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सामाजिक न्याय

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

  • 18 Dec 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

मेन्स के लिये:

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना से संबंधित विवाद

चर्चा में क्यों?

अखिल भारतीय मातृत्व लाभ कार्यक्रम ‘प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना’ (The Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana-PMMVY) की अपवर्जनात्मक प्रकृति के लिये आलोचना की गई है।

अपवर्जनात्मक प्रकृति के कारण:

  • इस योजना का लाभ किसी महिला को केवल पहले बच्चे के जन्म के आधार पर मिलता है।
  • इस योजना में पंजीकरण के लिये आवेदक महिला को अपने पति का आधार संबंधी विवरण प्रदान करना होता है जिससे एकल महिलाएँ, अविवाहित माताएँ, अभित्यक्त पत्नियाँ और विधवा महिलाएँ इस योजना का लाभ उठाने से वंचित रह जाती हैं।
  • इस योजना में आवेदन करने की न्यूनतम आयु 19 वर्ष है अतः 18 वर्ष से कम आयु की नवविवाहिता इस योजना का लाभ उठाने से वंचित रह जाती हैं।
  • पहले शिशु को जन्म देने वाली लगभग 30-35% महिलाएँ 18 वर्ष से कम आयु की हैं।
  • नवजात के माता-पिता से अलग-अलग यह प्रमाण लिया जाता है कि वह उस महिला और उसके पति से पहला जीवित बच्चा है।
  • लाभार्थी महिला को अपने वैवाहिक घर का पता संबंधी दस्तावेज़ प्रस्तुत करना पड़ता है, अतः यह नवविवाहित महिलाओं के लिये चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान सामान्यतः उन्हें घर में रहने तथा आराम करने की आवश्यकता होती है।
  • दस्तावेज़ीकरण की जटिल प्रक्रिया के कारण हाशिये पर रहने वाली महिलाओं जैसे- यौनकर्मी, हिरासत में रहने वालीं महिलाएँ, प्रवासी और संघर्ष के बाद की स्थितियों में रहने वालीं महिलाएँ इस योजना का लाभ नहीं उठा पाती हैं।
  • एक महिला कार्यकर्त्ता के अनुसार, महिलाओं को आवेदन प्रक्रिया के दौरान भारी रिश्वत देनी पड़ती है।

PMMVY

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

(The Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana):

  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की शुरुआत 1 जनवरी, 2017 को देश भर में गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के कल्याण हेतु की गई थी।
  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है।
  • इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को सीधे उनके बैंक खाते में नकद लाभ प्रदान किया जाता है ताकि बढ़ी हुई पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा किया जा सके और वेतन हानि की आंशिक क्षतिपूर्ति की जा सके।
  • लक्षित लाभार्थी: सभी गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ, जिन्हें केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक उपक्रमों में नियमित रूप से रोज़गार पर रखा गया है या जो किसी भी कानून के तहत समान लाभ प्राप्त कर रही हैं।
  • PMMVY के तहत सभी पात्र लाभार्थियों को तीन किश्तों में 5,000 रुपए दिये जाते हैं और शेष 1000 रुपए की राशि जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत मातृत्व लाभ की शर्तों के अनुरूप संस्थागत प्रसूति करवाने के बाद दी जाती है। इस प्रकार औसतन एक महिला को 6,000 रुपए प्राप्त होते हैं

इस योजना में बच्चों की संख्या का प्रावधान समाप्त कर सभी महिलाओं, चाहे वे औपचारिक या अनौपचारिक क्षेत्र, वेतन या अवैतनिक कार्य में संलग्न हों, को शामिल किया जाना चाहिये तथा इन प्रतिबंधों को हटाकर इस योजना को सार्वभौमिक बनाने की आवश्यकता है। ज़मीनी स्तर की कार्यकर्ताओं को संबंधित महिलाओं की समस्याओं तथा चिंताओं को सरकार तक पहुँचाने में सहायता करनी चाहिये।

स्रोत- द हिंदू

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