लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़

  • 09 Dec, 2023
  • 29 min read
शासन व्यवस्था

ऑनलाइन गेमिंग एथिक्स को डिकोड करना

प्रिलिम्स के लिये:

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI), नो-योर-कस्टमर (KYC), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, IT अधिनियम की धारा 67, 67A और 67B

मेन्स के लिये:

ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र पर स्वैच्छिक आचार संहिता का प्रभाव और इसके कानूनी निहितार्थ

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग ने स्वेच्छा से हस्ताक्षरित एक आचार संहिता तैयार की है।

  • यह कदम उद्योग के लिये स्व-विनियमन और अधिक स्थिर वातावरण बनाने के प्रयास का प्रतीक है।
    • भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन गेमिंग मामलों की ज़िम्मेदारी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को सौंपी गई है।

गेमिंग उद्योग द्वारा अपनाई गई आचार संहिता क्या है?    

  • स्वयं को नियंत्रित करने और बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिये तीन प्रमुख लॉबी समूहों इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) ने स्वेच्छा से एक आचार संहिता पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • आचार संहिता पूरी तरह से स्वैच्छिक प्रकृति की है। अपनी गैर-बाध्यकारी प्रकृति के बावजूद संहिता का लक्ष्य उद्योग के भीतर ज़िम्मेदार प्रथाओं को बढ़ावा देना है और इसे स्व-नियमन की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जाता है।
  • यह संहिता उपभोक्ताओं को उनके द्वारा चुने गए ऑनलाइन गेम के संबंध में सूचित निर्णय लेने के लिये सशक्त बनाकर उनके हितों की रक्षा करने का प्रयास करती है।
  • संहिता के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को लागू कानूनों के अनुसार अपने ग्राहक को जानिये (KYC) प्रक्रिया अपनानी होगी।
  • इसके अतिरिक्त कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर विजेताओं का निर्धारण करने के मानदंड, ली गई फीस का खुलासा करना अनिवार्य होगा और उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि जमा राशि का उपयोग केवल प्लेटफॉर्म पर गेम खेलने के लिये किया जाए।
  • यह पारदर्शिता, निष्पक्षता और उत्तरदायित्त्वपूर्ण गेमिंग जैसे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में ऑनलाइन गेमिंग के लिये एक "अनुकूल वातावरण" बनाने का भी प्रयास करता है।

ऑनलाइन गेमिंग क्या है?

  • परिचय:
    • ऑनलाइन गेमिंग के अंतर्गत इंटरनेट की सहायता से गेम खेलना, मैदानों में जाकर खेलने के बजाय इंटरनेट कनेक्शन और सहयोगात्मक गेमप्ले की सुविधा प्रदान करना शामिल है।
    • यह कंप्यूटर और मोबाइल फोन सहित विभिन्न उपकरणों पर खेला जा सकता है।

जुआ/गैंबलिंग और ऑनलाइन गेमिंग के बीच अंतर:

  • जुआ/गैंबलिंग अनिश्चित परिणामों वाली कुछ खेलों अथवा गतिविधियों पर दाँव लगाने की प्रथा है, जिसका मुख्य उद्देश्य धन अथवा भौतिक संपत्ति को जीतना है।
    • जुए के विभिन्न रूप मौजूद हैं, जैसे कि कैसीनो गेम, खेल में सट्टेबाज़ी और लॉटरी।
    • ऑनलाइन गेमिंग के विपरीत जुए में पैसे अथवा मूल्यवान वस्तुएँ खोने का जोखिम होता है।
  • भारत में संयोग का खेल जुए की श्रेणी में आता है और यह आमतौर पर प्रतिबंधित है, जबकि जुए के दायरे से बाहर आने वाले कौशल के खेलों को आमतौर पर छूट है।
    • RMD चमारबागवाला बनाम भारत संघ मामले में कोई गतिविधि जुआ है अथवा नहीं- निर्धारित करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय ने 'कौशल' को प्रमुख आधार माना।
    • न्यायालय ने माना कि जिन प्रतियोगिताओं में काफी हद तक कौशल शामिल होता है, उन्हें जुआ/गैंबलिंग गतिविधियाँ नहीं माना जा सकता है।

ऑनलाइन गेमिंग पर सरकारी विनियम और विभिन्न संहिताएँ किस प्रकार संरेखित हैं?

  • सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867
    • यह अधिनियम मुख्य रूप से गैर-ऑनलाइन जुआ गतिविधियों से संबंधित है। हालाँकि इसकी प्रासंगिकता ऑनलाइन गेमिंग में भी है, जो इसके विनियमन के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000:
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 गेमिंग सहित ऑनलाइन गतिविधियों को विनियमित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। IT अधिनियम की धारा 66 कंप्यूटर से संबंधित अपराधों से संबंधित है, जो ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े साइबर अपराधों को संबोधित करने के लिये कानूनी आधार प्रदान करती है।
    • IT अधिनियम की धारा 67, 67A, और 67B अधिकारियों को ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित कानून बनाने के लिये सशक्त बनाती है, जो मौका, जुआ और सट्टेबाज़ी के तत्त्वों को शामिल करने वाली गतिविधियों को विनियमित करने में विवेक की आवश्यकता को पहचानती है।
      • यह मान्यता जुए और सट्टेबाज़ी को राज्य के अधिकार क्षेत्र में रखते हुए ज़िम्मेदारियों के संवैधानिक विभाजन के अनुरूप है।
  • स्व-नियामक निकाय:
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ऐसे नियम पेश किये हैं जो ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के भीतर स्व-नियामक निकायों की स्थापना की अनुमति देते हैं।
  • अंतर-मंत्रालयी कार्य बल की सिफारिशें:
    • सरकार का सक्रिय दृष्टिकोण अंतर-मंत्रालयी टास्क फोर्स द्वारा की गई सिफारिशों में स्पष्ट है, जो ऑनलाइन गेमिंग के लिये नियमों के निर्माण में योगदान दे रहा है।
      • ये सिफारिशें उद्योग के विकास और उपभोक्ता संरक्षण के बीच संतुलन बनाने के उद्देश्य से एक सहयोगात्मक प्रयास को दर्शाती हैं।

आगे की राह

  • अनुपालन हेतु प्रौद्योगिकी एकीकरण:
    • ऐसे प्रौद्योगिकी समाधानों में निवेश करना जो कोड के प्रावधानों जैसे मजबूत KYC प्रक्रियाओं और पारदर्शी प्रकटीकरण तंत्र के निर्बाध कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करते हैं।
    • विजेता का निर्धारण और वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ाने, निष्पक्ष तथा जवाबदेह गेमिंग वातावरण सुनिश्चित करने के लिये ब्लॉकचेन या अन्य सुरक्षित प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना।
  • नियमित ऑडिट और रिपोर्टिंग:
    • सहिंता की शर्तों के अनुपालन का आकलन करने के लिये स्वतंत्र निकायों द्वारा आवधिक ऑडिट  हेतु एक प्रणाली स्थापित करना।
    • ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर नियमित रिपोर्ट प्रकाशित करने का आदेश देना, जिसमें विजेताओं के निर्धारण के तरीके, प्लेटफॉर्म शुल्क तथा जमाराशि का उपयोग, पारदर्शिता एवं जवाबदेही को बढ़ावा देने का विवरण हो।
  • उपभोक्ता प्रतिक्रिया तंत्र:
    • एक सुदृढ़ फीडबैक तंत्र लागू करना जो खिलाड़ियों की चिंता व्यक्त करने तथा कूट के साथ उद्योग के अनुपालन पर फीडबैक प्रदान करने की अनुमति देता है।
    • कूट में निरंतर सुधार करने, उभरती समस्याओं का समाधान करने एवं समग्र गेमिंग अनुभव को सुधारने के लिये उपभोक्ता प्रतिक्रिया का उपयोग करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना:
    • ऑनलाइन गेमिंग नैतिकता में विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में अवगत रहना एवं उन प्रासंगिक उपायों को अपनाने पर विचार करना जो अन्य न्यायालयों में सफल साबित हुए हैं।
    • अंतर्दृष्टि साझा करने तथा वैश्विक गेमिंग समुदाय के अनुभवों से सीखने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मंचों में भाग लेना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार का/के "डिजिटल इंडिया" योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018)

