नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 16 जनवरी से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़

  • 13 Apr, 2023
  • 23 min read
मैप

पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (OPEC)

OPEC


इन्फोग्राफिक्स

पृथ्वी का आंतरिक भाग

Interior-of-the-Earth


जैव विविधता और पर्यावरण

पुनर्चक्रण शृंखला में रेडियोधर्मी पदार्थ

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), IAEA परमाणु सुरक्षा योजना, नोबेल शांति पुरस्कार, संयुक्त राष्ट्र महासभा, UPSC, IAS, सिविल सेवा परीक्षा।

मेन्स के लिये:

रेडियोधर्मी पदार्थ, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA) ने परमाणु और अन्य रेडियोधर्मी पदार्थ/सामग्री की अवैध तस्करी पर वार्षिक डेटा जारी किया है।

  • इस डेटा से पता चलता है कि रेडियोधर्मी पदार्थ या दूषित उपकरण तेज़ी से बढ़ते स्क्रैप पुनर्चक्रण शृंखला में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य खतरा उत्पन्न हो रहा है।

प्रमुख बिंदु  

  • IAEA की परमाणु सुरक्षा योजना परमाणु और अन्य रेडियोधर्मी सामग्री की अवैध तस्करी की घटनाओं की रिपोर्ट करने हेतु बनाई गई थी।
  • इस नवीनतम डेटासेट से पता चलता है कि रेडियोधर्मी स्रोतों के अनधिकृत निपटान की घटनाएँ स्क्रैप धातु या अपशिष्ट पुनर्चक्रण उद्योगों में बढ़ रही हैं।
    • ऐसी घटनाएँ रेडियोधर्मी सामग्री के नियंत्रण, सुरक्षित और उचित निपटान हेतु प्रणालियों में कमियों को इंगित करती हैं।  
  • यदि घरेलू सामानों के निर्माण हेतु परिणामी दूषित धातु का उपयोग किया जाता है, तो इससे उपभोक्ताओं को संभावित स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। 
    • IAEA ने वर्ष 2022 में 146 ऐसी घटनाओं की सूचना दी जो वर्ष 2021 के आँकड़े से लगभग 38% अधिक है।

रेडियोधर्मी सामग्री को पुनर्चक्रण शृंखला में शामिल होने से रोकने के उपाय: 

  • नियामक ढाँचे को मज़बूत बनाना: रेडियोधर्मी सामग्री के उचित संचालन, भंडारण और निपटान सुनिश्चित करने के लिये सरकारों को अपने नियामक ढाँचे एवं प्रवर्तन तंत्र को मज़बूत बनाने की आवश्यकता है।
    • इसमें रेडियोधर्मी सामग्री को प्रबंधित करने वाली निकायों के लिये सख्त लाइसेंसिंग और गैर-अनुपालन के मामले में दंड का प्रावधान शामिल किया जा सकता है।
  • निगरानी और नियंत्रण तंत्र में सुधार: परमाणु और रेडियोधर्मी सामग्रियों की अवैध तस्करी को रोकने के लिये सरकारों को निगरानी तथा नियंत्रण तंत्र में सुधार हेतु भी निवेश करना चाहिये।
    • इसके अंतर्गत सीमाओं और प्रवेश के अन्य बिंदुओं पर विकिरण का पता लगाने वाले उपकरणों का उपयोग करना, अधिक व्यापक ट्रैकिंग एवं रिपोर्टिंग प्रणाली आदि शामिल हैं।
  • वैकल्पिक सामग्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित करना: सरकारों और अन्य हितधारकों को रेडियोधर्मी संदूषण का जोखिम पैदा न करने वाले वैकल्पिक सामग्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिये तथा सुरक्षित और टिकाऊ तरीके से रेडियोधर्मी अपशिष्टों से आवश्यकता वाली सामग्रियाँ निकालने के लिये प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देना चाहिये।

रेडियोधर्मिता:  

  • रेडियोधर्मिता कुछ तत्त्वों के अस्थिर नाभिक से कणों या तरंगों के स्वतः स्फूर्त उत्सर्जन की घटना है। रेडियोधर्मी उत्सर्जन तीन प्रकार के होते हैं: अल्फा, बीटा और गामा।
    • अल्फा कण धनावेशित हीलियम (He) परमाणु हैं, बीटा कण ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन हैं और गामा किरणें उदासीन विद्युत चुंबकीय विकिरण हैं। 
  • रेडियोधर्मी तत्त्व प्राकृतिक रूप से पृथ्वी की क्रस्ट में पाए जाते हैं। यूरेनियम, थोरियम और एक्टिनियम तीन ‘NORM’ (स्वाभाविक रूप से होने वाली रेडियोधर्मी सामग्री) शृंखलाएँ हैं जो जल संसाधनों को संदूषित करते हैं।
  • रेडियोधर्मिता को बेकुरल (SI इकाई) या क्यूरी में मापा जाता है। यूनिट सीवर्ट मानव ऊतकों द्वारा अवशोषित विकिरण की मात्रा को मापता है।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी: 

