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डेली न्यूज़

  • 16 Apr, 2022
  • 53 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन धूमकेतु

प्रीलिम्स के लिये:

बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन धूमकेतु, धूमकेतु, नासा, हबल स्पेस टेलीस्कोप, सी/2014 यूएन271, प्लूटो, जुपिटर, कुइपर बेल्ट, हैली धूमकेतु, ऊर्ट क्लाउड। 

मेन्स के लिये:

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक नवाचार और खोजें। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (National Aeronautics and Space Administration’s- NASA) के हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है कि विशाल बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन धूमकेतु वास्तव में खगोलविदों द्वारा देखा गया अब तक का सबसे बड़ा बर्फीला धूमकेतु है।  

  • नाभिक को C/2014 UN271 कहा जाता है जिसका अनुमानित व्यास लगभग 129 किलोमीटर है। 
  • नाभिक अधिकांश ज्ञात धूमकेतुओं की तुलना में लगभग 50 गुना बड़ा है और इसका द्रव्यमान लगभग 500 ट्रिलियन टन होने का अनुमान है। 

हबल स्पेस टेलीस्कोप: 

  • इसे 1990 में नासा द्वारा लॉन्च किया गया था और इसका नाम एडविन हबल के सम्मान में रखा गया था, जो 20वीं शताब्दी की शुरुआत में एक प्रतिष्ठित अमेरिकी खगोलशास्त्री थे। 
  • यह टेलीस्कोप एक अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है, इसने प्लूटो के चारों ओर चंद्रमा तथा बृहस्पति में दुर्घटनाग्रस्त होने वाले धूमकेतु सहित अंतर-तारकीय वस्तुओं से संबंधित महत्त्वपूर्ण अवलोकन किये हैं। 
  • वर्तमान में यह टेलीस्कोप 30 वषों से अधिक समय से परिचालन में है। 
  • दिसंबर 2021 में नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप,जो एक क्रांतिकारी उपकरण है, को लॉन्च किया गया, यह ब्रह्मांड में सबसे अधिक दूरी तक देखने के लिये बनाया गया था। 
    • इसे हबल टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी भी माना जाता है तथा यह अपनी खोजों का विस्तार और बड़े स्तर पर करेगा।

बर्नार्डिनेली-बरस्टीन धूमकेतु:

  • धूमकेतु की खोज खगोलविदों- पेड्रो बर्नार्डिनेली और गैरी बर्नस्टीन ने चिली में एक खगोलीय वेधशाला में डार्क एनर्जी सर्वे से प्राप्त अभिलेखीय छवियों के आधार पर की थी।  
    • इसे नवंबर 2010 में खोजा गया था और तब से इसका गहन अध्ययन किया जा रहा है।
  • यह धूमकेतु एक लाख से अधिक वर्षों से सूर्य की ओर गतिशील है और माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति ऊर्ट क्लाउड (धूमकेतुओं का बादल) में हुई थी। 
    • ऊर्ट क्लाउड सौरमंडल का एक दूरस्थ क्षेत्र है और अनुमान है कि यह अधिकांश धूमकेतुओं का स्रोत है।
    • ऊर्ट क्लाउड अभी भी केवल एक सैद्धांतिक अवधारणा है, धूमकेतुओं को सीधे देखा जाना मुश्किल है क्योंकि ये बहुत धुंधले और दूरी पर स्थित हैं। वर्ष 1950 में पहली बार इसकी परिकल्पना डच खगोलशास्त्री जान और्ट द्वारा की गई थी।
  • बर्नार्डिनेली-बर्नस्टीन धूमकेतु 3 मिलियन वर्ष तथा लंबी अंडाकार कक्षा का अनुसरण करता है तथा इसका अनुमानित तापमान माइनस 348 डिग्री फारेनहाइट है।
    • यह इतना गर्म है कि अपनी सतह से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) को उर्ध्वपातित कर देता है जिससे धूलयुक्त कोमा (Dusty Coma) उत्पन्न होता है। 

‘कार्बन मोनोआक्साइड’ के विषय में:  

  • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और अत्यधिक ज़हरीली गैस है, जो हवा से थोड़ी कम सघन होती है।  
  • यह वातावरण में अल्पकालिक (केवल कुछ महीनों तक) अवधि के लिये रहती है। 
  • यह आंतरिक दहन इंजनों के निकास एवं विभिन्न अन्य ईंधनों के अधूरे दहन से उत्पन्न होती है। 

धूमकेतु क्या है?

