लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़

  • 18 May, 2021
  • 32 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत और मंगोलिया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री और मंगोलियाई संस्कृति मंत्री के मध्य वर्चुअल माध्यम से एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (Cultural Exchange Programme) के अंतर्गत विभिन्न मुद्दों और साझा हितों वाले अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • बैठक की मुख्य विशेषताएंँ:
    • वर्ष 2015 में दोनों देशों के मध्य स्थापित रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना।
    • भारत और मंगोलिया के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम वर्ष 2023 तक जारी रहेंगे।
    • वर्ष 2020-2021 से शुरू होने वाले 'तिब्‍बती बौद्ध धर्म' के अध्‍ययन हेतु मंगोलियाई लोगों को सीआईबीएस, लेह और सीयूटीएस, वाराणसी के विशेष संस्थानों में अध्ययन करने के लिये 10 प्रतिबद्ध आईसीसीआर छात्रवृत्तियांँ (ICCR Scholarships) आवंटित की गई हैं।
      • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations- ICCR) भारत सरकार का एक स्वायत्त संगठन है, जो अन्य देशों और उनके लोगों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से (सांस्कृतिक कूटनीति) संबंध स्थापित करताहै।
      • तिब्बती बौद्ध धर्म महायान बौद्ध धर्म की आवश्यक शिक्षाओं को तांत्रिक (Tantric) और शामनिक (Shamanic) तथा इसकी सामग्री को प्राचीन तिब्बती धर्म जिसे बॉन (Bon) कहाँ जाता है, से जोड़ता है।
    • इस बैठक में भारत ने गंदन मठ में बौद्ध पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण हेतु अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा कि भारत वहां संग्रहालय-सह-पुस्तकालय (Museum-Cum-Library) स्थापित करने में सहायता प्रदान करने के लिये मंगोलिया के अनुरोध पर भी विचार करेगा।
    • संस्कृति मंत्रालय द्वारा मंगोलिया में बौद्ध धर्म के मुख्य केंद्रों में वितरण हेतु वर्ष 2022 तक पवित्र मंगोलियाई कांजूर (Mongolian Kanjur) के लगभग 100 सेटों का पुन:मुद्रण (Reprinting) कार्य पूरा करने की संभावना है।
      • 108 खंडों में संकलित बौद्ध विहित पाठ (Buddhist Canonical Text) ‘मंगोलियाई कंजूर’ (Mongolian Kanjur) को मंगोलिया में सबसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक पाठ माना जाता है। इसका तिब्बती से अनुवाद किया गया है और शास्त्रीय मंगोलियाई में लिखा गया है।
      • मंगोलियाई भाषा में ‘कंजूर’ का शाब्दिक अर्थ ‘संक्षिप्त आदेश’ है जो विशेष रूप से भगवान बुद्ध द्वारा कहे गए ‘शब्द’ को संदर्भित करता है।
    • बैठक में भारत सरकार द्वारा भारत में रहने वाले मंगोलिया के बौद्ध भिक्षुओं की वीजा और यात्रा की सुविधा हेतु उठाए गए प्रयासों के बारे में बताया गया।
  • भारत-मंगोलिया संबंध:

    • ऐतिहासिक संबंध:
      • भारत और मंगोलिया अपनी साझा बौद्ध विरासत के कारण आध्यात्मिक रूप से जुड़े हुए हैं।
    • राजनयिक संबंध:
      • वर्ष 1955 में भारत ने मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये क्योंकि मंगोलिया ने भारत को ‘आध्यात्मिक पड़ोसी’ और रणनीतिक साझेदार घोषित किया था, इस तरह भारत, सोवियत ब्लॉक के बाहर उन शुरुआती देशों में पहला देश था, जिन्होंने मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये थे।
      • वर्ष 2015 में पहली बार अपनी ‘एक्ट ईस्ट नीति’ (India’s Act East Policy) के तहत भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा मंगोलिया की यात्रा की गई।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
      • मंगोलिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) की स्थायी सीट के लिये भारत की सदस्यता हेतु अपने समर्थन को एक बार फिर दोहराया है।
      • चीन के कड़े विरोध के बावजूद भारत ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) समेत प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मंचों में मंगोलिया को सदस्यता दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement- NAM) में मंगोलिया को शामिल करने का भी समर्थन किया।
        • मंगोलिया ने भारत और भूटान के साथ बांग्लादेश की मान्यता के लिये वर्ष 1972 के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया था।
      • अन्य फोरम जिनमें दोनों देश सदस्य हैं: एशिया-यूरोप मीटिंग (Asia-Europe Meeting- ASEM) और विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) आदि।
        • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) का भारत एक सदस्य देश है, जबकि मंगोलिया एक पर्यवेक्षक देश है।
    • आर्थिक संबंध:
      • वर्ष 2020 में भारत-मंगोलिया द्विपक्षीय व्यापार घटकर 35.3 मिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि वर्ष 2019 में यह 38.3 मिलियन अमरीकी डॉलर था।
      • भारत द्वारा अपने लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) कार्यक्रम के तहत 'मंगोल रिफाइनरी परियोजना' (Mongol Refinery Project) की शरुआत की गई है।
    • सांस्कृतिक संबंध:
      • वर्ष 1961 में हस्ताक्षरित सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-मंगोलियाई समझौते के तहत दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
      • समझौते में छात्रवृत्ति, विशेषज्ञों के आदान-प्रदान, सम्मेलनों में भागीदारी आदि के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग की परिकल्पना की गई है।
    • रक्षा सहयोग:
      • दोनों देशों के बीच ‘नोमाडिक एलीफैंट’ (Nomadic Elephant) नाम से संयुक्त अभ्यास का आयोजन किया जाता है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद विरोधी और काउंटर टेररिज़्म ऑपरेशन हेतु सैनिकों को प्रशिक्षित करना है।
    • पर्यावरणीय मुद्दों पर सहयोग:
      • दोनों देश बिश्केक घोषणा (Bishkek Declaration) का हिस्सा हैं।

आगे की राह:

  • मध्य एशिया, पूर्वोत्तर एशिया, सुदूर पूर्व, चीन और रूस के साथ मंगोलिया की भौगोलिक स्थिति प्रमुख शक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मंगोलिया भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक विकास के क्षेत्र के रूप में साबित हो सकता है जो आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में हाई-टेक सुविधाओं और उत्पादन कौशल प्रदान करता है।
  • भारत-मंगोलियाई संस्कृति की साझा विरासत को संरक्षित करना और बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है साथ ही दोनों देशों को भविष्य के सामान्य हितों को पोषित करने और आगे बढ़ाने के आधार के रूप में मिलकर कार्य करना चाहिये।

स्रोत: पी.आई.बी


भारतीय अर्थव्यवस्था

राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैटरी भंडारण कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उन्नत रसायन बैटरी (Advanced Chemistry Cell) के आयात को कम करने के लिये इसके निर्माताओं हेतु 18,100 करोड़ रुपए की उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (Production Linked Incentive) योजना को मंज़ूरी दी है।

  • इस योजना को राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैटरी भंडारण कार्यक्रम (National Programme on Advanced Chemistry Cell Battery Storage) के नाम से जाना जाता है। यह योजना भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय (Ministry of Heavy Industries & Public Enterprises) के अधीन है।