  • परिचय
    • इसे संयुक्त राष्ट्र के अंदर व्यापक रूप से विश्व में ‘शांति और विकास हेतु संगठन’ के रूप में जाना जाता है, IAEA परमाणु क्षेत्र में सहयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र है।
  • स्थापना
    • IAEA की स्थापना वर्ष 1957 में परमाणु प्रौद्योगिकी के विविध उपयोगों से उत्पन्न आशंकाओं और खोजों की प्रतिक्रिया में की गई थी।
    • मुख्यालय: वियना (ऑस्ट्रिया) 
  • उद्देश्य
    • यह एजेंसी अपने सदस्य राज्यों और कई भागीदारों के साथ परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित, निश्चिंत और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिये काम करती है। 
    • वर्ष 2005 में एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण विश्व के निर्माण में इसके योगदान के लिये IAEA को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • कार्य

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के संदर्भ में 'अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आई.ए.ई.ए.)' के साथ 'अतिरिक्त नयाचार (एडिसनल प्रोटोकॉल)’ का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है? (2018)

(a) असैन्य परमाणु रिएक्टर आई.ए.ई.ए. के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं।
(b) सैनिक परमाणु अधिष्ठान आई.ए.ई.ए. के निरीक्षण के अधीन आ जाते हैं।
(c) देश के पास नाभिकीय पूर्तिकर्त्ता समूह (एन.एस.जी.) से यूरेनियम के क्रय का विशेषाधिकार हो जाएगा। 
(d) देश स्वतः एन.एस.जी.का सदस्य बन जाता है।

उत्तर: (a)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


भारतीय राजव्यवस्था

हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय अधिनियम, 2023

प्रिलिम्स के लिये:

हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय अधिनियम, 2023

मेन्स के लिये:

हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय अधिनियम, 2023 के लाभ और महत्त्व  

चर्चा में क्यों ?

हिमाचल प्रदेश ने अनाथों और विशेष रूप से ज़रूरतमंदों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिये सुखाश्रय (राज्य के बच्चों की देखभाल, संरक्षण एवं आत्मनिर्भरता) अधिनियम, 2023 पारित किया है।

सुखाश्रय अधिनियम, 2023 के मुख्य बिंदु: 

  • परिचय : 
    • यह अधिनियम ऐसे बच्चों जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है, जिनके माता-पिता नहीं हैं या माता-पिता अक्षम हैं, को अनाथ के रूप में परिभाषित करता है। इसमें ऐसे बच्चे शामिल हैं जिनके पास घर नहीं है या जो जबरन शादी, अपराध या नशीली दवाओं के दुरुपयोग के जोखिम में हैं।
    • यह अधिनियम 18-27 वर्ष की आयु के बीच के लाभार्थियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और अनुशिक्षण के साथ समाज के सक्रिय सदस्य बनने में मदद करने हेतु वित्तीय तथा संस्थागत लाभ प्रदान करता है।
    • अधिनियम समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग की सुरक्षा एवं देखभाल सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • अधिनियम के तहत लाभ:
    • 101 करोड़ रुपए परिव्यय के साथ मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष बनाया गया है तथा योजना की देख-रेख के लिये प्रत्येक ज़िले में एक बाल कल्याण समिति की स्थापना की जाएगी।
    • इसके तहत अनाथ एवं विशेष रूप से ज़रूरतमंद बच्चे 'राज्य के बच्चे' माने जाएंगे। 
    • इसके तहत वित्तीय लाभ में गर्मियों एवं सर्दियों में 5,000 रुपए, प्रमुख त्योहारों हेतु 500 रुपए तथा कॉलेज में दैनिक खर्च के लिये 4,000 रुपए मासिक भत्ता शामिल है।
    • संस्थागत लाभों में ट्रेन टिकट और राज्य के भीतर 10 दिनों के लिये आवास तथा ITI एवं सरकारी कॉलेजों में लाभार्थियों हेतु छात्रावास शुल्क शामिल है। 
    • सरकार, शादी के समय तय रकम तथा अपना घर बनाने के लिये तीन बिस्वा ज़मीन प्रदान करेगी।
    • अनाथ जो अपने स्वयं के स्टार्टअप स्थापित करना चाहते हैं, उन्हें उद्यमशीलता की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु एक सांकेतिक कोष प्रदान किया जाएगा।
      • पीएच.डी. छात्रों को मासिक भत्ता भी मिलेगा।
  • अधिनियम में उल्लिखित अन्य सुरक्षा उपाय: 
    • बाल देखभाल संस्थानों के पूर्व निवासियों को 21 वर्ष की आयु तक राज्य सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
    • प्रत्येक बच्चे और अनाथ का आवर्ती जमा खाता खोला जाएगा एवं राज्य सरकार इन खातों में प्रचलित दरों के अनुसार अंशदान करेगी।
    • बाल कल्याण समिति अनाथों की पहचान हेतु सर्वेक्षण करेगी एवं ज़रूरतमंद बच्चों की मांगों पर गौर करेगी।

