राष्ट्रीय बाँस मिशन
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय बाँस मिशन, बाँस क्षेत्र, केंद्रीय प्रायोजित योजना, बाँस से संबंधित पहल। मेन्स के लिये:बाँस के क्षेत्र का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कृषि मंत्रालय ने पुनर्गठित राष्ट्रीय बाँस मिशन (National Bamboo Mission- NBM) के तहत बाँस क्षेत्र से संबंधित विभिन्न विकासात्मक योजनाओं को सुव्यवस्थित करने के लिये एक सलाहकार समूह का गठन किया है।
राष्ट्रीय बाँस मिशन
- परिचय:
- केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme CSS) के रूप में पुनर्गठित राष्ट्रीय बाँस मिशन (NBM) को वर्ष 2018-19 के दौरान शुरू किया गया था।
- यह मिशन प्रमुख तौर पर रोपण सामग्री, वृक्षारोपण, संग्रह हेतु सुविधाओं का निर्माण, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण, विपणन, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, कुशल श्रमशक्ति और ब्राॅण्ड निर्माण पहल के लिये योजनाओं के क्रियान्वयन से लेकर उत्पादकों को उपभोक्ताओं के साथ जोड़ने के लिये बाँस क्षेत्र की संपूर्ण मूल्य शृंखला के विकास पर क्लस्टर दृष्टिकोण मोड पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।
- उद्देश्य:
- कृषि आय के पूरक के लिये गैर-वन सरकारी और निजी भूमि में बाँस के वृक्षारोपण के तहत क्षेत्र में वृद्धि करना और जलवायु परिवर्तन के लचीलेपन में योगदान देना।
- किसानों को बाज़ारों से जोड़ना ताकि किसान उत्पादकों को उगाए गए बाँस के लिये एक तैयार बाज़ार मिल सके और घरेलू उद्योग को उचित कच्चे माल की आपूर्ति में वृद्धि हो सके।
- यह उद्यमों और प्रमुख संस्थानों के एकीकरण के साथ बाज़ारों की आवश्यकता के अनुसार पारंपरिक बाँस शिल्पकारों के कौशल को उन्नत करने का भी प्रयास करता है।
- नोडल मंत्रालय:
- कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय।
बाँस क्षेत्र:
- महत्त्व:
- बाँस उद्योग संसाधन उपयोग के कई रास्ते खोलकर एक चरणबद्ध तरीके से परिवर्तन दिखा रहा है।
- बाँस पौधों का एक बहुमुखी समुह है जो लोगों को पारिस्थितिकी और आजीविका संबंधी सुरक्षा मुहैया कराने में सक्षम है।
- हाल ही में प्रधानमंत्री ने बंगलूरु (केम्पागौड़ा) हवाई अड्डे के नए टर्मिनल का उद्घाटन किया, जिसमें एक वास्तुशिल्प और संरचनात्मक सामग्री के रूप में बाँस की बहुमुखी प्रतिभा साबित हुई है और इस हरित संसाधन की सम्पदा को 'हरित इस्पात' के रूप में परिभाषित किया गया है।
- निर्माण क्षेत्र में डिजाइन और संरचनात्मक तत्त्व के रूप में उपयोग करने के अतिरिक्त, बाँस की क्षमता बहुआयामी है।
- बाँस से बने पर्यावरण के अनुकूल ढाले जा सकने वाले वस्तुएँ प्लास्टिक के उपयोग का स्थान ले सकती हैं। बाँस अपनी तेज पैदावार व विकास दर और प्रचुरता के कारण इथेनॉल तथा जैव-ऊर्जा उत्पादन के लिये एक विश्वसनीय स्रोत है।
- बाँस आधारित जीवनशैली उत्पादों, कटलरी, घरेलू सजावट, हस्तशिल्प और सौंदर्य प्रसाधनों का बाज़ार भी विकास के पथ पर है।
- भारत में बाँस उत्पादन की स्थिति:
- भारत में सर्वाधिक क्षेत्र (13.96 मिलियन हेक्टेयर) पर बाँस की खेती की जाती है तथा भारत बाँस की 136 विविध प्रजातियों (125 स्वदेशी और 11 विदेशी) की खेती करने वाला चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है।
बाँस क्षेत्र हेतु पहल:
- बाँस क्लस्टर्स: केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने 9 राज्यों अर्थात् गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम, नगालैंड, त्रिपुरा, उत्तराखंड और कर्नाटक में 22 बाँस क्लस्टरों का उद्घाटन किया है।
- MSP वृद्धि: हाल ही में, केंद्र सरकार ने लघु वनोत्पाद (MFP) के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को संशोधित किया है।
- MFP में पौधीय मूल के सभी गैर-काष्ठ उत्पाद जैसे- बाँस, बेंत, चारा, पत्तियाँ, गम, वेक्स, डाई, रेज़िन और कई प्रकार के खाद्य जैसे मेवे, जंगली फल, शहद, लाख, रेशम आदि शामिल हैं।
- बाँस को 'वृक्ष' की श्रेणी से हटाना: वृक्षों की श्रेणी से बाँस को हटाने के लिये वर्ष 2017 में भारतीय वन अधिनियम 1927 में संशोधन किया गया था।।
- परिणामस्वरूप गैर-वन क्षेत्रों में बाँस की कटाई और परिवहन के लिये अब किसी भी परमिट की आवश्यकता नहीं होगी।
- किसान उत्पादक संगठन (FPO): 5 वर्ष में 10,000 नए FPO बनाए जाएंगे।
- FPO किसानों को बेहतर कृषि पद्धतियाँ प्रदान करने, इनपुट खरीद का सामूहिककरण, परिवहन, बाज़ारों के साथ जुड़ाव और बेहतर मूल्य प्राप्ति जैसी सहायता प्रदान करने में संलग्न हैं क्योंकि ये बिचौलियों को दूर करते हैं।
आगे की राह:
- "आत्मनिर्भर कृषि" के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान देने के लिये राज्यों को राष्ट्रीय बाँस मिशन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
- बाँस की बहुतायत और इसके तेज़ी से बढ़ते उद्योग के साथ, भारत का लक्ष्य निर्यात को और भी अधिक बढ़ाकर इंजीनियर्ड और दस्तकारी उत्पादों दोनों के लिये वैश्विक बाज़ारों में खुद को स्थापित करने का होना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b)
अत: विकल्प B सही उत्तर है। |
स्रोत: पी.आई.बी.
