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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चंद्रयान- 3 एवं गगनयान

  • 02 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

चंद्रयान-3, गगनयान, Indian Air Force, इसरो का दूसरा लॉन्च पोर्ट, ISRO

मेन्स के लिये:

गगनयान एवं भारतीय प्रौद्योगिकी के निहितार्थ, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और भारत, चंद्रयान मिशन का वैश्विक परिदृश्य में महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इसरो (Indian Space Research Organisation- ISRO) चीफ ने चंद्रयान-3 और गगनयान (भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम) से संबंधित कुछ नवीन घोषणाएँ की हैं। इसके अंतर्गत चन्द्रयान-3 अभियान को 2021 तक एवं गगनयान अभियान को 2022 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की गई है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

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  • इसरो चंद्रयान -3 के साथ-साथ गगनयान परियोजना पर समानांतर रूप से काम कर रहा है। ध्यातव्य है कि अंतरिक्ष एजेंसी पहले ही गगनयान के लिये एक सलाहकार समिति का गठन कर चुकी है।
  • इसरो चीफ के अनुसार, सरकार ने चंद्रयान-3 अभियान को मंज़ूरी दे दी है और चंद्रयान-3 मिशन के 2021 तक पूरा होने की संभावना है।
  • गगनयान के संबंध में इसरो चीफ ने निम्नलिखित जानकारियाँ प्रदान की हैं-
    • भारतीय वायु सेना (Indian Air Force- IAF) के चार पायलट जनवरी महीने में रूस के लिये रवाना होंगे, जहाँ वे गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
    • गौरतलब है कि उन्हें फिटनेस और उनके धैर्य परीक्षण के बाद इस मिशन के लिये चुना गया है।
    • उनका प्रारंभिक परीक्षण IAF के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAF’s Institute of Aerospace Medicine), बंगलूरू और रूस में किया गया था।
    • पिछले वर्ष भारत और रूस की अंतरिक्ष एजेंसियों के मध्य हुए समझौते के अनुसार, चारों अंतरिक्ष यात्री जनवरी के तीसरे सप्ताह में मास्को के यूरी गेगरिन कॉस्मोनॉट सेंटर (Yuri Gagarin Cosmonaut Centre) में प्रशिक्षण के लिये रवाना होंगे।
    • इसरो के अनुसार, ह्यूमनॉइड (Humanoid) के साथ गगनयान की दो पूर्व उड़ानों में से पहली को इस साल के अंत में लॉन्च किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त इसरो अपने दूसरे लॉन्च पोर्ट के निर्माण की भी तैयारी कर रहा है, ध्यातव्य है कि तमिलनाडु सरकार ने इसरो के दूसरे लॉन्च पोर्ट के लिये थूथुकुडी (Thoothukudi) ज़िले में 2,300 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का कार्य शुरू कर दिया है। वर्तमान में उपग्रहों को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्च किया जाता है।
  • नव निर्मित लॉन्च पोर्ट से मुख्य रूप से छोटे उपग्रह लॉन्च वाहन (Small Satellite Launch Vehicle- SSLV) प्रक्षेपित किये जाएंगे। SSLV अंतरिक्ष में 500 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है। गौरतलब है कि SSLV और लॉन्च पोर्ट दोनों अभी विकासाधीन है।

चंद्रयान- 3 के बारे में

  • चंद्रयान- 3; चंद्रयान-2 का उत्तराधिकारी है और यह चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। गौरतलब है कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग के कारण यह चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
  • इसरो चीफ के अनुसार, चंद्रयान- 3 में लैंडर और रोवर के साथ एक प्रोपल्शन मॉड्यूल भी होगा।
  • इसरो चीफ के अनुसार, चंद्रयान- 3 से संबंधित टीम का गठन किया जा चुका है और इस मिशन पर सुचारु रूप से कार्य प्रारंभ है।

चंद्रयान- 3 की लागत

  • इसरो के अनुसार, चंद्रयान -3 मिशन की कुल लागत 600 करोड़ रुपए से अधिक होगी। जबकि चंद्रयान-2 की कुल लागत लगभग 1000 करोड़ रुपए थी।
  • चंद्रयान -3 मिशन में लैंडर, रोवर, और प्रॉपल्शन मॉड्यूल के लिये 250 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जबकि मिशन के लॉन्च पर 365 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस प्रकार इस मिशन की कुल लागत 615 करोड़ रुपए होगी।

गगनयान के बारे में

  • गगनयान की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री द्वारा अगस्त 2018 में की गई थी। इस मिशन को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है तथा इस मिशन की लागत लगभग 1000 करोड़ रुपए है।
  • गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम है।
  • इस मिशन को 400 कि.मी. की कक्षा में 3-7 क्रू सदस्यों को अंतरिक्ष में 3-7 दिन बिताने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

स्त्रोत: द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस

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