अंतर्राष्ट्रीय संबंध
मत्स्य पालन पर भारत-श्रीलंका संयुक्त कार्य समूह
- 31 Dec 2020
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मत्स्य पालन पर भारत-श्रीलंका संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group- JWG) की चौथी बैठक वर्चुअल माध्यम में आयोजित की गई।
- पाक जलडमरूमध्य (Palk Strait) और मन्नार की खाड़ी दोनों देशों के मछुआरों के लिये मछली पकड़ने के प्रमुख क्षेत्र हैं।
प्रमुख बिंदु
चौथी बैठक
- संयुक्त कार्य समूह (JWG) की चौथी बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने भारत और श्रीलंका की नौसेना तथा तटरक्षक बल के बीच गश्त, तटरक्षक बलों के बीच मौजूदा हॉटलाइन व्यवस्था एवं समुद्री पर्यावरण के संरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर आपसी सहयोग के साथ-साथ संयुक्त कार्य समूह (JWG) की पाँचवीं बैठक के कार्यक्रम पर भी विचार-विमर्श किया।
- श्रीलंका ने अपने देश के मछुआरों के लिये अरब सागर में प्रवेश हेतु एक सुरक्षित मार्ग की भी मांग की है।
- भारत का पक्ष
- भारत ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति द्वारा नवंबर 2019 में भारत यात्रा के दौरान व्यक्त की गई प्रतिबद्धता के अनुरूप श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिये गए सभी मछुआरों को रिहा करने की बात दोहराई।
- भारत द्वारा पाक खाड़ी (Palk Bay) में मछली पकड़ने के दबाव को कम करने और इसमें विविधता लाने के लिये प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना तथा भारत सरकार की अन्य योजनाओं एवं तमिलनाडु व पुद्दुचेरी की सरकारों की योजनाओं के तहत किये गए प्रयासों को रेखांकित किया गया।
- भारत ने गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की प्रकिया में विविधता लाने हेतु की गई पहलों, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की सुविधा हेतु तैयार अवसंरचना, समुद्री शैवाल की खेती के माध्यम से वैकल्पिक आजीविका को बढ़ावा देने, समुद्री कृषि (Mariculture) और अन्य जलीय कृषि गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की।
- समुद्री कृषि का आशय भोजन तथा अन्य उत्पादों जैसे फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य योगज और गहने आदि के लिये समुद्री जीवों की कृषि से है।
सयुक्त कार्य समूह:
- वर्ष 2016 में भारत के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय तथा श्रीलंका के मत्स्य एवं जलीय संसाधन विकास मंत्रालय के मध्य मछुआरों के मुद्दे का स्थायी समाधान ढूँढने के लिये दोनों देशों द्वारा एक संयुक्त कार्यकारी समूह (JWG) के गठन पर सहमत व्यक्त की गई।
- JWG में दोनों देशों के विदेश मंत्रालय, तटरक्षक बल और नौसेना के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
- JWG की शर्तें:
- अतिशीघ्र बॉटम ट्राॅलिंग (Bottom Trawling) के अभ्यास को समाप्त करने की दिशा में कार्य करना।
- बॉटम ट्राॅलिंग मछली पकड़ने की एक औद्योगिक विधि है जिसमें एक बड़े जाल को भारी वज़न के साथ समुद्री तल में डाला जाता है।
- जब भारित जाल और ट्रॉल को समुद्र तल से खींचा जाता है, तो उनके रास्ते में आने वाली प्रत्येक चीज़ जिनमें समुद्री घास तथा प्रवाल भित्तियाँ आदि शामिल हैं, जो कि शिकार के समय मछलियों के छिपने के प्रमुख स्थान होते हैं, नष्ट हो जाते हैं।
- दोनों पक्षों द्वारा गिरफ्तार मछुआरों को लौटाने के लिये प्रक्रिया तैयार करना।
- दोनों देशों के मध्य संयुक्त गश्त की संभावना।
- अतिशीघ्र बॉटम ट्राॅलिंग (Bottom Trawling) के अभ्यास को समाप्त करने की दिशा में कार्य करना।
मछुआरों से संबंधित मुद्दे:
- दोनों देशों के बीच स्थानीय जल की निकटता को देखते हुए विशेष रूप से पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी में मछुआरों के भटकने की घटनाएँ आम हैं।
- भारतीय नौकाएँ सदियों से अशांत जल क्षेत्र में मछली पकड़ रही हैं और वर्ष 1974-1976 में दोनों देशों के मध्य अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (International Maritime Boundary Line-IMBL) के सीमांकन हेतु संधियों पर हस्ताक्षर किये जाने तक भारतीय नौकाएँ बंगाल की खाड़ी, पाक की खाड़ी तथा मन्नार की खाड़ी में स्वतंत्र आवागमन कर सकती थीं।
- हालाँकि मछुआरों के लिये बनी ये संधियाँ विफल हो गईं, क्योंकि इनके कारण हज़ारों पारंपरिक मछुआरे अपने मत्स्य पालन क्षेत्र में अल्प क्षेत्र तक ही सीमित रहने के लिये मज़बूर थे।
- हिथेरो जो कैटचैहेवु का एक छोटा टापू है, इसका उपयोग भारतीय मछुआरों द्वारा पकड़ी गई मछलियों को बीनने या अपने जाल को सुखाने के लिये इस्तेमाल किया जाता था अब यह IMB सीमा के दूसरी ओर चला गया है।
- मछुआरे अक्सर अपनी जान जोखिम में डालते हैं और खाली हाथ लौटने के बजाय IMBL को पार कर जाते हैं, इसके कारण श्रीलंकाई नौसेना द्वारा या तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है या उनके जाल को नष्ट कर दिया जाता है।
- हिथेरो जो कैटचैहेवु का एक छोटा टापू है, इसका उपयोग भारतीय मछुआरों द्वारा पकड़ी गई मछलियों को बीनने या अपने जाल को सुखाने के लिये इस्तेमाल किया जाता था अब यह IMB सीमा के दूसरी ओर चला गया है।
उठाए गए कदम:
- डीप सी फिशिंग योजना:
- यह योजना वर्ष 2019-20 तक ट्रॉलर के स्थान पर 2,000 डीप सी फिशिंग नौकाओं के प्रावधान की परिकल्पना करती है, जो कि योजना के कार्यान्वयन का तीसरा और अंतिम वर्ष होगा।
- इसका उद्देश्य दोनों देशों के मध्य उत्पन्न विवादों को समाप्त करना है।
- इसकी शुरुआत 'नीली क्रांति' योजना के तहत की गई है।
आगे की राह:
- श्रीलंका के साथ संबंध सुधारने के लिये भारत को अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक संबंधों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
- भारत और श्रीलंका के मध्य फेरी (नौका) सेवा शुरू किये जाने से लोगों के बीच आपसी संपर्क में सुधार हो सकता है।
- एक-दूसरे की चिंताओं और हितों पर ध्यान दिये जाने से दोनों देशों के मध्य संबंध बेहतर हो सकते हैं।