66वाँ महापरिनिर्वाण दिवस
प्रिलिम्स के लिये:महापरिनिर्वाण दिवस, बौद्ध धर्म, बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर, गोलमेज सम्मेलन मेन्स के लिये:डॉ. भीमराव अंबेडकर का संक्षिप्त परिचय एवं भारतीय समाज में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की और देश के लिये उनकी अनुकरणीय सेवा को याद किया।
परिनिर्वाण दिवस क्या है?
- परिनिर्वाण जिसे बौद्ध धर्म के लक्ष्यों के साथ-साथ एक प्रमुख सिद्धांत भी माना जाता है, यह एक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है मृत्यु के बाद मुक्ति अथवा मोक्ष है।
- बौद्ध ग्रंथ महापरिनिब्बाण सुत्त (Mahaparinibbana Sutta) के अनुसार, 80 वर्ष की आयु में हुई भगवान बुद्ध की मृत्यु को मूल महापरिनिर्वाण माना जाता है।
- यह 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिये गए सामाजिक योगदान और उनकी उपलब्धियों को याद करने के लिये मनाया जाता है। बौद्ध नेता के रूप में डॉ. अंबेडकर की सामाजिक स्थिति के कारण उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में जाना जाता है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर:
- परिचय:
- बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म वर्ष 1891 में महू, मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में हुआ था।
- उन्हें ‘भारतीय संविधान का जनक’ माना जाता है और वह भारत के पहले कानून मंत्री थे।
- वह संविधान निर्माण की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
- डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, लेखक, बहुभाषाविद, मुखर वक्ता, विद्वान और धर्मों के विचारक थे।
- उन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलनों (Round Table Conferences) में भाग लिया।
- वर्ष 1932 में डॉ. अंबेडकर ने महात्मा गांधी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किये, जिससे उन्होंने दलित वर्गों (सांप्रदायिक पंचाट) हेतु पृथक निर्वाचन मंडल की मांग के विचार को छोड़ दिया।
- हालाँकि प्रांतीय विधानमंडलों में दलित वर्गों के लिये सुरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 147 कर दी गई तथा केंद्रीय विधानमंडल (Central Legislature) में दलित वर्गों की सुरक्षित सीटों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि की गई।
- हिल्टन यंग कमीशन (Hilton Young Commission) के समक्ष प्रस्तुत उनके विचारों ने भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की नींव रखने का कार्य किया।
- उन्होंने वर्ष 1951 में हिंदू कोड बिल पर मतभेदों के कारण कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
- उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया। चैत्य भूमि मुंबई में स्थित भीमराव अंबेडकर का स्मारक है।
- वर्ष 1936 में वे विधायक (MLA) के रूप में बॉम्बे विधानसभा (Bombay Legislative Assembly) के लिये चुने गए।
- वर्ष 1942 में उन्हें एक कार्यकारी सदस्य के रूप में वायसराय की कार्यकारी परिषद में नियुक्त किया गया था।
- वर्ष 1947 में डॉ. अंबेडकर ने स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनने हेतु प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण को स्वीकार किया।
- हिंदू कोड बिल (Hindu Code Bill) पर मतभेद को लेकर उन्होने वर्ष 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
- उन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया तथा 6 दिसंबर, 1956 (महापरिनिर्वाण दिवस) को उनका निधन हो गया।
महत्त्वपूर्ण कार्य:
- पत्रिकाएँ:
- मूकनायक (1920)
- बहिष्कृत भारत (1927)
- समता (1929)
- जनता (1930)
- पुस्तकें:
- जाति प्रथा का विनाश
- बुद्ध या कार्ल मार्क्स
- अछूत: वे कौन थे और अछूत कैसे बन गए
- बुद्ध और उनका धम्म
- हिंदू महिलाओं का उदय और पतन
- संगठन:
- बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923)
- स्वतंत्र लेबर पार्टी (1936)
- अनुसूचित जाति फेडरेशन (1942)
- मृत्यु:
- 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हुआ।
- मुंबई में स्थित चैत्य भूमि बी. आर. अंबेडकर का स्मारक है।
- 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हुआ।
- वर्तमान समय में अंबेडकर की प्रासंगिकता:
- भारत में जाति आधारित असमानता अभी भी कायम है, जबकि दलितों ने आरक्षण के माध्यम से एक राजनीतिक पहचान हासिल कर ली है और अपने स्वयं के राजनीतिक दलों का गठन किया है, किंतु सामाजिक आयामों (स्वास्थ्य और शिक्षा) तथा आर्थिक आयामों का अभी भी अभाव है।
- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और राजनीति के सांप्रदायिकरण का उदय हुआ है। यह आवश्यक है कि संवैधानिक नैतिकता की अंबेडकर की दृष्टि को भारतीय संविधान में स्थायी क्षति से बचाने के लिये धार्मिक नैतिकता का समर्थन किया जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से किन दलों की स्थापना डॉ. बी आर अंबेडकर ने की थी? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: B
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। मेन्सप्रश्न: अपसारी उपगामों और रणनीतियों के होने के बावजूद, महात्मा गाँधी और डॉ. बी. आर. अम्बेडकर का दलितों की बेहतरी का एक समान लक्ष्य था। स्पष्ट कीजिये। (2015) |
स्रोत: पी.आई.बी.
काली मृदा की वैश्विक स्थिति: FAO
प्रिलिम्स के लिये:FAO, विश्व मृदा दिवस, SOC, मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिये पहल। मेन्स के लिये:काली मृदा की वैश्विक स्थिति, काली मृदा का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) ने विश्व मृदा दिवस 2022 (5 दिसंबर) के अवसर पर काली मृदा की वैश्विक स्थिति (Global Status of Black Soils) पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की, जो जलवायु संकट, जैव विविधता क्षति और भूमि उपयोग परिवर्तन के कारण पहले से कहीं अधिक जोखिम में हैं।
प्रमुख बिंदु
- काली मृदा का महत्त्व:
- काली मृदा को वायुमंडल से कार्बन को हटाने और कार्बनिक पदार्थ (जिसे कार्बन पृथक्करण कहा जाता है) को संचित करने की क्षमता एवं मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण समाधान के रूप में प्रस्तावित किया गया है।
- मृदा में अंतर्निहित उर्वरता कई देशों के लिये खाद्य टोकरी जैसी है और वैश्विक खाद्य आपूर्ति के लिये आवश्यक मानी जाती है।
- यदि काली मृदा पर उचित ध्यान दिया जाए तो वैश्विक स्तर पर काली मृदा में विश्व स्तर पर कुल मृदा कार्बनिक कार्बन (Soil Organic Carbon- SOC) अनुक्रम का 10% प्रदान करने की क्षमता है
- यूरोप और यूरेशिया में 65% से अधिक एवं लैटिन अमेरिका तथा कैरिबियन में लगभग 10% मृदा कार्बनिक कार्बन (Soil Organic Carbon- SOC) अनुक्रम की उच्चतम क्षमता है।
- काली मृदा वाले क्षेत्र में वैश्विक आबादी का 2.86% निवास करता है और इसमें 17.36% क्रॉपलैंड, 8.05% ग्लोबल SOC स्टॉक और 30.06% SOC ग्लोबल क्रॉपलैंड का स्टॉक था।
- हालाँकि दुनिया की मृदा के एक छोटे से हिस्से का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद काली मृदा खाद्य सुरक्षा और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- वर्ष 2010 में विश्व स्तर पर, 66% सूरजमुखी के बीज, 51% छोटे बाजरा, 42% चुकंदर, 30% गेहूँ और 26% आलू काली मृदा से उत्पादित किये गए थे।
- काली मृदा की स्थिति:
- काली मृदा का SOC स्टॉक तेज़ी से कम हो रहा है। इसके अपने मूल SOC स्टॉक में 20- 50% की कमी हुई है, कार्बन को ज़्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में वातावरण में उत्सर्जित किया जा रहा है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है।
- काली मृदा के क्षरण का कारण:
- भूमि उपयोग परिवर्तन, अस्थिर प्रबंधन पद्धतियाँ और कृषि रसायनों का अत्यधिक उपयोग इसके लिये ज़िम्मेदार हैं।
- अधिकांश काली मृदा गंभीर क्षरण प्रक्रियाओं के साथ-साथ पोषक तत्त्वों के असंतुलन, अम्लीकरण और जैव विविधता संबंधित क्षति का सामना कर रही है।
- खाद्य और उर्वरक संकट:
- छोटे किसानों विशेष रूप से अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के कमज़ोर देशों से जैविक एवं अकार्बनिक उर्वरकों तक पहुँच की कमी है साथ ही वर्तमान में उर्वरक कीमतों में 300% की वृद्धि का सामना कर रहे हैं।
- आज कम उपलब्धता और बढ़ती उर्वरक कीमतें खाद्य कीमतों और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा रही हैं।
- सुझाव:
- काली मृदा वाले क्षेत्र में पाई जाने वाली प्राकृतिक वनस्पतियों, जैसे घास के मैदानों, जंगलों और आर्द्रभूमियों को संरक्षित करना और खेती के लिये उपयोग की जाने वाली काली मृदा के लिये स्थायी मृदा प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करना आवश्यक है।
- एक स्थायी तरीके से सुरक्षित, पौष्टिक और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से भरपूर भोजन के उत्पादन हेतु एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है ताकि मृदा के क्षरण को कम किया जा सके, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किया जा सके और कृषि खाद्य प्रणाली के प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।"
काली मृदा
- काली मृदा जैविक पदार्थों से भरपूर, मोटी और गहरे रंग की होती है।
- यह रूस (327 मिलियन हेक्टेयर), कज़ाखस्तान (108 मिलियन हेक्टेयर), चीन (50 मिलियन हेक्टेयर), अर्जेंटीना, मंगोलिया, यूक्रेन आदि में पायी जाती है।
- काली मृदा अत्यंत उपजाऊ होती है और अपनी उच्च नमी भंडारण क्षमता के कारण उच्च कृषि पैदावार कर सकती है।
