जैव विविधता और पर्यावरण
ग्लोबल विंड रिपोर्ट 2022
प्रिलिम्स के लिये:वर्ष 2022 के लिये ग्लोबल विंड रिपोर्ट, ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल। मेन्स के लिये:वर्ष 2022 के लिये ग्लोबल विंड रिपोर्ट, भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य, चुनौतियाँ और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने हेतु की गई पहलें। |
चर्चा में क्यों?
- GWEC की स्थापना वर्ष 2005 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संपूर्ण पवन ऊर्जा क्षेत्र हेतु एक विश्वसनीय और प्रतिनिधि मंच प्रदान करने हेतु की गई थी।
प्रमुख बिंदु
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:
- वैश्विक ऊर्जा क्षमता में वृद्धि की आवश्यकता:
- वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने हेतु पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों में वर्ष 2021 के दौरान स्थापित 94 GW (गीगावाट) की पवन ऊर्जा क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रत्येक वर्ष चार गुना बढ़ाने की आवश्यकता है।
- आवश्यक प्रवर्धन के बिना पूर्व-औद्योगिक स्तरों पर ग्लोबल वार्मिंग को पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्य के तहत 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना तथा वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
- वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने हेतु पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों में वर्ष 2021 के दौरान स्थापित 94 GW (गीगावाट) की पवन ऊर्जा क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रत्येक वर्ष चार गुना बढ़ाने की आवश्यकता है।
- वर्ष 2021 में स्थापित क्षमता:
- वर्ष 2021 में 93.6 GW की नई स्थापनाओं ने 12% की सालाना (Year-on-Year- YoY) वृद्धि के साथ वैश्विक संचयी पवन ऊर्जा क्षमता को 837 GW तक पहुँचा दिया है।
- वैश्विक स्तर पर तटवर्ती पवन बाज़ार (Onshore Wind Market) में 72.5 GW की वृद्धि हुई है। विश्व के दो सबसे बड़े पवन बाज़ारों चीन और अमेरिका में मंदी के कारण पिछले वर्ष की तुलना में यह वृद्धि 18% कम है।
- वर्ष 2021 में अपतटीय पवन बाज़ार ने 21.1GW के साथ अपनी अब तक की सर्वश्रेष्ठ सालाना क्षमता प्राप्त की।
- नए अपतटीय प्रतिष्ठानों में गिरावट की संभावना:
- वर्ष 2022 में नए अपतटीय प्रतिष्ठानों के वर्ष 2019/2020 के स्तर तक घटने की संभावना है।
- यह गिरावट मुख्य रूप से चीन में प्रतिष्ठानों की कमी के कारण होगी।
- हालाँकि वर्ष 2023 में बाज़ार में पुनः वृद्धि होने की संभावना है जो अंततः वर्ष 2026 में 30GW के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगी।
- वर्ष 2022 में नए अपतटीय प्रतिष्ठानों के वर्ष 2019/2020 के स्तर तक घटने की संभावना है।
- अपतटीय पवन ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि:
- अपतटीय पवन ऊर्जा उत्पादन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ निवेश पर लाभ को बढ़ाता है।
- यदि अपतटीय पवन ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाया जाता है तो वर्ष 2050 तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन प्रत्येक वर्ष 0.3-1.61 गीगाटन कम हो सकता है।
पवन ऊर्जा क्षेत्र के विकास में चुनौतियाँ:
- अल्पकालिक राजनीतिक उद्देश्यों पर केंद्रित असंगत नीतिगत वातावरण।
- खराब तरीके से निर्मित बाज़ार, जो अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को सक्षम नहीं बनाते है।
- आधारभूत संरचना और हस्तांतरण संबंधी बाधाएँ।
- नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों से संबंधित पर्याप्त औद्योगिक तथा व्यापार नीतियों का अभाव।
- शत्रुतापूर्ण राजनीति या गलत सूचना अभियान।
भारत में पवन ऊर्जा क्षेत्र का दायरा:
- भारत में वर्ष 2021 में 1.4 GW से अधिक पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई जो पिछले वर्ष प्राप्त 1.1 GW की क्षमता से अधिक थी।
- सरकार ने वर्ष 2022 तक 5 GW अपतटीय क्षमता तथा वर्ष 2030 तक 30 GW स्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
- भारत को अभी अपनी अपतटीय पवन ऊर्जा सुविधा और विकसित करनी है।
- भारत अपनी 7,600 किमी. की तटरेखा के साथ 127 गीगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है।
- तटवर्ती पवन ऊर्जा उन टर्बाइनों को संदर्भित करती है जो भूमि पर स्थित हैं तथा विद्युत उत्पादन हेतु पवन का उपयोग करती हैं।
- अपतटीय पवन ऊर्जा समुद्र में हवा से उत्पन्न एक ऊर्जा है।
