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शासन व्यवस्था

सात नए रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (DPSUs)

  • 18 Oct 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आत्मनिर्भर भारत, सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम, आयुध निर्माणी बोर्ड

मेन्स के लिये:

रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री ने आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के पुनर्गठन के माध्यम से बनाए गए सात रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (PSU) को राष्ट्र को समर्पित किया।

  • 'आत्मनिर्भर भारत' (Self-Reliant India) के तहत भारत का लक्ष्य देश को आत्मनिर्भरता की स्थिति प्रदान कर एक बड़ी सैन्य शक्ति बनाना है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय
    • विघटन और समामेलन:
      • केंद्र सरकार ने चार दशक पुराने आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) को भंग करने का आदेश दिया और सात नई राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों के तहत 41 फैक्ट्रियों को मिलाकर रक्षा हार्डवेयर से लेकर भारी हथियारों और वाहनों तक का निर्माण किया।
        • इन नई कंपनियों का मुख्यालय पाँच शहरों में है।
      • OFB आयुध कारखानों और संबंधित संस्थानों के लिये एक अंब्रेला निकाय था और रक्षा मंत्रालय (MoD) का एक अधीनस्थ कार्यालय था। यह 41 कारखानों, 9 प्रशिक्षण संस्थानों, 3 क्षेत्रीय विपणन केंद्रों और सुरक्षा के 5 क्षेत्रीय नियंत्रकों का समूह था।
        • इसका मुख्यालय कोलकाता में था।
      • उत्पादन इकाइयों से संबंधित पूर्ववर्ती OFB (ग्रुप A, B और C) के सभी कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के रूप में उनकी सेवा शर्तों में कोई बदलाव किये बिना दो साल की अवधि हेतु डीम्ड प्रतिनियुक्ति पर कॉर्पोरेट संस्थाओं में स्थानांतरित किया जाएगा।
    • सात नई कंपनियाँ:
      • म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड, आर्म्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड, एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड, ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड, यंत्र इंडिया लिमिटेड, इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड और ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड।
    • महत्त्व:
      • सशस्त्र बलों द्वारा OFB उत्पादों की उच्च लागत, असंगत गुणवत्ता और आपूर्ति में देरी से संबंधित चिंताएँ व्यक्त की गई हैं।
      • नई संरचना OFB की मौजूदा प्रणाली में इन विभिन्न कमियों को दूर करने में मदद करेगी और इन कंपनियों को प्रतिस्पर्द्धी बनने तथा निर्यात सहित बाज़ार में नए अवसरों का पता लगाने के लिये प्रोत्साहित करेगी।
  • रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता:
    • OFB का निगमीकरण।
    • संशोधित FDI सीमा: स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा निर्माण में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% कर दिया गया है।
    • रक्षा औद्योगिक गलियारा: सरकार ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो-दो रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित करने का प्रस्ताव किया है।
    • परियोजना प्रबंधन इकाई (PMU): सरकार से समयबद्ध तरीके से रक्षा खरीद शुरू करने और परियोजना प्रबंधन इकाई (अनुबंध प्रबंधन उद्देश्यों के लिये) की स्थापना करके तीव्रता से  निर्णय लेने की उम्मीद है।
    • रक्षा आयात विधेयक में कमी: सरकार आयात के लिये प्रतिबंधित हथियारों/प्लेटफॉर्मों की एक सूची अधिसूचित करेगी और इस प्रकार ऐसी वस्तुओं को केवल घरेलू बाज़ार से ही खरीदा जा सकता है।
      • घरेलू पूंजी प्राप्तियों के लिये अलग बजट का प्रावधान किया जाएगा।

स्रोत: द हिंदू

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