भारतीय अर्थव्यवस्था
समर्थ उद्योग भारत 4.0 प्लेटफाॅर्म
- 25 Aug 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लियेसमर्थ उद्योग भारत 4.0 मेन्स के लियेऔद्योगिक क्रांति 4.0 के लाभ और चुनौतियाँ, मौजूदा भारतीय परिदृश्य |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘सेंट्रल मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट’ (CMTI) बंगलूरू ने ‘समर्थ उद्योग भारत 4.0 प्लेटफॉर्म’ के तहत ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिये ‘समर्थ उद्योग केंद्रों से विशेषज्ञ वार्ता’ हेतु एक वेबिनार का आयोजन किया।
- इसका उद्देश्य स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास और स्मार्ट विनिर्माण एवं उद्योग 4.0 के क्षेत्र में सहयोग के तरीकों पर समर्थ उद्योग केंद्रों के विशेषज्ञों से वार्ता करना था।
- CMTI भारी उद्योग मंत्रालय के तत्त्वावधान में एक अनुसंधान एवं विकास संगठन है, जो विनिर्माण क्षेत्र को 'प्रौद्योगिकी समाधान' प्रदान करने और देश में तकनीकी विकास में सहायता करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रमुख बिंदु
समर्थ उद्योग भारत 4.0
- ‘स्मार्ट एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग एंड रैपिड ट्रांसफॉर्मेशन हब’ यानी समर्थ उद्योग भारत 4.0’ भारी उद्योग विभाग की एक उद्योग 4.0 पहल है, जो भारतीय पूंजीगत उत्पाद क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि पर ज़ोर देती है।
- प्रौद्योगिकी विकास एवं बुनियादी ढाँचे के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये वर्ष 2014 में 'भारतीय पूंजीगत उत्पाद क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि' योजना को अधिसूचित किया गया था।
- CMTI ने तीव्रता से बढ़ते भारतीय विनिर्माण उद्योग के लिये ‘उद्योग 4.0’ और ‘स्मार्ट विनिर्माण प्रथाओं’ को अपनाने की प्रक्रिया को सुगम बनाने तथा उनका समर्थन करने के लिये एक ‘सामान्य इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र’ (CEFC) के रूप में ‘स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग डेमो एंड डेवलपमेंट सेल’ (SMDDC) की स्थापना की है।
उद्योग 4.0
- यह चौथी औद्योगिक क्रांति को संदर्भित करता है, जो कि विनिर्माण क्षेत्र में साइबर-भौतिक परिवर्तनों से संबद्ध है।
- इसे प्रायः ‘साइबर-भौतिक प्रणालियों, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्लाउड कंप्यूटिंग तथा कॉग्निटिव कंप्यूटिंग और स्मार्ट फैक्ट्री बनाने सहित विनिर्माण प्रौद्योगिकियों में स्वचालन एवं डेटा विनिमय की वर्तमान प्रवृत्ति के लिये प्रयोग किया जाता है।
औद्योगिक क्रांति 4.0 के लाभ:
- इससे प्रक्रियाओं में उत्पादकता, दक्षता और गुणवत्ता में वृद्धि होगी, खतरनाक वातावरण (Dangerous Environments) में कार्य को कम करके श्रमिकों के लिये अधिक सुरक्षा, डेटा-आधारित उपकरणों के साथ निर्णय लेने में वृद्धि करेगा और अनुकूल उत्पादों को विकसित करके प्रतिस्पर्द्धा में सुधार करेगा।
चुनौतियाँ:
- तकनीकी कौशल में अंतर:
- चूँकि कार्यबल के लिये महत्त्वपूर्ण सभी आवश्यकताएँ विकसित हो रही हैं इसलिये केवल सही कार्यबल के साथ ही व्यवसाय मॉडल नई तकनीक को सफलतापूर्वक लागू करने और संचालन को बनाए रखने में सक्षम होंगे।
- डेटा संवेदनशीलता:
- प्रौद्योगिकी में वृद्धि ने डेटा और IP गोपनीयता, स्वामित्व तथा प्रबंधन पर बढ़ती चिंताओं को भी जन्म दिया है।