- वर्ष 2022 और वर्ष 2023 के लिये भारतीय पवन बाज़ार क्रमशः 3.2 GW और 4.1 GW तटवर्ती पवन तक विस्तारित होने का अनुमान है।
- राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति: राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति, 2018 का मुख्य उद्देश्य बड़े ग्रिड से जुड़े पवन-सौर फोटो-वोल्टेइक हाइब्रिड प्रणाली को बढ़ावा देने हेतु एक ढाँचा प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति: राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अक्तूबर, 2015 में भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में 7600 किलोमीटर की भारतीय तटरेखा के साथ अपतटीय पवन ऊर्जा विकसित करने के उद्देश्य से अधिसूचित किया गया था।
आगे की राह
- सरकारों को नियोजन संबंधी बाधाओं और ग्रिड कनेक्शन संबंधी चुनौतियों जैसे मुद्दों से निपटने की ज़रूरत है।
- पवन आधारित उत्पादन क्षमता में वृद्धि को बनाए रखने तथा बढ़ाने के लिये नीति निर्माताओं को भूमि आवंटन एवं ग्रिड कनेक्शन परियोजनाओं सहित परमिट देने की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
- बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन हेतु कार्यबल की योजना एक प्रारंभिक नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिये तथा ग्रिड में निवेश वर्तमान स्तरों से वर्ष 2030 तक तिगुना होना चाहिये।
- "पवन आपूर्ति शृंखला की नई भू-राजनीति" का सामना करने के लिये अधिक-से-अधिक सार्वजनिक-निजी सहयोग की भी आवश्यकता है।
- वस्तुओं और महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा को दूर करने हेतु एक मज़बूत अंतर्राष्ट्रीय नियामक ढाँचे की आवश्यकता है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
शासन व्यवस्था
स्वनिधि से समृद्धि
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री स्वनिधि, आत्मनिर्भर भारत अभियान, आर्थिक प्रोत्साहन- II। मेन्स के लिये:विकास से संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, आत्मनिर्भर भारत अभियान। |
चर्चा में क्यों?
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने 14 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अतिरिक्त 126 शहरों में 'स्वनिधि से समृद्धि' कार्यक्रम शुरू किया है।
- भारतीय गुणता परिषद (QCI) कार्यक्रम के लिये कार्यान्वयन भागीदार है।
‘स्वनिधि से समृद्धि’ कार्यक्रम:
- परिचय:
- यह ‘पीएम स्वनिधि’ योजना का एक अतिरिक्त कार्यक्रम है, जिसे 4 जनवरी, 2021 को 125 शहरों में ‘पीएम स्वनिधि’ लाभार्थियों और उनके परिवारों के सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल को चिह्णित करने हेतु लॉन्च किया गया था।
- यह विभिन्न केंद्रीय कल्याण योजनाओं (8) के लिये लाभार्थियों की संभावित पात्रता का आकलन करता है और इन योजनाओं से जुड़ाव की सुविधा प्रदान करता है।
- इन योजनाओं में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना, भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक (रोज़गार व सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम (BOCW), खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (ONORC), जननी सुरक्षा योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के तहत पंजीकरण शामिल हैं।
- कवरेज़:
- चरण 1 में इसने लगभग 35 लाख स्ट्रीट वेंडरों और उनके परिवारों को कवर किया।
- चरण 2 का लक्ष्य 28 लाख स्ट्रीट वेंडरों और उनके परिवारों को शामिल करना है, जिसमें वित्त वर्ष 2022-23 के लिये कुल 20 लाख का लक्ष्य रखा गया है। शेष शहरों को धीरे-धीरे कार्यक्रम में जोड़ा जाएगा।
- उपलब्धियाँ:
- वर्ष 2020-21 में (कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद) यह कार्यक्रम स्ट्रीट वेंडर परिवारों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने में सफल रहा और इस तरह उन्हें जीवन एवं आजीविका के किसी भी जोखिम व सुभेद्यता से बचाया गया।
- इस कार्यक्रम की उपलब्धियाँ हैं:
- पहला, विभिन्न सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के आधार पर स्ट्रीट वेंडरों एवं उनके परिवारों का एक केंद्रीय डेटाबेस तैयार किया गया है।
- दूसरा, रेहड़ी-पटरी सामान बेचने वाले परिवारों तक कल्याणकारी योजनाओं के सुरक्षा जाल का विस्तार करने के लिये विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के बीच अपनी तरह का पहला अंतर-मंत्रालयी अभिसरण मंच स्थापित किया गया है।
‘पीएम स्वनिधि योजना’ क्या है?