नोट: किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार, देश में अनाथ एवं निराश्रित बच्चे "देखभाल तथा संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे" (Children in Need of Care and Protection- CNCP) हैं। अधिनियम के निष्पादन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की है। 

केंद्र सरकार की समान पहल: 

  • बाल संरक्षण सेवा (Child Protection Services- CPS) योजना या "मिशन वात्सल्य":
    • इसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया। 
    • CPS के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार कठिन परिस्थितियों में बच्चों का स्थितिजन्य विश्लेषण करने के लिये राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है।
    • इस योजना के तहत देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों तथा कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों को बाल देखभाल संस्थानों (Child Care Institutions- CCI) में संस्थागत देखभाल प्रदान की जाती है।
    • यह योजना गैर-संस्थागत देखभाल भी प्रदान करती है जिसमें गोद लेने, पालन-पोषण, देखभाल और प्रायोजन (Sponsorship) हेतु सहायता प्रदान की जाती है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

RBI का ग्रीन डिपॉज़िट फ्रेमवर्क

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीन फाइनेंस इकोसिस्टम, ग्रीन बाॅण्ड, भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), प्रदर्शन उपलब्धि और व्यापार

मेन्स के लिये:

ग्रीन फाइनेंस इकोसिस्टम।

चर्चा में क्यों? 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारत में ग्रीन फाइनेंस इकोसिस्टम (GFS) विकसित करने के उद्देश्य से ग्राहकों के लिये ग्रीन डिपॉज़िट (हरित जमा) की पेशकश करने हेतु एक नए फ्रेमवर्क (ढाँचा) की घोषणा की है।

  • यह ढाँचा 1 जून, 2023 से लागू होगा।
  • ग्रीन डिपॉज़िट (हरित निक्षेप) निश्चित अवधि के लिये एक विनियमित इकाई (Regulated Entity-RE) द्वारा प्राप्त ब्याज-युक्त जमा को संदर्भित करता है, जिसमें ग्रीन फाइनेंस (हरित वित्तपोषण) के आवंटन हेतु निर्धारित आय होती है।

ढाँचे की प्रमुख विशेषताएँ:

  • प्रयोज्यता:
    • यह ढाँचा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, भुगतान बैंकों तथा आवास वित्त कंपनियों के साथ-साथ सभी जमा स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies- NBFCs) को छोड़कर लघु वित्त बैंकों सहित अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होता है। 
  • आवंटन:
    • REs को हरित गतिविधियों एवं परियोजनाओं की एक सूची हेतु ग्रीन डिपॉज़िट के माध्यम से संग्रहीत आय को आवंटित करने की आवश्यकता होगी जो संसाधन उपयोग में ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहित करते हैं, कार्बन उत्सर्जन एवं ग्रीनहाउस गैसों को कम करते हैं, जलवायु लचीलापन और/या अनुकूलन को बढ़ावा देते हैं तथा प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र एवं जैवविविधता में सुधार करते हैं। 
  • अपवर्ज़न: 
    • जीवाश्म ईंधन के नए या मौजूदा निष्कर्षण, उत्पादन और वितरण से जुड़ी परियोजनाओं हेतु ग्रीन फाइनेंसिंग उपलब्ध नहीं है, जिसमें सुधार तथा उन्नयन, परमाणु ऊर्जा, प्रत्यक्ष अपशिष्ट भस्मीकरण, शराब, हथियार, तंबाकू, गेमिंग या ताड़ तेल उद्योग, संरक्षित क्षेत्रों में उत्पन्न फीडस्टॉक का उपयोग करके बायोमास से ऊर्जा उत्पन्न करने वाली नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ, लैंडफिल परियोजनाएँ या 25 मेगावाट से बड़े जलविद्युत संयंत्र शामिल हैं।  
  • वित्तपोषण ढाँचा: 
    • हरित जमा/ग्रीन डिपॉज़िट का प्रभावी आवंटन सुनिश्चित करने हेतु RE को बोर्ड द्वारा अनुमोदित वित्तपोषण ढाँचा (Financing Framework- FF) स्थापित करना चाहिये। ग्रीन डिपॉज़िट को केवल भारतीय रुपए में मूल्यवर्गित किया जाएगा।
    • वित्तीय वर्ष के दौरान RE द्वारा ग्रीन डिपॉज़िट के माध्यम से एकात्रित धनराशि का आवंटन स्वतंत्र तृतीय-पक्ष सत्यापन/आश्वासन के अधीन होगा, जो वार्षिक आधार पर किया जाएगा।

