डेली न्यूज़ (04 Jul, 2022)



चीन का नया हाई-टेक विमान-वाहक पोत फुजियान

प्रिलिम्स के लिये:

फ़ुज़ियान, ईएमएएलएस, कैटापोल्ट्स, दक्षिण चीन सागर।

मेन्स के लिये:

चीन का विमानवाहक पोत फ़ुजियान और भारत की चिंता, प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन ने अपने पहले नई पीढ़ी के स्वदेशी विमान-वाहक पोत (Indigenous Aircraft Carrier), टाइप 003, फुजियान (Type 003, Fujian) का अनावरण किया।

  • अमेरिका के बाद अब चीन के पास सबसे अधिक विमान-वाहक पोत हैं।

 फुजियान

  • फुजियान के बारे में:
    • फुजियान का नाम चीन के पूर्वी तटीय प्रांत के नाम पर रखा गया है जो ताइवान के पास स्थित है।
    • फुजियान वर्तमान में चीन द्वारा संचालित दो अन्य वाहकों में शामिल है जिनमें पहला शेडोंग (टाइप 001) है जिसे वर्ष 2019 में कमीशन किया गया तथा दूसरा लियाओनिंग (टाइप 002), जिसे वर्ष 1998 में यूक्रेन से सेकेंड-हैंड खरीदा गया।
      • टाइप 003 विमान-वाहक पोत अपने पूर्ववर्तियों शेडोंग और लियाओनिंग की तुलना में तकनीकी रूप से अधिक उन्नत है।
  • विशेषताएँ:
    • फुजियान का कुल भार 80,000 टन है, जो मौजूदा चीनी वाहकों की तुलना में बहुत अधिक है और अमेरिकी नौसेना के विमान-वाहक पोतों के बराबर है।
    • फुजियान को नवीनतम लॉन्च तकनीक- इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (Electromagnetic Aircraft Launch System- EMALS) से सुसज्जित किया गया है, जिसे पहले अमेरिकी नौसेना द्वारा विकसित किया गया था।
    • इसमें टेक-ऑफ और लैंडिंग हेतु एक सीधा फ्लैट-टॉप फ्लाइट डेक भी मौजूद है।
      • दो मौजूदा जहाज़ स्की जंप-स्टाइल रैंप (Ski Jump-Style Ramp) मौजूद हैं। स्की-जंप एक ऊपर की ओर घुमावदार रैंप होता है जिसका उपयोग विमान द्वारा रनवे के रूप में किया जाता है तथा यह विमान के आवश्यक टेक-ऑफ रोल से छोटा होता है।

चीन के लिये इस विमान का महत्त्व:

  • चीन ने लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा किया है और ताइवान को चीनी मुख्य भूमि से अलग करने वाले जलडमरूमध्य में शक्ति के प्रदर्शन के रूप में नौसेना तैनात की है।
  • फुजियान के साथ चीन को दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में काम करने के लिये और अधिक जगह मिलने की संभावना है।
  • हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की एक बड़ी उपस्थिति है, लेकिन फुज़ियान की क्षमताएँ चीन को भारत के क्षेत्र में जाने का रास्ता प्रदान करती हैं, जहाँ वह अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है।
  • चीन ने पहले ही श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह को कर्ज के एवज में लीज़ के तौर पर हासिल कर लिया है, चीन अरब सागर पर पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का आधुनिकीकरण कर रहा है और रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका, राष्ट्र जिबूती में अपने नौसैनिक अड्डे का विस्तार कर रहा है।
  • हालाँकि भले ही चीन अपनी सैन्य शक्ति का विस्तार कर रहा है परंतु यू.एस. बहुत आगे है। वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका 11 परमाणु-संचालित जहाज़ों के साथ विमान वाहक के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी है, इसके बाद चीन, ब्रिटेन और इटली का स्थान है।

EMALS:

  • परिचय:
    • यह एक प्रक्षेप्य प्रणाली है जो हवाई जहाज़ों को अतिरिक्त दबाव देने में मदद करती है। एक बार जब प्रक्षेपक को छोड़ दिया जाता है, तो इससे जुड़ा विमान थोड़े समय में बड़ी गति के साथ आगे बढ़ता है, जो इसे रनवे के अंत तक पहुँचने से पहले उड़ान भरने के लिये आवश्यक गति प्राप्त करने में मदद करता है।
      • प्रक्षेपक ‘असिस्टेड टेक-ऑफ बट अरेस्ट रिकवर’ या कैटोबार ऐसी ही एक प्रणाली है। इसमें एक विमान प्रक्षेपक की मदद से पूरी तरह से सपाट स्थान (डैक) से उड़ान भरता है।
    • प्रक्षेप्य प्रणाली दो प्रकार की होती है- भाप से चलने वाली और विद्युत चुंबकीय प्रणाली जिन्हें EMALS कहा जाता है।
      • पूर्व प्रक्षेप्य प्रणाली में आग दहन के लिये वाष्प दाब का उपयोग किया जाता था, EMALS रैखिक प्रेरण मोटर्स का उपयोग करता है। उत्पन्न विद्युत चुंबकीय बल का उपयोग विमान को जाने के लिये किया जाता है।
      • स्टीम कैटापोल्ट्स की तुलना में EMALS अधिक विश्वसनीय है, इसमें कम रखरखाव की आवश्यकता होती है, तेज़ी से रिचार्ज होता है, वाहक पर ज़्यादा जगह नहीं लेता है और ऊर्जा कुशल होता है।
  • भारत की स्थिति:
    • वर्ष 2017 में अमेरिका ने भारत को अपनी EMALS तकनीक प्रदान की जिसे अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्स एरोनॉटिकल सिस्टम्स इंक द्वारा विकसित किया गया था।
    • भारत ने इस प्रणाली को स्थापित करने की संभावना का पता लगाया, लेकिन नौसेना ने बजट की कमी के कारण योजना को छोड़ दिया।
    • हालाँकि बंगलूरू में राज्य के स्वामित्व वाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कथित तौर पर एक EMALS मॉडल पर काम कर रही है जिसे निकट भविष्य में भारतीय युद्धपोतों पर CATOBAR संचालन के लिये परीक्षण किया जा सकता है।

भारत में विमान-वाहक की स्थिति:

  • आईएनएस विक्रमादित्य:
    • यह भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा विमान-वाहक पोत है और रूसी नौसेना के सेवामुक्त एडमिरल गोर्शकोव/बाकू से परिवर्तित युद्धपोत है।
    • आईएनएस विक्रमादित्य एक संशोधित कीव-श्रेणी का विमान-वाहक पोत है जिसे नवंबर 2013 में सेवा में अधिकृत किया गया था।
    • यह एक कोणीय स्की-जंप के साथ शॉर्ट टेक-ऑफ लेकिन अरेस्ट रिकवरी या STOBAR तंत्र पर काम करता है।
      • STOBAR एक विमान-वाहक के डेक से विमान के प्रक्षेपण और पुनर्प्राप्ति के लिये उपयोग की जाने वाली प्रणाली है, जो "कैटापल्ट-असिस्टेड टेक-ऑफ बट अरेस्ट रिकवरी" के साथ "शॉर्ट टेक-ऑफ एंड वर्टिकल लैंडिंग" के तत्त्वों को जोड़ती है।
  • आईएनएस विक्रांत:

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा 'आईएनएस अस्त्रधारिणी' का सबसे अच्छा वर्णन है, जो हाल ही में खबरों में था? (2016) 

(a) उभयचर (एम्फिब) युद्ध जहाज़
(b) परमाणु संचालित पनडुब्बी
(c) टारपीडो लॉन्च और रिकवरी पोत
(d) परमाणु संचालित विमान वाहक