- परिचय:
- प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आर्थिक प्रोत्साहन-II के एक हिस्से के रूप में घोषित किया गया था।
- इसे 700 करोड़ रुपए के स्वीकृत बजट के साथ 1 जून, 2020 से लागू किया गया था, ताकि उन स्ट्रीट वेंडरों को उनकी आजीविका को फिर से शुरू करने के लिये किफायती कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान किया जा सके, जो कोविड-19 लॉकडाउन के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं।
- उद्देश्य:
- शहरी क्षेत्रों में 24 मार्च, 2020 को या उससे पहले वेंडिंग करने वाले 50 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडरों को लाभान्वित करना, जिनमें आसपास के पेरी-शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी शामिल हैं।
- प्रतिवर्ष 1,200 रुपये तक की राशि तक कैश-बैक प्रोत्साहन के माध्यम से डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना।
- विशेषताएँ:
- विक्रेता 10,000 रुपए तक का कार्यशील पूंजी ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जो एक वर्ष के कार्यकाल में मासिक किस्तों में चुकाने योग्य है।
- ऋण के समय पर/जल्दी चुकौती पर, त्रैमासिक आधार पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में 7% प्रतिवर्ष की ब्याज सब्सिडी जमा की जाएगी।
- ऋण की जल्दी चुकौती पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा। विक्रेता ऋण की समय पर/जल्दी चुकौती पर बढ़ी हुई ऋण सीमा की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
- चुनौतियाँ:
- कई बैंक 100 रुपए और 500 रुपए के बीच के स्टांप पेपर पर आवेदन मांग रहे हैं।
- बैंकों द्वारा पैन कार्ड मांगने और यहाँ तक कि आवेदकों या राज्य के अधिकारियों के CIBIL या क्रेडिट स्कोर की जाँच करने के भी उदाहरण देखे गए हैं।
- CIBIL स्कोर किसी के क्रेडिट इतिहास का मूल्यांकन है और ऋण के लिये उनकी पात्रता निर्धारित करता है।
- पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायतें भी मिली हैं।
- सुझाव:
- राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा जाना चाहिये कि अधिकारियों द्वारा रेहड़ी-पटरी वालों को परेशान न किया जाए, क्योंकि वे केवल आजीविका का अधिकार मांग रहे हैं।
- केंद्र ने आवेदक द्वारा ‘पसंदीदा ऋणदाता’ के रूप में सूचीबद्ध बैंक शाखाओं या जहाँ विक्रेता का बचत बैंक खाता है, को सीधे आवेदन भेजने का भी निर्णय लिया है।
- एक सॉफ्टवेयर भी विकसित किया गया है जो बैंकों को लगभग 3 लाख आवेदनों की जाँच करने में मदद कर सकता है।
स्रोत: पी.आई.बी.
भारतीय इतिहास
जलियांवाला बाग हत्याकांड
प्रिलिम्स के लिये:जलियांवाला बाग हत्याकांड, रॉलेट एक्ट 1919, प्रथम विश्व युद्ध (1914-18), असहयोग आंदोलन (1920–22), हंटर कमीशन। मेन्स के लिये:असहयोग आंदोलन (1920–22), भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका अद्वितीय साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। 13 अप्रैल, 2022 को इस घटना के 103 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
- इससे पहले गुजरात सरकार ने पाल-दाधवाव नरसंहार (Pal-Dadhvav Killings) के 100 साल पूरे होने पर इसे "जलियांवाला बाग से भी बड़ा" नरसंहार बताया था।
प्रमुख बिंदु
जलियांवाला बाग हत्याकांड:
- परिचय: 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में शामिल लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे।
- ये लोग रॉलेट एक्ट 1919 का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे।
- वर्ष 1940 में सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर की हत्या कर दी थी।
रॉलेट एक्ट 1919:
- प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान भारत की ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी आपातकालीन शक्तियों की एक शृंखला बनाई जिसका उद्देश्य विध्वंसक गतिविधियों का मुकाबला करना था।
- इस संदर्भ में सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली राजद्रोह समिति की सिफारिशों पर यह अधिनियम पारित किया गया था।
- इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
- पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल, 1919 को शुरू हुआ।
- 9 अप्रैल, 1919 को पंजाब में दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी वारेंट के गिरफ्तार कर लिया।
- इससे भारतीय प्रदर्शनकारियों में आक्रोश पैदा हो गया जो 10 अप्रैल को हज़ारों की संख्या में अपने नेताओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिये निकले थे।
