प्रिलिम्स फैक्ट्स: 19 सितंबर, 2020
विश्व बांस दिवस
World Bamboo Day
18 सितंबर, 2020 को विश्व बांस दिवस (World Bamboo Day) के अवसर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ने बेंत एवं बाँस प्रौद्योगिकी केंद्र (Cane and Bamboo Technology Centre- CBTC) तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII) द्वारा आयोजित बाँस वेबिनार को संबोधित किया।
प्रमुख बिंदु:
- इस अवसर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ने कहा कि भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन किया गया है ताकि घरेलू बांस को इस अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जा सके।
- इसके माध्यम से लोगों की आजीविका के अवसरों को बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
- भारत सरकार ने कच्चे बांस की वस्तुओं पर आयात शुल्क 25% बढ़ाया है।
- भारत सरकार के इस निर्णय से घरेलू बांस उद्योगों जैसे फर्नीचर, हस्तशिल्प एवं अगरबत्ती बनाने में बड़े पैमाने पर मदद मिलेगी और भवन निर्माण सामग्री के लिये बांस के उपयोग को बढ़ावा भी मिलेगा।
- जम्मू क्षेत्र में कटरा, जम्मू एवं सांबा कस्बों में बांस की टोकरी, अगरबत्ती एवं बांस चारकोल बनाने के लिये तीन बांस क्लस्टर विकसित किये जाएंगे जो लगभग 25000 लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर प्रदान करेंगे।
- इसके अतिरिक्त जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन द्वारा भूमि आवंटन के दो वर्ष के भीतर ही जम्मू के पास एक मेगा बांस औद्योगिक पार्क और बांस प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण केंद्र भी खोला जाएगा।
विश्व बांस दिवस (World Bamboo Day) पृष्ठभूमि:
- विश्व स्तर पर विश्व बांस दिवस प्रत्येक वर्ष 18 सितंबर को मनाया जाता है।
- यह दिन बांस के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने और रोज़मर्रा के उत्पादों में इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिये मनाया जाता है।
थीम:
- विश्व बांस दिवस-2020 (WBD-2020) की थीम ‘BAMBOO Now’ है।
पृष्ठभूमि:
- वर्ष 2009 में बैंकाक (थाईलैंड) में आयोजित 8वीं विश्व बांस काॅन्ग्रेस (World Bamboo Congress) में विश्व बांस संगठन (World Bamboo Organization) ने आधिकारिक रूप से 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस (WBD) मनाए जाने की घोषणा की।
विश्व बांस संगठन
(World Bamboo Organization):
- विश्व बांस संगठन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यावरण की रक्षा के लिये स्थायी उपयोग सुनिश्चित करने हेतु दुनिया भर के क्षेत्रों में नए उद्योगों के लिये बांस की खेती को बढ़ावा देना साथ ही सामुदायिक आर्थिक विकास के लिये स्थानीय रूप से पारंपरिक उपयोगों को बढ़ावा देना है।
- विश्व बांस संगठन (World Bamboo Organization) की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी।
- इसका मुख्यालय एंटवर्प (बेल्जियम) में है।
ब्लू फ्लैग
Blue Flag
भारत के आठ समुद्र तटों को प्रतिष्ठित ’ब्लू फ्लैग’ (Blue Flag) अंतर्राष्ट्रीय ईको-लेबल के लिये अनुशंसित किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- वर्ष 1986 के बाद से 100 देशों में मनाए गए ‘इंटरनेशनल कोस्टल क्लीन-अप डे’ (International Coastal Clean-Up Day) की पूर्व संध्या पर बोलते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने बताया कि पहली बार ब्लू फ्लैग प्रमाणन (Blue Flag Certification) के लिये भारत के आठ तटों की सिफारिश की गई है।
ब्लू फ्लैग प्रमाणन
(Blue Flag Certification):
- ब्लू फ्लैग प्रमाणन, विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त इको-लेबल है जो एक अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ‘फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन, डेनमार्क’ (Foundation for Environment Education, Denmark) द्वारा प्रदान किया जाता है।
- यह चार प्रमुख घटकों- पर्यावरण शिक्षा एवं सूचना, नहाने वाले जल की गुणवत्ता, पर्यावरण प्रबंधन एवं संरक्षण और सुरक्षा एवं सेवाओं में 33 कठोर मानदंडों के आधार पर प्रदान किया जाता है।
’ब्लू फ्लैग’ (Blue Flag):
- ‘ब्लू फ्लैग’ समुद्र तटों का एक ईको-टूरिज़्म मॉडल है जो समुद्र तट के पर्यटकों को नहाने के लिये स्वच्छ जल, सुविधाओं, सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के साथ क्षेत्र के सतत् विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
- भारत ने एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (ICZM) परियोजना के तहत अपना इको-लेबल ‘बीच एनवायरमेंट एंड एस्थेटिक्स मैनेजमेंट सर्विस’ (Beach Environment and Aesthetics Management Services- BEAMS) की भी घोषणा की है।
- भारत सरकार ने तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण, सुरक्षा एवं प्रबंधन के लिये वर्ष 2010 में एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना (Integrated Coastal Zone Management Project- ICZM Project) शुरू की है।