  • धूमकेतु धूल और बर्फ से बनी बड़ी वस्तुएँ हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करती हैं। 
    • धूमकेतु शब्द लैटिन शब्द 'कोमेटा' से आया है जिसका अर्थ है 'लंबे बालों वाला'। 
  • धूमकेतु देखे जाने का सबसे पहला ज्ञात रिकॉर्ड 1059 ईसा पूर्व एक ज्योतिषी द्वारा बनाया गया था। 
  • धूमकेतु या 'डर्टी स्नोबॉल' ज्यादातर धूल, चट्टानों और बर्फ से बने होते हैं तथा उनकी चौड़ाई कुछ मील से लेकर 10 मील तक हो सकती है। 
  • जब वे सूर्य के करीब परिक्रमा करते हैं, तो गर्म हो जाते हैं और धूल एवं गैसों का मलबा छोड़ते हैं। 
    • धूमकेतु के ठोस भाग जिनमें अधिकतर पानी, बर्फ और धूल के कण होते हैं, सूर्य से दूर होने पर निष्क्रिय हो जाते हैं। 
    • जब सूर्य के पास बर्फीली धूमकेतु सतहें वाष्पीकृत हो जाती हैं और बड़ी मात्रा में गैस व धूल फेंकती हैं, तो धूमकेतु के आसपास विशाल वातावरण का निर्माण होता है।  
    • इसके कारण एक चमकते आवरण का निर्माण होता है, जो अक्सर एक ग्रह से बड़ा हो सकता है और मलबा एक पूँछ जैसी आकृति का निर्माण करता है, जो लाखों मील तक फैली हो सकती है।  
    • हर बार जब कोई धूमकेतु सूर्य के पास से गुज़रता है, तो वह अपनी कुछ सामग्री खो देता है और अंततः यह पूरी तरह से गायब हो जाता है।  
    • गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धूमकेतु कभी-कभी सूर्य एवं पृथ्वी के आस-पास की कक्षाओं में आ जाते हैं। 

धूमकेतु कहाँ से आते हैं? 

  • नासा के अनुसार, लाखों धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, वहीं अब तक 3,650 से अधिक ज्ञात धूमकेतु हैं। 
    • पूर्वानुमेय धूमकेतु: 
      • पूर्वानुमेय धूमकेतु लघु अवधि के धूमकेतु होते हैं, जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने में 200 वर्ष से कम समय लेते हैं। 
        • ये प्रायः 'कुइपर बेल्ट’ में पाए जा सकते हैं, जहाँ कई धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा करते हैं। 
        • सबसे प्रसिद्ध लघु-अवधि के धूमकेतुओं में से एक ‘हैली’ धूमकेतु है, जो प्रत्येक 76 वर्षों में फिर से प्रकट होता है। हैली को अगली बार वर्ष 2062 में देखा जाएगा। 
    • कम पूर्वानुमेय धूमकेतु: 
      • कम-अनुमानित धूमकेतु ऊर्ट क्लाउड में पाए जा सकते हैं जो सूर्य से लगभग 100,000 AU (खगोलीय इकाई जो पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी है तथा लगभग 150 मिलियन किमी. है) या पृथ्वी व सूर्य के बीच की दूरी से 100,000 गुना अधिक दूरी पर स्थित है।
      • इस क्लाउड में धूमकेतु सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 30 मिलियन वर्ष तक का समय ले सकते हैं।  

Kuiper-Belt

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. क्षुदग्रहों तथा धूमकेतु के बीच क्या अंतर होता है? (2011) 

1- क्षुदग्रह लघु चट्टानी ग्रहिकाएँ (प्लेनेटॉयड) हैं, जबकि धूमकेतु हिमशीतित गैसों से निर्मित होते हैं जिन्हें चट्टानी और धातु पदार्थ आपस में बाँधे रखता है। 
2- क्षुद्रग्रह अधिकांशतः वृहस्पति और मंगल के परिक्रमा-पथों के बीच पाए जाते हैं, जबकि धूमकेतु अधिकांशतः शुक्र और बुध के बीच पाए जाते हैं। 
3- धूमकेतु गोचर दीप्तिमान पुच्छ दर्शाते हैं, जबकि क्षुदग्रह यह नहीं दर्शाते। 

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 1 और 3 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (b)

  • क्षुद्रग्रह छोटे और चट्टानी पिंड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। हालाँकि क्षुद्रग्रह ग्रहों की तरह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, लेकिन वे ग्रहों की तुलना में बहुत छोटे होते हैं। 
  • हमारे सौरमंडल में बहुत सारे क्षुद्रग्रह हैं। उनमें से अधिकांश मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट (मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच का क्षेत्र) में पाए जाते हैं। 
  • धूमकेतु जमी हुई गैसों, चट्टान और धूल के ब्रह्मांडीय स्नोबॉल (Snowballs) हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। जब धूमकेतु की कक्षा इसे सूर्य के करीब लाती है, तो यह गर्म हो जाता है तथा अधिकांश ग्रहों की तुलना में बड़े चमकदार धूल और गैस निकलती है जो एक पूँछ बनाती है तथा सूर्य से लाखों मील दूर तक फैली होती हैं। अत: कथन 1 और 3 सही हैं। 
  • कुइपर बेल्ट और उससे भी अधिक दूर ऊर्ट क्लाउड में सूर्य की परिक्रमा करने वाले अरबों धूमकेतुओं के होने की संभावना है। अतः कथन 2 सही नहीं है। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

'e-DAR' पोर्टल

प्रिलिम्स के लिये:

'e-DAR' (ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट), सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा।

मेन्स के लिये:

सड़क सुरक्षा, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 'e-DAR' (ई-विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट) नामक पोर्टल विकसित किया है।

  • यह पोर्टल सड़क दुर्घटनाओं की तत्काल जानकारी प्रदान करता है और दुर्घटना के मुआवज़े दावों को तेज़ी से निपटाने में मदद करता है ताकि पीड़ित परिवारों को राहत मिल सके।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति:

  • सड़क सुरक्षा एक प्रमुख विकासात्मक और सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है, जो दुनिया भर में मौत एवं चोट का एक प्रमुख कारण बना हुआ है।
  • वैश्विक सड़क सुरक्षा स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क दुर्घटना के कारण वैश्विक स्तर पर 1.35 मिलियन से अधिक लोगों की मौत होती है, जिसमें से 90% से अधिक लोग विकासशील देशों से और 11% अकेले भारत से होते हैं।
  • भारत में वर्ष 2019 में दुर्घटना के कारण हुई मौतों की संख्या 1,51,113 थी।