- भविष्य में इस प्रकार के किसी भी विरोध को रोकने हेतु सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया और पंजाब में कानून-व्यवस्था ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई।
- घटना का दिन: 13 अप्रैल, बैसाखी के दिन अमृतसर में निषेधाज्ञा से अनजान ज़्यादातर पड़ोसी गाँव के लोगों की एक बड़ी भीड़ जालियांवाला बाग में जमा हो गई।
- ब्रिगेडियर- जनरल डायर अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुँचा।
- सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश के तहत सभा को घेर कर एकमात्र निकास द्वार को अवरुद्ध कर दिया और निहत्थे भीड़ पर गोलियाँ चला दीं, जिसमें 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मौत हो गई।
- जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना का महत्त्व:
- जलियांवाला बाग भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन गया और अब यह देश का एक महत्त्वपूर्ण स्मारक है।
- जलियांवाला बाग त्रासदी उन कारणों में से एक थी जिसके कारण महात्मा गांधी ने अपना पहला, बड़े पैमाने पर और निरंतर अहिंसक विरोध (सत्याग्रह) अभियान, असहयोग आंदोलन (1920–22) का आयोजन शुरू किया।
- इस घटना के विरोध में बांग्ला कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1915 में प्राप्त नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।
- भारत की तत्कालीन सरकार ने घटना (हंटर आयोग) की जाँच का आदेश दिया, जिसने वर्ष 1920 में डायर के कार्यों के लिये निंदा की और उसे सेना से इस्तीफा देने का आदेश दिया।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान रॉलेट एक्ट ने किस कारण से सार्वजनिक रोष उत्पन्न किया? (2009) (a) इसने धर्म की स्वतंत्रता को कम किया उत्तर: (c) |
स्रोत: द हिंदू
शासन व्यवस्था
InTranSE-II कार्यक्रम के तहत शुरू की गई पहल
प्रिलिम्स के लिये:ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम (ODAWS), बस सिग्नल प्रायोरिटी सिस्टम और कॉमन स्मार्ट इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) कनेक्टिव (CoSMiC) सॉफ्टवेयर। मेन्स के लिये:इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम, सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने की पहल। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने एक स्वदेशी ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम (ODAWS), बस सिग्नल प्रायोरिटी सिस्टम और कॉमन स्मार्ट आई-ओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) कनेक्टिविटी (CoSMiC) सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है।
- इसे इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम एंडेवर फेज-II (Intelligent Transportation System Endeavor Phase-II - InTranSE-II) के तहत लॉन्च किया गया है।
भारतीय शहरों के लिये इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम एंडेवर:
- इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (ITS) एक क्रांतिकारी अत्याधुनिक तकनीक है।
- यह कुशल बुनियादी ढाँचे के उपयोग को बढ़ावा देकर यातायात की समस्याओं को कम कर यातायात में दक्षता को बढ़ाएगा, ताकि यात्रा में लगने वाले समय को कम करने और यात्रियों की सुरक्षा एवं यात्रा को आरामदायक बनाने के लिये यातायात के पूर्व उपयोगकर्त्ताओं को जानकारी से समृद्ध किया जा सकेगा।
- यह प्रणाली किसी भी दुर्घटना का पता लगा सकती है, साथ ही अलर्ट कर सकती है ताकि एक एम्बुलेंस 10-15 मिनट के भीतर दुर्घटना स्थल पर पहुँच सके।
- ITS में परिवर्तन को अधिक ऊर्जा और गति के साथ तालमेल बिठाने के लिये MeitY ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) आदि जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों तथा उन्नत कंप्यूटिंग के विकास केंद्र (सी-डैक) जैसा प्रीमियर आरएंडडी केंद्र को एक साथ एक छत के नीचे लाकर शुरुआती कदम उठाए हैं।
- इस तरह की पहल ने वर्ष 2009-2012 (चरण- I) के दौरान भारतीय शहरों के लिये इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम (InTranSE) तैयार किया है।
- InTranSE चरण- II कार्यक्रम, (2019-2021) InTranSE चरण- I कार्यक्रम का विस्तार है, जिसका उद्देश्य IIT बॉम्बे, IIT मद्रास, IISc बंगलूरू और C-DAC तिरुवनंतपुरम के साथ मिलकर आरएंडडी (R&D) परियोजनाओं को शुरू करना है।
ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम (ODAWS):
- ODAWS में चालक के नज़दीक आने की निगरानी के लिये वाहन-आधारित सेंसर लगाने का प्रावधान है। साथ ही चालक की सहायता के लिये वाहन के आसपास सुनने और नज़र आने वाले अलर्ट भी इसमें शामिल हैं।
