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जैव विविधता और पर्यावरण

हरित प्रमाण पत्रों की बिक्री में उछाल

  • 13 Apr 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये 

RECs, स्वच्छ विकास तंत्र 

मेन्स के लिये 

RECs से लाभ, चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?

नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण पत्रों (Renewable Energy Certificates-RECs) की बिक्री मार्च महीने में 79% से अधिक बढ़कर 8.38 लाख यूनिट पहुँच गई पिछले साल मार्च महीने में यह संख्या 4.68 लाख यूनिट थी। 

प्रमुख बिंदु: 

  • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (Indian Energy Exchange-IEX) में मार्च महीने में 5.2 लाख इकाई RECs का कारोबार हुआ, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह संख्या 2.25 लाख थी
  • पावर एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (Power Exchange of India Limited-PXIL) ने मार्च महीने में 3.18 लाख इकाई RECs की रिकॉर्ड बिक्री की, जो मार्च 2019 में 2.43 लाख थी।
  • IEX और PXIL ‘RECs तथा बिजली’ के कारोबार में सलग्न हैं। 
  • IEX के आँकड़ों के अनुसार, सौर ऊर्जा और दूसरे नवीकरणीय ऊर्जा से संबद्ध RECs की आपूर्ति मांग की तुलना में अधिक रही। खरीद के लिये इस साल मार्च में 6.93 लाख RECs की मांग थी, जबकि बिक्री के लिये 26.84 लाख  RECs उपलब्ध थी।
  • PXIL में खरीद के लिये 3.73 लाख  RECs की मांग हुई , जबकि बिक्री के लिये 5.59 लाख से अधिक यूनिट उपलब्ध थी

नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाण पत्र

  • RECs एक बाज़ार आधारित उपकरण है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से एक मेगावाट घंटा बिजली (MWh) उत्पन्न होने पर एक REC का निर्माण होता है 
  • जो इकाइयाँ स्वयं स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में सीधे निवेश करने की स्थिति में नहीं हो, वे इन प्रमाण पत्रों में निवेश के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को घटाने का प्रयास करती हैं।
  • इसका मुख्य उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना और नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ार का विकास करना है।
  • यह उत्पादकों को परंपरागत बिजली की तरह नवीकरणीय स्रोतों से अपनी बिजली बेचने के लिये वैकल्पिक स्वैच्छिक मार्ग प्रदान करता है तथा कार्बन उत्सर्जन कम करने को बाध्य कंपनियों को उनके RPO (Renewal Energy Obligation) को पूरा करने में सहायता करता है।

स्वच्छ विकास तंत्र

(Clean Development Mechanism-CDM)

  • क्योटो प्रोटोकॉल में वर्णित CDM विकसित एवं विकासशील देशों के बीच अपनाया जाता है।
  • इसके अंतर्गत उत्सर्जन कटौती या उत्सर्जन नियत्रंण हेतु प्रतिबद्ध कोई विकसित देश (Annexure-I पार्टीज़) या उनकी कंपनियाँ, अन्य विकासशील देशो में उत्सर्जन कटौती वाले प्रोजेक्ट में निवेश कर कार्बन क्रेडिट प्राप्त कर सकती हैं। 
  • ऐसे प्रोजेक्ट एक विक्रय योग्य सर्टिफाइड उत्सर्जन कटौती (Certified Emmission Reduction) यूनिट खरीद सकते है। यह कार्बन क्रेडिट कहलाता है 
  • यह एक टन कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर होता है, जिसकी गणना क्योटो लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये की जा सकती है 

RECs से लाभ:

  • RECs कंपनियों, संस्थानों और व्यक्तियों को उनके कार्बन पदचिह्न (Carbon Footprint) को कम करने, स्वच्छ ऊर्जा का समर्थन करने तथा प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को कम करने का वैकल्पिक तरीका प्रदान करता है।
  • REC की खरीद नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने के बराबर है। यह नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ार का समर्थन करता है। 
  • यह कंपनियों को कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा नवीकरणीय ऊर्जा के लिये अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

Renewable-Energy

चुनौतियाँ

  • RECs बाज़ार का विकास RPO के सख़्त अनुपालन के बिना नहीं हो सकता। केंद्रीय स्तर पर RPO निगरानी प्रणाली द्वारा समय पर कार्रवाई का अभाव देखा गया है। 
  • RECs के बाज़ार में मांग और आपूर्ति के मध्य बड़ा असंतुलन विद्यमान है। मांग की तुलना में आपूर्ति अधिक है। इससे पता चलता है की बाज़ार में स्वैच्छिक भागीदारों की कमी है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ार के डिज़ाइन से संबंधित मुद्दे भी प्रमुख चुनौती हैं, जैसे-उत्पादकों को RECs के अंतर्गत पंजीकृत किया जाता है, लेकिन उन्हें केवल दो प्रकार के RECs- सौर और गैर-सौर जारी किये जा रहे हैं। 

आगे की राह:

  • राज्य द्वारा RPO के सख्त प्रवर्तन करवाने के साथ ही RECs के बारे में जागरूकता पैदा करने की भी आवश्यकता है। RECs बाजार में स्वैच्छिक भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिये 

स्रोत- इकोनॉमिक टाइम्स

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