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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

श्रीलंका के साथ मछुआरों का मुद्दा

  • 21 Dec 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कच्चातिवु द्वीप और पाक खाड़ी जलडमरूमध्य की अवस्थिति 

मेन्स के लिये:

मछुआरों के मुद्दे का भारत-श्रीलंका संबंधों पर प्रभाव तथा भारत द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदम 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में श्रीलंकाई नौसेना कर्मियों द्वारा तमिलनाडु के 43 मछुआरों को गिरफ्तार कर उनकी छह नौकाओं को जब्त कर लिया गया।

Sri-Lanka

प्रमुख बिंदु 

  • पृष्ठभूमि:
    • भारत और श्रीलंका दोनों देशों के मछुआरे सदियों से पाक खाड़ी क्षेत्र में मछली पकड़ते रहे हैं।
      • पाक खाड़ी भारत और श्रीलंका के दक्षिण-पूर्वी तट के मध्य एक अर्द्ध-संलग्न उथला जल निकाय क्षेत्र है।
    • वर्ष 1974 में भारत और श्रीलंका द्वारा एक समुद्री समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद से यह समस्या उत्पन्न हुई।
    • शुरुआत में वर्ष 1974 के सीमा समझौते ने सीमा के दोनों ओर मछली पकड़ने के मछुआरों के हितों को प्रभावित नहीं किया।
    • वर्ष 1976 में दोनों देशों के मध्य हुए दस्तावेज़ों के आदान-प्रदान द्वारा भारत और श्रीलंका एक-दूसरे के जल क्षेत्र में मछली न पकड़ने पर सहमत हुए।
      • वर्ष 1974 और वर्ष 1976 में दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (International Maritime Boundary Line- IMB) का सीमांकन करने हेतु संधियों पर हस्ताक्षर किये गए थे।
      • इन संधियों ने भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाले पाक जलडमरूमध्य को 'टू नेशन पोंड’ (Two-Nation Pond) बना दिया, जो कि संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UN Convention on the Law of the Sea-UNCLOS) के नियमों के तहत किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप को रोकता है।
      • सरल शब्दों में यह द्विपक्षीय व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय फिशिंग और शिपिंग पर प्रतिबंध लगाती है।
    • हालाँकि समझौता मछुआरों को इस क्षेत्र में मछली पकड़ने से नहीं रोक सका।
      • समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर के बावजूद वर्ष 1983 में ईलम युद्ध (Eelam war) शुरू होने तक दोनों देशों के मछुआरा समुदायों ने शांतिपूर्वक पाक खाड़ी क्षेत्र में मछली पकड़ना जारी रखा। 
    • बहरहाल वर्ष 2009 में युद्ध की समाप्ति के बाद से श्रीलंकाई मछुआरे भारतीय मछुआरों के उन्ही के जल क्षेत्र में मछली पकड़ने पर आपत्ति जताते रहे हैं।
    • बाद में भारत और श्रीलंका द्वारा मछुआरों के मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने के लिये भारत-श्रीलंका के मध्य वर्ष 2016 में मत्स्य पालन पर एक संयुक्त कार्य समूह (JWG) के गठन पर सहमति व्यक्त की गई।
  • कच्चातीवु द्वीप मुद्दा:
    • कच्चातीवु द्वीप का उपयोग मछुआरों द्वारा पकड़ी गई मछलियों को छाँटने और अपना जाल सुखाने के लिये किया जाता है जो कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के दूसरी तरफ स्थित है।
    • ऐसे में पारंपरिक मछुआरे अक्सर अपनी जान जोखिम में डालते हैं क्योंकि गहरे समुद्र से खाली हाथ लौटने के बजाय मछली पकड़ने के लिये वे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार कर जाते हैं उनके ऐसा करने पर श्रीलंकाई नौसेना अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार करने वाले भारतीय मछुआरों को पकड़कर या तो उनके जाल को नष्ट कर देती है या फिर उनकी नौकाओं को जब्त  कर लेती है।

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  • विवाद जारी रहने का कारण:
    • भारतीय मछुआरों के साथ मुख्य समस्या यह है कि उनमें से बड़ी संख्या श्रीलंकाई जल में मछली पकड़ने पर निर्भर है, जो कि वर्ष 1976 के समुद्री सीमा समझौते द्वारा निषिद्ध है।
    • साथ ही बड़ी संख्या में भारतीय मछुआरे ट्रॉलिंग पर निर्भर हैं जो कि श्रीलंका में प्रतिबंधित है।
  • संबंधित पहल:
    • IMBL काल्पनिक है, लेकिन ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) के माध्यम से इसे अब जियो-टैग प्रदान किया गया है जिससे मछुआरे IMBL को पहचानने में सक्षम हैं।
    • गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की योजना:
      • यह तमिलनाडु-विशिष्ट योजना है, इसका उद्देश्य राज्य के मछुआरों को तीन वर्ष में 2,000 नाव उपलब्ध कराना और उन्हें ‘बॉटम ट्रालिंग’ छोड़ने के लिये प्रेरित करना है।
        • इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों को समाप्त करना है।
        • इसे ‘ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम’ के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था।

आगे की राह

  • श्रीलंका में प्रतिबंधित मछली पकड़ने के उपकरणों को पाक खाड़ी में भारत द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिये
    • ऐसे फिशिंग अभ्यासों को छोड़ देना चाहिये जो समुद्री पारिस्थितिकी को अपूरणीय क्षति पहुँचाते हैं।
  • यदि घोषणा का दो चरणों में पालन किया जाए तो भारतीय मछुआरों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। 
    • ट्रॉलर का उपयोग ओडिशा तट में किया जा सकता है जहाँ पानी बहुत गहरा है।
    • कुछ परिवर्तनों के साथ ट्रॉलर को मछली पकड़ने वाले छोटे जहाज़ों के रूप में उपयोग किया जा सकता है जो मदर शिप या मुख्य जहाज़ की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
  • भारत, पाक खाड़ी को विवादित क्षेत्र से साझा विरासत में बदल सकता है।
    • पहला कदम इस बात को स्वीकार करना है कि यहाँ विभिन्न हितधारक हैं जिसमें दो संघीय एवं प्रांतीय सरकारें, नौसेना एवं तटरक्षक, मत्स्य विभाग और इन सबसे ऊपर दोनों देशों के मछुआरे समुदाय शामिल हैं।
    • अगला कदम समुद्री पारिस्थितिकीविदों, मत्स्य विशेषज्ञों, रणनीतिक विशेषज्ञों और सरकारी प्रतिनिधियों के साथ मिलकर पाक खाड़ी प्राधिकरण (Palk Bay Authority-PBA) के निर्माण का होना चाहिये।
      • PBA मछली पकड़ने (कैचिंग) की आदर्श एवं संधारणीय क्षमता, फिशिंग हेतु इस्तेमाल किये जा सकने वाले उपकरणों के प्रकार और श्रीलंकाई तथा भारतीय मछुआरों के लिये मछली पकड़ने की तारीखें व दिनों की संख्या आदि का निर्धारण कर सकता है।
      • समुद्री संसाधनों के संवर्द्धन और मछुआरों की आजीविका में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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