लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 9 अप्रैल, 2020

  • 09 Apr 2020
  • 11 min read

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद

Indian Council for Cultural Relations

9 अप्रैल, 2020 को ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’ (Indian Council for Cultural Relations- ICCR) अपना 70वाँ स्थापना दिवस मनाया।

ICCR

मुख्य बिंदु:

  • COVID-19 के मद्देनज़र इस अवसर पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अधिकतर कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किये गए।
  • विश्व के विभिन्न देशों के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जैसे- 
    • जकार्ता (इंडोनेशिया) स्थित ICCR केंद्र तबला शिक्षकों की मदद से तबला की ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन कर रहा है। 
    • सियोल, कोलंबो, तेहरान, ताशकंद, मैक्सिको, द हेग, जकार्ता एवं सिडनी में स्थित ICCR केंद्रों द्वारा ऑनलाइन योग कक्षाएँ भी संचालित की जा रही हैं।
    • मास्को (रूस) में भारतीय महाकाव्यों एवं पौराणिक कथाओं से परिचय कराने के लिये अमर चित्र कथा (Amar Chitra Katha) पुस्तकों का उपयोग किया जा रहा है।
    • दार-ए-सलाम (तंज़ानिया) में आभासी प्लेटफार्मों का उपयोग करके सूर्य नमस्कार कक्षाएँ भी संचालित की गयी।
  • वर्तमान में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद विश्व भर में 36 सांस्कृतिक केंद्रों का संचालन कर रही है।

 भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद

(Indian Council for Cultural Relations- ICCR):

  • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की स्थापना 9 अप्रैल, 1950 को स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने की थी।

उद्देश्य: 

  • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के निम्नलिखित उद्देश्य हैं- 
    • भारत के अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक संबंधों से संबंधित नीतियों एवं कार्यक्रमों के निर्माण तथा कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से भाग लेना।
    • भारत एवं अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों तथा आपसी समझ को बढ़ावा देना। 
    • विभिन्न देशों एवं नागरिकों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
  • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से भारत की विदेश नीति को एक सुदृढ़ आधार प्रदान करती है। 
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। 

मधुबन 

Madhuban 

गुजरात के जूनागढ़ ज़िले के एक किसान-वैज्ञानिक वल्लभभाई वसरमभाई मरवानिया (Vallabhhai Vasrambhai Marvaniya) ने गाजर की एक जैव-सशक्त किस्म ‘मधुबन’ (Madhuban) को विकसित किया है जिसमें बीटा कैरोटीन (β-carotene) एवं लौह तत्व की उच्च मात्रा मौजूद है।

Madhuban

मुख्य बिंदु:

  • मधुबन उच्च पौष्टिकता वाली गाजर की एक किस्म है जिसमें बीटा-कैरोटीन (277.75 मिलिग्राम प्रति किलो) तथा लौह तत्व (276.7 मिलीग्राम प्रति किलो) मौजूद हैं। 
  • भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान ‘नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन’ (National Innovation Foundation) ने वर्ष 2016-17 के दौरान जयपुर स्थित राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान (Rajasthan Agricultural Research Institute- RARI) में मधुबन गाजर का सत्यापन परीक्षण किया था। जिसमें पाया गया था कि मधुबन गाजर की उपज 74.2 टन प्रति हेक्टेयर है और पौधे का बायोमास 275 ग्राम प्रति पौधा है।

उपज प्रति हेक्टेअर:

  • जूनागढ़ ज़िले के 200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में इसकी खेती की गई है। जहाँ इसकी औसत पैदावार 40-50 टन प्रति हेक्टेयर है। स्थानीय किसानों के लिये यह किस्म आय का प्रमुख स्रोत बन गई है। 
  • पिछले 3 वर्षों के दौरान गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल तथा उत्तर प्रदेश के लगभग 1000 हेक्टेयर में मधुबन गाजर की खेती की जा रही है।

उपयोग:

  • इसका उपयोग विभिन्न मूल्य वर्द्धित उत्पादों जैसे- गाजर चिप्स, जूस एवं अचार आदि के लिये भी किया जा सकता है।

गौरतलब है कि भारत के राष्ट्रपति ने फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन (Festival of Innovation- FOIN)- 2017 कार्यक्रम में वल्लभभाई वसरमभाई मरवानिया को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। वहीं उनके इस असाधारण कार्य के लिये वर्ष 2019 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।


