विश्व की आबादी 8 अरब
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNPFA), मृत्यु दर, प्रजनन दर, जनसंख्या वृद्धि दर, वैश्विक जनसंख्या, प्रतिस्थापन-स्तर प्रजनन क्षमता मेन्स के लिये:जनसंख्या वितरण, आकलन, अनुमान और आगे की राह |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNPFA) के अनुसार, विश्व भर में मानव आबादी 8 अरब तक पहुँच गई है।
- वर्ष 2022 के आँकड़ों के अनुसार दुनिया की आधी से अधिक आबादी एशिया में रहती है, चीन और भारत 1.4 बिलियन से अधिक लोगों के साथ दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं।
जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति:
- समग्र जनसंख्या वृद्धि दर में कमी:
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वैश्विक जनसंख्या को 7 अरब से 8 अरब तक बढ़ने में 12 साल लगे और वर्ष 2037 तक 9 अरब तक पहुँचने में इसे लगभग 15 साल लगेंगे।
- यह इंगित करता है कि वैश्विक जनसंख्या की समग्र विकास दर धीमी हो रही है।
- संयुक्त राष्ट्र की जनसंख्या रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक जनसंख्या वर्ष 1950 के बाद से अपनी सबसे धीमी दर से बढ़ रही है, जो वर्ष 2020 में 1 प्रतिशत से कम रही है।
- विश्व की जनसंख्या वर्ष 2030 में लगभग 8.5 बिलियन और वर्ष 2050 में 9.7 बिलियन तक पहुँच सकती है।
- इसके वर्ष 2080 तक लगभग 10.4 बिलियन के साथ उच्च स्तर तक पहुँचने और वर्ष 2100 तक उसी स्तर पर बने रहने का अनुमान है।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वैश्विक आबादी के 60% ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है।
- वर्ष 1990 में 40% ऐसे क्षेत्रों में रहते थे जहाँ प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर से नीचे थी।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वैश्विक जनसंख्या को 7 अरब से 8 अरब तक बढ़ने में 12 साल लगे और वर्ष 2037 तक 9 अरब तक पहुँचने में इसे लगभग 15 साल लगेंगे।
- गरीब देशों में उच्च प्रजनन स्तर:
- उच्चतम प्रजनन स्तर वाले देश प्रति व्यक्ति सबसे कम आय वाले होते हैं।
- वर्ष 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि के आधे से अधिक की वृद्धि इन आठ देशों में केंद्रित होगी:
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और संयुक्त गणराज्य तंज़ानिया।
- उप-सहारा अफ्रीका के देशों द्वारा वर्ष 2050 तक प्रत्याशित वृद्धि में आधे से अधिक का योगदान किया जाने की संभावना है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन कई देशों में अब विकास का चालक है, इसे हम वर्ष 2020 में 281 मिलियन लोगों के अपने जन्म के देश के बाहर रहने के रूप में देख सकते हैं।
- भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका सहित सभी दक्षिण एशियाई देशों में हाल के वर्षों में उच्च स्तर का उत्प्रवास देखा गया है।
भारत की जनसंख्या के संदर्भ में:
- स्थिर होती जनसंख्या वृद्धि:
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत की प्रजनन दर प्रति महिला 2.1 जन्मों तक पहुँच गई है, अर्थात् प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता में और भी गिरावट आ सकती है।
- भारत की जनसंख्या वृद्धि स्थिर होने के बावजूद अभी भी 0.7% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है और वर्ष 2023 में इसकी आबादी दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन से अधिक होने की संभावना है।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, चीन की जनसंख्या अब बढ़ नहीं रही है और वर्ष 2023 की शुरुआत से इसमें कमी आनी शुरू हो सकती है।
- विश्व जनसंख्या संभावना 2022 ने चीन की 1.426 बिलियन जनसंख्या की तुलना में वर्ष 2022 में भारत की जनसंख्या 1.412 बिलियन होने का अनुमान लगाया है।
- वर्ष 2048 तक भारत की आबादी चरम स्थिति के साथ 1.7 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है और फिर सदी के अंत तक गिरावट के साथ इसके 1.1 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है।
- दुनिया में किशोरों की सबसे अधिक आबादी:
- UNFPA के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत की 68% आबादी 15-64 वर्ष के बीच है, जबकि 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की आबादी 7% है।
- देश में 27% से अधिक लोग 15-29 वर्ष की आयु के हैं।
- 253 मिलियन के साथ भारत में दुनिया की सबसे बड़ी किशोर आबादी (10-19 वर्ष) है।
- भारत में वर्तमान में किशोरों और युवाओं की संख्या सर्वाधिक है।
- भारत की जनसंख्या, वर्तमान समय में "यूथ बल्ज़ (किसी देश की युवा, परंपरागत रूप से 16-25 या 16-30 आयु की जनसंख्या और अनुपात में अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि) देखी जा रही है, वर्ष 2025 तक यह ऐसी ही बनी रहेगी और वर्ष 2030 तक भारत के सबसे ज़्यादा युवा जनसंख्या वाला देश बने रहने की संभावना है।