  1. भारत की अपनी इंटरनेट कंपनियों का गठन, जैसा कि चीन ने किया।
  2. एक नीतिगत ढाँचे की स्थापना जिससे बड़े आँकड़े एकत्रित करने वाली समुद्रपारीय बहु-राष्ट्रीय कंपनियों को प्रोत्साहित किया जा सके कि वे हमारी भौगोलिक सीमाओं के अंदर अपने बड़े डेटा केंद्रों की स्थापना करें।
  3. हमारे अनेक गाँवों को इंटरनेट से जोड़ना तथा हमारे बहुत से विद्यालयों, सार्वजनिक स्थलों एवं प्रमुख पर्यटक केंद्रों में वाई-फाई (Wi-Fi) लाना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


भारतीय राजव्यवस्था

जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक एवं जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023

प्रिलिम्स के लिये:

जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक एवं जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023, लोकसभा, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK), अनुच्छेद 370 का निरसन, परिसीमन।

मेन्स के लिये:

जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक एवं जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक एवं जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया है।

  • यह विधेयक उन लोगों के प्रतिनिधित्व से संबंधित है जिनका अस्तित्व अपने ही देश में शरणार्थी के रूप में है। साथ ही यह विधेयक जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से विस्थापित हुए लोगों के लिये एक सीट आरक्षित करता है।

पृष्ठभूमि:

  • अनुच्छेद 370 के निरसन से पूर्व, जम्मू-कश्मीर में लोकसभा तथा विधानसभा सीटों के परिसीमन को लेकर अलग-अलग नियम थे।
  • अनुच्छेद 370 के निरसन और इस क्षेत्र को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में बदले जाने के बाद मार्च 2020 में एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था।
  • इस आयोग का कार्य न केवल जम्मू-कश्मीर की सीटों, बल्कि असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश एवं नगालैंड की सीटों का परिसीमन करना था तथा इस कार्य के पूर्ण होने के लिये एक वर्ष की समयसीमा तय की गई थी।
  • हाल ही में इस आयोग द्वारा परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो गई

ये दो विधेयक क्या हैं?

  • जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023:
    • इसकी मदद से जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 की धारा 2 में संशोधन किया जाएगा।
      • जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) तथा अन्य सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है।
    • संशोधन विधेयक के अनुसार व्यक्तियों के एक वर्ग जिन्हें पहले "कमज़ोर और वंचित वर्ग (सामाजिक जाति)" के रूप में  जाना जता था, को अब  "अन्य पिछड़ा वर्ग" के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
  • जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023:
    • यह विधेयक 2019 के अधिनियम में संशोधन करने तथा कश्मीरी प्रवासियों एवं PoK से विस्थापित व्यक्तियों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व प्रदान करने का प्रयास करता है।
    • इसमें कश्मीरी प्रवासी समुदाय से दो सदस्यों को नामित करने का प्रावधान है, जिसमें एक महिला सदस्य होगी तथा पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) से विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक व्यक्ति को विधानसभा में नामित करने की उपराज्यपाल की शक्ति होगी।
    • इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 107 से बढ़ाकर 114 करने का प्रस्ताव है, जिनमें से 7 अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिये और 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के विधायकों के लिये आरक्षित होंगी।
      • विधेयक के अनुसार, पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर के लिये विधानसभा की 24 सीटें आरक्षित की गई हैं।
      • इसलिये विधानसभा की संबद्ध प्रभावी शक्ति 83 है, जिसे संशोधन द्वारा बढ़ाकर 90 करने का प्रयास किया गया है।

ज़ीरो टेरर प्लान अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से कैसे संबद्ध है?

