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डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 10 जुलाई, 2020

  • 10 Jul 2020
  • 13 min read

रीवा सौर परियोजना

Rewa Solar Project

10 जुलाई, 2020 को प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के रीवा में स्थापित 750 मेगावाट की ‘रीवा सौर परियोजना’ (Rewa Solar Project) को राष्ट्र को समर्पित किया।

Rewa-Solar-Park

प्रमुख बिंदु:

  • इस परियोजना में एक सौर पार्क जिसका कुल क्षेत्रफल 1500 हेक्टेयर है, के अंदर स्थित 500 हेक्टेयर भूमि पर 250-250 मेगावाट की तीन सौर उत्पादन इकाइयाँ शामिल हैं। 
    • इस सौर पार्क के विकास के लिये भारत सरकार की ओर से ‘रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड’  को 138 करोड़ रुपए की वित्तीय मदद प्रदान की गई थी।
  • इस सौर पार्क को ‘रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड’ (Rewa Ultra Mega Solar Limited- RUMSL) ने विकसित किया है जो ‘मध्य प्रदेश उर्जा विकास निगम लिमिटेड’ (Madhya Pradesh UrjaVikas Nigam Limited- MPUVN) और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई ‘सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’ (Solar Energy Corporation of India- SECI) की संयुक्त उद्यम कंपनी है।
  • यह सौर परियोजना ‘ग्रिड समता अवरोध’ (Grid Parity Barrier) को तोड़ने वाली देश की पहली सौर परियोजना थी।
    • ग्रिड समता (Grid Parity) तब होती है जब एक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत विद्युत की कीमत के स्तर पर बिजली उत्पन्न कर सकता है जो इलेक्ट्रीसिटी ग्रिड से मिलने वाली बिजली की कीमत से कम या बराबर होती है।
  • यह परियोजना वार्षिक तौर पर लगभग 15 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कम करने में सहायक होगी।
  • रीवा परियोजना को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी ठोस संरचना एवं नवाचारों के लिये जाना जाता है।
    • नवाचार एवं उत्कृष्टता के लिये इसे वर्ल्ड बैंक ग्रुप प्रेसिडेंट अवॉर्ड (World Bank Group President’s Award) भी मिला है। 
    • इसके अतिरिक्त इसे प्रधानमंत्री की ‘A Book of Innovation: New Beginnings’ पुस्तक में भी शामिल किया गया है।
  • यह परियोजना राज्य के बाहर एक संस्थागत ग्राहक को बिजली आपूर्ति करने वाली देश की पहली अक्षय ऊर्जा परियोजना भी है। 
    • अर्थात् यह परियोजना अपने कुल बिजली उत्पादन का 24% बिजली दिल्ली मेट्रो को देगी जबकि शेष 76% बिजली मध्य प्रदेश की राज्य बिजली वितरण कंपनियों को आपूर्ति की जाएगी।

भारत वैश्विक सप्ताह 2020

India Global Week 2020 

9 जुलाई, 2020 को प्रधानमंत्री ने लंदन में शुरू हो रहे ‘भारत वैश्विक सप्ताह 2020’ (India Global Week 2020) सम्मेलन को संबोधित किया। 

BeThe-Revival

थीम: 

  • इस सम्मेलन की थीम ‘बी द रिवाइवल: ए बेटर न्यु वर्ल्ड’ (BeThe Revival: India and A Better New World) है। 

उद्देश्य:

  • इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत की व्यापार एवं विदेशी निवेश प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करना और सामरिक एवं सांस्कृतिक अवसरों का पता लगाना एवं इन क्षेत्रों में आने वाली चुनौतियों को समझना एवं उचित निर्णय लेना है।

आयोजनकर्त्ता:

  • यूनाइटेड किंगडम स्थित मीडिया हाउस ‘इंडिया इंक समूह’ (India Inc. Group) इस कार्यक्रम को वार्षिक तौर पर आयोजित करता है।    

प्रमुख बिंदु: 

  • इस सम्मेलन में 30 देशों के 5000 वैश्विक प्रतिभागी एक साथ भाग लेंगे। 
  • यह सम्मेलन 3 दिनों (9-11 जुलाई, 2020) तक चलेगा जिसे 250 वैश्विक वक्ताओं द्वारा संबोधित किया जाएगा।
  • इस आयोजन से देश के ‘इन्वेस्ट इंडिया कार्यक्रम’ (Invest India Programme) को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
  • इस सम्मेलन में व्यापार, भू-राजनीति, बैंकिंग एवं वित्त, प्रौद्योगिकी, रक्षा एवं सुरक्षा, कला एवं संस्कृति तथा फार्मा क्षेत्र से संबंधित मुद्दे शामिल किये जाएंगे।

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम

Foreign Contribution Regulation Act

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002), आय कर कानून, विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (Foreign Contribution Regulation Act) के विभिन्न कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किये जाने के मामलों में जाँच हेतु समन्वय के लिये एक अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की।

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट दोनों ही विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत पंजीकृत संगठन हैं किंतु इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट एक FCRA पंजीकृत संगठन नहीं है।  
    • उल्लेखनीय है कि गैर-सरकारी संगठनों एवं अन्य संगठनों को विदेश से दान प्राप्त करने के लिये विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है।

