन के लिये मिशन संचालन समूह को अनुसंधान परियोजनाओं की पहचान और सिफारिश करने हेतु जिम्मेदार होगी।
        • ये परियोज़नाएँ अंतरिक्ष, सुरक्षा, रक्षा, अर्द्धसैनिक और परमाणु ऊर्जा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों से संबंधित होंगी।

वस्त्र उद्योग से संबंधित पहल:

  • कपड़ा क्षेत्र के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना: इसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता के मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) वस्त्र और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
  • एकीकृत वस्त्र पार्क योजना (Scheme for Integrated Textile Parks- SITP): यह योजना कपड़ा इकाइयों की स्थापना के लिये विश्व स्तरीय बुनियादी सुविधाओं के निर्माण हेतु सहायता प्रदान करती है।
  • स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI: भारत सरकार स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देती है। अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा निर्माताओं जैसे अहलस्ट्रॉम, जॉनसन एंड जॉनसन आदि ने पहले ही भारत में परिचालन शुरू कर दिया है।
  • समर्थ (कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण हेतु योजना): कुशल श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिये वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण हेतु समर्थ योजना (SAMARTH Scheme) की शुरुआत की गई।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र वस्त्र संवर्द्धन योजना (North East Region Textile Promotion Scheme- NERTPS): यह कपड़ा उद्योग के सभी क्षेत्रों को बुनियादी ढांँचा, क्षमता निर्माण और विपणन सहायता प्रदान करके NER में कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने से संबंधित योजना है।
  • पावर-टेक्स इंडिया: इसमें पावरलूम टेक्सटाइल में नए अनुसंधान और विकास, नए बाज़ार, ब्रांडिंग, सब्सिडी एवं श्रमिकों हेतु कल्याणकारी योजनाएंँ शामिल हैं।
  • रेशम समग्र योजना: यह योजना घरेलू रेशम की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करती है ताकि आयातित रेशम पर देश की निर्भरता कम हो सके।
  • जूट आईकेयर: वर्ष 2015 में शुरू की गई इस पायलट परियोजना का उद्देश्य जूट की खेती करने वालों को रियायती दरों पर प्रमाणित बीज प्रदान करना और सीमित जल वाली परिस्थितियों में कई नई विकसित रेटिंग प्रौद्योगिकियों को लोकप्रिय बनाने के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:  

प्रश्न: निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)

शिल्प विरासत से संबधित राज्य
1. पुथुक्कुली शॉल तमिलनाडु
2. सुजनी कढ़ाई महाराष्ट्र
3. उप्पदा जामदानी कर्नाटक की साड़ियाँ

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • पुथुक्कुली शॉल: टोडा के कशीदाकारी वस्त्र का उपयोग मेंटल / शॉल या लबादे के रूप में किया जाता है और टोडा की मूल भाषा में इसे पुत्तकुली कहा जाता है। इसे तमिलनाडु में नीलगिरि पहाड़ियों के टोडाओं द्वारा बनाया जाता है। स्थानीय रूप से इसे पुगुर कहा जाता है, जिसका अर्थ है फूल, टोडा आदिवासी पुरुषों और महिलाओं द्वारा शॉल पर महीन और जटिल कढ़ाई की जाती है। अत: युग्म 1 सही सुमेलित है।
  • सुजनी कढ़ाई: इसे सुजानी के नाम से भी जाना जाता है, यह भारत में बिहार के भुसुरा गाँव से उत्पन्न कढ़ाई का एक रूप है। प्राचीन काल में इसे रजाई बनाने का एक रूप माना जाता था जिसमें पुरानी साड़ियों और धोतियों को रचनात्मक कैनवास के रूप में उपयोग किया जाता था, कपड़े को दो या तीन बार मोड़ा जाता था और फिर उनमें नयापन लाने के लिये उपयोग किये गए कपड़ों पर सरल टांके लगाए जाते थे। अत: युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है।
  • उप्पदा जामदानी साड़ियाँ: ये रेशमी साड़ियाँ हैं जो आंध्र प्रदेश के उप्पदा में बनाई जाती हैं। जामदानी अपने आप में हाथ से बुना हुआ कपड़ा है जिसे मलमल के नाम से भी जाना जाता है। जामदानी शब्द प्रमुख तौर पर फूलदान से लिया गया है (जहाँ 'जाम' का अर्थ फूल और 'दानी' का अर्थ फूलदान होता है)। यह भी कहा जाता है कि बुनाई की इस तकनीक की जड़ें बंगाल से संबंधित  हैं। अत: युग्म 3 सुमेलित नहीं है।

अतः विकल्प (a) सही है।


प्रश्न: भारत में अत्यधिक विकेंद्रीकृत सूती वस्त्र उद्योग के कारकों का विश्लेषण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2013)

स्रोत: पी.आई.बी.

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