- UNFPA के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत की 68% आबादी 15-64 वर्ष के बीच है, जबकि 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की आबादी 7% है।
‘संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष’:
- परिचय:
- यह संयुक्त राष्ट्र महासभा का एक सहायक अंग है जो इसके यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी के रूप में काम करता है।
- UNFPA का जनादेश संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic and Social Council- ECOSOC) द्वारा स्थापित किया गया है।
- स्थापना:
- इसे वर्ष 1967 में ट्रस्ट फंड के रूप में स्थापित किया गया था और इसका परिचालन वर्ष 1969 में शुरू हुआ।
- इसे वर्ष 1987 में आधिकारिक तौर पर ‘संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष’ नाम दिया गया, लेकिन इसका संक्षिप्त नाम UNFPA (जनसंख्या गतिविधियों के लिये संयुक्त राष्ट्र कोष) को भी बरकरार रखा गया।
- उद्देश्य:
- UNFPA प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य संबंधी सतत् विकास लक्ष्य-3, शिक्षा संबंधी लक्ष्य-4 और लिंग समानता संबंधी लक्ष्य-5 के संबंध में कार्य करता है।
- वित्तपोषण:
- UNFPA संयुक्त राष्ट्र के बजट द्वारा समर्थित नहीं है, इसके बजाय यह पूरी तरह से दाता सरकारों, अंतर-सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र तथा आम लोगों के स्वैच्छिक योगदान द्वारा समर्थित है।
आगे की राह
- अनुकूल आयु वितरण के संभावित लाभों को अधिकतम करने के लिये, देशों को सभी उम्र में स्वास्थ्य देखभाल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करके तथा उत्पादक रोज़गार एवं सभ्य काम के अवसरों को बढ़ावा देकर अपनी मानव पूंजी के आगे के विकास में निवेश करने की आवश्यकता है।
- भारत जनसांख्यिकीय संक्रमण के चरण में है जहाँ मृत्यु दर घट रही है और अगले दो से तीन दशकों में प्रजनन दर में गिरावट आएगी। भारत अब गर्भनिरोधक की ज़रूरत को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- महिलाएँ कब, कितने और किस अंतराल पर बच्चे पैदा करना चाहती हैं यह तय कर सकती हैं।
- युवा और किशोर आबादी के लिये कौशल की आवश्यकता है, जो यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि वे अधिक उत्पादन के साथ बेहतर आय प्राप्त कर सकें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. कौन से दो देश अपनी आबादी के घटते क्रम में चीन और भारत का अनुसरण करते हैं? (2008) (a) ब्राज़ील और अमेरिका उत्तर: B मेन्स:प्रश्न. जनसंख्या शिक्षा के मुख्य उद्देश्यों पर चर्चा करें और भारत में उन्हें प्राप्त करने के उपायों को विस्तार से बताइये। (2021) प्रश्न. जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है। चर्चा कीजिये। (2019) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
आर्टेमिस 1 हेतु तीसरा प्रयास
प्रिलिम्स के लिये:नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA), आर्टेमिस I, मून मिशन, चंद्रयान प्रोजेक्ट, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), हिस्ट्री ऑफ मून एक्सप्लोरेशन मेन्स के लिये:अंतरिक्ष अन्वेषण, चंद्रमा मिशन, चंद्रमा पर मानव भेजना। |
चर्चा में क्यों?
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने 16 नवंबर, 2022 को अपने मानव रहित चंद्रमा मिशन आर्टेमिस I को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।
- दो महीनों में तकनीकी विफलताओं और प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई देरी के बाद स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया है।
आर्टेमिस I मिशन
- आर्टेमिस I नासा का मानव रहित मिशन है।
- नासा के आर्टेमिस मिशन को चंद्र अन्वेषण की अगली पीढ़ी के रूप में जाना जाता है तथा इसका नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं से अपोलो की जुड़वाँ बहन के नाम पर रखा गया है।
- यह एजेंसी के स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल का परीक्षण करेगा।
- SLS वर्ष 1960 और 1970 के दशक में इस्तेमाल किये गए सैटर्न वी रॉकेट के बाद से नासा द्वारा बनाई गई सबसे बड़ी नई ऊर्ध्वाधर लॉन्च प्रणाली है।
- आर्टेमिस I आने वाले दशकों में चंद्रमा पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति हेतु जटिल मिशनों की शृंखला में पहला मिशन होगा।
- आर्टेमिस I का प्राथमिक लक्ष्य स्पेसफ्लाइट वातावरण में ओरियन के सिस्टम का प्रदर्शन करना है और आर्टेमिस II के क्रू की पहली उड़ान से पूर्व सुरक्षित पुन: प्रवेश और पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करना है।