- काली मृदा लौह तत्त्व, चूना, कैल्शियम, पोटेशियम, एल्यूमीनियम और मैग्नीशियम से भरपूर होती है लेकिन इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस की कमी होती है।
- यह वैश्विक मृदा का 5.6% हैं और इनमे विश्व के मृदा जैविक कार्बन(Soil Organic Carbon - SOC) स्टॉक का 8.2%,अर्थात लगभग 56 बिलियन टन कार्बन होता हैं।
- मृदा जैविक कार्बन मृदा के कार्बनिक पदार्थ का एक परिमेय घटक है, जो अधिकांश मृदा के द्रव्यमान का सिर्फ 2-10% होता है और कृषिपयोगी मृदा के भौतिक, रासायनिक और जैविक कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- SOC केवल जैविक यौगिकों के कार्बन घटक को संदर्भित करता है।
- यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और अनुकूलन संबंधी महत्त्व को दर्शाता है।
- अपनी अंतर्निहित उर्वरता के कारण यह कई देशों के लिये फूड बास्केट हैं और वैश्विक खाद्य आपूर्ति के लिये आवश्यक मानी जाती हैं।
- कई देशों के लिये फूड बास्केट होने और अपनी अंतर्निहित उर्वरता के कारण यह वैश्विक खाद्य आपूर्ति हेतु महत्त्वपूर्ण हैं।
विश्व मृदा दिवस:
- वर्ष 2002 में ‘इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सॉयल साइंसेज़’ (IUSS) द्वारा इसकी सिफारिश की गई थी।
- खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने WSD की औपचारिक स्थापना का समर्थन थाईलैंड के नेतृत्त्व में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने वाले वैश्विक मृदा भागीदारी मंच के रूप में किया है। ।
- 5 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly- UNGA) द्वारा पहले आधिकारिक (World Soil Day -WSD) के रूप में नामित किया गया था।
- 5 दिसंबर का दिन इसलिये चुना गया क्योंकि यह थाईलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज का आधिकारिक जन्मदिवस है। जिन्होंने आधिकारिक तौर पर इस आयोजन को मंज़ूरी दी थी।
- विश्व मृदा दिवस जन समुदायों को मृदा संसाधनों के सतत् प्रबंधन पर विचार करने के लिये प्रेरित करता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य मृदा क्षरण के कारकों, कार्बनिक पदार्थों की हानि और मृदा की उर्वरता में गिरावट जैसे पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है।
- वर्ष 2022 के लिये इसकी थीम- ‘मृदा, जिससे अनाज उत्पादित होता है’ ("Soils: Where food begins") है।
- मृदा स्वास्थ्य में सुधार हेतु भारत की पहलें:
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- जैविक कृषि
- परंपरागत कृषि विकास योजना
- उर्वरक आत्मनिर्भरता
- डिजिटल कृषि
- कार्बन खेती
- पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत की काली कपासी मृदा का निर्माण किसके अपक्षय के कारण हुआ है? (a) भूरी वन मृदा उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
भारत-मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक
प्रिलिम्स के लिये:मध्य एशिया, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA), चीन की बेल्ट एंड रोड पहल, चाबहार बंदरगाह, अश्गाबत समझौता, INSTC मेन्स के लिये:भारत-मध्य एशिया संबंध, मध्य एशिया में भारत के हितों की सुरक्षा, हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रम, मध्य एशिया में चीन का बढ़ता प्रभाव, अफगानिस्तान को मानवीय सहायता में भारत की भूमिका, भारत के लिये चाबहार बंदरगाह का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
6 दिसंबर, 2022 को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor- NSA) ने पहली बार मध्य एशियाई देशों- कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ एक विशेष बैठक की मेजबानी की।
- इससे पहले जनवरी 2022 में, भारत के प्रधानमंत्री ने वर्चुअल प्रारूप में प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन (India-Central Asia Summit) की मेज़बानी की थी।
NSAs की बैठक के प्रमुख बिंदु:
- 30वीं वर्षगाँठ: यह पहली बार हुआ है जब कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSAs) किसी उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक के लिये दिल्ली में उपस्थित हुए।
- यह बैठक भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित की गई।
- अफगानिस्तान वार्ता का केंद्र: इस बैठक में मुख्य रूप से अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति और तालिबान शासन के तहत उस देश से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे पर चर्चा की गई।
- चाबहार पर विचार-विमर्श: बैठक में शामिल NSAs ने मध्य एशिया के माध्यम से ईरान को रूस से जोड़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (International North-South Transport Corridor- INSTC) के ढाँचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया।