ग्रीन फाइनेंस इकोसिस्टम: 

  • परिचय: 
    • GFS वित्तीय प्रणाली को संदर्भित करता है जो पर्यावरणीय रूप से स्थायी परियोजनाओं और गतिविधियों में निवेश का समर्थन एवं उन्हें सक्षम बनाता है।
    • इसमें कई प्रकार के वित्तीय उत्पाद शामिल हैं, जैसे कि ग्रीन बाॅण्ड, ग्रीन लोन, ग्रीन इंश्योरेंस और ग्रीन फंड जो पर्यावरण के अनुकूल विधियों एवं परियोजनाओं को बढ़ावा देने हेतु तैयार किये गए हैं।
    • ग्रीन फाइनेंस इकोसिस्टम का उद्देश्य एक ऐसी वित्तीय प्रणाली बनाना है जो कम कार्बन, संसाधन-कुशल और टिकाऊ अर्थव्यवस्था में संक्रमण में सहयोग करती है, जबकि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं जैवविविधता क्षति जैसे पर्यावरणीय मुद्दों से जुड़े जोखिमों तथा अवसरों को भी शामिल करता है।
  • आवश्यकता: 
    • संसाधन जुटाने और हरित गतिविधियों/परियोजनाओं हेतु आवंटन में वित्तीय क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। भारत में ग्रीन फाइनेंस उत्तरोत्तर गति तथा लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है।
    • जमाकर्त्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए और ग्रीनवाशिंग चिंताओं को दूर करते हुए GFS हरित गतिविधियों और परियोजनाओं के लिये ऋण प्रवाह में वृद्धि कर सकता है।
    • साथ ही यह भारत में पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव के लिये सतत् विकास को बढ़ावा दे सकता है।
  • भारतीय परिदृश्य: 
    • भारत ने वर्ष 2070 तक कार्बन तटस्थता का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है और 'ग्रीन डील' इसी दिशा में एक कदम है।
      • ग्रीन डील ने डीकार्बोनाइज़ेशन में तेज़ी लाने के लिये ग्रीन फाइनेंस को एक सक्षमकर्त्ता के रूप में वर्गीकृत किया है। यह ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिये सरकार और निजी संस्थाओं से पूंजी प्रवाह में वृद्धि की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
    • वर्ष 2016 में RBI ने स्थायी वित्तीय प्रणालियों की तर्ज़ पर UNEP (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम) और भारत के सहयोग के संबंध में एक रिपोर्ट जारी की थी।
      • यह रिपोर्ट भारत में वित्तीय प्रणालियों के विभिन्न पहलुओं और हरित वित्त/ग्रीन फाइनेंस में तेज़ी लाने में इसकी भूमिका का आकलन करती है।
    • 'परफॉर्म अचीव एंड ट्रेड' स्कीम के ज़रिये देश के नीतिगत ढाँचे में कार्बन ट्रेडिंग की शुरुआत की गई है।
    • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, वर्ष 2023 तक ग्रीन बाॅण्ड का बाज़ार दो ट्रिलियन डॉलर से अधिक का हो सकता है।

संबंधित पहलें: 

  • विदेशी पूंजी को प्रोत्साहन: सरकार ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करना: 
  • भारत का राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान: वर्ष 2015 में हस्ताक्षरकर्त्ता देशों द्वारा अपनाए गए पेरिस समझौते के तहत भारत ने निर्धारित लक्ष्यों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रस्तुत किया था।
    • अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की उत्सर्जन की मात्रा को वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक 33-35% तक कम करना।
    • वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40% तक संचयी विद्युत शक्ति क्षमता प्राप्त करना। 

आगे की राह  

  • भारत में हरित अर्थव्यवस्था आशाजनक संकेतकों के साथ विस्तार कर रही है और बैंक सक्रिय रूप से स्थायी वित्त को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश को न्यूनतम कार्बन, संसाधन-कुशल तथा टिकाऊ अर्थव्यवस्था की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
  • हरित परियोजनाओं का वित्तपोषण एक सतत् भविष्य प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2