- आर्टेमिस I का प्राथमिक लक्ष्य स्पेसफ्लाइट वातावरण में ओरियन के सिस्टम का प्रदर्शन करना है और आर्टेमिस II के क्रू की पहली उड़ान से पूर्व सुरक्षित पुन: प्रवेश और पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करना है।
- यह केवल एक चंद्र ऑर्बिटर मिशन है, अधिकांश ऑर्बिटर मिशनों के विपरीत इसका पृथ्वी पर वापस आने का लक्ष्य है।
आर्टेमिस I मिशन का महत्त्व:
- आर्टेमिस I उस नए अंतरिक्ष युग में पहला कदम है जो मनुष्यों को नई दुनिया में ले जाने, अन्य ग्रहों पर उतरने और रहने या शायद एलियंस से मिलने के वादे का पूरा करेगा।
- यह जिन क्यूबसैट को ले जाएगा, वे विशिष्ट जाँच और प्रयोगों के लिये उपकरणों से लैस हैं, जिसमें पानी की खोज और हाइड्रोजन भी शामिल है इन्हें ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- इसमें जीव विज्ञान संबंधी प्रयोग किये जाएंगे और ओरियन पर डमी 'यात्रियों' के माध्यम से मनुष्यों पर गहरे अंतरिक्ष वातावरण के प्रभाव की भी जाँच की जाएगी।
आगामी आर्टेमिस मिशन:
- आर्टेमिस II:
- इसे वर्ष 2024 में लॉन्च किया जाएगा।
- आर्टेमिस II में ओरियन पर एक चालक दल होगा जो यह पुष्टि करेगा कि अंतरिक्ष यान के सभी सिस्टम डिज़ाइन किये गए अनुसार काम करें जब इसमें मानव सवार होंगे।
- लेकिन आर्टेमिस II का प्रक्षेपण आर्टेमिस I के समान ही होगा। चार अंतरिक्ष यात्रियों का एक दल ओरियन पर सवार होगा क्योंकि यह और ICPS चंद्रमा की दिशा में जाने से पूर्व दो बार पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं।
- आर्टेमिस III:
- यह 2025 के लिये निर्धारित है और इसके माध्यम से अपोलो मिशन के बाद पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाने की उम्मीद है।
भारत के चंद्रमा अन्वेषण प्रयास:
- चंद्रयान 1:
- चंद्रयान -1 चंद्रयान परियोजना के तहत चंद्रमा पर भारत का पहला मिशन था।
- इसे अक्तूबर 2008 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) SHAR, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 29 अगस्त, 2009 को चंद्रयान-1 के साथ संचार खो दिया।
- चंद्रयान-2:
- चंद्रयान-2 चंद्रमा पर भारत का दूसरा मिशन है और इसमें पूरी तरह से स्वदेशी ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) तथा रोवर (प्रज्ञान) का उपयोग करना शामिल हैं।
- रोवर (प्रज्ञान) को विक्रम लैंडर के अंदर रखा गया है।
- चंद्रयान-3:
- इसरो ने हाल ही में भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की घोषणा की, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।
- इसरो ने हाल ही में भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की घोषणा की, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से युग्म सही है/हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
फ्रेंडशोरिंग
प्रिलिम्स के लिये:फ्रेंडशोरिंग, सहयोगी शोरिंग, संरक्षणवाद, वैश्वीकरण। मेन्स के लिये:फ्रेंडशोरिंग के निहितार्थ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिकी ट्रेज़री सचिव ने भू-राजनीतिक जोखिम वाले देशों से परे व्यापार में विविधता लाने के लिये "फ्रेंडशोरिंग" पर ज़ोर दिया है।
फ्रेंडशोरिंग:
- · फ्रेंडशोरिंग एक रणनीति है जहाँ एक देश कच्चे माल, घटकों और यहाँ तक कि निर्मित वस्तुओं को उन देशों से प्राप्त करता है जो इसके मूल्यों को साझा करते हैं। इसमें आपूर्ति शृंखलाओं की स्थिरता के लिये "खतरा" माने जाने वाले देशों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो जाती है।
- इसे "एलीशोरिंग" भी कहा जाता है।
- अमेरिका के लिये रूस ने लंबे समय से खुद को एक विश्वसनीय ऊर्जा भागीदार के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन यूक्रेन युद्ध में, उसने यूरोप के लोगों के खिलाफ गैस को हथियार बनाया है।
- यह एक उदाहरण है कि कैसे सभी भागीदार देश दुर्भावना के चलते अपने स्वयं के लाभ के लिये भू-राजनीतिक लाभ उठाने या व्यापार को बाधित करने की कोशिश में अपने बाज़ार की स्थिति का उपयोग कर सकते हैं।
- अमेरिका के लिये रूस ने लंबे समय से खुद को एक विश्वसनीय ऊर्जा भागीदार के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन यूक्रेन युद्ध में, उसने यूरोप के लोगों के खिलाफ गैस को हथियार बनाया है।
- फ्रेंड-शोरिंग या एली-शोरिंग अमेरिका के लिये फर्मों को अपने सोर्सिंग और मैन्युफैक्चरिंग साइट्स को उन फ्रेंडली तटों पर ले जाने के लिये प्रभावित करने का एक साधन बन गया है जो अमेरिका से संबंधित हैं।
- फ्रेंडशोरिंग का लक्ष्य कम संगत देशों से आपूर्ति शृंखलाओं की रक्षा करना है, जैसे अमेरिका के मामले में चीन।
फ्रेंडशोरिंग के निहितार्थ क्या हो सकते हैं?