  • ज़ीरो टेरर प्लान जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिये भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक व्यापक रणनीति को संदर्भित करता है। यह योजना पिछले तीन वर्षों से प्रभावी है और वर्ष 2026 तक पूर्ण कार्यान्वयन हेतु निर्धारित है।
  • जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से क्षेत्र में आतंकवाद में उल्लेखनीय गिरावट आई है।

परिसीमन क्या है?

  • निर्वाचन आयोग के अनुसार, परिसीमन किसी देश या विधायी निकाय वाले प्रांत में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों (विधानसभा या लोकसभा सीट) की सीमाओं को तय करने या फिर से तैयार करने का कार्य है।
  • परिसीमन की कवायद एक स्वतंत्र उच्चाधिकार प्राप्त पैनल द्वारा की जाती है जिसे परिसीमन आयोग के नाम से जाना जाता है, जिसके आदेशों पर कानून का प्रभाव होता है और किसी भी अदालत द्वारा उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
    • 1952, 1962, 1972 और 2002 के अधिनियमों के आधार पर चार बार वर्ष 1952, 1963, 1973 और 2002 में परिसीमन आयोगों का गठन किया गया है।
  • किसी निर्वाचन क्षेत्र को उसकी जनसंख्या के आकार (पिछली जनगणना आधार) के आधार पर फिर से परिभाषित करने की कवायद पिछले कई वर्षों से की जा रही है।
  • किसी निर्वाचन क्षेत्र की सीमा बदलने के अलावा इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप राज्य में सीटों की संख्या में भी बदलाव हो सकता है।
  • इस अभ्यास में संविधान के अनुसार SC और ST के लिये विधानसभा सीटों का आरक्षण भी शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. परिसीमन आयोग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. परिसीमन आयोग के आदेशों को किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
  2. परिसीमन आयोग के आदेश जब लोकसभा अथवा राज्य विधानसभा के सम्मुख रखे जाते हैं, तब उन आदेशों में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: C


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा सबसे बड़ा (क्षेत्रफल के अनुसार) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है? (2008) 

(a) काँगड़ा 
(b) लद्दाख 
(c) कच्छ
(d) भीलवाड़ा

उत्तर: (b)


प्रश्न. सियाचिन ग्लेशियर स्थित है (2020) 

(a) अक्साई चिन के पूर्व में 
(b) लेह के पूर्व में 
(c) गिलगित के उत्तर में 
(d) नुब्रा घाटी के उत्तर में 

उत्तर: (d)


मेन्स: 

प्रश्न. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370, जिसके साथ हाशिये नोट, "जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध", लगा हुआ है, किस सीमा तक अस्थायी है? भारतीय राज-व्यवस्था के संदर्भ में इस उपबंध की भावी संभावनाओं पर चर्चा कीजिये। (2016) 

प्रश्न. जम्मू और कश्मीर में 'जमात-ए-इस्लामी' पर पाबंदी लगाने से आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि-उपरि-कार्यकर्त्ताओं (OGW) की भूमिका ध्यान का केंद्रित बन गई है। उपप्लव (बगावत) प्रभावित क्षेत्रों में आतंकवादी संगठनों को सहायता पहुँचाने में भूमि-उपरि-कार्यकर्त्ताओं द्वारा निभाई जा रही भूमिका का परिक्षण कीजिये। भूमि-उपरि-कार्यकर्त्ताओं के प्रभाव को निष्प्रभावित करने के उपायों की चर्चा कीजिये। (2019)


जैव विविधता और पर्यावरण

कूलिंग सेक्टर के लिये UNEP की कार्य योजना

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP28), ग्लोबल कूलिंग प्लेज, किगाली संशोधन, इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP)