- परियोजना में नौवहन इकाई, चालक सहायता केंद्र और मिलीमीटर-वेव रडार सेंसर (mmWave Radar) जैसे उपायों का विकास शामिल है।
- mmWave RADAR वस्तुओं का पता लगाने और इन वस्तुओं की सीमा, वेग और कोण के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिये एक अत्यंत मूल्यवान सेंसिंग तकनीक है।
- नौवहन सेंसर से वाहन की सटीक भू-स्थानिक अभिविन्यास के साथ ही वाहन किस तरह चलाया जा रहा है, के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- ODAWS एल्गोरिथ्म का उपयोग सेंसर डेटा की व्याख्या करने और सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये तथा ड्राइवर को वास्तविक समय पर सूचनाएँ प्रदान करने हेतु किया जाता है।
बस सिग्नल प्रायोरिटी सिस्टम:
- बस सिग्नल प्राथमिकता प्रणाली एक परिचालन रणनीति है जो सिग्नल नियंत्रित चौराहों पर सेवा में सार्वजनिक बसों को बेहतर ढंग से समायोजित करने के लिये सामान्य ट्रैफिक सिग्नल संचालन को संशोधित करती है।
- आपातकालीन वाहनों को तुरंत प्राथमिकता के विपरीत यहाँ यह एक शर्त आधारित प्राथमिकता है, जो केवल तभी दी जाती है जब सभी वाहनों के लिये देरी में समग्र रूप से कमी आती है।
- यह विकसित प्रणाली सार्वजनिक बसों को प्राथमिकता देकर अन्य वाहनों के विलंब में कमी लाएगी। इसके लिये हरी बत्ती के अंतराल को बढ़ाया जाएगा और लाल बत्ती के अंतराल को कम किया जाएगा। यह प्रणाली उस समय कार्य करना शुरू कर देगी, जब किसी चौराहे पर वाहन पहुंँचने वाले होंगे।
- हरी बत्ती अंतराल/ग्रीन एक्सटेंशन (Green Extension) एक चौराहे पर वाहनों की भीड़ को कम करने हेतु एक ज्ञात पारगमन वाहन के लिये अतिरिक्त समय प्रदान करता है। ग्रीन एक्सटेंशन का समय सबसे अधिक होता है जब ट्रांज़िट वाहन कतार के पीछे चलता है, जैसा कि एक दूर के स्टॉप के बाद पहले सिग्नल पर आम है।
- रेड ट्रंकेशन (Red Truncation) पहले किये गए प्रोग्राम की तुलना में एक ग्रीन फेज़ है जो अन्यथा की तुलना एक प्रतीक्षारत ट्रांज़िट वाहन के साथ चौराहे पर वाहनों की भीड़ को जल्द-से-जल्द कम करती है।
कॉमन स्मार्ट आई-ओटी कनेक्टिव (CoSMiC):
- यह मिडिलवेयर सॉफ्टवेयर है, जो वन-एम2एम (Machine -To Machine-oneM2M) आधारित वैश्विक मानक का पालन करते हुए आईओटी (IoT) की तैनाती करता है।
- वन-एम2एम वैश्विक मानकों की पहल है जो मशीन-टू-मशीन और IoT प्रौद्योगिकियों हेतु आवश्यकताओं, ढाँचागत, एपीआई [एप्प्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस (Application Programming Interface-API)] विनिर्देशों, सुरक्षा समाधान और इंटरऑपरेबिलिटी को कवर करती है।
- यह विभिन्न वर्टिकल डोमेन में उपयोगकर्त्ताओं और एप्प्लीकेशन सेवा प्रदाताओं को वन-एम2एम मानक का अनुपालन करने वाली उचित रूप से परिभाषित सामान्य सेवा कार्यात्मकताओं के साथ एंड-टू-एंड कम्युनिकेशन हेतु एप्प्लीकेशन ऐग्नास्टिक ओपन स्टैंडर्ड (Application Agnostic Open Standards) और ओपन इंटरफेस (Open Interfaces) का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करता है।
- इसे ध्यान में रखकर कॉस्मिक सामान्य सेवा को किसी भी विक्रेता के इंटरफेस के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने हेतु अन्य सरकारी पहलें:
- ब्लैक स्पॉट की पहचान और सुधार:
- राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट (दुर्घटना संभावित स्थान) की पहचान और सुधार को उच्च प्राथमिकता दी गई है।
- क्षेत्रीय अधिकारियों को चिह्नित सड़क दुर्घटना ब्लैक स्पॉट के सुधार हेतु विस्तृत अनुमानों के तकनीकी अनुमोदन के लिये अधिकार प्रदान किये गए थे।
- सड़क सुरक्षा लेखा परीक्षा:
- योजना के स्तर पर सड़कों की सुरक्षा को सड़क डिज़ाइन का एक अभिन्न अंग बनाया गया है। सभी राजमार्ग परियोजनाओं का सड़क सुरक्षा ऑडिट सभी चरणों अर्थात् डिज़ाइन, निर्माण, संचालन और रखरखाव हेतु अनिवार्य कर दिया गया है।
- दिव्यांग व्यक्तियों के लिये सुविधाएंँ:
- केंद्र ने सभी राज्यों को दिव्यांग व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय राजमार्गों पर पैदल यात्री सुविधाओं हेतु दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं।
- सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के पूर्ण कॉरिडोर पर टोल प्लाज़ा पर पैरामेडिकल स्टाफ, आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन या नर्स के साथ एम्बुलेंस के लिये प्रावधान किये है।
- दुर्घटना पीड़ितों के बचाने वालों को पुरस्कृत करना:
- दुर्घटना पीड़ितों की जान बचाने वालों को तत्काल सहायता देकर और उन्हें अस्पताल या ट्रॉमा केयर सेंटर पहुँचाने वालों को पुरस्कार देने की योजना की घोषणा की गई।
स्रोत: पी.आई.बी.