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • आईएनएस अस्त्रधारिणी एक स्वदेश निर्मित टॉरपीडो लॉन्च और रिकवरी पोत है। इसे 6 अक्तूबर, 2015 को कमीशन किया गया था।
  • अस्त्रधारिणी का डिजाइन नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL), शाफ़्ट शिपयार्ड तथा आईआईटी खड़गपुर का एक सहयोगात्मक प्रयास था।
  • यह अस्त्रधारिणी के लिये एक उन्नत प्रतिस्थापन है जिसे 17 जुलाई, 2015 को बंद कर दिया गया था।
  • इसमें कटमरैन के रूप का एक अनूठा डिज़ाइन है जो इसकी बिजली की आवश्यकता को काफी कम करता है और इसे स्वदेशी स्टील के साथ बनाया गया है।
  • यह उच्च समुद्री राज्यों में काम कर सकता है और परिक्षणों के दौरान विभिन्न प्रकार के टारपीडो को तैनात करने और पुनर्प्राप्त करने के लिये टारपीडो लॉन्चर्स के साथ एक बड़ा डेक क्षेत्र है।
  • जहाज़ में आधुनिक बिजली उत्पादन और वितरण, नेविगेशन और संचार प्रणाली भी है।
  • जहाज़ की 95% प्रणालियाँ स्वदेशी डिज़ाइन की हैं, इस प्रकार यह 'मेक इन इंडिया' दृष्टिकोण लिये नौसेना के निरंतर प्रयास को प्रदर्शित करता है।
  • आईएनएस अस्त्रधारिणी का उपयोग डीआरडीओ की नौसेना प्रणाली प्रयोगशाला, एनएसटीएल द्वारा पानी के नीचे हथियारों और प्रणालियों के तकनीकी परीक्षण के लिये विकसित किया जाएगा। अतः विकल्प (C) सही उत्तर है।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008, गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, सार्क सम्मलेन (आतंकवाद उन्मूलन) अधिनियम, एनआईए विशेष न्यायालय, साइबर आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद (LWE), नकली मुद्रा।

मेन्स के लिये:

सूचीबद्ध अपराध, एनआईए विशेष न्यायालय, एनआईए में हालिया संशोधन, विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियाँ और उनका जनादेश।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र के अमरावती में एक फार्मासिस्ट की बर्बर हत्या की  जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है।

 राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA):

  • परिचय:
    • NIA भारत की केंद्रीय आतंक रोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है, जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जाँच करने के लिये अनिवार्य है। उसमे समाविष्ट हैं:
      • विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध।
      • परमाणु और नाभिकीय सुविधाओं के विरुद्ध।
      • हथियारों, ड्रग्स और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी तथा सीमाओं के पार से घुसपैठ।
      • संयुक्त राष्ट्र, इसकी एजेंसियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, सम्मेलनों एवं प्रस्तावों को लागू करने के लिये अधिनियमित वैधानिक कानूनों के तहत अपराध।
    • इसका गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था।
    • एजेंसी को गृह मंत्रालय से लिखित उद्घोषणा के तहत राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जाँच करने का अधिकार है।
    • मुख्यालय: नई दिल्ली
  • उद्भव:
    • नवंबर 2008 में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के मद्देनज़र, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था, तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने NIA की स्थापना का फैसला किया।
      • दिसंबर 2008 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी विधेयक पेश किया।
    • एजेंसी 31 दिसंबर, 2008 को अस्तित्व में आई और वर्ष 2009 में इसने अपना कामकाज शुरू किया। अब तक NIA ने 447 मामले दर्ज किये हैं।
  • क्षेत्राधिकार:
    • जिस कानून के तहत एजेंसी संचालित होती है वह पूरे भारत में तथा देश के बाहर भारतीय नागरिकों पर भी लागू होती है।
    • सरकार की सेवा में व्यक्ति जहाँ कहीं भी तैनात हैं।
    • भारत में पंजीकृत जहाज़ों और विमानों पर व्यक्ति, चाहे वे कहीं भी हों।
    • वे व्यक्ति जो भारत के बाहर भारतीय नागरिक के विरुद्ध या भारत के हित को प्रभावित करने वाला सूचीबद्ध अपराध करते हैं।

सूचीबद्ध अपराध:

NIA की जांँच प्रक्रिया:

  • सिफारिश:
    • राज्य सरकार:
      • अधिनियम की धारा 6 के तहत राज्य सरकारें किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज सूचीबद्ध अपराधों से संबंधित मामलों को NIA जांँच के लिये केंद्र सरकार (केंद्रीय गृह मंत्रालय) को भेज सकती हैं।
        • उपलब्ध कराए गए विवरण का आकलन करने के बाद केंद्र एजेंसी को मामले को संभालने का निर्देश दे सकता है।
      • राज्य सरकारों को NIA को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।
    • केंद्र सरकार:
      • भारत में: जब केंद्र सरकार की राय है कि किये अनुसूचित अपराध की जाँच अधिनियम के तहत की जानी आवश्यक है, तो वह जांँच करने के लिये एजेंसी को निर्देश दे सकती है।
      • भारत के बाहर: जब केंद्र सरकार को पता चलता है कि भारत के बाहर किसी भी स्थान पर जहाँ अनुसूचित अपराध किया गया है, यह अधिनियम लागू होता है, वह NIA को मामला दर्ज करने और जांँच करने का निर्देश भी दे सकती है।
  • अनुमोदन:
    • गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) और कुछ अन्य अनुसूचित अपराधों के तहत आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिये एजेंसी केंद्र सरकार से मंज़ूरी मांगती है।
      • UAPA की धारा 45 (2) के तहत गठित 'प्राधिकरण' की रिपोर्ट के आधार पर UAPA के तहत मंज़ूरी दी जाती है।
  • अन्य:
    • नक्सली समूहों के आतंकी वित्तपोषण पहलुओं से संबंधित मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये एक विशेष वामपंथी उग्रवाद (LWE) सेल है।
    • किसी भी सूचीबद्ध अपराध की जांँच करते समय एजेंसी किसी अन्य अपराध की जांँच भी कर सकती है, यदि अपराध सूचीबद्ध अपराध से जुड़ा है।
    • जाँच के बाद मामलों को NIA की विशेष न्यायालय में रखा जाता है।

NIA का विशेष न्यायालय:

  • अनुसूचित अपराधों के मुकदमे के लिये केंद्र सरकार NIA अधिनियम, 2008 की धारा 11 और 22 के तहत एक या अधिक विशेष न्यायालयों का गठन करती है।
  • संरचना:
    • विशेष न्यायालय की अध्यक्षता एक न्यायाधीश द्वारा की जाती है जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर की जाती है।
    • यदि आवश्यक हो तो केंद्र सरकार विशेष न्यायालय में एक या एक से अधिक अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति भी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर कर सकती है।
  • विशेष न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र:
    • आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत सत्र न्यायालयों को प्राप्त सभी अधिकार विशेष न्यायालयों को भी प्राप्त हैं।
    • किसी विशेष न्यायालय के अधिकार क्षेत्र पर किसी भी प्रश्न की स्थिति में इसे केंद्र सरकार को संदर्भित किया जाएगा जिसका निर्णय अंतिम होगा।
    • सर्वोच्च न्यायालय किसी विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले को उस राज्य के किसी अन्य विशेष न्यायालय को अथवा किसी असाधारण मामले में जहाँ शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और त्वरित सुनवाई संभव नहीं हो, किसी अन्य राज्य के विशेष न्यायालय को हस्तांतरित कर सकता है।
      • इसी प्रकार उच्च न्यायालय के पास यह शक्ति है कि वह किसी विशेष न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले को उस राज्य के किसी अन्य विशेष न्यायालय को हस्तांतरित कर सकता है।

NIA अधिनियम में हाल के संशोधन:

  • NIA को 2019 में भारत के बाहर किये गए अपराधों सहित कुछ अपराधों की त्वरित जाँच और अभियोजन के उद्देश्य से संशोधित किया गया था।
  • संशोधन के तीन मुख्य क्षेत्र:
    • भारत के बाहर अपराध:
      • मूल अधिनियम ने NIA को भारत में अपराधों की जाँच और मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
        • संशोधित अधिनियम ने एजेंसी को अंतर्राष्ट्रीय संधियों और अन्य देशों के घरेलू कानूनों के अधीन भारत के बाहर किये गए अपराधों की जाँच करने का अधिकार दिया।
    • कानून का दायरा बढ़ाना:
    • विशेष न्यायालय:
      • 2008 के अधिनियम ने अपराधों की सुनवाई के लिये विशेष न्यायालयों का गठन किया।
        • वर्ष के संशोधन ने केंद्र सरकार को अधिनियम के तहत अनुसूचित अपराधों के परीक्षण हेतु सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालयों के रूप में नामित करने की अनुमति दी।
        • इसे विशेष न्यायालय के रूप में नामित करने से पहले केंद्र सरकार को उच्च न्यायालय के उस मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने की आवश्यकता होती है जिसके तहत सत्र न्यायालय कार्य कर रहा है।
      • राज्य सरकारें अनुसूचित अपराधों के मुकदमे के लिये सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालयों के रूप में भी नामित कर सकती हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष द्वारा स्थापित स्टिग्लिट्ज आयोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में था। किसके साथ सौदा करने हेतु आयोग का समर्थन किया गया था? (2010)