‘e-DAR’ पोर्टल के लाभ:

  • एकीकृत डेटाबेस: आसान पहुँच के लिये डिजिटलीकृत विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (DAR) को पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
    • वेब पोर्टल को एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (iRAD) से जोड़ा जाएगा।
    • एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (iRAD) से 90% से अधिक डेटासेट को एप्प्लीकेशन के माध्यम से सीधे ही ‘e-DAR’ पोर्टल में पहुँचा दिया जाएगा।
    • पुलिस, सड़क प्राधिकरण, अस्पताल आदि जैसे हितधारकों को ‘e-DAR’ फॉर्म के लिये बहुत कम जानकारी दर्ज करने की आवश्यकता होती है।
    • इस प्रकार, ‘e-DAR’ पोर्टल iRAD का विस्तार एवं ई-संस्करण होगा।
  • फर्जी दावों से निपटना: DAR पोर्टल दुर्घटना में शामिल वाहनों, दुर्घटना की तारीख और प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या की व्यापक तलाशी द्वारा फर्जी दावों के खिलाफ जाँच करेगा।
  • क्रॉस-प्लेटफॉर्म लिंकेज: पोर्टल को अन्य सरकारी पोर्टलों से जोड़ा जाएगा जिससे वाहन या ड्राइविंग लाइसेंस संबंधी विवरण तथा वाहनों के पंजीकरण के बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी।
  • दुर्घटना हॉटस्पॉट की पहचान करना: दुर्घटना हॉटस्पॉट की भी पहचान की जाएगी ताकि इन हॉटस्पॉट पर दुर्घटनाओं से बचने हेतु समाधान प्राप्त किया जा सके।

सड़क सुरक्षा से संबंधित अन्य पहलें:

  • वैश्विक स्तर:
    • सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा (2015):
      • ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा पर दूसरे वैश्विक उच्च स्तरीय सम्मेलन में घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए। भारत घोषणापत्र का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
      • देशों ने सतत् विकास लक्ष्य 3.6 यानी वर्ष 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों की संख्या में कमी लाने की योजना बनाई है।
    • संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह:
      • यह प्रत्येक दो वर्ष में मनाया जाता है। इसके छठे संस्करण (17 से 23 मई, 2021 तक आयोजित) ने सड़क सुरक्षा के लिये मज़बूत नेतृत्व की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
    • अंतर्राष्ट्रीय सड़क मूल्यांकन कार्यक्रम (iRAP):
      • यह एक पंजीकृत चैरिटी है जो सुरक्षित सड़कों के माध्यम से लोगों की जान बचाने हेतु समर्पित है।
  • भारत:
    • मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019:
      • यह अधिनियम यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, जुवेनाइल ड्राइविंग आदि के लिये दंड में वृद्धि करता है।
      • यह एक मोटर वाहन दुर्घटना कोष की स्थापना करता है, जो भारत में सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को कुछ विशेष प्रकार की दुर्घटनाओं के लिये अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगा।
      • अधिनियम एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड को मंज़ूरी प्रदान करता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से स्थापित किया जाना है।
      • यह मदद करने वाले व्यक्तियों के संरक्षण का भी प्रावधान करता है। 
    • सड़क मार्ग द्वारा वहन अधिनियम, 2007: 
      • यह अधिनियम सामान्य माल वाहकों के विनियमन से संबंधित प्रावधान करता है, उनकी देयता को सीमित करता है और उन्हें वितरित किये गए माल के मूल्य की घोषणा करता है ताकि ऐसे सामानों के नुकसान या क्षति के लिये देयता का निर्धारण किया जा सके, जो लापरवाही या आपराधिक कृत्यों के कारण स्वयं, उनके नौकरों या एजेंटों के कारण हुआ हो। 
    • राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2000:
      • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के भीतर भूमि का नियंत्रण, रास्ते का अधिकार और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात का नियंत्रण करने संबंधी प्रावधान प्रदान करता है तथा साथ ही उन पर अनधिकृत कब्ज़े को हटाने का भी प्रावधान करता है।
    • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1998:
      • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिये एक प्राधिकरण के गठन और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों से संबंधित प्रावधान करता है।

स्रोत: द हिंदू 


सामाजिक न्याय

समेकित बाल विकास योजना

प्रीलिम्स के लिये:

प्रवासी मज़दूर, आंँगनवाड़ी सेवा योजना, केंद्र प्रायोजित योजना।

मेन्स के लिये:

समेकित बाल विकास योजना का महत्त्व, प्रवासी श्रमिकों और बच्चों से संबंधित योजनाएंँ।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा समेकित बाल विकास सेवाओं (Integrated Child Development Services- ICDS) की निरंतरता बनाए रखने हेतु पोषण आपूर्ति, टीकाकरण और स्वास्थ्य जांँच आदि की निरंतरता के साथ प्रवासी श्रमिकों/मज़दूरों की आवाजाही को चित्रित करने के उद्देश्य से एक माइग्रेशन ट्रैकिंग सिस्टम (Migration Tracking System- MTS) एप्लीकेशन विकसित किया है।