- फ्रेंडशोरिंग विश्व के देशों को व्यापार के लिये अलग-थलग कर सकता है और इससे वैश्वीकरण के लाभों की प्रकृति बिलकुल ही विपरीत हो जाएगी। यह "डीग्लोबलाइज़ेशन" प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
- कोविड-19 के वर्षों के लॉकडाउन से वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने के बाद किसी भी प्रकार का संरक्षणवाद पहले से ही अस्थिर वैश्विक आपूर्ति शृंखला को और बाधित करेगा।
- संरक्षणवाद का यह नया रूप वैश्विक आपूर्ति शृंखला और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हुए वैश्वीकरण के अनुकूल नहीं होगा और लंबी अवधि में इसका उल्टा प्रभाव पड़ सकता है। यदि कोई कंपनी बैटरी हेतु लिथियम या कंप्यूटर चिप्स जैसे कीमती धातु के लिये किसी देश पर निर्भर करती है, वह ऐसे में स्वयं को अलग थलग महसूस कर सकता है।
- इसके अलावा जैसा कि यह एक प्रवृत्ति बन जाती है, दुनिया धीरे-धीरे अलग हो जाएगी और देशों के लिये मानवता की भलाई हेतु एक साथ काम करना मुश्किल होगा।
निष्कर्ष
- आज की दुनिया एक साथ काम करने वाले देशों के मामले में अपने चरम पर पहुँच गई है।
- वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक देश द्वारा संपत्ति का उपयोग करके अर्थव्यवस्था के नुकसान को पूरा किया जाता है।
- हालाँकि हम अभी भी पूर्ण वैश्वीकरण से बहुत दूर हैं, और देशों के बीच कई मतभेद और यहाँ तक कि विवाद भी हैं, फिर भी वैश्विक आपूर्ति शृंखला के बेहतर भविष्य के लिये फ्रेंडशोरिंग एक अच्छा समाधान नहीं लगता है।
स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड
जनजातीय गौरव दिवस
प्रिलिम्स के लिये:जनजातीय गौरव दिवस, खासी, भील, मिज़ो, सिद्धू और कान्हू मुर्मू, बिरसा मुंडा, शहीद वीर नारायण सिंह मेन्स के लिये:जनजातीय नेता और स्वतंत्रता आंदोलन |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने जनजातीय गौरव दिवस (15 नवंबर. 2022) के अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
जनजातीय गौरव दिवस:
- सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और राष्ट्रीय गौरव, वीरता तथा आतिथ्य के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने में आदिवासियों के प्रयासों को मान्यता देने हेतु प्रतिवर्ष ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का आयोजन किया जाता है।
- उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कई आदिवासी आंदोलन किये। इन आदिवासी समुदायों में तामार, संथाल, खासी, भील, मिज़ो और कोल शामिल हैं।
आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी:
- बिरसा मुंडा:
- बिरसा मुंडा जिनका जन्म 15 नवंबर, 1875 को हुआ, वे छोटा नागपुर पठार की मुंडा जनजाति से संबंधित थे।
- वह भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक नेता और लोक नायक थे।
- उन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश शासन के दौरान आधुनिक झारखंड और बिहार के आदिवासी क्षेत्र में भारतीय जनजातीय धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया।
- बिरसा वर्ष 1880 के दशक में इस क्षेत्र में सरदारी लड़ाई आंदोलन के करीबी पर्यवेक्षक थे, जिसने अहिंसक माध्यमों जैसे कि ब्रिटिश सरकार को याचिका देने के आदिवासियों के अधिकारों को बहाल करने की मांग की थी। हालाँकि इन मांगों को कठोर औपनिवेशिक सत्ता ने नज़रअंदाज कर दिया।
- ज़मींदारी प्रथा के तहत आदिवासियों को ज़मींदारों से मज़दूरों में पदावनत कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप बिरसा ने आदिवासियों के मुद्दे को उठाया।
- बिरसा मुंडा ने एक नया धर्म बिरसैत बनाया।
- धर्म ने एक ही ईश्वर में विश्वास का प्रचार किया और लोगों से अपने पुराने धार्मिक विश्वासों पर लौटने का आग्रह किया। लोगों ने उन्हें प्रभावी धार्मिक उपासक, चमत्कारी कार्यकर्त्ता और एक उपदेशक के रूप में संदर्भित करना शुरू कर दिया।
- उरांव और मुंडा के लोग बिरसा के प्रति आश्वस्त हो गए और कई लोगों ने उन्हें 'धरती अब्बा, जिसका अर्थ है पृथ्वी का पिता' कहना शुरू कर दिया। उन्होंने धार्मिक क्षेत्र में एक नए दृष्टिकोण का प्रवेश कराया।
- बिरसा मुंडा ने विद्रोह का नेतृत्व किया जिसे ब्रिटिश सरकार द्वारा थोपी गई सामंती राज्यव्यवस्था के खिलाफ उल्गुलान (विद्रोह) या मुंडा विद्रोह के रूप में जाना जाने लगा।
- उन्होंने जनता को जागृत किया और ज़मींदारों के साथ-साथ अंग्रेज़ों के खिलाफ उनमें विद्रोह के बीज बोए।
- आदिवासियों के खिलाफ शोषण और भेदभाव के खिलाफ उनके संघर्ष के कारण 1908 में छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम पारित हुआ, जिसने आदिवासी लोगों से गैर-आदिवासियों को भूमि देने पर प्रतिबंध लगा दिया।
- शहीद वीर नारायण सिंह:
- उन्हें छत्तीसगढ़ में सोनाखान का गौरव माना जाता है, उन्होंने व्यापारी के अनाज के स्टॉक को लूट लिया और उन्हें 1856 के अकाल के बाद गरीबों में वितरित कर दिया।
- वीर नारायण सिंह के बलिदान ने उन्हें आदिवासी नेता बना दिया और वे 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ के पहले शहीद थे।