- अन्य विचार-विमर्श: "नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग, हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी, दुष्प्रचार फैलाने के लिये साइबर स्पेस के दुरुपयोग तथा मानव रहित हवाई प्रणालियों" के खिलाफ सामूहिक एवं समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया गया।
- प्रक्रिया को औपचारिक/संस्थागत रूप देना: बैठक के दौरान, नेताओं ने शिखर सम्मेलन की प्रक्रिया को द्विवार्षिक रूप से आयोजित करने का निर्णय लेकर इसे संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की।
- नए तंत्र/प्रक्रिया का समर्थन करने के लिये नई दिल्ली में भारत-मध्य एशिया सचिवालय (India-Central Asia Secretariat) स्थापित किया जाएगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
- ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार’ (NSA) ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद’ की अध्यक्षता करता है और प्रधानमंत्री का प्राथमिक सलाहकार भी होता है। वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं।
A. भारतीय NSC एक त्रिस्तरीय संगठन है जो रणनीतिक राजनीतिक, आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा संबंधी समस्याओं की देखरेख करता है।
- इसका गठन वर्ष 1998 में किया गया था और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करता है।
- NSC, सरकार की कार्यकारी शाखा और खुफिया सेवाओं के बीच संपर्क स्थापित करते हुए, प्रधान मंत्री के कार्यकारी कार्यालय के तहत कार्य करता है।
- गृह, रक्षा, विदेश और वित्त मंत्री इसके सदस्य होते हैं।
मध्य एशिया के साथ भारत के संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध: मध्य एशिया निस्संदेह भारत के सभ्यतागत प्रभाव का क्षेत्र है, फरगना घाटी ‘ग्रेट सिल्क रोड’ में भारत का क्रॉसिंग-पॉइंट था।
- बौद्ध धर्म ने स्तूपों और मठों के रूप में कई मध्य एशियाई शहरों में प्रसार किया।
- अमीर खुसरो, देहलवी, अल-बरुनी आदि जैसे प्रमुख विद्वान मध्य एशिया से आए और भारत में अपना नाम स्थापित किेया।
- राजनयिक संबंध: भारत मध्य एशियाई देशों को "एशिया का दिल" मानता है और वे शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- sco) के सदस्य भी हैं।
- मध्य एशियाई देश, पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद और विभिन्न आतंकी समूहों से इसके संबंधों के बारे में "जागरूक" हैं।
- आतंकवाद का मुकाबला करने में समान विचारधारा: भारत और मध्य एशियाई देशों में आतंकवाद और कट्टरता के खतरे का मुकाबला करने के दृष्टिकोण में समानता है।
- नवीनतम बैठक में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र व्यापक सम्मेलन को शीघ्र अपनाने का आह्वान किया गया था, जिसे भारत ने पहली बार वर्ष 1996 में प्रस्तावित किया था, लेकिन आतंकवाद की परिभाषा पर मतभेदों को लेकर दशकों से लटका हुआ है।
- अफगानिस्तान के संदर्भ में भारत की भूमिका: भारत और मध्य एशियाई देशों ने अफगानिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये इसके प्रभावों पर चिंताओं को साझा किया है। भारत अफगानिस्तान में फिर से शांति स्थापित करने का प्रबल समर्थक रहा है।
- नवंबर 2021 में भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर एक क्षेत्रीय संवाद की मेज़बानी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के NSAs ने भाग लिया था।।
- चाबहार बंदरगाह पर पक्ष: भारत ने हाल ही में चाबहार बंदरगाह के नवीनीकरण के माध्यम से महत्त्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है। यह अश्गाबात समझौते का भी सदस्य है।
- अफगानिस्तान में मानवीय संकट के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अफगानी लोगों को आवश्यक सामान पहुँचाने में बंदरगाह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- काबुल पर तालिबान के आधिपत्य से पहले भारत द्वारा विकसित बंदरगाह, शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल के माध्यम से भारत ने अफगानिस्तान को 100,000 टन गेहूँ और दवाएँ वितरित किया।
- अफगानिस्तान में मानवीय संकट के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अफगानी लोगों को आवश्यक सामान पहुँचाने में बंदरगाह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत-मध्य एशिया संबंधों को मज़बूत बनाने के क्रम में चुनौतियाँ:
- पाकिस्तान की शत्रुता और अफगानिस्तान में व्याप्त अस्थिरता मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के भौतिक संपर्क/कनेक्टिविटी को बाधित करने वाले प्रमुख कारक हैं।
- राजनीतिक रूप से, मध्य एशियाई देश अत्यधिक कमज़ोर हैं और आतंकवाद तथा इस्लामी कट्टरवाद जैसे खतरों से ग्रस्त हैं, जो इस क्षेत्र को एक परिवर्तनशील और अस्थिर बाज़ार बनाते हैं।