(a) आसन्न वैश्विक जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियाँ और एक रोडमैप तैयार करना।
(b) वैश्विक वित्तीय प्रणालियों के कामकाज और अधिक टिकाऊ वैश्विक व्यवस्था को सुरक्षित करने के तरीकों तथा साधनों का पता लगाने हेतु।
(c) वैश्विक आतंकवाद और आतंकवाद के शमन के लिये एक वैश्विक कार्ययोजना तैयार करना।
(d) वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार।

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा और वित्तीय प्रणाली के सुधारों पर विशेषज्ञों का आयोग, जिसे स्टिग्लिट्ज़ आयोग कहा जाता है, संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष द्वारा आहूत किया गया। इसकी अध्यक्षता जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ ने की थी।
  • आयोग को विश्व बैंक और आईएमएफ जैसे प्रमुख निकायों सहित वैश्विक वित्तीय प्रणाली के कामकाज की समीक्षा करने, एक अधिक स्थायी वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को सुरक्षित करने हेतु सदस्य राज्यों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में सुझाव देने का कार्य सौंपा गया था। अत: विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू


भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव

प्रिलिम्स के लिये:

भारत के उपराष्ट्रपति, संबंधित संवैधानिक प्रावधान।

मेन्स के लिये:

भारत के उपराष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चुनाव आयोग ने अगस्त 2022 में होने वाले उप-राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा की।

उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधान:

  • उपराष्ट्रपति:
    • उपराष्ट्रपति भारत का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय है। वह पांँच वर्ष के कार्यकाल के लिये कार्य करता है, लेकिन वह कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद तब तक पद पर बना रह सकता है जब तक कि उत्तराधिकारी द्वारा पद ग्रहण नहीं कर लिया जाता है।
    • उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर पद से त्यागपत्र दे सकता है जो इस्तीफा स्वीकृत होने के दिन से प्रभावी हो जाता है।
    • उपराष्ट्रपति को राज्य परिषद (राज्यसभा) के एक प्रस्ताव द्वारा पद से हटाया जा सकता है, जो उस समय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से पारित होता है, साथ ही लोकसभा द्वारा सहमति आवश्यक होती है। इस प्रयोजन के लिये कम-से-कम 14 दिनों का नोटिस दिये जाने के बाद ही इस आशय का कोई प्रस्ताव पेश किया जा सकता है।
    • उपराष्ट्रपति राज्यों की परिषद (राज्यसभा) का पदेन अध्यक्ष होता है और उसके पास कोई अन्य लाभ का पद नहीं होता है।
  • योग्यता:
    • भारत का नागरिक होना चाहिये।
    • 35 वर्ष की आयु पूरी होनी चाहिये।
    • राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुनाव के लिये योग्य होना चाहिये।
    • केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण या किसी अन्य सार्वजनिक प्राधिकरण के अधीन लाभ का कोई पद धारण नहीं करना चाहिये।
  • निर्वाचन मंडल:
    • भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
    • निर्वाचन मंडल :
      • राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य।
      • राज्यसभा के मनोनीत सदस्य।
      • लोकसभा के निर्वाचित सदस्य।

चुनाव प्रक्रिया क्या है?

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, कार्यालय की समाप्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिये चुनाव, निवर्तमान उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले पूरा किया जाना आवश्यक है।
  • राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 तथा राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 के साथ संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत उपराष्ट्रपति के कार्यालय के चुनाव के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण भारत निर्वाचन आयोग में निहित है।  
    • चुनाव के लिये अधिसूचना निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के साठ दिन पूर्व या उसके बाद जारी की जाएगी।
  • चूँकि निर्वाचक मंडल के सभी सदस्य, संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं, इसलिये प्रत्येक संसद सदस्य के मत का मूल्य समान होगा अर्थात् 1 (एक)।
  • चुनाव आयोग, केंद्र सरकार के परामर्श से लोकसभा और राज्यसभा के महासचिव को बारी-बारी से निर्वाचन अधिकारी (रिटर्निंग ऑफिसर) के रूप में नियुक्त करता है।
    • तद्नुसार महासचिव, लोकसभा को भारत के उपराष्ट्रपति के कार्यालय के वर्तमान चुनाव के लिये निर्वाचन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
  • आयोग ने निर्वाचन अधिकारी की सहायता के लिये संसद भवन (लोकसभा) में सहायक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करने का भी निर्णय लिया है।
  • राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 के नियम 8 के अनुसार, चुनाव के लिये मतदान संसद भवन में होगा।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. राज्यसभा का सभापति तथा उपसभापति उस सदन के सदस्य नहीं होते हैं
  2. जबकि राष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्यों को मतदान का कोई अधिकार नहीं होता, उनको उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान का अधिकार होता है