- श्री अल्लूरी सीता राम राजू:
- उनका जन्म 4 जुलाई, 1897 को आंध्र प्रदेश में भीमावरम के पास मोगल्लू नामक गाँव में हुआ था।
- अल्लूरी को अंग्रेज़ो के खिलाफ रम्पा विद्रोह का नेतृत्व करने के लिये याद किया जाता है जिसमें उन्होंने विदेशियों के खिलाफ विद्रोह करने के लिये विशाखापत्तनम और पूर्वी गोदावरी ज़िलों के आदिवासी लोगों को संगठित किया था।
- वह ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिये बंगाल के क्रांतिकारियों से प्रेरित थे।
- रानी गाइदिन्ल्यू:
- वह एक नगा आध्यात्मिक और राजनीतिक नेता थीं जिन्होंने भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था। 13 साल की उम्र में वह अपने चचेरे भाई हैपो जादोनांग के हेराका धार्मिक आंदोलन में शामिल हो गईंं।
- उनके लिये नगा लोगों की स्वतंत्रता की संघर्ष यात्रा भारत की स्वतंत्रता आंदोलन का एक व्यापक हिस्सा थी। उन्होंने गांधीजी के संदेश को मणिपुर में प्रचारित किया।
- सिद्धू और कान्हू मुर्मू:
- 1857 के विद्रोह से दो साल पहले 30 जून, 1855 को दो संथाली भाइयों सिद्धू और कान्हू मुर्मू ने 10,000 संथालों को एकजुट किया और अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह की घोषणा की।
- आदिवासियों ने अंग्रेज़ों को अपनी मातृभूमि से भगाने की शपथ ली। मुर्मू भाइयों की बहनों फुलो और झानो ने भी इस विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई।सिद्धू और कान्हू मुर्मू:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत के इतिहास के संदर्भ में "उलगुलान" अथवा महान उपद्रव (ग्रेट ट्युमुल्ट) निम्नलिखित में से किस घटना का वर्णन है? (2020) (a) 1857 का विद्रोह उत्तर: (d) |
स्रोत: पी.आई.बी.
G-20 शिखर सम्मेलन 2022
प्रिलिम्स के लिये:G-20 शिखर सम्मेलन, खाद्य सुरक्षा, काला सागर अनाज पहल (Black Sea Grain Intiative), पेरिस समझौता मेन्स के लिये:भारत की विदेश नीति में G20 का महत्त्व, भारत को शामिल करने वाले समूह और समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करते है |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में G-20 के 17वें वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की गई जिसे इंडोनेशिया की अध्यक्षता में बाली में 'रिकवर टुगेदर, रिकवर स्ट्रॉन्गर' विषय के तहत आयोजित किया गया।
- अब भारत ने G-20 की अध्यक्षता का प्रभार संभाल लिया है और 18वाँ शिखर सम्मेलन 2023 में भारत में आयोजित किया जाएगा।
शिखर सम्मेलन के परिणाम:
- रूसी आक्रामकता की निंदा:
- सदस्य देशों ने यूक्रेन में रूस की आक्रामकता की "कड़े शब्दों में" निंदा करते हुए एक घोषणा को अपनाया और इसे बिना शर्त वापस लेने की मांग की।
- उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की निंदा की, "स्थिति और प्रतिबंधों को लेकर विभिन्न विचार और अलग-अलग आकलन थे"।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था पर फोकस:
- G-20 अर्थव्यवस्थाओं ने अपनी घोषणा में ब्याज दरों में वृद्धि को सावधानीपूर्वक गति देने पर सहमति व्यक्त की और मुद्रा के मामले में "बढ़ी हुई अस्थिरता" को लेकर चेतावनी दी है, जिसमें कोविड-19 महामारी को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- खाद्य सुरक्षा:
- नेताओं ने खाद्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये समन्वित कार्रवाई करने का वादा किया और ब्लैक सी ग्रेन पहल की सराहना की।
- जलवायु परिवर्तन:
- G-20 नेताओं ने वैश्विक तापमान वृद्धि को5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, यह पुष्टि करते हुए कि वे जलवायु परिवर्तन पर 2015 पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य के साथ खड़े हैं।
- डिजिटल परिवर्तन:
- नेताओं ने सतत् विकास लक्ष्यों तक पहुँचने में डिजिटल परिवर्तन के महत्त्व को पहचाना।
- उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं, लड़कियों और कमज़ोर स्थितियों में रह रहे लोगों के लिये डिजिटल परिवर्तन के सकारात्मक प्रभावों का दोहन करने हेतु डिजिटल कौशल एवं डिजिटल साक्षरता को और अधिक विकसित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित किया।
- स्वास्थ्य:
- नेताओं ने स्वस्थ और स्थायी रिकवरी को बढ़ावा देने के लिये अपनी निरंतर प्रतिबद्धता व्यक्त की जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को प्राप्त करने और उसे बनाए रखने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।
- उन्होंने विश्व बैंक द्वारा आयोजित महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया ('महामारी कोष') के लिये एक नए वित्तीय मध्यस्थ कोष की स्थापना का स्वागत किया।
- नेताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अग्रणी और समन्वय भूमिका तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से समर्थन के साथ वैश्विक स्वास्थ्य शासन को मज़बूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
जी-20 के सदस्य देशों के समक्ष चुनौतियाँ:
- यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का प्रभाव:
- रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण ने न केवल बड़े पैमाने पर भू-राजनीतिक अनिश्चितता पैदा की है बल्कि वैश्विक मुद्रास्फीति को भी बढ़ा दिया है।
- पश्चिम द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है।
- कई देशों में ऐतिहासिक मुद्रास्फीति के उच्च स्तर ने इन देशों में क्रय शक्ति को कम कर दिया है, इस प्रकार आर्थिक विकास को धीमा कर दिया है।
- बढ़ती मुद्रास्फीति का प्रभाव:
- उच्च मुद्रास्फीति के जवाब में देशों के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में वृद्धि की है जिसके कारण आर्थिक गतिविधियों में कमी आई है।
- यूएस और यूके जैसी कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ मंदी का सामना करने के लिये तैयार हैं; अन्य, जैसे कि यूरो क्षेत्र के देशों की गति धीमी होकर लगभग ठप होने की संभावना है।
- उच्च मुद्रास्फीति के जवाब में देशों के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में वृद्धि की है जिसके कारण आर्थिक गतिविधियों में कमी आई है।
- प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की मंदी:
- वैश्विक विकास के प्रमुख इंजनों में से एक चीन में तीव्र मंदी देखी जा रही है क्योंकि यह एक रियल एस्टेट संकट से जूझ रहा है।
- बढ़ते भू-राजनीतिक मतभेद:
- विश्व की अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक बदलावों से जूझ रही है, जैसे कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव, जिन्हें दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ माना जाता है या फिर ब्रेक्ज़िट निर्णय के मद्देनज़र ब्रिटेन और यूरोपीय क्षेत्र के बीच व्यापार में गिरावट।
G-20 समूह:
- परिचय:
- G20 का गठन वर्ष 1999 के दशक के अंत के वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था, जिसने विशेष रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को प्रभावित किया था।
- इसका उद्देश्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करना है।
- साथ में G20 देशों में दुनिया की 60% आबादी, वैश्विक जीडीपी का 80% और वैश्विक व्यापार का 75% शामिल है।
- सदस्य:
- G20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
आगे की राह
- जी-20 देशों का पहला काम बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण करना है।
- साथ ही सरकारों को कर्ज़ के स्तर को अनिवार्य रूप से बढ़ाए बिना कमज़ोर लोगों की मदद करने के तरीके खोजने होंगे। इससे संबंधित एक प्रमुख चिंता यह सुनिश्चित करना होगा कि बाहरी ज़ोखिमों की सावधानीपूर्वक निगरानी की जाए।
- एक मज़बूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी रिकवरी के लिये G-20 द्वारा संयुक्त कार्रवाई की आवश्यकता है और बदले में इस तरह की संयुक्त कार्रवाई के लिये यूक्रेन में शांति स्थापित करने के साथ-साथ "आने वाले समय में उसके विखंडन को रोकने में मदद" की भी आवश्यकता है।
- व्यापार को लेकर G-20 नेताओं को "अधिक खुले, स्थिर और पारदर्शी नियम-आधारित व्यापार" पर ज़ोर देने की आवश्यकता है जो वस्तु की वैश्विक कमी को दूर करने में मदद करेगा।
- वैश्विक मूल्य शृंखलाओं के लचीलेपन को मज़बूत करने से भविष्य के झटकों से बचने में मदद मिलेगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न: निम्नलिखित में से किस एक समूह में चारों देश G-20 के सदस्य हैं? (a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। |
स्रोत: द हिंदू
कार्बन बॉर्डर टैक्स
प्रिलिम्स के लिये:कार्बन बॉर्डर टैक्स, यूरोपियन यूनियन, COP-27, बेसिक, CBDR-RC, रियो डिक्लेरेशन। मेन्स के लिये:कार्बन बॉर्डर टैक्स और संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सहित विभिन्न देशों के संघ ने शर्म अल शेख, मिस्र में पार्टियों के सम्मेलन (COP) के 27वें संस्करण में यूरोपीय संघ (EU) द्वारा प्रस्तावित कार्बन बॉर्डर टैक्स का संयुक्त रूप से विरोध किया है।
कार्बन बॉर्डर टैक्स:
- कार्बन बॉर्डर टैक्स उत्पाद के उत्पादन से उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन की मात्रा के आधार पर आयात पर एक शुल्क है। यह कार्बन को कीमती बनाकर उत्सर्जन को हतोत्साहित करता है। व्यापार से संबंधित उपाय के रूप में यह उत्पादन और निर्यात को प्रभावित करता है।
- यह प्रस्ताव यूरोपीय आयोग के यूरोपीय ग्रीन डील का हिस्सा है जो वर्ष 2050 तक यूरोप को पहला जलवायु-तटस्थ महाद्वीप बनाने का प्रयास करता है।
- कार्बन बॉर्डर टैक्स यकीनन राष्ट्रीय कार्बन टैक्स में एक सुधार है।
- राष्ट्रीय कार्बन टैक्स एक ऐसा शुल्क है जिसे सरकार देश के भीतर किसी भी उस कंपनी पर लगाती है जो जीवाश्म ईंधन का उपयोग करती है।
कार्बन टैक्स लगाने का कारण:
- यूरोपीय संघ और जलवायु परिवर्तन शमन: यूरोपीय संघ ने वर्ष 1990 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में कम से कम 55% की कटौती करने की घोषणा की है। अब तक इन स्तरों में 24% की गिरावट आई है।
- हालाँकि आयात से होने वाले उत्सर्जन का यूरोपीय संघ द्वारा CO2 उत्सर्जन में 20% योगदान है जिसमे और भी वृद्धि देखी जा रही है।