- बेल्ट एंड रोड पहल के माध्यम से चीन की भागीदारी ने इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को काफी कम कर दिया है।
- अफीम के बढ़ते उत्पादन (गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्रायंगल) के साथ-साथ छिद्रपूर्ण सीमा (जहाँ से आसानी से घुसपैठ की जा सकती है) और बेलगाम भ्रष्टाचार इस क्षेत्र को नशीली दवाओं एवं धन की तस्करी का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बनाते हैं।
आगे की राह:
- जब अन्य देश अपने-अपने दृष्टिकोण से इस क्षेत्र के साथ जुड़ते हैं, जैसे- चीन द्वारा आर्थिक दृष्टिकोण , तुर्किये द्वारा जातीय दृष्टिकोण और इस्लामी विश्व द्वारा धार्मिक दृष्टिकोण , तब शिखर स्तरीय वार्षिक बैठक के माध्यम से इस क्षेत्र को सांस्कृतिक व ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य देना भारत के लिये उपयुक्त होगा।
- मूल्य आधारित सांस्कृतिक नीति भारत-मध्य एशिया संबंधों को मज़बूत करने में मदद कर सकती है।
- भारत की बढ़ती वैश्विक दृश्यता और SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों में महत्त्वपूर्ण योगदान ने भारत को एक पर्यवेक्षक से इस क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण हितधारक के रूप में बदल दिया है।
- यूरेशिया में अपने नेतृत्त्व की भूमिका को आगे बढ़ाने के लिये अपने राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों का उपयोग करने हेतु मध्य एशिया भारत को एक आदर्श मंच प्रदान करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न: भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का क्या महत्त्व है? (वर्ष 2017) (a) अफ्रीकी देशों के साथ भारत के व्यापार में भारी वृद्धि होगी। उत्तर: (c) प्रश्न. अनेक बाहरी शक्तियों ने अपने आपको मध्य एशिया में स्थापित कर लिया है, जो कि भारत के हित का क्षेत्र है। इस संदर्भ में भारत के अश्गाबात समझौते में शामिल होने के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
मैंडस चक्रवात
प्रिलिम्स के लिये:मैंडस चक्रवात, चक्रवात के प्रकार, चक्रवात का नामकरण मेन्स के लिये:चक्रवात के प्रकार, चक्रवात का नामकरण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यह बताया गया है कि मैंडस चक्रवात तमिलनाडु और पुद्दुचेरी के तटों को 8 दिसंबर, 2022 से प्रभावित कर सकता है।
मैंडस चक्रवात
- मैंडस धीमी गति से चलने वाला चक्रवात है जो अक्सर बहुत अधिक नमी को अवशोषित करता है, भारी मात्रा में वर्षा करता है एवं यह वायु की गति से शक्ति प्राप्त करता है।
- इसका नामकरण संयुक्त अरब अमीरात द्वारा किया गया है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department’s- IMD) ने भविष्यवाणी की है कि तूफान प्रणाली पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर आगे बढ़ सकती है एवं 6 दिसंबर की शाम तक एक गर्त में बदल सकती है।
- यह बाद में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में चक्रवात के रूप में अधिक मज़बूत हो सकता है और 8 दिसंबर की सुबह तक तमिलनाडु तथा पुद्दुचेरी के तटों की ओर बढ़ सकता है।
चक्रवात:
- चक्रवात एक कम दबाव वाला क्षेत्र होता है जिसके आस-पास तेज़ी से इसके केंद्र की ओर वायु परिसंचरण होते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में हवा की दिशा वामावर्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त होती है।
- आमतौर पर चक्रवात विनाशकारी तूफान और खराब मौसम के साथ उत्पन्न होते हैं।
- साइक्लोन शब्द ग्रीक शब्द साइक्लोस से लिया गया है जिसका अर्थ है साँप की कुंडलियांँ (Coils of a Snake)। यह शब्द हेनरी पेडिंगटन (Henry Peddington) द्वारा दिया गया था क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान समुद्र के कुंडलित नागों की तरह दिखाई देते हैं।
- चक्रवात दो प्रकार के होते हैं:
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात
- अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात: इन्हें शीतोष्ण चक्रवात या मध्य अक्षांश चक्रवात या वताग्री चक्रवात या लहर चक्रवात भी कहा जाता है।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन 'उष्णकटिबंधीय चक्रवात' शब्द का उपयोग मौसम प्रणालियों को कवर करने के लिये करता है जिसमें पवनें 'गैल फोर्स' (न्यूनतम 63 किमी प्रति घंटे) से अधिक होती हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं।
- यह उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जल पर विकसित होने वाली वृहत मौसम प्रणाली हैं, जहाँ वे सतही हवा परिसंचरण में व्यवस्थित हो जाते हैं।
- अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात समशीतोष्ण क्षेत्रों और उच्च अक्षांश क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं, हालाँकि वे ध्रुवीय क्षेत्रों में उत्पत्ति के कारण जाने जाते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं।