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

Ans: (b)

  • भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है, जो इसके सत्रों की अध्यक्षता करता है लेकिन वह उस सदन का सदस्य नहीं है। तथापि उपसभापति, जो सभापति की अनुपस्थिति में सदन के दिन-प्रतिदिन के मामलों को देखता है, राज्यसभा के सदस्यों में से चुना जाता है। इस प्रकार उपसभापति सदन का सदस्य होता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • भारत के राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है, जिसमें निम्नलिखित सदस्य होते हैं: संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा पुद्दुचेरी केंद्रशासित प्रदेश सहित राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य। इसलिये दोनों सदनों के मनोनीत सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान का कोई अधिकार नहीं है।
  • उपराष्ट्रपति का चुनाव राज्यसभा और लोकसभा दोनों के निर्वाचित एवं मनोनीत सदस्यों द्वारा किया जाता है। अत: कथन 2 सही है। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


टेक-होम राशन

प्रिलिम्स के लिये:

नीति आयोग, विश्व खाद्य कार्यक्रम, एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS), टेक होम राशन (THR)

मेन्स के लिये:

समाज के कमज़ोर वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग और विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों में टेक होम राशन-गुड प्रेक्टिस (Take Home Ration-Good Practices) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई थी।

विश्व खाद्य कार्यक्रम क्या है?

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:

  • रिपोर्ट राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा टेक होम राशन मूल्य शृंखला के कार्यान्वयन में अपनाई गई अच्छी और नवीन प्रथाओं का एक सेट प्रस्तुत करती है।
  • सरकार ने दूर-दराज़ के इलाकों तक पहुँचने के लिये इनोवेटिव मॉडल्स को अपनाया।
  • इसने जनभागीदारी और आँगनवाड़ी के स्थानीय नेटवर्क आदि के माध्यम से सरकार द्वारा अपनाए गए सामाजिक एवं व्यावहारिक मानदंडों, उत्पादन, निर्माण, वितरण, लेबलिंग, पैकेजिंग, पर्यवेक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण तथा संशोधन आदि की सराहना की।

टेक होम राशन:

  • भारत सरकार बच्चों के साथ-साथ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं (PLW) के बीच पोषण में अंतर को भरने के लिये एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) के पूरक पोषण घटक के तहत टेक होम राशन प्रदान करती है।
  • यह दो तरह से घर पर उपयोग के लिये फोर्टीफाईड राशन प्रदान करता है:
    • आँगनबाडी केंद्रों पर टेक-होम राशन और गरमा-गर्म भोजन।
    • यह कच्चे माल या पके हुए भोजन के पैकेट के रूप में दिया जाता है।

चुनौतियाँ:

  • वितरण तंत्र में खामियाँ:
    • वितरण प्रणाली में दोषपूर्ण प्रथाओं और भ्रष्टाचार के कारण यह कार्य अत्यंत जटिल है और इसे ब्लैक मार्केट में भेजना आसान है।
  • निम्न गुणवत्ता:
    • खरीद विभाग की लापरवाही के कारण कई बार माल खराब गुणवत्ता का होता है।
    • गोदाम और कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण अक्सर खाद्यान्न की बर्बादी होती थी।
  • पारदर्शिता का अभाव:
    • समग्र वितरण तंत्र में पारदर्शिता का अभाव है क्योंकि यह रसद और उन पर नियंत्रण रखने के लिये शामिल विभिन्न अन्य तंत्रों की निगरानी करने में लगभग असमर्थ है।
  • अप्रभावी कार्यान्वयन:
    • उत्पाद को प्राप्त करने, छाँटने और वितरित करने के लिये पारंपरिक तरीकों का उपयोग प्रणाली को अक्षम बनाता है, जिससे खाद्यान्न की डिलीवरी का प्रभावी रूप से कार्यान्वयन नहीं होता है।