भारतीय अर्थव्यवस्था
एटीएम से कार्डलेस नकद निकासी
प्रिलिम्स के लिये:आरबीआई, यूपीआई, कार्ड स्किमिंग या कार्ड क्लोनिंग। मेन्स के लिये:यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस और इसकी उपलब्धियाँ, डिजिटल इंडिया। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश भर के एटीएम से कार्डलेस नकद निकासी की घोषणा की, जो उपभोक्ताओं को स्वचालित टेलर मशीन (ATM) से नकदी निकालने के लिये अपने स्मार्टफोन पर यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) का उपयोग करने में सक्षम बनाएगी।
महत्त्व:
- नकद निकासी की सुरक्षा:
- यह कार्ड स्किमिंग और कार्ड क्लोनिंग जैसी धोखाधड़ी को रोकने में मदद करेगा।
- उपयोगकर्त्ताओं को किसी भी एटीएम से नकद निकासी हेतु सक्षम करना:
- वर्तमान में केवल कुछ बैंकों के मौज़ूदा ग्राहकों को बिना कार्ड और विशिष्ट बैंक के एटीएम नेटवर्क से नकदी निकालने की अनुमति है।
- हालाँकि कार्डलेस निकासी में इंटरऑपरेबिलिटी की अनुमति देने के आरबीआई के कदम से उपयोगकर्त्ता किसी भी या सभी एटीएम से नकदी ले सकेंगे।
- वर्तमान में केवल कुछ बैंकों के मौज़ूदा ग्राहकों को बिना कार्ड और विशिष्ट बैंक के एटीएम नेटवर्क से नकदी निकालने की अनुमति है।
- भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना:
- यह कदम लोगों की आगे की समस्याओं को हल करने तथा भारत में भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में और अधिक लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
कार्ड स्किमिंग या कार्ड क्लोनिंग:
- क्रेडिट कार्ड क्लोनिंग या स्किमिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड की अनधिकृत प्रतियाँ बनाने का अवैध कार्य है।
- यह अपराधियों को कार्डधारक के पैसे को प्रभावी ढंग से चोरी करने और/या कार्डधारक के कार्ड का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
- एक बार जब डिवाइस डेटा हासिल कर लेता है, तो इसका उपयोग उपयोगकर्त्ता के बैंकिंग रिकॉर्ड तक अनधिकृत पहुँच प्राप्त करने के लिये किया जा सकता है।
- चोरी की गई जानकारी को एक नए कार्ड पर कोडित किया जा सकता है, एक प्रक्रिया जिसे क्लोनिंग कहा जाता है तथा इसका उपयोग भुगतान करने और अन्य बैंक खातों के साथ लेन-देन करने के लिये किया जा सकता है।
कार्डलेस नकद निकासी सुविधा की चुनौतियाँ:
- नकद निकासी पर सीमा:
- वर्तमान में आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एचडीएफसी बैंक और एसबीआई अपने उपयोगकर्त्ताओं को कार्डलेस नकद निकासी की अनुमति देते हैं। लेकिन इस सुविधा तक पहुँचना बोझिल है क्योंकि इसमें निकासी की कुछ सीमाएँ है, साथ ही लेन-देन पर शुल्क भी लगाया जाता है।
- इस सुविधा की मापनीयता:
- इस सुविधा की मापनीयता एक चुनौती हो सकती है क्योंकि यह देखना होगा कि कितने बैंक अपने ग्राहकों के लिये इसे जल्दी से शुरू करते हैं।
- सुरक्षा संबंधी समस्या:
- कार्डलेस निकासी में कार्ड की सुरक्षा भेद्यता कम-से-कम होती है, लेकिन यह ज़ोखिम जल्द ही मोबाइल-सक्षम सुविधा में स्थानांतरित हो जाएगा।
- मोबाइल अब लेन-देन का केंद्र बन सकता है, जिससे धोखेबाज़ी में वृद्धि हो सकती है।
- कार्डलेस निकासी में कार्ड की सुरक्षा भेद्यता कम-से-कम होती है, लेकिन यह ज़ोखिम जल्द ही मोबाइल-सक्षम सुविधा में स्थानांतरित हो जाएगा।
भविष्य में डेबिट कार्ड का उपयोग:
- कार्ड जारी करना बंद नहीं किया जाएगा क्योंकि उनके पास नकद निकासी के अलावा कई अन्य सुविधाएँ होंगी। उनका उपयोग किसी रेस्टोरेंट, दुकान या किसी विदेशों में भुगतान के लिये किया जा सकता है।
- डेबिट कार्ड एक विकसित वित्तीय उत्पाद है और अपनी वर्तमान पूर्णता तक पहुँचने के लिये पहले से ही कई पुनरावृत्तियों से गुज़र चुका है।
- इस प्रकार डेबिट कार्ड का उपयोग अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों में जारी रहेगा।
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI):
- यह तत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service- IMPS) जो कि कैशलेस भुगतान को तीव्र और आसान बनाने के लिये चौबीस घंटे धन हस्तांतरण सेवा है, का एक उन्नत संस्करण है।
- UPI एक ऐसी प्रणाली है जो कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लीकेशन (किसी भी भाग लेने वाले बैंक के) द्वारा कई बैंकिंग सुविधाओं, निर्बाध फंड रूटिंग और मर्चेंट भुगतान की शक्ति प्रदान करती है।