चक्रवात का नामकरण:
- विश्व भर में हर महासागर बेसिन में बनने वाले चक्रवातों को उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (Tropical Cyclone Warning Centres TCWCs) और क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र (regional specialised meteorological centres – RSMC) द्वारा नामित किया जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग और पाँच TCWCs सहित दुनिया में छह क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र हैं।
- वर्ष 2000 में संगठित हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देश (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा थाईलैंड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के नाम तय करते हैं। जैसे ही चक्रवात इन आठों देशों के किसी भी हिस्से में पहुँचता है, सूची से अगला या दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है।
- WMO/ESCAP का विस्तार करते हुए वर्ष 2018 में पाँच और देशों, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को शामिल किया गया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. उष्णकटिबंधीय अक्षांशों में दक्षिण अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में चक्रवात की उत्पत्ति नहीं होती है। क्या कारण है? (2015) (a) समुद्र की सतह का तापमान कम है उत्तर: (b)
अतः विकल्प (b) सही है। मेन्स:प्रश्न. हाल ही में भारत के पूर्वी तट पर आए चक्रवात को “फैलिन” कहा गया था, दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम कैसे रखे जाते हैं? विस्तार में बताइये। (2013) प्रश्न. भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा चक्रवात संभावित क्षेत्रों के लिये रंग-कोडित मौसम चेतावनियों के अर्थ पर चर्चा कीजिये। (2022) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
भारत विकास रिपोर्ट: विश्व बैंक
प्रिलिम्स के लिये:आईडी बैंक, GDP, GVA, पूंजीगत व्यय, निवेश, मानव पूंजी सूचकांक, विश्व विकास रिपोर्ट मेन्स के लिये:भारत विकास रिपोर्ट, विश्व बैंक, GDP |
चर्चा में क्यों?
विश्व बैंक ने 'नेविगेटिंग द स्टॉर्म' शीर्षक से प्रकाशित भारत विकास रिपोर्ट में, यह अनुमान लगाया है कि 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था में 6.9% तक वृद्धि होगी।
- अक्तूबर 2022 में, विश्व बैंक ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद के विकास के अनुमान को 7.5% से घटाकर 6.5% कर दिया था।
मुख्य विशेषताएँ:
- विकास प्रक्षेपण:
- चुनौतीपूर्ण बाह्य परिस्थितियों में भी आर्थिक गतिविधियों में भारत का लचीलापन।
- चुनौतीपूर्ण बाह्य परिस्थितियों के प्रति भारत की अर्थव्यवस्था उल्लेखनीय रूप से लचीली रही है और मज़बूत समष्टि आधार ने इसे अन्य उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अच्छी स्थिति में रखा है।
- अधिक निजी खपत और निवेश।
- पूंजीगत व्यय को बढ़ाने पर सरकार के लक्ष्य ने भी 2022-23 की पहली छमाही में घरेलू मांग को समर्थन दिया।
- भारत का एक बड़ा घरेलू बाज़ार है और अपेक्षाकृत कम अंतर्राष्ट्रीय प्रवाह के संपर्क में है।
- 3 (अक्तूबर से दिसंबर तिमाही), 2022-23 की शुरुआत में घरेलू मांग में लगातार तीव्र वृद्धि हुई है।
- वैश्विक अव्यवस्था के लिए एक सुनियोजित और विवेकपूर्ण नीति के तहत प्रतिक्रिया, भारत को वैश्विक और घरेलू चुनौतियों से निपटने में मदद कर रही है।
- चुनौतीपूर्ण बाह्य परिस्थितियों में भी आर्थिक गतिविधियों में भारत का लचीलापन।
- चुनौतियाँ:
- वैश्विक मौद्रिक नीति चक्र में लचीलापन, वैश्विक वृद्धि में सुस्ती और जिंसों की ऊँची कीमतों (मुद्रास्फीति) तथा बढ़ती ऋण लागत का असर वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू मांग, विशेष रूप से निजी खपत पर पड़ेगा, जबकि वैश्विक वृद्धि में कमी से भारत के निर्यात की मांग में वृद्धि बाधित होगी। इन कारकों का अर्थ है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022 की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में कम वृद्धि का अनुभव करेगी।
- सुझाव:
- नवीकरणीय ऊर्जा और हरित अर्थव्यवस्था क्षेत्र रोज़गार के अवसर उत्पन्न कर सकते हैं।
- यह विकास और उपलब्ध नीति विल्प परनकारात्मक वैश्विक प्रभाव को रोकने हेतु ट्रेड ऑफ के संदर्भ में चेतावनी जारी करता है।
विश्व बैंक:
- परिचय:
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्थापना एक साथ वर्ष 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के दौरान हुई थी।
- विश्व बैंक समूह विकासशील देशों में गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये काम कर रहे पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है।
