जैव विविधता और पर्यावरण
12 समुद्री तट ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र हेतु चयनित
- 16 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणन (Blue Flag Certification) के लिये भारत में 12 समुद्र तटों का चयन किया है, इन तटों को स्वच्छता और पर्यावरण अनुकूलता के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
- भारत के निम्नलिखित तटों का चयन किया गया हैं- शिवराजपुर (गुजरात), भोगवे (महाराष्ट्र), घोगला (दीव), मीरामार (गोवा), कासरकोड और पदुबिद्री (कर्नाटक), कप्पड (केरल), इडेन (पुदुचेरी), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), रुशीकोन्डा (आंध्र प्रदेश), गोल्डेन (ओडिशा), और राधानगर (अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह)।
- उपरोक्त तटों पर ब्लू फ्लैग प्रमाणन के तहत समुद्री तटीय प्रबंधन, बुनियादी ढाँचा विकास, स्वच्छता, सुरक्षा सेवाओं जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों का निर्माण किया जाएगा।
- ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक गैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर इनवॉयरमेंटल एजूकेशन (Foundation for Environmental Education-FEE) द्वारा प्रदान किया जाता है।
- भारत सरकार ने चयनित 12 तटों में से शिवराजपुर और घोगला तट के ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र हेतु FEE में आवेदन किया है। FEE से मिलने वाले प्रमाण-पत्र की वैद्यता 1 वर्ष की होती है।
फाउंडेशन फॉर इनवॉयरमेंटल एजूकेशन
Foundation for Environmental Education-FEE
- FEE की स्थापना वर्ष 1985 में फ्राँस में की गई थी और इसने वर्ष 1987 से यूरोप में अपना कार्य शुरू किया।
- दक्षिण-पूर्व और दक्षिण एशिया में ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र केवल जापान एवं दक्षिण कोरिया को ही प्राप्त हुआ है।
- स्पेन, ग्रीस और फ्राँस क्रमशः 566, 515, 395 ब्लू फ्लैग स्थलों के साथ शीर्ष पर हैं।
- ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र को प्राप्त करने के लिये पानी की गुणवत्ता, अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा, विकलांगों हेतु अनुकूलता, प्राथमिक चिकित्सा और मुख्य क्षेत्रों में पालतू जानवरों की न पहुँच, जैसे 33 मानकों को पूरा करना होता है। इन मानकों में से कुछ स्वैच्छिक और कुछ बाध्यकारी हैं।