- वर्तमान में UPI नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH), तत्काल भुगतान सेवा (IMPS), आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS), भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS), RuPay आदि सहित भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा संचालित प्रणालियों में सबसे बड़ा है।
- वर्तमान में शीर्ष UPI एप में PhonePe, Paytm, Google Pay, Amazon Pay और BHIM शामिल हैं,
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c)
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन भारत में सभी एटीएम को जोड़ता है? (2018) (a) भारतीय बैंक संघ उत्तर: C
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन 'एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI)' को लागू करने का सबसे संभावित परिणाम है? (2017) (a) ऑनलाइन भुगतान के लिये मोबाइल वॉलेट की आवश्यकता नहीं होगी। उत्तर: (a)
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स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आईएमसीजी की बैठक
प्रिलिम्स के लिये:नेबरहुड फर्स्ट नीति, सार्क, क्वाड मेन्स के लिये:नेबरहुड फर्स्ट नीति और चुनौतियाँ, भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट नीति का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के विदेश सचिव द्वारा सचिव स्तर पर अंतर-मंत्रिस्तरीय समन्वय समूह (Inter-Ministerial Coordination Group- IMCG) की पहली बैठक बुलाई गई।
- IMCG को भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ के दृष्टिकोण को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक उच्च-स्तरीय तंत्र के रूप में स्थापित किया गया है, जिसका बल भारत के पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध विकसित करने पर है।
- IMCG को विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिवों द्वारा बुलाई गई अंतर-मंत्रालयी संयुक्त कार्य बल (Joint Task Forces- JTF) द्वारा समर्थित किया जाता है।
प्रमुख बिंदु
बैठक की मुख्य विशेषताएंँ:
- बैठक के बारे में:
- IMCG ने बेहतर कनेक्टिविटी, मज़बूत इंटरलिंकेज और पड़ोसी देशों के नागरिकों के मध्य मज़बूत जुड़ाव को बढ़ावा देने हेतु एक संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के साथ व्यापक दिशा प्रदान की।
- बैठक का फोकस सीमा अवसंरचना का निर्माण करना था जो नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ अधिक व्यापार की सुविधा प्रदान करने, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के मामले में भूटान और मालदीव जैसे देशों की विशेष ज़रूरतों को पूरा करने, बांग्लादेश के साथ रेल संपर्क खोलने, अफगानिस्तान और म्याँमार को मानवीय सहायता प्रदान करने तथा श्रीलंका के साथ मत्स्य पालन के मुद्दे पर केंद्रित था।
- महत्त्व:
- IMCG देशों की सरकारों के मध्य संस्थागत समन्वय में और अधिक सुधार करेगा तथा अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंधों के लिये इस पूरे सरकारी दृष्टिकोण को व्यापक दिशा प्रदान करेगा।
नेबरहुड फर्स्ट नीति’ विज़न का उद्देश्य:
- कनेक्टिविटी:
- भारत द्वारा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) के सदस्यों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। ये समझौते सीमाओं के पार संसाधनों, ऊर्जा, माल, श्रम और सूचना के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं।
- पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार:
- भारत की प्राथमिकता तत्काल पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार करना है क्योंकि विकास के एजेंडे को साकार करने के लिये दक्षिण एशिया में शांति आवश्यक है।
- संवाद:
- यह पड़ोसी देशों के साथ जुड़कर और बातचीत के माध्यम से राजनीतिक संबंधों का निर्माण करके मज़बूत क्षेत्रीय कूटनीति पर ध्यान केंद्रित करता है।
- द्विपक्षीय विवादों का समाधान:
- नीति आपसी समझौते के माध्यम से द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने पर केंद्रित है।
- आर्थिक सहयोग:
- यह पड़ोसियों के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित है। भारत इस क्षेत्र में विकास के एक माध्यम के रूप में सार्क में शामिल हुआ है और इसमें निवेश किया है।
- 'ऊर्जा विकास के लिये ऐसा ही एक उदाहरण बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (Bangladesh-Bhutan-India-Nepal- BBIN) समूह अर्थात् मोटर वाहन, जलशक्ति प्रबंधन और इंटर-ग्रिड कनेक्टिविटी है।
- यह पड़ोसियों के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित है। भारत इस क्षेत्र में विकास के एक माध्यम के रूप में सार्क में शामिल हुआ है और इसमें निवेश किया है।