केंद्रीय भंडार

Kendriya Bhandar

COVID-19 के कारण लागू किये गए राष्ट्रव्यापी लाकडाउन के मद्देनज़र केंद्रीय भंडार (Kendriya Bhandar) ने 8 अप्रैल, 2020 को ज़रूरतमंद परिवारों की मदद करने के लिये ‘आवश्‍यक किट्स’ (Essentials Kits) पहुँचाने की अनूठी पहल शुरू की है।

Kendriya-Bhandar

मुख्य बिंदु: 

  • वर्तमान में केंद्रीय भंडार द्वारा दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में ज़रूरतमंद परिवारों के लिये 2200 आवश्‍यक किट्स (Essentials Kits) सौंपी गई हैं। 
  • प्रत्येक किट में 9 वस्तुएँ (3 किलोग्राम चावल, 3 किलोग्राम गेहूँ आटा, 2 किलोग्राम दाल, 1 लीटर खाद्य तेल, 500 ग्राम पोहा, 1 किलोग्राम नमक, साबुन, 3 पैकेट बिस्कुट) शामिल हैं। 

केंद्रीय भंडार (Kendriya Bhandar):

  • केंद्रीय भंडार (KENDRIYA BHANDAR) के नाम से संचालित केंद्र सरकार के कर्मचारी उपभोक्ता सहकारी सोसाइटी लिमिटेड (Central Government Employees Consumer Cooperative Society Ltd.) को वर्ष 1963 में एक कल्याणकारी परियोजना के रूप में स्थापित किया गया था।

उद्देश्य: 

  • केंद्रीय भंडार केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं आम जनता की सेवा करने के उद्देश्य से उचित मूल्यों पर दैनिक आवश्यकताओं की गुणवत्तापूर्ण वस्तुएँ उपलब्ध कराने तथा अपने खुदरा दुकानों के माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रभावी भूमिका निभाने का कार्य कर रहा है।

केंद्रीय भंडार नेटवर्क:

  • केंद्रीय भंडार दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, दमन, गोवा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब एवं चंडीगढ़ में 114 स्टोर का नेटवर्क संचालित कर रहा है।

गौरतलब है कि केंद्रीय भंडार (Kendriya Bhandar) भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (Union Ministry of Personnel, Public Grievances, Pensions) के तहत कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel and Training- DoPT) के अंतर्गत आता है।


ग्रेट बैरियर रीफ

Great Barrier Reef

मार्च, 2020 में आस्ट्रेलिया की जेम्स कुक यूनिवर्सिटी (James Cook University) द्वारा किये गए एक व्यापक सर्वेक्षण में पाया गया कि समुद्री तापमान बढ़ने से केवल पाँच वर्षों में 2,300 किलोमीटर के ग्रेट बैरियर रीफ (Great Barrier Reef) को तीसरे बड़े प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) का सामना करना पड़ा है।

Great-Barrier-Reef

मुख्य बिंदु: 

  • सर्वेक्षण में बताया गया है कि पहली बार ग्रेट बैरियर रीफ के सभी तीनों क्षेत्रों- उत्तरी, मध्य और अब दक्षिणी क्षेत्रों के बड़े हिस्से में भी व्यापक प्रवाल विरंजन हुआ है।
  • वर्ष 1998 में पहली बार ग्रेट बैरियर रीफ में प्रवाल विरंजन की घटना को देखा गया था तब से तापमान में वृद्धि जारी है जिससे प्रवाल को ठीक होने के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं मिली।
  • पहली बार वर्ष 2016 में ग्रेट बैरियर रीफ के उत्तरी क्षेत्र में व्यापक प्रवाल विरंजन हुआ था वहीं वर्ष 2017 में तापमान में वृद्धि के कारण इसके मध्य क्षेत्र में व्यापक प्रवाल विरंजन की घटना दर्ज की गई। इस वर्ष प्रवाल विरंजन की यह विस्तार प्रक्रिया इसके दक्षिणी क्षेत्र में फैल गई है।
  • ग्रेट बैरियर रीफ में प्रवाल विरंजन की क्षति फरवरी महीने में सबसे अधिक हुई जब मासिक समुद्री तापमान उच्चतम स्तर पर होता है। 

ग्रेट बैरियर रीफ (Great Barrier Reef):

  • ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर स्थित ग्रेट बैरियर रीफ विश्व की सबसे बड़ी एवं प्रमुख अवरोधक प्रवाल भित्ति है।
  • यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के उत्तर-पूर्वी तट में मरीन पार्क के समानांतर 1400 मील तक फैली हुई है।
  • इसे वर्ष 1981 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।

गौरतलब है कि ग्रेट बैरियर रीफ के कारण ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था को पर्यटन राजस्व से प्रति वर्ष लगभग 4 बिलियन डॉलर का लाभ प्राप्त होता है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2