  • MTS एक वेबसाइट आधारित एप्लीकेशन है जो व्यक्तिगत विशिष्ट पहचान संख्या के माध्यम से मौसमी प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही को ट्रैक करता है।
  • आंँगनवाड़ी केंद्रों में पंजीकृत 18 वर्ष तक के बच्चे, स्तनपान कराने वाली माताओं और गर्भवती महिलाओं सहित प्रवासी लाभार्थियों को उनके मूल स्थानों पर लौटने तक राज्य के भीतर या बाहर उनके गंतव्य ज़िलों में उनके परिवारों के लिये आईसीडीएस की पहुँच को सुनिश्चित करने हेतु ट्रैक किया जाएगा।

समेकित बाल विकास योजना (ICDS):

  • ICDS के बारे में:
    • आईसीडीएस महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे वर्ष 1975 में लॉन्च किया गया था।

ICDS

ICDS के तहत योजनाएँ:

  • आंँगनवाड़ी सेवा योजना: 
    • यह बचपन की देखभाल और विकास के लिये एक अनूठा कार्यक्रम है।
    • इस योजना के लाभार्थी 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे, गर्भवती महिलाएंँ और स्तनपान कराने वाली माताएंँ हैं।
    • यह छह सेवाओं का एक पैकेज प्रदान करता है जिसमें पूरक पोषण, स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांँच तथा  रेफरल सेवाएंँ शामिल हैं।
    • पूरक पोषण में टेक होम राशन ( Take Home Ration- THR), गर्म पका हुआ भोजन और सुबह का नाश्ता शामिल है। निर्धन परिवारों के लिये इसका विशेष महत्त्व है क्योंकि यह बच्चों के पोषण संबंधी परिणाम को प्रभावित करता है।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना:
    • PMMVY के तहत सभी पात्र लाभार्थियों को तीन किश्तों में 5,000 रुपए दिये जाते हैं और शेष 1000 रुपए की राशि जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत मातृत्व लाभ की शर्तों के अनुरूप संस्थागत प्रसूति करवाने के बाद दी जाती है। इस प्रकार औसतन एक महिला को 6,000 रुपए प्राप्त होते हैं।
  • राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना:
    • इसके तहत कामकाजी महिलाओं के बच्चों (6 माह से 6 वर्ष की आयु वर्ग) को दिन भर देखभाल की सुविधा प्रदान करना है। 
    • शिशुगृह एक महीने में 26 दिन एवं प्रतिदिन साढ़े सात घंटे के लिये खुला रहता है।
    • इसमें बच्चों को पूरक पोषण, प्रारंभिक चाइल्ड कैयर शिक्षा, स्वास्थ्य और सोने की सुविधा प्रदान की जाती है।
  • किशोरियों के लिये योजना:
    • इसका उद्देश्य 11-14 वर्ष आयु वर्ग में स्कूल के अतिरिक्त किशोरियों को पोषण, जीवन कौशल एवं घरेलू कौशल प्रदान कर उनकी सामाजिक स्थिति को सशक्त बनाना और सुधारना है। 
    • इस योजना में पोषक और गैर-पोषक तत्त्व शामिल हैं जो इस प्रकार हैं; लौह तथा फोलिक एसिड पूरकता; स्वास्थ्य जाँच एवं रेफरल सेवा;  स्‍वास्‍थ्‍य, स्‍वच्‍छता, पोषण के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना, स्‍कूल के अलावा अन्य बाह्य किशारियों को औपचारिक/अनौपचारिक शिक्षा में शा‍मिल करना तथा विद्यमान सरकारी सेवाओं के बारे में सूचना/मार्गदर्शन प्रदान करना है।  
  • बाल संरक्षण योजना:
    • इसका उद्देश्य कठिन परिस्थितियों में बच्चों के सुधार और कल्याण हेतु योगदान देना है, साथ ही बच्चों के दुरुपयोग, उपेक्षा, शोषण, परित्याग तथा परिवार आदि से अलगाव का मार्ग प्रशस्त करने वाली कार्यवाहियों को रोकना।
  • पोषण अभियान:
    • इसका उद्देश्य छोटे बच्चों में कुपोषण/अल्पपोषण, एनीमिया को कम करके, किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं पर ध्यान केंद्रित करके स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया की रोकथाम के साथ जन्म के समय कम वज़न वाले बच्चों के स्तर में सुधार करना है।

ICDS का उद्देश्य:

  • 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना।
  • बच्चे के उचित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक विकास की नींव रखना।
  • मृत्यु दर, रुग्णता, कुपोषण और स्कूल छोड़ने की घटनाओं को कम करना।
  • बाल विकास को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न विभागों के बीच नीति और कार्यान्वयन का प्रभावी समन्वय स्थापित करना।
  • माता में उचित पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से बच्चों के सामान्य स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी आवश्यकताओं की देखभाल करने की क्षमता बढ़ाना। 
  • किशोर लड़कियों (AGs) को सुविधा प्रदान करना,  उन्हें शिक्षित और सशक्त बनाना ताकि वे आत्मनिर्भर एवं जागरूक नागरिक बन सकें।

अन्य समान सरकारी योजनाएँ: 