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम

(Foreign Contribution Regulation Act):

  • भारत सरकार ने विदेशी अंशदान की स्वीकृति एवं विनियमन को प्रबंधित करने के उद्देश्य से वर्ष 1976 में विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लागू किया।
  • वर्ष 2010 में इस अधिनियम को संशोधित किया गया। जिसके तहत सामान्य तौर पर FCRA, 1976 के प्रावधानों को बरकरार रखते हुए इसमें कई नए प्रावधान भी जोड़े गए।
    • इसके तहत राजनीतिक प्रकृति वाले संगठन, ऑडियो न्यूज़, ऑडियो विज़ुअल न्यूज़. वैश्विक एवं राष्ट्रीय घटनाक्रम पर आधारित कार्यक्रम के संचालन एवं प्रसारण में लगे किसी भी संगठन को विदेशी अंशदान स्वीकार करने के लिये प्रतिबंधित किया गया है। 
  • FCRA, 2010 के तहत दिया गया प्रमाण-पत्र 5 वर्ष तक वैध होगा तथा पूर्व अनुमति, विशेष कार्य या विदेशी अंशदान जिसके लिये अनुमति दी गई है , के लिये वैध होगा। 
  • नए प्रावधानों के तहत कोई भी व्यक्ति जो FCRA के प्रावधानों के अनुसार विदेशी अंशदान  प्राप्त करता है, उस राशि को तब तक हस्तांतरित नहीं कर सकता जब तक कि वह व्यक्ति भी केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार विदेशी अंशदान प्राप्त करने के लिये अधिकृत न हो।
  • FCRA के तहत पंजीकृत होने के लिये एक गैर-सरकारी संगठन को पूर्व में कम-से-कम 3 वर्षों तक सक्रिय होना चाहिये। इसके अलावा इसकी गतिविधियों पर इसके आवेदन की तारीख से पूर्व के 3 वर्षों में 1,000,000 रुपए तक खर्च किये गए हों।
  • नए प्रावधानों के तहत एक वित्तीय वर्ष में एक करोड़ रूपए से अधिक या उसके समकक्ष विदेशी अंशदान की प्राप्ति होने पर संगठन से संबंधित आँकड़ों को तथा उस वर्ष के साथ-साथ अगले वर्ष के विदेशी अंशदान के उपयोग को भी सार्वजनिक करना होगा।

मंगोलियाई कंजूर पांडुलिपियाँ

Mongolian Kanjur Manuscripts

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय (Union Ministry of Culture) मार्च 2022 तक ‘नेशनल मिशन फॉर मैन्युस्क्रिप्ट्स’ (National Mission for Manuscripts- NMM) के तहत ‘मंगोलियाई कंजूर’ (Mongolian Kanjur) के 108 संस्करणों के पुनर्मुद्रण के कार्य को पूरा करेगा जो भारत और मंगोलिया के मध्य द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने में मदद करेगा।

Mongolian-Kanjur

प्रमुख बिंदु: 

  • 108 खंडों में संकलित बौद्ध विहित पाठ (Buddhist Canonical Text) ‘मंगोलियाई कंजूर’ (Mongolian Kanjur) को मंगोलिया में सबसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक पाठ माना जाता है।
  • मंगोलियाई भाषा में ‘कंजूर’ का शाब्दिक अर्थ ‘संक्षिप्त आदेश’ है जो विशेष रूप से भगवान बुद्ध के द्वारा कहे गए ‘शब्द’ को संदर्भित करता है। यह तिब्बती भाषा का अनुवादित रूप है। 
  • मंगोलियाई बौद्धों द्वारा इस पाठ का आयोजन आदर स्वरूप किया जाता है और वे मंदिरों में कंजूर की पूजा करते हैं तथा पवित्र अनुष्ठान के रूप में दैनिक जीवन में कंजूर की पंक्तियों का पाठ करते हैं।
  • मंगोलिया में लगभग प्रत्येक मठ में कंजूर की प्रतियों को रखा गया है। कंजूर की शास्त्रीय भाषा मूल रूप से मंगोलियाई है और यह मंगोलिया को एक सांस्कृतिक पहचान प्रदान करने का एक स्रोत भी है।
  • पुनर्मुद्रण किये हुए प्रत्येक खंड में मंगोलियाई भाषा में लिखित कंजूर के सूत्र के मूल शीर्षक को इंगित करने वाली सामग्री (कंटेंट) होगी।
    • मंगोलियाई कंजूर के पाँच खंडों का पहला सेट राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को प्रस्तुत किया गया था।

नेशनल मिशन फॉर मैन्युस्क्रिप्ट्स

(National Mission for Manuscripts- NMM):

  • इस मिशन को भारत सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय के तहत फरवरी 2003 में पांडुलिपियों में संरक्षित ज्ञान के दस्तावेज़ीकरण, संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार करने के लिये शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य: इस मिशन का उद्देश्य दुर्लभ एवं अप्रकाशित पांडुलिपियों को प्रकाशित करना है ताकि उनमें निहित ज्ञान शोधकर्त्ताओं, विद्वानों एवं आम जनता तक बड़े पैमाने पर पहुँच सके।
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