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जैव विविधता और पर्यावरण

BASIC देशों की बैठक

  • 04 Nov 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

BASIC, बेसिक, कोपेनहेगन समझौता, हरित जलवायु कोष, UNFCCC

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बेसिक (BASIC) देशों (ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन) के पर्यावरण मंत्रियों का सम्मेलन बीजिंग (चीन) में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन के बाद पेरिस समझौते (वर्ष 2015) के व्यापक कार्यान्वयन के लिये एक बयान जारी किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • पेरिस समझौते पर प्रतिबद्धता व्यक्त करने के साथ ही मंत्रियों के समूह ने विकसित देशों से विकासशील देशों को 100 बिलियन डॉलर, जलवायु वित्त (Climate Finance) के रूप में प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने का भी आह्वान किया।
    • कोपेनहेगन समझौते- Copenhagen Accord {संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-15) 2009 के दौरान स्थापित} के तहत विकसित देशों ने वर्ष 2012 से वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर देने का वादा किया था।
    • इस फंड को हरित जलवायु कोष (Green Climate Fund- GCF) के रूप में जाना जाता है।
    • GCF का उद्देश्य विकासशील और अल्प विकसित देशों (Least Developing Countries) को जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से समाधान में सहायता करना है।
    • हालाँकि वर्तमान में विकसित देशों द्वारा केवल 10-20 बिलियन डॉलर की सहायता राशि प्रदान की जा रही है ।
  • बैठक का आयोजन समान लेकिन विभेदित जिम्मेदारियाँ और संबंधित क्षमताएँ (Common but Differentiated Responsibilities and Respective Capabilities: CBDR-RC) के सिद्धांतों के आधार पर किया गया।
    • CBDR-RC संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) के तहत एक सिद्धांत है जो जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में अलग-अलग देशों की विभिन्न क्षमताओं और अलग-अलग ज़िम्मेदारियों का आह्वान करता है।
  • बैठक में UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल (वर्ष 1997-2012) और पेरिस समझौते के पूर्ण, प्रभावी एवं निरंतर कार्यान्वयन के महत्त्व को भी रेखांकित किया गया।

स्रोत: द हिंदू

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