- आपदा प्रबंधन:
- यह नीति आपदा प्रतिक्रिया, संसाधन प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान और संचार पर सहयोग करने तथा सभी दक्षिण एशियाई नागरिकों हेतुआपदा प्रबंधन में क्षमताओं एवं विशेषज्ञता पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
- सैन्य और रक्षा सहयोग:
- भारत विभिन्न रक्षा अभ्यासों के आयोजन में भाग लेकर सैन्य सहयोग के माध्यम से क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
नेबरहुड फर्स्ट नीति से संबंधित मुद्दे:
- चीन का बढ़ता दबाव:
- भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ एक सार्थक दिशा प्रदान करने में विफल रही है और बढ़ते चीनी दबाव ने देश को इस क्षेत्र में सहयोगी पक्षों का समर्थन प्राप्त करने से रोक दिया है।
- समुद्री मोर्चे पर चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।
- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) चीन को भारत के पड़ोस में विस्तार करने का अवसर भी प्रदान करती है, उदाहरण के लिये चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के कारण चीन की उपस्थिति भारतीय सीमा के करीब देखी गई है, चाहे वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हो या सर क्रीक क्षेत्र।.
- वर्ष 2013 में प्रस्तावित BRI चीन का एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
- भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ एक सार्थक दिशा प्रदान करने में विफल रही है और बढ़ते चीनी दबाव ने देश को इस क्षेत्र में सहयोगी पक्षों का समर्थन प्राप्त करने से रोक दिया है।
- घरेलू मामलों में हस्तक्षेप:
- भारत अपने पड़ोसी देशों विशेषकर नेपाल के घरेलू मामलों में उसकी संप्रभुता में हस्तक्षेप कर रहा है।
- भारत, नेपाल के अंदर और बाहर मुक्त पारगमन व मुक्त व्यापार में भी बाधा उत्पन्न कर रहा है तथा अपने लोगों और सरकार पर दबाव बनाता रहता है।
- सैन्य उपायों पर ध्यान केंद्रित करना:
- भारत सामाजिक तत्त्वों के बजाय सैन्य उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इसने पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ाने में मदद की है, जिससे भारत विरोधी भावना में वृद्धि हो रही है।
- भारत की घरेलू राजनीति का प्रभाव:
- भारत की घरेलू नीतियाँ मुस्लिम-बहुल देश बांग्लादेश में समस्याएँ पैदा कर रही हैं, जो यह दर्शाता है कि भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति को बांग्लादेश जैसे मैत्रीपूर्ण क्षेत्रों में भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- कई बांग्लादेशी वर्तमान में भारत के राजनीतिक नेतृत्व को इस्लामोफोबिक या इस्लाम विरोधी मानते हैं।
- पश्चिम की ओर भारत के झुकाव का प्रभाव:
- भारत विशेष रूप से क्वाड और अन्य बहुपक्षीय तथा लघु-पार्श्व पहलों के माध्यम से पश्चिम के साथ करीबी संबंध स्थापित कर रहा है।
- लेकिन पश्चिम के साथ श्रीलंका के संबंध अच्छी दिशा में नहीं बढ़ रहे हैं क्योंकि देश की वर्तमान सरकार को मानवाधिकारों के मुद्दों और स्वतंत्रता पर पश्चिमी देशों से बढ़ती आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
- नतीजतन, श्रीलंका ने चीन के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करना शुरू कर दिया है, जिससे यह संभावना बढ़ गई है कि भारत-श्रीलंका के संबंध किसी समय खराब हो सकते हैं।
आगे की राह
- भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति गुजराल सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिये।
- इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत के कद और ताकत को उसके पड़ोसियों के साथ उसके संबंधों की गुणवत्ता से अलग नहीं किया जा सकता है तथा उनका क्षेत्रीय विकास भी हो सकता है।
- भारत की क्षेत्रीय आर्थिक और विदेश नीति को एकीकृत करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- इसलिये भारत को छोटे आर्थिक हितों के लिये पड़ोसियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों से समझौता करने का विरोध करना चाहिये।
- क्षेत्रीय संपर्क को अधिक मज़बूती के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिये, जबकि सुरक्षा चिंताओं को लागत प्रभावी, कुशल और विश्वसनीय तकनीकी उपायों के माध्यम से संबोधित किया जाता रहा है जो दुनिया के अन्य हिस्सों में उपयोग में हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में आने वाले 'वेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' किसके मामलों के संदर्भ में आता है? (2016) (a) अफ्रीकी संघ उत्तर: (d) |