- BEAMS के तहत सुझाए गए आठ समुद्र तटों में गुजरात में शिवराजपुर, दमन एवं दीव में घोघला और कर्नाटक में कासरकोड एवं पदुबिद्री (Padubidri), केरल में कप्पड़, आंध्र प्रदेश में रूशीकोंडा, ओडिशा में गोल्डन और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में राधा नगर शामिल हैं।
समर्थ योजना
Samarth Scheme
भारत सरकार का कपड़ा मंत्रालय, कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिये समर्थ योजना (Samarth Scheme) का क्रियान्वयन कर रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- यह एक प्लेसमेंट उन्मुख कार्यक्रम है जो संगठित क्षेत्र में कताई एवं बुनाई को छोड़कर, वस्त्रों की संपूर्ण मूल्य शृंखला में 10 लाख युवाओं के कौशल विकास को लक्षित करता है।
- समर्थ योजना की कुछ उन्नत सुविधाओं में प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (Training of Trainers), आधार सक्षम बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम (Aadhar Enabled Biometric Attendance System- AEBAS), प्रशिक्षण कार्यक्रम की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग, हेल्पलाइन नंबर के साथ समर्पित कॉल सेंटर, मोबाइल एप आधारित प्रबंधन प्रणाली (MIS) और प्रशिक्षण प्रक्रिया की ऑनलाइन निगरानी शामिल हैं।
- समर्थ योजना के तहत 18 राज्य सरकारों को पारंपरिक एवं संगठित क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिये 3.6 लाख लाभार्थियों का प्रशिक्षण लक्ष्य आवंटित किया गया है।
- इसके अतिरिक्त कपड़ा मंत्रालय ने संगठित क्षेत्रों में उद्योग उन्मुख प्रवेश स्तर के कौशल कार्यक्रमों के उपक्रम के लिये उद्योग/उद्योग संघों की प्रक्रिया शुरू की।
- प्रवेश स्तर के कौशल (Entry level skilling) के तहत कुल 76 उद्योगों को सूचीबद्ध किया गया है और 1.36 लाख लाभार्थियों का प्रशिक्षण लक्ष्य आवंटित किया गया है।
- इसके अतिरिक्त अपस्किलिंग कार्यक्रम (Upskilling Programme) के लिये 44 उद्योगों को 30,000 लाभार्थियों का प्रशिक्षण लक्ष्य आवंटित किया गया है।
- भारत सरकार ने 1300 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ समर्थ योजना को मंज़ूरी दी थी।
बायोटेक-कृषि नवाचार विज्ञान अनुप्रयोग नेटवर्क
Biotech-Krishi Innovation Science Application Network
पिछले 3 वर्षो के दौरान बायोटेक किसान कार्यक्रम/बायोटेक-कृषि नवाचार विज्ञान अनुप्रयोग नेटवर्क (Biotech-Krishi Innovation Science Application Network) कार्यक्रम के माध्यम से कृषि में जैव-प्रौद्योगिकी के प्रयोग सहित जैविक कृषि को समर्थन देने के लिये 310 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- बायोटेक-किसान कार्यक्रम नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों को किसानों तक पहुँचाने पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम को आकांक्षी ज़िलों सहित पूरे देश में समर्थन दिया गया है।
- भारत सरकार कृषि जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, जिसमें जैविक कृषि शामिल है, प्रतिस्पर्द्धी अनुसंधान एवं विकास तथा प्रदर्शन गतिविधियों के लिये अनुसंधान संस्थानों, केंद्रीय तथा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को समर्थन देती है।
एकीकृत जैव प्रौद्योगिकी मानव संसाधन विकास कार्यक्रम:
- भारत सरकार ने बायोटेक्नोलॉजी विभाग (Department of Biotechnology-DBT) के माध्यम से कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी प्रशिक्षित कार्मिक उपलब्ध कराने के लिये एक एकीकृत जैव प्रौद्योगिकी मानव संसाधन विकास कार्यक्रम कार्यान्वित किया है।
- कुशल तथा प्रशिक्षित जनशक्ति के लिये प्रमुख कार्यक्रमों में स्नातकोत्तर प्रशिक्षण कार्यक्रम, डीबीटी-जूनियर रिसर्च फेलोशिप कार्यक्रम, डीबीटी-रिसर्च एसोसिएटशिप तथा डीबीटी-जैव प्रौद्योगिकी उद्योग प्रशिक्षण कार्यक्रम (एप्रेंटिसशिप) आदि शामिल हैं।
बायोटेक किसान कार्यक्रम:
- बायोटेक-किसान योजना एक किसान केंद्रित योजना है।
- इसका मुख्य उद्देश्य छोटे जोत वाले किसानों की व्यक्तिगत समस्याओं को समझना एवं उनका समाधान बताना है।
- यह एक पैन-इंडिया कार्यक्रम है जो किसानों (पुरुष एवं महिला) को सशक्त बनाने के लिये उद्यमशीलता एवं नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
- बायोटेक-किसान कार्यक्रम द्वारा किसानों (पुरुष एवं महिला) में स्थानीय कृषि नेतृत्त्व को पहचानने और बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इस तरह के नेतृत्त्व से ज्ञान के हस्तांतरण की सुविधा के अलावा विज्ञान आधारित खेती को विकसित करने में मदद मिलती है।
- इसे भारत के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, ताकि स्थानीय किसानों की समस्या को समझकर नई तकनीकों को खेती से जोड़ा जा सके।
- अब तक विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में कुल 8 बायोटेक-किसान हब स्थापित किये गए हैं।