- नवाचार:
- प्रोटोकॉल, घटकों, उत्पादों और प्रणालियों के बीच अलगाव की कमी भी एक चुनौती है क्योंकि इंटरऑपरेबिलिटी कंपनियों की नवाचार करने की क्षमता को बाधित करती है।
- सुरक्षा:
- कारखानों में मौजूदा और उभरती कमज़ोरियों के संदर्भ में खतरे एक और गंभीर चिंता का विषय है।
- भौतिक और डिजिटल सिस्टम जो स्मार्ट कारखानों का निर्माण करते हैं और रियल-टाइम इंटरऑपरेबिलिटी को संभव बनाते हैं।
- हैंडलिंग डेटा ग्रोथ:
- जैसे-जैसे अधिक कंपनियाँ AI के उपयोग पर निर्भर होंगी, कंपनियों को अधिक डेटा का सामना करना पड़ेगा जो कि तेज़ गति से उत्पन्न हो रहा है और कई प्रारूपों में प्रस्तुत किया जा रहा है।
भारतीय परिदृश्य
भारत की वर्तमान क्षमता का अवलोकन:
- भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है।
- यह जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है।
- जब कारों के निर्यात की बात आती है तो यह शीर्ष 15 में भी शामिल नहीं है।
- कुल मिलाकर भारत का विनिर्माण क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 17% है।
- सेवा क्षेत्र 65% से अधिक का विनिर्माण करता है।
- 2018 में विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने भारत सरकार के सहयोग से कार्य करने के उद्देश्य से भारत में चौथी औद्योगिक क्रांति हेतु अपना केंद्र स्थापित किया।
- नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI) आयोग उभरती प्रौद्योगिकियों के लिये नए नीति ढाँचे को विस्तृत करने हेतु WEF के साथ समन्वय स्थापित करने के लिये नामित नोडल एजेंसी है।
- भारत सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये पहले से ही सक्षम नीतिगत ढाँचा तैयार कर प्रोत्साहन प्रदान किया है।
- समर्थ उद्योग भारत 4.0 जागरूकता कार्यक्रम, प्रशिक्षण, डेमो सेंटर आदि जैसे कदमों के माध्यम से 2025 तक भारतीय विनिर्माण इकाइयों के लिये तकनीकी समाधान विकसित करने के उद्देश्य से उद्योग 4.0 के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने हेतु भारत की पहल है।
- भारत की राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (NMP) को प्रख्यापित किया गया है जिसका उद्देश्य सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी को 25% तक बढ़ाना है और यह उद्योग 4.0 के उद्देश्य को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है।
- अन्य :
- मेक इन इंडिया, विनिर्माण समूहों की स्थापना, व्यापार सुगमता सूचकांक (Ease Of Doing Business) में सुधार, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं की घोषणा, वित्तीय क्षेत्र में सुधार, कर सुधार, अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना, बड़ी बुनियादी ढाँचा विकास परियोजनाएँ, विद्युत क्षेत्र में सुधार तथा देश में पर्यावरण, सामाजिक और कॉर्पोरेट प्रशासन (ESG) को मज़बूत करना।
- 5G परीक्षण और डिजिटल इंडिया जैसी पहल।
आगे की राह
- औद्योगिक क्रांति 4.0 के संदर्भ में स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, एनालिटिक्स और IoT को अपनाने से भारत में औद्योगीकरण को एक नया अवसर मिलेगा।
- नीति कार्यान्वयन बाधाओं के अलावा एक बड़ी बाधा कुशल श्रमिकों की कमी या रोबोटिक्स और ऑटोमेशन के कारण नौकरी छूटने का डर है। इसका सामना करने के लिये एक स्मार्ट रणनीति बनाकर इन क्षेत्रों में श्रमिकों और लाखों लोगों के कौशल को बढ़ावा देना तथा अधिक रोज़गार सृजित करना है।