- इस प्रकार का कार्बन टैक्स अन्य देशों को GHG उत्सर्जन कम करने तथा यूरोपीय संघ के कार्बन पदचिह्न को और कम करने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
- कार्बन लीकेज़: यूरोपीय संघ की उत्सर्जन व्यापार प्रणाली कुछ व्यवसायों के लिये उस क्षेत्र में संचालन को महँगा बनाती है।
- यूरोपीय संघ के अधिकारियों को डर है कि ये व्यवसाय उन देशों में अपना व्यवसाय स्थानांतरित करना पसंद कर सकते हैं जहाँ उत्सर्जन सीमा को लेकर विशेष सीमाएँ नहीं हैं।
- इसे 'कार्बन लीकेज़' के रूप में जाना जाता है और इससे दुनिया में कुल उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
- यूरोपीय संघ के अधिकारियों को डर है कि ये व्यवसाय उन देशों में अपना व्यवसाय स्थानांतरित करना पसंद कर सकते हैं जहाँ उत्सर्जन सीमा को लेकर विशेष सीमाएँ नहीं हैं।
मुद्दे:
- ‘बेसिक’ (BASIC) देशों की प्रतिक्रिया: ‘BASIC’ देशों (ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन) के समूह ने एक संयुक्त बयान में यूरोपीय संघ के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह ‘भेदभावपूर्ण’ एवं समानता तथा 'समान परंतु विभेदित उत्तरदायित्वों और संबंधित क्षमताओं' (CBDR-RC) के सिद्धांत के विरुद्ध है।
- ये सिद्धांत स्वीकार करते हैं कि विकसित देश जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने हेतु विकासशील और संवेदनशील देशों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु उत्तरदायी हैं।
- भारत पर प्रभाव: यूरोपीय संघ भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। यूरोपीय संघ, भारत निर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि कर भारतीय वस्तुओं को खरीदारों के लिये कम आकर्षक बना देगा जो मांग को कम कर सकता है।
- यह कर बड़ी ग्रीनहाउस गैस फुटप्रिंट वाली कंपनियों के लिये निकट भविष्य में गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न करेगा।
- ‘रियो घोषणा’ के साथ असंगत: पर्यावरण के लिये दुनिया भर में एक समान मानक स्थापित करने की यूरोपीय संघ की धारणा ‘रियो घोषणा’ के अनुच्छेद-12 में निहित वैश्विक सहमति के विरुद्ध है, जिसके मुताबिक, विकसित देशों के लिये लागू मानकों को विकासशील देशों पर लागू नहीं किया जा सकता है।
- जलवायु-परिवर्तन व्यवस्था में परिवर्तन: इन आयातों की ग्रीनहाउस सामग्री को आयात करने वाले देशों की ग्रीनहाउस गैस सूची में भी समायोजित करना होगा, जिसका अनिवार्य रूप से तात्पर्य है कि जीएचजी सूची को उत्पादन के आधार पर नहीं बल्कि खपत के आधार पर गिना जाना चाहिये।
- यह पूरे जलवायु परिवर्तन व्यवस्था को उलट देगी।
- संरक्षणवादी नीति: नीति को संरक्षणवाद का प्रच्छन्न रूप भी माना जा सकता है।
- संरक्षणवाद सरकारी नीतियों को संदर्भित करता है जो घरेलू उद्योगों की सहायता के लिये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित करता है। ऐसी नीतियों को आमतौर पर घरेलू अर्थव्यवस्था के भीतर आर्थिक गतिविधियों में सुधार के लक्ष्य के साथ लागू किया जाता है।
- इसमें जोखिम है कि यह एक संरक्षणवादी उपकरण बन जाता है, जो स्थानीय उद्योगों को तथाकथित 'हरित संरक्षणवाद' में विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाता है।
आगे की राह
- भारत यूरोपीय संघ की इस नीति का लक्ष्य नहीं है, लक्ष्य रूस, चीन और तुर्की हैं जो कार्बन के बड़े उत्सर्जक हैं तथा यूरोपीय संघ को इस्पात एल्यूमीनियम के प्रमुख निर्यातक हैं।
- भारत के विपक्ष में सबसे आगे होने का कोई कारण नहीं है। इसके बज़ाय उसे सीधे यूरोपीय संघ से बात करनी चाहिये और द्विपक्षीय रूप से इस मुद्दे को सुलझाना चाहिये।
- सीमाओं पर आयातित सामानों पर शुल्क लगाने हेतु कार्बन बॉर्डर टैक्स जैसा तंत्र स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रेरित कर सकता है।
- लेकिन यदि यह नई तकनीकों और वित्त की पर्याप्त सहायता के बिना होता है, तो यह विकासशील देशों के लिये नुकसानदेह हो जाएगा।
- जहाँ तक भारत का संबंध है उसे इस कर के लागू होने से होने वाले फायदों और नुकसानों का आकलन करना चाहिये तथा द्विपक्षीय दृष्टिकोण के साथ यूरोपीय संघ से बात करनी चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से किसने अप्रैल, 2016 में अपने नागरिकों के लिये डेटा संरक्षण और गोपनीयता पर एक कानून को अपनाया, जिसे 'सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन' के रूप में जाना जाता है तथा 25 मई, 2018 से इसका कार्यान्वयन शुरू किया? (2019) (a) ऑस्ट्रेलिया उत्तर: (C) प्रश्न. व्यापक-आधारयुक्त व्यापार और निवेश करार (Broad-based Trade and Investment Agreement- BTIA)’ कभी-कभी समाचारों में भारत और निम्नलिखित में से किस एक के बीच बातचीत के संदर्भ में दिखाई पड़ता है? (2017) (a) यूरोपीय संघ उत्तर: (A) |
स्रोत: द हिंदू
सुगम्य भारत अभियान
प्रिलिम्स के लिये:सुगम्य भारत अभियान, विकलांग व्यक्तियों के लिये सरकार की पहल मेन्स के लिये:सुगम्य भारत अभियान का प्रदर्शन, संबंधित पहल |
चर्चा में क्यों?