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM):
    • राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन (NHM) को वर्ष 2013 में शुरू किया गया था, जिसके उप-मिशन के रूप में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन को सम्मिलित किया गया था। 
    • इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • कार्यक्रम के मुख्य घटकों में प्रजनन-मातृ-नवजात-बाल एवं किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A) और संचारी व गैर-संचारी रोगों के लिये ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करना शामिल है।
  • मध्याह्न भोजन योजना:
    • मध्याह्न भोजन योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो वर्ष 1995 में शुरू की गई थी।
    • इस कार्यक्रम के तहत विद्यालय में नामांकित I से VIII तक की कक्षाओं में अध्ययन करने वाले छह से चौदह वर्ष की आयु के हर बच्चे को पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है।
    • यह शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के अंतर्गत आता है।
  • राष्ट्रीय पोषण रणनीति:
    • रणनीति का उद्देश्य सबसे कमज़ोर और महत्त्वपूर्ण आयु समूहों पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्ष 2030 तक सभी प्रकार के कुपोषण को कम करना है।
    • इसका उद्देश्य पोषण और स्वास्थ्य से संबंधित सतत् विकास लक्ष्यों के हिस्से के रूप में पहचाने गए लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करना भी है।
    • इसे नीति आयोग ने जारी किया है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित मे से कौन-से मूलतः ‘समावेशी शासन’ के अंग कहे जा सकते हैं? (2012)

  1. गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनियों को बैकिंग सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति देना
  2. सभी ज़िलों में प्रभावी ज़िला योजना समितियाँ संगठित करना
  3. जन-स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय में बढ़ोतरी करना
  4. मध्याह्न भोजन योजना का सशक्तीकरण करना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)

  • शासन एक निर्णय लेने की प्रक्रिया है जिसमें अधिक लोगों और हितधारकों को शामिल किया जाता है। समावेशी शासन, नागरिकों की भागीदारी के माध्यम से समग्र स्वीकृति का पक्षधर है जो नीतियों के कार्यान्वयन को आसान बनाता है।
  • ज़िला योजना समिति की स्थापना से अपने क्षेत्र की विकास योजना में लोगों की भागीदारी बढ़ेगी। साथ ही इससे समावेशी शासन सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी। अत: 2 सही है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ने से देश की मानव पूंजी में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप समावेशी विकास होगा। अत: 3 सही है।
  • मध्याह्न भोजन योजना के सुदृढ़ होने से नामांकन अनुपात के साथ-साथ बच्चों के पोषण स्तर में वृद्धि होगी, जिससे बच्चों का समग्र विकास होगा। अत: 4 सही है।
  • एनबीएफसी को बैंकिंग की अनुमति देने का समावेशी शासन से कोई सीधा संबंध नहीं है। अतः 1 सही नहीं है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 


भारतीय अर्थव्यवस्था

साउथ एशिया इकोनाॅमिक फोकस: विश्व बैंक

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व बैंक,साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस, जीडीपी, जीवीए, उच्च तेल और खाद्य मूल्य।

मेन्स के लिये:

महिलाओं से संबंधित मुद्दे, साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस, दक्षिण एशिया में जीडीपी विकास को प्रभावित करने वाले कारक।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस (द्वि-वार्षिक) में भारत और पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिये अपने आर्थिक विकास के पूर्वानुमान में कटौती की।

साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस वर्तमान के आर्थिक विकास का वर्णन, यूक्रेन में युद्ध के दक्षिण एशिया पर आर्थिक प्रभाव का विश्लेषण, विकास के पूर्वानुमान के साथ-साथ ज़ोखिम परिदृश्य प्रदान करता है और इसने यह निष्कर्ष निकाला है कि अर्थव्यवस्थाओं को फिर से आकार देने के लिये मानदंडों को पुनः आकार देने की आवश्यकता है।

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुमान:

  • चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिये भारत की विकास दर को 8.7% के पिछले अनुमान से घटाकर 8% कर दिया जाए।
  • अफगानिस्तान को छोड़कर 1% की कटौती दक्षिण एशिया के लिये विकास दृष्टिकोण को 6.6% तक इंगित करती है।
  • जून में समाप्त होने वाले चालू वर्ष के लिये इस क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पाकिस्तान हेतु अपने विकास पूर्वानुमान को 3.4% से बढ़ाकर 4.3% कर दिया और अगले वर्ष के विकास दृष्टिकोण को 4% पर अपरिवर्तित रखा है।

कम जीडीपी अनुमान के लिये ज़िम्मेदार कारक:

  • बिगड़ती आपूर्ति शृंखला और यूक्रेन संकट के कारण बढ़ता मुद्रास्फीति ज़ोखिम।
  • भारत में महामारी और मुद्रास्फीति के दबाव तथा श्रम बाज़ार की रिकवरी से घरेलू खपत बाधित होगी।
  • यूक्रेन में युद्ध के कारण तेल और खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों का लोगों की वास्तविक आय पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • ऊर्जा आयात पर क्षेत्र की निर्भरता का मतलब है कि कच्चे तेल की उच्च कीमतों ने अर्थव्यवस्थाओं को मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने के लिये मjबूर किया है, न कि लगभग दो वर्षों की महामारी के दौरान प्रतिबंधों के बाद आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने के लिये।

सकल घरेलू उत्पाद (GDP):

  • यह किसी देश की आर्थिक गतिविधि का एक उपाय है। यह किसी देश की वस्तुओं और सेवाओं के वार्षिक उत्पादन का कुल मूल्य है।
  • जीडीपी = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + निर्यात-आयात।

सकल मूल्यवर्द्धित (GVA) और जीडीपी (GDP) में अंतर:

  • GVA अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन और आय का एक उपाय है। यह उन वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में इनपुट और कच्चे माल की लागत में की गई कटौती के बाद अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की संख्या के लिये मौद्रिक मूल्य प्रदान करता है।
  • यह किसी विशिष्ट क्षेत्र, उद्योग या अर्थव्यवस्था की विशिष्ट तस्वीर भी प्रदान करता है।
  • मैक्रो स्तर पर राष्ट्रीय लेखा परिप्रेक्ष्य से GVA किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद और अर्थव्यवस्था में सब्सिडी एवं करों का योग है।
    • सकल मूल्यवर्द्धन = GDP + उत्पादों पर सब्सिडी - उत्पादों पर कर।

महिलाओं से संबंधित निष्कर्ष:

  • पारंपरिक दृष्टिकोण: लिंग के प्रति पारंपरिक दृष्टिकोण और गहरी जड़ें सामाजिक मानदंड निर्मित करते  रहे हैं या समय के साथ अधिक रूढ़िवादी हो गए हैं।
    • वे लैंगिक समानता, बच्चों के कल्याण के साथ-साथ व्यापक आर्थिक विकास की दिशा में एक प्रमुख बाधा हो सकते हैं।
  • महिलाओं द्वारा नुकसान का सामना: दशकों के आर्थिक विकास, बढ़ती शिक्षा और घटती प्रजनन क्षमता के बावजूद महिलाओं को इस क्षेत्र में आर्थिक अवसरों तक पहुंँचने में भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
  • श्रम बल में भागीदारी: कई दक्षिण एशियाई देश महिला श्रम शक्ति भागीदारी के साथ-साथ अन्य प्रकार की लैंगिक असमानताओं जैसे- आंदोलन की स्वतंत्रता, सामाजिक संपर्क, संपत्ति के स्वामित्व और बेटे को वरीयता के मामले में वैश्विक स्तर पर सबसे निम्न स्तर पर हैं।
  • कम आर्थिक गतिविधि: दुनिया भर में विकास के उच्च स्तर पर महिलाएंँ घर के कामों में कम समय और भुगतान वाले रोज़गार में अधिक समय व्यतीत करती हैं। हालांँकि अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों में  महिलाओं का आर्थिक गतिविधियों में जुड़ाव अपेक्षा से कम है जो इस क्षेत्र के विकास के स्तर को देखते हुए अपेक्षित होगा।   
  • रूढ़िवादी विश्वास: कुछ अपवादों के साथ दक्षिण एशियाई देशों में घरेलू श्रम विभाजन संबंधी रूढ़िवादी विश्वास महिलाओं के आर्थिक जुड़ाव में इन बड़े अंतरालों हेतु ज़िम्मेदार है।

प्रमुख सुझाव:

  • योजनागत नीतियांँ: सरकारों को बाहरी झटकों का मुकाबला करने और कमज़ोर लोगों की सुरक्षा हेतु  मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों की सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता है।. 
  • महिलाओं के लिये हस्तक्षेप: देशों को उन हस्तक्षेपों को लागू करने की आवश्यकता है जो महिलाओं की आर्थिक भागीदारी में बाधाओं को कम करते हैं, जिसमें महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह वाले मानदंड भी शामिल हैं।  
  • लो कार्बन डेवलपमेंट: देशों को भी कम कार्बन विकास पथ पर तीव्रता के साथ  कार्य करना चाहिये और ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने हेतु एक हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना चाहिये।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षो के प्रश्न:

प्रश्न:  निम्नलिखित में से कौन विश्व के देशों को 'ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स' रैंकिंग जारी करता है? (2017)

(a) विश्व आर्थिक मंच
(b) संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
(c) संयुक्त राष्ट्र महिला
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a)

  • ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट का प्रकाशन वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा किया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  


शासन व्यवस्था

नौसेना के स्वदेशीकरण का प्रयास

प्रिलिम्स के लिये:

रक्षा क्षेत्र से संबंधित पहलें।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण, रक्षा के स्वदेशीकरण का महत्त्व तथा संबंधित चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?

रक्षा आयात में कटौती एवं घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास के अनुरूप नौसेना विशेष रूप से हथियारों एवं विमानन से संबंधित वस्तुओं में स्वदेशीकरण के प्रयासों को तीव्र कर रही है।

  • यूक्रेन में चल रहे युद्ध एवं रूसी हथियारों तथा उपकरणों पर भारतीय सेना की बड़े पैमाने पर निर्भरता के कारण स्वदेशीकरण के प्रयासों में और तेज़ी आई है।
  • इससे पहले रक्षा मंत्रालय (MoD) ने 101 वस्तुओं की ‘तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण’ सूची जारी की है, जिसमें प्रमुख उपकरण/प्लेटफॉर्म शामिल हैं।

स्वदेशीकरण हेतु नौसेना के प्रयास:

  • भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना 2015-2030:
    • वर्ष 2014 में नौसेना ने उपकरण एवं हथियार प्रणाली के स्वदेशी विकास को सक्षम करने के लिये भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना (INIP) 2015-2030 को प्रख्यापित किया था।
    • अब तक नौसेना ने इस योजना के तहत लगभग 3400 वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया है, जिसमें 2000 से अधिक मशीनरी और बिजली पुर्जे, 1000 से अधिक विमानन पुर्जे और 250 से अधिक हथियार शामिल हैं।
  • नौसेना उड्डयन स्वदेशीकरण रोडमैप 2019-22:
    • मौजूदा नौसेना उड्डयन स्वदेशीकरण रोडमैप (NAIR) 2019-22 भी संशोधन के अधीन है।
    • संशोधित NAIR 2022-27 में सभी तेज़ गति वाले विमान अनिवार्य पुर्जे और उच्च लागत वाले स्वदेशी मरम्मत उपकरणों को शामिल किया जा रहा है।
    • फाइट कंपोनेंट (जो कि स्वयं हथियार हैं) पर विशेष ध्यान दिया जाता है, क्योंकि फ्लोट एवं मूव कंपोनेंट्स की तुलना में इस क्षेत्र में अभी और अधिक कार्य किया जाना है।
    • फ्लोट कंपोनेंट के रूप में जहाज़ होता है, मूव कंपोनेंट्स में ‘प्रणोदन’ शामिल होता है तथा फाइट कंपोनेंट में हथियार और सेंसर शामिल होते हैं।
  • स्वदेशीकरण समितियाँ:
    • नौसेना विमानों के पुर्जों के स्वदेशीकरण की देखभाल के लिये चार आंतरिक स्वदेशीकरण समितियों का गठन किया गया है।
  • नौसेना संपर्क प्रकोष्ठ:
    • इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर स्थित नौसेना संपर्क प्रकोष्ठों (NLCs) को 'स्वदेशीकरण प्रकोष्ठ' के रूप में नामित किया गया है।
      • वर्तमान में 41 जहाज़ और पनडुब्बियांँ निर्माणाधीन हैं जिसमे से 39 भारत के शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं, जबकि सैद्धांतिक रूप से भारत में 47 जहाज़ों के निर्माण हेतु रक्षा मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त है।
      • वर्ष 2014 से आवश्यकता की स्वीकृति (Acceptance of Necessity- AoN) का 78%, और अनुबंध के 68% मूल्य के आधार पर भारतीय विक्रेताओं को प्रदान किये गए हैं।
        • AoN ने टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
  • DRDO के साथ सहयोग::
    • नौसेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा उद्योग के साथ विकास की समयसीमा में कटौती हेतु कार्य कर रही है।
      • कुछ फोकस क्षेत्रों में स्वदेशी डिज़ाइन और विकसित एंटी-सबमरीन हथियार, सेंसर, सैटकॉम, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण, एंटी-शिप मिसाइल, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, युद्ध प्रबंधन प्रणाली, सॉफ्टवेयर, रेडियो, नेटवर्क एन्क्रिप्शन डिवाइस  लिंक II संचार प्रणाली, पनडुब्बियों हेतु मुख्य बैटरी, सोनार प्रणाली, मिसाइलों और टॉरपीडो के घटक आदि शामिल हैं।
  • नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO):
    • इसे अगस्त 2020 में लॉन्च किया गया। यह भारतीय नौसेना क्षमता विकास तंत्र के साथ शिक्षा और उद्योग के लिये एक लचीला व सुलभ इंटरफ़ेस प्रदान करता है।
    • पिछले दो वर्षों में नौसेना कर्मियों द्वारा 36 बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) हेतु आवेदन दायर किये गए हैं।
      • NIIO के निर्माण और 12 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों (MSMEs) को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बाद से हर महीने दो से अधिक आईपीआर आवेदन दायर किये जा चुके हैं।
  • नौसेना परियोजना प्रबंधन टीमों के तहत यूज़र इनपुट:
    • नौसेना ने अब डीआरडीओ के क्लस्टर मुख्यालय में नौसेना परियोजना प्रबंधन टीमों के माध्यम से यूज़र इनपुटका उपयोग किया हैं और ऐसे दो क्लस्टर पहले से ही चालू हैं। 
    • ये भारतीय नौसेना की लड़ाकू क्षमता को विकसित करने हेतु चल रही 15 भविष्य की प्रौद्योगिकियों और 100 से अधिक DRDO परियोजनाओं के लिये प्रत्येक चरण में यूज़र इनपुट प्रदान करने हेतु DRDO प्रयोगशालाओं तथा उनके विकास सह-उत्पादन भागीदारों (Development cum Production Partners- DcPP) के साथ इंटरफेस (Interface) कर चुके हैं।
  • मेक I और मेक II:
    • खरीद प्रक्रिया के विभिन्न घरेलू विकास मार्गों के तहत नौसेना के 20 से अधिक मेक I और मेक II पर अधिक ज़ोर दिया जा रहा है।
      • पूंजी अधिग्रहण की 'मेक' श्रेणी मेक इन इंडिया पहल की आधारशिला है जो सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी के माध्यम से स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण करना चाहती है।
      • 'मेक-आई' सरकार द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं को संदर्भित करता है, जबकि 'मेक-द्वितीय' उद्योग-वित्तपोषित कार्यक्रमों को कवर करता है।
        • 'मेक-I भारतीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ लाइट टैंक और संचार उपकरण जैसे बड़े- प्लेटफॉर्मों के विकास में शामिल है।
        • मेक-II श्रेणी में सैन्य हार्डवेयर का प्रोटोटाइप विकास या आयात प्रतिस्थापन के लिये इसका उन्नयन शामिल है जिसके लिये सरकारी धन उपलब्ध नहीं कराया जाता है।

रक्षा का स्वदेशीकरण:

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

काला सागर और रूस

प्रिलिम्स के लिये:

काला सागर की भौगोलिक स्थिति

मेन्स के लिये:

यूक्रेन के खिलाफ रूस का युद्ध, काला सागर का रूस के लिये महत्त्व, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो)।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में काला सागर में रूसी जहाज़ी बेड़े के प्रमुख युद्धपोत मोस्कवा का डूबना चाहे वह यूक्रेनी मिसाइल हमले के कारण हो या जैसा कि रूस का दावा है कि यह बोर्ड पर आग लगने के कारण डूबा है यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस के लिये एक गंभीर झटका है।

प्रमुख बिंदु 

काला सागर की भौगोलिक स्थिति:

  • तटीय भौगोलिक स्थिति: काला सागर उत्तर और उत्तर पश्चिम में यूक्रेन, पूर्व में रूस तथा जॉर्जिया, दक्षिण में तुर्की एवं पश्चिम में बुल्गारिया व रोमानिया से घिरा हुआ है।
  • समुद्री भौगोलिक स्थिति: यह बोस्पोरस जलडमरूमध्य के माध्यम से मरमारा सागर से तथा डारडेनेल्स जलडमरूमध्य के माध्यम से एजियन सागर से जुड़ा है।

Black-Sea

रूस के लिये काला सागर का महत्त्व: 

  • सामरिक महत्त्व: काला सागर क्षेत्र पर प्रभुत्व रूस की एक भू-रणनीतिक अनिवार्यता है जो भूमध्य सागर में रूसी शक्ति को संरक्षित करने और दक्षिणी यूरोप के प्रमुख बाज़ारों के लिये आर्थिक प्रवेश द्वार को सुरक्षित करने हेतु महत्त्वपूर्ण है।
    • भूमध्य सागर का प्रवेश द्वार: यह परंपरागत रूप से यूरोप के लिये रूस का गर्म पानी का प्रवेश द्वार रहा है।
    • सामरिक बफर: यह उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और रूस के बीच एक रणनीतिक बफर के रूप में कार्य करता है।
  • ब्लैक सी फ्लीट: रूस वर्ष 2014 के क्रीमिया संकट के बाद से काला सागर पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने हेतु प्रयास कर रहा है।
    • इस प्रकार रूस ने काला सागर में अपने काला सागर नौसैनिक बेड़े को तैनात कर दिया है।
    • काला सागर बेड़ा: काला सागर बेड़े का एक लंबा इतिहास है और माना जाता है कि इसकी स्थापना वर्ष 1783 में हुई थी।
      • इसमें काला सागर, आज़ोव सागर और पूर्वी भूमध्य सागर में रूसी नौसेना के युद्धपोत शामिल हैं तथा इसका मुख्यालय क्रीमिया प्रायद्वीप के प्रमुख बंदरगाह सेवस्तोपोल (Sevastopo) में है।

काला सागर में रूस का हित:

  • मौज़ूदा आक्रमण के दौरान, काला सागर पर वर्चस्व स्थापित करना रूस का प्रमुख उद्देश्य रहा है।
  • मारियुपोल पर कब्ज़ा: रूस द्वारा डोनेट्स्क के पूर्वी यूक्रेनी ओब्लास्ट में आज़ोव बंदरगाह के सागर मारियुपोल पर कब्ज़ा करने के प्रयास किये गए हैं।
  • ओडेसा पर कब्ज़ा: रूस से उम्मीद की जा रही थी कि वह क्रीमिया के पश्चिम में ओडेसा पर अपने सैन्य प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
    • यदि रूस ओडेसा क्षेत्र को घेर लेता है तो यूक्रेन अपने काला सागर तट का उपयोग नहीं कर  पाएगा और वास्तव में एक भूमि से घिरे देश के रूप में सिमट कर रह जाएगा।
    • यह यूक्रेन का सबसे बड़ा क्षेत्र भी है जो प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों के साथ एक महत्त्वपूर्ण ऊर्जा एवं परिवहन गलियारे के रूप में है।
    • राइन-मेन-डेन्यूब नहर काला सागर को अटलांटिक महासागर से जोड़ती है तथा ओडेसा का बंदरगाह यूक्रेन और बाहरी दुनिया के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है।

रूस की संभावनाएँ:

  • युद्धपोत मोस्कवा के नुकसान से ‘ओडेसा’ शहर पर एक प्रत्याशित हमले पर रोक लगने की उम्मीद है।
  • इस घटना का मतलब है कि यूक्रेन पर हमला करने के बाद से रूस की अब तक दो प्रमुख नौसैनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचा है, इनमें पहला रूस का एलीगेटर क्लास लैंडिंग जहाज़ सेराटोव था।
  • दोनों घटनाओं के चलते रूस द्वारा काला सागर में अपनी समुद्री स्थिति और क्षमता की समीक्षा करने की संभावना है।

Ukraine

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2019)

   सागर                        सीमावर्ती देश

  1. एड्रियाटिक सागर          :  अल्बानिया
  2. काला सागर                : क्रोएशिया
  3. कैस्पियन सागर            :  कज़ाखस्तान
  4. भूमध्य सागर               :  मोरक्को
  5. लाल सागर                 :  सीरिया

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?

(a) केवल 1, 2 और 4 
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 5 
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


प्रश्न. तुर्की अवस्थित है: (2014)

(a) काला सागर और कैस्पियन सागर
(b) काला सागर और भूमध्य सागर
(c) स्वेज की खाड़ी और भूमध्य सागर
(d) अकाबा की खाड़ी और मृत सागर

उत्तर: (b)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


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