प्रमुख बिंदु

  • उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के विषय में:
    • इस योजना का उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की बिक्री में वृद्धि पर कंपनियों को प्रोत्साहन राशि देना है।
    • यह विदेशी कंपनियों को भारत में इकाइयाँ स्थापित करने के लिये आमंत्रित करता है, हालाँकि इसका उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों की स्थापना या विस्तार करने हेतु प्रोत्साहित करना है।
    • इस योजना को ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, आईटी हार्डवेयर जैसे-लैपटॉप, मोबाइल फोन और दूरसंचार उपकरण, रासायनिक बैटरी आदि क्षेत्रों के लिये भी मंज़ूरी दी गई है।
  • उन्नत रसायन बैटरी के विषय में:
    • यह प्रौद्योगिकी की नई पीढ़ी है जो विद्युत ऊर्जा को विद्युत अथवा रासायनिक ऊर्जा के रूप में संग्रहीत कर सकती हैं और आवश्यकता पड़ने पर इसे पुनः विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकती है।
    • इस तरह की बैटरी का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग और बिजली ग्रिड में हो सकेगा।
  • राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैटरी भंडारण कार्यक्रम के विषय में:
    • इस कार्यक्रम के तहत लगभग 45,000 करोड़ रुपए के निवेश को आकर्षित करके देश में 50 गीगावॉट ऑवर्स की एसीसी निर्माण क्षमता स्थापित करने की योजना है।
    • प्रत्येक चयनित ACC बैटरी स्टोरेज निर्माता को न्यूनतम 5 GWh क्षमता की ACC निर्माण सुविधा स्थापित करने, 25% का घरेलू मूल्यवर्द्धन (Domestic Value Addition) प्राप्त करने और 2 वर्षों के भीतर 225 करोड़ रुपए/GWh का अनिवार्य निवेश करने की आवश्यकता होती है।
    • इसके अलावा लाभार्थी फर्मों को पाँच वर्षों के भीतर परियोजना स्तर पर न्यूनतम 60% घरेलू मूल्यवर्द्धन सुनिश्चित करना होगा।
    • प्रोत्साहन राशि पाँच वर्ष की अवधि में वितरित की जाएगी। इसका भुगतान बिक्री, ऊर्जा दक्षता, बैटरी जीवन चक्र और स्थानीयकरण स्तरों के आधार पर किया जाएगा।
  • एनपीएसीसी योजना के अपेक्षित लाभ:
    • भारत में बैटरी निर्माण की मांग को पूरा करना।
    • मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को सुगम बनाना।
    • इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को सुगम बनाना, जिनसे कम प्रदूषण होता है।
      • ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में भारत की हिस्सेदारी में कमी आएगी।
    • प्रत्येक वर्ष लगभग 20,000 करोड़ रुपए का आयात बचेगा।
    • एसीसी में उच्च विशिष्ट ऊर्जा सघनता को हासिल करने के लिये अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन।
    • नई और अनुकूल बैटरी प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन।

स्रोत: पी.आई.बी.


जैव विविधता और पर्यावरण

10 वर्षों में 186 हाथियों की मौत

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अनुसार, 2009-10 और 2020-21 के मध्य पूरे भारत में ट्रेनों की चपेट में आने से कुल 186 हाथियों की मौत हुई है।

प्रमुख बिंदु

  • आँकड़ों का विश्लेषण:
    • असम में रेल की पटरियों पर सर्वाधिक संख्या (62) में हाथियों की मौत हुई है, इसके बाद पश्चिम बंगाल (57) और ओडिशा (27) का स्थान है।
      • उत्तर प्रदेश में एक हाथी की मौत हुई थी।
  • मौतों को रोकने के लिये उपाय:
    • रेल दुर्घटनाओं से होने वाली हाथियों की मौत को रोकने के लिये रेल मंत्रालय और MoEFCC के बीच एक स्थायी समन्वय समिति का गठन किया गया है।
    • लोको पायलटों को स्पष्ट दिखाई देने के लिये रेलवे पटरियों के किनारे के पेड़-पौधों या वनस्पतियों की सफाई करना, हाथियों के सुरक्षित आवागमन हेतु अंडरपास/ओवरपास का निर्माण करना, रेलवे पटरियों के संवेदनशील हिस्सों की नियमित गश्त या पेट्रोलिंग, उपयुक्त स्थानों पर चेतावनी संकेतक बोर्डों का उपयोग करना आदि।
    • MoEFCC ने 2011-12 और 2020-21 के बीच हाथी परियोजना के तहत हाथी रेंज वाले राज्यों को 212.49 करोड़ रुपए आवंटित किये।
    • प्रजातियों द्वारा प्रदान की जाने वाली मूल्यवान पारिस्थितिक सेवाओं पर विचार करते हुए वर्ष 2010 में 'हाथी को राष्ट्रीय विरासत पशु' घोषित किया गया था।
      • हाथी, वन और वुडलैंड पारिस्थितिकी तंत्र के वास्तुकार (कीस्टोन प्रजाति) हैं।
      • हाथियों को प्रकृति के माली (Gardener) के रूप में माना जाता है क्योंकि वे भू-आकृतिक को आकार देने, परागण, बीजों के अंकुरण और गोबर के ढेर के साथ वन क्षेत्र में मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • हाथी परियोजना:

    • परिचय:
      • इसे वर्ष 1992 में जंगली एशियाई हाथियों की मुक्त आबादी के लिये राज्यों द्वारा वन्यजीव प्रबंधन प्रयासों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था।
      • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) है।
    • उद्देश्य:
      • हाथियों के साथ-साथ उनके आवास और गलियारों की रक्षा करना।
      • मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दों की पहचान करना।
      • बंदीगृहों में कैद हाथियों का मुक्त करना।
    • कार्यान्वयन:
      • यह परियोजना मुख्य रूप से 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में कार्यान्वित की जा रही है: आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल।
  • हाथियों की गणना:

    • हाथी परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक 5 वर्षों में एक बार हाथियों की गणना की जाती है। पिछली बार हाथियों की गणना वर्ष 2017 में हुई थी।
    • हाथी जनगणना 2017 के अनुसार, भारत में एशियाई हाथियों की कुल संख्या 27,312 है।
      • यह संख्या वर्ष 2012 में हुए जनगणना अनुमान (29,391 से 30,711 के बीच) से कम है।
      • कर्नाटक में हाथियों की संख्या सर्वाधिक है, इसके बाद असम और केरल का स्थान है।
  • एलीफेंट रिज़र्व:

    • भारत में लगभग 32 एलीफेंट रिज़र्व हैं। भारत का पहला एलीफेंट रिज़र्व झारखंड का सिंहभूम एलीफेंट रिज़र्व है।
  • एशियाई हाथियों की संरक्षण स्थिति

  • संबंधित वैश्विक पहल:

    • हाथियों की अवैध हत्या का निगरानी कार्यक्रम (Monitoring the Illegal Killing of Elephants – MIKE), वर्ष2003 में शुरू किया गया। यह एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है जो पूरे अफ्रीका और एशिया से हाथियों की अवैध हत्या से संबंधित सूचना के अनुमानों की पहचान (ट्रैक) करता है, ताकि क्षेत्र में संरक्षण प्रयासों की प्रभावशीलता से निगरानी की जा सके।
  • नवीन गतिविधियाँ:

    • सीड्स बम या बॉल (Seed Bombs):
      • हाल ही में ओडिशा के अथागढ़ वन प्रभाग ने मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिये जंगली हाथियों हेतु खाद्य भंडार को समृद्ध करने के लिये विभिन्न आरक्षित वन क्षेत्रों के अंदर बीज गेंदों (या बम) का प्रयोग शुरू कर दिया है।
    • जानवरों के प्रवासी मार्ग का अधिकार:
      • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने नीलगिरि हाथी कॉरिडोर (Nilgiris Elephant Corridor) पर मद्रास उच्च न्यायालय के वर्ष 2011 के एक आदेश को बरकरार रखा जो हाथियों से संबंधित 'राइट ऑफ पैसेज' (Right of Passage) और क्षेत्र में होटल/रिसॉर्ट्स को बंद करने की पुष्टि करता है।

स्रोत: द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

स्वामी फंड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने सस्ते और मध्यम आय वाले आवासों (Special Window for Affordable & Mid-Income Housing- SWAMIH) के लिये विशेष विंडो के माध्यम से अपनी पहली आवासीय परियोजना पूरी की।

  • उपनगर मुंबई में स्थित आवासीय परियोजना, रिवाली पार्क, भारत की पहली ऐसी आवासीय परियोजना थी जिसे स्वामी फंड के तहत धन प्राप्त हुआ था।

प्रमुख बिंदु

  • स्वामी फंड के बारे में:
    • यह सरकार समर्थित फंड है जिसे सेबी के साथ पंजीकृत श्रेणी- II AIF (वैकल्पिक निवेश कोष) ऋण फंड के रूप में स्थापित किया गया था, इसे वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया था।
    • स्वामी इन्वेस्टमेंट फंड (SWAMIH Investment Fund) का गठन RERA-पंजीकृत किफायती और मध्यम आय वर्ग की आवास परियोजनाओं के निर्माण को पूरा करने के लिये किया गया था, जो धन की कमी के कारण रुकी हुई है।
    • फंड का निवेश प्रबंधक SBICAP वेंचर्स (SBICAP Ventures) है जो कि SBI कैपिटल मार्केट्स के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
      • SBI कैपिटल मार्केट्स, भारतीय स्टेट बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
    • भारत सरकार की ओर से कोष का प्रायोजक वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग का सचिव है।

रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण

  • शुरुआत:
    • रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम (RERA) 2016 में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो 1 मई, 2017 से पूरी तरह से लागू हुआ।
      • अधिनियम ने रियल एस्टेट क्षेत्र के नियमन के लिये प्रत्येक राज्य में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (Real Estate Regulatory Authority- RERA) की स्थापना की और त्वरित विवाद समाधान के लिये एक निर्णायक निकाय के रूप में भी कार्य करता है।
  • लक्ष्य:
    • यह घर-खरीदारों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ रियल एस्टेट की बिक्री/खरीद में दक्षता और पारदर्शिता लाकर रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  • वैकल्पिक निवेश कोष (AIF):
    • AIF का अर्थ भारत में स्थापित या निगमित कोई भी फंड है जो एक निजी रूप से जमा निवेश वाहन है जो अपने निवेशकों के लाभ के लिये एक परिभाषित निवेश नीति के अनुसार निवेश करने के लिये परिष्कृत निवेशकों, चाहे भारतीय हो या विदेशी, से धन एकत्र करता है।
    • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) विनियम (AIF), 2012 के विनियम 2(1)(बी) में AIF की परिभाषा निर्धारित की गई है।
      • एक कंपनी या एक सीमित देयता भागीदारी (Limited Liability Partnership- LLP) के माध्यम से एक वैकल्पिक निवेश कोष स्थापित किया जा सकता है।
    • AIF में फंड प्रबंधन गतिविधियों को विनियमित करने के लिये सेबी (म्यूचुअल फंड) विनियम, 1996, सेबी (सामूहिक निवेश योजना) विनियम, 1999 या बोर्ड के किसी अन्य विनियम के तहत शामिल धन शामिल नहीं है।
      • अन्य छूटों में परिवार ट्रस्ट (Family Trusts), कर्मचारी कल्याण ट्रस्ट (Employee Welfare Trusts) या ग्रेच्युटी ट्रस्ट (Gratuity Trusts) शामिल हैं।
    • AIF की श्रेणियाँ:
      • श्रेणी-I:
        • इन फंडों का उन व्यवसायों में धन निवेश किया जाता है जिनमें वित्तीय वृद्धि की क्षमता होती है जैसे- स्टार्ट-अप, लघु और मध्यम उद्यम।
        • सरकार इन उपक्रमों में निवेश को प्रोत्साहित करती है क्योंकि उच्च उत्पादन और रोज़गार सृजन के संबंध में उनका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
        • उदाहरणों में इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (Infrastructure Funds), एंजेल फंड (Angel Funds), वेंचर कैपिटल फंड (Venture Capital Funds) और सोशल वेंचर फंड (Social Venture Funds) शामिल हैं।
      • श्रेणी- II:
        • इस श्रेणी के तहत इक्विटी प्रतिभूतियाँ और ऋण प्रतिभूतियाँ में निवेश किये गए फंड शामिल हैं। वे फंड जो पहले से क्रमशः श्रेणी I और III के अंतर्गत नहीं आते हैं, उन्हें भी शामिल किया गया है। श्रेणी II AIF के लिये किये गए किसी भी निवेश के लिये सरकार द्वारा कोई रियायत नहीं दी जाती है।
        • उदाहरणतः रियल एस्टेट फंड (Real Estate Fund), ऋण फंड (Debt Fund), निजी इक्विटी फंड (Private Equity Fund)।
      • श्रेणी- III:
        • श्रेणी-III AIF वे फंड हैं जो कम समय में रिटर्न देते हैं। ये फंड अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये जटिल और विविध व्यापारिक रणनीतियों का उपयोग करते हैं। विशेष रूप से सरकार द्वारा इन निधियों के लिये कोई ज्ञात रियायत या प्रोत्साहन नहीं दिया गया है।
        • उदाहरणतः इसमें हेज कोष (Hedge Fund), सार्वजनिक इक्विटी कोष में निजी निवेश (Private Investment In Public Equity Fund) आदि शामिल हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.


शासन व्यवस्था

भारत द्वारा सामुदायिक प्रसार टैग का विरोध

चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, कोविड -19 महामारी की शुरुआत के बाद से अब तक भारत ने स्वयं को बिना किसी सामुदायिक प्रसार (Community Transmission- CT) वाले देश के रूप में चिह्नित करना जारी रखा है।

  • अमेरिका, ब्राज़ील, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांँस जैसे देशों ने स्वयं को 'सामुदायिक प्रसार' चरण में होने के रूप में चिह्नित किया है, जबकि इटली और रूस ने स्वयं को 'सामुदायिक प्रसार/संचरण' वाले देश के रूप चिह्नित नहीं किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • सामुदायिक प्रसार (CT):
    • CT महामारी के चरणों में से एक है।
    • मोटे तौर पर, सामुदायिक प्रसार की स्थिति तब मानी जाती है जब महामारी के नए मामलों को पिछले 14 दिनों के दौरान किसी अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के रिकॉर्ड से न जोड़ा जा सके और न ही संक्रमण के मामले किसी विशिष्ट समूह से संबंधित हों।
    • CT के वर्गीकरण को चार चरणों में विभाजित किया जाता है, जिसमें निम्न स्तर से लेकर उच्च स्तर तक प्रसारण शामिल होता है।