मेन्स के लिये:

कूलिंग सेक्टर में उत्सर्जन कम करने का महत्त्व, सतत् विकास के लिये ग्रीन कूलिंग रणनीतियाँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) ने अपनी हालिया रिपोर्ट "कीपिंग इट चिल: हाउ टू मीट कूलिंग डिमांड्स व्हाइल कटिंग एमिशन्स " में वैश्विक कूलिंग सेक्टर से उत्सर्जन को महत्त्वपूर्ण रूप से कम करने के उद्देश्य से एक कार्य योजना प्रस्तावित की है।

  • यह पहल अनुमानित 2050 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर पर्याप्त प्रभाव डालने की क्षमता रखती है, जिससे उन्हें 60% तक कम किया जा सकता है।
  • यह रिपोर्ट ग्लोबल कूलिंग प्लेज (Global Cooling Pledge) के समर्थन में जारी की गई है, जो कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP28) तथा कूल कोएलिशन (Cool Coalition) के मेज़बान के रूप में संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक संयुक्त पहल है।

नोट:

  • कूल कोएलिशन साझेदारों का एक वैश्विक नेटवर्क है जो सभी के लिये कुशल, जलवायु-अनुकूल शीतलन सुनिश्चित करने के लिये कार्य कर रहा है।
  • UNEP ने सतत् विकास लक्ष्यों के लिये 2030 एजेंडा तथा पेरिस समझौते के बीच तालमेल से पहले वैश्विक सम्मेलन में कूल कोएलिशन का शुभारंभ किया।
    • भारत कूल कोएलिशन का सदस्य है।

सस्टेनेबल कूलिंग हेतु UNEP की प्रस्तावित कार्य योजना क्या है?

  • प्रकृति-आधारित समाधान:
    • सिफारिशों में निष्क्रिय शीतलन उपाय जैसे- छायांकन, वेंटिलेशन, इन्सुलेशन, ग्रीन रूफ और परावर्तक सतहें तथा शहरी क्षेत्रों में प्राकृतिक स्थिति का पुनः निर्माण करना शामिल है।
    • निष्क्रिय शीतलन यांत्रिक शीतलन की आवश्यकता को कम कर सकता है और ऊर्जा तथा उत्सर्जन को बचा सकता है।
  • दक्षता मानक:
    • एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर और पंखे जैसे कूलिंग उपकरणों के लिये उच्च ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया है।
      • उच्च-ऊर्जा दक्षता वाले कूलिंग उपकरणों की ऊर्जा खपत और उत्सर्जन कम हो सकता है तथा उपयोगकर्त्ताओं और उपयोगिताओं के लिये लागत कम हो सकती है।
  • रेफ्रिजरेंट्स को चरणबद्ध तरीके से बंद करना:
    • इसका तात्पर्य हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) के बजाय हाइड्रोकार्बन, अमोनिया या कार्बन डाइऑक्साइड जैसे शीतलन उपकरणों में वैकल्पिक पदार्थों के उपयोग से है, जो शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें हैं।
      • HFC सिंथेटिक गैसों का एक समूह है जिसका उपयोग मुख्य रूप से शीतलन और प्रशीतन के लिये किया जाता है। "सुपर-प्रदूषक" के रूप में वर्गीकृत HFC में शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस के गुण होते हैं, जो कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में सैकड़ों से हज़ारों गुना अधिक गर्मी को रोकने में सक्षम होते हैं।
      • अपने महत्त्वपूर्ण प्रभाव के बावजूद वे अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक हैं, जिनका औसत वायुमंडलीय जीवनकाल 15 वर्ष है।
    • कम-ग्लोबल वार्मिंग क्षमता वाले रेफ्रिजरेंट कूलिंग उपकरणों के प्रत्यक्ष उत्सर्जन को कम कर सकते हैं और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन के तहत HFC को चरणबद्ध तरीके से कम करने में योगदान कर सकते हैं।
    • जलवायु को गर्म करने वाले रेफ्रिजरेंट और एयर कंडीशनिंग को तेज़ी से चरणबद्ध तरीके से बंद करने का आग्रह किया गया है।

कूलिंग सेक्टर पर ध्यान क्यों दें? 