अन्य समान सरकारी योजनाएंँ:

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM):
    • NHM को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (वर्ष 2005 में शुरू) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (वर्ष 2013 में शुरू) को मिलाकर आरंभ किया गया था।
    • इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री पोषण योजना (PM-POSHAN):
    • सितंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1.31 ट्रिलियन रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में भोजन उपलब्ध कराने के लिये प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण या पीएम-पोषण को मंज़ूरी दी।
    • इस योजना ने स्कूलों में मध्याह्न भोजन के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम या मध्याह्न भोजन योजना (Mid-day Meal Scheme) की जगह ले ली।
  • राष्ट्रीय पोषण रणनीति:
    • इस रणनीति का उद्देश्य सबसे कमज़ोर और गंभीर आयु समूहों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2030 तक सभी प्रकार के कुपोषण को कम करना है।

आगे की राह

  • समय पर पोषण संबंधी लक्ष्यों को पूरा करने के लिये THR कार्यक्रम को और अधिक सुदृढ़ किये जाने की आवश्यकता है।
  • विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आदर्श THR कार्यक्रमों की सर्वोत्तम पद्धतियों तथा विश्लेषणों को सीखने की आवश्यकता है।
  • उत्पादन, वितरण, गुणवत्ता नियंत्रण, निगरानी और प्रौद्योगिकी के उपयोग के मामले में THR के क्षेत्र में नवाचार की आवश्यकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.


विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम में संशोधन

प्रिलिम्स के लिये:

विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए), 2010, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), प्रेषण, विदेशी मुद्रा भंडार, व्यापार घाटा

मेन्स के लिये:

एफसीआरए अधिनियम में परिवर्तन और इसका महत्त्व, विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के कुछ प्रावधानों में संशोधन किया।

  • मंत्रालय ने नवंबर 2020 में FCRA नियमों को सख्त बना दिया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि गैर-सरकारी संगठन (NGO) जो सीधे किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं, लेकिन बंद, हड़ताल या सड़क अवरोधों जैसी राजनीतिक कार्रवाई में संलग्न हैं, को राजनीतिक प्रकृति का माना जाएगा यदि वे सक्रिय राजनीति या दलीय राजनीति में भाग लेते हैं। कानून के अनुसार, धन प्राप्त करने वाले सभी गैर-सरकारी संगठनों को FCRA के तहत पंजीकृत होना होगा।
  • यह कदम तब उठाया गया है जब सरकार ने सोने के आयात पर आयात शुल्क को 7.5% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया है ताकि सोने के आयात को हतोत्साहित किया जा सके जिससे व्यापार घाटे में वृद्धि होती है और मुद्रा तथा विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ता है।
    • सोने पर आयात शुल्क में वृद्धि से आयात की लागत में वृद्धि होगी और यह आयात और खपत को हतोत्साहित करेगा।

विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम:

  • परिचय:
    • FCRA को  1976 में आपातकाल के दौरान इस आशंका के माहौल में अधिनियमित किया गया था कि विदेशी शक्तियाँ स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से धन भेजकर भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं।
      • इन चिंताओं को संसद में वर्ष 1969 में ही व्यक्त कर दिया गया था।
    • कानून ने व्यक्तियों और संघों को विदेशी दान को विनियमित करने की मांग की ताकि वे "एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के मूल्यों के अनुरूप" कार्य कर सकें।
  • उद्देश्य:
    • विदेशी दान प्राप्त करने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति या एनजीओ को अधिनियम के तहत पंजीकृत होने, विदेशी धन की प्राप्ति के लिये एक बैंक खाता खोलने और उन निधियों का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिये करने की आवश्यकता है जिसके लिये उन्हें प्राप्त किया गया है, जैसा कि अधिनियम में निर्धारित है।
    • यह अधिनियम चुनावों के लिये उम्मीदवारों, पत्रकारों या समाचार पत्रों और मीडिया प्रसारण कंपनियों, न्यायाधीशों तथा सरकारी कर्मचारियों, विधायिका के सदस्यों एवं राजनीतिक दलों या उनके पदाधिकारियों व राजनीतिक प्रकृति के संगठनों द्वारा विदेशी धन प्राप्त करने पर रोक लगाता है।
  • संशोधन:
    • इसे वर्ष 2010 में विदेशी धन के उपयोग पर "कानून को मबूत करने" और "राष्ट्रीय हित के लिये  हानिकारक किसी भी गतिविधि" हेतु  उनके उपयोग को "प्रतिबंधित" करने के लिये संशोधित किया गया था।
    • वर्तमान सरकार द्वारा वर्ष 2020 में कानून में पुनः संशोधन किया गया, जिससे सरकार को गैर- सरकारी संगठनों द्वारा विदेशी धन की प्राप्ति और उपयोग पर सख्त नियंत्रण एवं जाँच करने की शक्ति प्राप्त हुई।