महामारी के चार चरण:

  • चरण 1- आयातित संचरण:
    • यह यात्रियों के बीच सीमाओं और हवाई अड्डों के माध्यम से महामारी के देश में प्रवेश करने से संबंधित है। इसे थर्मल स्क्रीनिंग और क्वारंटाइन के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • चरण 2- स्थानीय ट्रांसमिशन:
    • इस चरण को देश के भीतर एक संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने के माध्यम से महामारी के संचरण के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • चरण 3-सामुदायिक प्रसार:
    • यह दर्शाता है कि एक वायरस समुदाय में संचरित हो रहा है तथा उन लोगों को प्रभावित कर सकता है, जिनका महामारी संक्रमण से प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने का कोई इतिहास नहीं है।
  • चरण 4- महामारी:
    • चरण 4 तब आता है जब रोग वास्तव में एक देश में महामारी का रूप धारण कर लेता है, जैसा कि चीन में हुआ था , जिसमें बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए और मृत्यु की बढ़ती संख्या का कोई अंत नहीं था। तब महामारी को स्थानिक या क्षेत्र में प्रचलित माना जाता है।
  • भारत का वर्तमान वर्गीकरण:
    • भारत द्वारा महामारी को लेकर निम्नतर, कम गंभीर वर्गीकरण का विकल्प चुना गया है जिसे ' क्लस्टर ऑफ केस' (Cluster Of Case) कहा जाता है।
    • भारत के मुताबिक, ऐसा देखा गया है कि 'पिछले 14 दिनों में सामने आए मामले कुछ विशिष्ट क्लस्टर्स तक ही सीमित हैं जिनका सीधे तौर पर बाहर से आयातित महामारी के मामलों से कोई संबंध नहीं है।
    • ऐसा माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में कई मामले अज्ञात हैं। इसका मतलब है कि अगर इन समूहों के संपर्क में आने से बचा जाए तो बड़े समुदाय में संक्रमण का खतरा कम होगा।
  • स्वयं को सीटी में वर्गीकृत नहीं करने के भारत के निहितार्थ:

    • भारत द्वारा स्वयं को सामुदायिक प्रसार से युक्त होने से इंकार करना “Ostrich In The Sand” यानी “एक ऐसा व्यक्ति जो वास्तविकता का सामना करने या सच्चाई को मानने से इनकार करता है” के दृष्टिकोण को दर्शाता है क्योंकि CT को स्वीकार करना विफलता का संकेतक है जो दर्शाता है कि अधिकारियों/प्राधिकारियों/प्राधिकरणों ने किस तरह से इस महामारी की समस्या को संबोधित किया है।
    • यदि मामले अभी भी एक क्लस्टर में सामने आते हैं तो इसका मतलब यह होगा कि सरकार को संक्रमण फैलने से रोकने हेतु परीक्षण, कांटेक्ट ट्रैकिंग और आइसोलेशन को प्राथमिकता देनी होगी। दूसरी ओर CT में होने का मतलब इलाज को प्राथमिकता देना और सुरक्षित रहने हेतु दी गई सलाह का पालन करना होगा।
    • सामुदायिक प्रसार का मतलब है कि स्वास्थ्य प्रणाली अब वायरस के प्रक्षेप पथ (Trajectory) का ट्रैक खो चुकी है और संक्रमण के स्रोत के बिना ही संक्रमण हो रहा है।
    • एक बार जब सरकार सामुदायिक प्रसार को स्वीकार कर लेती है, तो महामारी नियंत्रण रणनीति अगले चरण में आगे बढ़ जाएगी, जिसे ‘शमन चरण’ (Mitigation Phase) कहा जाता है, जिसमें इस बात को सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाएगा कि केवल उन्हीं लोगों को अस्पताल पहुंँचाया जाए, जिन्हें वास्तव में चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है। संक्रमणों पर नज़र रखना या उन्हें नियंत्रित करना प्राथमिक रणनीति में शामिल नहीं होगा।

स्रोत: द हिंदू


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2