सुगम्य भारत अभियान (Accessible Indian Campaign- AIC) दिसंबर 2022 में 7 साल पूरे करने जा रहा है।
- अभियान का उद्देश्य पूरे देश में दिव्यांगजनों (विकलांग व्यक्तियों - PwDs) के लिये बाधा मुक्त और अनुकूल वातावरण बनाना है।
सुगम्य भारत अभियान:
- परिचय:
- इसे 3 दिसंबर, 2015 को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था।
- कार्यान्वयन एजेंसी:
- AIC सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन अधिकारिता विभाग (DEPwD) का राष्ट्रव्यापी अभियान है।
- पृष्ठभूमि:
- दिव्यांगजन (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 स्पष्ट रूप से परिवहन एवं निर्मित वातावरण में गैर-भेदभाव का प्रावधान करता है।
- यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCRPD) का अनुपालन करने के लिये पीडब्ल्यूडी अधिनियम, 1995 को प्रतिस्थापित किया।
- यूएनसीआरपीडी जिसका भारत एक हस्ताक्षरकर्त्ता है, के अनुच्छेद 9 के अंतर्गत पीडब्ल्यूडी की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये सरकारों पर दायित्व डालता है:
- सूचना
- परिवहन
- भौतिक वातावरण
- संचार प्रौद्योगिकी
- सेवाओं के साथ-साथ आपातकालीन सेवाओं तक पहुँच।
- दिव्यांगजन (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 स्पष्ट रूप से परिवहन एवं निर्मित वातावरण में गैर-भेदभाव का प्रावधान करता है।
- एआईसी के घटक:
- निर्मित पर्यावरण पहुँच
- परिवहन प्रणाली अभिगम्यता
- सूचना और संचार इको-सिस्टम पहुँच
सुगम्य भारत अभियान का प्रदर्शन:
- निर्मित वातावरण:
- 1671 भवनों की अभिगम लेखा परीक्षा पूरी।
- केंद्र सरकार के 1030 भवनों सहित 1630 सरकारी भवनों को सुलभता की विशेषताएं प्रदान की गई हैं।
- परिवहन क्षेत्र:
- हवाई अड्डा:
- 35 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों और 55 घरेलू हवाई अड्डों को पहुँच की विशेषताएँ प्रदान की गई हैं।
- 12 हवाई अड्डों पर एम्बुलिफ्ट उपलब्ध हैं।
- रेलवे:
- सभी 709 ए1, ए और बी श्रेणी के रेलवे स्टेशनों को सात अल्पकालिक सुविधाएँ प्रदान की गई हैं।
- 603 रेलवे स्टेशनों को 2 दीर्घकालिक सुविधाएँ प्रदान की गई हैं।
- रोडवेज:
- 1,45,747 (29.05%) बसों को आंशिक रूप से सुलभ बनाया गया है और 8,695 (5.73%) को पूरी तरह से सुलभ बनाया गया है
- आईसीटी पारिस्थितिकी तंत्र (वेबसाइट):
- केंद्र और राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की लगभग 627 वेबसाइटों को सुलभ बनाया गया है।
- टीवी देखने में सुगमता:
- 19 निजी समाचार चैनल आंशिक रूप से सुलभ समाचार बुलेटिनों का प्रसारण कर रहे हैं।
- 2,447 समाचार बुलेटिनों का प्रसारण सबटाइटलिंग/साइन-लैंग्वेज इंटरऑपरेशन के साथ किया गया है।
- 9 सामान्य मनोरंजन चैनलों ने सबटाइटलिंग का उपयोग करके 3686 अनुसूचित कार्यक्रमों / फिल्मों का प्रसारण किया है।
- शिक्षा:
- 11,68,292 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में से, 8,33,703 स्कूलों (71%) को रैंप, हैंडरेल और सुलभ शौचालयों के प्रावधान के साथ मुक्त बनाया गया है।
- निगरानी:
- सुगम्य भारत अभियान के तहत गतिविधियों की निगरानी प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) पोर्टल के माध्यम से की जा रही है।
- सुगम्य भारत एप:
- बुनियादी ढाँचे और सेवाओं में ज़मीनी स्तर पर सामना की जा रही पहुँच की शिकायतों को क्राउडसोर्स करने में मदद करना और निवारण के लियेअग्रेषित करना।
- संसाधनों तक पहुँच वाले महत्त्व के बारे में संवेदीकरण और जागरूकता पैदा करने में सहायता करना।
- दिव्यांगजनों की कोविड-19 से संबंधित शिकायतें को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
विकलांगों के सशक्तीकरण के लिये पहलें:
- भारतीय:
- वैश्विक:
- अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस
- विकलांग लोगों के लिये संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्र. क्या दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 समाज में इच्छित लाभार्थियों के सशक्तीकरण और समावेशन के लिये प्रभावी तंत्र सुनिश्चित करता है? विचार-विमर्श कीजिये। (2017) |