  • कूलिंग सेक्टर बढ़ते तापमान से निपटने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, औद्योगिक शीतलन प्रक्रियाओं और उत्पादक अर्थव्यवस्थाओं के परिचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • हालाँकि हस्तक्षेप के बिना शीतलन उपकरणों की बढ़ती मांग से बिजली की खपत और उत्सर्जन में पर्याप्त वृद्धि हो सकती है।
    • वैश्विक बिजली खपत में कूलिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी 20% है।
  • यदि वर्तमान नीतियाँ जारी रहती हैं, तो वैश्विक स्तर पर कूलिंग उपकरणों की स्थापित क्षमता तीन गुना हो जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2050 तक बिजली की खपत दोगुनी से अधिक हो जाएगी।
    • इससे वर्ष 2050 में 4.4 बिलियन से 6.1 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड समकक्ष (CO2e) का उत्सर्जन हो सकता है, जो उस वर्ष वैश्विक अनुमानित उत्सर्जन का 10% से अधिक होगा।

सतत् शीतलन/कूलिंग के क्या लाभ हैं?

  • निष्क्रिय शीतलन तकनीक और कुशल शीतलन उपकरण उपभोक्ताओं को वर्ष 2022 से 2050 के दौरान 17 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत करवा सकते हैं।
    • यह अनुमान लगाया गया है कि अधिकतम बिजली आवश्यकताओं को 1.5-2 टेरावाट (TW) तक कम कर दिया जाएगा, जिससे बिजली उत्पादन में पर्याप्त निवेश से बचा जा सकेगा।
  • नए उपकरणों में कम-ग्लोबल वार्मिंग क्षमता वाली प्रौद्योगिकियों को अपनाने और रेफ्रिजरेंट जीवन चक्र को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने से वर्ष 2050 में HFC उत्सर्जन को 50% तक कम किया जा सकता है।
    • पावर ग्रिड को डीकार्बोनाइज़ करने से क्षेत्रीय उत्सर्जन को 96% तक कम किया जा सकता है।

सतत् शीतलन से संबंधित पहलें क्या हैं?

  • वैश्विक:
    • नेशनल कूलिंग एक्शन प्लान  (NCAPs):
      • वर्तमान में भारत सहित 40 से अधिक देशों ने NCAP तैयार किये हैं और 25 अन्य देश तैयारी के विभिन्न चरणों में हैं।
      • हालाँकि भारत और चीन द्वारा अपने NCAP में कार्यान्वयन तंत्र को शामिल किये जाने के बावजूद कार्यान्वयन धीमा रहा है।
    • वैश्विक शीतलन प्रतिज्ञा:
      • 60 से अधिक देशों ने कूलिंग सेक्टर के जलवायु प्रभाव को कम करने की वचनबद्धता के साथ प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किये।
        • 28वें पार्टियों के सम्मेलन (COP28) में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय, मेज़बान देश संयुक्त अरब अमीरात एवं कूल कोएलिशन ने वैश्विक शीतलन प्रतिज्ञा की शुरुआत की।
    • किगाली संशोधन को गति: 
      • किगाली संशोधन HFC के उत्पादन और खपत को कम करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। इसका लक्ष्य वर्ष 2047 तक HFC के उत्पादन एवं खपत को 80-85% तक कम करना है।
      • यह संशोधन ओज़ोन परत का क्षय करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का हिस्सा है।
        • इससे 105 बिलियन टन CO2 (एक ग्रीनहाउस गैस) के उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद है, जिससे 21वीं सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से सुरक्षा प्राप्त की जा सकेगी।
  • भारत:

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2