प्रमुख परिवर्तन:

  • यह भारतीयों को FCRA के तहत विदेशों में अपने रिश्तेदारों से सालाना 10 लाख रुपए तक प्राप्त करने की अनुमति देता है।
    • पहले यह सीमा 1 लाख रुपए थी।
    • यदि राशि अधिक हो जाती है तो व्यक्तियों के पास अब 30 दिन पहले के बजाय सरकार को सूचित करने के लिये 90 दिन का समय होगा।
  • इसने व्यक्तियों और संगठनों या गैर-सरकारी संगठनों को धन प्राप्त करने के लिये FCRA के तहत 'पंजीकरण' या 'पूर्व अनुमति' प्राप्त करने के लिये आवेदन हेतु 45 दिन का समय दिया है।
    • पहले यह 30 दिन था।
  • विदेशी फंड प्राप्त करने वाले संगठन प्रशासनिक उद्देश्यों के लिये इस तरह के फंड का 20% से अधिक उपयोग नहीं कर पाएंगे।
    • वर्ष 2020 से पहले यह सीमा 50% थी।
  • संगठनों या व्यक्तियों पर सीधे मुकदमा चलाने के बजाय FCRA के तहत पाँच और अपराधों को "समाधेय" बनाते हुए 12 कर दिया।
    • इससे पहले FCRA के तहत केवल 7 अपराध "समाधेय" थे।

समाधेय अपराध:

  • समाधेय अपराध वे अपराध हैं जहाँ शिकायतकर्त्ता ा (जिसने मामला दर्ज किया है, यानी पीड़ित), समझौता करता है और आरोपी के खिलाफ आरोपों को हटाने के लिये सहमत होता है। हालाँकि समझौते में यह ध्यान रखना होता है कि समझौता प्रामाणिक या वास्तविक हो।
  • FCRA उल्लंघन जो अब कंपाउंडेबल हो गए हैं, उनमें विदेशी धन की प्राप्ति के बारे में सूचित करने में विफलता, बैंक खाते खोलना, वेबसाइट पर जानकारी देने में विफलता आदि शामिल हैं।

प्रस्ताव का महत्त्व:

  • प्रेषण बढ़ाएगा:
    • यह धन के बहिर्वाह पर अंकुश लगाएगा और दूसरी ओर आवक प्रेषण को बढ़ाएगा।
  • विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर करना:
    • इससे भारत में धन की आमद में वृद्धि होगी जो विदेशी मुद्रा भंडार और मुद्रा को भी स्थिर करेगा।
    • इसी तरह सोने पर आयात शुल्क 7.5% से बढ़ाकर 12.5% करने से सोने का आयात हतोत्साहित होगा क्योंकि इससे भारत में सोने की कीमत में वृद्धि होगी।
  • व्यापार घाटा कम करना:
    • सोने के आयात के कारण धन के प्रवाह में वृद्धि और धन के बहिर्वाह में कमी से व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
      • अप्रैल और मई 2022 के महीने में व्यापार घाटा क्रमशः 20.1 बिलियन अमेंरिकी डॉलर और 24.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उच्च स्तर पर रहा, जिससे दो महीनों में यह कुल मिलाकर 44.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
      • तुलनात्मक रूप से अप्रैल और मई 2021 में व्यापार घाटा 21.8 अरब डॉलर रहा।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स