- सदस्य:
- 189 देश इसके सदस्य हैं।
- भारत भी इसका सदस्य है।
- प्रमुख रिपोर्ट:
- इसके पाँंच विकास संस्थान:
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD)
- अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)
- बहुपक्षीय गारंटी एजेंसी (MIGA)
- निवेश विवादों के निपटान के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID)
- भारत इसका सदस्य नहीं है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 'ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस सूचकांक’ में भारत की रैंकिंग समाचार-पत्रों में कभी-कभी देखी जाती है। निम्नलिखित में से किसने इस रैकिंग की घोषण की है?(2016) (a) आर्थिक सहयोग और विकास संगठन उत्तर: (c) |
स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस
भारतीय राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा: ई-संजीवनी
प्रिलिम्स के लिये:ई-संजीवनी, आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (Ayushman Bharat Digital Health Mission- ABDHM) , आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (Ayushman Bharat Health and Wellness Centres- AB-HWCs) कार्यक्रम, ई-संजीवनी OPD मेन्स के लिये:भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की आवश्यकता और संबंधित पहल। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी द्वारा 8 करोड़ टेली-परामर्श प्रदान किये गए।
- पिछले 1 करोड़ परामर्श लगभग 5 सप्ताह की उल्लेखनीय समय सीमा में उपलब्ध कराए गए।
ई-संजीवनी:
- परिचय:
- ई-संजीवनी देश के डॉक्टरों के मध्य टेलीमेडिसिन सेवा है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पारंपरिक प्रत्यक्षतः परामर्श का विकल्प प्रदान करती है।
- ई-संजीवनी आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का महत्त्वपूर्ण अंग है और ई-संजीवनी एप्लिकेशन के माध्यम से 45,000 से अधिक आभा संख्या जारी की गई हैं।
- इसका उपयोग करने वाले दस अग्रणी राज्य हैं: आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, तेलंगाना और गुजरात।
- दो कार्यक्षेत्र:
- आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र:
- यह टेली-परामर्श के माध्यम से ग्रामीण और शहरी डिजिटल स्वास्थ्य सुविधा के अंतर को कम करने प्रयास करता है।
- यह आयुष्मान भारत योजना के तहत ई-लाभार्थियों का समुचित लाभ सुनिश्चित करता है ।
- यह कार्यक्षेत्र हब-एंड-स्पोक मॉडल पर काम करता है, जिसमें राज्य स्तर पर स्थापित HWCs स्पोक के रूप में कार्य करते हैं और आंचलिक स्तर पर हब (MBBS/स्पेशलिटी/सुपर-स्पेशलिटी डॉक्टरों को शामिल करते हुए) के साथ समन्वित किये जाते हैं।
- इस मॉडल को 1,09,748 आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों तथा 14,188 हब में सफलतापूर्वक लागू किया गया है और इस प्रकार कुल 7,11,58,968 टेली-परामर्श प्रदान किये गए हैं।
- ई-संजीवनी OPD:
- यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में नागरिकों को शामिल करता है।
- यह स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप के माध्यम से प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है, जिससे डॉक्टर के परामर्श को रोगी के निवास स्थान की परवाह किये बिना कहीं भी सुलभ बनाया जा सकता है।
- ई-संजीवनी OPD ने 2,22,026 विशेषज्ञों, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया है और उन्हें इसमें शामिल किया है।
- इस प्लेटफॉर्म का एक दिन में 4.34 लाख से अधिक मरीजों की सेवा करने का प्रभावशाली रिकॉर्ड है।
- ई-संजीवनी OPD- स्टे होम OPD को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) मोहाली द्वारा विकसित किया गया है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) का एक प्रमुख अनुसंधान और विकास संगठन है।
- आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र:
- महत्त्व:
- ये प्लेटफॉर्म ग्रामीण क्षेत्रों में उन लोगों के लिये गेमचेंजर हो सकते हैं, जिनकी शहरों में स्थित चिकित्सा विशेषज्ञों तक आसान पहुुंँच नहीं है।
- टेलीमेडिसिन समय और लागत बचाता है। इसके अलावा ये प्लेटफॉर्म सरकार के 'डिजिटल इंडिया' के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं और कोविड-19 जैसी स्थितियों से निपटने के लिये आवश्यक हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 केवल उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प D सही है। मेन्सप्रश्न. भारत में 'सभी के लिये स्वास्थ्य' हासिल करने के लिये उपयुक्त स्थानीय समुदाय-स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल हस्तक्षेप एक पूर्वापेक्षा है। विश्लेषण कीजिये। (2018) |